Sunday, 2 December 2012

अधिकारियों की लापरवाही के कारण जंग की भेंट चढ़ रहे हैं लाखों के कृषि यंत्र


विभाग के पास नहीं  है कृषि यंत्रों के उचित रख-रखाव की व्यवस्था


जींद। यांत्रिकी विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के चलते कृषि कार्यों को बढ़ावा देने वाली लाखों रुपए की मशीनें जंग की भेंट चढ़ रही हैं लेकिन विभाग के अधिकारियों के पास इनकी देखरेख के लिए फुरस्त नहीं है। इस प्रकार विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण कृषि विभाग द्वारा किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए शुरू की जाने वाली योजनाएं बीच रास्ते में ही दम तोड़ रही हैं। सरकारी उपकरणों के प्रति विभागीय अधिकारियों की इस बेरूखी का खामियाजा किसानों के साथ-साथ विभाग को भी भुगतना पड़ रहा है। किसानों को जहां सही समय पर विभाग की योजनाओं का पूरा लाभ नहीं मिलता है तो मशीनें खराब होने के कारण विभाग को भी लाखों रुपए का नुक्सान उठाना पड़ता है। अधिकारियों द्वारा मशीनों के उचित रख-रखाव की व्यवस्था नहीं करने के कारण लाखों रुपए की मशीनें खुले आसमान के नीचे ही जंग की भेंट चढ़ रही हैं और अधिकारी इन मशीनों को ठीक करवाने की बजाए मुक दर्शक बने हुए हैं। अधिकारी मशीनों के रख-रखाव के लिए विभाग के पास पैसे की कमी का रोना रो रहे हैं।

क्या है विभाग की योजना

कृषि विभाग ने कृषि कार्यों में पानी की बचत कर किसानों को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ कृषि कार्यों को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2009 में प्रमोशन एंड स्ट्रैथिंग ऑफ एग्रीकल्चर मैकाइनजैशन स्कीम शुरू की थी। इस स्कीम के तहत किसानों को कृषि कार्यों में पानी की बचत के लिए लेजर टैक्नोलाजी से चलने वाली लेजर लैंड लेवलर मशीन के साथ जमीन को समतल करने के लिए प्रेरित किया जाना था। इससे उबड़-खाबड़ जमीन को भी आसानी से समतल कर कृषि योज्य बनाया जा सकता है। इससे किसान को समय के साथ-साथ लगभग 40 प्रतिशत पानी की बचत भी होती है। 

किसानों को ढीली करनी पड़ रही है जेब  

कृषि यांत्रिकी विभाग कार्यालय के बाहर पड़ी मशीनें। 

विभाग द्वारा अधिक से अधिक किसानों तक इस योजना को पहुंचाने के लिए किसानों को 10 घंटे के लिए 1 हजार रुपए पर मशीन उपलब्ध करवाई जाती है। इसके अलावा विभाग द्वारा किसान से 3 रुपए प्रति किलोमीटर व ट्रैक्टर का डीजल भी लिया जाता है। विभागीय अधिकारियों की मानें तो एक एकड़ पर किसान को लगभग 350 रुपए प्रति घंटे का खर्च आता है, जबकि प्राइवेट ट्रैक्टर चालक किसान से 600 से 700 रुपए प्रति घंटा वसूल रहे हैं। विभाग द्वारा टारगेट कम करने व मशीनें खराब होने के कारण किसानों को मजबूरीवश अपनी जेब ढीली कर प्राइवेट ट्रैक्टर चालकों का सहारा लेना पड़ रहा है। 
 टै्रक्टर जिसकी हवा निकली हुई है 

घट रहा है विभाग का टारगेट

सरकार द्वारा लेजर लैंड लेवलर के माध्यम से जमीन को समतल करने के लिए कृषि यांत्रिकी विभाग को 2 ट्रैक्टर व 9 लेजर लैंड लेवलर मशीनें उपलब्ध करवाई गई थी। सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम का मुख्य उद्देश्य कृषि कार्यों में पानी की बचत करना था। ताकि किसान को समय के साथ-साथ पैसे की बचत भी हो। अधिक से अधिक किसानों को इस योजना के तहत लाभ देने के लिए कृषि विभाग द्वारा कृषि यांत्रिकी विभाग को हर वर्ष टारेगट दिया जाता था। लेकिन विभाग पैसे की कमी बताकर हर बार इस टारगेट को कम कर रहा है। विभाग द्वारा इन मशीनों के माध्यम से वर्ष 2009 से अब तक जिलेभर में सिर्फ 8 हजार एकड़ जमीन को ही समतल किया गया है। इस योजना के तहत कृषि यांत्रिकी विभाग को 2011 में 4 हजार एकड़ का टारगेट दिया गया था। योजना को किसानों से मिल रहे अच्छे रिस्पांश के कारण विभाग ने 2011 में समय रहते इसे पूरा कर लिया लेकिन विभाग द्वारा 2012 में इस टारगेट को बढ़ाने की बजाए कम कर दिया गया और 4 हजार की बजाए सिर्फ 3 हजार एकड़ का टारगेट विभाग को दिया गया। लेकिन विभाग के नकारा कृषि यंत्रों के कारण किसानों ने भी सरकारी मशीनों से मुहं मोड़ कर प्राइवेट मशीनों की तरफ अपना रूख कर लिया। किसानों की बेरूखी के कारण विभाग अब तक 3 हजार एकड़ के टारगेट तक नहीं पहुंच पाया। अब तक विभाग 3 हजार में से सिर्फ 2500 एकड़ का टारगेट ही पूरा कर पाया है। 

लाखों रुपए की मशीनरी हो रही है खराब 

कृषि यांत्रिकी विभाग के पास लेजल लैंड लेवलर को चलाने के लिए 2 ट्रैक्टर व 9 लेजर लैंड लैवलर मशीनें हैं। इसके अलावा विभाग के पास वैजीटेबल वाशर व अन्य कृषि यंत्र भी हैं लेकिन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही से लाखों रुपए के यह यंत्र जंग की भेंट चढ़ रहे हैं। यहां विभाग के पास कृषि यंत्रों के लिए सबसे बड़ी कमी शैड की है। विभाग के पास यंत्रों को रखने के लिए शैड नहीं है। इस कारण यंत्र खुले आसमान के नीचे ही पड़े रहते हैं। लोहे के ये यंत्र खुले आसमान के नीचे पड़े रहने के कारण धूल व पानी लगने के कारण जंग की भेंट चढ़ रहे हैं। अधिकारियों द्वारा मशीनों के सही रख-रखाव की उचित व्यवस्था नहीं करवाने के कारण लेजर लैंड लेवलर मशीन को चलाने के लिए जो ट्रैक्टर विभाग के पास हैं वह भी खराब हो रहे हैं। इन दोनों ट्रैक्टरों में से एक ट्रैक्टर के टायरों की हवा निकली हुई है। इससे हजारों रुपए कीमत के टायर खराब हो रहे हैं।

शैड के निर्माण के लिए उच्चाधिकारियों को भेजा जाएगा प्रपोजल

इस बारे में कृषि यांत्रिकी विभाग के सहायक कृषि इंजीनियर जिले सिंह वर्मा से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि जल्द ही कृषि यंत्रों को ठीक करवाने का काम किया जाएगा। बजट के अभाव के कारण शैड का निर्माण नहीं हो पाया है। शैड के निर्माण के लिए विभाग के उच्चाधिकारियों को प्रपोजल तैयारकर भेजा जाएगा। 

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