Sunday, 28 October 2012

अभी 'खाप अदालत' की वेटिंग लिस्ट में है किसानों व कीटों का मुकद्दमा


विवाद के निपटारे के लिए जनवरी या फरवरी में होगी सर्व जातीय सर्व खाप की महापंचायत

जींद। गौत्र विवाह के मामलों में तालिबानी फरमान सुनाने के लिए बदनाम तथा हाल ही में रेप व गैंगरेप की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए लड़के व लड़की की उम्र कम करने के बयान के बाद सुर्खियों में आने वाली खाप पंचायत ने किसानों व कीटों के मुकद्दमे के फैसले को अभी वोटिंग लिस्ट में रखा दिया है। 15 दिसंबर से शुरू होने वाले जाट आरक्षण के ममाले से निपटने के बाद ही खाप पंचायतों द्वारा इस मसले का हल निकालने के लिए अगला कदम उठाया जाएगा। इसके लिए खाप पंचायत द्वारा अगले वर्ष जनवरी या फरवरी माह में एक सर्व जातीय सर्व खाप महापंचायत का आयोजन किया जाएगा। हालांकि खाप प्रतिनिधियों द्वारा निडाना गांव में 18 बैठकों का आयोजन कर इस विवाद की सुनवाई की सभी प्रक्रियाएं पूरी की जा चुकी हैं। 

विवाद के निपटारे के लिए किसानों ने खटखटाया था खाप का दरवाजा

इंसानों के बड़े-बड़े विवादों के निपटारे के लिए मशहूर खाप पंचायतों की अदालत में यह एक अनोखा मामला आया है। निडाना गांव के कुछ कीट मित्र किसानों ने लगभग 4 दशकों से किसानों व बेजुबान कीटों के बीच चली आ रही जंग के निपटारे के लिए जून माह में खाप पंचायत के पास चिट्ठी डालकर गुहार लगाई थी। इसके बाद खाप प्रतिनिधियों ने किसानों की अर्जी को मंजूर कर इस विवाद के निपटारे के लिए अपने हाथ में लिया था। इस विवाद पर निर्णय देते वक्त खाप पंचायतों की शाख पर कोई दाग न लगे इसके लिए खाप प्रतिनिधियों ने दोनों पक्षों की सुनवाई के लिए निडाना गांव में लगातार 18 सप्ताह तक हर मंगलवार को एक पाठशाला का आयोजन करने का निर्णय लिया था। इसमें 26 जून से निडाना में एक पाठशाला की शुरूआत की गई। इस पाठशाला में हर मंगलवार को विभिन्न खापों के प्रतिनिधि विवाद की सुनवाई के लिए आते थे। गत मंगलवार को खाप पंचायतों की यह प्रक्रिया पूरी हो गई है। 

जंग में जरूरी है दुश्मन की पहचान

किसानों के समक्ष अपने विचार रखते हुए खाप के संयोजक कुलदीप ढांडा।

किसान पाठशाला के संयोजक डा. सुरेंद्र दलाल का कहना है कि जंग में दुश्मन की पहचान जरूरी है, लेकिन किसानों और कीटों के बीच लगभग 4 दशकों से जो जंग चली आ रही है इसमें किसानों को अपने दुश्मन की पहचान ही नहीं है। किसान अज्ञान के कारण इस चक्रव्यहू में फंसे हुए हैं और अधिक उत्पादन की चाह में अंधाधुंध कीटनाशकों का प्रयोग कर कीटों को मार रहे हैं। फसलों में बढ़ते रासायनिकों के प्रयोग के कारण हमारा खान-पान जहरीला हो चुका है और कई लाइलाज बीमारियों ने जन्म ले लिया है। डा. दलाल ने बताया कि कीट न तो किसान के दुश्मन हैं और न ही किसान के मित्र हैं। ये तो केवल अपना जीवन चक्र चलाने के लिए फसल में आते हैं। किसानों को इस बात का ज्ञान जरूर होना चाहिए कि कीट हमारी फसल में क्यों आते हैं और क्या करते हैं। इसलिए किसानों को कीटों के क्रियाकलापों को समझना होगा। 

मामले के निपटारे के लिए किया जाएगा महापंचायत का आयोजन

सर्व जातीय सर्व खाप के संयोजक कुलदीप ढांडा ने बताया कि खाप पंचायतों के लिए यह विवाद किसी चुनौती से कम नहीं है। इस विवाद को निपटाते वक्त खाप पंचायतों से किसी प्रकार का गलत फैसला नहीं हो इसके लिए हर सप्ताह अलग-अलग खाप प्रतिनिधियों ने निडाना पहुंचकर इस मसले का अध्यन किया है। नवंबर माह में रबी की फसल की बिजाई के कारण किसानों के पास समय नहीं है और 15 दिसंबर के बाद खाप पंचायत जाट आरक्षण के लिए संघर्ष जारी करेंगी। इसलिए इस विवाद पर फैसला सुनाने के लिए जनवरी या फरवरी माह में सर्व जातीय सर्व खाप महापंचायत का आयोजन किया जाएगा। इस महापंचायत में सभी खाप प्रतिनिधियों से विचार-विमर्श करने के बाद ही फैसला सुनाया जाएगा। 

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