Sunday, 1 March 2015

झुग्गी-झोपडिय़ों में जला रहा अक्षर ज्ञान का दीप

सेवानिवृत्त प्राचार्य गरीब बच्चों को कर रहा शिक्षित

झुग्गी-झोपडिय़ों में ही शुरू की पाठशाला
शिक्षा देने के साथ-साथ खुद ही उठा रहा कापी-किताबों का खर्च


जींद। आज आधुनिकता तथा भौतिकवाद के इस युग में लोग बिना स्वार्थ के एक कदम भी नहीं रखते हैं लेकिन वहीं एक शख्स ऐसा भी है जो निस्वार्थ भाव से झुग्गी-झोपडिय़ों में अक्षर ज्ञान का दीप जला कर गरीब बच्चों के जीवन को रोशन करने का काम कर रहा है। हम जिक्र कर रहे हैं शहर के अर्बन एस्टेट निवासी सेवानिवृत्त प्राचार्य कृष्णचंद शर्मा का। कृष्णचंद शर्मा इन गरीब बच्चों को झुग्गी-झोपडिय़ों में जाकर कखघग सीखा रहे हैं। इतना ही नहीं शर्मा इन बच्चों को शिक्षित करने के साथ-साथ इनके किताबों व कापियों का खर्च भी स्वयं ही
 झुग्गी-झोपडिय़ों को पढ़ाते पूर्व प्राचार्य कृष्णचंद शर्मा। 
उठा रहे हैं। इनके इस प्रयास से झुग्गी-झोपडिय़ों में रह रहे इन गरीब बच्चों को एक नई दिशा मिल रही है।
शहर के अर्बन एस्टेट निवासी कृष्णचंद शर्मा ने अध्यापक के पद पर रहते हुए वर्षों तक स्कूलों में विद्यार्थियों को शिक्षित करने का काम किया। इसके बाद वह पदौन्नत होकर प्राचार्य के पद तक पहुंचे। प्राचार्य के पद पर पहुंचने के बाद भी इन्होंने नियमित रूप से कक्षाओं में जाकर विद्यार्थियों को शिक्षित करने का काम किया। 31 मार्च 2014 को सोनीपत जिले के नूरणखेड़ा गांव के राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय से प्राचार्य के पद से सेवानिवृत्ति होने के बाद कृष्णचंद शर्मा ने समाजसेवा करने करने की ठानी। कृष्णचंद शर्मा ने एक नई व अनुठी पहल शुरू करते हुए शहर के सफीदों रोड के पास झुग्गी-झोपडिय़ों में रह रहे गरीब बच्चों को शिक्षित करने की पहल शुरू। हालांकि शुरूआत में इन बच्चों के माता-पिता को बच्चों की पढ़ाई के लिए तैयार करने में काफी मुश्किलें आई लेकिन जब कृष्णचंद शर्मा ने झुग्गी-झोपडिय़ों में जाकर इन बच्चों को पढ़ाना शुरू किया तो इनके अभिभावक भी इसके लिए तैयार हो गए। शर्मा ने झुग्गी-झोपडिय़ों में जाकर ही पाठशाला शुरू कर दी और लगभग दो दर्जन बच्चों को पढ़ाई के लिए तैयार किया लेकिन झुग्गी-झोपडिय़ों में शोर-शराबा ज्यादा होने के कारण बच्चों को पढ़ाने में परेशानी होने लगी। इसके बाद कृष्णचंद शर्मा ने झुग्गी-झोपडिय़ों के पास निर्माणाधीन जिमखाना क्लब में बच्चों की कक्षा लगानी शुरू कर दी। कृष्णचंद शर्मा इन बच्चों को अक्षर ज्ञान देने के साथ-साथ इनकी पढ़ाई के खर्च की व्यवस्था भी स्वयं कर रहे हैं। इनके इस प्रयास से झुग्गी-झोपडिय़ों में रहने वाले बच्चों को एक नई दिशा मिल रही है। पढ़ाई शुरू होने से बच्चे काफी उत्साहित हैं। यहां इन बच्चों को काफी कुछ नया सीखने को मिल रहा है। शर्मा ने एक माह के समय में ही इन बच्चों को उठने-बैठने तथा बोल-चाल में परिपक्कव कर दिया।
झुग्गी-झोपडिय़ों के बच्चों के साथ मौजूद पूर्व प्राचार्य कृष्णचंद शर्मा।

हर रोज तीन घंटे लगती है पाठशाला

सेवानिवृत्त प्राचार्य कृष्णचंद शर्मा बच्चों को शिक्षित करने के लिए नियमित रूप से पिछले लगभग एक माह से इन बच्चों की पाठशाला चला रहा है। शर्मा द्वारा हर रोज तीन घंटों तक यह पाठशाला चलाई जाती है। पाठशाला के दौरान बच्चों को अक्षर ज्ञान देने के साथ-साथ बोल-चाल तथा रहन-सहन का तरीका भी सिखाया जाता है।

छोटे बच्चों को पढ़ाने का मिल रहा नया अनुभव 

 पूर्व प्राचार्य कृष्णचंद शर्मा का फोटो।   

सेवानिवृत्त प्राचार्य कृष्णचंद शर्मा ने कहा कि अध्यापन के दौरान उनका अनुभव बड़े बच्चों को पढ़ाने का रहा है। शर्मा का कहना है कि सोनीपत जिले के नूरणखेड़ा गांव के राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय से सेवानिवृत्त होने के बाद उनके मन में समाजसेवा करने की इच्छा थी। जब उन्होंने यहां झुग्गी-झौपडिय़ों में रह रहे बच्चों को देखा तो उन्होंने इन बच्चों को शिक्षित करने की सोची। शर्मा ने कहा कि बड़े बच्चों को पढ़ाने के बाद छोटे बच्चों को पढ़ाने का एक नया अनुभव हुआ है।



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