तनावपूर्ण जिंदगी दे रही साइको को जन्म
गजेटस, महत्वकांक्षा, एकाकीपन मुख्य कारण
जींद
भाग दौड़ की जिदंगी तनावपूर्ण हो गई है। जिसके चलते मनुष्य हर समय तनाव में रहता है। यदि समय रहते काबू न किया जाए तो एक समय के बाद मानसिक विकार या मेंटल हेल्थ डिस्ऑर्डर में तब्दील हो जाता है। मानसिक स्वास्थ्य के अंतर्गत कई तरह के विकार आते हैं। जो व्यक्ति के व्यक्तित्व को पूरी तरह प्रभावित करते हैं। बीमारी में तब्दील होने पर व्यक्तित्व साइको हो जाता है। जिसमे दिमागी तौर पर निर्णय लेने की क्षमता समाप्त हो जाती है और व्यवहार भी अजीब हो जाता है। साइको व्यक्ति को पता नहीं चल पाता की वह क्या कदम उठा रहा है। आंतरिक रूप से शक करना, फिर हिंसक हो जाना साइको के लिए आम बात है। जिसके लिए हालात, परिस्थितियां, स्टेटस, बीमारी समेत सामाजिक पहलू मुख्य कारण हैं। तनावपूर्ण जिंदगी में 100 में से 60 व्यक्ति मानसिक विकार से ग्रस्त हो चुके हैं। बढ़ते मानसिक बीमारी के चलते विश्व स्वास्थ्य संगठन दस अप्रैल से एक वर्ष के लिए डिप्रेशन वर्ष के रूप में मना रही है। ताकि लोग मानसिक रूप से स्वस्थ रहें। पलवल में सेवानिवृत लेफ्टिनेंट द्वारा छह लोगों की हत्या उसी बीमारी का कारण रही है।
लाइफ में बढ़ा टेक स्ट्रेस
लाइफ स्टाइल में टेक स्ट्रेस की बीमारी बढ़ी है। भाग दौड़ की जिंदगी, जीवन शैली, खान-पान, रहन सहन में बदलाव का सीधा असर दिमाग पर पड़ता है। जिसके चलते तनाव बहुत ज्यादा बढ़ गया है। जीवनशैली में हुए बदलाव से एकाकी जीवन में बढ़ा है। जिससे व्यक्ति समाज तथा परिवार से दूर होता जा रहा है। जिसके परिणामस्वरूप डिसऑर्डर के हालात पैदा हो रहे हैं। आज की जीवनशैली में गैजेट्स की अहमियत को नकारा नहीं जा सकता है। बेसिक जरूरतों के लिए मोबाइल फोन व लैपटॉप का इस्तेमाल हर किसी की जरूरत बन गया है। गैजेट्स से निकलने वाली सूक्ष्म तरंगें कॉर्टिकल दिमाग की कार्य प्रणाली पर गंभीर असर डालती हैं। जिससे दिमाग की तर्क क्षमता भी प्रभावित होती है। इससे मन में तनाव होने लगता है, जिसे टेक स्ट्रेस का नाम दिया गया है और अनेक मानसिक विकार पैदा हो जाते हैं जो बाद में मानसिक बीमारी में तब्दील हो जाते हैं।
मेंटल हेल्थ डिस्ऑर्डर के प्रकार
1. अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिस्ऑर्डर
इस डिस्ऑर्डर में व्यक्ति का मन काम में नहीं लगता है, या तो वह जरूरत से ज्यादा एक्टिव दिखेगा या एकदम नीरस। ऐसा व्यक्ति अकेले बैठकर घंटों बिता सकता है। ऐसा अधिकतर बच्चों में होता है जो कि बड़े होने तक भी बना रह सकता है।
2. एंजायटी या पैनिक डिस्ऑर्डर
ऐसा व्यक्ति किसी घटना विशेष के कारण आहत होता है जो कि दोबारा उससे संबंधित चीजों या स्थान को देखने पर अनियंत्रित व्यवहार करता है।
3. बाईपोलर डिस्ऑर्डर
यह एक लंबे समय तक बने रहने वाला डिस्ऑर्डर है। बचपन से ही किसी चीज को लेकर दुखी या परेशान रहना दिमाग में घर कर जाता है जो कि बड़े होने तक भी नहीं निकलता।
4. तनाव
इसके तहत कई तरह की परिस्थितियां शामिल हैं। व्यक्ति के तनाव में रहने से उसके जीवन के प्रति नजरिया नीरस हो जाता है और किसी भी कार्य को करने में मन नहीं लगता।
5. सिग्जोफ्रिनिया
यह डिस्ऑर्डर साधारण नहीं है। सिग्जोफ्रिनिया होने पर व्यक्ति को न होने वाली स्थितियों का भी आभास होता है। तरह-तरह की आवाजें सुनाई देती है। ऐसा व्यक्ति हर लोगों को शक की दृष्टि से देखता है। हालांकि कभी-कभी ऐसे व्यक्ति एकदम सामान्य व्यवहार करते हैं जिनसे इनकी बीमारी का पता लगाना भी मुश्किल होता है।
6. ईटिंग डिस्ऑर्डर
इसके तहत व्यक्ति या तो बहुत ज्यादा खाता है या बहुत कम। कई लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें पतले होते हुए भी खुद के मोटे का शक होता है और वो लोग खाना बिल्कुल छोड़ देते हैं। ऐसे लक्षणों को एनोरेक्सिया नर्वोसा कहते हैं।
7. सोने और जगने से संबंधित डिस्ऑर्डर
इस मानसिक विकार में व्यक्ति को लाख चाहने पर नींद नहीं आती। कई बार सोने के लिए नींद की गोलियों का इस्तेमाल करते हैं जो कि मस्तिष्क पर और भी नकारात्मक प्रभाव डालती हैं। इसके उलट कई व्यक्ति जरूरत से ज्यादा सोते हैं।
8. पर्सनेलिटी डिस्ऑर्डर
इस डिस्ऑर्डर में व्यक्ति खुद को दूसरों से कमतर आंकता है। दूसरों के सामने आने में हिचक महसूस करता है। बात करने या साथ किसी कार्य को करने से सहज महसूस करता है। ऐसे व्यक्ति कई बार प्रतिभावान होते हुए भी अपना प्रतिभा को दूसरों के सामने नहीं ला पाते हैं।
मेंटल हेल्थ डिस्ऑर्डर के कारण
मानसिक विकारों का आमतौर पर कोई एक खास कारण नहीं होता बल्कि इनके लिए बॉयोलॉजिकल, सायक्लॉजिकल और आसपास के वातावरण का प्रभाव जिम्मेदार होता है। यदि किसी को परिवार में मेंटल हेल्थ डिस्ऑर्डर हो तब भी यह उसकी अगली पीढ़ी में जाए ऐसा संभव है। बच्चे को किस माहौल में बड़ा किया गया है और उसके साथ कैसा व्यवहार रहा है यह सब भी व्यक्ति की आने वाली मेंटल इलनेस का कारण बनती है।
मेंटल हेल्थ डिस्ऑर्डर के लक्षण
1. यदि व्यक्ति हमेशा निराश और हताश नजर आता हो।
2. अकेले रहने की आदत हो, किसी के आते ही व्यक्ति दूसरी जगह बदल लेता हो।
3. व्यक्ति का व्यवहार अचानक आक्रामक हो जाता हो।
4. किसी भी घटना पर इमोशन एक जैसे रहते हैं।
5. यदि कोई व्यक्ति हमेशा फेंटेसी मे रहता हो और रियलिटी न सुहाती हो।
6. खाने पीने की आदतें भी असंतुलित हों, या तो बहुत ज्यादा खाता हो या बिल्कुल कम।
मेंटल हेल्थ डिस्ऑर्डर के शारीरिक लक्षण
1. एकदम से वजन का बढऩा या कम होना।
2. असामान्य खाने की आदतें।
3. महिलाओं में रक्त की कमी।
4. एंजायटी महसूस करना।
5. आंखें हमेशा सवाल करती हुई नजर आना।
6. चेहरा बुझा हुआ और बेजान नजर आना।
पहचानना है जरूरी
आज की व्यस्त व प्रतिस्पर्धा वाली जीवनशैली में बच्चों से लेकर बड़ों तक के मन पर अलग-अलग प्रकार का तनाव हावी रहता है। यहां इस बात पर ध्यान देना ज़रूरी है कि विभिन्न वजहों से उपजे तनाव को पहचानने व उसे दूर करने के तरीके भी अलग होते हैं।
क्या हैं इसके लक्षण
1. गैजेट्स से जऱा भी दूरी बर्दाश्त न होना।
2. आसपास मोबाइल फोन न होने पर भी उसकी रिंगटोन या नोटिफिकेशन टोन सुनाई देना।
3. सोते समय भी फोन आसपास रखना या गाने सुनने, विडियो देखने की आदत होना।
4. सिर में अकसर दर्द होना या बेचैनी महसूस होना।
5. हर समय रोगी को शक होता है कि परिजन और संगी-साथी रोगी के खिलाफ हैं और वे कोई साजिश रच रहे हैं।
6. रोगी को हर वक्त महसूस होता है कि सभी उसके बारे में बातें करते हैं या उसे घूर रहे हैं।
7. रोगी को ऐसा भी लगता है कि जैसे कुछ लोग उसके ऊपर जादू-टोना करवा रहे हैं या फिर उसके खाने में जहर मिलाया जा रहा है।
8. रोगी अपने पति या पत्नी के चरित्र व चाल-चलन पर बेबुनियाद ही शक करता है।
9. शक के चलते रोगी अपनों से ही कटा-कटा रहता है और अक्सर अपने बचाव में दूसरों के प्रति आक्रामक हो जाता है या बार-बार पुलिस को भी बुला लेता है।
10. शराब, गांजा, भांग व कोकीन का नशा करने से भी शक व वहम स्थायी रूप से पैदा हो जाता है।
क्या कहते हैं मनोरोग विशेषज्ञ
मनोरोग विशेषज्ञ डा. विकास फौगाट ने बताया कि आजकल जिंदगी तनावपूर्ण हो गई है। क्रिया कलापों को लेकर आदमी हर समय तनाव में रहता है। शुरू में मानसिक विकार होते हैं जो बाद में मानसिक बीमारी में बदल जाते हैं। मानसिक बीमारी मस्तिष्क में रसायनों की कमी के चलते भी होते हैं। ऐसी मानसिक बीमारियों पर दवाईयों तथा काऊंसलिंग से निपटा जा सकता है। मनो रोगी को तनावपूर्ण माहौल से दूर रखने तथा सौहार्दपूर्ण माहौल देकर ठीक किया जा सकता है। जिसमे योगा, मैडीटेशन तथा रहन सहन में बदलाव करना जरूरी है ओर एकांत से हटकर सामाजिक कार्यो में व्यस्त कर हालातों से निपटा जा सकता है।