जींद : दिल्ली में सामूहिक दुष्कर्म की शिकार पीडि़ता को विभिन्न सामाजिक संगठनों ने रविवार को भी श्रद्धांजलि दी। वहीं भारत की जनवादी नौजवान सभा के आह्वान पर रविवार को कार्यकर्ताओं ने मुंह पर पट्टी बांधकर प्रदर्शन किया। भारत की जनवादी नौजवान सभा के आह्वान पर रविवार को कार्यकर्ताओं ने दिल्ली में सामूहिक दुष्कर्म की शिकार हुई छात्रा की मौत के बाद शहर में आरोपियों को कड़ी सजा देने की माग को लेकर मौन जलूस निकाला। जलूस के दौरान कार्यकर्ताओं ने मुंह पर काली पट्टी बाधी हुई थी। इसके साथ ही दो मिनट का मौन रखकर उसे श्रद्धांजलि भी दी गई। नेहरू पार्क में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए प्रधान असीम कुमार ने कहा कि दिल्ली में हुए गैंग रेप के विरोध में पूरा देश उतर आया है। बावजूद इसके सरकार अभी तक कठोर नियम बनाने पर विचार नहीं कर रही है। कानून सरल होने का फायदा आरोपियों को मिलता है, तभी देशभर में प्रदर्शन के बावजूद प्रदेश में दो गैंग रेप फिर हुए। देश व प्रदेश में जंगलराज कायम है। कोई भी व्यक्ति सुरक्षित नहीं है। खासकर आए दिन महिलाओं की इज्जत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। दिल्ली में चलती बस में छात्रा से गैंगरेप से सरकार ने कोई सबक नहीं लिया। इसी का नतीजा है कि प्रदेश में फिर से एक ही साथ दो सामूहिक दुष्कर्म हुए और पुलिस कुछ भी नहीं कर सकी। महिलाओं पर होने वाले अत्याचार व शोषण को रोकने के लिए फास्ट टै्रक कोर्ट का निर्माण हर जिले में करना चाहिए। साथ ही ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि आरोपियों के मन में कानून का भय हो और वह महिलाओं के साथ छेड़खानी व दुष्कर्म जैसी घटनाएं न कर सकें। अगर आरोपियों को शीघ्र कड़ी से कड़ी सजा नहीं दी गई तो युवा पूरे प्रदेश में आदोलन चलाने पर मजबूर होंगे। बाद में कार्यकर्ताओं ने मुंह पर काली पट्टी बाध कर मौन जलूस निकाला। वहीं सामाजिक संस्था जेसीआइ जींद रायल ने शनिवार देर शाम केंडल मार्च निकाल कर देश की लाडली को श्रद्धाजलि दी और दो मिनट का मौन रखकर मृतका की आत्मिक शांति के लिए प्रार्थना की। 13 दिनों तक जिन्दगी और मौत की जंग लड़ने के बाद दिवंगत हुई दिल्ली की छात्रा को जेसीआई जींद रायल ने भी सड़कों पर आकर अपनी संवेदना प्रकट की। देर शाम रायल जेसीज परिवार सफीदों गेट पर प्रस्तावित लाडली चौंक पर इकट्ठा हुए और वहा से हाथों में मोमबत्तिया जलाकर रानी तालाब के लिए मार्च शुरू किया। इस प्रदर्शन में काफी संख्या में बच्चे और महिलाएं भी शामिल थी। संस्था के संरक्षक जेसी अमर जैन ने कहा कि दामिनी ने पूरी हिम्मत से समाज के राक्षसों का सामना किया। वहीं जेजे विंग की चेयरपर्सन कुमारी महिमा ने कहा कि आज सड़कों पर चलना लड़कियों के लिए खतरे से खाली नही है और सुरक्षा का माहौल बनाना सारे समाज की जिम्मेदारी है। इस कार्यक्रम के परियोजना निदेशक जेसी विवेक सिंगला और विकास गुप्ता ने मार्च का संचालन किया। इस मौके पर संरक्षक जेसी अजेश जैन, अध्यक्ष सुनील मोंगा, सचिव बिजेंद्र सैनी, डॉ. कमल गिरोत्रा डॉ. आरके सहगल, दीपक घींगड़ा, तरुण गोयल, अमित दिवान, नितिन गोयल, राजेश जैन, कमल शर्मा तथा महिलाओं में ललिता रानी, गीता, कान्ता सैनी, सविता, नीरज, कन्नू, व लवली आदि शामिल थे। वहीं स्टेप अप डांस अकेडमी के सदस्यों ने रविवार को कैंडल मार्च निकाला और पीडि़ता को श्रद्धांजलि दी। अकेडमी से लेकर शहीद स्मारक तक कैंडल मार्च निकाला गया। वक्ताओं ने कहा कि इस प्रकार की घटनाओं से निपटने के लिए आगे आना होगा। डायरेक्टर जगदीप ने कहा कि अब पीडि़ता सो गई है, लेकिन हमारे समाज को जगा गई है। अब हमें उसके बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देना होगा और भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं दोबारा न हो ऐसी प्रार्थना की गई।
Monday, 31 December 2012
Sunday, 30 December 2012
जींद : दिल्ली में हुए सामूहिक दुष्कर्म के दोषियों को फांसी की सजा दिलाने की मांग को लेकर विभिन्न सामाजिक संगठनों, व्यापारियों व विद्यार्थियों ने शहर में मौन जलूस, कैंडल मार्च निकाला। इसके अलावा आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग के लिए जिला उपायुक्त के माध्यम से ज्ञापन भी प्रेषित किए गए।
महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ने जिला उपायुक्त को महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री तथा गृह मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। वहीं संस्थान के तत्वावधान में देर शाम पीडि़त की मौत पर जाट धर्मशाला से शहीदी स्मारक तक कैंडल मार्च भी निकाला गया। इसकी अगुवाई इंस्टीट्यूट के निदेशक राजकुमार भोला ने की। इससे पूर्व लोगों को संबोधित करते हुए निदेशक राजकुमार भोला व बेटी बचाओ, सृष्टि बचाओ के संयोजक अमित ने कहा कि पूरा भारत वर्ष भारत माता अपनी बेटी के गम में डूबा हुआ है। इंसानियत शर्मसार होकर अपना मुंह छिपाए हुए है। हम हमारी उस अभागी बेटी का जीवन बचाने में तो कामयाब नहीं हो पाए, लेकिन उसे वचन तो दे सकते हैं कि उसके जाने के बाद भी उसे इंसाफ जरूर मिलेगा। उन दरिंदों को फांसी देकर उसकी आखिरी इच्छा को पूरा करके ही उसे श्रद्धांजलि दी जाएगी। इसके बाद सभी एकत्रित होकर जिला उपायुक्त कार्यालय पहुंचे और राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन के माध्यम से मांग की गई कि पीड़िता की आखिरी इच्छा का ख्याल रखते हुए और बच्ची से इंसाफ करते हुए दोषियों को कम से कम फांसी की सजा दिलाकर उसे सच्ची श्रद्धांजलि दी जाए। वहीं देर शाम संस्थान के पदाधिकारियों व अन्य लोगों ने जाट धर्मशाला से लेकर शहीदी स्मारक तक कैंडल मार्च भी निकाला।
उधर पंजाबी बाजार तांगा चौक के व्यापारियों ने शहर में मौन जलूस निकाला। व्यापारी तांगा चौक पर एकत्रित हुए और बाजार से होते हुए शहर थाना, रानी तालाब होते हुए आसरी गेट से वापस तांगा चौक पर पहुंचे। इससे पूर्व वक्ताओं ने मांग की कि दिल्ली में हुई सामूहिक दुष्कर्म की पीडि़त लड़की के आरोपियों को सख्त से सख्त सजा दी जानी चाहिए। उन्होंने पीडि़ता की मौत पर शोक जताया और उसे श्रद्धांजलि दी।
वक्ताओं ने कहा कि आरोपियों को सजा सजा मिलनी चाहिए। यही लड़की को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
Friday, 28 December 2012
लिंगानुपात पर किया गांव में शोध
यही नहीं देश की पहली ग्राम सभा व सर्व खाप महापंचायत करने पर सरपंच का साक्षात्कार भी किया गया। छात्र आयुषी सिंह पिछले नौ दिनों से गांव में लोगों से मिलकर लिंगानुपात तथा भ्रूणहत्या पर उनके विचार जान रही है। उन्होंने गांव के लोगों से बातचीत की। गांव की उन महिलाओं से भी बातचीत की, जिनकी दो या दो से अधिक बेटियां हो। यही नहीं उन की महिलाओं की सास से भी बातचीत की। इसमें बहू व सास से अलग-अलग लड़कियों के बारे में विचार जाने गए। इसके अलावा समाज में लड़कियों को न स्वीकाराने के पीछे भी जानकारी जुटाई गई।
आयुषी ने यह भी जाना कि आखिर लिंगानुपात को सही करने में महिलाएं आगे बढ़कर अपनी भूमिकाएं क्यों नहीं निभा रही। गांव में भ्रूणहत्या को खत्म करने के लिए किए गए प्रयासों पर गांव के सरपंच सुनील जागलान से बातचीत की गई और आयुषी ने सुनील का साक्षात्कार शोध में शामिल किया। गांव के सरपंच सुनील जागलान ने भी गांव पर शोध करने पर आयुषी का धन्यवाद किया।
लेडी इरविन कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय की एमएससी फाइनल की छात्रा आयुषी सिंह ने बातचीत में बताया कि उसे यहां आकर काफी अच्छा लगा और शोध के लिए काफी अच्छी जानकारी एकत्रित हुई। गांव के लोगों ने जो प्रयास किया है, वह काफी सराहनीय है। यदि महिलाओं पर अत्याचार कम करने हैं तो महिलाओं को ही सबसे पहले आगे आना होगा।
Tuesday, 25 December 2012
ट्रेनों में भी महिलाओं की सुरक्षा होगी पुख्ता
जींद : ट्रेन में महिलाओ से बदतमीजी या छेड़छाड़ करने वालों की अब खैर नहीं है। ऐसे मनचले युवकों की महिलाओं के प्रति कोई भी गलत हरकत उन्हे जेल पहुंचा सकती है। महिलाओं के प्रति बढ़ती वारदातों के चलते राजकीय रेलवे पुलिस ने अहम कदम उठाए है। रेलवे पुलिस ने ट्रेनों में महिला पुलिस कर्मियों को तैनात किया है। इसके अलावा सादी वर्दी में भी पुलिस कर्मियों की ड्यूटिया लगाई गई है जो ऐसे मनचले युवकों को मौके पर ही पकड़ कर उन्हे जेल पहुंचाने का काम करेगे। महिलाओं के साथ अश्लील हरकतों और छेड़छाड़ की बढ़ती वारदातों को देखते हुए रेलवे पुलिस ने अहम कदम उठाया है। रेलवे पुलिस ने ऐसे मनचले युवकों का सबक सिखाने का फैसला लिया है। अब ट्रेनों में सादी वर्दी में महिला और पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। जो ट्रेनों में ऐसे युवकों की धरपकड़ करेगी, जिनका आचरण महिलाओं के प्रति ठीक नहीं होगा। अधिकतर मनचले युवक ट्रेनों में ऐसी हरकतों को ज्यादा अंजाम देते है। चलती ट्रेनों में युवकों के खिलाफ आवाज उठाने वाला कोई नहीं होता, जिससे उनके हौसले बढ़ जाते है। ऐसे में राजकीय रेलवे पुलिस की महिला तथा पुरुष पुलिस कर्मी डिब्बों में तैनात रहेगे और ऐसे युवकों को मौके से ही काबू करेंगे। इसके लिए जींद में भी तीन महिला पुलिस कर्मचारियों की तैनाती की गई है, जो सुबह से लेकर शाम तक ट्रेनों तथा रेलवे स्टेशनों पर ऐसे मनचलों पर नजर रखती है।
महिलाओं के साथ बढ़ती वारदातों के चलते महिला तथा पुरुष पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। रेलवे पुलिस कर्मचारी मौके से ही ऐसे युवकों को पकड़ेंगे। इसके अलावा ट्रेनों के अलावा रेलवे स्टेशनों पर भी चौकसी रहेगी।
विक्रम सिंह, थाना प्रभारी, राजकीय रेलवे पुलिस जींद
Monday, 24 December 2012
अब पुलिस चौकी व थानों में लगेंगे शिकायत बॉक्स
जींद : दुष्कर्म की घटना के अलावा अन्य किसी भी पीड़ा को लेकर पीड़ित महिला अपनी शिकायत के प्रति अब परेशान नहीं होगी। जींद पुलिस ने एक स्पेशल मुहिम को शुरू करने का कदम उठाया है।
महिलाएं अपनी परेशानी व शिकायत स्वयं पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचकर उनके समक्ष पेश होकर भी दर्ज करवा सकती है। इन शिकायतों को अधिकारी प्रमुखता से लेकर समाधान करेगे ताकि महिला को समय के रहते अपनी शिकायत में परेशानी न हो और आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सके। अब जींद जिले के प्रत्येक थाना व चौकी में एक एक शिकायत बॉक्स लगाया जाएगा ताकि महिलाएं स्वयं व किसी के माध्यम से अपनी लिखित शिकायत बॉक्स में डालकर न्याय की गुहार लगा सकें।
एसएसपी सौरभ सिंह ने सभी थाना प्रभारियों के अलावा चौकी इंचार्ज को आदेश जारी किए है कि वह अपने अपने थाने व चौकियों में एक महिला शिकायत बॉक्स तुरत प्रभाव से लगाएं ताकि महिलाएं अपनी शिकायत बॉक्स में डाल सकें। शिकायत मिलते ही मामले को संज्ञान में तुरंत लाकर कार्रवाई को अमल में लाया जाएगा ताकि महिलाओं को शिकायत में परेशानी न हो।
एसपी व डीएसपी कार्यालय में भी लगेगा बॉक्स
जींद एसपी कार्यालय में पहुचकर भी महिलाएं गुप्त तरीके से अपनी शिकायत बॉक्स के माध्यम से दे सकती है। शिकायत को पढ़ते ही मामले की गंभीरता को देखते हुए मामला संज्ञान में लाकर उचित कार्रवाई की जाएंगी और शिकायत देने वाले को पूरी तरह से न्याय दिलवाने का काम किया जाएगा। इसके अलावा जींद डीएसपी हेड क्वार्टर, डीएसपी कार्यालय नरवाना, डीएसपी कार्यालय सफीदों में भी शिकायत बॉक्स लगेंगे ताकि महिलाएं अपनी शिकायत दे सकें।
100 व 1091 नंबर पर टेलीफोन से दे सकते हैं शिकायत
शिकायत बॉक्स के अलावा महिलाएं अपनी शिकायत कंट्रोल रूम में 100 नंबर अपनी शिकायत दे सकती है। साथ ही ऑन लाइन 1091 हैल्प लाइन भी अपनी शिकायत बताएं। शिकायत पाते ही पुलिस महिला पीसीआर सहयोग के लिए मौके पर पहुच जाएगा।
शिकायत बॉक्स में दिन में दो बार सुबह 11 बजे व सायं पांच बजे खोला जाएगा ताकि उसमें पड़े पत्रों को पड़कर शिकायतों को अमल में लाया जा सके।
सौरभ सिंह, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जींद
Monday, 17 December 2012
दो जिलों के बीच पीस रही पीडि़ता
करनाल में सैक्स रैकेट की पीड़ित जींद के ढाठरथ गांव की महिला पिछले कई दिनों से न्याय की फरियाद को लेकर करनाल और जींद पुलिस अधिकारियों के चक्कर लगा रही है। मामला हाई प्रोफाइल होने के चलते पुलिस आरोपियों पर हाथ डालने से बच रही है। पीड़िता के सामने अब यही सवाल है कि उसने सैक्स रैकेट का पर्दाफाश कर कौन सा गुनाह किया है। पुलिस के जाच अधिकारी सिपाही से लेकर आईजी तक अपनी आपबीती सुनाई, लेकिन आरोपियों की ऊंची पहुच के चलते आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। पीड़िता ने रविवार को पुलिस अधीक्षक कार्यालय के बाहर रो-रोकर अपना दुखड़ा सुनाया। ढाठरथ निवासी पीड़ित महिला ने बताया कि उसकी शादी 29 मार्च 2010 को करनाल निवासी गुरनाम के साथ हुई थी। उसके पति के एक महिला के साथ अवैध संबंधों के चलते दोनों के संबंध खराब हो गए। इसके बाद वह अपनी रिश्तेदार करनाल के सुभाष गेट निवासी बॉबी उर्फ बिल्लो के पास रहने के लिए चली गई। पेशेवर बॉबी ने उसे नशीला पदार्थ खिलाकर सैक्स रैकेट में धकेल दिया और उसकी अश्लील सीडी भी बना ली। उसके बाद सीडी को सार्वजनिक करने की धमकी देकर उससे अनैतिक धधा कराया जाने लगा। बॉबी के पास पुलिस के कर्मचारियों तथा अधिकारियों का आना-जाना लगा रहता था, जिनके साथ संबंध बनवाए जाते थे। जुबान खोलने पर मामले में फंसवाने की धमकी दी जाती थी। महिला ने आरोप लगाया कि बॉबी के माध्यम से ही ग्राहक के रूप में उसका संपर्क एक वकील विक्रम से हुआ। उसने बताया था कि वह जींद की जानी-मानी हस्ती है और उसकी पहुच ऊपर तक है। वकील विक्रम ने तलाक कराने और मुफ्त में केस लड़ने का आश्वासन दिया और उसके साथ कई बार शारीरिक संबंध बनाए। किसी तरह वह चुंगल से भाग निकलने में कामयाब हो गई और अपने मायके ढाठरथ गांव पहुचकर परिजनों को घटना के बारे में बताया। इसके बाद समाजसेवी महिला उषा के माध्यम से मामले को जींद पुलिस तथा करनाल के पास लेकर गई। पुलिस ने कुछ लोगों के खिलाफ मामला तो दर्ज कर लिया, लेकिन जब दुराचार में करनाल के संबंधित थाना क्षेत्र प्रभारी का नाम आने तथा वकील का नाम आने पर पुलिस ने मात्र खानापूर्ति पूरी कर अपना पल्ला झाड़ लिया। वह पुलिस अधिकारियों के सामने रोई, गिड़गिड़ाई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। उसने मांग की है कि आरोपियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए।
पुलिस प्रशासन करे कार्रवाई
इस मामले में महिला की मदद करने के लिए आगे आई समाजसेवी उषा का कहना है कि पुलिस को इस मामले में तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए और आरोपियों को पकड़कर महिला को न्याय दिलाना चाहिए। उसने कहा कि करनाल में जो यह सैक्स रैकेट चल रहा है, उसे भी पुलिस को खत्म करके आरोपियों को पकड़ना चाहिए।
एसपी से मिला पीडि़त परिवार
इस बारे में पीडि़त महिला की मां का कहना है कि वह इस बारे में पुलिस अधीक्षक जींद सौरभ सिंह से मिले और उन्होंने करनाल पुलिस को फोन करके कार्रवाई का आश्वासन दिया था कि अब वहां उनकी बात सुनी थी। जींद पुलिस ने उनका साथ दिया है और आगे वहां करनाल में कोई कार्रवाई नहीं हो रही।
Saturday, 15 December 2012
24 को जिला स्तर पर होगी भूख हड़ताल : शहनवाज
जींद : इंटर्नशिप के विरोध और एचटेट को जल्द से जल्द आयोजित करने की मांग पर जेबीटी स्टूडेंट फोरम हरियाणा के आह्वान पर राज्यस्तरीय सम्मेलन नेहरू पार्क में प्रदेशाध्यक्ष शहनवाज की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। इसमें निर्णय लिया गया कि एक जनवरी 2013 को पूरे प्रदेश के विंद्यार्थी चंडीगढ़ कूच करेंगे। नए वर्ष के अवसर पर हरियाणा सरकार को शिक्षा में देश में पहले नंबर पर कहने का आइना दिखाया जाएगा। प्रदेशाध्यक्ष शहनवाज ने कहा कि 24 दिसंबर को पूरे प्रदेश में जिला स्तर पर भूख हड़ताल की जाएगी। सरकार के विद्यार्थी विरोधी फैसलों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मंच संचालन राज्य सचिव मंडल सदस्य मानव प्रदीप एवं क्रांति ने संयुक्त रूप से किया। एसएफआइ के सचिव मनोज कुमार ने कहा कि सरकार का यह फैसला जनतंत्र विरोधी है। राज्य व केंद्र सरकार सार्वजनिक शिक्षा पद्धति को खत्म करना चाहती है। सरकार ने 2008 में राज्य के तीन जिलों के 70 स्कूल भारती फाउंडेशन को बेच दिया थे। विद्यार्थी एवं अध्यापकों के विरोध के कारण सरकार को झुकना पड़ा था। अभी सरकार ने जेबीटी में इंटर्नशिप को लागू करना, प्राइमरी स्कूल शिक्षा पद्धति को खत्म करने का दूसरा कदम है। जेबीटी स्टूडेंट एवं एसएफआइ इसको सहन नहीं करेगी और आंदोलन को तेज करके सरकार को मजबूर एवं झुका कर ही दम लिया जाएगा। इस अवसर पर एसएफआइ के जिलाध्यक्ष अशोक, मोनिका, हेमंत, मनीत, कुलदीप, सुशीला, पवन कुमार आदि मौजूद थे।
खून की नियमित जांच कराएं गर्भवती महिलाएं : डॉ. जैन
जींद : स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. रजनीश जैन ने कहा कि गर्भवती महिलाओं को अपने खून की समय-समय पर जांच करानी चाहिए, क्योंकि गर्भवती महिलाओं में खून की कमी होने के कारण बाद में स्थित बेहद खराब हो जाती है, इसलिए गर्भवती महिलाओं को आयरन की गोलियां खाने के अलावा आयरनयुक्त भोजन लेना चाहिए। गर्भवती महिलाओं के अलावा महिलाओं में भी खून की कमी देखी जा सकती है। एक स्वस्थ महिला में कम से कम 12 ग्राम खून होना जरूरी है, लेकिन महिलाओं में मुश्किल से नौ से दस ग्राम खून होता है, जिस कारा महिलाओं को खासी परेशानी होती है। महिलाओं को चक्कर आने व बीपी आदि की शिकायत होने लगती है। महिलाओं को गर्भधारण करने की योजना बनाने से कम से कम तीन महीने पहले अपने आहार में उचित सुधार करना चाहिए। संतुलित आहार लेने से स्वस्थ बच्चा होने की संभावना बढ़ जाती है। स्वस्थ गर्भावस्था के पूर्व आहार योजना बनाना अच्छा रहता है। संतुलित आहार खाद्य पदाथरें की समुचित और मात्रा और किस्मों का तालमेल है। ये आपके वजन पर निर्भर करता है कि आपको कितनी मात्रा में और क्या खाना है। रोजाना फलों और सब्जियों में आयरन युक्त भोजन लेना चाहिए। सर्दी के मौसम में सोयाबीन, सेम, मसूर, मूंगफली, मक्खन और दालों को भी शामिल करें। गर्भावस्था से पहले दूध, पनीर, दही और अन्य डेयरी उत्पादों को अपने आहार में शामिल करें। नाश्ते में आयरन में समृद्ध पदार्थ जैसे दाल, सूखे फल, गेहूं की रोटी, हरी पत्ते दार सब्जिया और अनाज जरूर ले। आयरन गर्भावस्था के दौरान की जरूरी होता है। अपने आहार में विटामिन-सी युक्त पदाथरें को शामिल करें। महिलाओं को अपने स्वास्थ्य की विशेष ध्यान रखना चाहिए। समय-समय पर चिकित्सक से परामर्श लेकर विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए।
Sunday, 9 December 2012
नाबालिग लड़की की शादी रुकवाई
जींद : पालवां गांव में एक नाबालिग लड़की की शादी को प्रोटेक्शन अधिकारी कृष्णा चौधरी ने रुकवा दिया। दो दुल्हनों की आई बारात में एक दूल्हे को बिना दुल्हन के लौटना पड़ा। शादी समारोह में उस समय विघ्न पैदा हो गया जबकि महिला एवं बाल विकास विभाग की प्रोटेक्शन अधिकारी कृष्णा चौधरी पुलिस अमले के साथ विवाह समारोह में पहुंच गई। दो दुल्हनों में से एक के नाबालिग मिलने से उसकी शादी को रुकवा दिया गया। ऐसे में बड़े दूल्हे की ही शादी हो पाई। पालवां निवासी एक व्यक्ति की दो लड़कियों की शादी रविवार को होनी थी। प्रोटेक्शन अधिकारी कृष्णा चौधरी को सूचना मिली कि पालवां गांव में दो लड़कियों की बारात खरक पांडवा (जिला कैथल) से आनी है और उनमें से एक लड़की नाबालिग है। इस पर प्रोटेक्शन अधिकारी ने उचाना पुलिस को साथ लिया और गांव में विवाह समारोह में पहुंच गई। विवाह समारोह का आनंद ले रहे लोग उस समय भौचक्के रह गए, जब भारी पुलिस बल के साथ प्रोटेक्शन अधिकारी ने दोनों दुल्हन बनी लड़कियों की आयु का प्रमाण पत्र दिखाने की बात कही। परिवार वाले भी इस कार्रवाई से सहम गए और बाद में दोनों लड़कियों की आयु के लिए शिक्षा प्रमाणपत्र दिखाए। इनमें दुल्हन बनी छोटी लड़की की उम्र 16 वर्ष पाई गई। इस पर प्रोटेक्शन अधिकारी ने उसे नाबालिग होने पर उसकी शादी को रोकने के लिए कहा और दोनों पक्षों से बातचीत कर शादी को बालिग होने तक रुकवा लिया गया। इस पर दोनों पक्षों ने प्रोटेक्शन अधिकारी को लिखित में यह आश्वासन दिया है। नाबालिग लड़की मिलने के कारण दूल्हा बनकर आए रामनिवास की शादी नहीं हो पाई।
जिला प्रोटेक्शन अधिकारी कृष्णा चौधरी ने बताया कि दो लड़कियों में से एक लड़की नाबालिग मिलने से उसकी शादी को रुकवा दिया है जबकि दूसरी लड़की की शादी खुशी से संपन्न हो गई। शिक्षा प्रमाण पत्रों के आधार पर छोटी लड़की की उम्र 16 वर्ष पाई गई है। ऐसे में दोनों पक्षों से बातचीत कर उसकी शादी को बालिग होने तक रुकवा दिया।
आधार कार्ड के लिए थोड़ी सी चूक हो सकती महंगी साबित
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण की ओर से बनाया जा रहा आधार कार्ड हमारी पहचान है। इसमें दी गई संबंधित कई निजी जानकारियां होंगी। इस आधार कार्ड को लेकर आपकी थोड़ी सी चूक महंगी साबित हो सकती है। यदि कुछ सावधानियां रखी जाए तो इससे बचा भी जा सकता है।
आधार कार्ड का पंजीकरण करते समय आपको जो नामांकन स्लिप मिली है, उसे संभालकर रखे। किसी दूसरे को नामांकन नंबर न दे और न ही इंटरनेटर पर इसे पोस्ट करे। मोबाइल नंबर सही कन्फर्म करें। ऐसा हो सकता है कि आपके बारे में किसी को शुरुआती जानकारी मिल जाए तो आपका आधार कार्ड डाउन लोड करके उसका दुरुपयोग हो सकता है। डाउनलोड किया गया यह ई आधार कार्ड सिम लेने से लेकर बैंक खाता खुलवाने तक सभी में पहचान के रूप में काम आ सकता है। यही नहीं इसके चलते कई गैर कानूनी कार्यो को अंजाम दिया जा सकता है।
साइट पर नामांकन क्रमांक, नाम और पिन कोड देकर आधार कार्ड डाउनलोड किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में जो आधार कार्ड लोड किया जाना है, उसके रजिस्टर मोबाइल नंबर पर एसएमएस से पासवर्ड भेजा जाता है। सिस्टम कन्फर्म करता है कि मोबाइल नंबर सही है या नहीं? यदि नो आप्शन पर क्लिक किया जाता है तो साइट नया नंबर पूछती है। आपका मोबाइल नंबर, नाम किसी को पता है तो इस प्रक्रिया में कोई भी शातिर अपना मोबाइल, नंबर डालकर पासवर्ड कोड का एसएमएस प्राप्त कर सकता है। पास वर्ड आते ही कार्ड डाउन लोड हो जाता है।
फर्जीवाडे़ से बचने के लिए डाउन लोडिंग के समय मोबाइल नंबर में बदलाव वाले आप्शन को बंद किया जा सकता है। जैसे माता-पिता का नाम, ग्रुप आदि। आधार कार्ड के इस मसले पर असल दिक्कत मोबाइल नंबर के कन्फरमेशन वाले हिस्से में है। यही इकलौता सिक्योरिटी फीचर भी है। वहां अगर गलत नंबर कन्फर्म कर दिया तो पासवर्ड दूसरे मोबाइल नंबर पर चला जाएगा। उस मोबाइल नंबर वाले को किसी तरह से आपका नामांकन नंबर पता चल जाता है तो वह आपका आधार कार्ड डाउन लोड कर सकता है। इसलिए नामांकन स्लिप व मोबाइल नंबर का कन्फर्म होना कई तरह की परेशानियों से बचा सकता है।
हो सकता है इंटरनेट से डाउनलोड
यूआइडी ने आधार कार्ड को आन लाइन डाउन लोड करने की व्यवस्था शुरू कर दी है, लेकिन डाउनलोड अधिक आसान करने के चलते सुरक्षा मानकों का ध्यान नहीं रखा गया है। पिछले दिनों साइट पर सारी जानकारी ओपन फॉर्म (सबको दिखाई देने वाली) पर दे रखी है, जोकि कार्ड डाउनलोड करने के लिए पर्याप्त होती है।
Wednesday, 5 December 2012
फाइलों में ही दम तोड़ गई जिला प्रशासन की गौ रक्षक योजना
डी.सी. के आदेशों के 10 माह बाद भी नप ने योजना पर नहीं किया अमल
जींद। जिले में गऊ कल्याण योजना फाइलों में ही सिमटकर रह गई। उपायुक्त के आदेशों के लगभग 10 माह बाद भी योजना पर अमल नहीं हुआ है। शहर में आवारा घूम रही पूजनीय गऊ माता की दुर्गति हो रही है। प्रशासन की तरफ से जिले में आवारा घूम रही गायों के लिए योजना बनाकर नगर परिषद को इसका जिम्मा सौंपा गया था। लेकिन नगर परिषद तक यह योजना पहुंचते ही फैल हो गई और नप की तरफ से इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाया। नगर परिषद की इस लापरवाही का फायदा गौ तस्कर उठा रहे हैं और रात्रि के समय बेजुबान इन गायों को वाहनों में भरकर गौकसी के लिए लेकर जा रहे हैं। ऐसे में प्रशासन की इस लापरवाही से गौभक्तों में लगातार विरोध हो रहा है। हालांकि शहर में आवारा गायों की तदाद बढऩे से सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि होने की आशंका भी बनी रहती है। ऐसे में सड़क दुर्घटनाएं के एक मुख्य कारण को जनाने के बावजूद भी प्रशासन केवल गऊ माता के कल्याण की योजनाएं बनाने तक ही सीमित रह गया है और योजनाओं को अमलीजामा पहनाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। हालांकि आवारा घूम रही इन गायों में सबसे ज्यादा दुधारू गायें हैं। जिनके मालिक सुबह व शाम के वक्त इन गायों का दूध निकालकर बाहर घूमने के लिए छोड़ देते हैं। बाद में गाय शहर में फल फ्रूट व सब्जी का कार्य करने वालों के लिए परेशानी बढ़ा देती हैं।
10 माह बाद भी उपायुक्त के आदेशों पर नहीं हुआ अमल
शहर की सड़कों पर आवारा घूम रही गायें। |
जिले में गऊ माता के बढ़ रहे अनादर को देखते हुए फरवरी 2011 को उपायुक्त डा. युद्धबीर ख्यालिया ने जिले के गऊशालाओं प्रबंधकों व नगर परिषद के अधिकारियों की बैठक लेकर इन आवार गायों को पकड़कर गऊशाला में छोडऩे के आदेश दिए थे। आदेशों में कहा गया था कि आवारा घूमने वाले पशुओं को गऊशालाओं में छुडवाएं। पकड़ी हुई गायों को जो भी मालिक छुड़वानें के लिए आएगा उसे 3 हजार रुपए की राशि जुर्माने अथवा खर्च के रूप में अदा करनी होगी और यदि गाय का मालिक बार-बार गायों को आवारा छोड़ता है तो उसके खिलाफ आपराधिक मामला भी दर्ज किया जाएगा। इसमें भिवानी रोड पर स्थित श्री गऊशाला ने आवारा गायों को अपनी गऊशाला में रखने का जिम्मा दिया गया था लेकिन लगभग 10 माह बीत जाने के बावजूद भी उपायुक्त के आदेशों की आज तक पालना नहीं हुई है।
गौ संरक्षण के लिए प्रशासन को उठाने चाहिएं ठोस कदम
बजरंग दल गऊ रक्षा संघ के जिला प्रमुख नरेन्द्र शर्मा ने कहा कि सर्दी के साथ ही जिले में गऊओं की तस्करी के मामले बढऩे लगे हैं। तस्करी पर लगाम लगाने के लिए 4 दिसम्बर को हिसार में संगठन की बैठक होगी। बैठक में गौ तस्करी को रोकने के लिए रणनीति तैयार की जाएगी। उन्होंने बताया कि संगठन द्वारा धुंध का मौसम शुरू होते ही जगह-जगह पर नाके लगाकर वाहनों की जांच की जाती है और तस्करी के लिए जा रही गायों से भरे हुए वाहनों को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया जाता है। लेकिन पुलिस प्रशासन की तरफ से उन्हें सहयोग नहीं मिलता है। गायों की तस्करी के कारण इनकी संख्या लगातार कम होती जा रही है। अगर इसी प्रकार चलता रहा तो 15 से 20 वर्षों में गाय का नामो-निशान ही मिट जाएगा। इसलिए प्रशासन की तरफ से गायों की संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
एच.आई.वी. जिन्न के जबड़ों में फंस रही जिंदगियां
पिछले 10 माह में 100 का आंकड़ा पार कर चुका है एच.आई.वी. का वायरस
जींद। एड्स जैसी लाइलाज बीमारी को कंट्रोल करने के लिए एड्स कंट्रोल सोसायटी व स्वास्थ्य विभाग की सारी मेहनत बेकार हो रही है। एड्स कंट्रोल सोसायटी व स्वास्थ्य विभाग के लाख प्रयासों के बावजूद भी एच.आई.वी. का जिन्न बोतल में बंद होने का नाम नहीं ले रहा है। विभाग द्वारा हर वर्ष जागरूकता अभियानों पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद भी जिले में एड्स का ग्राफ नीचे आने की बजाए लगातार ऊपर की ओर बढ़ रहा है। अब तो एच.आई.वी. का वायरस गर्भवती महिलाओं को भी अपनी चपेट में ले रहा है। जिले में पिछले 10 वर्षों में एच.आई.वी. के पाजीटिव केसों का आंकड़ा 100 के पार पहुंच गया है। एच.आई.वी. के केसों में हो रही बढ़ौतरी से यह अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है कि सरकार व स्वास्थ्य विभाग जागरूकता अभियानों पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद भी एच.आई.वी. के इस जिन्न को बोतल में बंद करने में नाकाम है। एड्स के आंकड़ों की रफ्तार को देखते जिले में स्थित काफी भयानक और चिंताजनक है।
ड्राइवरों के सबसे ज्यादा पाजीटिव केस
एच.आई.वी. पाजीटिव पुरुषों के मामलों में सबसे ज्यादा तादाद ड्राइवरों की है। सूत्रों के अनुसार पुरुषों में करीबन 60 प्रतिशत तक ड्राइवर पाजीटिव मिले हैं। ये लोग असुरक्षित यौन संबंधों के चलते इस खतरनाक वायरस की चपेट में आ रहे हैं। जिले में एच.आई.वी. के फैलाव का बड़ा कारण इसे ही माना जाता है।
पुरुष ज्याद आ रहे हैं एच.आई.वी. संक्रमण की चपेट में
स्वास्थ्य विभाग के पास पिछले 10 माह में करीबन 3500 से ज्यादा लोग एच.आई.वी. की जांच के लिए पहुंचे। इनमें 100 से ज्यादा लोग एच.आई.वी. पाजीटिव मिले हैं। इसमें लगभग 34 मामले महिलाओं के व 73 मामले पुरुषों के पाजीटिव पाए गए हैं। इसमें 5 गर्भवती भी पाजीटिव पाई गई हैं। आंकड़ों के अनुसार एच.आई.वी. संक्रणम की चपेट में सबसे ज्यादा पुरुष आ रहे हैं।
एच.आई.वी. के पिछले आठ माह के आंकड़े
माह कुल टेस्ट पाजीटिव पुरुष पाजीटिव महिला गर्भवती
जनवरी 270 3 3 1
फरवरी 307 3 4 0
मार्च 561 7 8 1
अप्रैल 373 6 4 0
मई 476 9 7 2
जून 455 4 5 0
जुलाई 503 10 4 1
अगस्त 374 6 4 0
कुल 3319 48 39 5
जिले में वर्ष 2010 में 139 तो 2011 में 92 केस रहे पाजीटिव पाए गए।
वर्ष 2010 में पाए गए सबसे ज्यादा पाजीटिव केस
इससे पहले वर्ष 2010 के दौरान भी एच.आई.वी. के आंकड़े काफी भयानक रहे हैं। वर्ष 2010 में 5100 लोग टेस्ट करवाने के लिए सामान्य अस्पताल तक पहुंचे। इनमें से 139 लोग एच.आई.वी. वायरस से ग्रस्त पाए गए। इसमें 88 पुरुष पाजीटिव रहे तो 51 महिलाएं भी पाजीटिव पाई गई। इसके अलावा वर्ष 2011 में 92 पाजीटिव केस सामने आए। इनमें 48 पुरुष तो 44 महिलाएं पाजीटिव पाई गई।
पर्याप्त संतुलित आहार व नशे से दूरी बढ़ा सकती है लाइफ
एच.आई.वी. की रिपोर्ट पाजीटिव आने पर पीडि़त को रोहतक मैडीकल कालेज स्थित ए.आर.टी. सैंटर में रैफर कर दिया जाता है। वहां पर उसके कुछ और टेस्ट किए जाते हैं। इसके बाद उसका उपचार शुरू कर दिया जाता है। एड्स एक लाइलाज बीमारी है। अभी तक इस बीमारी का कोई स्थाई उपचार नहीं है। पीडि़त रेगूलर दवाइयां लेता रहे तो उसको काफी आराम मिलता है। इसके साथ ही नशे से दूर रहकर तथा पर्याप्त संतुलित आहार लेने से पीडि़त एच.आई.वी. वायरस से लड़ कर अपने जीवन की डोर को काफी लंबा ङ्क्षखच सकता है।
जागरुकता अभियानों में रहे छेदों को करना होगा बंद
करोड़ों रुपए बहाकर चलाए जा रहे एड्स विरोधी अभियान की सच्चाई इन आंकड़ों के सामने दम तोड़ जाती है। एचआई की रफ्तार सरकार, स्वास्थ्य विभाग व समाज तीनों के लिए ङ्क्षचता की बात है। जहां समाज का एक बड़ा हिस्सा एच.आई.वी. की चपेट में आता जा रहा है, वहीं सरकार व स्वास्थ्य विभाग करोड़ों खर्च कर भी लोगों को इससे नहीं बचा पा रहा है। एच.आई.वी. की ओवरस्पीड सरकार व विभाग के अभियान में छेद की ओर साफ इशारा कर रही है। यदि वास्तव में समाज को जानलेवा एच.आई.वी. से बचाना है तो सरकार व स्वास्थ्य विभाग को अपने अभियान में रहे इन छेदों को बंद करना होगा।
एच.आई.वी. को रोकने के लिए विभाग करता है हर संभव प्रयास : सिविल सर्जन
इस बारे में जब सिविल सर्जन डॉ. राजेंद्र प्रसाद से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि पिछले वर्षों की बजाए इस वर्ष स्थित काफी नियंत्रित है। जिले में सी.एच.सी. स्तर पर 5 सैंटर खोले गए हैं। इन सैंटरों में एक काऊंसलर की नियुक्ति की गई है, जो एच.आई.वी. के बारे में पूरी जानकारी देता है। इसके अलावा नुक्कड़ नाटकों के जरिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है। गर्भवतियों, टी.बी. के मरीजों के अलावा जो भी मरीज आप्रेशन के लिए आता है उसका भी टैस्ट किया जाता है। पाजीटिव मिलने पर विभाग का वर्कर उसके घर पर जाकर चेकअप करता है। विभाग एच.आई.वी. को कंट्रोल करने के लिए हर संभव प्रयास करता है।
अब सहज व सुहाना नहीं रहा रोडवेज का सफर
सिकुड़ रहा रोडवेज का बेड़ा
महज 150 बसों के सहारे साढ़ 13 लाख आबादी का सफर
जींद। जिले में आबादी बढ़ रही है लेकिन रोडवेज के जींद डिपो का बेड़ा तेजी से सिकुड़ता जा रहा है। डिपो में नई बसों की इंट्री इतनी रफ्तार से नहीं हो रही है, जितनी रफ्तार से कंडम बसें बेड़े से बाहर हो रही हैं। इस वक्त जींद डिपो के बेड़े में 150 बसें दौड़ रही हैं। इन बसों के दम पर ही जिले की साढ़े 13 लाख की आबादी का सफर तय हो रहा है। कभी जींद डिपो के बेड़े में 275 से ज्यादा बसें होती थी, जो इतिहास बन चुकी हैं।
अब जिले के लोगों के लिए रोडवेज का सफर सहज व सुहाना नहीं रह गया है। इसका कारण है कि रोडवेज के बेड़े में इतनी बसें नहीं बची हैं, जो यात्रियों के सफर को सुहाना व आरामदायक बना दें। जिस रफ्तार से जिले में आबादी बढ़ रही है उससे तेज रफ्तार से रोडवेज बेड़े से बसें कंडम होकर बाहर हो रही हैं। रोडवेज में सफर करना यात्रियों के जी का जंजाल बन जाता है। बसों में इतनी भीड़ होती है कि महिलाओं व बच्चों की जान सांसत में आ जाती है। इतना ही नही बसें ओवरलोड होकर चलती हैं। विद्यार्थी रोजाना बसों की छतों पर सफर करते देखे जा सकते हैं। इससे रोडवेज का सफर खास विद्यार्थियों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। इसके लिए रोडवेज डिपो में बसों के टोटे को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। पिछले 20 सालों के दौरान जींद डिपो का बेड़ा तेजी से सिकुड़ता गया है। वर्ष 1986 में रोडवेज बेड़े में 275 बसें सड़कों पर दौड़ती थी। वर्ष 1995 में रोडवेज बेड़े से बसें कम होकर 250 रह गई। वर्ष 1995 तक बेड़े से करीबन 100 बसें बाहर हो चुकी थी। इसके बाद तो बेड़े से बसों के हटने का सिलसिला तेज रफ्तार पकड़ गया। वर्कशॉप कर्मचारियों की मानें तो हर माह 10-12 बसें कंडम होकर बेड़े से बाहर हो रही हैं। आलम यह है कि आज इस बेड़े में महज 150 बसें रह गई हैं। खास बात यह है कि इस दौरान जिले की आबादी तेजी से बढ़ी। आबादी में करीब-करीब दोगुनी बढ़ौतरी दर्ज की गई है। आज जिले की आबादी साढ़े 13 लाख तक पहुंच चुकी है। साफ है कि जितनी रफ्तार से जिले की आबादी बढ़ी, उससे ज्यादा तेजी से बसों की तादाद कम होती गई। लेकिन आबदी की रफ्तार के साथ नई बसें बेड़े में शामिल नहीं हुई। इसका परिणाम यह है कि आज रोडवेज का बेड़ा सिकुड़़कर 150 बसों पर आ टिका है। जिले के साढ़े 13 लाख लोगों को 150 बसें ही जैसे-जैसे ढोह रही हैं।
2 परिवहन मंत्रियों के बाद भी हाथ मलता रह गया डिपो
इसे जींद जिले के लोगों की भाग्य की विडंबना ही कहा जा सकता है कि 2-2 परिवहन मंत्री देने के बावजूद भी बेड़े में सुधार आने की बजाय घटता ही गया। वर्ष 2005 के दौरान प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी और जिले के नरवाना हलके से रणदीप ङ्क्षसह सुरजेवाला विधायक बने। सुरजेवाला को परिवहन विभाग का मंत्री बनाया गया। उनके मंत्री बनने के बाद जिले के लोगों को उम्मीद बंधी थी कि शायद अब मंत्री जी कम से कम जींद डिपो की सुध जरूर लेंगे। जींद डिपो में पर्याप्त बसें शामिल होंगी और उनका मुश्किलों भरा सफर कुछ हद तक सुहाना होगा। लेकिन जिला वासियों की आस जल्द ही टूट गई, क्योंकि मंत्रीजी ने जींद डिपो की सुध लेने की जहमत नहीं उठाई और उस वक्त भी जींद डिपो बसों के लिए तरसता रहा। इसके बाद जींद के विधायक मांगेराम गुप्ता मंत्री बने तो उनको भी परिवहन विभाग दिया गया। लोगों ने गुप्ता से भी उम्मीदें लगाई, जो पूरी नहीं हो पाई। इस दौरान भी जींद डिपो की स्थिति पहले वाली रही। डिपो में चंद नई बसें शामिल हुई होंगी, लेकिन कंडम बसें उससे ज्यादा बाहर हुई।
ग्रामीण क्षेत्रों की यातायात व्यवस्था हो रही है प्रभावित
रोडवेज बेड़े में बसों की कमी के कारण सबसे ज्यादा दिक्कत ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को हो रही है। बसों की कमी के चलते ग्रामीण क्षेत्रों की सेवाएं बंद पड़ी हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्र से शहर में नौकरी के लिए आने वाले व्यक्तियों व पढ़ाई के लिए स्कूल व कालेजों में आने वाले विद्याॢथयों को सबसे ज्यादा दिक्कत उठानी पड़ती है। ग्रामीण क्षेत्रों की यातायात व्यवस्था दुरुस्त नहीं होने के कारण ज्यादातर लोग या तो अपना निजी वाहन लेकर शहर में आते हैं या फिर प्राइवेट वाहनों का सहारा लेते हैं।
छात्रों के लिए जानलेवा साबित हो रहा सफर
बस की छत पर सवाहर होकर सफर करते स्कूली बच्चों का फोटो।
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रोडवेज का सिकुड़ता बेड़ा छात्रों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। बसों के टोटे का खामियाजा सबसे ज्यादा इन्हीं को भुगतना पड़ रहा है, क्योंकि आम यात्री तो बसों का मोह छोड़कर मैक्सी कैबों का रूख कर लेते हैं। लेकिन छात्रों ने पास बनवाए होते हैं और निजी वाहनों में किराए की परेशानी से बचने के लिए वे हर हाल में रोडवेज बस के सफर को ही वरीयता देते हैं। बसों के अंदर जगह नहीं मिलने से छात्र छतों पर चढ़ जाते हैं। इसमें कई बार छात्र नीचे गिर जाते हैं और अपनी जान तक गंवा देते हैं।
शैड्यूल बनाकर सभी रूटों पर चलाई जा रही हैं बसें : टी.एम.
इस बारे में रोडवेज के यातायात प्रबंधक रघुबीर ङ्क्षसह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस वक्त जींद डिपो में 150 के लगभग बसें हैं, जो सड़कों पर दौड़ रही हैं। समय-समय पर बेड़े में नई बसें शामिल हो रही हैं। जींद डिपो को भी कोटे के अनुसार बसें मिल रही हैं। फिर भी यात्रियों की सुविधा के लिए सही शेडयूल बनाकर विभिन्न रूटों पर बसें चलाई जा रही हैं। रोडवेज का प्रयास है कि ज्यादा से ज्यादा यात्रियों को बसों की सुविधा मुहैया हो सके।
किसानों के लिए मददगार साबित नहीं हो रहे हैं पॉली हाऊस
मार्कीटिंग की व्यवस्था न होने के कारण किसानों को नहीं मिल रहे हैं उत्पादों के अच्छे भाव
जींद। सरकार द्वारा किसानों को परम्परागत खेती से हटाकर आधुनिक खेती की तरफ आकर्षित करने के लिए बागवानी विभाग के माध्यम से अनुदान पर पॉली हाऊस लगाने के लिए शुरू की गई योजना को मार्कीट के अभाव के कारण करारा झटका लग रहा है। बागवानी विभाग ने पॉली हाऊस में बेमौसमी सब्जियां उगाकर अच्छी आमदनी लेने के लिए किसानों को ऊंचे सपने तो दिखा दिए लेकिन विभाग द्वारा सब्जियों की बिक्री के लिए उचित व्यवस्था नहीं करने के कारण किसानों के इन सपनों पर कुछ ही समय में ग्रहण लग गया है। बागवानी विभाग द्वारा किसानों के लाखों रुपए खर्च करवाकर पॉली हाऊस तो खड़े करवा दिए लेकिन लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद भी यह पॉली हाऊस किसानों के लिए मददगार साबित नहीं हो पा रहे हैं। विभाग द्वारा सब्जियों की मार्कीटिंग की उचित व्यवस्था नहीं किए जाने के कारण किसानों को महंगे भाव की सब्जियां मजबूरन कौडिय़ों के भाव बेचनी पड़ रही हैं। किसानों द्वारा विभाग के अधिकारियों के पास अलग से मार्कीटिंग की व्यवस्था की बार-बार गुहार लगाने के बावजूद भी अधिकारी इस ओर से अपने हाथ पीछे खींच रहे हैं। इस प्रकार अधिकारियों की बेरूखी के कारण अब पॉली हाऊस भी किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रहे हैं।
सब्जियों के नहीं मिल रहे हैं अच्छे भाव
अलेवा के किसान जोगेंद्र ने बताया कि घरौंडा स्थित उत्कृष्ट केंद्र के अधिकारियों की मानकर उसने अपने पॉली हाऊस में अंजलि यैलो व आदित्यी रैल किस्म की शिमला मिर्च की फसल तैयार की थी। उत्कृष्ट केंद्र के अधिकारियों ने इस फसल के लिए उसे प्रेरित किया था और उसे बताया गया था कि यह बेमौसमी फसल है और फसल तैयार होने के बाद मार्कीट में किसानों को इसके 135 रुपए प्रति किलो के हिसाब से भाव मिलेंगे। लेकिन उनकी इस फसल के साथ ही हिमाचल से भी शिमला मिर्चों की सप्लाई शुरू हो चुकी है। इस कारण उनकी उन्हें उनकी फसल के अच्छे भाव नहीं मिल पा रहे हैं। 135 रुपए प्रति किलो की उनकी यह सब्जी अब मार्कीट में 8 रुपए किलो के भाव बिक रही है। इसके अलावा पॉली हाऊस में तैयार किया गया टमाटर भी सिर्फ 208 रुपए प्रति करेट बिक रहा है। जोगेंद्र ने बताया कि इस फसल पर उसके लगभग 12 हजार रुपए खर्च हुए हैं लेकिन अभी तक इससे उसे सिर्फ 4 हजार रुपए की आमदनी ही हुई। जबकि बिना कीटनाशक व न्यूनतम उर्वकों के प्रयोग के बावजूद भी उसकी एक एकड़ की कपास की फसल 70 हजार व धान की पी.आर. की फसल से 35 हजार की आमदनी हुई है।
पॉली हाऊस में सब्जियां दिखाते किसान। |
मार्कीटिंग की नहीं है कोई व्यवस्था
पॉली हाऊस से जुड़े किसानों की मानें तो बागवानी विभाग द्वारा जिले में कहीं भी पॉली हाऊस में तैयार सब्जियों की बिक्री के लिए स्पेशल मंडी की व्यवस्था नहीं है। इसलिए उन्हें अपनी फसल बेचने के लिए दूसरे जिलों का रूख करना पड़ रहा है। इससे उन पर ट्रांसपोर्ट का अतिरिक्त खर्च तो पड़ता ही है लेकिन वहां भी उन्हें फसलों के अच्छे भाव नहीं मिल पा रहे हैं। किसानों का कहना है कि सब्जियों के अच्छे भाव नहीं मिलने के कारण पॉली हाऊस में फसल तैयार करने पर उन्होंने जो खर्च किया है उनका वह खर्च भी पूरा नहीं हो पा रहा है।
बैट्री चालित मोबाइल वैन भी हुई ठप्प
किसानों को पॉली हाऊस में तैयार उत्पादों को शहर में बेचने के लिए सरकार द्वारा जिले में ट्रायल पर एक बैट्री से चलने वाली ए.सी. मोबाइल वैन चलाई गई थी। ताकि किसान शहरों में जाकर अच्छे रेटों पर अपने उत्पाद बेच सकें। इस वैन की कीमत लगभग एक लाख 40 हजार रुपए थी। लेकिन इस मोबाइल वैन को शुरू हुए अभी ठीक से एक माह भी नहीं हुआ था कि ट्रायल पर चलने वाली यह वैन भी जवाब दे गई। लाखों रुपए कीमत की यह वैन अब कंडम हालात में खड़ी है।
कंडम अवस्था में खड़ी बैट्री चालित ए.सी. मोबाइल वैन।
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किसान खुद तैयार करें अपनी मार्कीट
प्रगतिशील किसान राजबीर कटारिया ने कहा कि मार्कीटिंग की कमी के कारण किसानों को पॉली हाऊस में तैयार उत्पादों के अच्छे भाव नहीं मिल पाते हैं। कटारिया ने कहा कि किसानों को अगर पॉली हाऊस में तैयार उत्पादों के अच्छे भाव लेने हैं तो उन्हें इसके लिए खुद ही मार्कीटिंग की व्यवस्था करनी पड़ेगी। बिना मार्कीट के फसलों के अच्छे भाव मिलने संभव नहीं है। कटारिया ने कहा कि किसानों को अपने उत्पादों को खुद बेचने में किसी प्रकार की शर्म महसूस नहीं करनी चाहिए।
560 एस.क्यू. मीटर में शिमला मिर्च की फसल पर हुए खर्च का विवरण
मद का नाम खर्च का विवरण
शिमला मिर्च की पौध 3200 रुपए
पौध लाने व लेबर खर्च 1700 रुपए
सुतली व लेबर खर्च 3700 रुपए
खाद 900 रुपए
कङ्क्षटग 400 रुपए
स्प्रे 450 रुपए
कीटनाशक व फफुंदनाशक 900 रुपए
पालीथिन 400 रुपए
कुल खर्च 11,650 रुपए
नोट इसके अलावा सब्जियों की बिक्री के लिए ट्रांसपोर्ट खर्च अलग है।
लोगों को गैस किल्लत से निजात दिलवाएगा कृषि विभाग
अनुदान पर दी जाएंगी बायोगैस बनाने वाली रेडीमेड टैंकियां
जींद। आम आदमी को गैस की किल्लत से छुटकारा दिलवाने के लिए कृषि विभाग ने खास योजना तैयार की है। विभाग द्वारा नैशनल बायोगैस मैकरो मैनेजमैंट प्रोग्रमा के तहत अब आम आदमी को बायोगैस के प्रति आकॢषत करने के लिए सबसिडी पर बायोगैस की रेडीमेड टैंकियां उपलब्ध करवाई जाएंगी। इस
टैंकी की खास बात यह है कि गोबर व अन्य वैस्ट से गैस बनाने के वाले सभी उपकरण इस टैंकी के अंदर ही स्थापित किए गए हैं और इसे लगाने के लिए ज्यादा जगह की जरूरत भी नहीं पड़ती है। विभाग की इस योजना के तहत 20 सुत्रीय कार्यक्रम के तहत जिले में 90 टैंकियां अनुदान पर देने का टारगेट रखा गया है।
पहले सरकार द्वारा घरेलू वैस्ट व गोबर का सही उपयोग करने के लिए किसानों को दीनबंधू बायोगैस प्लांट लगाने के लिए प्रेरित किया जाता था लेकिन इन प्लांटों के निर्माण में खुदाई, चिनाई, लेबर व निर्माण के लिए ज्यादा जगह की जरूरत होने के कारण सरकार की यह योजना लंबी रेस का घोड़ा नहीं बन पाई। इन बायोगैस प्लांटों के निर्माण में झंझटों को देखते हुए किसानों ने सरकार की इस योजना में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई। क्योंकि इन बायोगैस प्लांटों के निर्माण के बाद भी इनमें गैस लिकेज व साफ-सफाई का ज्यादा झंझट रहता था। अब कृषि विभाग ने किसानों को गैस किल्लत से छुटकारा दिलवाने व आम आदमी को भी बायोगैस प्लांटों के प्रति अकर्षित करने के लिए नैशनल बायोगैस मैकरो मैनेजमैंट प्रोग्राम के तहत बायोगैस बनाने वाली रेडीमेड टैंकियां देने की योजना बनाई है। अधिक से अधिक लोगों को इस योजना के प्रति आकर्षित करने के लिए विभाग द्वारा जिले में 90 बायोगैस वाली यह टैकियां अनुदान पर दी जाएंगी। विभागीय अधिकारियों की मानें तो एक टैंकी की कीमत 32 हजार रुपए है। विभाग द्वारा एक टैंकी पर किसानों को 8 हजार रुपए की सबसिडी दी जाएगी।
कृषि यांत्रिकी विभाग के प्रांगण में रखी टैंकी।
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किसानों को झंझटों से मिलेगा छुटकारा
विभाग द्वारा किसानों को 2 क्यूबिक मीटर की क्षमता वाली टैंकियां सबसिडी पर दी जा रही हैं। इस टैंकी की खास बात यह है कि गोबर व अन्य वैस्ट से गैस बनाने के लिए जरूरी सभी यंत्र इस टैंकी के अंदर ही फिट हैं। इस टैंकी को रखने के लिए ज्यादा जगह की जरूरत नहीं पड़ी,जबकि दीनबंधू बायोगैस प्लांटों को लगाने के लिए किसानों को चिनाई, मिस्त्री, लेबर व अन्य झंझटों का सामना करना पड़ता है और इन प्लांटों के निर्माण के बाद भी किसानों के सामने गैस लिकेज जैसी समस्याएं आती रहती थी। इसके अलावा इन प्लांटों की साफ-सफाई का झंझट भी रहता था लेकिन अब विभाग द्वारा किसानों को अनुदान पर दी जाने वाली इन रेडीमेड टैंकियों में चिनाई, लेबर, मिस्त्री व साफ-सफाई का सारा झंझट खत्म हो जाएगा। किसान कम जगह में इसे आसानी से स्थापित कर सकेंगे और जरूरत पडऩे पर इसे एक जगह से दूसरे स्थान पर भी आसानी से बदला जा सकेगा।
लैटरिन अटैच करवाने पर मिलेगी 1 हजार की अलग से सबसिडी
कृषि विभाग द्वारा किसानों को अनुदान पर दी जाने वाली रेडीमेड टैंकी की कीमत 32 हजार रुपए है तथा विभाग इस टैंकी पर किसान को 8 हजार रुपए की सबसिडी देगा। इसके अलावा जो किसान इस टैंकी के साथ अपने घर की लैटरिन अटैच करवाएगा उसे 1 हजार रुपए की सबसिडी अलग से दी जाएगी।
किसानों के लिए कारगर सिद्ध होगी योजना
कृषि यांत्रिकी विभाग के सहायक कृषि इंजीनियर जिले सिंह वर्मा ने बताया कि विभाग की यह योजना किसानों के लिए काफी कारगर सिद्ध होगी। क्योंकि इन टैंकियों के निर्माण व रखरखाव का काम काफी आसान है। किसान इसे अपनी जरूरत के अनुसार एक जगह से दूसरी जगह पर भी स्थानांतरीत कर सकते हैं। इस टैंक में गैस बनाने के लिए किसान को ज्यादा वैस्ट की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। किसान को इसके लिए प्रति दिन सिर्फ 2 किलो वैस्ट की जरूरत पड़ेगी।
निरक्षरता मिटाने पर किया विचार मंथन
जींद : 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-2017) में प्रदेश में 15 साल से 80 साल तक के व्यक्ति को निरक्षर नहीं रहने दिया जाएगा। इसके लिए साक्षर भारत मिशन के तहत कार्य योजना को चरणबद्ध तरीके से लागू किया गया है। साक्षर भारत मिशन की गतिविधियों को गति प्रदान करने के लिए मंगलवार को जींद में साक्षर भारत मिशन से जुडे़ राज्य स्तर के अधिकारियों की बैठक हुई।
इस बैठक में राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण के सहायक परियोजना प्रबंधक नंदकिशोर वर्मा व दिनेश शर्मा के साथ-साथ हिसार और कैथल जिला के जिला समन्वयक, भिवानी और करनाल जिला के मिशन जुडे़ कार्यालय सहायक, जींद जिला के 4 प्रेरक और मिशन से जुडे़ 2 रिसोर्स पर्सन ने भाग लिया। इस एक दिवसीय कार्यक्रम में साक्षर भारत मिशन की जिला चेयरपर्सन एवं जिला परिषद की चेयरपर्सन वीना देशवाल, जिला अतिरिक्त उपायुक्त अरविंद मलहान ने भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला उपायुक्त डॉ. युद्धबीर सिंह ख्यालिया ने की। जींद जिला को साक्षर भारत मिशन के तहत एक मॉडल जिला के रूप में लिया जा रहा है।
भारत साक्षर मिशन से जुडे़ अधिकारियों एवं प्रेरकों को संबोधित करते हुए उपायुक्त डॉ. युद्धबीर सिंह ख्यालिया ने कहा कि इस मिशन से जुडे़ प्रेरकों को इस कार्य को जुनून के रूप में लेकर चलना होगा। यहा तक की जब वे आपस में बातचीत करे तो उसकी शुरूआत भी जय साक्षरता नारे से की जानी चाहिए। अपने कार्य के प्रति जुनूनी होकर ही उसमें सफलता हासिल की जा सकती है। इसे जन अभियान बनाने के लिए ठेठ हरियाणवी गीतों एवं कार्यक्रमों को और जोड़ा जा सकता है। लोगों के मन में साक्षरता के प्रति लगाव बनाना होगा।
उन्होने इस कार्यक्रम से जुडे़ लोगों का आह्वान किया कि वे प्रथम चरण में कार्यक्रम के प्रति जागरूकता पैदा करे और आम आदमी को इसके साथ जोडे़। इसके लिए साक्षर सिपाही कोई कोर कसर न रखे। इस मुहिम को गति प्रदान करने के लिए जिला प्रशासन पूरा सहयोग करेगा।
इस मौके पर राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण के सहायक परियोजना प्रबंधक दिनेश शर्मा व नंद किशोर शर्मा ने कहा कि अभियान के तहत प्रचार-प्रसार को प्रभावी बनाने के लिए प्रचार साहित्य को सही प्रदर्शन किया जाना चाहिए। जिला स्तर पर इस मिशन को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए स्वयं सेवक शिक्षक गावों में जाकर माहौल तैयार करे। कार्यक्रम से जुडे़ लोगों को चरणबद्ध तरीके से प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
दिसंबर माह के अंत तक साक्षर भारत मिशन के तहत गावों में कक्षाएं शुरू की जानी चाहिए। निरक्षरों को साक्षर करने के कार्य में प्रयुक्त होने वाली पर्याप्त सामग्री उपलब्ध करवाई जा रही है। इस कार्य में जुटे कर्मियों को सिखलाई किट भी प्रदान की जाएंगी। लोगों में इस बात का संदेश दिया जाएगा कि निरक्षरता एक अभिशाप है। साक्षरता से प्रगति के द्वार खुल जाते है।
Tuesday, 4 December 2012
अब कंप्यूटराइज्ड मिलेगी एमएलआर
जींद : डॉक्टरों की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाने के लिए अब जिले के सरकारी अस्पतालों में एमएलआर (मेडिकल लीगल रिपोर्ट) कंप्यूटराइज्ड मिलेगी। इसका काम शुरू कर दिया गया है और जल्द ही यह कार्य पूरी तरह से पटरी पर आ जाएगा। इसके लिए सभी तैयारी पूरी कर ली गई है।
कुछ समय पहले पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग को एमएलआर (मेडिकल लीगल रिपोर्ट) कंप्यूटराइज्ड करने के आदेश दिए थे। अब तक डॉक्टर मरीजों व पुलिस को एमएलआर कंप्यूटराइज देने की बजाय उन्हें हस्तलिखित एमएलआर उपलब्ध करवा रहे थे। सरकारी डॉक्टर एमएलआर पर मरीज की चोट इत्यादि लिखकर काटा करते थे।
साल भर पहले हाईकोर्ट के आदेश पर स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में कंप्यूटराइज्ड एमएलआर और पोस्टमार्टम प्रफोर्मा उपलब्ध करवाने संबंधी पत्र जारी कर दिया, लेकिन यह काम अब तक शुरू ही नहीं हो सका था।
लेकिन अब जाकर यह काम शुरू होने की उम्मीद है और लोगों को कंप्यूटराइज्ड एमएलआर रिपोर्ट जल्द ही मिलनी शुरू हो जाएगी। इसके लिए कंप्यूटर, प्रिंटर अस्पताल प्रशासन को उपलब्ध कराया गया है। कंप्यूटर में साफ्टवेयर डालकर कंप्यूटराइज्ड एमएलआर लोगों को प्रदान की जाएगीर।
साफ्टवेयर में होगा प्रोफार्मा
इस सॉफ्टवेयर में एमएलआर और पोस्टमार्टम प्रोफार्मा बना हुआ है। सॉफ्टवेयर की खासियत ये है कि इसमें एक बार मरीज व मृतक संबंधी चोट अंकित कर देने के बाद एमएलआर व पोस्टमार्टम रिपोर्ट से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है। ऐसे में फिर कोई बेगुनाह फर्जीवाड़े की भेंट न चढ़े इसके लिए अस्पतालों में कंप्यूटराइज्ड एमएलआर शुरू करने का निर्णय लिया गया है।
सरकारी अस्पतालों में कंप्यूटराइज्ड एमएलआर देने का काम शुरू किया जा रहा है। जोकि शुरू कर दिया गया है और बाकी काम एक-दो दिन में सही तरीके से शुरू हो जाएगा। उसके बाद किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आएगी।
डॉ. धन कुमार, एमएस, सिविल अस्पताल, जींद
Sunday, 2 December 2012
आइटीआइ अनुबंध अनुदेशकों ने शहर में मौन प्रदर्शन निकाला
जींद : आइटीआइ अनुबंध अनुदेशकों ने शनिवार को आइटीआइ में फैली अव्यवस्थाओं, राज्य प्रधान मनोज जागड़ा की बर्खास्तगी को वापस लेने तथा प्राचार्य को गिरफ्तार करने की माग को लेकर शहर में मौन प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान अनुबंध अनुदेशकों ने अपने मुंह पर सफेद पट्टिया बाध कर विरोध जताया। अनुबंध अनुदेशकों ने चेतावनी दी कि जब तक राज्य प्रधान मनोज जागड़ा की बर्खास्तगी को वापस नहीं लिया जाता तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा। इसके बाद अनुबंध अनुदेशकों ने लघु सचिवालय पहुंचकर मांगों से संबंधित ज्ञापन उपायुक्त को सौंपा।
कैथल रोड स्थित औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान में अनुबंध अनुदेशकों को संबोधित करते हुए राज्य प्रधान मनोज जागड़ा ने कहा कि प्रधानाचार्य प्रशासन से मिलीभगत करके आंदोलन को रोकने के लिए तथा शोषण व भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज दबाने के मकसद से चार अनुदेशकों के खिलाफ बौखलाहट में मामला दर्ज करवा दिया जबकि उन्होंने स्वयं एक अनुबंध अनुदेशक को जातिसूचक गालिया दी और जान से मारने की धमकी देते हुए अभद्र व्यवहार किया।
विभाग के अधिकारियों और सरकार द्वारा युवा अनुबंधित अनुदेशकों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है तथा लगातार शोषण व अत्याचार किया जा रहा है। अनुबंध आधार पर लगे अनुदेशक पिछले चार वर्ष से पूरी मेहनत व लगन से कार्य कर रहे है, लेकिन उनकी इस मेहनत का सरकार उन्हे कोई सिला नहीं दे रही है। न तो अनुबंध अनुदेशकों को नियमित किया जा रहा है और न ही नियमित अनुदेशकों की तरह भत्ते दिए जा रहे है। सरकार तथा उच्च अधिकारियो ने तानाशाही रवैया अपनाते हुए उन्हे बर्खास्त कर दिया गया जबकि वह अनुबंध अनुदेशकों की मागों को उठा रहे थे।
जब तक राज्य प्रधान मनोज जागड़ा को बहाल नहीं किया जाता तथा भ्रष्टाचारी प्रधानाचार्य अनिल गोयल को निलंबित कर के विजिलेंस द्वारा उन द्वारा की गई अनियमितताओं की जाच नहीं की जाती उनका संघर्ष जारी रहेगा। बाद में अनुबंध अनुदेशक सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए लघु सचिवालय पहुंचे और मागों से संबंधित ज्ञापन उपायुक्त को सौंपा।
संघ ने राहुल गांधी का आभार जताया
राज्य प्रधान मनोज जागड़ा ने बताया कि गत 26 नवंबर को कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव राहुल गाधी से जो उनकी मुलाकात हुई थी, उसका सकारात्मक असर अब दिखाई देने लगा है। विभाग ने अनुदेशकों की नियमित भर्ती पर रोक लगा दी है। इसके लिए संघ ने राहुल गाधी का आभार जताया।
..यह सफर नहीं आसान
कंडम सामान के सहारे दौड़ रही हैं रोडवेज की बसें
जींद। आरामदेह एवं सुखद यात्रा का दम भरने वाले हरियाणा रोडवेज विभाग की बसें कंडम स्पेयर पार्ट्स के सहारे चल रही हैं। कंडम बसों के लिए नया स्पेयर पार्ट्स उपलब्ध नहीं होने के कारण वर्कशॉप में कल-पूर्जों का भारी टोटा बना हुआ है। स्पेयर पार्ट्स की कमी के चलते नई बसों में तकनीकि खराबी आने पर कंडम बसों के स्पेयर पार्ट का सहारा लिया जा रहा है। रोडवेज विभाग की इस लापरवाही का खामियाजा यात्रियों को अपनी जान देकर चुकाना पड़ सकता है। रोडवेज की कार्यशाला में समय पर स्पेयर पार्ट्स उपलब्ध न होने के कारण बसें कई-कई दिनों तक कार्यशाला में ही खड़ी रहती हैं। इससे रोडवेज को लाखों रुपए के राजस्व का चूना लग रहा है।
ज्यादातर किस सामान का होता है प्रयोग
कार्यशाला में समय पर नया स्पेयर पार्ट्स उपलब्ध नहीं होने के कारण मैकेनिकों को मजबूरन कंडम स्पेयर पार्ट्स का सहारा लेना पड़ रहा है। सूत्रों के अनुसार कंडम बसों से बैरंग, गियर बक्सा, इंजन का सामान, हैड, डिफैंसर, धूर्रा, कमानी, डैनमो, एस्टीलेटर, लाइट, स्टेयरिंग, टायर, रिम, बॉडी पार्ट और जो प्रयोग के लायक हो उस बस की बैटरी भी बदल कर प्रयोग में ले ली जाती है।
2 माह से वर्कशॉप में ही खड़ी है बस
मामले की पूरी सच्चाई जानने के लिए जब टीम ने वर्कशॉप का मुआयना किया तो वर्कशॉप में काम कर रहे कर्मचारियों ने डिपो की बस एच.आर. 37 सी 1953 में लगभग 2 माह पहले रोहतक बस स्टैंड के बाहर वायरिंग शॉट के कारण आग लग गई थी। इसके बाद बस को यहां वर्कशॉप में रिपेयरिंग के लिए लाया गया था लेकिन वर्कशॉप में सामान की कमी के कारण यह बस पिछले 2 माह से इसी तरह खड़ी है।
सामान के अभाव में पिछले 2 माह से वर्कशॉप में खड़ी बस। |
पुराने सामान का लिया जाता है सहारा : नेहरा
प्रधान अजीत नेहरा। |
रोडवेज कर्मचारी यूनियन के डिपो प्रधान अजीत नेहरा ने कहा कि कार्यशाला में समय पर नया स्पेयर पार्ट्स पलब्ध नहीं होने के कारण मजबूरीवश कंडम बसों से स्पेयर पार्ट्स निकाल कर प्रयोग में लाया जाता है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों की लापरवाही के कारण रोडवेज को लाखों रुपए का चूना लग रहा है। स्टोर में स्पेयर पार्ट्स पलब्ध नहीं होने के कारण बस कई-कई दिनों तक कार्यशाला में खड़ी रहती है। नेहरा ने आरोप लगाते हुए कहा कि विभाग के अधिकारी अपनी जेब भरने के चक्कर में आवश्यकता के अनुसार सामान नहीं खरीदते हैं। पुराने सामान का प्रयोग कर कागजों में नया दिखाकर विभाग को चूना लगा रहे हैं।
वर्कशॉप में खड़ी कंडम बसें जिनका स्पेयर पार्ट्स निकाला गया है। |
स्पेयर पार्ट्स की नहीं है कमी : डब्ल्यू.एम.
इस बारे में जब वर्कशॉप मैनेजर (डब्ल्यू.एम.) से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि वर्कशॉप के स्टोर में किसी भी स्पेयर पार्ट्स की कमी नहीं है। किसी भी बस को स्पेयर पार्ट्स की कमी के कारण वर्कशॉप में खड़ा नहीं रहने दिया जाता। अगर स्टोर में कोई स्पेयर पार्ट्स उपलब्ध नहीं हो पाता तो समय रहते मुख्यालय पर उसके लिए प्रपोजल भेज कर जल्द से जल्द उसको मंगवा लिया जाता है। यूनियन के पदाधिकारी जानबुझकर रोडवेज के अधिकारियों को बदनाम करने की साजिश रचते रहे हैं।
अधिकारियों को बदनाम करने की रच रहे हैं साजिश
इंटक यूनियन के डिपो सचिव वीरेंद्र कुमार ने कहा कि वर्कशॉप में किसी भी सामान की कमी नहीं है। रोडवेज यूनियन का डिपो प्रधान व उसके कुछ साथ जान बुझकर अधिकारियों को बदनाम करने की साजिश रचते रहते हैं। यूनियन के पदाधिकारी अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए कर्मचारियों को गुमराह करते रहते हैं।
डिपो सचिव वीरेंद्र कुमार |
फाइलों में ही दम तोड़ गई जिला प्रशासन की गौ रक्षक योजना
डी.सी. के आदेशों के 10 माह बाद भी नप ने योजना पर नहीं किया अमल
जींद। जिले में गऊ कल्याण योजना फाइलों में ही सिमटकर रह गई। उपायुक्त के आदेशों के लगभग 10 माह बाद भी योजना पर अमल नहीं हुआ है। शहर में आवारा घूम रही पूजनीय गऊ माता की दुर्गति हो रही है। प्रशासन की तरफ से जिले में आवारा घूम रही गायों के लिए योजना बनाकर नगर परिषद को इसका जिम्मा सौंपा गया था। लेकिन नगर परिषद तक यह योजना पहुंचते ही फैल हो गई और नप की तरफ से इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाया। नगर परिषद की इस लापरवाही का फायदा गौ तस्कर उठा रहे हैं और रात्रि के समय बेजुबान इन गायों को वाहनों में भरकर गौकसी के लिए लेकर जा रहे हैं। ऐसे में प्रशासन की इस लापरवाही से गौभक्तों में लगातार विरोध हो रहा है। हालांकि शहर में आवारा गायों की तदाद बढऩे से सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि होने की आशंका भी बनी रहती है। ऐसे में सड़क दुर्घटनाएं के एक मुख्य कारण को जनाने के बावजूद भी प्रशासन केवल गऊ माता के कल्याण की योजनाएं बनाने तक ही सीमित रह गया है और योजनाओं को अमलीजामा पहनाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। हालांकि आवारा घूम रही इन गायों में सबसे ज्यादा दुधारू गायें हैं। जिनके मालिक सुबह व शाम के वक्त इन गायों का दूध निकालकर बाहर घूमने के लिए छोड़ देते हैं। बाद में गाय शहर में फल फ्रूट व सब्जी का कार्य करने वालों के लिए परेशानी बढ़ा देती हैं।
10 माह बाद भी उपायुक्त के आदेशों पर नहीं हुआ अमल
शहर की सड़कों पर आवारा घूम रही गायें। |
जिले में गऊ माता के बढ़ रहे अनादर को देखते हुए फरवरी 2011 को उपायुक्त डा. युद्धबीर ख्यालिया ने जिले के गऊशालाओं प्रबंधकों व नगर परिषद के अधिकारियों की बैठक लेकर इन आवार गायों को पकड़कर गऊशाला में छोडऩे के आदेश दिए थे। आदेशों में कहा गया था कि आवारा घूमने वाले पशुओं को गऊशालाओं में छुडवाएं। पकड़ी हुई गायों को जो भी मालिक छुड़वानें के लिए आएगा उसे 3 हजार रुपए की राशि जुर्माने अथवा खर्च के रूप में अदा करनी होगी और यदि गाय का मालिक बार-बार गायों को आवारा छोड़ता है तो उसके खिलाफ आपराधिक मामला भी दर्ज किया जाएगा। इसमें भिवानी रोड पर स्थित श्री गऊशाला ने आवारा गायों को अपनी गऊशाला में रखने का जिम्मा दिया गया था लेकिन लगभग 10 माह बीत जाने के बावजूद भी उपायुक्त के आदेशों की आज तक पालना नहीं हुई है।
गौ संरक्षण के लिए प्रशासन को उठाने चाहिएं ठोस कदम
बजरंग दल गऊ रक्षा संघ के जिला प्रमुख नरेन्द्र शर्मा ने कहा कि सर्दी के साथ ही जिले में गऊओं की तस्करी के मामले बढऩे लगे हैं। तस्करी पर लगाम लगाने के लिए 4 दिसम्बर को हिसार में संगठन की बैठक होगी। बैठक में गौ तस्करी को रोकने के लिए रणनीति तैयार की जाएगी। उन्होंने बताया कि संगठन द्वारा धुंध का मौसम शुरू होते ही जगह-जगह पर नाके लगाकर वाहनों की जांच की जाती है और तस्करी के लिए जा रही गायों से भरे हुए वाहनों को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया जाता है। लेकिन पुलिस प्रशासन की तरफ से उन्हें सहयोग नहीं मिलता है। गायों की तस्करी के कारण इनकी संख्या लगातार कम होती जा रही है। अगर इसी प्रकार चलता रहा तो 15 से 20 वर्षों में गाय का नामो-निशान ही मिट जाएगा। इसलिए प्रशासन की तरफ से गायों की संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
अधिकारियों की लापरवाही के कारण जंग की भेंट चढ़ रहे हैं लाखों के कृषि यंत्र
विभाग के पास नहीं है कृषि यंत्रों के उचित रख-रखाव की व्यवस्था
जींद। यांत्रिकी विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के चलते कृषि कार्यों को बढ़ावा देने वाली लाखों रुपए की मशीनें जंग की भेंट चढ़ रही हैं लेकिन विभाग के अधिकारियों के पास इनकी देखरेख के लिए फुरस्त नहीं है। इस प्रकार विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण कृषि विभाग द्वारा किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए शुरू की जाने वाली योजनाएं बीच रास्ते में ही दम तोड़ रही हैं। सरकारी उपकरणों के प्रति विभागीय अधिकारियों की इस बेरूखी का खामियाजा किसानों के साथ-साथ विभाग को भी भुगतना पड़ रहा है। किसानों को जहां सही समय पर विभाग की योजनाओं का पूरा लाभ नहीं मिलता है तो मशीनें खराब होने के कारण विभाग को भी लाखों रुपए का नुक्सान उठाना पड़ता है। अधिकारियों द्वारा मशीनों के उचित रख-रखाव की व्यवस्था नहीं करने के कारण लाखों रुपए की मशीनें खुले आसमान के नीचे ही जंग की भेंट चढ़ रही हैं और अधिकारी इन मशीनों को ठीक करवाने की बजाए मुक दर्शक बने हुए हैं। अधिकारी मशीनों के रख-रखाव के लिए विभाग के पास पैसे की कमी का रोना रो रहे हैं।
क्या है विभाग की योजना
कृषि विभाग ने कृषि कार्यों में पानी की बचत कर किसानों को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ कृषि कार्यों को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2009 में प्रमोशन एंड स्ट्रैथिंग ऑफ एग्रीकल्चर मैकाइनजैशन स्कीम शुरू की थी। इस स्कीम के तहत किसानों को कृषि कार्यों में पानी की बचत के लिए लेजर टैक्नोलाजी से चलने वाली लेजर लैंड लेवलर मशीन के साथ जमीन को समतल करने के लिए प्रेरित किया जाना था। इससे उबड़-खाबड़ जमीन को भी आसानी से समतल कर कृषि योज्य बनाया जा सकता है। इससे किसान को समय के साथ-साथ लगभग 40 प्रतिशत पानी की बचत भी होती है।
किसानों को ढीली करनी पड़ रही है जेब
कृषि यांत्रिकी विभाग कार्यालय के बाहर पड़ी मशीनें।
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विभाग द्वारा अधिक से अधिक किसानों तक इस योजना को पहुंचाने के लिए किसानों को 10 घंटे के लिए 1 हजार रुपए पर मशीन उपलब्ध करवाई जाती है। इसके अलावा विभाग द्वारा किसान से 3 रुपए प्रति किलोमीटर व ट्रैक्टर का डीजल भी लिया जाता है। विभागीय अधिकारियों की मानें तो एक एकड़ पर किसान को लगभग 350 रुपए प्रति घंटे का खर्च आता है, जबकि प्राइवेट ट्रैक्टर चालक किसान से 600 से 700 रुपए प्रति घंटा वसूल रहे हैं। विभाग द्वारा टारगेट कम करने व मशीनें खराब होने के कारण किसानों को मजबूरीवश अपनी जेब ढीली कर प्राइवेट ट्रैक्टर चालकों का सहारा लेना पड़ रहा है।
टै्रक्टर जिसकी हवा निकली हुई है |
घट रहा है विभाग का टारगेट
सरकार द्वारा लेजर लैंड लेवलर के माध्यम से जमीन को समतल करने के लिए कृषि यांत्रिकी विभाग को 2 ट्रैक्टर व 9 लेजर लैंड लेवलर मशीनें उपलब्ध करवाई गई थी। सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम का मुख्य उद्देश्य कृषि कार्यों में पानी की बचत करना था। ताकि किसान को समय के साथ-साथ पैसे की बचत भी हो। अधिक से अधिक किसानों को इस योजना के तहत लाभ देने के लिए कृषि विभाग द्वारा कृषि यांत्रिकी विभाग को हर वर्ष टारेगट दिया जाता था। लेकिन विभाग पैसे की कमी बताकर हर बार इस टारगेट को कम कर रहा है। विभाग द्वारा इन मशीनों के माध्यम से वर्ष 2009 से अब तक जिलेभर में सिर्फ 8 हजार एकड़ जमीन को ही समतल किया गया है। इस योजना के तहत कृषि यांत्रिकी विभाग को 2011 में 4 हजार एकड़ का टारगेट दिया गया था। योजना को किसानों से मिल रहे अच्छे रिस्पांश के कारण विभाग ने 2011 में समय रहते इसे पूरा कर लिया लेकिन विभाग द्वारा 2012 में इस टारगेट को बढ़ाने की बजाए कम कर दिया गया और 4 हजार की बजाए सिर्फ 3 हजार एकड़ का टारगेट विभाग को दिया गया। लेकिन विभाग के नकारा कृषि यंत्रों के कारण किसानों ने भी सरकारी मशीनों से मुहं मोड़ कर प्राइवेट मशीनों की तरफ अपना रूख कर लिया। किसानों की बेरूखी के कारण विभाग अब तक 3 हजार एकड़ के टारगेट तक नहीं पहुंच पाया। अब तक विभाग 3 हजार में से सिर्फ 2500 एकड़ का टारगेट ही पूरा कर पाया है।
लाखों रुपए की मशीनरी हो रही है खराब
कृषि यांत्रिकी विभाग के पास लेजल लैंड लेवलर को चलाने के लिए 2 ट्रैक्टर व 9 लेजर लैंड लैवलर मशीनें हैं। इसके अलावा विभाग के पास वैजीटेबल वाशर व अन्य कृषि यंत्र भी हैं लेकिन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही से लाखों रुपए के यह यंत्र जंग की भेंट चढ़ रहे हैं। यहां विभाग के पास कृषि यंत्रों के लिए सबसे बड़ी कमी शैड की है। विभाग के पास यंत्रों को रखने के लिए शैड नहीं है। इस कारण यंत्र खुले आसमान के नीचे ही पड़े रहते हैं। लोहे के ये यंत्र खुले आसमान के नीचे पड़े रहने के कारण धूल व पानी लगने के कारण जंग की भेंट चढ़ रहे हैं। अधिकारियों द्वारा मशीनों के सही रख-रखाव की उचित व्यवस्था नहीं करवाने के कारण लेजर लैंड लेवलर मशीन को चलाने के लिए जो ट्रैक्टर विभाग के पास हैं वह भी खराब हो रहे हैं। इन दोनों ट्रैक्टरों में से एक ट्रैक्टर के टायरों की हवा निकली हुई है। इससे हजारों रुपए कीमत के टायर खराब हो रहे हैं।
शैड के निर्माण के लिए उच्चाधिकारियों को भेजा जाएगा प्रपोजल
इस बारे में कृषि यांत्रिकी विभाग के सहायक कृषि इंजीनियर जिले सिंह वर्मा से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि जल्द ही कृषि यंत्रों को ठीक करवाने का काम किया जाएगा। बजट के अभाव के कारण शैड का निर्माण नहीं हो पाया है। शैड के निर्माण के लिए विभाग के उच्चाधिकारियों को प्रपोजल तैयारकर भेजा जाएगा।
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