Tuesday, 18 February 2014

अब पैसे के अभाव में ईलाज से वंचित नहीं रहेंगे बच्चे

0 से 18 वर्ष तक के बच्चों को निशुल्क मिलेंगी स्वास्थ्य सुविधाएं

स्वास्थ्य विभाग ने किया 11 टीमों का गठन

गांव-गांव घूमकर बीमारी से पीडि़त बच्चों की पहचान करेंगी स्वास्थ्य विभाग की टीमें


जींद। आंगनवाड़ी तथा सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले 0 से 18 वर्ष तक के बच्चे अब आर्थिक कमजोरी के कारण उपचार से वंचित नहीं रहेंगे। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य योजना के तहत स्वास्थ्य विभाग अब आंगनवाड़ी तथा सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों को गंभीर बीमारी में भी निशुल्क स्वास्थ्य सुविधा मुहैया करवाएगा। स्वास्थ्य विभाग की इस योजना की सबसे खास बात यह है कि इस सेवा का लाभ लेने के बच्चों को अस्पतालों के चक्कर भी नहीं काटने पड़ेंगे, बल्कि स्वास्थ्य विभाग की टीम खुद गंभीर बीमारी की चपेट में आने वाले बच्चों को ढूंढ़कर अस्पताल तक पहुंचाएगी। इस योजना को कारगर बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा सामान्य अस्पताल में डिस्ट्रीक अर्ली इंटरमैंशन सैंटर (डी.ई.आई.सी.) स्थापित किए जा रहे हैं और इस सैंटर को चलाने के लिए अलग से स्टाफ की नियुक्ति की जा रही है। 
सामान्य अस्पताल का वह कमरा, जहां डी.ई.आई.सी. का निर्माण किया जाना है।

11 मोबाइल टीमें करेंगी निगरानी

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य योजना के तहत आंगनवाड़ी तथा सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले 0 से 18 वर्ष तक के बच्चों को सरकार की इस योजना का लाभ पहुंचाने के लिए डी.ई.आई.सी. के तहत ब्लॉक वाइज 11 मोबाइल टीमों का गठन किया गया है। प्रत्येक टीम में एक मेल डॉक्टर, एक फीमेल डॉक्टर, एक ए.एन.एम. तथा एक फार्मासिस्ट को शामिल किया गया है। डी.ई.आई.सी. की यह 11 टीमें जिले के सभी गांवों में घूमकर गंभीर बीमारी से पीडि़त बच्चों का पता लगाएंगी। 

निशुल्क मिलेंगी सभी स्वास्थ्य सुविधाएं

स्वास्थ्य विभाग द्वारा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य योजना के तहत ब्लड कैंसर, ह्रदय रोग, कैंसर सहित 30 प्रकार की ऐसी गंभीर बीमारियों को अपनी सूची में शामिल किया है, जिनके उपचार पर मोटी रकम खर्च होती है लेकिन स्वास्थ्य विभाग इन सभी बीमारियों से पीडि़त बच्चों का मुफ्त उपचार करवाएगा। स्वास्थ्य विभाग की सूची में शामिल इन 30 किस्म की गंभीर बीमारी से पीडि़त बच्चे को ओ.पी.डी. तक की पर्ची बनवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा बच्चे को एक अलग किस्म का कार्ड जारी किया जाएगा। इस कार्ड के आधार पर ही बच्चे का पूरा उपचार निशुल्क होगा। अगर बच्चे की बीमारी सामान्य है तो स्वास्थ्य विभाग की टीम पी.एच.सी., सी.एच.सी. स्तर पर बच्चे का उपचार करवाएगी। यदि पी.एच.सी. या सी.एच.सी. स्तर पर बच्चे का उपचार सही तरीके से नहीं हो पाया तो बच्चे को सामान्य अस्पताल ले जाया जाएगा। अगर बच्चे की बीमारी गंभीर है तो उसे सामान्य अस्पताल से पी.जी.आई. रोहतक या चंडीगढ़ रैफर किया जाएगा। 

डी.ई.आई.सी. के निर्माण पर खर्च होंगे 20 लाख

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य योजना के तहत जिला स्तर पर तैयार होने वाले डी.ई.आई.सी. के भवन के निर्माण पर 20 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे और भवन तैयार होने के बाद इसके डैकोरेशन पर 2 लाख रुपए खर्च होंगे। इस योजना को सही तरीके से चलाने के लिए जिला स्तर पर निॢमत सैंटर पर 15 सदस्यों का स्टाफ होगा। इसमें डॉटा आप्रेटर, स्टाफ नर्स, लैब टैक्नीशियन, सोशल वर्कर से लेकर विशेषज्ञ तक मौजूद रहेंगे। 

समय पर मिल पाएगा बच्चे को उपचार

जिला स्तर पर डी.ई.आई.सी. शुरू होने से बच्चों को काफी लाभ मिलेगा। पैसों के अभाव में कोई भी बच्चा उपचार से वंचित नहीं रह पाएगा। 0 से 18 वर्ष तक के बच्चों का निशुल्क उपचार किया जाएगा। इसकी सबसे खास बात यह होगी कि डी.ई.आई.सी. की टीमें गांव-गांव घूमेंगी और बच्चे के बीमारी की चपेट में आते ही उसका उपचार शुरू करवाएंगी। समय पर बच्चे को सही उपचार मिलने से बीमारी गंभीर रुप धारण नहीं कर पाएगी और बच्चे को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल पाएंगी। 
 डा. राजेश भोला का फोटो।

20 को जींद जिले में जुटेंगे प्रदेशभर के कृषि वैज्ञानिक

राज्य स्तरीय खेत दिवस में कीटों के शोध पर होगा गहन मंथन


जींद। जिला कृषि उप-निदेशक डा. रामप्रताप सिहाग ने कहा कि जींद जिले के किसानों ने थाली को जहरमुक्त करने की जो मुहिम शुरू की है उस मुहिम के साथ पूरे प्रदेश के किसानों को जोडऩे के लिए 20 फरवरी को जींद जिले के गांव ईगराह में राज्य स्तरीय किसान खेत दिवस का आयोजन किया जाएगा। हरियाणा के अलावा दूसरे प्रदेशों के कृषि वैज्ञानिक भी इस सम्मेलन में भाग लेंगे। कृषि विभाग तथा जींद जिले के किसानों की सहभागिता से होने वाला यह सम्मेलन प्रदेश ही नहीं बल्कि देशभर का पहला ऐसा अनोखा सम्मेलन होगा, जिसमें किसानों द्वारा कीटों पर किए गए शोध पर बड़े-बड़े कृषि वैज्ञानिक मंथन करेंगे। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में खाप पंचायतों की भी बड़ी भागीदारी रहेगी। प्रदेश के कृषि निदेशक डा. बृजेंद्र सिंह सम्मेलन में बतौर मुख्यातिथि तथा डी.सी. जींद राजीव रत्न विशिष्ठ अतिथि के तौर पर शिरकत करेंगे। डा. सिहाग सोमवार को शहर की अर्बन एस्टेट कालोनी में स्थित जाट धर्मशाला में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। 
 डा. सिहाग ने कहा कि कृषि विभाग के ए.डी.ओ. डा. सुरेंद्र दलाल ने वर्ष 2008 में थाली को जहरमुक्त करने के लिए जींद जिले के निडाना गांव से जिस मुहिम की शुरूआत की थी आज उस मुहिम ने एक क्रांति का रूप धारण कर लिया है और कृषि विभाग भी उनकी इस मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए बराबर की भागीदारी दर्ज करवा रहा है। यहां के किसानों ने डा. सुरेंद्र दलाल के नेतृत्व में कीटों पर अनोखे शोध किए हैं। इसी की बदौलत आज यहां के किसानों को लगभग 206 किस्म के शाकाहारी तथा मांसाहारी कीटों की पहचान हो चुकी है। इनके प्रयोग को देखकर दूसरे जिलों के किसान भी इनसे कीट ज्ञान लेने के लिए समय-समय पर यहां आते हैं। 
जींद जिले के किसानों ने कीटों की पहचान कर फसलों में बिना किसी पेस्टीसाइड का प्रयोग किए रिकार्ड तोड़ उत्पादन प्राप्त किया है। डा. सिहाग ने कहा कि अब तो कृषि वैज्ञानिकों ने भी इन किसानों के इस शोध पर अपनी सहमति की मोहर लगा दी है। उन्होंने कहा कि अब इस मुहिम से पूरे प्रदेश के किसानों को जोडऩे के लिए इस राज्य स्तरीय खेत पाठशाला के आयोजन किया जा रहा है। इस सम्मेलन में यहां के कीट कमांडो किसान बाहर से आए किसानों के साथ अपने अनुभव सांझा करेंगे। इससे दूसरे जिलों के किसानों को भी उनकी इस मुहिम से जुडऩे का अवसर मिलेगा। बराह खाप के प्रधान कुलदीप ढांडा ने कहा कि डा. सुरेंद्र दलाल के निमंत्रण पर खाप पंचायतें भी पिछले 2 साल से इस मुहिम में शामिल होकर इन किसानों के इस शोध पर गहन मंथन कर रही हैं। अब तक 105 से ज्यादा खापों के प्रतिनिधि किसान पाठशालाओं में शामिल होकर इनकी इस मुहिम का बारिकी से निरीक्षण कर चुके हैं। इस सम्मेलन में खाप पंचायतें भी कृषि विभाग तथा इन किसानों के साथ मिलकर इस मिशन को आगे बढ़ाएंगी ताकि खाने की थाली को जहरमुक्त किया जा सके। उन्होंने कहा कि यहां के किसान तो कपास के साथ-साथ सभी फसलों में इस प्रक्रिया को अपना चुके हैं। उन्होंने कृषि विभाग से इस योजना को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने की मांग की ताकि फसलों में अंधाधुंध प्रयोग हो रहे पेस्टीसाइड के कारण दूषित हो रहे खान-पान को दूषित होने से बचाया जा सके। इस मौके पर उनके साथ ए.डी.ओ. डा. कमल सैनी, राजपुरा भैण गांव के पूर्व सरपंच बलवान लोहान, डा. सुरेंद्र दलाल कीट साक्षरता कमेटी के प्रधान रणबीर मलिक, मनबीर रेढू आदि भी मौजूद थे। 
 पत्रकारों से बातचीत करते डी.डी.ए. डा. रामप्रताप सिहाग तथा बराह खाप प्रधान कुलदीप ढांडा।

Saturday, 15 February 2014

क्या हरियाणा में आया राम, गया राम से बनेगी सरकार?

हरियाणा में अकेले सरकार बनाने की स्थिति में नहीं कोई भी राजनैतिक दल 

थ्री इडियट फिल्म के 'ऑल इज वैल' के फार्मूले को अपना रही है कांग्रेस पार्टी

नरेंद्र कुंडू
जींद। साल 2014 से चुनावी मौसम शुरू होने वाला है। इसी को मद्देनजर रखते हुए सभी राजनैतिक दलों ने अपने लंगर-लंगोट कसने शुरू कर दिए हैं। हरियाणा में पूरी तरह से राजनीति माहौल गर्मा चुका है। सभी राजनैतिक दलों ने अपने-अपने पक्ष में माहौल तैयार करने के लिए अपने घोड़े दौड़ाने शुरू कर दिए हैं। हाल ही में घोषित हुए दिल्ली, मध्यप्रदेश, राजस्थान, छतीसगढ़ व मिजोरण के चुनाव परिणाम ने प्रदेश की राजनीति में उफान पैदा कर दिया है। मध्यप्रदेश, राजस्थान, छतीसगढ़ चुनाव में भाजपा को विजयश्री मिलने तथा दिल्ली में सबसे ज्यादा सीटें भाजपा के पक्ष में जाने के बाद कांग्रेस पार्टी हिलोरे खाने लगी है। इसी के चलते अब दिल्ली में बैठे कांग्रेस के सिपेसलहारों ने आगामी चुनाव में अपनी लाज बचाने के लिए पार्टी की कार्यप्रणाली पर मंथन भी शुरू कर दिया है। वहीं हाल ही में कांग्रेस पार्टी की इस बड़ी हार ने हरियाणा प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेंद्र ङ्क्षसह हुड्डा के माथे पर भी चिंता की लकीरें पैदा कर दी। क्योंकि इससे एक तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री को प्रदेश में कांग्रेस विरोधी लहर पैदा होने का भय सता रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी के ही उन नेताओं का डर है जो सत्ता में काबिज होने के दौरान भी उनके विरोध में खड़े हैं। फिलहाल हरियाणा प्रदेश में कांग्रेस 2 धड़ों में बटी हुई है। सांसद बीरेंद्र सिंह, कुमारी शैलजा, ईश्वर सिंह तथा राव इंद्रजीत सिंह सहित कई अन्य नेताओं का एक बड़ा धड़ा आज मुख्यमंत्री के समक्ष बड़ी चुनौती बनकर खड़ा हुआ है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी के लिए हरियाणा में लगातार तीसरी बार सत्ता हासिल करना एक छेद वाले मटके को पानी से भरने के बराबर है। क्योंकि पड़ोसी राज्यों में जहां कांग्रेस विरोधी लहर चल रही है तो हरियाणा में पार्टी के अंदर ही बगावत के सुर फूट रहे हैं। वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी अब एक बाजिगर की तरह हारी हुई बाजी को जीतने के लिए अपने पैंतरे फैंकने शुरू कर दिए हैं। मुख्यमंत्री ने पहला पैंतरा 10 नवम्बर को गोहाना में आयोजित शक्ति रैली में कर्मचारियों को लुभाने के लिए कर्मचारी हित की घोषणाओं की झड़ी लगाकर फैंका है, तो दूसरा पैंतरा केंद्र सरकार से केंद्र में जाटों को आरक्षण देने की सिफारिश करवाकर फैंक दिया है लेकिन यहां सरकार के दोनों ही पैंतरे उल्ट पड़ते नजर आ रहे हैं। जाटों को केंद्र में आरक्षण की सिफारिश की घोषणा के बाद से मुख्यमंत्री पर एक जाति विशेष का मुख्यमंत्री का आरोप लगाते हुए प्रदेश के भिन्न-भिन्न पिछड़ा वर्ग के नेताओं ने कांग्रेस सरकार के खिलाफ अपना मोर्चा खोल दिया है, तो दूसरी तरफ 22 दिसम्बर को रोहतक में आयोजित हल्ला बोल रैली में प्रदेश के कर्मचारी वर्ग ने भी सरकार के खिलाफ आर-पार की लड़ाई का बिगुल फूंकते हुए आगामी चुनाव में सरकार को इसका खामियाजा भुगतने की चेतावनी दे डाली है। इस प्रकार हरियाणा में लगातार कांग्रेस के विपक्ष में तैयार हो रहे इस माहौल से कांग्रेस सरकार की नैया डांवाडोल होती नजर आ रही है लेकिन कांग्रेस सरकार इससे सबक लेने की बजाए थ्री इडियट फिल्म के मशहूर डॉयलाग ऑल 'इज वैल' के फार्मूले को अपनाकर अपने दिल को तसल्ली देने में जुटी है कि प्रदेश में तीसरी बार भी कांग्रेस की सरकार बनेगी। वहीं प्रदेश के दूसरे राजनैतिक दलों के लिए भी सत्ता की कुर्सी पर काबिज होना टेडी खीर साबित होगी। क्योंकि भाजपा पार्टी को हरियाणा में दिग्गज नेताओं की कमी खल रही है तो हजकां प्रदेश की जनता का विश्वास  जीत कर अभी तक अपना जनाधार नहीं बना पाई है। इसी तरह इनैलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला तथा अजय चौटाला को जेबीटी घोटाले में सजा होने के बाद इनैलो अभी तक अपना अगला सेनापति ही तय नहीं कर पा रही है। वहीं दिल्ली में मिले भारी जनसमर्थन से आसमान में उड़ रही आप पार्टी ने अब हरियाणा में भी चुनाव लडऩे का ऐलान कर दिया है लेकिन हरियाणा में आप का यह सपना सच होते इसलिए नजर नहीं आ रहा है क्योंकि दिल्ली में आप को सत्ता की दहलीज तक पहुंचाने में शिक्षित व जागरूक तबके का बड़ा हाथ है लेकिन हरियाणा में शहरी की बजाए ग्रामीण लोगों की संख्या ज्यादा है और यहां प्रचार-प्रसार के अभाव के कारण शिक्षा व जागरूकता का काफी अभाव है। इस प्रकार हरियाणा में बन रहे समीकरण से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस को सत्ता से बाहर करने के लिए या तो हरियाणा में इनैलो, भाजपा व हजकां महागठबंध कर सकती हैं या फिर भाजपा हजकां का साथ छोड़कर इनैलो के साथ आएगी, क्योंकि यहां हजकां की बजाए इनैलो पार्टी काफी ज्यादा मजबूत है। इसके अलावा तीसरा रास्ता यह भी निकल सकता है कि आया राम, गया राम (खरीद-फरोख्त) से कांग्रेस तीसरी बार सत्ता में काबिज होने में कामयाब हो सकती है। 

खाद्य एवं पूर्ति विभाग का नया फरमान

अब बिना आई.डी. के नहीं मिलेगा राशन

अफसरशाही के नियमों के जाल में फंसी सरकार की खाद्य सुरक्षा योजना


जींद। गरीब लोगों को भरपेट दाल-रोटी देने की सरकार की योजना अफसरशाही के नियमों के जाल में फंसकर रह गई है। खाद्य एवं पूर्ति विभाग द्वारा राशन वितरण करने के लिए आए दिन नए-नए फरमान जारी किए जा रहे हैं। राशन वितरण के लिए खाद्य एवं पूर्ति विभाग द्वारा हर रोज निर्धारित किए जा रहे नए-नए नियमों के कारण राशन वितरण की प्रक्रिया काफी जटिल हो गई है। इसके चलते विभाग के कर्मचारियों से लेकर राशन लेने वाले पात्र लोगों तक को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ लेने के लिए एक सप्ताह पहले विभाग द्वारा जहां परिवार के सभी सदस्यों के लिए आधार कार्ड अनिवार्य किया गया था, वहीं अब विभाग ने इस नियम में फेरबदल करते हुए परिवार के सभी सदस्यों का एक पहचान पत्र होने का नया नियम तैयार कर दिया है। विभाग के नए नियमानुसार बिना पहचान पत्र वाले सदस्य को राशन नहीं दिया जाएगा। वहीं राशन लेने से पहले कार्ड धारक को अलग से एक नया फार्म भी भरना होगा।
देशभर के गरीब लोगों को 2 वक्त की दाल-रोटी मुहैया करवाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा देश में खाद्य सुरक्षा योजना लागू की गई थी। सरकार की इस योजना के तहत प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिमाह 2 रुपए किलो के भाव से 5 किलो गेहूं और बी.पी.एल. कार्ड धारक को अढ़ाई किलो दाल 20 रुपए प्रतिकिलो के भाव से हर माह देने का ऐलान किया था लेकिन खाद्य एवं पूर्ति विभाग द्वारा सरकार की इस योजना को अमल में लाने के लिए हर रोज नए-नए नियम निर्धारित किए जा रहे हैं। विभाग के महानिदेशक ने लगभग एक सप्ताह पहले पत्र जारी करते हुए योजना का लाभ लेने वाले सभी लोगों के लिए आधार कार्ड का होना अनिवार्य कर दिया था लेकिन सभी लोगों के पास आधार कार्ड नहीं होने के कारण लोगों को होने वाली परेशानी को देखते हुए विभाग ने एक सप्ताह में ही इस नियम में फेरबदल करते हुए एक ओर नया नियम खड़ा कर दिया। विभाग के इस नए नियम के अनुसार अब राशन लेने से पहले कार्ड धारक को अपने परिवार के सभी सदस्यों की आई.डी. डिपोधारक को दिखानी होगी। अगर कार्ड धारक के पास परिवार के किसी सदस्य की आई.डी. नहीं है तो बिना आई.डी. वाले सदस्य को राशन नहीं दिया जाएगा। इस तरह से विभाग द्वारा राशन वितरण के लिए हर रोज तैयार किए जा नियमों के जाल में उपभोक्ता उलझते जा रहे हैं। 

आई.डी. दिखाने के बाद भरना होगा फार्म

खाद्य एवं पूर्ति विभाग के महानिदेशक द्वारा हाल ही में जारी किए गए नए नियमों के अनुसार राशन लेने के लिए कार्ड धारक को अपने परिवार के सभी सदस्यों की आई.डी. तो दिखानी ही होगी, इसके अलावा पहली बार राशन लेने पर परिवार के सभी सदस्यों की आई.डी. दिखाने के बाद अलग से एक फार्म भी भरना होगा।

कर्मचारियों के गले की फांस बने विभाग के नए नियम

खाद्य एवं पूर्ति विभाग के महानिदेशक द्वारा हाल ही में जारी किए गए नए नियम विभाग के कर्मचारियों के गले की फांस बन गए हैं। पहले स्मार्ट कार्ड के लिए फिर खाद्य सुरक्षा योजना और इसके बाद खाद्य सुरक्षा योजना के तहत अस्थाई फार्म भरवाने के बाद अब नए सिरे से एक अलग फार्म भरवाने के लिए विभाग के कर्मचारियों को लोगों के साथ काफी माथापच्ची करनी पड़ेगी। विभाग के कर्मचारियों की मानें तो बार-बार जनता से फार्म भरवाए जाने के कारण जनता फार्म भरने की इस प्रक्रिया से परेशान हो चुकी है। खासकर ग्रामीण क्षेत्र के लोग सबसे ज्यादा परेशान हो चुके हैं।

3-3 बार भरवाए जा चुके हैं फार्म

खाद्य एवं पूर्ति विभाग द्वारा लगभग 1 वर्ष पहले स्मार्ट कार्ड के लिए लोगों से फार्म भरवाए गए थे। इसके बाद खाद्य सुरक्षा योजना के लिए फार्म भरवाए गए और तीसरी बार खाद्य सुरक्षा योजना अस्थाई के नाम से फार्म भरवाए गए। इस योजना के तहत महिला को घर की मुखिया बनाया गया था लेकिन आज तक न तो लोगों के स्मार्ट कार्ड बने हैं और न ही महिला घर की मुखिया बन पाई हैं। इसके बावजूद अब विभाग द्वारा एक बार फिर नए सिरे से लोगों से फार्म भरवाने जाने के फरमान जारी कर दिए गए हैं।

राशन लेने के लिए अब आई.डी. दिखाना जरूरी

इस बारे में जानकारी लेने के लिए जब डी.एफ.एस.सी. अशोक कुमार से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह चंडीगढ़ मुख्यालय से यह निर्देश प्राप्त हुए थे कि बिना आधार कार्ड राशन वितरित नहीं किया जाए। राशन लेने के लिए परिवार के सभी सदस्यों के पास आधार कार्ड का होना अनिवार्य किया गया था लेकिन सभी लोगों के पास आधार कार्ड नहीं होने के कारण विभाग ने अब नियम में परिवर्तन किया है। आधार कार्ड के स्थान पर परिवार के सभी सदस्यों को राशन लेते समय एक आई.डी. दिखानी होगी। विभाग द्वारा जो नए सिरे से फार्म भरवाए जाएंगे वह प्रक्रिया सामान्य है। पहली बार ही कार्ड धारक को यह फार्म भरना होगा। इसके बाद कार्ड धारक से यह फार्म नहीं भरवाए जाएंगे। स्मार्ट कार्ड के लिए उन्होंने फार्म भरवा कर रख दिए हैं, अब आगामी कार्रवाई विभाग को करनी है।  

अब पैसे के अभाव में ईलाज से वंचित नहीं रहेंगे बच्चे

0 से 18 वर्ष तक के बच्चों को निशुल्क मिलेंगी स्वास्थ्य सुविधाएं

स्वास्थ्य विभाग ने किया 11 टीमों का गठन

गांव-गांव घूमकर बीमारी से पीडि़त बच्चों की पहचान करेंगी स्वास्थ्य विभाग की टीमें


जींद। आंगनवाड़ी तथा सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले 0 से 18 वर्ष तक के बच्चे अब आर्थिक कमजोरी के कारण उपचार से वंचित नहीं रहेंगे। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य योजना के तहत स्वास्थ्य विभाग अब आंगनवाड़ी तथा सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों को गंभीर बीमारी में भी निशुल्क स्वास्थ्य सुविधा मुहैया करवाएगा। स्वास्थ्य विभाग की इस योजना की सबसे खास बात यह है कि इस सेवा का लाभ लेने के बच्चों को अस्पतालों के चक्कर भी नहीं काटने पड़ेंगे, बल्कि स्वास्थ्य विभाग की टीम खुद गंभीर बीमारी की चपेट में आने वाले बच्चों को ढूंढ़कर अस्पताल तक पहुंचाएगी। इस योजना को कारगर बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा सामान्य अस्पताल में डिस्ट्रीक अर्ली इंटरमैंशन सैंटर (डी.ई.आई.सी.) स्थापित किए जा रहे हैं और इस सैंटर को चलाने के लिए अलग से स्टाफ की नियुक्ति की जा रही है। 
सामान्य अस्पताल का वह कमरा, जहां डी.ई.आई.सी. का निर्माण किया जाना है।

11 मोबाइल टीमें करेंगी निगरानी

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य योजना के तहत आंगनवाड़ी तथा सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले 0 से 18 वर्ष तक के बच्चों को सरकार की इस योजना का लाभ पहुंचाने के लिए डी.ई.आई.सी. के तहत ब्लॉक वाइज 11 मोबाइल टीमों का गठन किया गया है। प्रत्येक टीम में एक मेल डॉक्टर, एक फीमेल डॉक्टर, एक ए.एन.एम. तथा एक फार्मासिस्ट को शामिल किया गया है। डी.ई.आई.सी. की यह 11 टीमें जिले के सभी गांवों में घूमकर गंभीर बीमारी से पीडि़त बच्चों का पता लगाएंगी। 

निशुल्क मिलेंगी सभी स्वास्थ्य सुविधाएं

स्वास्थ्य विभाग द्वारा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य योजना के तहत ब्लड कैंसर, ह्रदय रोग, कैंसर सहित 30 प्रकार की ऐसी गंभीर बीमारियों को अपनी सूची में शामिल किया है, जिनके उपचार पर मोटी रकम खर्च होती है लेकिन स्वास्थ्य विभाग इन सभी बीमारियों से पीडि़त बच्चों का मुफ्त उपचार करवाएगा। स्वास्थ्य विभाग की सूची में शामिल इन 30 किस्म की गंभीर बीमारी से पीडि़त बच्चे को ओ.पी.डी. तक की पर्ची बनवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा बच्चे को एक अलग किस्म का कार्ड जारी किया जाएगा। इस कार्ड के आधार पर ही बच्चे का पूरा उपचार निशुल्क होगा। अगर बच्चे की बीमारी सामान्य है तो स्वास्थ्य विभाग की टीम पी.एच.सी., सी.एच.सी. स्तर पर बच्चे का उपचार करवाएगी। यदि पी.एच.सी. या सी.एच.सी. स्तर पर बच्चे का उपचार सही तरीके से नहीं हो पाया तो बच्चे को सामान्य अस्पताल ले जाया जाएगा। अगर बच्चे की बीमारी गंभीर है तो उसे सामान्य अस्पताल से पी.जी.आई. रोहतक या चंडीगढ़ रैफर किया जाएगा। 

डी.ई.आई.सी. के निर्माण पर खर्च होंगे 20 लाख

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य योजना के तहत जिला स्तर पर तैयार होने वाले डी.ई.आई.सी. के भवन के निर्माण पर 20 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे और भवन तैयार होने के बाद इसके डैकोरेशन पर 2 लाख रुपए खर्च होंगे। इस योजना को सही तरीके से चलाने के लिए जिला स्तर पर निॢमत सैंटर पर 15 सदस्यों का स्टाफ होगा। इसमें डॉटा आप्रेटर, स्टाफ नर्स, लैब टैक्नीशियन, सोशल वर्कर से लेकर विशेषज्ञ तक मौजूद रहेंगे। 

समय पर मिल पाएगा बच्चे को उपचार

जिला स्तर पर डी.ई.आई.सी. शुरू होने से बच्चों को काफी लाभ मिलेगा। पैसों के अभाव में कोई भी बच्चा उपचार से वंचित नहीं रह पाएगा। 0 से 18 वर्ष तक के बच्चों का निशुल्क उपचार किया जाएगा। इसकी सबसे खास बात यह होगी कि डी.ई.आई.सी. की टीमें गांव-गांव घूमेंगी और बच्चे के बीमारी की चपेट में आते ही उसका उपचार शुरू करवाएंगी। समय पर बच्चे को सही उपचार मिलने से बीमारी गंभीर रुप धारण नहीं कर पाएगी और बच्चे को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल पाएंगी। 
 डा. राजेश भोला का फोटो।
डा. राजेश भोला, नोडल स्कूल हैल्थ अधिकारी
सामान्य अस्पताल, जींद 


खुद को पर्यावरण के लिए महिला वकील ने कर दिया समर्पित

अब तक लगवा चुकी 177 त्रिवेणी जींद। महिला एडवोकेट संतोष यादव ने खुद को पर्यावरण की हिफाजत के लिए समर्पित कर दिया है। वह जींद समेत अब तक...