पिछले 10 माह में 100 का आंकड़ा पार कर चुका है एच.आई.वी. का वायरस
जींद। एड्स जैसी लाइलाज बीमारी को कंट्रोल करने के लिए एड्स कंट्रोल सोसायटी व स्वास्थ्य विभाग की सारी मेहनत बेकार हो रही है। एड्स कंट्रोल सोसायटी व स्वास्थ्य विभाग के लाख प्रयासों के बावजूद भी एच.आई.वी. का जिन्न बोतल में बंद होने का नाम नहीं ले रहा है। विभाग द्वारा हर वर्ष जागरूकता अभियानों पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद भी जिले में एड्स का ग्राफ नीचे आने की बजाए लगातार ऊपर की ओर बढ़ रहा है। अब तो एच.आई.वी. का वायरस गर्भवती महिलाओं को भी अपनी चपेट में ले रहा है। जिले में पिछले 10 वर्षों में एच.आई.वी. के पाजीटिव केसों का आंकड़ा 100 के पार पहुंच गया है। एच.आई.वी. के केसों में हो रही बढ़ौतरी से यह अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है कि सरकार व स्वास्थ्य विभाग जागरूकता अभियानों पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद भी एच.आई.वी. के इस जिन्न को बोतल में बंद करने में नाकाम है। एड्स के आंकड़ों की रफ्तार को देखते जिले में स्थित काफी भयानक और चिंताजनक है।
ड्राइवरों के सबसे ज्यादा पाजीटिव केस
एच.आई.वी. पाजीटिव पुरुषों के मामलों में सबसे ज्यादा तादाद ड्राइवरों की है। सूत्रों के अनुसार पुरुषों में करीबन 60 प्रतिशत तक ड्राइवर पाजीटिव मिले हैं। ये लोग असुरक्षित यौन संबंधों के चलते इस खतरनाक वायरस की चपेट में आ रहे हैं। जिले में एच.आई.वी. के फैलाव का बड़ा कारण इसे ही माना जाता है।
पुरुष ज्याद आ रहे हैं एच.आई.वी. संक्रमण की चपेट में
स्वास्थ्य विभाग के पास पिछले 10 माह में करीबन 3500 से ज्यादा लोग एच.आई.वी. की जांच के लिए पहुंचे। इनमें 100 से ज्यादा लोग एच.आई.वी. पाजीटिव मिले हैं। इसमें लगभग 34 मामले महिलाओं के व 73 मामले पुरुषों के पाजीटिव पाए गए हैं। इसमें 5 गर्भवती भी पाजीटिव पाई गई हैं। आंकड़ों के अनुसार एच.आई.वी. संक्रणम की चपेट में सबसे ज्यादा पुरुष आ रहे हैं।
एच.आई.वी. के पिछले आठ माह के आंकड़े
माह कुल टेस्ट पाजीटिव पुरुष पाजीटिव महिला गर्भवती
जनवरी 270 3 3 1
फरवरी 307 3 4 0
मार्च 561 7 8 1
अप्रैल 373 6 4 0
मई 476 9 7 2
जून 455 4 5 0
जुलाई 503 10 4 1
अगस्त 374 6 4 0
कुल 3319 48 39 5
जिले में वर्ष 2010 में 139 तो 2011 में 92 केस रहे पाजीटिव पाए गए।
वर्ष 2010 में पाए गए सबसे ज्यादा पाजीटिव केस
इससे पहले वर्ष 2010 के दौरान भी एच.आई.वी. के आंकड़े काफी भयानक रहे हैं। वर्ष 2010 में 5100 लोग टेस्ट करवाने के लिए सामान्य अस्पताल तक पहुंचे। इनमें से 139 लोग एच.आई.वी. वायरस से ग्रस्त पाए गए। इसमें 88 पुरुष पाजीटिव रहे तो 51 महिलाएं भी पाजीटिव पाई गई। इसके अलावा वर्ष 2011 में 92 पाजीटिव केस सामने आए। इनमें 48 पुरुष तो 44 महिलाएं पाजीटिव पाई गई।
पर्याप्त संतुलित आहार व नशे से दूरी बढ़ा सकती है लाइफ
एच.आई.वी. की रिपोर्ट पाजीटिव आने पर पीडि़त को रोहतक मैडीकल कालेज स्थित ए.आर.टी. सैंटर में रैफर कर दिया जाता है। वहां पर उसके कुछ और टेस्ट किए जाते हैं। इसके बाद उसका उपचार शुरू कर दिया जाता है। एड्स एक लाइलाज बीमारी है। अभी तक इस बीमारी का कोई स्थाई उपचार नहीं है। पीडि़त रेगूलर दवाइयां लेता रहे तो उसको काफी आराम मिलता है। इसके साथ ही नशे से दूर रहकर तथा पर्याप्त संतुलित आहार लेने से पीडि़त एच.आई.वी. वायरस से लड़ कर अपने जीवन की डोर को काफी लंबा ङ्क्षखच सकता है।
जागरुकता अभियानों में रहे छेदों को करना होगा बंद
करोड़ों रुपए बहाकर चलाए जा रहे एड्स विरोधी अभियान की सच्चाई इन आंकड़ों के सामने दम तोड़ जाती है। एचआई की रफ्तार सरकार, स्वास्थ्य विभाग व समाज तीनों के लिए ङ्क्षचता की बात है। जहां समाज का एक बड़ा हिस्सा एच.आई.वी. की चपेट में आता जा रहा है, वहीं सरकार व स्वास्थ्य विभाग करोड़ों खर्च कर भी लोगों को इससे नहीं बचा पा रहा है। एच.आई.वी. की ओवरस्पीड सरकार व विभाग के अभियान में छेद की ओर साफ इशारा कर रही है। यदि वास्तव में समाज को जानलेवा एच.आई.वी. से बचाना है तो सरकार व स्वास्थ्य विभाग को अपने अभियान में रहे इन छेदों को बंद करना होगा।
एच.आई.वी. को रोकने के लिए विभाग करता है हर संभव प्रयास : सिविल सर्जन
इस बारे में जब सिविल सर्जन डॉ. राजेंद्र प्रसाद से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि पिछले वर्षों की बजाए इस वर्ष स्थित काफी नियंत्रित है। जिले में सी.एच.सी. स्तर पर 5 सैंटर खोले गए हैं। इन सैंटरों में एक काऊंसलर की नियुक्ति की गई है, जो एच.आई.वी. के बारे में पूरी जानकारी देता है। इसके अलावा नुक्कड़ नाटकों के जरिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है। गर्भवतियों, टी.बी. के मरीजों के अलावा जो भी मरीज आप्रेशन के लिए आता है उसका भी टैस्ट किया जाता है। पाजीटिव मिलने पर विभाग का वर्कर उसके घर पर जाकर चेकअप करता है। विभाग एच.आई.वी. को कंट्रोल करने के लिए हर संभव प्रयास करता है।
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