जिला कारागार में लगी खेती की पाठशाला, कैदियों व बंदियों को पढ़ाया कीट ज्ञान का पाठ
कारागार में देश की पहली महिला किसान खेत पाठशाला के आयोजन से जींद कारागार के इतिहास में जुड़ा एक नया अध्याय
जींद। कीट ज्ञान में माहरत हासिल कर चुकी ललीतखेड़ा, निडाना व निडानी गांव की कीटों की मास्टरनियां एक दिन के लिए जेल में गई। कीटों की मास्टरनियों ने जिला कारागार में एक दिन के लिए किसान खेत पाठशाला लगाई और यहां कैदियों व बंदियों को कीट ज्ञान क पाठ पढ़ाया। कारागार के अंदर डा. सुरेंद्र दलाल किसान खेत पाठशाला के आयोजन तथा फसलों में मौजूद मांसाहारी और शाकाहारी कीटों के बारे में इतनी बारिकी से जानकारी हासिल कर बंदी भी काफी खुश थे। वहीं जींद की जिला कारागार में देश की पहली महिला किसान खेत पाठशाला के आयोजन से जींद की जिला कारागार के इतिहास में भी एक नया अध्याय जुड़ गया। महिला किसान खेत पाठशाला का शुभारंभ जेल अधीक्षक डा. हरीश कुमार रंगा ने किया। इस अवसर पर कृषि विभाग के उप-निदेशक डा. रामप्रताप सिहाग, जिला उद्यान अधिकारी डा. बलजीत भ्याण, ए.डी.ओ. कमल सैनी, डा. सुरेंद्र दलाल की पत्नी कुसुम दलाल, बराह तपा के प्रधान कुलदीप ढांडा, ढुल खाप के प्रतिनिधि इंद्र सिंह ढुल, दलीप सिंह चहल, राजबीर कटारिया, अक्षत दलाल जेल के उप-अधीक्षक सेवा सिंह व नरेश गोयल भी विशेष रूप से मोजूद थे।
महिला किसान अंग्रेजो ने बताया कि आज फसलों पर अंधाधुंध कीटनाशकों के इस्तेमाल से हमारा खान-पान जहरीला हो रहा है। फसलों पर कीटनाशकों का अधिक प्रयोग होने से कीट तो अपने वंश को बचाने के लिए अपनी शारीरिक शक्ति को बढ़ा रहे हैं लेकिन मनुष्य के शरीर में हर रोज जहरयुक्त खाद्य पदार्थों जाने के कारण मनुष्य शारीरिक रूप से कमजोर हो रहा है। अंग्रेजो ने बताया कि वह वर्ष 2010 से इस पाठशाला के साथ जुड़ी हुई हैं और जब से उन्हें कीटों की पहचान हुई है तब से उन्होंने फसलों में कीटनाशकों का इस्तेमाल पूर्ण रूप से बंद कर दिया है और पिछले इन 3 सालों में उसने बिना कीटनाशकों का इस्तेमाल किए अच्छा उत्पादन लिया है। सविता ने बताया कि किसान खेत पाठशालाओं के दौरान वह 206 किस्म के मांसाहारी और शाकाहारी कीटों की पहचान कर चुके हैं। इनमें 43 किस्म के कीट शाकाहारी तथा 163 किस्म के कीट मांसाहारी हैं। मांसाहारी कीटों की संख्या ज्यादा होने के कारण मांसाहारी कीट शाकाहारी कीटों को खुद ही कंट्रोल कर लेते हैं। इसलिए कीटों को मारने की नहीं बल्कि उनको समझने तथा परखने की जरुरत है। कीटाचार्य मनबीर रेढ़ू ने बताया कि आज देश में कीटनाशकों का 8 से 10 हजार करोड़ रुपए का कारोबार होता है और यह कारोबार भय व भ्रम के बलबूते पर चलाया जाता है। पहले तो पेस्टीसाइड कंपनियां किसानों को भिन्न-भिन्न किस्म के कीट दिखाकर किसानों को भ्रमित करती हैं और उसके बाद उन कीटों के नुक्सान का झूठा प्रचार कर किसानों को भयभीत किया जाता है।
90 प्रतिशत मां का दूध भी हो चुका है जहर युक्त
जेल अधीक्षक डा. हरीश कुमार रंगा ने कहा कि कीटनाशकों के बिना खेती संभव है, लेकिन कीटों के बिना खेती असंभव है। उन्होंने कहा कि खेती में अंधाधुंध कीटनाशकों एवं खाद के प्रयोग से खाने की थाली पूरी तरह से जहर युक्त हो गई है। इसके कारण आदमी की औसतन आयु कम हो रही है। उन्होंने एक पत्रिका में छपे एक लेख का हवाला देते हुए कहा कि आज मां का दूध भी 90 प्रतिशत जहर युक्त हो चुका है। इस मुख्य कारण फसलों के उत्पादन बढ़ाने के लिए अत्याधिक कीटनाशकों का प्रयोग होना है। रंगा ने कीटज्ञान का अभियान चलाने वाले स्व. डा. सुरेन्द्र दलाल की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह हमारे जिले का सौभाग्य है कि हमें ऐसे व्यक्ति की प्रेरणा मिली, जिससे भविष्य में पूरी दुनिया अनुसरण करेगी। डा. रंगा ने कहा कि आज तक पूरे देश में कहीं भी इस तरह महिलाओं ने बंदियों को जहर मुक्त खेती के टिप्स नहीं दिए।76 लाख लोग कैंसर के कारण बनते हैं काल का ग्रास
जेल अधीक्षक को स्मृति चिहन भेंट करती मैडम कुसुम दलाल |
No comments:
Post a Comment