Wednesday, 27 May 2015

किसान-कीट विवाद को सुलझाने का प्रयास

न्यायिक कमेटी के सदस्यों ने खाप चौधरियों को भेजी रिपोर्ट

रिपोर्ट में कीट ज्ञान की मुहिम को देश में लागू करने का किया समर्थन

न्यायिक कमेटी के निर्णय से खाप पंचायत के फैसले को मिली मजबूती

किसान-कीट विवाद सुलझाने के लिए फरवरी माह में निडाना में हुई थी खाप पंचायत


जींद।
 किसानों और कीटों के बीच दशकों से चली आ रही अंतहीन जंग में दोनों पक्षों के बीच समझौता करवाने के लिए गत 20 फरवरी को निडाना में आयोजित हुई सर्व खाप महापंचायत की न्यायिक कमेटी ने खाप प्रतिनिधियों को अपनी रिपोर्ट भेज दी है। न्यायिक कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में जींद जिले के किसानों द्वारा चलाई जा रही कीट ज्ञान की मुहिम को देश में लागू करवाने तथा पेस्टीसाइड कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है। न्यायिक कमेटी द्वारा खाप प्रतिनिधियों के पक्ष में दी गई इस रिपोर्ट से खाप पंचायत के फैसले को भी मजबूती मिली है। न्यायिक कमेटी द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के आधार पर अब खाप प्रतिनिधि केंद्रीय तथा प्रदेश के मंत्रियों को ज्ञापन भेजकर इस मुहिम को कृषि नीति में शामिल करने की मांग करेंगे। ताकि दूषित हो रहे खान-पान को बचाकर थाली को जहरमुक्त बनाया जा सके।
निडाना गांव में आयोजित खाप पंचायत के दौरान सेवानिवृत न्यायधीश को कीटों की जानकारी देती महिला किसान।

यह है पूरा मामला

फसलों में अंधाधुंध प्रयोग हो रहे पेस्टीसाइड के कारण दूषित हो रहे खान-पान को बचाने के लिए कीट साक्षरता के अग्रदूत डॉ. सुरेंद्र दलाल ने वर्ष 2008 में निडाना गांव से कीट ज्ञान की मुहिम शुरू की थी। इस मुहिम के तहत डॉ. सुरेंद्र दलाल ने किसानों के साथ मिलकर फसल में मौजूद मांसाहारी तथा शाकाहारी कीटों की पहचान तथा उनके क्रियाकलापों पर बारिकी से शोध किया था। शोध के दौरान यह सामने आया कि कीट मांसाहारी और शाकाहारी दो प्रकार के होते हैं। पौधे अपनी जरूरत के अनुसार कीटों को बुलाते हैं। उत्पादन बढ़ाने में कीटों का अहम योगदान है लेकिन किसान अज्ञानतावश अंधाधुंध पेस्टीसाइड का प्रयोग कर कीटों को मार रहे हैं। जहां-जहां कीटनाशकों का प्रयोग हुआ है, वहां-वहां कीटों ने ईटीएल लेवल पार किया है। जागरूकता के अभाव में किसानों व कीटों के बीच यह जंग छिड़ी हुई है। इस विवाद को सुलझाने के लिए 26 जून 2012 को कीटाचार्य किसानों ने खाप प्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपकर यह विवाद सुलझाने की गुहार लगाई थी। ज्ञापन के बाद खाप प्रतिनिधियों ने तीन वर्षों तक किसानों के साथ मिलकर कीटों पर शोध किया था। इसके बाद इस विवाद को सुलझाने के लिए 20 फरवरी 2015 को निडाना गांव में सर्व खाप महापंचायत का आयोजन किया गया था। विवाद को सुलझाने में खाप प्रतिनिधियों से कोई चूक नहीं हो इसके लिए अलग से एक न्यायिक कमेटी गठित की गई थी। महापंचायत में कीटाचार्य किसानों ने कीटों का पक्ष रखा था। खाप प्रतिनिधियों तथा ज्यूरी ने दोनों पक्षों को ध्यान से सुना था। इसके बाद ज्यूरी इस मुद्दे पर अपनी रिपोर्ट तैयार करने के लिए खाप प्रतिनिधियों से समय मांगा था। अब ज्यूरी ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर खाप प्रतिनिधियों को सौंप दी है। 

यह-यह लोग थे न्यायिक कमेटी में शामिल

महापंचायत में गठित की गई न्यायिक कमेटी में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय चंडीगढ़ के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एसएन अग्रवाल, खाद्य एवं व्यापार नीति विश्लेषक देेवेंद्र शर्मा, हरियाणा किसान आयोग के सदस्य सचिव डॉ. आरएस दलाल को शामिल किया गया था।  बॉक्स

यह है ज्यूरी की सिफारिश 

1. किसानों को कीटनाशियों के छिड़काव के कीटों पर पडऩे वाले बुरे प्रभाव के बारे में शिक्षित करने की आवश्यकता है। इसलिए डॉ. सुरेंद्र दलाल द्वारा जिन 183 व्यक्तियों को यह ज्ञान दिया गया है उन्हें जागरूकता फैलाने के लिए परिवर्तन एजेंट बनाया जा सकता है।
2. कीटनाशी निर्माता कंपनियां किसानों को गुमराह करती हैं। इसलिए इन कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया जाए।
3. कृषि विश्वविद्यालयों में अनुसंधान अनुशंसित किया जाना चाहिए, ताकि वे अपनी प्रयोगशाला में अनुसंधान कर सकें और इस विचार को ओर बल मिल सके।

ज्यूरी का निष्कर्ष

ज्यूरी ने यह अनुभव किया कि 20 फरवरी 2015 को जींद जिले के निडाना गांव में विभिन्न समूहों द्वारा उनके समक्ष किए गए प्रस्तुतीकरण इस मामले में अनूठे थे कि उनसे कीटों के बारे में बहुत कुछ सीखा जा सकता है। ज्यूरी यह सिफारिश करता है कि डॉ. सुरेंद्र दलाल द्वारा शुरू की गई कीट ज्ञान की मुहिम को बिना किसी देरी के किसानों के बीच पहुंचाया जाना चाहिए, ताकि राज्य में जल्दी से जल्दी किसानों के हित में कीटनाशियों के उपयोग को रोका जा सके। ऐसा करके बहुत थोड़े से खर्च से राज्य एक ऐसा क्रांतिकारी कदम उठाने में समर्थ होगा,  जिससे राज्य को पूरे देश में विशेष सम्मान प्राप्त होगा।

खाप प्रतिनिधि चलाएंगे अभियान

खाप पंचायत में दोनों पक्षों को सुनने के बाद खाप पंचायत इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि कीट बेजूबान हैं और किसान भोला है। इसलिए किसी तीसरे पक्ष ने किसानों को गुमराह कर इस अंतहिन लड़ाई की शुरूआत की है। महापंचायत के इस फैसले को वैज्ञानिक तौर पर मान्यता दिलवाने के लिए पंचायत में ज्यूरी का गठन किया गया था। ज्यूरी द्वारा पंचायत के पक्ष में रिपोर्ट देने से पंचायत के फैसले को बल मिला है। अब खाप प्रतिनिधि इस लड़ाई को खत्म करवाने के लिए गांव स्तर पर कमेटियों का गठन कर कीट ज्ञान की मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए कीटाचार्य किसानों की मदद से अभियान चलाएंगे। इसके अलावा सरकार से भी इस महिम को पूरे प्रदेश में लागू कर प्रदेश को रसायनमुक्त घोषित करने की मांग की जाएगी।
कुलदीप ढांडा, संयोजक सर्व खाप महापंचायत

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