Thursday, 4 January 2018

नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र तबाह होते परिवारों को बचाने में जुटे

जिला में चार नशा मुक्ति केंद्र दे रहे हैं सेवाएं
सरकार द्वारा नशा मुक्ति केंद्रों को उपलब्ध करवाई जा रही सहायता राशि

जींद 
लोगों को नशे जैसी बुराई से मुक्त रखने को लेकर राज्य सरकार द्वारा नशामुक्ति योजना लागू की गई है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के माध्यम से लागू की गई इस योजना के तहत राज्य में नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र चलाए जा रहे हैं। गैर सरकारी संगठनों द्वारा संचालित इन केन्द्रों में नशे से ग्रस्त लोगों को इससे मुक्त करने के लिए नि:शुल्क इलाज किया जाता है। जींद जिला में इस योजना के तहत फिलहाल चार नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र चलाए जा रहे हैं। जिनके माध्यम से सैंकड़ों लोग इलाज करवाकर समाज की मुख्य धारा में शामिल हो रहे है। 
हर माह बच रहे सैंकडों परिवार तबाह होने से
नशामुक्ति योजना के बारे में अगर यह कहा जाए कि यह योजना हर माह सैंकड़ों तबाह होते परिवारों को बचा रही है तो अतिश्योक्ति नहीं होगा। इस योजना के तहत नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्रों को केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई जाती है। इस सहायता से इन केंद्रों में नशे से ग्रस्त लोगों का नि:शुल्क इलाज किया जाता है। यही नहीं केंद्रों में दाखिल होने वाले लोगों को रहने, खाने एवं दवाइयों की सुविधा भी नि:शुल्क प्रदान की जाती है। ये नि:शुल्क सुविधाएं मात्र उन्हीं नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्रों में उपलब्ध करवाई जाती हैं, जिन्हें सरकार द्वारा आर्थिक मदद उपलब्ध करवाई जा रही है। अन्य केंद्रों में कम से कम खर्च पर लोगों को नशामुक्त करने का इलाज प्रदान किया जाता है। 
पार्ट टाइम डॉक्टर की होती है तैनाती
नशे से ग्रस्त लोगों को इस बुराई से छुटकारा दिलवाने के लिए नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्रों में एक पार्ट टाईम डॉक्टर तैनात होता है। इन केंद्रों में नशे से ग्रस्त लोगों की काउंसलिंग करने को लेकर एक काउंसलर भी नियुक्त किया जाता है। डॉक्टर की सलाह पर ही व्यक्ति को केंद्र में दाखिल किया जाता है और उन्हें दवाइयां इत्यादि दी जाती हैं। जींद जिला में इस योजना के तहत चार नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र चल रहे है, जिनकी क्षमता 15-15 बैड की है। 
नशा मुक्ति केंद्र अनुदान राशि के लिए कर रहे आवेदन
नई सोच नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र ने सरकार को अनुदान राशि उपलब्ध करवाने के लिए आवेदन कर दिया है। इसके अलावा रैडक्रॉस स्थित नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र ने लाइसैंस नवीनीकरण को लेकर, जुलाना स्थित अमर ज्योति फाऊंडेशन नशमुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र ने भी लाइसैंस नवीनीकरण को लेकर आवेदन जमा कर दिया है। लाइसैंस नवीनीकरण के बाद अगर इन केन्द्रों द्वारा अनुदान राशि के लिए आवेदन किया जाता है तो उनके आवेदन पत्रों को अनुदान राशि प्रदान करने के लिए सरकार को भेज दिया जाएगा।
तीन सदस्यीय कमेटी का किया गया है गठन
नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र सही तरीके से काम कर सके और यहां नशा छोडऩे को लेकर आने वाले लोगों को कोई दिक्कत न हो, इसके लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। इस कमेटी में मुख्य चिकित्सा अधिकारी, जिला समाज कल्याण अधिकारी तथा भवन एवं सडक़ निर्माण विभाग के कार्यकारी अभियंता को शामिल किया गया है। इस कमेटी द्वारा समय-समय पर नशामुक्ति एवं पुनर्वास केन्द्रों का निरीक्षण कर जायजा भी लिया जाता है। इस कमेटी का दूसरा मुख्य कार्य केंद्रों के लाइसैंस बनवाने के लिए सिफारिश करना भी है। 
सरकार द्वारा केंद्रों को उपलब्ध करवाई जाती अनुदान राशि
नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्रों को वैसे तो गैर सरकारी संगठन संचालित कर रहे हैं लेकिन सरकार द्वारा नशामुक्ति योजना के तहत अनुदान राशि उपलब्ध करवाई जाती है। मान लो कि एक नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र की क्षमता 15 बैड की है तो उसे हर वर्ष 15 से 2० लाख रुपये की अनुदान राशि उपलब्ध करवा दी जाती है। केंद्रों की बैड क्षमता बढऩे के साथ-साथ अनुदान राशि में भी बढ़ोत्तरी होती रहती है। इस राशि से इन केंद्रों के प्रतिनिधि नशा छोडऩे को लेकर आने वाले लोगों को केन्द्रों में तमाम प्रकार की सुविधाएं प्रदान करवाते हैं। 
क्या कहना है डीसी का 
डीसी अमित खत्री ने कहा कि लोगों को नशे जैसी बुराई से मुक्त करने के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही, यह कल्याणकारी योजना हर माह सैंकड़ों की संख्या में लोगों को नशामुक्त करने में अपना अहम योगदान निभा रही है। हर वर्ष 26 जून को अंतरराष्ट्रीय नशामुक्ति दिवस मनाया जाता है। इस दिन नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्रों के प्रतिनिधियों द्वारा लोगों को नशे से दूर रहने के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्रों के प्रतिनिधियों से कहा गया है कि वे इस तरह के जागरूकता कार्यक्रम न केवल अंतरराष्ट्रीय नशामुक्ति दिवस के उपलक्ष्य पर आयोजित करे बल्कि समय- समय पर इन कार्यक्रमों का आयोजन करते रहें।

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