खाद्य एवं कृषि विशेषज्ञ ने किसान-कीट विवाद पर किसानों के साथ की चर्चा
जींद। आज हमारे देश के किसनों की हालत भी पांडू पुत्र अभिमन्यू की तरह है, जिसे चक्रव्यूह में प्रवेश करना तो आता था, लेकिन उसे उस चक्रव्यूह से बाहर निकलना नहीं आता था। वैसा ही हाल हमारे किसानों का है, जिन्हें कृषि क्षेत्र में नई-नई तरीकब अपना कर एक ऐसे चक्रव्यूह में फंसाया जा रहा है, जिसमें किसान दाखिल तो आसानी से हो जाते हैं, लेकिन उस चक्रव्यूह से बाहर निकलना उनके बस की बात नहीं है। यह बात विश्व विख्यात खाद्य एवं कृषि विशेषज्ञ डा देवेंद्र शर्मा ने मंगलवार को निडाना गांव में आयोजित किसान खेत पाठशाला में किसान-कीट विवाद पर किसानों के साथ चर्चा करते हुए कही। इस अवसर पर पाठशाला में खाप पंचायत की तरफ से ढुल खाप प्रधान इंद्र सिह ढुल, खटकड खेड़ा खाप के प्रधान दलेल खटकड़, जाटू खाप प्रधान संदीप ढांड़ा, 84 खाप प्रधान भिवानी से राज सिंह घणघस, किसान क्लब के प्रधान फूल सिंह श्योकंद, बागवानी विभाग से डीएचओ डा. बलजीत सिंह भयाणा, मिट्टी एवं संरक्षण विभाग जींद से डा. मीना सिहाग भी विशेष रूप से मौजूद थी। पंचायत का संचालन खाप पंचायत के संचालक कुलदीप सिंह ढांडा ने किया।
डा देवेंद्र शर्मा ने कहा कि ज्यों-ज्यों कीटनाशकों का प्रयोग अधिक होता है, त्यों-त्यों कुदरत कीटों को भी उन कीटनाशकों से बचाव के लिए अधिक ताकत प्रदान कर देती है, जिससे दो-चार वर्ष बाद कीटनाशक बेअसर हो जाते हैं और कंपनियों फिर से उन कीटों को मारने के लिए नए कीटनाशक तैयार करती है। इस प्रकार नए-नए कीटनाशक व बीज तैयार कर कुछ मुनाफाखोर किसानों की जेबों पर डाका डाल रहे हैं। इस प्रकार पूरी प्लांनिग के तहत किसानों को इस चक्रव्यूह में धकेला जाता है। डा. शर्मा ने आंध्रप्रदेश का उदहारण देते हुए बताया कि कई वर्ष पहले आंध्रप्रदेश के किसानों ने भी निडाना के किसानों की तरह कीटनाशक रहित खेती की मुहिम चलाई थी। जिसके परिणामस्वरूप आज आंध्रप्रदेश के 21 जिलों में 35 लाख एकड में कीटनाशक रहित खेती होती और इस दौरान उनकी पैदावार घटने की बजाए बढ़ी है। अब तो वहां की सरकार भी किसानों के पक्ष में उतर आई है। सरकार ने किसानों की इस मुहिम को अपने हाथ में लेते हुए 2013 में 100 एकड जमीन में कीटनाशक रहित खेती करने का टारगेट रखा है। शर्मा ने बताया कि आंध्रप्रदेश के किसानों द्वारा शुरू की गई इस मुहिम में वहां के कुछ एनजीओ भी आगे आए हैं। वहां के एक स्वयं सेवी महिला समूह ने किसानों कि इस मुहिम के लिए पांच हजार करोड रूपए कीराशि एक त्रित की है। उन्होंने बताया कि हमारी ·माई का 40-50 प्रतिशत पैसा तो हमारी बीमारी पर ही खर्च हो जाता है। डा. शर्मा ने कहा कि 1990-91 में जब अमेरिका बीटी को भारत में लाना चाहते थे तो उस समय अमेरिका ने बीटी के बीज की कीमत सिर्फ चार करोड़ रुपए मांगी थी, लेकिन 2004 से अब तक अमेरिका बीटी के बीज के माध्यम से देश के किसानों से 6 हजार करोड़ रुपए कमा चुका हैं। डा. शर्मा ने कहा कि थाली को जहर मुक्त करने की इस लडाई में आने वाले युग में निडाना के किसानों को याद किया जाएगा। कुलदीप ढांडा ने पाठशाला में आए किसानों व खाप प्रतिनिधियो पर सवाल दागते हुए कहा कि क्या आप पूरे दृढ़ निश्चय के साथ यह कह सकते हैं कि आपके परिवार या रिश्तेदारी में कोई कैंसर का मरीज नहीं है? ढांडा ने कहा कि कीटनाशकों के अंधाधूंध प्रयोग के कारण आज कैंसर जैसी घातक बीमारी भी काफी तेजी से फैल रही है। ढांडा ने बताया कि गांव चिडोठ जिला भिवानी में हर पांचवें घर में तथा भटिंडा (पंजाब) की गली नंबर दो के 10 घरों में से 9 घरों में कोई ना कोई व्यक्ति कैंसर का मरीज है। किसान रमेश ने बताया कि किसान कीटनाशक के माध्यम से कीटों पर जैसे ही अटैक करता है तो कीट अपना जीवनकाल छोटा करना शुरू कर देते हैं तथा बच्चे पैदा करने की क्षमता को बढ़ा लेते हैं। इससे खेत में कीटों की संख्या कम होने की बजाए ओर अधिक बढ़ जाती है। किसान अजीत ने बताया कि अंगीरा, जंगीरा, फंगीरा अकेले ही 98 प्रतिशत मिलीबग को कंट्रोल कर लेते हैं। किसान मनबीर ने बताया कि हमें पौधो की भाषा सीखने की जरुरत है। जब पौधों पर किसी शाकाहारी कीट का आक्रमण होता है तो पौधे मासाहारी कीटों को बुलाने के लिए एक अलग तरह की सुगंध छोडते हैं और मासाहारी कीट उस सुगंध के कारण फसल में शाकाहारी कीटों को खाने के लिए पहुंच जाते हैं। इस अवसर पर खाप प्रतिनिधियों ने पांच पौधों के पत्ते काट कर प्रयोग को आगे बढ़ाया। पाठशाला के समापन पर सभी खाप प्रतिनिधियों को स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया गया।
कृषि विशेषज्ञ से की मार्गदर्शन की अपील
खाप पंचायत के संयोजक कुलदीप ढांडा ने खाद्य एवं कृषि विशेषज्ञ डा. देवेंद्र शर्मा से इस विवाद का निपटारा करने के लिए नवंबर में होने वाली खाप पंचायत में पहुंचकर उनका मार्गदर्शन करने की अपील की। डा. शर्मा ने खाप पंचायत की अपील को स्वीकार करते हुए कहा कि खाप पंचायतों से फैसला सुनाते वक्त कोई चूक न हो, इसके लिए वे नवंबर में होने वाली सर्व खाप महापंचायत में अपने साथ-साथ हरियाणा एवं पंजाब हाईकोर्ट के एक न्यायाधीश को भी साथ लेकर आएंगे। ताकि किसानों की इस मुहिम पर कानूनी मोहर भी लग सके।
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किसानों को सम्बोधित करते डा. देवेंद्र शर्मा। |
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डा. देवेंद्र शर्मा को स्मृति चिह्न भेंट करते किसान। |
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