Monday, 19 March 2018

खुद को पर्यावरण के लिए महिला वकील ने कर दिया समर्पित

अब तक लगवा चुकी 177 त्रिवेणी

जींद। महिला एडवोकेट संतोष यादव ने खुद को पर्यावरण की हिफाजत के लिए समर्पित कर दिया है। वह जींद समेत अब तक प्रदेश में 177 त्रिवेणी खुद लगवा चुकी हैं। संतोष यादव का टारगेट 1000 त्रिवेणी लगाने का है। 
पेशे से वकील संतोष यादव पर प्रदेश में जिला मुख्यालयों और दूसरे शहरों तथा कस्बों में त्रिवेणी लगवाने का एक जुनून सा सवार है। उन्होंने शनिवार को जींद में 177 वीं त्रिवेणी इनैलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला के हाथों से लगवाने का काम किया। त्रिवेणी को लेकर संतोष यादव का कहना है कि यह 3 पौधों का ऐसा संगम है, जो पर्यावरण की सबसे ज्यादा रक्षा करता है और वायुमंडल में केवल आक्सीजन छोड़ता है। आक्सीजन भी 24 घंटे त्रिवेणी से मिलती है। उनका कहना है कि बआज धरती पर मानव जीवन के पर्यावरण और ग्लोबल वार्मिंग से बहुत बड़ा खतरा पैदा हो गया है। इस खतरे से निपटने का केवल एक जरिया है और वह है ज्यादा से ज्यादा संख्या में पौधे लगाना। पौधों में भी त्रिवेणी सबसे बढिय़ा मानी गई है और यही कारण है कि उन्होंने त्रिवेणी लगाने को लेकर एक मुहिम शुरू की है। मुहिम के तहत वह अब तक 177 त्रिवेणी लगा चुकी हैं। उनका टारगेट 1 हजार त्रिवेणी लगाने का है। जब यह टारगेट पूरा हो जाएगा तो दूसरे लोगों को भी इससे पौधारोपण को लेकर बड़ी पे्ररणा मिलेगी। यादव के अनुसार पौधों के बिना धरती पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। 

Sunday, 18 March 2018

जींद महिला थाना महिलाओं की उम्मीदों पर उतर रहा खरा


3 साल, 3719 शिकायत, 3372 का समाधान, 338 पर केस दर्ज

यह है जींद के महिला पुलिस थाना का रिकार्ड 
जींद।  3 साल, 37 शिकायत, 3372 का समाधान और 338 पर केस दर्ज। यह है जींद के महिला पुलिस थाने का रिकार्ड, जिसे महिलाओं को जल्द इंसाफ और राहत दिलवाने के लिए बनाया गया है। 
जींद में 28 अगस्त 2015 को महिला पुलिस थाना अस्तित्व में आया था। तब से लेकर अब तक महिलाओं को न्याय दिलाने में थाना कारगर भूमिका निभा रहा है। अब तक महिला पुलिस थाना में 3710 शिकायतें प्राप्त हुई हैं। इनमें से 338 शिकायतों पर माम
ले दर्ज किए जबकि अन्य शिकायतों का आपसी बातचीत से महिला थाना पुलिसकर्मियों द्वारा समझौता करवा दिया गया। महिला थाने में अब तक प्राप्त 3719 शिकायतों में 3372 का समाधान करवाया गया है। महिलाओं को पुलिस थानों में अपनी शिकायत दर्ज करवाने में किसी प्रकार शर्म और परेशानी नहीं हो, इस उद्देश्य से महिला पुलिस थाने खुलवाए गए थे। इससे पहले पुरूषों के सामने अपनी शिकायत दर्ज करवाने में कई तरह की परेशानियों का सामना महिलाओं को करना पड़ता था। वह पुरूषों के सामने अपनी शिकायत को दर्ज करवाने और आपबीती को बताने में शर्माती थी। 
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महिला हैल्प लाइन पर अब तक 16340 काल प्राप्त
महिला हैल्प लाइन भी महिलाओं की सुरक्षा के लिए कारगर साबित हुई। शुरूआती दौर से अब तक महिला हैल्प लाइन पर शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं। महिला हैल्प लाइन से वर्ष 2015 से अब तक महिला पुलिस थाना को 16340 कॉल आई। हैल्प लाइन के माध्यम से आई 16340 काल में से 5681 शिकायतों पर मामला दर्ज हुआ। साल 2015 में 4333 कॉल आई जबकि 1364 शिकायतें हैल्प लाइन से मिली। इसी तरह वर्ष 2016 में 3635 कॉल महिला हैल्प लाइन पर आई और 1167 काल पर शिकायत दर्ज हुई। वर्ष 2017 में महिला हैल्पलाइन को 6966 काल मिली और 2829 काल पर शिकायत दर्ज हुई। इसी तरह वर्ष 2018 में अब तक महिला हैल्प लाइन को 1406 कॉल आई और इनमें से  321 पर मामले दर्ज हुए। 
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महिलाएं अपराध के सामने नहीं झुकें : संतोष
महिला पुलिस थाना प्रभारी संतोष ने कहा कि महिलाएं अपने ऊपर किसी प्रकार के अपराध को कभी बर्दाश्त नहीं करें। अगर कोई व्यक्ति घर, परिवार या फिर समाज में महिलाओं के आत्मसम्मान के साथ खिलवाड़ करने की कोशिश करे तो महिलाओं को तुरंत ऐसे असामाजिक व्यक्ति के खिलाफ महिला थाने में आकर अपनी शिकायत दर्ज करवानी चाहिए। इस पर महिला महिला हैल्पलाइन नंबर 1091 पर भी कॉल कर सकती हैं। इससे भी पीडि़त महिला को न्याय दिलाने का काम किया जाता है। महिला थाने में आने वाली शिकायत का प्रथम प्रयास बातचीत से समझौता करवाने का होता है, लेकिन फिर भी बात सिरे नहीं चढ़ती तो वह  तुरंत प्रभाव से पीडि़ता की शिकायत पर मामला दर्ज कर दिया जाता है। 

युवा सोच और युवा जोश से बदल रही जींद की सूरत

पीएम मोदी की बात डीसी अमित खत्री पर हो रही सही साबित

जींद, जींद के युवा डीसी अमित खत्री की युवा सोच और युवा जोश से जींद की सूरत तेजी से बदल रही है। तकनीकी रूप से जींद जिला अब प्रदेश के अनेक जिलों को पीछे छोड़ रहा है और इस क्षेत्र में जींद के माथे से पिछड़ेपन का दाग अब मिट रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपायुक्तों को लेकर कही गई बात जींद में डीसी अमित खत्री पर एकदम सही साबित हो रही है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को यह कहा कि जिलों में उपायुक्त उम्र दराज अधिकारी नहीं होने चाहिएं। जिलों में इन पदों पर युवा अधिकारी नियुक्त हों तो वह ज्यादा एनर्जी के साथ काम करते हैं। प्रधानमंत्री की यह बात जींद में डीसी अमित खत्री पर एकदम सही साबित हो रही है। जब से युवा आईएएस अधिकारी अमित खत्री ने जींद में डीसी का पद संभाला है, उन्होंने अपनी युवा सोच और युवा जोश से जींद की सूरत बदलनी शुरू की है। पहली बार उन्हें किसी जिले में उपायुक्त के पद पर लगाया गया है। 2012 बैच के इस आईएएस अधिकारी ने तकनीकी रूप से जींद को प्रदेश के अग्रणी जिलों में शुमार करने में अपनी सारी एनर्जी लगाई है। इसी का नतीजा है कि जींद का तमान रैवेन्यू रिकार्ड अब कप्यूटराइज्ड होने जा रहा है। यह खुद में बहुत बड़ा ककाम है और इसे करवाने का मादा डीसी अमित खत्री ने दिखाया। इसी तरह जींद में जीआईएस लैब स्थापित होना भी युवा डीसी की सोच का नतीजा है। इस तरह की लैब वाला जींद प्रदेश का महज चौथा जिला है। जीआईएस लैब से जींद के विकास को नई गति मिलेगी। हाल ही में 30 लाख रूपए की लागत से बनी जीआईएस लैब को प्रदेश के मुख्य सचिव डीएस ढेसी ने जनता को समर्पित किया। जिले के ई-दिशा केंद्रों की सूरत बदलने जैसे बड़े कदम भी डीसी अमित खत्री ने उठाए हैं। कंप्यूटर लिटरेसी बस भी जल्द जींद में आ रही है। इसे भी डीसी अमित खत्री ने जींद जिले में रोजगार के लिए सबसे अहम मानते हुए जिला इनोवेशन फंड से इसके लिए लगभग 38 लाख रूपए की राशि का प्रावधान किया है। कंप्यूटर लिटरेसी बस को लेकर डीसी अमित खत्री का मानना है कि इससे रोजगार के अवसर बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी। अब रोजगार सरकारी या निजी, जिस भी क्षेत्र में चाहिए, इसके लिए कंप्यूटर लिटरेसी जरूरी है। 

शहर के कचरे से कम्पोस्ट खाद की योजना 
डीसी अमित खत्री ने शहर के गीले और ठोस कचरे से कम्पोस्ट खाद बनाने की योजना भी हाथ में ली है। गुरू ग्राम में नगर निगम के प्रशासक रहते अमित खत्री ने वहां कचरे से कम्पोस्ट खाद बनते देखी थी। लगभग 2 लाख की आबादी वाला जींद शहर हर रोज 80 टन ठोस और इससे कहीं ज्यादा गीला कचरा उगलता है। कचरे से कम्पोस्ट खाद बनाने को लेकर उन्होंने शहर के 2 वार्डो 14 और 16 में काम शुरू कर वा दिया है। यहां बनने वाली कम्पोस्ट खाद को कृषि और बागवानी विभाग को दिया जाएगा, ताकि वह इसका इस्तेमाल अपने प्लांटों में कर सकें । यह पायलट प्रोजैक्ट सफल रहता है तो फिर 15 अगस्त तक शहर के तमाम 31 वार्डो में कचरे से कम्पोस्ट खाद बनाकर उसे किसानों को बेचना शुरू किया जाएगा। इस योजना को लेकर डीसी अमित खत्री का कहना है कि शहर के कचरे का इससे बेहतर इस्तेमाल नहीं हो सकता। दक्षिण भारत में कुछ जगह कचरे का कम्पोस्ट खाद बनाने के लिए इस्तेमाल हो रहा है। इससे एक तो पर्यावरण साफ रहता है और दूसरे गंदगी भी नहीं फैलती। तीसरा फायदा यह है कि खेतों और बागों के लिए कम्पोस्ट खाद उपलब्ध हो जाती है। 
2 साल से भी ज्यादा समय से अधर में लटकी सीसीटीवी लगाने की योजना को चढ़ाया सिरे
2 लाख की आबादी वाले जींद शहर को सुरक्षा के लिए तीसरी आंख की पहरेदारी में लाने की योजना 2 साल से भी ज्यादा समय से अधर में लटकी हुई थी, जब मुकेश देवी नगर परिषद की प्रधान थी, तब शहर में 50 सीसीटीवी कैमरे अहम और संवेदनशील स्थानों पर लगाए जाने की योजना बनी थी। इस योजना की फाइल 2 साल से भी ज्यादा समय तक धूल फांकती रही। अब डीसी अमित खत्री ने इस अहम फाइल को खंगालते हुए इसकी धूल हटाई। योजना की तमाम खामियों को दूर किया और सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए लगभग 4 करोड़ रूपए की राशि को मंजूरी दिलवाई। 4 करोड़ रूपए की लागत से शहर के 20 चौराहों पर हाई क्वालिटी के 80 सीसीटीवी कैमरे लगेंगे। इससे अपराध रोकने में मदद मिलेगी और शहर की सुरक्षा मजबूत होगी। पुलिस को भी इससे काफी मदद अपराध रोकने में मिलेगी। 

सेहतमंद रहना है तो खाना सीखो और भोजन में करो सुधार

 500 से ज्यादा लोगों को दिया स्वस्थ रहने का यह मूल मंत्र
नैचुरल लाइफ स्टाइल संस्था ने हिंदू कालेज में लगाया शिविर
जींद
सेहतमंद रहना है और बीमारियों से खुद को और अपने नजदीकियों को दूर रखना है तो खाना सीखो और अपने भोजन में सुधार करो। यह करने से सेहत बनती है और पैसा बचता है। 

यह मूल मंत्र दिया रविवार को नैचुरल लाइफ स्टाइल संस्था ने। इस संस्था ने रविवार को जींद के हिंदू कन्या कालेज में नैचुरल लाइफ स्टाइल पर एक शिविर का आयोजन किया। शिविर में संस्था के आचार्य मोहन गुप्ता खुद दिल्ली के रोहिणी से चलकर पहुंचे। हिंदू कन्या कालेज के बृजमोहन सिंगला मैमोरियल आडिटोरियम हाल में 500 से ज्यादा लोग शिविर में भाग लेने के लिए पहुंचे थे। लगभग खचाखच भरे इस आडिटोरियम हाल में आचार्य मोहन गुप्ता ने लोगों को खाना सीखो, भोजन में सुधार करो का मूलमंत्र देते हुए कहा कि यह करने से ही स्वस्थ रहा जा सकता है। इसमें उन्होंने कहा कि बिना दवा जीवन जीने की कला यह है कि आपके भोजन में नींबू, मिर्च और नमक का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। नमक को लेकर उन्होंने कहा कि केवल सेंधा नमक और वह भी बेहद कम मात्रा में भोजन में लिया जाए। आचार्य मोहन गुप्ता ने कहा कि भोजन पूरी तरह चबाकर खाना चाहिए। जो लोग जल्दी में और बिना चबाए भोजन करते हैं, वह कई तरह की बीमारियों को खुद न्यौता देते हैं। आचार्य मोहन गुप्ता ने लोगों को बताया कि कैसे भोजन में सुधार किया जाए और भोजन कैसे लेना चाहिए। इन 2 बातों में ही उन्होंने स्वस्थ जीवन के तमाम सार बताते हुए कहा कि जो व्यक्ति इस नैचुरल लाइफ स्टाइल को अपना लेगा, वह बीमारियों और डाक्टरों से सदा दूर रहेगा। 

बोला ही नहीं, करके भी दिखाया
हिंदू कन्या कालेज में आयोजित नैचुरल लाइफ स्टाइल शिविर में आचार्य मोहन गुप्ता और यहां इसके आयोजक रामबिलास मित्तल आदि ने खाना सीखो और भोजन में सुधार करो को लेकर केवल मंच से बोला ही नहीं बल्कि इसे करके भी दिखाया। शिविर में पहुंचे लोगों के लिए खीरा, ककड़ी, टमाटर, कच्चा नारियल, हरा धनिया का सलाद बनाकर खिलाया गया। इसमें दिखाया गया कि सलाद किस तरह बनाया जाए। उसे किस तरह से खाया जाए। इसी तरह नैचूरल स्टाइल का भोजन भी तैयार करवाया गया। यह भोजन किस तरह से बना और इसे किस तरह से खाया जाए, इसे लेकर भी शिविर में आए लोगों को पूरी जानकारी दी गई। इस शिविर में भाग लेने के बाद कई लोगों ने कहा कि उन्हें पहली बार यह पता चला है कि जिस भोजन को वह पौष्टिक मानकर ले रहे थे, उसमें जहर भी रहता है। अब इस जहर से बचने की जानकारी शिविर के माध्यम से उन्हें मिली है। सफीदों रोड पर सुजूकी शोरूम के संचालक अनिल जैन ने कहा कि पहली बार उन्हें यह पता चला कि भोजन कैसा हो और उसे कैसे खाया जाए। अब तक भोजन को लेकर जो चल रहा था, वह सही नहीं था। इस तरह के शिविर लगातार लगते रहने चाहिएं। हिंदू कन्या कालेज के प्रधान अंशुल सिंगला ने भी कहा कि शिविर में स्वस्थ जीवन के बारे में अहम जानकारी मिली। भोजन कैसा हो और कैसे खाया जाए, इसी में सब कुछ है। पता पहली बार चला है। 
रामबिलास मित्तल ने कहा, नैचुरल लाइफ स्टाइल से बची जिंदगी
इस शिविर के आयोजक रामबिलास मित्तल ने कहा कि उन्हें दिल की बीमारी थी। साथ में शुगर भी थी। 2 बार वह स्टंट डलवा चुका था और डाक्टरों ने तीसरी बार फिर स्टंट डलवाने के लिए बोल दिया था। आचार्य मोहन गुप्ता के नैचुरल लाइफ स्टाइल के जरिये उन्होंने भोजन में सुधार किया और भोजन कैसे लिया जाए, इसे जाना तो तीसरी बार स्टंट डलवाने की नौबत नहीं आई। अब वह सामान्य जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने केवल अपने भोजन में सुधार किया और खाना खाने का सही तरीका जाना। 

Wednesday, 17 January 2018

जरूरत से ज्यादा जल सेहत के लिए घातक : डा. अरोड़ा

शुगर, बीपी के मरीजों को लंबी उम्र चाहिए तो कम से कम पानी लें

जींद : स्वस्थ रहने को लेकर आम धारणा यह है कि ज्यादा से ज्यादा जल गटका जाए। ज्यादा से ज्यादा पानी पीने को स्वस्थ रहने के लिए बहुत जरूरी बताया जा रहा है। इस धारणा के ठीक विपरीत दिल्ली के गंगाराम अस्पताल के सीनियर कन्सलटैंट एमडी (आयुष) गोल्ड मैडलिस्ट और शोधकर्ता डा. परमेश्वर अरोड़ा का यह कहना है कि शरीर की जरूरत से ज्यादा जल सेहत के लिए घातक है। शुगर और हाई बीपी के मरीजों को लंबी उम्र चाहिए तो वह कम से कम पानी लें। इसके लिए डा. अरोड़ा वेदों और चरक को आधार बता रहे हैं। वह अब तक अपनी इस थ्यूरी को लेकर कई यूरोपिय देशों और चाइना आदि में अपनी बात रख चुके हैं। पिछले डेढ़ साल में अपनी इस मुहिम पर वह अपनी जेब से लगभग 28 लाख रूपए की राशि लोगों को जल के सेवन को लेकर जागरूक करने पर खर्च कर चुके हैं। डा. परमेश्वर अरोड़ा मंगलवार को इस सिलसिले में जींद पहुंचे। उन्होंने लोक निर्माण विश्राम गृह में इस मसले पर अपनी बात बेहद प्रभावशाली तरीके से रखते हुए कहा कि आज जहां संपूर्ण विश्व स्वास्थ्य लाभ के लिए अधिक से अधिक जल पीने की वकालत कर रहा है वहीं अपने पौराणिक वेदों एवं आयुर्वेद के विस्तार से अध्ययन करने पर बहुत ही हैरान कर देने वाला तथ्य सामने आता है। डा. अरोड़ा ने कहा कि सभी शास्त्र एक मत होकर अच्छे स्वास्थ्य के लिए किसी भी व्यक्ति को न्यूनतम पर्याप्त मात्रा में ही जल पीने का निर्देश देते हैं। साथ ही अनेकों ऐसे रोग भी हैं, जहां जल सेवन को निषेध करते हुए असहनीय होने पर ही जल अल्प मात्रा में पीने का विधान बतलाया गया है। स्पष्ट है कि जल सेवन को लेकर आधुनिक विचार एवं शास्त्रोक्त निर्देषों में विरोधाभास देखने को मिलता है।
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आज कल कहा जाता है, कि यदि पेट की बीमारियों जैसे कब्ज, एसिडिटी एवं गैस आदि को ठीक करना है तो खूब पानी पियो। शरीर का विशुद्धिकरण करना है तो खूब पानी पियो। पेशाब में जलन होती हो तो खूब पानी पियो। मोटापा कम करना है तो खूब पानी पियो। डा. अरोड़ा ने कहा कि इन परिस्थितियों में अपनी शक्ति एवं जरूरत से बढ़ाकर पिया गया पानी कैसे मदद करता है, इसकी कोई वैज्ञानिक विवेचना पढऩे या सुनने को नहीं मिल पाती। उन्होंने कहा कि इसके विपरीत, आयुर्वेद शास्त्रों के अनुसार इन परिस्थितियों में जल का अधिक मात्रा में सेवन शरीर को लाभ नहीं बल्कि नुकसान पंहुचाता है। पेट के सभी रोग कब्ज, एसिडिटी इत्यादि पाचक अग्नि की मंदता के कारण उत्पन्न होते हैं। अत: इन रोगों में पाचक अग्नि को बढ़ा कर ही इन रोगों से पूर्ण मुक्ति पाई जा सकती है। डा. अरोड़ा ने ज्यादा जल पीने की वकालत करने वालों से सवाल किया कि ऐसे में अग्नि के प्रबल विरोधी जल का अत्याधिक प्रयोग, कैसे हमारे अग्नि बल को बढ़ाएगा और कैसे हमें इन बीमारियों से मुक्ति दिलाएगा। कहीं ऐसा तो नहीं कि इन रोगों में क्षणिक लाभ के लिए लिया गया अत्याधिक पानी ही, पेट के इन सामान्य रोगों को कभी नहीं ठीक होने वाले असाध्य रोग बना देता हो।
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प्यास लगने पर भी एक साथ अधिक जल का सेवन बना सकता है आपको रोगी
डा. अरोड़ा ने कहा कि आयुर्वेद के अनुसार किसी भी स्वस्थ व्यक्ति को ग्रीष्म (मई मध्य से जुलाई मध्य तक का समय) एवं शरद ऋतु (सितम्बर मध्य से नवम्बर मध्य तक का समय) में सामान्य मात्रा में तथा शेष अन्य ऋतुओं में न्यूनतम पर्याप्त मात्रा में जल पीना चाहिए। प्यास लगने पर भी एक साथ अधिक मात्रा में जल पीने की प्रवृति यदि किसी व्यक्ति की होती है तो पिया गया यह जल पित्त एवं कफ  रोगों जैसे अपच, आलस्य, पेट का फूलना, जी मिचलाना, उल्टी लगना, मुंह में पानी आना, शरीर में भारीपन और यहां तक की खांसी, जुकाम एवं श्वास के रोग को उत्पन्न करता है। विशेषत: बुखार के रोगी को तो बहुत ही संयम के साथ अल्प मात्रा में बार-बार गरम पानी का ही सेवन करना चाहिए।
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शुगर, बीपी के मरीजों के लिए जरूरत से ज्यादा जल घातक
डा. अरोड़ा ने कहा कि शुगर और बीपी के मरीजों के लिए जरूरत से ज्यादा जल घातक साबित हो सकता है। ऐसे मरीजों के दिल पर जो दबाव बनता है, उसे शरीर पेशाब के रूप में बाहर निकालता है और ऐसे मरीज अगर जरूरत से ज्यादा जल का सेवन करेंगे तो उनकी दिक्कत निश्चित रूप से बढ़ेगी। बाक्स
सही विधि से लिया गया जल ही अमृत अन्यथा शरीर के लिए विष के बराबर 
डा. अरोड़ा का मानना है कि शास्त्रों के अनुसार जल को अकेले लिया जाए या औषधियों से सिद्ध करके लिया जाए, उबाल कर लिया जाए अथवा शीतल लिया जाए, या सिर्फ  गरम करके लिया जाए, शरीर की अवस्था के अनुसार ऐसा विचार करके, सही मात्रा में, सही समय पर एवं सही विधि से लिया गया जल अमृत के समान गुणकारी होता है अन्यथा शरीर में विषाक्तता को उत्पन्न करता है। स्पष्ट है कि आयुर्वेद में गलत विधि से पिए गए जल को विष तक की संज्ञा दी गई है।
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अधिक जल सेवन से शरीर में पेट के रोग, मधुमेह, रक्तचाप, एवं किडनी इत्यादि से संबंधित अनेक रोग होने का खतरा 
डा. अरोड़ा के अनुसार आयुर्वेद यह मानता है कि अधिक जल के सेवन से शरीर में पेट के रोग, मधुमेह, रक्तचाप, एवं किडनी इत्यादि से संबंधित अनेक रोग उत्पन्न हो सकते हैं। अधिक जल सेवन किस प्रकार से शरीर में मधुमेह, रक्तचाप, किडनी की बीमारी इत्यादि में कारण बन सकता है और कैसे शरीर के अन्य अंगो कों नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है, इसका ‘जल-अमृत या विष?’ नामक पुस्तक में आयुर्वेदिक एवं आधुनिक आधार पर विस्तार से स्पष्टीकरण दिया गया है। 
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जरूरत के अनुसार पानी लिया जाए तो हर रोज बच सकता है देश में 1500 करोड़ लीटर पानी 
डा. अरोड़ा का कहना है कि देश की 25 प्रतिशत जनता भी अगर शरीर की जरूरत के अनुसार पानी पीना शुरू करे तो हर रोज लगभग 1500 करोड़ लीटर पानी बचाया जा सकता है। इससे जल संरक्षण तो होगा ही, साथ ही लोग बीमार भी नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि 150 साल तक भारत के लोगों ने विदेशियों का स्वास्थ्य के मामले में अनुकरण किया है। नतीजा यह है कि देश के लोगों के स्वास्थ्य और शारीरिक ताकत का लेवल शून्य पर आ गया है। महाराणा प्रताप जैसे बली और महारानी लक्ष्मीबाई जैसी ताकतवर महिलाएं अब देश में नहीं हैं। उस समय न तो बड़े चिकित्सक थे और न ही बड़े अस्पताल थे।  केवल खान-पान और शारीरिक मेहनत से ही लोग स्वस्थ रहते थे। आयुर्वेद और चरक जैसे ग्रंथों में स्वस्थ रहने के जो तरीके बताए गए थे, केवल उन्हीं का पालन वह लोग करते थे। अब समय आ गया है कि भारत के लोग स्वस्थ रहने और खासकर स्वस्थ रहने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की विदेशियों की बातों में नहीं आकर आयुर्वेद और चरक जैसे ग्रंथों को मानें और शरीर की जरूरत के अनुसार ही जल का सेवन करें। 

Thursday, 4 January 2018

भाग दौड़ की जिंदगी में सबकुछ डिस्आर्डर

तनावपूर्ण जिंदगी दे रही साइको को जन्म
गजेटस, महत्वकांक्षा, एकाकीपन मुख्य कारण

जींद
भाग दौड़ की जिदंगी तनावपूर्ण हो गई है। जिसके चलते मनुष्य हर समय तनाव में रहता है। यदि समय रहते काबू न किया जाए तो एक समय के बाद मानसिक विकार या मेंटल हेल्थ डिस्ऑर्डर में तब्दील हो जाता है। मानसिक स्वास्थ्य के अंतर्गत कई तरह के विकार आते हैं। जो व्यक्ति के व्यक्तित्व को पूरी तरह प्रभावित करते हैं। बीमारी में तब्दील होने पर व्यक्तित्व साइको हो जाता है। जिसमे दिमागी तौर पर निर्णय लेने की क्षमता समाप्त हो जाती है और व्यवहार भी अजीब हो जाता है। साइको व्यक्ति को पता नहीं चल पाता की वह क्या कदम उठा रहा है। आंतरिक रूप से शक करना, फिर हिंसक हो जाना साइको के लिए आम बात है। जिसके लिए हालात, परिस्थितियां, स्टेटस, बीमारी समेत सामाजिक पहलू मुख्य कारण हैं। तनावपूर्ण जिंदगी में 100 में से 60 व्यक्ति मानसिक विकार से ग्रस्त हो चुके हैं। बढ़ते मानसिक बीमारी के चलते विश्व स्वास्थ्य संगठन दस अप्रैल से एक वर्ष के लिए डिप्रेशन वर्ष के रूप में मना रही है। ताकि लोग मानसिक रूप से स्वस्थ रहें। पलवल में सेवानिवृत लेफ्टिनेंट द्वारा छह लोगों की हत्या उसी बीमारी का कारण रही है। 
लाइफ में बढ़ा टेक स्ट्रेस
लाइफ स्टाइल में टेक स्ट्रेस की बीमारी बढ़ी है। भाग दौड़ की जिंदगी, जीवन शैली, खान-पान, रहन सहन में बदलाव का सीधा असर दिमाग पर पड़ता है। जिसके चलते तनाव बहुत ज्यादा बढ़ गया है। जीवनशैली में हुए बदलाव से एकाकी जीवन में बढ़ा है। जिससे व्यक्ति समाज तथा परिवार से दूर होता जा रहा है। जिसके परिणामस्वरूप डिसऑर्डर के हालात पैदा हो रहे हैं। आज की जीवनशैली में गैजेट्स की अहमियत को नकारा नहीं जा सकता है। बेसिक जरूरतों के लिए मोबाइल फोन व लैपटॉप का इस्तेमाल हर किसी की जरूरत बन गया है। गैजेट्स से निकलने वाली सूक्ष्म तरंगें कॉर्टिकल दिमाग की कार्य प्रणाली पर गंभीर असर डालती हैं। जिससे दिमाग की तर्क क्षमता भी प्रभावित होती है। इससे मन में तनाव होने लगता है, जिसे टेक स्ट्रेस का नाम दिया गया है और अनेक मानसिक विकार पैदा हो जाते हैं जो बाद में मानसिक बीमारी में तब्दील हो जाते हैं। 
मेंटल हेल्थ डिस्ऑर्डर के प्रकार  
1. अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिस्ऑर्डर  
इस डिस्ऑर्डर में व्यक्ति का मन काम में नहीं लगता है, या तो वह जरूरत से ज्यादा एक्टिव दिखेगा या एकदम नीरस। ऐसा व्यक्ति अकेले बैठकर घंटों बिता सकता है। ऐसा अधिकतर बच्चों में होता है जो कि बड़े होने तक भी बना रह सकता है।
2. एंजायटी या पैनिक डिस्ऑर्डर 
ऐसा व्यक्ति किसी घटना विशेष के कारण आहत होता है जो कि दोबारा उससे संबंधित चीजों या स्थान को देखने पर अनियंत्रित व्यवहार करता है।
3. बाईपोलर डिस्ऑर्डर  
यह एक लंबे समय तक बने रहने वाला डिस्ऑर्डर है। बचपन से ही किसी चीज को लेकर दुखी या परेशान रहना दिमाग में घर कर जाता है जो कि बड़े होने तक भी नहीं निकलता।
4. तनाव 
इसके तहत कई तरह की परिस्थितियां शामिल हैं। व्यक्ति के तनाव में रहने से उसके जीवन के प्रति नजरिया नीरस हो जाता है और किसी भी कार्य को करने में मन नहीं लगता।
5. सिग्जोफ्रिनिया 
यह डिस्ऑर्डर साधारण नहीं है। सिग्जोफ्रिनिया होने पर व्यक्ति को न होने वाली स्थितियों का भी आभास होता है। तरह-तरह की आवाजें सुनाई देती है। ऐसा व्यक्ति हर लोगों को शक की दृष्टि से देखता है। हालांकि कभी-कभी ऐसे व्यक्ति एकदम सामान्य व्यवहार करते हैं जिनसे इनकी बीमारी का पता लगाना भी मुश्किल होता है।
6. ईटिंग डिस्ऑर्डर 
इसके तहत व्यक्ति या तो बहुत ज्यादा खाता है या बहुत कम। कई लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें पतले होते हुए भी खुद के मोटे का शक होता है और वो लोग खाना बिल्कुल छोड़ देते हैं। ऐसे लक्षणों को एनोरेक्सिया नर्वोसा कहते हैं।
7. सोने और जगने से संबंधित डिस्ऑर्डर 
इस मानसिक विकार में व्यक्ति को लाख चाहने पर नींद नहीं आती। कई बार सोने के लिए नींद की गोलियों का इस्तेमाल करते हैं जो कि मस्तिष्क पर और भी नकारात्मक प्रभाव डालती हैं। इसके उलट कई व्यक्ति जरूरत से ज्यादा सोते हैं।
8. पर्सनेलिटी डिस्ऑर्डर 
इस डिस्ऑर्डर में व्यक्ति खुद को दूसरों से कमतर आंकता है। दूसरों के सामने आने में हिचक महसूस करता है। बात करने या साथ किसी कार्य को करने से सहज महसूस करता है। ऐसे व्यक्ति कई बार प्रतिभावान होते हुए भी अपना प्रतिभा को दूसरों के सामने नहीं ला पाते हैं।

मेंटल हेल्थ डिस्ऑर्डर के कारण 

मानसिक विकारों का आमतौर पर कोई एक खास कारण नहीं होता बल्कि इनके लिए बॉयोलॉजिकल, सायक्लॉजिकल और आसपास के वातावरण का प्रभाव जिम्मेदार होता है। यदि किसी को परिवार में मेंटल हेल्थ डिस्ऑर्डर हो तब भी यह उसकी अगली पीढ़ी में जाए ऐसा संभव है। बच्चे को किस माहौल में बड़ा किया गया है और उसके साथ कैसा व्यवहार रहा है यह सब भी व्यक्ति की आने वाली मेंटल इलनेस का कारण बनती है।
मेंटल हेल्थ डिस्ऑर्डर के लक्षण 
1. यदि व्यक्ति हमेशा निराश और हताश नजर आता हो।
2. अकेले रहने की आदत हो, किसी के आते ही व्यक्ति दूसरी जगह बदल लेता हो।
3. व्यक्ति का व्यवहार अचानक आक्रामक हो जाता हो।
4. किसी भी घटना पर इमोशन एक जैसे रहते हैं।
5. यदि कोई व्यक्ति हमेशा फेंटेसी मे रहता हो और रियलिटी न सुहाती हो।
6. खाने पीने की आदतें भी असंतुलित हों, या तो बहुत ज्यादा खाता हो या बिल्कुल कम।
मेंटल हेल्थ डिस्ऑर्डर के शारीरिक लक्षण 
1. एकदम से वजन का बढऩा या कम होना।
2. असामान्य खाने की आदतें।
3. महिलाओं में रक्त की कमी।
4. एंजायटी महसूस करना।
5. आंखें हमेशा सवाल करती हुई नजर आना।
6. चेहरा बुझा हुआ और बेजान नजर आना।
पहचानना है जरूरी
आज की व्यस्त व प्रतिस्पर्धा वाली जीवनशैली में बच्चों से लेकर बड़ों तक के मन पर अलग-अलग प्रकार का तनाव हावी रहता है। यहां इस बात पर ध्यान देना ज़रूरी है कि विभिन्न वजहों से उपजे तनाव को पहचानने व उसे दूर करने के तरीके भी अलग होते हैं। 
क्या हैं इसके लक्षण
1. गैजेट्स से जऱा भी दूरी बर्दाश्त न होना।
2. आसपास मोबाइल फोन न होने पर भी उसकी रिंगटोन या नोटिफिकेशन टोन सुनाई देना।
3. सोते समय भी फोन आसपास रखना या गाने सुनने, विडियो देखने की आदत होना। 
4. सिर में अकसर दर्द होना या बेचैनी महसूस होना।
5. हर समय रोगी को शक होता है कि परिजन और संगी-साथी रोगी के खिलाफ हैं और वे कोई साजिश रच रहे हैं।
6. रोगी को हर वक्त महसूस होता है कि सभी उसके बारे में बातें करते हैं या उसे घूर रहे हैं।
7. रोगी को ऐसा भी लगता है कि जैसे कुछ लोग उसके ऊपर जादू-टोना करवा रहे हैं या फिर उसके खाने में जहर मिलाया जा रहा है।
8. रोगी अपने पति या पत्नी के चरित्र व चाल-चलन पर बेबुनियाद ही शक करता है।
9. शक के चलते रोगी अपनों से ही कटा-कटा रहता है और अक्सर अपने बचाव में दूसरों के प्रति आक्रामक हो जाता है या बार-बार पुलिस को भी बुला लेता है।
10. शराब, गांजा, भांग व कोकीन का नशा करने से भी शक व वहम स्थायी रूप से पैदा हो जाता है।
क्या कहते हैं मनोरोग विशेषज्ञ
मनोरोग विशेषज्ञ डा. विकास फौगाट ने बताया कि आजकल जिंदगी तनावपूर्ण हो गई है। क्रिया कलापों को लेकर आदमी हर समय तनाव में रहता है। शुरू में मानसिक विकार होते हैं जो बाद में मानसिक बीमारी में बदल जाते हैं। मानसिक बीमारी मस्तिष्क में रसायनों की कमी के चलते भी होते हैं। ऐसी मानसिक बीमारियों पर दवाईयों तथा काऊंसलिंग से निपटा जा सकता है। मनो रोगी को तनावपूर्ण माहौल से दूर रखने तथा सौहार्दपूर्ण माहौल देकर ठीक किया जा सकता है। जिसमे योगा, मैडीटेशन तथा रहन सहन में बदलाव करना जरूरी है ओर एकांत से हटकर सामाजिक कार्यो में व्यस्त कर हालातों से निपटा जा सकता है। 


शहर में स्वच्छता को लेकर निकाली जागरूकता रैली

पैट्रोल पंप मालिकों ने शौचालयों को सार्वजनिक किया
शहर में स्वच्छता रैंकिंग सुधरने की जगी आस

जींद 
नगर परिषद द्वारा जींद जिला में स्वच्छता की रैंकिंग को सुधारने को लेकर अब सार्थक परिणाम सामने आने लगे हैं। नगर परिषद द्वारा चलाई जा रही मुहीम के तहत पैट्रोल पंप मालिकों ने शौचालयों को जहां सार्वजनिक कर दिया है वहीं पर पार्षदों के अलावा सामाजिक संगठनों का सहयोग भी नगर परिषद को मिल रहा है। बुधवार को नगर परिषद द्वारा जागरूकता रैली निकाली गई और इसमें भारी संख्या में सामाजिक संगठनों और गणमान्य लोगों ने भाग लिया। लोग शहर के बाजारों में स्वच्छता का संदेश देने वाली तख्तियां और अन्य प्रचार सामग्री हाथों में उठाए कदम से कदम मिलाकर चलते नजर आए। बुधवार को नगर परिषद द्वारा निकाली गई जागरूकता रैली का नेतृत्व नगर परिषद के ईओ डॉ. एसके चौहान, नगर परिषद की प्रधान पूनम सैनी के पति जवाहर सैनी और नगर परिषद के एमई सतीश गर्ग ने किया। जागरूकता रैली शहर के मुख्य बाजारों से गुजरी। रैली में शामिल लोगों ने दुकानदारों से स्वच्छता की अपील की। लोगों ने दुकानदारों को स्वच्छ मैप एप डाऊन लोड करने के लिए कहा। 

पैट्रोल पंप मालिकों ने शौचालयों को किया सार्वजनिक घोषित

नगर परिषद को स्वच्छता सर्वेक्षण में अधिक से अधिक दिलाने के लिए जींद के पैट्रोल पंप मालिकों ने अपना सहयोग दिया है। जींद के 16 पैट्रोल पंप मालिकों ने नगर परिषद को सूची भेजते हुए पैट्रोल पंपों पर बने शौचालयों को सार्वजनिक शौचालय घोषित किया है। इन पैट्रोल पंपों में पुराना हांसी रोड का अमी लाल जैन एंड कंपनी, जैन सर्विस स्टेशन, भिवानी रोड का मोती राम एंड सन्स, रोहतक रोड का मलिक पैट्रोल पंप, हांसी रोड का आईवीपी आटो सर्विस, राजकीय कालेज के पास का पैट्रो केयर, जिला जेल के पास का महेश कुमार एंड ब्रैदर्स, सफीदों गेट का एचपी मोहित पैट्रोल पंप, रोहतक रोड का चौधरी फिलिंग स्टेशन, रोहतक रोड बाईपास का हाईवे आटो सर्विस, पटियाला चौक के हांसी रोड का क्वालिटी फिलिंग स्टेशन, सफीदों रोड पर गोल्डन हट के पास का मामनराम चांदराम, हांसी रोड का रोहतक पैट्रो केयर, सफीदों रोड का भारद्वाज पैट्रोलियम, उधम सिंह मार्ग का महादेव पैट्रो शामिल हैं। इन पैट्रोल पंप संचालकों ने अपने पैट्रोल पंप पर सार्वजनिक शौचालय के बोर्ड भी लगाए हैं। 
स्वच्छता मैप एप पर तुरंत डाले गंदगी के फोटो 
जागरूकता रैली में शामिल लोगों ने दुकानदारों को स्वच्छता मैप एप के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने दुकानदारों को बताया कि स्वच्छता मैप एप किस प्रकार से डाऊन लोड किया जा सकता है और किस प्रकार से यह काम करता है। स्वच्छता मैप एप पर डाली गई फोटो पर कितने दिन में एक्षन होता है। यदि एक अधिकारी काम नहीं करता तो यह फोटो आगे किस-किस जगह तक जाता है। 
आज जींद पहुंचेगी स्वच्छता सर्वेक्षण की टीम
वीरवार को केंद्र सरकार की स्वच्छता सर्वेक्षण टीम जींद आएगी। लोगों के मिल रहे सहयोग के बाद नगर परिषद के अधिकारियों के हौंसले बुलंद हो गए हैं। धरातल से लेकर आन लाइन प्रयासों में भी आगे निकलने की कोशिश तेज हो गई है। नगर परिषद प्रशासन द्वारा अपनी तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। सामाजिक संस्थाओं के सदस्य भी अलग-अलग तरीकों से इस मुहिम को बल दे रहे हैं। लोगों को अब शहर की रैंकिंग सुधरने की पूरी आस बंधी है। 
इस साल अच्छी रैंकिंग लाने के प्रयास : डॉ. चौहान
नगर परिषद के ईओ डॉ. एसके चौहान ने कहा कि नगर परिषद ने अपनी ओर से अच्छी रैंकिंग लाने के लिए प्रयास तेज किए हैं। सामाजिक संगठनों और गणमान्य लोगों का सहयोग मिल रहा है। पैट्रोल पंप संचालकों ने भी अपना पूरा सहयोग नगर परिषद को दिया है। वीरवार को स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर टीम जींद आ रही है। उम्मीद है कि इस साल अच्छी रैंकिंग आएगी। नगर परिषद और लोगों द्वारा किए गए तमाम प्रयास रंग लाएंगे।

खुद को पर्यावरण के लिए महिला वकील ने कर दिया समर्पित

अब तक लगवा चुकी 177 त्रिवेणी जींद। महिला एडवोकेट संतोष यादव ने खुद को पर्यावरण की हिफाजत के लिए समर्पित कर दिया है। वह जींद समेत अब तक...