Saturday, 27 April 2013

गेहूं की कटाई के साथ ही नरमा की बिजाई ने पकड़ा जोर


 नरमा की अच्छी पैदावार के लिए बिजाई के दौरान विशेष बातों का ध्यान रखें किसान
जींद।  गेहूं की कटाई के साथ ही नरमा उत्पादन क्षेत्र के किसान नरमा की बिजाई में जुट गए हैं। नरमा की फसल का अधिक उत्पादन लेने के लिए किसान बीज की अच्छी किस्म से लेकर बिजाई के लिए भिन्न-भिन्न तरीके अपना रहे हैं लेकिन अगर कृषि विभाग के अधिकारियों व प्रगतिशील किसानों की मानें तो नरमा के अच्छे उत्पादन के लिए सबसे पहली प्राथमिकता खेत में नरमा के पौधों की पर्याप्त संख्या तथा ङ्क्षसचाई के लिए अच्छा पानी है। अगर खेत में नरमा के पौधों की संख्या ही पूरी नहीं होगी तो उत्पादन में बढ़ौतरी संभव नहीं है। खेत में नरमा के पौधों की पर्याप्त संख्या के बाद पौधों के लिए सही मात्रा में खाद व पानी की जरुरत होती है। इसके अलावा अधिक उत्पादन के लिए किसान नरमा की लम्बी अवधी की किस्म की भी बिजाई कर सकते हैं।  
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खेत में पौधों की पर्याप्त संख्या पहली प्राथमिकता
नरमा के अच्छे उत्पादन के लिए खेत में पौधों की पर्याप्त संख्या जरुरी है। अगर खेत में पौधों की संख्या कम होगी तो इससे उत्पादन भी कम होगा। एक एकड़ में नरमा के पौधों की संख्या 4 हजार से 4800 तक होनी चाहिए। नरमा की बिजाई करते समय पौधों के बीच में सवा 3 से सवा 3 का फासला रखना चाहिए। ताकि पौधों को बढऩे के लिए पर्याप्त स्थान मिल सके। पौधों के बीच का फासला सही होने से पौधे को धूप भी बराबर मिलती रहेगी और धूप मिलने से पौधे आसानी से भोजन बना सकेंगे। किसानों को अधिक उत्पादन की चाह में फसल में कीटनाशकों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। किसानों को कीटनाशकों के प्रयोग की बजाए पौधों व पौधों पर मौजूद मासाहारी व शाकाहारी कीटों के क्रियाकलापों को समझने की जरुरत है। पौधे अपनी जरुरत के अनुसार समय-समय पर भिन्न-भिन्न प्रकार की सुगंध छोड़कर कीटों को बुलाते हैं। फसल में अधिक कीटनाशकों के प्रयोग से पौधों की सुगंध छोडऩे की यह क्षमता गड़बड़ा जाती है। इससे फसल के उत्पादन पर भी काफी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। 
बलवान 
प्रगतिशील किसान, राजपूरा
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किसानों को नरमा की बिजाई के दौरान अच्छे उत्पादन के लिए नरमा के बीज के किस्म को लेकर असमंजस की स्थिति में नहीं पडऩा चाहिए। अच्छे उत्पादन के लिए किस्म नहीं बल्कि पौधों की पर्याप्त संख्या व पौधों की जरुरत के अनुसार खाद तथा पानी देना जरुरी है। वह खुद पिछले 2 वर्षों से घर पर ही देसी कपास का बीज तैयार कर नरमा की बिजाई करता है। इसके बावजूद भी हर वर्ष उसे अच्छा उत्पादन मिलता है। इसके अलावा किसान नरमा की फसल के बीच में बेल वाली सब्जियों या मूंग इत्यादि की बिजाई भी कर सकते हैं। 
रणबीर मलिक
प्रगतिशील किसान, निडाना
मौसम के बिगड़ते मिजाज को देखते हुए किसानों को इस वर्ष कपास की बिजाई सीधे करने की बजाए डोलियों पर करनी चाहिए। अगर किसान नरमा की बिजाई हाथ से चौब कर करें तो बीज के साथ गोबर की खाद जरुर डालें। इसके अलावा किसानों को मंडी से खाद व बीज खरीदते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। खाद व बीज खरीदते समय दुकान से पक्का बिल अवश्य लेना चाहिए। अगर कोई दुकानदार पक्का बिल देने से मना करता है या बीज या खाद के साथ टैङ्क्षगग करता है तो तुरंत इसकी सूचना कृषि विभाग के अधिकारियों को दें।
महाबीर पूनिया
प्रगतिशील किसान, निडानी
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जिले में ज्यादातर किसान अधिक उत्पादन के लिए बी.टी. की बिजाई करते हैं। बी.टी. की बिजाई करने वाले किसानों को इस बात का ध्यान जरुर रखना चाहिए कि इस किस्म को तैयार होने के लिए ज्यादा खुराक की जरुरत होती है। इसलिए इसकी बिजाई के दौरान किसान एक एकड़ में 20 किलो पोटास, एक बैग डी.ए.पी., 20 किलो यूरिया तथा 10 किलो ङ्क्षजक सल्फेड जरुर डालें। खेत में पौधों की संख्या का भी विशेष ध्यान रखें। एक एकड़ में कम से कम 4 हजार पौधे जरुर होने चाहिएं। जिस क्षेत्र में पानी ज्यादा खारा है, उस क्षेत्र के किसानों को नरमा की बिजाई से पहले एक एकड़ में कम से कम 8 से 10 ट्राली गोबर की खाद डालनी चाहिए। क्योंकि नरमा के पौधे कम नमक को तो सहन कर सकते हैं लेकिन ज्यादा नमक को सहन नहीं कर पाते। इसके अलावा नरमा की बिजाई के 15 दिन बाद से ही फसल की नुलाई-गुडाई शुरू कर देनी चाहिए। तापमान अधिक होने पर 4-5 दिन के अंतर पर पानी का हलका स्प्रे जरुर करें। पौधों को पर्याप्त खुराक देने के लिए 15 दिन के अंतर पर आधा किलो ङ्क्षजक, ढाई किलो यूरिया व ढाई किलो डी.ए.पी. का 100 लीटर पानी में घोल तैयार कर स्प्रे करें। 
डा. कमल सैनी
कृषि विकास अधिकारी, रामराय



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