कन्या भ्रूण हत्या जैसी बुराईयों पर अंकुश लगाने और लिंगानुपात में सुधार करने के की जंग जोर पकड़ने लगी है। पंचायत, युवामंडल और ग्रामीण महिलाएं इस बुराई को खत्म करने के लिए मैदान में उतर गई है। अब गावों में बेटी पैदा होने पर भी घरों में थाली बज रही है। बैंड-बाजे के साथ धूमधाम से कुआं पूजन भी हो रहा है। आईटी विलेज बीबीपुर की तर्ज पर अब पंचायतें भी लाडो को बचाने के लिए मैदान में कूद पड़ी है। बेटा-बेटी के बीच के फासले को कम करने के लिए पंचायतों जनसभा करके नाटकों के माध्यम से ग्रामीणों को जागरूक कर रही हैं। भ्रूणहत्या के खिलाफ जिले में लगातार सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे है। आईटी विलेज बीबीपुर की महिलाओं द्वारा भ्रूणहत्या के खिलाफ शंखनाद करने के बाद इस मुहिम में लगातार कड़ियां जुड़ने लगी है। बीबीपुर की महिलाओं के साथ-साथ जहां सर्व खाप पंचायतों के प्रतिनिधियों ने भी कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के फैसले पर मोहर लगा दी है, वहीं अब ब्लॉक लेवल पर पंच, सरपंच व पंचायत समिति के सदस्य भी बेटी बचाने के लिए आगे आए है। पंचायतों ने बेटा-बेटी के बीच की खाई को पाटने तथा बेटियों के प्रति संकीर्ण सोच रखने वाले लोगों की सोच को बदलने का बीड़ा उठाया है। इस मुहिम के तहत युवा मंडल भी आगे आ रहे है। युवा मंडल के सदस्य लड़कों के जन्म पर होने वाले आयोजन की तर्ज पर लड़कियों के जन्म पर भी समारोह का आयोजन भी करवा रहे है। पिछले दिनों निडानी गाव के युवा मंडल के सदस्यों ने कहा था कि जो भी परिवार लड़की के जन्म पर कुआ पूजन करवाएगा, तो कुआ पूजन के दौरान बैंड-बाजे पर आने वाला सारा खर्च युवा मंडल उठाएगा। युवा मंडल के सदस्यों का मानना है कि इस मुहिम के बाद गांव में लोगों की सोच में परिवर्तन आएगा। लोग बेटा-बेटी के बीच के अंतर को भूलकर बेटी के जन्म पर भी समारोह का आयोजन कर खुशियां मनाएंगे। अब पंचायतें भ्रूणहत्या के खिलाफ लोगों को जागरूक करने के लिए समय-समय पर गांव में कार्यक्रमों का आयोजन भी करवाएंगे। ताकि सदियों से बेटियों के प्रति लोगों के दिमाग में बनी नकारात्मक तस्वीर को बदला जा सके। अब पंचायत ने लिंगानुपात की इस खाई को खत्म करने की पूरी रणनीति तैयार कर ली है और सरकार का भी पूरा सहयोग प्राप्त हो रहा है। अब आवश्यकता है जागरूकता कमेटिया बनाने की जिनमें आगनबाड़ी कार्यकर्ता ,महिला पंच अथवा सरपंच, महिला मंडल की सदस्यों को शामिल कर लाडो को अपने देश लाने की।
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