तीन माह बाद भी नहीं शुरू हो पाया डीईआईसी की भवन का निर्माण
कैबिनों में होगा बच्चों का इलाज
अस्पताल के निरीक्षण के लिए 27 को जींद पहुंचेगी एनआरएचएम की टीम
लिपापोती में जुटा अस्पताल प्रशासन
जींद। स्वास्थ्य विभाग द्वारा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य योजना के तहत आंगनवाड़ी तथा सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले 0 से 18 वर्ष तक के बच्चों के मुफ्त इलाज की योजना पर सामान्य अस्पताल प्रशासन की लापरवाही का दंश लग चुका है। विभाग की योजना के तहत 0 से 18 वर्ष के बच्चों को मुफ्त उपचार देने के लिए सामान्य अस्पताल में स्थापित होने वाले डिस्ट्रिक अर्ली इंटरमेंशन सेंटर (डीईआईसी) की बिल्डिंग का निर्माण तीन माह बीत जाने के बाद भी शुरू नहीं हो पाया है। 27 मार्च को अस्पताल के निरीक्षण के लिए एनएचआरएम की टीम जींद पहुंच रही है। एनएचआरएम की टीम के जींद पहुंचने की सूचना मिलने पर अस्पताल प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। टीम के सामने अस्पताल प्रशासन की पोल नहीं खुले इसलिए अस्पताल प्रशासन लिपापोती पर लगा हुआ है। अपनी गलती पर पर्दा डालने के लिए अस्पताल प्रशासन द्वारा बिल्डिंग का निर्माण करने की बजाये अस्पताल के अंदर कमरों में ही अलग से कैबिन तैयार करवाए जा रहे हैं।
यह है स्वास्थ्य विभाग की योजना
स्वास्थ्य विभाग द्वारा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य योजना के तहत आंनवाड़ी तथा सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले 0 से 18 वर्ष तक के बच्चों को मुफ्त इलाज किया जाना है। इस योजना के तहत विभाग ने ब्लड कैंसर, ह्रदय रोग, कैंसर सहित 30 प्रकार की ऐसी गंभीर बीमारियों को अपनी सूची में शामिल किया है, जिनके उपचार पर मोटी रकम खर्च होती है। इस योजना को सफल बनाने के लिए जिले में प्रत्येक ब्लॉक पर मोबाइल टीमों का गठन किया गया है। यह टीमें बच्चों में बीमारी के लक्षण नजर आते ही पीएचसी तथा सीएचसी स्तर पर उनके उपचार की व्यवस्था करेंगी। यदि यहां पर उपचार संभव नहीं हो पाता है तो बच्चे को जींद के सामान्य अस्पताल में रैफर किया जाएगा। यदि बीमारी गंभीर है तो बच्चे को उपचार के लिए पीजीआई भेजा जाएगा। बच्चे की पर्ची बनवाने से लेकर बच्चे के उपचार तक की पूरी जिम्मेदारी इस टीम में शामिल सदस्यों की होगी।बिल्डिंग के निर्माण पर खर्च होने थी 10 लाख की राशि
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य योजना के तहत जींद के सामान्य अस्पताल में डीईआईसी सेंटर स्थापित किया जाना था। इस सेंटर में बच्चों के पर्ची बनाने से लेकर उपचार तक की सभी सुविधाएं मुहैया करवाई जानी थी। जिला स्तर पर निॢमत सैंटर पर 15 सदस्यों के स्टाफ की नियुक्ति की जानी है। इसमें डॉटा आप्रेटर, स्टाफ नर्स, लैब टैक्नीशियन, सोशल वर्कर से लेकर विशेषज्ञ तक की नियुक्ति की जानी थी। सेंटर की बिल्डिंग के निर्माण पर 10 लाख रुपए तथा डैकोरेशन पर लगभग दो लाख रुपए की राशि खर्च की जानी थी।लीपापोती में जुटा अस्पताल प्रशासन
सामान्य अस्पताल में 10 लाख की राशि से तैयार होने वाली डीईआईसी की बिल्डिंग के निर्माण के लिए लगभग तीन माह पहले विभाग द्वारा सामान्य अस्पताल प्रशासन को निर्देश जारी किए गए थे लेकिन अस्पताल प्रशासन द्वारा विभाग के निर्देशों पर कोई अमल नहीं किया गया। अब 27 मार्च को सेंटर के निरीक्षण के लिए एनआरएचएम की टीम अस्पताल का दौरा करेगी। टीम के दौरे की सूचना के बाद से अस्पताल प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। निरीक्षण के दौरान अपनी गलतियों पर पर्दा डालने के लिए अस्पताल प्रशासन लीपापोती में जुटा हुआ है। बिल्डिंग का निर्माण शुरू करवाने की बजाए अब अस्पताल प्रशासन ने अस्पताल के अंदर कमरों में ही इस सेंटर के लिए कैबिन बनाने शुरू कर दिए हैं। बिल्डिंग की बजाए अब अस्पताल प्रशासन द्वारा कैबिनों में बच्चों का इलाज किया जाएगा।सिविल सर्जन डॉ. दीपा जाखड़ से सीधे सवाल
सवाल : तीन माह पहले विभाग द्वारा निर्देश जारी किए जाने के बाद भी बिल्डिंग का निर्माण शुरू क्यों नहीं हो पाया?जवाब : यहां पर उनकी नियुक्ति अभी हुई है। उनके पास समय कम था और बिल्डिंग के निर्माण की प्रक्रिया लंबी थी, इसलिए उन्होंने फिलहाल डॉक्टरों के बैठने के लिए कैबिनों का निर्माण करवाया है।
सवाल : क्या बिल्डिंग की राशि से कैबिन तैयार करवाए जा रहे हैं?
जवाब : नहीं यह खर्च बिल्डिंग की राशि से अलग है।
सवाल : बिल्डिंग का निर्माण कब शुरू करवाया जाएगा?
जवाब : बिल्डिंग के निर्माण के लिए सम्बंधित विभाग के पास पत्र भेजा गया है। जल्द ही निर्माण शुरू करवा दिया जाएगा।
अस्पताल में डीईआईसी के लिए कमरों के अंदर ही तैयार करवाए जा रहे कैबिन। |
सामान्य अस्पताल में डीईआईसी की टीम के बैठने के लिए बनाए गए कैबिन। |
सामान्य अस्पताल में वह जगह जहां पर डीईआईसी की बिल्डिंग का निर्माण किया जाना था। |
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