Wednesday, 17 January 2018

जरूरत से ज्यादा जल सेहत के लिए घातक : डा. अरोड़ा

शुगर, बीपी के मरीजों को लंबी उम्र चाहिए तो कम से कम पानी लें

जींद : स्वस्थ रहने को लेकर आम धारणा यह है कि ज्यादा से ज्यादा जल गटका जाए। ज्यादा से ज्यादा पानी पीने को स्वस्थ रहने के लिए बहुत जरूरी बताया जा रहा है। इस धारणा के ठीक विपरीत दिल्ली के गंगाराम अस्पताल के सीनियर कन्सलटैंट एमडी (आयुष) गोल्ड मैडलिस्ट और शोधकर्ता डा. परमेश्वर अरोड़ा का यह कहना है कि शरीर की जरूरत से ज्यादा जल सेहत के लिए घातक है। शुगर और हाई बीपी के मरीजों को लंबी उम्र चाहिए तो वह कम से कम पानी लें। इसके लिए डा. अरोड़ा वेदों और चरक को आधार बता रहे हैं। वह अब तक अपनी इस थ्यूरी को लेकर कई यूरोपिय देशों और चाइना आदि में अपनी बात रख चुके हैं। पिछले डेढ़ साल में अपनी इस मुहिम पर वह अपनी जेब से लगभग 28 लाख रूपए की राशि लोगों को जल के सेवन को लेकर जागरूक करने पर खर्च कर चुके हैं। डा. परमेश्वर अरोड़ा मंगलवार को इस सिलसिले में जींद पहुंचे। उन्होंने लोक निर्माण विश्राम गृह में इस मसले पर अपनी बात बेहद प्रभावशाली तरीके से रखते हुए कहा कि आज जहां संपूर्ण विश्व स्वास्थ्य लाभ के लिए अधिक से अधिक जल पीने की वकालत कर रहा है वहीं अपने पौराणिक वेदों एवं आयुर्वेद के विस्तार से अध्ययन करने पर बहुत ही हैरान कर देने वाला तथ्य सामने आता है। डा. अरोड़ा ने कहा कि सभी शास्त्र एक मत होकर अच्छे स्वास्थ्य के लिए किसी भी व्यक्ति को न्यूनतम पर्याप्त मात्रा में ही जल पीने का निर्देश देते हैं। साथ ही अनेकों ऐसे रोग भी हैं, जहां जल सेवन को निषेध करते हुए असहनीय होने पर ही जल अल्प मात्रा में पीने का विधान बतलाया गया है। स्पष्ट है कि जल सेवन को लेकर आधुनिक विचार एवं शास्त्रोक्त निर्देषों में विरोधाभास देखने को मिलता है।
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आज कल कहा जाता है, कि यदि पेट की बीमारियों जैसे कब्ज, एसिडिटी एवं गैस आदि को ठीक करना है तो खूब पानी पियो। शरीर का विशुद्धिकरण करना है तो खूब पानी पियो। पेशाब में जलन होती हो तो खूब पानी पियो। मोटापा कम करना है तो खूब पानी पियो। डा. अरोड़ा ने कहा कि इन परिस्थितियों में अपनी शक्ति एवं जरूरत से बढ़ाकर पिया गया पानी कैसे मदद करता है, इसकी कोई वैज्ञानिक विवेचना पढऩे या सुनने को नहीं मिल पाती। उन्होंने कहा कि इसके विपरीत, आयुर्वेद शास्त्रों के अनुसार इन परिस्थितियों में जल का अधिक मात्रा में सेवन शरीर को लाभ नहीं बल्कि नुकसान पंहुचाता है। पेट के सभी रोग कब्ज, एसिडिटी इत्यादि पाचक अग्नि की मंदता के कारण उत्पन्न होते हैं। अत: इन रोगों में पाचक अग्नि को बढ़ा कर ही इन रोगों से पूर्ण मुक्ति पाई जा सकती है। डा. अरोड़ा ने ज्यादा जल पीने की वकालत करने वालों से सवाल किया कि ऐसे में अग्नि के प्रबल विरोधी जल का अत्याधिक प्रयोग, कैसे हमारे अग्नि बल को बढ़ाएगा और कैसे हमें इन बीमारियों से मुक्ति दिलाएगा। कहीं ऐसा तो नहीं कि इन रोगों में क्षणिक लाभ के लिए लिया गया अत्याधिक पानी ही, पेट के इन सामान्य रोगों को कभी नहीं ठीक होने वाले असाध्य रोग बना देता हो।
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प्यास लगने पर भी एक साथ अधिक जल का सेवन बना सकता है आपको रोगी
डा. अरोड़ा ने कहा कि आयुर्वेद के अनुसार किसी भी स्वस्थ व्यक्ति को ग्रीष्म (मई मध्य से जुलाई मध्य तक का समय) एवं शरद ऋतु (सितम्बर मध्य से नवम्बर मध्य तक का समय) में सामान्य मात्रा में तथा शेष अन्य ऋतुओं में न्यूनतम पर्याप्त मात्रा में जल पीना चाहिए। प्यास लगने पर भी एक साथ अधिक मात्रा में जल पीने की प्रवृति यदि किसी व्यक्ति की होती है तो पिया गया यह जल पित्त एवं कफ  रोगों जैसे अपच, आलस्य, पेट का फूलना, जी मिचलाना, उल्टी लगना, मुंह में पानी आना, शरीर में भारीपन और यहां तक की खांसी, जुकाम एवं श्वास के रोग को उत्पन्न करता है। विशेषत: बुखार के रोगी को तो बहुत ही संयम के साथ अल्प मात्रा में बार-बार गरम पानी का ही सेवन करना चाहिए।
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शुगर, बीपी के मरीजों के लिए जरूरत से ज्यादा जल घातक
डा. अरोड़ा ने कहा कि शुगर और बीपी के मरीजों के लिए जरूरत से ज्यादा जल घातक साबित हो सकता है। ऐसे मरीजों के दिल पर जो दबाव बनता है, उसे शरीर पेशाब के रूप में बाहर निकालता है और ऐसे मरीज अगर जरूरत से ज्यादा जल का सेवन करेंगे तो उनकी दिक्कत निश्चित रूप से बढ़ेगी। बाक्स
सही विधि से लिया गया जल ही अमृत अन्यथा शरीर के लिए विष के बराबर 
डा. अरोड़ा का मानना है कि शास्त्रों के अनुसार जल को अकेले लिया जाए या औषधियों से सिद्ध करके लिया जाए, उबाल कर लिया जाए अथवा शीतल लिया जाए, या सिर्फ  गरम करके लिया जाए, शरीर की अवस्था के अनुसार ऐसा विचार करके, सही मात्रा में, सही समय पर एवं सही विधि से लिया गया जल अमृत के समान गुणकारी होता है अन्यथा शरीर में विषाक्तता को उत्पन्न करता है। स्पष्ट है कि आयुर्वेद में गलत विधि से पिए गए जल को विष तक की संज्ञा दी गई है।
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अधिक जल सेवन से शरीर में पेट के रोग, मधुमेह, रक्तचाप, एवं किडनी इत्यादि से संबंधित अनेक रोग होने का खतरा 
डा. अरोड़ा के अनुसार आयुर्वेद यह मानता है कि अधिक जल के सेवन से शरीर में पेट के रोग, मधुमेह, रक्तचाप, एवं किडनी इत्यादि से संबंधित अनेक रोग उत्पन्न हो सकते हैं। अधिक जल सेवन किस प्रकार से शरीर में मधुमेह, रक्तचाप, किडनी की बीमारी इत्यादि में कारण बन सकता है और कैसे शरीर के अन्य अंगो कों नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है, इसका ‘जल-अमृत या विष?’ नामक पुस्तक में आयुर्वेदिक एवं आधुनिक आधार पर विस्तार से स्पष्टीकरण दिया गया है। 
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जरूरत के अनुसार पानी लिया जाए तो हर रोज बच सकता है देश में 1500 करोड़ लीटर पानी 
डा. अरोड़ा का कहना है कि देश की 25 प्रतिशत जनता भी अगर शरीर की जरूरत के अनुसार पानी पीना शुरू करे तो हर रोज लगभग 1500 करोड़ लीटर पानी बचाया जा सकता है। इससे जल संरक्षण तो होगा ही, साथ ही लोग बीमार भी नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि 150 साल तक भारत के लोगों ने विदेशियों का स्वास्थ्य के मामले में अनुकरण किया है। नतीजा यह है कि देश के लोगों के स्वास्थ्य और शारीरिक ताकत का लेवल शून्य पर आ गया है। महाराणा प्रताप जैसे बली और महारानी लक्ष्मीबाई जैसी ताकतवर महिलाएं अब देश में नहीं हैं। उस समय न तो बड़े चिकित्सक थे और न ही बड़े अस्पताल थे।  केवल खान-पान और शारीरिक मेहनत से ही लोग स्वस्थ रहते थे। आयुर्वेद और चरक जैसे ग्रंथों में स्वस्थ रहने के जो तरीके बताए गए थे, केवल उन्हीं का पालन वह लोग करते थे। अब समय आ गया है कि भारत के लोग स्वस्थ रहने और खासकर स्वस्थ रहने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की विदेशियों की बातों में नहीं आकर आयुर्वेद और चरक जैसे ग्रंथों को मानें और शरीर की जरूरत के अनुसार ही जल का सेवन करें। 

Thursday, 4 January 2018

भाग दौड़ की जिंदगी में सबकुछ डिस्आर्डर

तनावपूर्ण जिंदगी दे रही साइको को जन्म
गजेटस, महत्वकांक्षा, एकाकीपन मुख्य कारण

जींद
भाग दौड़ की जिदंगी तनावपूर्ण हो गई है। जिसके चलते मनुष्य हर समय तनाव में रहता है। यदि समय रहते काबू न किया जाए तो एक समय के बाद मानसिक विकार या मेंटल हेल्थ डिस्ऑर्डर में तब्दील हो जाता है। मानसिक स्वास्थ्य के अंतर्गत कई तरह के विकार आते हैं। जो व्यक्ति के व्यक्तित्व को पूरी तरह प्रभावित करते हैं। बीमारी में तब्दील होने पर व्यक्तित्व साइको हो जाता है। जिसमे दिमागी तौर पर निर्णय लेने की क्षमता समाप्त हो जाती है और व्यवहार भी अजीब हो जाता है। साइको व्यक्ति को पता नहीं चल पाता की वह क्या कदम उठा रहा है। आंतरिक रूप से शक करना, फिर हिंसक हो जाना साइको के लिए आम बात है। जिसके लिए हालात, परिस्थितियां, स्टेटस, बीमारी समेत सामाजिक पहलू मुख्य कारण हैं। तनावपूर्ण जिंदगी में 100 में से 60 व्यक्ति मानसिक विकार से ग्रस्त हो चुके हैं। बढ़ते मानसिक बीमारी के चलते विश्व स्वास्थ्य संगठन दस अप्रैल से एक वर्ष के लिए डिप्रेशन वर्ष के रूप में मना रही है। ताकि लोग मानसिक रूप से स्वस्थ रहें। पलवल में सेवानिवृत लेफ्टिनेंट द्वारा छह लोगों की हत्या उसी बीमारी का कारण रही है। 
लाइफ में बढ़ा टेक स्ट्रेस
लाइफ स्टाइल में टेक स्ट्रेस की बीमारी बढ़ी है। भाग दौड़ की जिंदगी, जीवन शैली, खान-पान, रहन सहन में बदलाव का सीधा असर दिमाग पर पड़ता है। जिसके चलते तनाव बहुत ज्यादा बढ़ गया है। जीवनशैली में हुए बदलाव से एकाकी जीवन में बढ़ा है। जिससे व्यक्ति समाज तथा परिवार से दूर होता जा रहा है। जिसके परिणामस्वरूप डिसऑर्डर के हालात पैदा हो रहे हैं। आज की जीवनशैली में गैजेट्स की अहमियत को नकारा नहीं जा सकता है। बेसिक जरूरतों के लिए मोबाइल फोन व लैपटॉप का इस्तेमाल हर किसी की जरूरत बन गया है। गैजेट्स से निकलने वाली सूक्ष्म तरंगें कॉर्टिकल दिमाग की कार्य प्रणाली पर गंभीर असर डालती हैं। जिससे दिमाग की तर्क क्षमता भी प्रभावित होती है। इससे मन में तनाव होने लगता है, जिसे टेक स्ट्रेस का नाम दिया गया है और अनेक मानसिक विकार पैदा हो जाते हैं जो बाद में मानसिक बीमारी में तब्दील हो जाते हैं। 
मेंटल हेल्थ डिस्ऑर्डर के प्रकार  
1. अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिस्ऑर्डर  
इस डिस्ऑर्डर में व्यक्ति का मन काम में नहीं लगता है, या तो वह जरूरत से ज्यादा एक्टिव दिखेगा या एकदम नीरस। ऐसा व्यक्ति अकेले बैठकर घंटों बिता सकता है। ऐसा अधिकतर बच्चों में होता है जो कि बड़े होने तक भी बना रह सकता है।
2. एंजायटी या पैनिक डिस्ऑर्डर 
ऐसा व्यक्ति किसी घटना विशेष के कारण आहत होता है जो कि दोबारा उससे संबंधित चीजों या स्थान को देखने पर अनियंत्रित व्यवहार करता है।
3. बाईपोलर डिस्ऑर्डर  
यह एक लंबे समय तक बने रहने वाला डिस्ऑर्डर है। बचपन से ही किसी चीज को लेकर दुखी या परेशान रहना दिमाग में घर कर जाता है जो कि बड़े होने तक भी नहीं निकलता।
4. तनाव 
इसके तहत कई तरह की परिस्थितियां शामिल हैं। व्यक्ति के तनाव में रहने से उसके जीवन के प्रति नजरिया नीरस हो जाता है और किसी भी कार्य को करने में मन नहीं लगता।
5. सिग्जोफ्रिनिया 
यह डिस्ऑर्डर साधारण नहीं है। सिग्जोफ्रिनिया होने पर व्यक्ति को न होने वाली स्थितियों का भी आभास होता है। तरह-तरह की आवाजें सुनाई देती है। ऐसा व्यक्ति हर लोगों को शक की दृष्टि से देखता है। हालांकि कभी-कभी ऐसे व्यक्ति एकदम सामान्य व्यवहार करते हैं जिनसे इनकी बीमारी का पता लगाना भी मुश्किल होता है।
6. ईटिंग डिस्ऑर्डर 
इसके तहत व्यक्ति या तो बहुत ज्यादा खाता है या बहुत कम। कई लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें पतले होते हुए भी खुद के मोटे का शक होता है और वो लोग खाना बिल्कुल छोड़ देते हैं। ऐसे लक्षणों को एनोरेक्सिया नर्वोसा कहते हैं।
7. सोने और जगने से संबंधित डिस्ऑर्डर 
इस मानसिक विकार में व्यक्ति को लाख चाहने पर नींद नहीं आती। कई बार सोने के लिए नींद की गोलियों का इस्तेमाल करते हैं जो कि मस्तिष्क पर और भी नकारात्मक प्रभाव डालती हैं। इसके उलट कई व्यक्ति जरूरत से ज्यादा सोते हैं।
8. पर्सनेलिटी डिस्ऑर्डर 
इस डिस्ऑर्डर में व्यक्ति खुद को दूसरों से कमतर आंकता है। दूसरों के सामने आने में हिचक महसूस करता है। बात करने या साथ किसी कार्य को करने से सहज महसूस करता है। ऐसे व्यक्ति कई बार प्रतिभावान होते हुए भी अपना प्रतिभा को दूसरों के सामने नहीं ला पाते हैं।

मेंटल हेल्थ डिस्ऑर्डर के कारण 

मानसिक विकारों का आमतौर पर कोई एक खास कारण नहीं होता बल्कि इनके लिए बॉयोलॉजिकल, सायक्लॉजिकल और आसपास के वातावरण का प्रभाव जिम्मेदार होता है। यदि किसी को परिवार में मेंटल हेल्थ डिस्ऑर्डर हो तब भी यह उसकी अगली पीढ़ी में जाए ऐसा संभव है। बच्चे को किस माहौल में बड़ा किया गया है और उसके साथ कैसा व्यवहार रहा है यह सब भी व्यक्ति की आने वाली मेंटल इलनेस का कारण बनती है।
मेंटल हेल्थ डिस्ऑर्डर के लक्षण 
1. यदि व्यक्ति हमेशा निराश और हताश नजर आता हो।
2. अकेले रहने की आदत हो, किसी के आते ही व्यक्ति दूसरी जगह बदल लेता हो।
3. व्यक्ति का व्यवहार अचानक आक्रामक हो जाता हो।
4. किसी भी घटना पर इमोशन एक जैसे रहते हैं।
5. यदि कोई व्यक्ति हमेशा फेंटेसी मे रहता हो और रियलिटी न सुहाती हो।
6. खाने पीने की आदतें भी असंतुलित हों, या तो बहुत ज्यादा खाता हो या बिल्कुल कम।
मेंटल हेल्थ डिस्ऑर्डर के शारीरिक लक्षण 
1. एकदम से वजन का बढऩा या कम होना।
2. असामान्य खाने की आदतें।
3. महिलाओं में रक्त की कमी।
4. एंजायटी महसूस करना।
5. आंखें हमेशा सवाल करती हुई नजर आना।
6. चेहरा बुझा हुआ और बेजान नजर आना।
पहचानना है जरूरी
आज की व्यस्त व प्रतिस्पर्धा वाली जीवनशैली में बच्चों से लेकर बड़ों तक के मन पर अलग-अलग प्रकार का तनाव हावी रहता है। यहां इस बात पर ध्यान देना ज़रूरी है कि विभिन्न वजहों से उपजे तनाव को पहचानने व उसे दूर करने के तरीके भी अलग होते हैं। 
क्या हैं इसके लक्षण
1. गैजेट्स से जऱा भी दूरी बर्दाश्त न होना।
2. आसपास मोबाइल फोन न होने पर भी उसकी रिंगटोन या नोटिफिकेशन टोन सुनाई देना।
3. सोते समय भी फोन आसपास रखना या गाने सुनने, विडियो देखने की आदत होना। 
4. सिर में अकसर दर्द होना या बेचैनी महसूस होना।
5. हर समय रोगी को शक होता है कि परिजन और संगी-साथी रोगी के खिलाफ हैं और वे कोई साजिश रच रहे हैं।
6. रोगी को हर वक्त महसूस होता है कि सभी उसके बारे में बातें करते हैं या उसे घूर रहे हैं।
7. रोगी को ऐसा भी लगता है कि जैसे कुछ लोग उसके ऊपर जादू-टोना करवा रहे हैं या फिर उसके खाने में जहर मिलाया जा रहा है।
8. रोगी अपने पति या पत्नी के चरित्र व चाल-चलन पर बेबुनियाद ही शक करता है।
9. शक के चलते रोगी अपनों से ही कटा-कटा रहता है और अक्सर अपने बचाव में दूसरों के प्रति आक्रामक हो जाता है या बार-बार पुलिस को भी बुला लेता है।
10. शराब, गांजा, भांग व कोकीन का नशा करने से भी शक व वहम स्थायी रूप से पैदा हो जाता है।
क्या कहते हैं मनोरोग विशेषज्ञ
मनोरोग विशेषज्ञ डा. विकास फौगाट ने बताया कि आजकल जिंदगी तनावपूर्ण हो गई है। क्रिया कलापों को लेकर आदमी हर समय तनाव में रहता है। शुरू में मानसिक विकार होते हैं जो बाद में मानसिक बीमारी में बदल जाते हैं। मानसिक बीमारी मस्तिष्क में रसायनों की कमी के चलते भी होते हैं। ऐसी मानसिक बीमारियों पर दवाईयों तथा काऊंसलिंग से निपटा जा सकता है। मनो रोगी को तनावपूर्ण माहौल से दूर रखने तथा सौहार्दपूर्ण माहौल देकर ठीक किया जा सकता है। जिसमे योगा, मैडीटेशन तथा रहन सहन में बदलाव करना जरूरी है ओर एकांत से हटकर सामाजिक कार्यो में व्यस्त कर हालातों से निपटा जा सकता है। 


शहर में स्वच्छता को लेकर निकाली जागरूकता रैली

पैट्रोल पंप मालिकों ने शौचालयों को सार्वजनिक किया
शहर में स्वच्छता रैंकिंग सुधरने की जगी आस

जींद 
नगर परिषद द्वारा जींद जिला में स्वच्छता की रैंकिंग को सुधारने को लेकर अब सार्थक परिणाम सामने आने लगे हैं। नगर परिषद द्वारा चलाई जा रही मुहीम के तहत पैट्रोल पंप मालिकों ने शौचालयों को जहां सार्वजनिक कर दिया है वहीं पर पार्षदों के अलावा सामाजिक संगठनों का सहयोग भी नगर परिषद को मिल रहा है। बुधवार को नगर परिषद द्वारा जागरूकता रैली निकाली गई और इसमें भारी संख्या में सामाजिक संगठनों और गणमान्य लोगों ने भाग लिया। लोग शहर के बाजारों में स्वच्छता का संदेश देने वाली तख्तियां और अन्य प्रचार सामग्री हाथों में उठाए कदम से कदम मिलाकर चलते नजर आए। बुधवार को नगर परिषद द्वारा निकाली गई जागरूकता रैली का नेतृत्व नगर परिषद के ईओ डॉ. एसके चौहान, नगर परिषद की प्रधान पूनम सैनी के पति जवाहर सैनी और नगर परिषद के एमई सतीश गर्ग ने किया। जागरूकता रैली शहर के मुख्य बाजारों से गुजरी। रैली में शामिल लोगों ने दुकानदारों से स्वच्छता की अपील की। लोगों ने दुकानदारों को स्वच्छ मैप एप डाऊन लोड करने के लिए कहा। 

पैट्रोल पंप मालिकों ने शौचालयों को किया सार्वजनिक घोषित

नगर परिषद को स्वच्छता सर्वेक्षण में अधिक से अधिक दिलाने के लिए जींद के पैट्रोल पंप मालिकों ने अपना सहयोग दिया है। जींद के 16 पैट्रोल पंप मालिकों ने नगर परिषद को सूची भेजते हुए पैट्रोल पंपों पर बने शौचालयों को सार्वजनिक शौचालय घोषित किया है। इन पैट्रोल पंपों में पुराना हांसी रोड का अमी लाल जैन एंड कंपनी, जैन सर्विस स्टेशन, भिवानी रोड का मोती राम एंड सन्स, रोहतक रोड का मलिक पैट्रोल पंप, हांसी रोड का आईवीपी आटो सर्विस, राजकीय कालेज के पास का पैट्रो केयर, जिला जेल के पास का महेश कुमार एंड ब्रैदर्स, सफीदों गेट का एचपी मोहित पैट्रोल पंप, रोहतक रोड का चौधरी फिलिंग स्टेशन, रोहतक रोड बाईपास का हाईवे आटो सर्विस, पटियाला चौक के हांसी रोड का क्वालिटी फिलिंग स्टेशन, सफीदों रोड पर गोल्डन हट के पास का मामनराम चांदराम, हांसी रोड का रोहतक पैट्रो केयर, सफीदों रोड का भारद्वाज पैट्रोलियम, उधम सिंह मार्ग का महादेव पैट्रो शामिल हैं। इन पैट्रोल पंप संचालकों ने अपने पैट्रोल पंप पर सार्वजनिक शौचालय के बोर्ड भी लगाए हैं। 
स्वच्छता मैप एप पर तुरंत डाले गंदगी के फोटो 
जागरूकता रैली में शामिल लोगों ने दुकानदारों को स्वच्छता मैप एप के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने दुकानदारों को बताया कि स्वच्छता मैप एप किस प्रकार से डाऊन लोड किया जा सकता है और किस प्रकार से यह काम करता है। स्वच्छता मैप एप पर डाली गई फोटो पर कितने दिन में एक्षन होता है। यदि एक अधिकारी काम नहीं करता तो यह फोटो आगे किस-किस जगह तक जाता है। 
आज जींद पहुंचेगी स्वच्छता सर्वेक्षण की टीम
वीरवार को केंद्र सरकार की स्वच्छता सर्वेक्षण टीम जींद आएगी। लोगों के मिल रहे सहयोग के बाद नगर परिषद के अधिकारियों के हौंसले बुलंद हो गए हैं। धरातल से लेकर आन लाइन प्रयासों में भी आगे निकलने की कोशिश तेज हो गई है। नगर परिषद प्रशासन द्वारा अपनी तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। सामाजिक संस्थाओं के सदस्य भी अलग-अलग तरीकों से इस मुहिम को बल दे रहे हैं। लोगों को अब शहर की रैंकिंग सुधरने की पूरी आस बंधी है। 
इस साल अच्छी रैंकिंग लाने के प्रयास : डॉ. चौहान
नगर परिषद के ईओ डॉ. एसके चौहान ने कहा कि नगर परिषद ने अपनी ओर से अच्छी रैंकिंग लाने के लिए प्रयास तेज किए हैं। सामाजिक संगठनों और गणमान्य लोगों का सहयोग मिल रहा है। पैट्रोल पंप संचालकों ने भी अपना पूरा सहयोग नगर परिषद को दिया है। वीरवार को स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर टीम जींद आ रही है। उम्मीद है कि इस साल अच्छी रैंकिंग आएगी। नगर परिषद और लोगों द्वारा किए गए तमाम प्रयास रंग लाएंगे।

नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र तबाह होते परिवारों को बचाने में जुटे

जिला में चार नशा मुक्ति केंद्र दे रहे हैं सेवाएं
सरकार द्वारा नशा मुक्ति केंद्रों को उपलब्ध करवाई जा रही सहायता राशि

जींद 
लोगों को नशे जैसी बुराई से मुक्त रखने को लेकर राज्य सरकार द्वारा नशामुक्ति योजना लागू की गई है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के माध्यम से लागू की गई इस योजना के तहत राज्य में नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र चलाए जा रहे हैं। गैर सरकारी संगठनों द्वारा संचालित इन केन्द्रों में नशे से ग्रस्त लोगों को इससे मुक्त करने के लिए नि:शुल्क इलाज किया जाता है। जींद जिला में इस योजना के तहत फिलहाल चार नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र चलाए जा रहे हैं। जिनके माध्यम से सैंकड़ों लोग इलाज करवाकर समाज की मुख्य धारा में शामिल हो रहे है। 
हर माह बच रहे सैंकडों परिवार तबाह होने से
नशामुक्ति योजना के बारे में अगर यह कहा जाए कि यह योजना हर माह सैंकड़ों तबाह होते परिवारों को बचा रही है तो अतिश्योक्ति नहीं होगा। इस योजना के तहत नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्रों को केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई जाती है। इस सहायता से इन केंद्रों में नशे से ग्रस्त लोगों का नि:शुल्क इलाज किया जाता है। यही नहीं केंद्रों में दाखिल होने वाले लोगों को रहने, खाने एवं दवाइयों की सुविधा भी नि:शुल्क प्रदान की जाती है। ये नि:शुल्क सुविधाएं मात्र उन्हीं नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्रों में उपलब्ध करवाई जाती हैं, जिन्हें सरकार द्वारा आर्थिक मदद उपलब्ध करवाई जा रही है। अन्य केंद्रों में कम से कम खर्च पर लोगों को नशामुक्त करने का इलाज प्रदान किया जाता है। 
पार्ट टाइम डॉक्टर की होती है तैनाती
नशे से ग्रस्त लोगों को इस बुराई से छुटकारा दिलवाने के लिए नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्रों में एक पार्ट टाईम डॉक्टर तैनात होता है। इन केंद्रों में नशे से ग्रस्त लोगों की काउंसलिंग करने को लेकर एक काउंसलर भी नियुक्त किया जाता है। डॉक्टर की सलाह पर ही व्यक्ति को केंद्र में दाखिल किया जाता है और उन्हें दवाइयां इत्यादि दी जाती हैं। जींद जिला में इस योजना के तहत चार नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र चल रहे है, जिनकी क्षमता 15-15 बैड की है। 
नशा मुक्ति केंद्र अनुदान राशि के लिए कर रहे आवेदन
नई सोच नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र ने सरकार को अनुदान राशि उपलब्ध करवाने के लिए आवेदन कर दिया है। इसके अलावा रैडक्रॉस स्थित नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र ने लाइसैंस नवीनीकरण को लेकर, जुलाना स्थित अमर ज्योति फाऊंडेशन नशमुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र ने भी लाइसैंस नवीनीकरण को लेकर आवेदन जमा कर दिया है। लाइसैंस नवीनीकरण के बाद अगर इन केन्द्रों द्वारा अनुदान राशि के लिए आवेदन किया जाता है तो उनके आवेदन पत्रों को अनुदान राशि प्रदान करने के लिए सरकार को भेज दिया जाएगा।
तीन सदस्यीय कमेटी का किया गया है गठन
नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र सही तरीके से काम कर सके और यहां नशा छोडऩे को लेकर आने वाले लोगों को कोई दिक्कत न हो, इसके लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। इस कमेटी में मुख्य चिकित्सा अधिकारी, जिला समाज कल्याण अधिकारी तथा भवन एवं सडक़ निर्माण विभाग के कार्यकारी अभियंता को शामिल किया गया है। इस कमेटी द्वारा समय-समय पर नशामुक्ति एवं पुनर्वास केन्द्रों का निरीक्षण कर जायजा भी लिया जाता है। इस कमेटी का दूसरा मुख्य कार्य केंद्रों के लाइसैंस बनवाने के लिए सिफारिश करना भी है। 
सरकार द्वारा केंद्रों को उपलब्ध करवाई जाती अनुदान राशि
नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्रों को वैसे तो गैर सरकारी संगठन संचालित कर रहे हैं लेकिन सरकार द्वारा नशामुक्ति योजना के तहत अनुदान राशि उपलब्ध करवाई जाती है। मान लो कि एक नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र की क्षमता 15 बैड की है तो उसे हर वर्ष 15 से 2० लाख रुपये की अनुदान राशि उपलब्ध करवा दी जाती है। केंद्रों की बैड क्षमता बढऩे के साथ-साथ अनुदान राशि में भी बढ़ोत्तरी होती रहती है। इस राशि से इन केंद्रों के प्रतिनिधि नशा छोडऩे को लेकर आने वाले लोगों को केन्द्रों में तमाम प्रकार की सुविधाएं प्रदान करवाते हैं। 
क्या कहना है डीसी का 
डीसी अमित खत्री ने कहा कि लोगों को नशे जैसी बुराई से मुक्त करने के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही, यह कल्याणकारी योजना हर माह सैंकड़ों की संख्या में लोगों को नशामुक्त करने में अपना अहम योगदान निभा रही है। हर वर्ष 26 जून को अंतरराष्ट्रीय नशामुक्ति दिवस मनाया जाता है। इस दिन नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्रों के प्रतिनिधियों द्वारा लोगों को नशे से दूर रहने के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्रों के प्रतिनिधियों से कहा गया है कि वे इस तरह के जागरूकता कार्यक्रम न केवल अंतरराष्ट्रीय नशामुक्ति दिवस के उपलक्ष्य पर आयोजित करे बल्कि समय- समय पर इन कार्यक्रमों का आयोजन करते रहें।

Wednesday, 3 January 2018


स्वच्छता सर्वेक्षण में भी आगे होगा जींद 
सर्वेक्षण को लेकर नगर परिषद ने कसी कमर
चार को जींद का दौरा करेगी टीम
300
से ज्यादा ने किया स्वच्छता मैप एप डाउनलोड


जींद 
जींद जिला स्वच्छता में सबसे अव्वल हो, इसको लेकर नगर परिषद द्वारा स्वच्छता सर्वेक्षण करवाया जाएगा। इस स्वच्छता सर्वेक्षण के तहत टीमें शहर का दौरा करेगी और अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी। इस रिपोर्ट के माध्यम से यह आंकलन किया जाएगा कि जींद में स्वच्छता का आंकड़ा किया है। इसके लिए नगर परिषद और सामाजिक संगठनों के सहयोग से शहर में जागरूकता रैली निकाली जाएगी। अब तक 300 से ज्यादा लोग अपने मोबाइल में स्वच्छता मप एप डाउन लोड कर चुके हैं। स्वच्छता के मामले में जींद सबसे अग्रणीय हो इसे लेकर नगर परिषद ने कमर कसी हुई है। पिछले साल भले ही जींद स्वच्छता के मामले में अन्य जिलों से पिछड़ गया हो लेकिन इस बार नगर परिषद का प्रयास है कि जींद सफाई के मामले में प्रदेश में नंबर वन बने। इसके लिए नगर परिषद के अधिकारी खुद अपनी देख-रेख में रात के समय में भी सफाई अभियान चलवा रहे हैं। खुद नगर परिषद के ईओ डॉ. एसके चौहान, नगर परिषद की प्रधान पूनम सैनी के पति जवाहर सैनी, सफाई निरीक्षक अशोक सैनी सहित अन्य अधिकारी रात के समय में शहर के बड़े हिस्से में सफाई अभियान चलाते हैं। रातों-रात जींद की गंदगी को साफ किया जा रहा है।
सामाजिक संगठन और नगर परिषद आज निकालेगी जागरूकता रैली
नगर परिषद और शहर के सामाजिक संगठनों द्वारा शहर में बुधवार को जागरूकता रैली निकाली जाएगी। यह रैली नगर परिषद के कार्यालय से शुरू होगी। रैली में हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल, अन्ना टीम, सेव संस्था और अन्य सामाजिक संगठन अपना सहयोग करेंगे। जागरूकता रैली के माध्यम से दुकानदारों को सफाई के महत्व के बारे में बताया जाएगा। दुकानदारों और लोगों को बताया जाएगा कि सफाई रखने के क्या-क्या फायदे होते हैं। 
अब तक 300 लोगों ने डाउनलोड किया स्वच्छता मैप एप
नगर परिषद द्वारा लोगों को स्वच्छता मैप एप्प डाऊन लोड करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। यह एप्प डाऊन लोड करना बहुत आसान है। इसको डाऊन लोड करने के तरीके लोगों को समझाने के लिए नगर परिषद ने शहर के सार्वजनिक स्थलों पर होर्डिंग और पोस्टर लगाने का काम किया है। लोगों द्वारा अपने आस-पास की गंदगी के फोटो डालने के लिए भी होर्डिंग और पोस्टरों के माध्यम से जागरूक किया गया है। भले ही नगर परिषद स्वच्छता मैप एप के टारगेट को पूरा नहीं कर पाई, लेकिन जींद शहर को स्वच्छता के मामले में आगे लाने के लिए भरसक प्रयास कर रही है।
केवल दो घंटे में हुई स्वच्छता मैप एप पर कार्रवाई
नगर परिषद का स्वच्छता मैप एप जींद शहर के लोगों के लिए रामबाण साबित हो रहा है। नगर परिषद के अधिकारी एप्प पर शिकायत मिलते ही केवल दो घंटे में उस स्थान पर पहुंच रहे हैं। एरिया नगर परिषद का नहीं होने के बाद भी नगर परिषद फिर भी गंदगी को उठा रही है। डीआरडीए के सामने की हुडा मार्केट में गंदगी का फोटो सुबह दुकानदारों ने स्वच्छता मैप एप्प पर डाला। यह मार्केट हुडा की है। इस मार्केट की देख-रेख की जिम्मेदारी हुडा प्रशासन की है। यहां पर हुडा द्वारा किसी भी सफाई कर्मचारी की तैनाती नहीं की गई है लेकिन नगर परिषद के अधिकारियों ने स्वच्छता मैप एप्प पर मिली शिकायत पर दो घंटे में ही कार्रवाई की। नगर परिषद की टीम शिकायत मिलने के दो घंटे के अंदर मार्कीट में पहुंचे और रिपोर्ट में दर्शाई गई जगह की सफाई करते हुए मौके पर ही इसको क्लिन करते हुए इसके फोटो अपलोड किए। 
चार को टीम करेगी जींद का दौरा
नगर परिषद के ईओ डॉ. एसके चौहान ने बताया कि स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए टीम द्वारा चार जनवरी को जींद शहर का दौरा किया जाएगा। दौरे के दौरान टीम द्वारा शहर के बाजार, सार्वजनिक स्थलों और अन्य जगहों पर स्वच्छता को लेकर सर्वे किया जाएगा। पिछले साल स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर टीम ने जींद की सब्जी मंडी, मेन बाजार और अन्य बाजारों में जाकर यहां पर सफाई व्यवस्था के बारे में जानकारी जुटाई थी और लोगों से बात करके वहां की स्थिति के बारे में पूछा था। बुधवार को नगर परिषद द्वारा जींद शहर में स्वच्छता को लेकर जागरूकता रैली निकाली जाएगी।  

बालिकाओं के लिए खुलेगा शांति बाल आश्रम

अनाथ, जरूरतमंद, उत्पीडि़त बालिकाओं को दिया जाएगा आश्रय
डिफेंस कालोनी में तय हुई साइट, एनजीओ चलाएगा आश्रम
25 बालिकाओं के रहने, खाने तथा पढ़ाई की होगी व्यवस्था
अब तक जिले में नहीं है बालिकाओं के लिए आश्रय स्थल

जींद
डिफेंस कालोनी में जल्द ही अनाथ, जरूरतमंद तथा उत्पीडऩ का शिकार हुई बालिकाओं के प्रोटेक्शन के लिए शांति बाल आश्रम खुलने जा रहा है। आश्रम में बालिकाओं के रहने, खाने, सोने तथा पढ़ाई का पूरा प्रबंध होगा। आश्रम को समाज सेवी संस्था चलाएगी, जबकि जिला महिला एवं बाल संरक्षण विभाग आश्रम की व्यवस्थाओं पर नजर रखेगा। विभाग ने बालिकाओं के आश्रम के लिए फाइल को अपूर्वल के लिए मुख्यालय को भेजा हुआ है। अपूर्वल मिलते ही बालिकाओं के लिए शांति बाल आश्रम अस्तित्व में आ जाएगा और आश्रम बालिकाओं की सुरक्षा, पढ़ाई, लिखाई समेत तमाम बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी। आश्रम में 18 साल से कम वर्ष की बालिकाओं को रखने का प्रावधान किया गया है। 
जरूरतमंद बालिकाओं के लिए नहीं है जिले में कोई व्यवस्था
अनाथ, घर छोडऩे वाली तथा उत्पीडऩ का शिकार हुई बालिकाओं के रहने के लिए जिले में कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसी लड़कियों को नारी निकेतन भेजने के सिवाए कोई चारा जिला प्रशासन के पास नहीं है। काफी सारे मामले आमतौर पर उत्पीडऩ के आते रहते हैं। इसके अलावा कुछ ऐसी बालिकाएं भी हैं जो अनाथ है और उनका रहन, सहन तथा पढ़ाई की व्यवस्था प्रभावित हो रही है। कुछ बालिकाएं घर को छोड़ देती हैं और वह वापस नहीं लौटना चाहती। कुछ बालिकाओं को अभिभावक नहीं अपनाते, ऐसे हालात में दूसरे जिलों की तरफ देखना पड़ता है। जिले में ऐसी व्यवस्था हो की बालिकाओं को छत मिले और सहायता मिले ताकि उनका उत्थान हो सके तथा जिंदगी सवंर सके। जरूरत को देखते हुए जिला मुख्यालय पर बालिकाओं के लिए शांति बाल आश्रम स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। जबकि अनाथ लड़कों के लिए गांव निर्जन में जरूर अनाथ आश्रम चलाया जा रहा है। 
25 बालिकाओं के रहने की होंगी तमाम सुविधाएं
जिला महिला एवं बाल संरक्षण विभाग द्वारा मुख्यालय को भेजी गई अपूर्वल के लिए फाइल में 25 बालिकाओं के कम से कम रहने के लिए जगह की व्यवस्था व तमाम सुविधाओं के बारे में जानकारी दी गई है। जिसमे बालिकाओं के रहने के लिए साफ सुथरा वातावरण, सुरक्षा के प्रबंध, खाने, आवासीय तथा पढ़ाई-लिखाई के बारे में लिखा गया है। आश्रम के अंदर का वातावरण ऐसा उपलब्ध करवाया जाएगा कि बालिकाओं को किसी प्रकार की परेशानी न हो और माहौल घर जैसा दिखाई दे। फिलहाल विभाग ने डिफेंस कालोनी में एक साइट को तय किया है। जिसमे 25 बालिकाएं आराम से रह सके और पढ़ाई लिखाई के संबंध में दूर भी न जाना पड़े। 
केयर लाइफ एनजीओ करेगा संचालित
जिला मुख्यालय के डिफेंस कालोनी में चलाए जाने वाले बालिकाओं के लिए शांति बाल आश्रम को केयर लाइफ एनजीओ संचालित करेगा। जिला महिला एवं बाल संरक्षण विभाग ने केयर लाइफ एनजीओ द्वारा दी गई फाइल को अप्रूवल के लिए मुख्यालय में भेजा है। संस्था के अध्यक्ष डा. दिनेश की देखरेख में यह शांति बाल आश्रम चलाया जाएगा। जबकि विभाग आश्रम के अंदर की व्यवस्थाओं तथा सुविधाओं पर नजर रखेगा और संस्था का सहयोग करेगा। 
जिला महिला एवं बाल सरंक्षण अधिकारी सुजाता महलान ने बताया कि जिला में अनाथ तथा जरूरतमंद बालिकाओं के रहने तथा उनका जीवन संवारने से संबंधित कोई व्यवस्था नहीं है। अब स्वयं सेवी संस्था केयर लाइफ की सहायता से डिफेंस कालोनी में बालिकाओं के लिए शांति बाल आश्रम खोला जाएगा। जिसमे बालिकाओं को रहने, खाने, आवासीय, पढ़ाई-लिखाई से संबंधित जीवन संवारने की तमाम सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी। 

खुद को पर्यावरण के लिए महिला वकील ने कर दिया समर्पित

अब तक लगवा चुकी 177 त्रिवेणी जींद। महिला एडवोकेट संतोष यादव ने खुद को पर्यावरण की हिफाजत के लिए समर्पित कर दिया है। वह जींद समेत अब तक...