जहरमुक्त खेती की मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए कीटों की मास्टरनियों ने कृषि विभाग को भेजा पत्र
जींद। थाली को जहरमुक्त करने के लिए किसानों को कीट ज्ञान का संदेश देने वाली कीटों की मास्टरनियां अब किसानों के साथ-साथ कृषि विभाग के अधिकारियों को भी कीट ज्ञान के क, ख, ग सिखाएंगी। इसके लिए निडाना, ललीतखेड़ा और निडानी की वीरांगनाओं ने कृषि विभाग जींद के उप-निदेशक डा. आर.पी. सिहाग को पत्र भेजकर उनकी इस मुहिम में सहयोग की मांग की है। उप-निदेशक ने महिलाओं की इस मांग को स्वीकार करते हुए विभाग के 5-5 अधिकारियों को सप्ताह में एक-एक दिन महिला किसान खेत पाठशाला ललीतखेड़ा तथा किसान खेत पाठशाला राजपुरा भैण में जाकर कीट ज्ञान अर्जित करने के निर्देश जारी किए हैं।
अज्ञान के कारण फसलों में उर्वकों का अंधाधुंध इस्तेमाल कर रहे किसानों को ज्ञान रुपी प्रकाश दिखाकर जहरमुक्त खेती के लिए प्रेरित करने के लिए कीट साक्षरता के अग्रदूत डा. सुरेंद्र दलाल ने वर्ष 2008 में निडाना गांव के खेतों से कीट क्रांति की मशाल जलाई थी। इसके बाद इस मुहिम को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए वर्ष 2010 में महिलाओं को भी इस मुहिम से जोड़कर निडाना से ही महिला किसान खेत पाठशाला की शुरूआत हुई थी। इस पाठशाला में निडाना तथा निडानी की वीरांगनाओं को कीट ज्ञान की ट्रेनिंग दी गई थी। इस पाठशाला से कीट ज्ञान की डिग्री लेने के बाद इन वीरांगनाओं ने इसी तर्ज पर वर्ष 2012 में ललीतखेड़ा गांव में महिला किसान खेत पाठशाला का सफल आयोजन किया था और कपास की फसल में आने वाले कीटों पर 20 सप्ताह तक सफल प्रयोग भी किए थे। पाठशाला में महिलाओं ने 208 कीटों की पहचान की। इसमें 47 शाकाहारी तथा 161 मांसाहारी कीट शामिल हैं। कीट ज्ञान के बूते ही महिलाओं ने फसल में बिना कीटनाशकों का प्रयोग किए अच्छा उत्पादन भी लिया। इस मुहिम में महिलाओं को आगे बढ़ाने में डा. सुरेंद्र दलाल की अहम भूमिका रही थी लेकिन दुर्भाग्यवश गंभीर बीमारी की चपेट में आने के कारण 3 माह तक अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझने के बाद 18 मई 2013 को किसानों के मसीहा डा. सुरेंद्र दलाल दुनिया से विदा हो गए। डा. सुरेंद्र दलाल के कुशल नेतृत्व के अभाव को भांपते हुए कीटों की इन मास्टरनियों ने कृषि विभाग के अधिकारियों को इस मुहिम में अपना पथदर्शक बनाने की योजना तैयार की है। इसके लिए पाठशाला की आयोजक पूनम मलिक, सविता मलिक, मीनी मलिक, गीता देवी ने कृषि विभाग के आला अधिकारियों को पत्र भेजा है। निडाना, निडानी तथा ललीतखेड़ी की वीरांगनाओं द्वारा भेजे गए इस पत्र में कृषि विभाग जींद के उप-निदेशक डा. आर.पी. सिहाग को इस मुहिम से जुड़कर कीट ज्ञान की इस मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए सहयोग करने की गुजारिश की है। उप-निदेशक ने महिलाओं की मांग को स्वीकार करते हुए इस मुहिम को आगे बढ़ाने में हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया है। इसके अलावा उप-निदेशक ने विभाग से 5-5 अधिकारियों को सप्ताह में एक दिन ललीतखेड़ा में चलने वाली महिला किसान खेत पाठशाला तथा राजपुरा भैण में चलने वाली किसान खेत पाठशाला में जाकर कीट ज्ञान अर्जित करने के निर्देश भी जारी किए हैं, ताकि कृषि विभाग के अधिकारी यहां की वीरांगनाओं से कीट ज्ञान के क, ख, ग सीखकर अधिक से अधिक किसानों को इस मुहिम से जोड़कर लोगों की थाली को जहरमुक्त करने में अपना योगदान दे सकें। कीट कमांडों किसानों द्वारा 22 जून से राजपुरा भैण में किसान खेत पाठशाला तथा ललीतखेड़ा, निडाना, निडानी की वीरांगनाओं द्वारा 27 जून से ललीतखेड़ा में महिला किसान खेत पाठशाला का श्रीगणेश किया जाएगा। खरीफ सीजन के दौराान लगातार 20 सप्ताह तक यह पाठशालाएं चलेंगी।
ललीतखेड़ा में चल रही महिला किसान खेत पाठशाला का फाइल फोटो। |
डा. सुरेंद्र दलाल ने किसानों को दिया कीट ज्ञान का अचूक हथियार
डा. सुरेंद्र दलाल ने थाली को जहरमुक्त बनाने के लिए जींद जिले के किसानों को कीट ज्ञान का अचूक हथियार दिया है। ललीतखेड़ा, निडाना, निडानी की महिलाओं तथा पुरुष किसानों ने उनके पास पत्र भेजकर इस मुहिम को आगे बढ़ाने में सहयोग देने की अपील की है। विभाग द्वारा उनकी मांग को स्वीकार कर लिया गया है और उन्हें इस अभियान को आगे बढ़ाने में हर संभव मदद दी जाएगी। कृषि विभाग के अधिकारियों को भी कीट ज्ञान हासिल करने के लिए इन पाठशालाओं से जोड़ा जाएगा। सप्ताह में 1 दिन विभाग के 5-5 अधिकारियों की ड्यूटी इन पाठशालाओं में लगाई जाएगी।डा. आर.पी. सिहाग, उप-निदेशक
कृषि विभाग, जींद
No comments:
Post a Comment