Wednesday, 4 September 2013

अच्छे उत्पादन के लिए किसान फसल को समय पर दें पूरे पोषक तत्व

कीट ज्ञान अर्जित करने के लिए आदमपुर तथा लाखनमाजरा से भी पहुंचे किसान


जींद। कृषि विकास अधिकारी डा. कमल सैनी ने किसानों को सम्बोधित करते हुए कहा कि इस समय कपास की फसल में फूल से टिंड्डे बन रहे हैं। इसलिए इस समय कपास की फसल को पोषक तत्व की सबसे ज्यादा जरुरत है। अगर इस समय फसल को पूरी मात्रा में पोषक तत्व दे दिए जाएं तो फसल से अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है। डा. सैनी शनिवार को राजपुरा भैण गांव में आयोजित डा. सुरेंद्र दलाल बहुग्रामी कीट साक्षरता पाठशाला में मौजूद किसानों को सम्बोधित कर रहे थे। पाठशाला में किसानों के अनुभव जानने के लिए आल इंडिया रेडियो के रोहतक स्टेशन से सम्पूर्ण भाई भी किसानों के बीच पहुंचे थे। इसके अलावा आदमपुर तथा लाखनमाजरा के किसान भी कीट ज्ञान अर्जित करने के लिए पाठशाला में पहुंचे थे। आदमपुर तथा लाखनमाजरा से आए किसानों ने कीटाचार्य किसानों से कीटों के क्रियाकलापों तथा बिना कीटनाशक का प्रयोग किए फसल से अच्छा उत्पादन लेने के गुर सीखे। 
डा. कमल सैनी ने बताया कि इस समय कपास की फसल में रस चूसक कीट सफेद मक्खी तथा हरे तेले का प्रकोप बहुत ज्यादा है। यह कीट पौधे से रस चूसते हैं। इससे पौधे की ताकत कम हो जाती है, जिस कारण पौधा सही ढंग से टिंड्डे को विकसित नहीं कर पाता है और इससे उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। डा. सैनी ने 
 पाठशाला में पत्रकार सम्पूर्ण भाई को अपने अनुभव बताते किसान।
कहा कि ऐसे समय में पौधे को पोषक तत्व देने के लिए किसानों को चाहिए कि वह 100 लीटर पानी में आधा किलो जिंक, अढ़ाई किलो डी.ए.पी. तथा अढ़ाई किलो यूरिया का घोल तैयार कर पौधों पर हर सप्ताह इसका छिड़काव करें। तीनों रासायनिक खादों को छिड़काव करने से एक दिन पहले मिट्टी या प्लास्टिक के बर्तन में पानी में भिगो दें, ताकि वह पानी में अच्छी तरह से घूल सके। डा. सैनी ने कहा कि इसके अलावा किसानों को किसी भी प्रकार के कीटनाशक का प्रयोग करने की जरुरत नहीं है। कीटाचार्य किसान जोगेंद्र, महाबीर, मनबीर, सुरेश, जयभगवान, चतर सिंह ने आदमपुर तथा लाखनमाजरा से आए किसानों को बताया कि वह इस घोला का छिड़काव दोपहर बाद करें। क्योंकि सुबह का समय पौधों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है। पौधे द्वारा बीज बनाने की प्रक्रिया ज्यादातर सुबह के समय में की जाती है। इसलिए इस समय में पौधे के साथ ज्यादा छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। आदमपुर से आए किसान कुलदीप, दलीप, दलसुख, सुंदर, राजेश, नरेश ने पाठशाला में मौजूद कीटाचार्य किसानों के समुख अपनी समस्या रखते हुए बताया कि उन्होंने अपनी कपास की फसल में सफेद मक्खी को कंट्रोल करने के लिए 2-2 बार कीटनाशकों का छिड़काव किया है लेकिन इसके बाद भी उनकी फसलों में सफेद मक्खी का प्रकोप कम होने की बजाए निरंतर बढ़ता जा रहा है और आज उनके क्षेत्र में स्थिति ऐसी हो चुकी है कि किसान खड़ी की खड़ी फसलों को ट्रैक्टर से जोतने को मजबूर हैं। कीटाचार्य किसानों ने बाहर से आए किसानों की दुविधा को दूर करते हुए बताया कि जहां-जहां कीटों को कीटनाशक के माध्यम से काबू करने का प्रयास किया गया है, वहां-वहां आज इसी तरह की स्थिति बनी हुई है। इसलिए कीटों के साथ छेड़छाड़ करने की बजाए पौधों को पोषक तत्व देने की तरफ किसान अपना ध्यान दें और साथ-साथ कीटों की पहचान करें तथा उनके क्रियाकलापों के बारे में जानकारी हासिल करें, ताकि उनके मन से भय व भ्रम की स्थिति को दूर किया जा सके। फसल का निरीक्षण करते समय कीटाचार्य किसानों ने बाहर से आए किसानों को कपास की फसल में मौजूद मकड़ी को एक शाकाहारी कीटों का शिकार करते हुए दिखाया।
 कपास की फसल में मौजूद मांसाहारी मकडिय़ां शाकाहारी कीटों का शिकार करते हुए।

यह-यह मांसाहारी कीट थे फसल में मौजूद

शनिवार को किसानों ने कपास की फसल का मुआयना किया और कीटों की गिनती कर कीट बही खाता तैयार किया। इस दौरान किसानों को कपास की फसल में हथजोड़ा, तुलसा मक्खी, लोपा मक्खी, लेडी बर्ड बीटल, क्राइसोपा तथा मकड़ी की उपस्थिति दर्ज की। कीटाचार्य किसानों ने बताया कि इस समय कपास की फसल में शाकाहारी कीटों से ज्यादा मांसाहारी कीट मौजूद हैं,जो स्वयं ही शाकाहारी कीटों को नियंत्रित कर फसल में प्राकृति कीटनाशी का काम करते हैं।

किसानों के लिए घाटे का सौदा बन रही खेती

आल इंडिया रेडियो के रोहतक स्टेशन से आए सम्पूर्ण भाई ने किसानों से तहर-तरह के सवाल-जवाब किए और उनके अनुभव को रिकोर्ड किया। सम्पूर्ण ने कहा कि जींद जिले के किसानों ने यह जो मुहिम शुरू की है यह वास्तव में एक अनोखी पहल है। आज उनके पास फसल में आने वाली बीमारियों व कीटों के बारे में जानकारी लेने के लिए प्रदेशभर के सभी जिलों के किसानों के फोन आते हैं और उनमें ज्यादातर ऐसे किसान होते हैं, जिनका कीटनाशकों से विश्वास उठ चुका है। सम्पूर्ण ने कहा कि कीट ज्ञान और जहरमुक्त खेती आज हर किसान की जरुरत बन चुका है, क्योंकि खेती में अप्रत्यक्ष रुप से बढ़ रहे खर्च से आज खेती किसानों के लिए घाटे का सौदा बनती जा रही है। 

यह है भिन्न-भिन्न गांव की साप्ताहिक कीट समीक्षा

गांव का नाम  सफेद मक्खी हरा तेला  चूरड़ा
रामराय 0.4              1.1        0
रधाना 0.5              0.2 0.3
ईगराह 0.6              0.7 0.05
निडानी 0.5              0.6 0.2
ललीतखेड़ा              0.6              0.7 0.1

No comments:

Post a Comment

खुद को पर्यावरण के लिए महिला वकील ने कर दिया समर्पित

अब तक लगवा चुकी 177 त्रिवेणी जींद। महिला एडवोकेट संतोष यादव ने खुद को पर्यावरण की हिफाजत के लिए समर्पित कर दिया है। वह जींद समेत अब तक...