कृषि विभाग के अधिकारी कीटनाशकों की बजाए खाद के स्प्रे के प्रयोग की दे रहे हैं सलाह
जींद। धान की फसल में पाइरिला के निम्प (अल्ल) की दस्तक के कारण धरतीपुत्रों के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ने लगी हैं। पाइरिला के डंक ने किसानों के सपनों में सेंध लगा दी है। फिलहाल पाइरिला ने ज्वार व गन्ने की फसलों के आस-पास की धान की फसलों में दस्तक दी है। फसल में पाइरिला के प्रकोप के कारण किसानों को फसल की सुरक्षा की चिंता सताने लगी है। किसान अचानक धान की फसल में हुए पाइरिला के निम्प के प्रकोप से इजाद पाने की तरकीब ढुंढ़ रहे हैं। कृषि विभाग के अधिकारी किसानों को धान की फसल को पाइरिला के निम्प के प्रकोप से बचाने के लिए किसी प्रकार के कीटनाशक की बजाए पोटास, यूरिया व जिंक के मिश्रण के स्प्रे का प्रयोग करने की सलाह दे रहे हैं। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि धान की फसल में मौजूद मासाहारी कीट ही पाइरिला के लिए कीटनाशक का काम करते हैं।
किसान रामकुमार, दयाकिशन, रामकरण ने बताया कि पाइरिला के निम्प ने उनकी फसल में दस्तक दे दी है। पाइरिला के आक्रमण के कारण उनकी धान की फसल सुखने लगी है। किसानों का कहना है कि पाइरिला कीट को धान की फसल में वो पहली बार देख रहे हैं। इससे पहले उन्होंने इस कीट को ज्वार व गन्ने की फसल में देखा है। किसानों का कहना है कि अभी तक यह कीट केवल ज्वार व गन्ने की फसल के आस-पास वाले धान के खेतों में नजर आया है।
रस चूसक कीट है पाइरिला
कृषि विकास अधिकारी डा. सुरेंद्र दलाल ने बताया कि पाइरिला के प्रौढ़ व बच्चे दोनों ही शाकाहारी कीट हैं। इस कीट के पीछे दो पूंछ होती हैं और इसके मुहं के स्थान पर डंक होता है, जिसकी सहायता से यह पत्तों का रस चूसकर अपना जीवनचक्र चलाता है। इस कीट का रंग सफेद होता है और यह बिल्कुल मच्छर के आकार का होता है। पाइरिला कीट ज्वार व गन्ने की फसल में ज्यादा पाया जाता है। इस समय ज्वार की फसल के पत्ते सुख जाने के कारण उनमें रस कम रह जाता है। इसलिए यह अपनी वंशवृद्धि के लिए दूसरी फसल की तरफ अपना रूख कर लेता है।
क्या करें किसान
: धान के पौधों पर मौजूद पाइरिला कीट। |
कृषि विकास अधिकारी डा. सुरेंद्र दलाल ने बताया कि किसानों को इस कीट से डरने की जरुरत नहीं है। इस कीट को कंट्रोल करने के लिए धान की फसल में काफी संख्या में मासाहारी कीट मौजूद होते हैं। धान की फसल में मौजूद परजीवी कीट इसकी पीठ पर बैठकर इसका खून पी कर इसका खात्मा कर देते हैं। इसके अलावा धान की फसल में मौजूद लोपा, तुलसा व डायन मक्खियां इसके प्रौढ़ व इसके शिशुओं का उड़ते हुए शिकार करती हैं। पाइरिला कीट पंख वहिन होता है और यह फुदक कर एक जगह से दूसरी जगह जाता है। इसलिए धान की फसल में मौजूद मासाहारी कीट पाइरिला के प्रौढ़ व शिशुओं का बड़ी आसानी से शिकार कर लेते हैं। पाइरिला के प्रकोप के कारण धान के पौधों में केवल रस की कमी हो सकती है और रस की कमी के कारण ही पौधा सुखता है। किसान पौधों में रस की कमी को पूरा करने के लिए अढ़ाई किलो पोटास, अढ़ाई किलो यूरिया व आधा किलो जिंक का 100 लीटर पानी में घोल तैयार कर धान की फसल में स्प्रे करें। इससे पौधों में रस की कमी पूरी हो जाएगी और धान की फसल पर पाइरिला के अटैक का कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
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