जींद : डाइटीशियन विशेषज्ञ डॉ. रीतू राघव ने कहा कि विटामिन डी की कमी से अनेक रोग बढ़ रहे हैं, लेकिन लोग इसके प्रति कम जागरूक है। अब धूप से बचना ज्यादा पसंद किया जा रहा है। घर हो या दफ्तर लोग काम में व्यस्त रहते है और धूप में नहीं निकल पाते। बच्चों को भी बाहर खेलने कम भेजा जाता है। टीवी, इंटरनेट और मोबाइल गेम ने भी स्थिति बिगाड़ी है। वह शनिवार को पत्रकारों से बातचीत कर रही थी। विटामिन-डी की कमी एक आम समस्या है, लेकिन ज्यादातर लोगों को इसकी पर्याप्त जानकारी नहीं है। विटामिन-डी की कमी का कारण हड्डियों के रोग सहित कई अन्य घातक बीमारिया हो सकती है। विटामिन डी की कमी के लक्षण आमतौर पर बहुत विलंब से पता चलते हैं। यदि हम अपने आहार में विटामिन डी को शामिल करे तो इसके दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है। मासाहारी लोगों के लिए तो ये स्त्रोत पर्याप्त हैं, परंतु शाकाहारी लोगों द्वारा विटामिन-डी मिश्रित भोजन लेने से इस कमी को पूरा किया जा सकता है। विटामिन डी की सबसे ज्यादा आवश्यकता गर्भवती स्त्री व छोटे बच्चों को होती है। यदि उन्हे विटामिन डी उपलब्ध न कराया जाए तो गर्भ में पल रहे बच्चे तथा छोटे बच्चों की हड्डिया कमजोर पड़ सकती है। ऐसे में विटामिन डी को अपनी डाइट में अवश्य शामिल करना चाहिए। प्रमुख दवा कंपनी सिपला के जोन मैनेजर सुरेद्र सैनी ने कहा कि देश में 84 प्रतिशत लोग विटामिन डी की कमी से जूझ रहे है। इनमें भी तीन प्रतिशत लोग ही विटामिन डी की कमी पर जागरूक होकर इलाज पा रहे है। लोग बीमारी झेलते रहते है, लेकिन जाच नहीं करवाते। धूप विटामिन डी लेने का सबसे बेहतर जरिया है। हर दिन 11 बजे से तीन बजे के बीच कम से कम तीस मिनट भी शरीर के 40 प्रतिशत हिस्से को धूप दी जाए तो शरीर में विटामिन डी की पूर्ति हो सकती है। लोग भोजन तो खूब पौष्टिक लेते है, लेकिन विटामिन डी कितना उसमें है, इसके प्रति जागरूक नहीं है। दूध, मक्खन, मछली व मशरूम से कुछ मात्रा में विटामिन डी मिलता है, लेकिन इनका प्रयोग कम ही हो पाता है। धूप में ना निकल पाने वाले लोग बाजार से बेहतर दवाई भी विटामिन डी की पूर्ति के लिए ले सकते है। विटामिन डी की कमी का प्रभाव हर आयु वर्ग पर पड़ रहा है। औसतन शरीर में 30 नैनोग्राम विटामिन डी की जरूरत होती है। मानव शरीर में 20 से 30 नैनोग्राम विटामिन डी को नॉर्मल कमी माना जाती है जबकि 10 से 20 नैनोग्राम विटामिन डी होना नुकसानदायक है। सर्दियों के सीजन में ज्यादातर कमी होती है। इससे हड्डी व जोड़ों में दर्द, कमर दर्द, अस्थमा, कैंसर, डायबिटिज, मासपेशियों का खिंचाव, ऐंठन तथा थकान व कमजोरी जैसे रोग पैदा हो रहे है। इस अवसर पर लोकेश बंसल, दीपक, विशाल भास्कर आदि मौजूद थे।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
खुद को पर्यावरण के लिए महिला वकील ने कर दिया समर्पित
अब तक लगवा चुकी 177 त्रिवेणी जींद। महिला एडवोकेट संतोष यादव ने खुद को पर्यावरण की हिफाजत के लिए समर्पित कर दिया है। वह जींद समेत अब तक...
-
जींद। सनातन पद्धति के अनुसार नव संवत इस बार ख्फ् मार्च को आरां होगा। इस संवत का नाम विश्वावसु है। इस समय जप, पाठ, व्रत, ओहम आदि अनुष्ठान द...
-
जवानों को आदर्श पुलिसकर्मी बनने के लिए किया प्रेरित नशे से दूर रहने का किया आह्वान जींद एसएसपी डा. अरूण सिंह ने कहा कि शहीदों की शह...
-
नगर परिषद ने पॉलिथिन की रोक पर उठाया विशेष कदम अस्थायी नंदीशाला में भी पॉलिथिन खाने से हुई थी पशुओं की मौत पॉलिथिन सीवरेज ब्लॉक होने...
No comments:
Post a Comment