Sunday, 1 March 2015

देश में जहरमुक्त खेती के लिए होगी तीसरी क्रांति

ऑर्गेनिक खेती और स्वास्थ्य विषय पर किया सेमिनार का आयोजन 



जींद। दूषित खान-पान के कारण बढ़ रही बीमारियों को देखते हुए जिले में ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए शनिवार को जाट धर्मशाला में भारतीय जागरूक किसान मोर्चा द्वारा ओर्गेनिक खेती और स्वास्थ्य विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार की अध्यक्षता मोर्चा के अध्यक्ष सुनील कंडेला ने की। सेमिनार में मुख्य रूप से अमेरिका की केलिफोरनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधार्थी हैली तथा निकोलस विशेष रूप से मौजूद रहे। कृषि विकास अधिकारी डॉ. कमल सैनी ने किसानों को आर्गेनिक खेती के बारे में विस्तार से जानकारी दी। वहीं ओर्गेनिक खेती के अभियान से जुड़े प्रगतिशील किसानों ने भी सेमिनार में अपने विचार सांझा किए।
डॉ. कमल सैनी ने सेमिनार में मौजूद किसानों को सम्बोधित करते हुए कहा कि देश में हरित तथा श्वेत क्रांति के बाद तीसरी क्रांति जहरमुक्त खेती के लिए आएगी। उन्होंने कहा कि किसान का सबसे ज्यादा खर्च कीटनाशकों पर होता है और फसलों में अंधाधुंध कीटनाशकों के प्रयोग के कारण हमारा स्वास्थ्य स्तर लगातार गिर रहा है। कैंसर जैसी लाइलाज बीमारियां लगातार बढ़ रही हैं। डॉ. सैनी ने कहा कि बड़ी-बड़ी पेस्टीसाइड कंपनियों द्वारा किसानों को गुमराह करने के लिए एक बाजार तैयार किया गया है। कीटों को मारने के लिए कीटनाशक, बीमारियों की रोकथाम के लिए फंजीसाइड तथा उत्पादन बढ़ाने के नाम पर रासायनिक उर्वरक तैयार किए जा रहे हैं। जबकि वास्तव में किसानों को इनकी जरूरत नहीं होती है। उन्होंने कहा कि अधिक रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करने से हमारे साथ-साथ हमारी जमीन की सेहत भी खराब हो चुकी है। आज जमीन का पीएच आठ से ज्यादा पर पहुंच चुका है। जबकि उपजाऊ जमीन का पीएच सात के आस-पास ही रहता है। उन्होंने कहा कि अगर थाली में बढ़ते जहर को रोकना है तो किसानों को जागरूक करना होगा। किसानों को फसल में आने वाले कीटों के महत्व के बारे में बताना होगा। अमेरिका से आए शोधार्थी हैली और निकोलस ने कहा कि किसान ऑर्गेनिक खेती से अच्छी पैदावार ले सकते हैं, जैसा की उनके देश के किसान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पेस्टीसाइड के अधिक प्रयोग के कारण हमारे खान-पान के साथ-साथ भू-जल तथा वातावरण भी दूषित हो रहा है। उन्होंने कहा कि 80 प्रतिशत बीमारियां दूषित खान-पान के कारण हो रही हैं। एक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार 20 से 25 साल के युवाओं में जो हड्डियों से संबंधित बीमारियां बढ़ रही हैं, वह सब दूषित खान-पान की ही देन है। सुनील कंडेला ने कहा कि उनका उद्देश्य लोगो को जहरमुक्त खान-पान मुहैया करवाना है और इसकी शुरूवात वह अपने जींद जिले से ही करेंगे। आने वाले समय में लोगों को ऑर्गेनिक गेहूं की 306 किस्म उपलब्ध करवाने का प्रयास किए जाएंगे। इस अवसर पर सेमिनार में ऊधम सिंह राणा, जागरूक किसान शीशपाल लाठर, अनिल कपूर, कर्मबीर श्योकंद, प्रदीप बडोदी, सुरेंद्र रेढू अधिवक्ता, आनंद ढुल अधिवक्ता, अमरजीत ढुल, राजसिंह  शाहपुर  मौजूद रहे।

सेमिनार में किसानों से बातचीत करते शोधार्थी हैली तथा निकोलस भी मौजूद रहे। 

भारत में ऑर्गेनिक उत्पाद की नहीं कोई प्रमाणिकता

अमेरिका में ऑर्गेनिक फार्मिंग के लिए सरकार से लेना पड़ता है प्रमाण पत्र


जींद। अमेरिका की केलिफोरनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधार्थी हैली तथा निकोलस ने कहा कि भारत में ऑर्गेनिक उत्पाद की प्रमाणिकता के लिए बिक्री केंद्रों पर कोई व्यवस्था नहीं है। जबकि अमेरिका में प्रत्येक बिक्री केंद्र पर ओर्गेनिक उत्पाद की प्रमाणिकता के लिए मशीनों की व्यवस्था होती है। मशीन में ओर्गेनिक उत्पाद की जांच के बाद ही उसे प्रमाणित किया जाता है लेकिन भारत में बिक्री केंद्रों पर यह व्यवस्था नहीं होने के कारण ओर्गेनिक उत्पादों की गुणवत्ता पर संदेह बना रहता है। लोग ओर्गेनिक के नाम पर मिलावटी या रासायनिक उत्पादों को भी बेच देते हैं। ऑर्गेनिक फार्मिंग पर शोध के लिए जींद पहुंचे शोधार्थी शनिवार को जाट धर्मशाला में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
शोधर्थी हेली तथा निकोलस ने कहा कि अमेरिका में ऑर्गेनिक फार्मिंग के लिए सरकार से प्रमाण पत्र लेना पड़ता है। बिना प्रमाण पत्र के किसान ऑर्गेनिक खेती नहीं कर सकता। इसी के चलते भारत की बजाए अमेरिका में ऑर्गेनिक उत्पाद थोड़े महंगे हैं। अमेरिका में ऑर्गेेनिक उत्पादों की मांग काफी ज्यादा है। वहां बादाम तथा अंगूर की खेती सबसे ज्यादा होती है। उन्होंने कहा कि अमेरिका में खेती का ज्यादातर काम मशीनों द्वारा ही किया जाता है। जबकि भारत में मशीनों से खेती का बहुत कम काम होता है। उन्होंने कहा कि अमेरिका और भारत के किसानों में जो समानता है, वह यह है कि दोनों ही देशों के किसान फसल के अधिक उत्पादन की तरफ ध्यान देते हैं। उन्होंने कहा कि आज ऑर्गेनिक फार्मिंग की काफी जरूरत है। दूषित खान-पान के कारण मनुष्य लगातार बीमारियों की चपेट में आ रहा है। फसलों में अधिक रसायनिक उर्वरकों के प्रयोग के कारण मनुष्य व जमीन दोनों का स्वास्थ्य खराब हो रहा है।
जाट धर्मशाला में पत्रकारों से बातचीत करते शोधार्थी। 
उन्होंने पंजाब का उदहारण देते हुए कहा कि पंजाब में आज यह स्थिति है कि लगभग प्रत्येक घर में कैंसर का एक मरीज है। भविष्य में इस तरह की स्थिति से निपटने के लिए ऑर्गेनिक फार्मिंग को बढ़ावा देना होगा। इसके लिए किसानों को जागरूक करना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि किसान आम तौर पर यह सोचते हैं कि ऑर्गेनिक फार्मिंग से उत्पादन कम होता है। जबकि यह सही नहीं है। ऑर्गेनिक फार्मिंग से भी उत्पादन में बढ़ोतरी की जा सकती है। उन्होंने कहा कि अपने एक माह के शोध के दौरान वह जिले के अलग-अलग क्षेत्र के फार्मों का दौरा कर यहां के किसानों से ऑर्गेनिक फार्मिंग के गुर सीखेंगे तथा अपने देश में अपनाई जा रही ऑर्गेनिक फार्मिंग की पद्धति के बारे में यहां के किसानों को बताएंगे। ऑर्गेनिक फार्मिंग के क्या लाभ हैं इसके बारे में भी किसानों को बताया जाएगा।

भाजपा के मंत्रियों को पसंद आया 'म्हारे किसानों का कीट ज्ञान'

केंद्रीय राज्य कृषि मंत्री ने कीटाचार्य किसानों से मांगा कीट ज्ञान का प्रस्ताव

दिल्ली में मुरली मनोहर जोशी के आवास पर भाजपा नेताओं के साथ हुई किसानों की मीटिंग


जींद। थाली को जहरमुक्त बनाने के लिए जिले में चल रही कीट ज्ञान की मुहिम को देशभर में फैलाने के लिए अब भाजपा सरकार इस पर मंथन करेगी। भाजपा के मंत्रियों को म्हारे किसानों का यह कीट ज्ञान पसंद आ गया है। कीट ज्ञान की इस मुहिम को देश में कैसे फैलाया जाए और किसानों को इससे क्या फायदा होगा इस विषय पर केंद्रीय राज्य कृषि मंत्री संजीव बाल्याण ने कीटाचार्य किसानों से एक प्रस्ताव मांगा है। कीटाचार्य किसानों द्वारा जल्द ही एक प्रस्ताव तैयार कर कृषि मंत्री को भेजा जाएगा।
मकर संक्रांति के अवसर पर भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी द्वारा दिल्ली के राय सिन्हा रोड पर स्थित अपने निवास पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में भाजपा के केंद्रीय राज्य कृषि मंत्री संजीव बाल्याण, केंद्रीय राज्य पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, भाजपा के केंद्रीय एवं किसान नेता नरेश सिरोही तथा कई अन्य बुद्धिजीवी लोगों को बुलाया गया था। इस कार्यक्रम में जींद जिले के किसानों को भी विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था। भाजपा नेताओं के आमंत्रण पर कीटाचार्य रणबीर मलिक के नेतृत्व में महिला किसान सविता, मीना मलिक तथा शकुंतला मीटिंग में शामिल होने के लिए पहुंचे थे। यहां भाजपा नेताओं के साथ लगभग दो घंटे तक हुई मीटिंग में कीटाचार्य किसानों ने डॉ. सुरेंद्र दलाल द्वारा जींद जिले में शुरू की गई कीट ज्ञान की मुहिम से अवगत करवाया। किसानों ने बताया कि फसल में आने वाले शाकाहारी कीटों को नियंत्रण करने की जरूरत नहीं है। फसल में मौजूद मांसाहारी कीट खुद ही शाकाहारी कीटों को नियंत्रित कर किसान के लिए कुदरती कीटनाशी का काम करते हैं। किसानों को तो गुमराह कर कीटनाशकों के दलदल में धकेला जा रहा है। यदि किसानों को कीट ज्ञान से अवगत करवा दिया जाए तो किसानों को कीटनाशकों के
केंद्रीय राज्य मंत्री संजीव बाल्याण के साथ बातचीत करते कीटाचार्य किसान। 
दलदल से निकालने के साथ-साथ खेती पर बढ़ते किसानों के खर्च को कम किया जा सकता है। भाजपा के केंद्रीय राज्य कृषि मंत्री संजीव बाल्याण ने किसानों के कीट ज्ञान के महत्व को स्वीकार करते हुए कीटाचार्य किसानों को इस पूरी मुहिम का एक प्रस्ताव तैयार कर जल्द उन्हें भेजने के लिए कहा। अब किसानों द्वारा जल्द ही एक प्रस्ताव तैयार कर कृषि मंत्री को भेजा जाएगा।

लोकसभा चुनाव से पहले भी भाजपा नेताओं ने किसानों के साथ की थी मीटिंग

देश में लोकसभा चुनाव से पहले भी भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने कीट ज्ञान की मुहिम से जुड़े किसानों के साथ 9 मार्च 2014 को दिल्ली में अपने निवास पर एक मीटिंग की थी। मीटिंग के दौरान किसानों ने मुरली मनोहर जोशी के साथ अपने अनुभव सांझा किए थे। किसानों के कीट ज्ञान से प्रभावित होकर मुरली मनोहर जोशी ने कीटाचार्य किसानों से वायदा किया था कि उनकी पार्टी के सत्ता में आने के बाद इस कीट ज्ञान की मुहिम को देशभर में फैलाया जाएगा। देश के किसानों को कीट से अवगत करवाकर थाली को जहरमुक्त किया जाएगा।

'कांधै ऊपर जहर की टंकी मेरै कसूती रड़कै हो'

जहर मुक्त थाली विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित


जींद। कीट साक्षरता मिशन द्वारा बुधवार को शहर के रोहतक रोड स्थित किसान कृषि प्रशिक्षण केंद्र (हमेटी) में जहरमुक्त थाली विषय पर एक दिवसीय नेशनल सेमिनार का आयोजन किया गया। इसमें निडाना में चलाई गई कीट साक्षरता के परिणामों पर भी चर्चा की गई। कीट साक्षरता का हिस्सा रही निडाना, रधाना व ललितखेड़ा गांव की महिलाओं ने बताया कि अमर उजाला का सहयोग मिलने से उनके अभियान को मजबूती मिली है। इस दौरान महिलाओं ने कीटों पर आधारित गीत भी प्रस्तुत किए, जिसमें 'कांधै ऊपर जहर की टंकी मेरै कसूती रड़कै हो' के माध्यम से कीटनाशकों के प्रयोग से शरीर और पर्यावरण को हो रहे नुकसान के बारे में बताया। गीत के माध्यम से बताया गया कि किस प्रकार कीटनाशकों के कारोबारियों का धंधा जम रहा है और किसान बर्बाद हो रहा है। कार्यक्रम में मौजूद सभी लोगों और कृषि वैज्ञानिकों ने कीट गीत की सराहना की। सेमिनार में हरियाणा किसान आयोग के मैंबर सचिव डॉ. आरएस दलाल, चौ. चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय हिसार (एचएयू) से डायरेक्टर रिसर्च डॉ. एसएस सिवाच, जींद के एसडीएम वीरेंद्र सहरावत, जिला कृषि उपनिदेशक डॉ. रामप्रताप सिहाग, हिसार के जिला बागवानी अधिकारी डॉ. बलजीत भ्याण, बराह खाप प्रधान कुलदीप ढांडा, अमर उजाला से महाप्रबंधक बजरंग राठौर, न्यूज एडिटर अर्जन निराला, स्वर्गीय डॉ. सुरेंद्र दलाल की पत्नी कुसुम दलाल, हिसार बागवानी से डॉ. भूपेंद्र दूहन, कृषि विभाग से एपीपीओ अनिल नरवाल, एसटीओ डॉ. संत मलिक, ट्रेनिंग इंचार्ज बलजीत लाठर, मास्टर ट्रेनर डॉ. राजेश लाठर, डॉ. सुभाष, एएसओ डॉ.
 कार्यक्रम में दीप प्रजवलित करते अतिथि।
सर्वजीत, एडीओ डॉ. कमल सैनी, कैलिफोर्निया (यूएसए) यूनिवर्सिटी के शोधार्थी हैली, निकोलस, जिला सूचना एवं लोक संपर्क अधिकारी सूबे सिंह, अखिल भारतीय जागरूक किसान मोर्चा के अध्यक्ष सुनील कंडेला सहित कीट साक्षरता मिशन से जुड़े सैंकड़ों महिला व पुरुष किसान मौजूद रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथिगणों द्वारा दीप प्रज्
 कीट ज्ञान का अपना अनुभव बताती कीटाचार्य।
सेमिनार को संबोधित करते बराह खाप के प्रधान कुलदीप ढांडा।
जवलित कर किया गया। कार्यक्रम के समापन पर अमर उजाला फाउंडेशन द्वारा सभी अतिथिगणों को स्मृति चिह्न भेंट किए गए। 
हरियाणा किसान आयोग के मैंबर सचिव डॉ. आरएस दलाल ने अपने संबोधन में कहा कि डॉ. सुरेंद्र दलाल ने कीट ज्ञान की एक नई क्रांति को जन्म दिया है। यह मुहिम सरकारी अधिकारियों के लिए भी प्रेरणा स्त्रोत है। कीट ज्ञान की यह मुहिम किसी सरकारी विभाग की मुहिम नहीं होकर सामाजिक मुहिम है। इसी के चलते इस मुहिम ने सरकारी विभागों के अधिकारियों, किसानों, सामाजिक संस्थाओं तथा मीडिया को भी एक छत के नीचे लाकर खड़ा कर दिया है। जब तक किसानों को कीटों के बारे में जानकारी नहीं होगी तब तक जहर से मुक्ति संभव नहीं है। इसलिए कृषि विश्वविद्यालयों को विद्यार्थियों के विषय में शामिल करना चाहिए और कीट ज्ञान की मुहिम से जुड़े किसानों से प्रशिक्षण दिलवाएं ताकि कीट विज्ञान जैसे जटिल विषय को आसानी से विद्यार्थियों को रूबरू करवाया जा सके।
हरियाणा किसान आयोग के सदस्य सचिव डॉ. आरएस दलाल को सम्मानित करते किसान।
कार्यक्रम में पहुंचे कैलिफोरनिया विश्वविद्यालय के शोधार्थी।

कीटनाशकों के प्रयोग से बढ़ा सफेद मक्खी का प्रकोप

एचएयू डायरेक्टर रिसर्च डॉ. एसएस सिवाच ने कहा कि कीट ज्ञान की मुहिम से जुड़े किसानों ने कीटों पर अनोखे शोध किए हैं। एचएयू से इस शोध को वैज्ञानिक मान्यता दिलवाने के लिए इस क्षेत्र में काम चल रहा है। डॉ. सिवाच ने कहा कि इस बार कपास की फसल में सफेद मक्खी का प्रकोप काफी ज्यादा रहा है। जहां-जहां सफेद मक्खी को नियंत्रित करने के लिए कीटनाशकों का प्रयोग किया गया वहां-वहां सफेद मक्खी का प्रकोप उतना ही ज्यादा बढ़ा है। 

किसानों के अनुभव से बढ़ा ज्ञान

एसडीएम वीरेंद्र सहरावत ने कहा कि कीट ज्ञान के बारे में जितनी जानकारी यहां के किसानों को है, उतनी जानकारी तो उन्हें भी नहीं है। इस कार्यक्रम को देखकर उन्हें काफी जानकारी हासिल हुई है। इससे पहले उन्हें प्रकृति के इस चक्र के बारे में इतनी बारीकी से जानकारी नहीं थी। किसानों के अनुभव से यह साफ हो गया है कि कीट ज्ञान के बिना थाली को जहरमुक्त बनाना संभव नहीं है।

कृषि विभाग उठा रहा है विशेष कदम

जिला उपकृषि निदेशक डॉ. रामप्रताप सिहाग ने कहा कि इस काम को करीब से नहीं देखा जाए तो इस काम को समझ पाना संभव नहीं है। खेतों में जाकर ही यह ज्ञान अर्जित किया जा सकता है। इस मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए कृषि विभाग की तरफ से विशेष प्रयास किए जा रहे हैं।
 किसानों को संबोधित करते एचएयू के शोध विभाग के निदेशक डॉ. एसएस सिवाच।

जींद के किसानों से प्रेरणा लेकर बरवाला में चलाई पाठशाला

हिसार के जिला बागवानी अधिकारी डॉ. बलजीत भ्याण ने कहा कि कीटनाशकों के अधिक प्रयोग के कारण खान-पान दूषित हो रहा है और इससे मनुष्य के का शरीर बीमारियों की चपेट में आ रहा है। उन्होंने कहा कि जींद के किसानों से प्रेरणा लेकर उन्होंने बरवाला में भी इसी तर्ज पर किसान पाठशालाएं शुरू करवाई हैं। इन्हीं किसानों ने वहां जाकर किसानों को प्रशिक्षित किया है। डॉ. भ्याण ने कहा कि पेस्टीसाइड खेती को रोकने के लिए उन्होंने हिसार में कीट साक्षरता कमेटी बनाई है।
कार्यक्रम के दौरान कीटाचार्यों को सम्मानित करती कुसुम दलाल।

किसान और कीटों की लड़ाई में खाप बनेंगी मध्यस्थ

कार्यक्रम के दौरान बराह खाप के प्रधान कुलदीप ढांडा ने कहा कि स्वर्गीय डॉ. सुरेंद्र दलाल द्वारा उन्हेें किसानों और कीटों के बीच छिड़ी लड़ाई को समाप्त करने के लिए ज्ञापन दिया था। अब जल्द ही इस विषय पर खाप पंचायत बुलाई जाएगी। उन्होंने कहा कि इस खाप पंचायत में देश भर से कृषि वैज्ञानिकों और कीट विशेषज्ञों को भी बुलाया जाएगा। ढांडा ने कहा कि पिछले 40-50 सालों से किसानों ने कीटों की सैकड़ों पीढिय़ों को नष्ट करके देख लिया, लेकिन हमेशा जीत कीटों की हुृई है। अब समय आ गया है कि कीटों और किसानों के बीच सहयोग होना चाहिए। लड़ाई से जो कुछ नहीं हुआ, अब आपसी मेलजोल से वह किया जाएगा। ढांडा ने कहा कि अमर उजाला फाउंडेशन ने इस लड़ाई को रोकने में महत्वपूर्ण सहयोग दिया है। यह बहुत ही पुण्य का काम है। उन्होंने कहा कि फाउंडेशन के इस प्रयास से यह मुहिम पूरे उत्तर भारत के किसानों तक पहुंची है, जो सबसे बड़ा काम है। अमर उजाला के प्रयास का ही परिणाम है कि पंजाब, हिमाचल तथा अन्य राज्यों के किसान भी इस विधि को देखने के लिए जींद का रूख कर रहे हैं।
किसानों को संबोधित करते एसडीएम विरेंद्र सिंह सहरावत।

पैदावार का तुलनात्मक अध्ययन

कार्यक्रम के दौरान हिसार के जिला उद्यान अधिकारी डॉ. बलजीत भ्याण तथा एडीओ डॉ. कमल सैनी ने पीपीटी के माध्यम से उन खेतों की पैदावार को बताया, जहां कीटनाशकों का प्रयोग नहीं हुआ। इन खेतों में अन्य के मुकाबले अधिक पैदावार हुई और कीटनाशकों का खर्च भी बचा।

बेटा खोकर पता चला कीटनाशकों का नुकसान

अपने अनुभव बताते हुए निडानी गांव के किसान जयभगवान ने कहा कि फसल पर कीटनाशक  के कारण उसका जवान बेटा कैंसर की चपेट में आ गया। राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी बेटे को खोने के बाद उन्हें फसलों पर छिड़के जा रहे जहर के असली नुकसान का पता चला है और पांच साल से वह बिना कीटनाशक की खेती कर रहा है। इससे पैदावान कम होने की बजाय बढ़ रही है।


डॉ. बलजीत सिंह भ्याण को सम्मानित करते अमर उजाला के जीएम बजरंग सिंह राठौर।
कीटों की प्रजंटेशन देती महिला किसान।

कार्यक्रम के दौरान प्रजंटेशन  देते डॉ. बलजीत सिंह भ्याण












महापंचापयत में खापों ने किया किसान-कीट विवाद के समझौते का प्रयास


खाप का सरकार से आह्वान, डॉ. सुरेंद्र दलाल के नाम से बनाई जाए नई कृषि नीति 
निडाना गांव में हुई सर्वजातीय सर्वखाप महापंचायत
कीटों ने खाप चौधरियों से लगाई न्याय की गुहार 

महापंचायत में कीटों ने दी किसानों खुली चुनौति, उन्हें मारकर नहीं जीत पाएंगे किसान
कीटाचार्य किसानों ने खाप चौधरियों के सामने रखा कीटों का दर्द
हाईकोर्ट के सेवानिवृत जज एसएन अग्रवाल ने भी की खाप महापंचायत में शिरकत


जींद। जिले के निडाना गांव में शुक्रवार को आयोजित हुई सर्वजातीय सर्वखाप महापंचायत में खाप चौधरियों ने अनोखे एवं अद्भूत मामले किसान व कीट विवाद की सुनवाई की। खाप महापंचायत में कीटाचार्य किसानों ने बेजुबान कीटों पैरवी की। लगभग तीन घंटे चली महापंचायत में खाप चौधरियों व न्यायिक कमेटी के सदस्यों ने कीटाचार्य किसानों से सवाल जवाब किए। इसके बाद न्यायिक कमेटी ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर खाप प्रतिनिधियों को सौंपी। खाप प्रतिनिधियों ने मामले की गहनता से सुनवाई करने तथा न्यायिक कमेटी की रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद मंच से आह्वान किया कि खाप पंचायत डॉ. सुरेंद्र दलाल के नाम से नई कृषि नीति बनाने, कीट ज्ञान की मुहिम को कृषि नीति में शामिल करने, डॉ. सुरेंद्र दलाल के नाम से अवार्ड जारी करने तथा दूसरे किसानों को प्रशिक्षत करने के लिए कीटाचार्य किसानों को मास्टर ट्रेनर के तौर पर नियुक्त करने के लिए केंद्र सरकार से पत्र लिखकर मांग करेगी। ताकि फसलों पर बिना वजह प्रयोग हो रहे जहर से मुक्ति दिलवाकर थाली को जहरमुक्त बनाया जा सके। महापंचायत में खाप प्रतिनिधियों ने किसानों से फसलों में पेस्टीसाइड का प्रयोग नहीं करने का आह्वान कर किसान-कीट विवाद में समझौते का प्रयास किया। खाप पंचायत की अध्यक्षता जींद बेहतरा के प्रधान केके मिश्रा ने तथा मंच संचालक सर्वजातीय सर्वखाप महापंचायत हरियाण के संयोजक एवं बराह खाप के प्रधान कुलदीप ढांडा ने की। महापंचायत की न्यायिक कमेटी में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के सेवानिवृत्ति न्यायधीश न्यायमूर्ति एसएन अग्रवाल, खाद्य एवं कृषि विशलेषक डॉ. देवेंद्र शर्मा, हरियाणा किसान आयोग के सचिव डॉ. आरएस दलाल को शामिल किया गया था। महापंचायत में जिला कृषि उपनिदेशक डॉ. रामप्रताप सिहाग, हिसार के जिला बागवानी अधिकारी डॉ. बलजीत भ्याण, जींद के जिला उद्यान अधिकारी डॉ. रविंद्र ढांडा, मैडम कुसुम दलाल भी मौजूद रही।
जींद के निडाना गांव के एक निजी स्कूल में किसानों और कीटों के बीच पिछले लगभग चार दशकों से चली आ रही लड़ाई की सुलह करवाने को लेकर खाप महापंचायत का आयोजन किया गया। इस महापंचायत में किसानों का पक्ष जहां खुद किसानों ने रखा वहीं कीटों का पक्ष भी उन महिलाओं और पुरूषों ने रखा, जो पिछले लगभग आठ वर्षों से कपास और धान की फसलों में कीटों पर शोध कर रहे हैं और फसलों में बिना कीटनाशक दवाओं का प्रयोग किए अच्छी पैदावार ले रहे हैं। कीटाचार्य किसानों ने महापंचायत में बेजुबान कीटों की पैरवी करते हुए बताया कि कीट न तो हमारे मित्र हैं और न ही दुश्मन हैं। कीट तो फसलों में अपना जीवन चक्र चलाने के लिए आते हैं और पौध अपनी जरूरत के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रकार की गंध छोड़कर किसानों को अपनी रक्षा के लिए बुलाते हैं। उन्होंने बताया कि उनके आठ वर्षों के अनुभव के दौरान कभी की कोई कीट फसल में नुकसान पहुंचाने के आर्थिक स्तर को पार नहीं कर पाया है। जब कीट हमारी फसलों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा रहे हैं तो फिर उन्हें बिना कसूर किसानों द्वारा फसलों में कीटनाशक दवाओं का छिड़काव कर क्यों मारा जा रहा है। उन्होंने बताया कि किसान व कीट की इस लड़ाई में बेजुबान कीटों की जान मुफ्त में जा रही है और इसमें किसान की जेब भी ढीली हो रही है। फसलों में अधिक जहर का प्रयोग होने से हमारा खान-पान भी दूषित हो रहा है। इसका मानव स्वास्थ्य पर काफी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। कीटाचार्य किसानों के कीट ज्ञान को सुन कर खापों के चौधरियों के साथ-साथ खुद न्यायिक कमेटी के अध्यक्ष पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसएन अग्रवाल, सदस्य देवेंद्र शर्मा और हरियाणा किसान आयोग के सदस्य सचिव डॉ. आरएस दलाल भी हैरान रह गए। उन्हें भी लगा कि बिना वजह बेजुबान कीटों को मौत के घाट उतारा जा रहा है। खाप चौधरियों व न्यायिक कमेटी ने जब अन्य किसानों इसे लेकर सवाल किए तो किसानों ने बताया गया कि उन्हें कीटों के  बारे में इस तरह की जानकारी नहीं थी। वह तो अज्ञानतावश फसल में नुकसान के डर से इन बेजुबान कीटों को मार रहे हैं। दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद न्यायिक कमेटी व खाप इस निश्कर्ष पर पहुंचे कि इस लड़ाई में न तो किसानों का दोष है और न ही कीटों का कोई तीसरा पक्ष किसानों के भोलेपन का फायदा उठाकर इस लड़ाई को बढ़ावा दे रहा है। 

रिपोर्ट तैयार कर केंद्र सरकार को की जाएगी सिफारिश 

यह हिंदुस्तान की पहली ऐसी कोर्ट है जिसमें एक अनोखे मुकदमे की सुनवाई हुई है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में जींद जिले के किसानों का नाम इतिहास में लिखा जाएगा। जींद जिले के कीटाचार्य किसानों ने कीटों पर एक अनोखा शोध कर कृषि वैज्ञानिकों को भी पीछे छोड़ दिया है। इन किसानों को कीटों के बारे में काफी गहराई तक जानकारी है। यहां आकर इन किसानों से यह सीखने को मिला कि किस तरह मांसाहारी कीट शाकाहारी कीटों को नियंत्रित करते हैं। हिंदुस्तान के छोटे से गांव में कीटों पर इस तरह का काम हो रहा है यह देख कर मैं दंग रह गया। कीट भी परमात्मा की देन हैं। इसलिए इन्हें भी बचाया जाना चाहिए। प्रकृति ने जो सिस्टम बनाया है किसान पेस्टीसाइड का प्रयोग कर उस सिस्टम के साथ छेडख़ानी कर रहे हैं। पेस्टीसाइड मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। जींद जिले के किसानों के इस काम को कृषि नीति में शामिल करने, डॉ. सुरेंद्र दलाल के नाम से अवार्ड जारी करवाने, इन किसानों को विशेष सुविधाएं दिलवाने के लिए के लिए एक रिपोर्ट तैयार कर केंद्र सरकार से सिफारिश की जाएगी। इसे लागू करना या ना करना सरकार का काम है। 
न्यायमूर्ति एसएन अग्रवाल, सेवानिवृत्त न्यायाधीश
हरियाणा एवं पंजाब हाईकोर्ट

महापंचायत में यह-यह खाप प्रतिनिधि रहे मौजूद 

सर्वजातीय सर्वखाप महापंचायत हरियाणा की महिला विंग की प्रधान डॉ. संतोष दहिया, अखिल भारतीय जाट महासभा के प्रधान ओमप्रकाश मान, कंडेला खाप प्रधान टेकराम कंडेला, पालम 360 के प्रधान रामकर्ण सौलंकी, राठी खाप के प्रधान डॉ. रणबीर राठी, बूरा खाप के वरिष्ठ उपप्रधान दयानंद बूरा, नंदगढ़ (चुढाली) गांव के प्रधान होशियार सिंह दलाल, कुंडू कालवा खाप के प्रधान सुभाष कुंडू, मंडाल तपा के प्रधान जगबीर ढुल, महम चौबिसी के प्रधान मेहर सिंह नंबरदार, दहिया खाप के प्रधान प्रताप सिंह, झाड़सा 360  गुडग़ांव के प्रधान महेंद्र ठाकरान, सतरोल खाप के प्रधान सूबेदार इंद्र सिंह, राखी बारहा खाप के प्रधान सुरेश कोथ, हाट बारहा खाप के प्रधान दयानंद, किनाना बारहा खाप के प्रधान दरिया सैनी, प्रगतिशील किसान क्लब के प्रधान राजबीर कटारिया, नगूरा बारहा खाप के प्रधान राजेंद्र दलाल, ढांडा खाप के प्रतिनिधि ओमप्रकाश ढांडा, किसान सभा हरियाणा के उपाध्यक्ष कामरेड फूल सिंह श्योकंद, खरकरामजी खाप के प्रधान सत्यवान, सफीदों बारहा के प्रधान रणबीर देशवाल, चहल खाप के संरक्षक दलीप सिंह चहल, कुंडू बारहा के प्रधान महाबीर कुंडू, लोहचब खाप के प्रधान ईश्वर लोहचब, राममेहर नंबरदार सहित लगभग 60 खापों के प्रतिनिधि मौजूद थे। 
सहित प्रदेशभर से 60 खापों के प्रतिनिधि व पंजाब के किसान भी मौजूद थे।   
 महापंचायत में अपने अनुभव रखती महिला किसान।

हमें मारकर ये जंग नहीं जीत पाएंगे किसान 

महापंचायत में कीटों ने किसानों को खुली चुनौती देते हुए कहा कि किसान उन्हें जहर से मारकर कभी भी इस जंग को किसान जीत नहीं पाएंगे। कीटाचार्य किसानों ने कीटों की तरफ से पक्ष रखते हुए बताया कि यदि किसान इसी तरह फसलों में अंधाधुंध कीटनाशकों का प्रयोग करते रहे तो वह दिन दूर नहीं जब उनकी आने वाली पीढिय़ों को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे। 

मांसाहारी कीट तो फसल में करते हैं कुदरती कीटनाशी का काम 

ललितखेड़ा गांव की महिला किसानों के गु्रप ने मांसाहारी कीट लेडी बर्ड बीटल की तरफ से अपना पक्ष रखते हुए बताया कि बीटल 18 किस्म की हैं और यह व इनके बच्चे सभी मांसाहारी होते हैं। शाकाहारी कीट सफेद मक्खी, हरा तेला, चूरड़ा, मिलीबग जैसे मेजर कीटों को खाकर वह फसल में कुदरती कीटनाशी का काम करती हैं। वहीं रधाना गांव के पुरुष किसानों ने मांसाहारी कीट हथजोड़े की तरफ से पक्ष रखते हुए कहा कि वह 10 किस्म के होते हैं और सूंडियां उनका प्रमुख भोजन होती हैं। किसान जिसे गादड़ की सूंडी समझता है वह दरअसल उसकी सूंडी होती है और उसकी एक अंडेदानी में 500 से 600 के लगभग बच्चे होते हैं। उसके एक बच्चे को जीवित रहने के लिए प्रतिदिन 10 सूंडियों की जरूरत पड़ती है। ललितखेड़ा गांव के पुरुष किसानों ने बुगड़ों की तरफ से प्रस्तुती देते हुए बताया कि बुगड़े सात प्रकार के होते हैं और डंक की सहायता से दूसरे कीटों का खून चूसकर कीटों का खातमा करते हैं। निडाना गांव की महिलाओं ने मक्खियों की पैरवी करते हुए बताया कि यह मक्खियां भी दूसरे कीटों का मांस खाकर अपना गुजारा करती हैं। कुछ मक्खियां तो अपने वजन से ज्यादा मांस खाती हैं। निडानी के पुरुष किसानों ने दूसरे कीटों के पेट में अंडे देने वाले परपेटियों का पक्ष रखा। 
महापंचायत में मंच पर मौजूद खाप प्रतिनिधि।

पौधे व शाकाहारी कीटों का है गहरा रिश्ता 

ईगराह गांव के पुरुष किसानों ने रस चूसक कीटों का पक्ष रखते हुए बताया कि यह कीट तो पौधे का बचा हुआ रस चूसकर पौधे की मदद करते हैं। जिस तरह रक्तदान करने से मनुष्य के शरीर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता उसी प्रकार पौधे का रस चूसने से पौधे पर भी कोई दूष्प्रभाव नहीं पड़ता। निडाना गांव के पुरुष किसानों ने पत्तेखाने वाले कीटों की पैरवी करते हुए बताया कि पत्ते खाने वाले कीट ऊपर के पत्तों में छोटे-छोटे सुराख कर देते हैं। इससे नीचे के पत्तों तक भी धूप पहुंच जाती है और नीचे के पत्ते भी पौधे के लिए भोजन बना देते हैं। ईगराह के किसानों ने फूलाहारी कीटों का पक्ष रखते हुए बताया कि कीट तो फसल में परपरागन में सहायता करते हैं। कीटों की सहायता से ही फूल के नर भाग के परागकण मादा तक पहुंच पाते हैं। रधाना गांव के किसानों ने फलाहारी कीटों का पक्ष रखते हुए बताया कि कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार पौधा अपना 65 प्रतिशत फल गिरा देता है और इसी फल को खाकर यह कीट पौधे की मदद करते हैं। 
मंच पर किसानों को संबोधित करते सेवानिवृत्त न्यायाधीश एसएन अग्रवाल।

फसल को नुकसान से बचाने के लिए करते हैं स्प्रे

निडाना के सुरेंद्र किसान ने आम किसान का पक्ष रखते हुए बताया कि किसान तो अपनी फसल को कीटों के नुकसान से बचाने के लिए फसल में कीटनाशकों का प्रयोग करते हैं। कीट किसान के लिए इतने लाभदायक होते हैं, उसके बारे में तो उन्हें जानकारी ही नहीं है। 

हमें सुविधाएं स्वच्छ वातावरण व शुद्ध खान-पान चाहिए

निडाना तथा निडानी के बच्चों ने प्रस्तुति देते हुए बताया कि दूषित हो रहे खान-पान के कारण वह भिन्न-भिन्न किस्म की बीमारियां की चपेट में आ रहे हैं। उन्होंने खाप चौधरियों से गुहार लगाई कि उन्हें सुविधाएं नहीं उन्हें तो वह स्वच्छ वातावरण चाहिए जो उनके पूर्वज उनके लिए छोड़कर गए  थे। 

खाप चौधरियों व न्यायिक कमेटी के सदस्यों किसानों से किए सीधे सवाल

महापंचायत में मौजूद खाप प्रतिनिधियों व न्यायिक कमेटी के सदस्यों ने कीटाचार्य किसानों से सीधे सवाल जवाब किए। खाप चौधरियों ने कहा कि जब किसानों का कोई दोष नहीं है और न ही कीटों का तो फिर यह लड़ाई कैसे शुरू हुई। कीटाचार्य किसानों ने बताया कि पेस्टीसाइड कंपनियों ने किसानों को गुमराह कर इस लड़ाई के मैदान में उतार दिया है। खाप प्रतिनिधि सुरेश कोथ ने जब पिछले दो वर्षों से उनके क्षेत्र में शाकाहारी कीट सफेद मक्खी के प्रकोप का दुखड़ा जब पंचायत में सुनाया तो किसानों ने बताया कि यह सब कीटनाशकों के अधिक प्रयोग के कारण हो रहा है। कीटनाशकों के प्रयोग से शाकाहारी कीटों की संख्या बढ़ती है। 

99 प्रतिशत कीटनाशक वातावरण व जमीन में बेकार चला जाता है। 

मंच पर मौजूद न्यायिक कमेटी के सदस्य।
खाद्य एवं कृषि विशलेषक डॉ. देवेंद्र शर्मा ने बताया कि उन्होंने कृषि क्षेत्र में शोध के दौरान विभिन्न देशों का दौरा किया है और जो जानकारी उन्हें जींद जिले के किसानों से मिली है वैसी कहीं से भी नहीं मिली। डॉ. देवेंद्र शर्मा ने बताया कि किसान कीटों से फसलों को बचाने के लिए जिस पेस्टीसाइड का प्रयोग करते हैं, उसका ९९ प्रतिशत हिस्सा वातावरण व जमीन में चला जाता है। इससे हमारा वातावरण व खान-पान दूषित हो रहा है। उन्होंने एक साइंस मैगजीन का जिक्र करते हुए बताया कि पिछले साल तीन लाख लोगों ने आत्महत्या की है जिसका कारण पेस्टीसाइड है। उन्होंने बताया कि आज बच्चा मां के गर्भ में भी सुरक्षित नहीं है। गर्भ से ही बच्चे के अंदर पेस्टीसाइड के अंश पहुंच जाते हैं। 
पंचायत में भाग लेती महिला किसान।

  भोलेपन के चलते बेजुबान और बेकसूर कीटों को मार रहा है किसान 

न्यायिक कमेटी के सामने किसान और कीट दोनों का पक्ष अच्छी तरह से रखे जाने के बाद जस्टिस एसएन अग्रवाल की अध्यक्षता वाली ज्यूरी ने मौके पर यह व्यवस्था दी कि कई दशकों से किसानों और कीटों के बीच चली आ रही जंग में कीट बिना कसूर मरता रहा और किसान अपने भोलेपन के चलते अपनी जेब ढीली कर बेजुबान और बेकसूर कीटों को मारता रहा। दोनों में किसी का दोष नहीं था। इसके चलते ज्यूरी ने दोनों पक्षों के बीच समझौता करवाने का प्रयास किया। इसमें किसान ने यह तय किया कि अब वह अपनी फसलों में बिना वजह अंधाधुंध तरीके से कीटनाशक दवाओं का छिड़काव नहीं करेगा। साथ ही महापंचायत ने केंद्र सरकार के लिए एक प्रस्ताव भी पारित किया, जिसमें मांग की गई कि सरकार अपनी कृषि नीति में इस बात को शामिल करे की फसलों पर कीटनाशक दवाओं का अंधाधुंध छिड़काव नहीं हो। पूरे देश में जहर मुक्त थाली को लेकर सरकार एक बड़ा अभियान चलाए। इसके अलावा खाप पंचायतों ने भी अपने स्तर पर पूरे देश में जहर मुक्त थाली का अभियान चलाने का फैसला किया। खाप महापंचायत में हरियाणा के साथ-साथ पंजाब के किसानों ने भी भाग लिया। उत्तर भारत की 60 से ज्यादा खापों के प्रतिनिधि इस महापंचायत में शामिल हुए। 
मंच पर मौजूद खाप प्रतिनिधि।

किसानों ने हाथ उठाकर खाप के निर्णय का किया समर्थन

खाप महापंचायत में न्यायिक कमेटी ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर खाप प्रतिनिधियों को सौंपी। सर्वजातीय सर्वखाप महापंचायत के संयोजक कुलदीप ढांडा ने किसानों से पूछा कि खाप जो फैसला करेगी किसान उससे मंजूर करेंगे, तो किसानों ने हाथ उठाकर खाप के फैसले को स्वीकार करने का समर्थन किया। खाप पंचायत में फैसला लिया गया कि कीट साक्षरता के अग्रदूत डॉ. सुरेंद्र दलाल के नाम से नई कृषि नीति बनाने, कीट ज्ञान की मुहिम को इस नीति में शामिल करने, डॉ. सुरेंद्र दलाल के नाम से अवार्ड देने, कीटाचार्य किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए खाप पंचायत एक प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजेगी। 

महापंचायत में मंच पर मौजूद हरियाणा एवं पंजाब हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायधीश एसएन अग्रवाल, हरियाणा किसान आयोग के सदस्य सचिव डॉ. आरएस दलाल व डॉ. देवेंद्र शर्मा। 

झुग्गी-झोपडिय़ों में जला रहा अक्षर ज्ञान का दीप

सेवानिवृत्त प्राचार्य गरीब बच्चों को कर रहा शिक्षित

झुग्गी-झोपडिय़ों में ही शुरू की पाठशाला
शिक्षा देने के साथ-साथ खुद ही उठा रहा कापी-किताबों का खर्च


जींद। आज आधुनिकता तथा भौतिकवाद के इस युग में लोग बिना स्वार्थ के एक कदम भी नहीं रखते हैं लेकिन वहीं एक शख्स ऐसा भी है जो निस्वार्थ भाव से झुग्गी-झोपडिय़ों में अक्षर ज्ञान का दीप जला कर गरीब बच्चों के जीवन को रोशन करने का काम कर रहा है। हम जिक्र कर रहे हैं शहर के अर्बन एस्टेट निवासी सेवानिवृत्त प्राचार्य कृष्णचंद शर्मा का। कृष्णचंद शर्मा इन गरीब बच्चों को झुग्गी-झोपडिय़ों में जाकर कखघग सीखा रहे हैं। इतना ही नहीं शर्मा इन बच्चों को शिक्षित करने के साथ-साथ इनके किताबों व कापियों का खर्च भी स्वयं ही
 झुग्गी-झोपडिय़ों को पढ़ाते पूर्व प्राचार्य कृष्णचंद शर्मा। 
उठा रहे हैं। इनके इस प्रयास से झुग्गी-झोपडिय़ों में रह रहे इन गरीब बच्चों को एक नई दिशा मिल रही है।
शहर के अर्बन एस्टेट निवासी कृष्णचंद शर्मा ने अध्यापक के पद पर रहते हुए वर्षों तक स्कूलों में विद्यार्थियों को शिक्षित करने का काम किया। इसके बाद वह पदौन्नत होकर प्राचार्य के पद तक पहुंचे। प्राचार्य के पद पर पहुंचने के बाद भी इन्होंने नियमित रूप से कक्षाओं में जाकर विद्यार्थियों को शिक्षित करने का काम किया। 31 मार्च 2014 को सोनीपत जिले के नूरणखेड़ा गांव के राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय से प्राचार्य के पद से सेवानिवृत्ति होने के बाद कृष्णचंद शर्मा ने समाजसेवा करने करने की ठानी। कृष्णचंद शर्मा ने एक नई व अनुठी पहल शुरू करते हुए शहर के सफीदों रोड के पास झुग्गी-झोपडिय़ों में रह रहे गरीब बच्चों को शिक्षित करने की पहल शुरू। हालांकि शुरूआत में इन बच्चों के माता-पिता को बच्चों की पढ़ाई के लिए तैयार करने में काफी मुश्किलें आई लेकिन जब कृष्णचंद शर्मा ने झुग्गी-झोपडिय़ों में जाकर इन बच्चों को पढ़ाना शुरू किया तो इनके अभिभावक भी इसके लिए तैयार हो गए। शर्मा ने झुग्गी-झोपडिय़ों में जाकर ही पाठशाला शुरू कर दी और लगभग दो दर्जन बच्चों को पढ़ाई के लिए तैयार किया लेकिन झुग्गी-झोपडिय़ों में शोर-शराबा ज्यादा होने के कारण बच्चों को पढ़ाने में परेशानी होने लगी। इसके बाद कृष्णचंद शर्मा ने झुग्गी-झोपडिय़ों के पास निर्माणाधीन जिमखाना क्लब में बच्चों की कक्षा लगानी शुरू कर दी। कृष्णचंद शर्मा इन बच्चों को अक्षर ज्ञान देने के साथ-साथ इनकी पढ़ाई के खर्च की व्यवस्था भी स्वयं कर रहे हैं। इनके इस प्रयास से झुग्गी-झोपडिय़ों में रहने वाले बच्चों को एक नई दिशा मिल रही है। पढ़ाई शुरू होने से बच्चे काफी उत्साहित हैं। यहां इन बच्चों को काफी कुछ नया सीखने को मिल रहा है। शर्मा ने एक माह के समय में ही इन बच्चों को उठने-बैठने तथा बोल-चाल में परिपक्कव कर दिया।
झुग्गी-झोपडिय़ों के बच्चों के साथ मौजूद पूर्व प्राचार्य कृष्णचंद शर्मा।

हर रोज तीन घंटे लगती है पाठशाला

सेवानिवृत्त प्राचार्य कृष्णचंद शर्मा बच्चों को शिक्षित करने के लिए नियमित रूप से पिछले लगभग एक माह से इन बच्चों की पाठशाला चला रहा है। शर्मा द्वारा हर रोज तीन घंटों तक यह पाठशाला चलाई जाती है। पाठशाला के दौरान बच्चों को अक्षर ज्ञान देने के साथ-साथ बोल-चाल तथा रहन-सहन का तरीका भी सिखाया जाता है।

छोटे बच्चों को पढ़ाने का मिल रहा नया अनुभव 

 पूर्व प्राचार्य कृष्णचंद शर्मा का फोटो।   

सेवानिवृत्त प्राचार्य कृष्णचंद शर्मा ने कहा कि अध्यापन के दौरान उनका अनुभव बड़े बच्चों को पढ़ाने का रहा है। शर्मा का कहना है कि सोनीपत जिले के नूरणखेड़ा गांव के राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय से सेवानिवृत्त होने के बाद उनके मन में समाजसेवा करने की इच्छा थी। जब उन्होंने यहां झुग्गी-झौपडिय़ों में रह रहे बच्चों को देखा तो उन्होंने इन बच्चों को शिक्षित करने की सोची। शर्मा ने कहा कि बड़े बच्चों को पढ़ाने के बाद छोटे बच्चों को पढ़ाने का एक नया अनुभव हुआ है।



खुद को पर्यावरण के लिए महिला वकील ने कर दिया समर्पित

अब तक लगवा चुकी 177 त्रिवेणी जींद। महिला एडवोकेट संतोष यादव ने खुद को पर्यावरण की हिफाजत के लिए समर्पित कर दिया है। वह जींद समेत अब तक...