जिंदल अस्पताल में तोड़ा दम
जींद। जहर मुक्त थाली का सपना संजो कर संघर्ष करने वाले कृषि अधिकारी डा. सुरेंद्र दलाल जिंदगी व मौत की लड़ाई में जिंदगी की जंग हार गए हैं और उन्होंने शनिवार दोपहर हिसार के जिंदल अस्पताल में दम तोड़ दिया है। डा. सुरेंद्र दलाल गत सात फरवरी से कोमा में थे और उनका दिल्ली के फोर्टिस अस्पताल में इलाज चला था। उसके बाद उन्हें हिसार के जिंदल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां उन्होंने शनिवार दोपहर को अंतिम सांसें ली। गौरतलब है कि डा. सुरेंद्र दलाल पिछले दस वर्षों से कीटनाशक रहित खेती करने की मुहिम चलाए हुए थे और उनकी इस मुहिम में जहां जिले के दर्जनों गांवों में महिला खेत पाठशाला शुरू हुई वहीं उनकी यह मुहिम कई अन्य राज्यों में भी फैल गई थी और अन्य राज्यों से किसान तथा अधिकारी कीटनाशक रहित खेती के गुर सीखने डा. सुरेंद्र दलाल के पास आते थे। डा. सुरेंद्र दलाल ने जहां पिछले पांच वर्षों से गांव निडाना में महिला खेत पाठशाला शुरू कर महिलाओं को कीटों की जानकारी दे रहे थे वहीं पिछले दो साल से वे कीटों को बचाने के लिए एक सर्वखाप पंचायत भी चलाए हुए थे। जिसमें ज्यादा से ज्यादा लोगों को कीट मित्रों की जानकारी हो सके। यही नहीं डा. सुरेंद्र दलाल ने अपने इस अभियान से गांव निडाना, चाबरी, निडानी, सिंध्वीखेड़ा, खरकरामजी, ईगराह आदि गांवों में लगभग ८० प्रतिशत खेती कीटनाशक रहित शुरू करवा दी थी और उसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आने लगे थे।
बाबा रामदेव भी थे डा. दलाल के प्रशंसक
योग गुरु बाबा रामदेव भी डा. सुरेंद्र दलाल की कीटनाशक रहित खेती के कायल थे और उन्होंने वर्ष २०१२ में देश से कीटनाशक रहित खेती के विशेषज्ञों को अपने हरिद्वार स्थित पतंजलि योग पीठ आश्रम में बुलाया था और वहां उनके साथ अपने विचार सांझा किए थे। यही नहीं योग गुरु बाबा रामदेव ने जब भी जहर मुक्त थाली की बात चलाई तो उन्होंने डा. सुरेंद्र दलाल को इस मुहिम का योद्धा बताया था।
मुख्यमंत्री राहत कोष से भी मिली थी सहायता
डा. सुरेंद्र दलाल की लगन व लहरों के विपरित चलने के हौंसले की चर्चाएं गांव निडाना के आसपास के किसानों में लगातार हुआ करती थी और उनके कीटनाशक रहित खेती से आसपास के गांव के हजारों किसान उनसे जुड़ गए थे और जब डा. सुरेंद्र दलाल अस्पताल में उपचाराधीन थे तब जिले के सैंकड़ों किसानों ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से मिल कर उनकी आर्थिक सहायता की मांग की थी और मुख्यमंत्री ने किसानों की बात को ध्यान से सुन कर उन्हें अपने मुख्यमंत्री कोष से डेढ़ लाख रुपये का चैक दिया था। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री ने किसानों से यह भी कहा था कि जिस
अस्पताल में कहोगे वहां डा. सुरेंद्र दलाल का इलाज करवाया जाएगा और इसके लिए मुख्यमंत्री ने अलग से एक स्पेशल केस बना कर पहली बार किसी सरकारी कर्मचारी के लिए अनुदान दिया था।
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