गौतस्करी को रोकने के लिए जिला प्रशासन द्वारा नहीं उठाए जा रहे हैं ठोस कदम
पिल्लूखेड़ा में तस्करी को अंजाम देते वक्त गौतस्करों ने गौरक्षकों पर बोला हमला
जींद। सर्दी की शुरूआत के साथ ही जिले में गौतस्करों ने भी दस्तक दे दी है। इसके लिए गौतस्करों ने जींद जिले को अपना निशाना बनाया है लेकिन जिला प्रशाासन ने अभी तक गौतस्करी को रोकने के लिए अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं। जिला प्रशासन की लचर कार्यप्रणाली के कारण ही गौरक्षक दल के सदस्य अपनी जानी की बाजी लगाकार गौतस्करी को रोकने के प्रयास में जुटे हुए हैं। जिला प्रशासन के सुस्त रवैये के कारण ही जिले में गौतस्करों के हौंसले इतने बुलंद हो चुके हैं कि वह उनका पीछा करने वालों को खुले में चुनौति देने से पीछे नहीं हटते हैं। ऐसा ही मामला सोमवार रात्रि पिल्लूखेड़ा कस्बे में सामने आया जब गौतस्करों ने पीछा कर रहे गौरक्षक दल के सदस्यों पर हमला कर घायल कर दिया। इस दौरान गौतस्करों ने गौरक्षक दल के सदस्यों की गाड़ी टाटा 407 को टक्कर मारकर क्षतिग्रस्त कर दिया और मौके से फरार हो गए।
गुरूकुल कालवा तथा राष्ट्रीय गौशाला धड़ौली के गौरक्षक सेवा दल के सदस्य सोमवार रात्रि पिल्लूखेड़ा क्षेत्र में गौतस्करों को पकडऩे के लिए क्षेत्र के अलग-अलग रास्तों पर घात लगाकर बैठे हुए थे। दल के सदस्य ब्रह्मचारी ज्ञानप्रकाश ने बताया कि इसी दौरान रात्रि साढ़े 12 बजे के करीब खेड़ी से रोड से बिना नंबर की एक सफेद रंग की पिकअप गाड़ी आई। इस गाड़ी में गौतस्कर 2 गायों को डाले हुए थे। जिसे वहां घात लगाकर बैठे उनके साथियों ने देख लिया और उन्होंने गौरक्षक दल के अन्य सदस्यों को इसी सूचना दी। इसके बाद उक्त गौतस्करों ने रेलवे फाटक के बाद गाड़ी खड़ी कर अन्य गायों को पकडऩे के लिए कार्रवाई शुरू कर दी। इसी बीच गौतस्करों को गौरक्षक दल के सदस्यों के आने की खबर लग गई। जब गौरक्षक दल के सदस्यों ने गौतस्करों की गाड़ी के सामने अपनी गाड़ी खड़ी की तो गौतस्करों ने उन पर हमला बोल दिया और अपनी गाड़ी से गौरक्षक दल की गाड़ी को टक्कर दे मारी। इस घटना में गौरक्षक दल की गाड़ी क्षतिगस्त हो गई तथा गौरक्षक दल के कई सदस्य जख्मी हो गए। इसके बावजूद जब गौरक्षक दल के सदस्यों ने गौतस्करों का पीछा किया तो गौतस्करों ने हवा में बंदूक लहराते हुए दल के सदस्यों को ललकारते हुए उन पर पत्थर बरसाने शुरू कर दिए और मौके से फरार हो गए। इस हमले में गौरक्षक दल के कई सदस्य जख्मी हो गए। गौरक्षक दल के सदस्यों ने बताया कि गौतस्करी को रोकने में उन्हें पुलिस प्रशासन की तरफ से भी कोई खास सहयोग नहीं मिलता। पुलिस प्रशासन के सुस्त रवैये के कारण ही जिले में गौतस्करों के हौंसले बुलंद हैं। जिसके चलते गौतस्कर आसानी से अपने काम को अंजाम देकर निकल जाते हैं। इसके बाद गौरक्षक दल के सदस्यों ने पिल्लूखेड़ा पुलिस को शिकायत देकर कार्रवाई की मांग की।
हैल्मेट ने बचाई जान
सोमवार रात्रि जब गौतस्कर गौरक्षक दल की गाड़ी को क्षतिग्रस्त कर अपनी पिकअप गाड़ी में बैठकर भाग रहे थे तो इसी दौरान गौरक्षक दल के कुछ सदस्यों ने बाइक पर गाड़ी का पीछा किया लेकिन उधर से गौतस्करों ने दल के सदस्यों पर पत्थर बरसाने शुरू कर दिए। इस दौरान गौतस्करों द्वारा फैंके गए पत्थरों में एक पत्थर बाइक चालक के सिर पर आकर लगा लेकिन गनीमत यह रही कि बाइक चालक ने हैल्मेट पहना हुआ था। पत्थर लगते ही हैल्मेट तो टूट गया लेकिन बाइक चालक जख्मी होने से बच गया।
गौतस्करों द्वारा क्षतिगस्त की गई गौरक्षक दल की गाड़ी। |
गौतस्करों द्वारा फैंके गए पत्थर। |
गौतस्करों द्वारा के साथ हुई झड़प में टूटे हैल्मेट को दिखाता गौरक्षक दल का सदस्य। |
विरोध जताते गौरक्षक दल के सदस्य। |
पूरे साज-बाज के साथ देते हैं तस्करी को अंजाम
गौतस्कर तस्करी के दौरान पूरे साज-बाज के साथ दस्तक देते हैं। इस दौरान वह हर प्रकार की परिस्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार रहते हैं। गौरक्षकों के साथ टक्कर लेने के लिए वह गाड़ी में पत्थर, डंड़े, बंदूक व अन्य हथियार भी रखते हैं। गौरक्षकों के साथ झड़प के दौरान गौतस्कर पत्थर व डंडे बरसाने के अलावा जरूरत पडऩे पर गोली चलाने से भी नहीं चुकते हैं।
लोकल रास्तों को बनाते हैं अपनी सीढ़ी
गौतस्करी को अंजाम देते वक्त गौतस्कर मुख्य रास्ते से जाने की बजाए लोकल रूट को अपनी सीढ़ी बनाते हैं। ताकि लोकल रास्ते से गुजरते वक्त वह पुलिस व गौरक्षकों की नजरों से बचकर निकल सकें। जींद व पिल्लूखेड़ा से गौतस्करी के बाद गौतस्कर भूरायण, कालवा, कलावती के लोकल रास्ते निकल कर पानीपत या गोहाना निकल कर मेवात का रूख करते हैं।
तस्करी से पहले मुखबीर से लेते हैं पूरी जानकारी
गौतस्कर तस्करी को अंजाम देने से पहले वहां के नुमाइंदे को कुछ पैसे देकर अपना मुखबीर तैयार करते हैं। उसके बाद वह मुखबीर गौतस्करों को गायों के बैठने के ठिकानों व गायों की तादत के बारे में पूरी जानकारी देता है। इसके अलावा वहां से निकलने के सभी रास्तों से भी अवगत करवाता है। मुखबीर की सक्रीयता के कारण ही गौतस्कर आसानी से बच निकलते हैं।
गाय को गाड़ी में डालने से पहले करते हैं बेहोश
गौरक्षक दल के सदस्यों ने बताया कि गौतस्कर गायों को गाड़ी में डालने से पहले बेहोशी का इंजैक्शन लगाकर बेहोश कर देते हैं। इसके बाद हाथों पर गरीश लगाते हैं, ताकि गाय को गाड़ी में डालते वक्त हाथ फिसले नहीं और पकड़ मजबूत बन सके। इस प्रकार गौतस्कर गाय को बेहोश कर आसानी से तस्करी की घटना को अंजाम देते हैं।
कठोर कानून की है जरूरत
राष्ट्रीय गौशाला धड़ौली के प्रधान सुधार देशवाल ने बताया कि जब तक गौतस्करी को रोकने के लिए काठोर कानून की जरूरत है। जब तक कठोर कानून नहीं बनाया जाएगा तब तक गौतस्करों पर पूरी तरह से नकेल नहीं डाली जा सकती।
No comments:
Post a Comment