जींद। सनातन पद्धति के अनुसार नव संवत इस बार ख्फ् मार्च को आरां होगा। इस संवत का नाम विश्वावसु है। इस समय जप, पाठ, व्रत, ओहम आदि अनुष्ठान दान आदि के आरां में शुा संकल्प विश्वावसु नामक नव संवत का प्रयोग रहेगा। श्री जयंती देवी मंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री ने बताया कि नव संवत में राजा एवं मंत्री के दोनों मुチय पद शुक्र ग्रह को प्राप्त हुए हैं, जिसके प्रााव से इस वर्ष अच्छी वर्षा अनाज एवं मौसमी फलों की पैदावार अच्छी रहेगी और राजनेता एवं व्यापारी लोग अच्छा मुनाफा अर्जित करेंगे एवं समाज में स्त्रियों का प्रााव रहेगा। संवत का वास कुहार के घर रहेगा। संवत का वाहन मेंढक पर होगा। रोहिणी का वास पर्वत पर रहेगा। चैत्र मास, शुल पक्ष, प्रतिपदा ख्फ् मार्च को मानव अपने जीवन कल्याण के लिए अपने निवास स्थान या देवालय में छट स्थापन, अチांड दीप पूजन और मां ागवती पूजन व दुर्गा सप्तशती पाठ प्रतिपदा से श्री दुर्गा अष्टमी तक करना कल्याण एवं मंगलकारी रहेगा। जो ात जन दुर्गा सप्त शती का पूरा पाठ न कर सके, वे दुर्गा कवच अगला स्त्रोतम, कीलकम के साथसाथ दो अध्याय पाठ क्रमः क्फ्क्, क्ख्ख्, क्क्फ्, क्०ब्, ऽभ्, त्त्म्, अंत में सातवें अध्याय का दो बार पाठ करें। उन्होंने बताया कि पाठ करने के उपरांत श्री दुर्गा अष्टमी या श्री रामनवमी के दिन मां ागवती पर वस्त्र, नारियल, फूल, सिंगार, आाूषण एवं प्रसाद श्रद्धा के साथ मां को अर्पण करें। विशेष कामना पूर्ण के लिए ात जन अपने निवास स्थान या देवालय पर ख्फ् मार्च को नव संवत के दिन ध्वजा रोपण करें और घी के पांच दीपक लगाएं।
Thursday, 15 March 2012
नव संवत होगा ख्फ् मार्च को आरां
जींद। सनातन पद्धति के अनुसार नव संवत इस बार ख्फ् मार्च को आरां होगा। इस संवत का नाम विश्वावसु है। इस समय जप, पाठ, व्रत, ओहम आदि अनुष्ठान दान आदि के आरां में शुा संकल्प विश्वावसु नामक नव संवत का प्रयोग रहेगा। श्री जयंती देवी मंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री ने बताया कि नव संवत में राजा एवं मंत्री के दोनों मुチय पद शुक्र ग्रह को प्राप्त हुए हैं, जिसके प्रााव से इस वर्ष अच्छी वर्षा अनाज एवं मौसमी फलों की पैदावार अच्छी रहेगी और राजनेता एवं व्यापारी लोग अच्छा मुनाफा अर्जित करेंगे एवं समाज में स्त्रियों का प्रााव रहेगा। संवत का वास कुहार के घर रहेगा। संवत का वाहन मेंढक पर होगा। रोहिणी का वास पर्वत पर रहेगा। चैत्र मास, शुल पक्ष, प्रतिपदा ख्फ् मार्च को मानव अपने जीवन कल्याण के लिए अपने निवास स्थान या देवालय में छट स्थापन, अチांड दीप पूजन और मां ागवती पूजन व दुर्गा सप्तशती पाठ प्रतिपदा से श्री दुर्गा अष्टमी तक करना कल्याण एवं मंगलकारी रहेगा। जो ात जन दुर्गा सप्त शती का पूरा पाठ न कर सके, वे दुर्गा कवच अगला स्त्रोतम, कीलकम के साथसाथ दो अध्याय पाठ क्रमः क्फ्क्, क्ख्ख्, क्क्फ्, क्०ब्, ऽभ्, त्त्म्, अंत में सातवें अध्याय का दो बार पाठ करें। उन्होंने बताया कि पाठ करने के उपरांत श्री दुर्गा अष्टमी या श्री रामनवमी के दिन मां ागवती पर वस्त्र, नारियल, फूल, सिंगार, आाूषण एवं प्रसाद श्रद्धा के साथ मां को अर्पण करें। विशेष कामना पूर्ण के लिए ात जन अपने निवास स्थान या देवालय पर ख्फ् मार्च को नव संवत के दिन ध्वजा रोपण करें और घी के पांच दीपक लगाएं।
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