Sunday, 19 July 2015

एकत्रित किए गए अतरिक्त भोजन को बाहर निकालने के लिए शाकाहारी कीटों को बुलाते हैं पौधे


बरवाला।
 क्षेत्र के जेवरा गांव में शनिवार को महिला किसान खेत पाठशाला का आयोजन किया गया। पाठशाला में कीट साक्षरता के अग्रदूत डॉ. सुरेंद्र दलाल की धर्मपत्नी कुसुम दलाल ने बतौर मुख्यातिथि के तौर पर शिरकत की। पाठशाला में पंजाब के कुछ प्रगतिशील किसान भी शामिल हुए। पाठशाला के आरंभ में पौधों पर मौजूद शाकाहारी तथा मांसाहारी कीटों की गिनती कर बोर्ड पर कीटों का आंकड़ा दर्ज किया।
मास्टर ट्रेनर अंग्रेजो, राजवंती, बीरमती, बिमला व कमलेश ने बताया कि पाठशाला में मौजूद महिला व पुरुष किसानों को संबोधित करते हुए बताया कि कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि पौधे 24 घंटे में लगभग साढ़े चार ग्राम भोजन तैयार करते हैं और इस भोजन को तीन भागों में बांटते हैं।
पाठशाला में बोर्ड पर आंकड़ा तैयार करती महिला किसान।
भोजन का एक तिहाई हिस्सा जड़ों को, एक तिहाई ऊपरी भाग को देते हैं तथा एक तिहाई अपने पास रिजर्व के रूप में रखते हैं। ताकि मुसिबत के समय उस भोजन से अपना काम चला सकें। यदि पौधे पर किसी तरह की मुसिबत नहीं आती है तो पौधो उस जमा किए गए अतिरिक्त भोजन को निकालने के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार की गंध छोड़कर शाकाहारी कीटों को बुलाते हैं और यह शाकाहारी कीट रस आदि चूसकर पौधे द्वारा एकत्रित किए गए भोजन को बाहर निकालकर एक तरह से पौधों की मदद करते हैं। जब तक यह शाकाहारी कीट ईटीएल लेवल तक रहते हैं तो पौधे को किसी तरह का नुकसान नहीं होता। यदि यह ईटीएल लेवल से ऊपर निकलते हैं तो पौधे पर इसका नुकसान आता है लेकिन शाकाहारी कीटों को नुकसान पहुंचाने के आर्थिक स्तर तक पहुंचने से रोकने के लिए पौधे मांसाहारी कीटों को बुलाते हैं। मांसाहारी कीट शाकाहारी कीटों को खाकर पौधों की सुरक्षा करते हैं। उन्होंने कहा कि प्रकृति ने जो भी कीट बनाया है प्रकृति के लिए उसका अपना महत्व है। किसानों द्वारा तैयार किए गए कीटों के आंकड़े में सफेद मक्खी की संख्या प्रति पत्ता 11, हरे तेले की 1.2 तथा चूरड़े की संख्या 4.7 दर्ज की गई। सफेद मक्खी की बढ़ी हुई संख्या पर किसानों ने बारिकी से मंथन किया। किसानों ने सामूहिक फैसला लिया कि ढाई किलो यूरिया, ढाई किलो डीएपी तथा आधा किलो जिंक का घोल तैयार कर पौधों को ताकत प्रदान करने के लिए पर्याप्त मात्रा में खुराक दी जाए। पंजाब से आए प्रगतिशील किसान अशोक ने बताया कि वह भी जींद जिले के किसानों से कीट ज्ञान हासिल कर पिछले कई वर्षों से जहरमुक्त खेती को बढ़ावा दे रहे हैं। जींद जिले के किसानों की तर्ज पर पंजाब में भी उनके द्वारा किसान खेत पाठशालाओं का आयोजन किया जा रहा है।

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