अमेरिका में ऑर्गेनिक फार्मिंग के लिए सरकार से लेना पड़ता है प्रमाण पत्र
जींद। अमेरिका की केलिफोरनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधार्थी हैली तथा निकोलस ने कहा कि भारत में ऑर्गेनिक उत्पाद की प्रमाणिकता के लिए बिक्री केंद्रों पर कोई व्यवस्था नहीं है। जबकि अमेरिका में प्रत्येक बिक्री केंद्र पर ओर्गेनिक उत्पाद की प्रमाणिकता के लिए मशीनों की व्यवस्था होती है। मशीन में ओर्गेनिक उत्पाद की जांच के बाद ही उसे प्रमाणित किया जाता है लेकिन भारत में बिक्री केंद्रों पर यह व्यवस्था नहीं होने के कारण ओर्गेनिक उत्पादों की गुणवत्ता पर संदेह बना रहता है। लोग ओर्गेनिक के नाम पर मिलावटी या रासायनिक उत्पादों को भी बेच देते हैं। ऑर्गेनिक फार्मिंग पर शोध के लिए जींद पहुंचे शोधार्थी शनिवार को जाट धर्मशाला में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
शोधर्थी हेली तथा निकोलस ने कहा कि अमेरिका में ऑर्गेनिक फार्मिंग के लिए सरकार से प्रमाण पत्र लेना पड़ता है। बिना प्रमाण पत्र के किसान ऑर्गेनिक खेती नहीं कर सकता। इसी के चलते भारत की बजाए अमेरिका में ऑर्गेनिक उत्पाद थोड़े महंगे हैं। अमेरिका में ऑर्गेेनिक उत्पादों की मांग काफी ज्यादा है। वहां बादाम तथा अंगूर की खेती सबसे ज्यादा होती है। उन्होंने कहा कि अमेरिका में खेती का ज्यादातर काम मशीनों द्वारा ही किया जाता है। जबकि भारत में मशीनों से खेती का बहुत कम काम होता है। उन्होंने कहा कि अमेरिका और भारत के किसानों में जो समानता है, वह यह है कि दोनों ही देशों के किसान फसल के अधिक उत्पादन की तरफ ध्यान देते हैं। उन्होंने कहा कि आज ऑर्गेनिक फार्मिंग की काफी जरूरत है। दूषित खान-पान के कारण मनुष्य लगातार बीमारियों की चपेट में आ रहा है। फसलों में अधिक रसायनिक उर्वरकों के प्रयोग के कारण मनुष्य व जमीन दोनों का स्वास्थ्य खराब हो रहा है।
जाट धर्मशाला में पत्रकारों से बातचीत करते शोधार्थी। |
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