Saturday, 20 October 2012

उपायुक्त कैंप को बनाया समिति का कार्यालय


 जींद : महिला उत्पीड़न की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए जिला में एक कार्य योजना तैयार की जा रही है। समुदाय संचालित कार्य समिति में समाज के प्रति उत्तरदायी दृष्टिकोण एवं सकारात्मक सोच व सूझबूझ रखने वाले लोगों को इसमें शामिल किया जा रहा है। उपायुक्त कैंप कार्यालय में इस समिति का कार्यालय स्थापित किया गया है। समिति में जिला में सेवारत विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधियों तथा वरिष्ठ नागरिकों को शामिल किया जा रहा है। वरिष्ठ नागरिकों एवं स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधियों की एक आवश्यक बैठक उपायुक्त डॉ. युद्धवीर सिंह ख्यालिया के मार्गदर्शन में हुई । उपायुक्त ने कहा कि समाज की भलाई के लिए अच्छी सोच रखने वाले लोगो में महिलाओं की पर्याप्त भागीदारी कारगर रहेगी। कार्यसमिति में शामिल लोग अपने आस-पड़ोस में जाकर अच्छा वातावरण तैयार करेगे तथा अच्छे समाज के निर्माण के लिए लोगों के सहयोग की अपील करेगे। सकारात्मक सोच रखने वाले लोगों को आगे आने के साथ-साथ उन्हे समाज के लिए कुछ करने की प्रेरणा देंगे। बैठक में मास्टर सूरजभान, जेपी गर्ग, इंद्र सिंह भारद्वाज, महात्मा गाधी प्राकृतिक चिकित्सा संस्थान के एचएस हुड्डा, पंडित दीन दयाल स्मृति मंच के डीसी विकास, शीतल युवा समिति के अनिल कुमार, जल सेवा संगठन के सतबीर सिंह, साक्षर महिला समूह के राजकुमार, सुभाष आदि अनेक स्वयं सेवा संगठनों के प्रतिनिधि व वरिष्ठ नागरिकों ने भाग लिया। बैठक में समिति के सदस्यों ने आपसी विचार विमर्श कर जिला वासियों के नाम एक विशेष निवेदन/अपील तैयार की है तथा महिला उत्पीड़न की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए जिला वासियों से सहयोग की अपील की है।क्या-क्या करेंमाता पिता अपने बच्चों पर पूरा ध्यान दें। बच्चों से मित्रता का व्यवहार करे। एक साथी की तरह व्यवहार करते हुए बच्चों की समस्याओं व आवश्यकताओं का ख्याल रखें। विशेषकर माताएं अपनी बेटियों के प्रति जागरूक रहे। दादा-दादी के प्रति सम्मान व स्नेह रखने के लिए बच्चों को प्रेरित करे।बच्चे स्कूल व कॉलेजों में समय पर जाएं और समय पर वापिस घर पहुचे,इस बात की निगरानी अभिभावक रखें। बच्चे शिक्षादायक व ज्ञान वर्धक पुस्तकों का अध्ययन करे तथा माता-पिता उनके अच्छे मित्र बनकर उनका चरित्र निर्माण करे।लड़किया छोटी-मोटी छेड़खानी को भी हलकें में न लें। ऐसा होने पर इसकी सूचना माता-पिता अथवा विद्यालय में शिक्षकों को दें। किसी अनजान व्यक्ति के साथ न जाएं और न ही कोई खाने-पीने की वस्तुएं लें।महिलाएं संकोच त्यागकर आगे आए और समाज सुधार के कार्यो में अपना योगदान देकर सम्मान कमाएं ।शिक्षक नैतिक शिक्षा को बढ़ावा दें। प्रार्थना सभा में योग्य व्यक्तियों के भाषण दिलवाएं। हर मास बच्चों व अभिभावकों के परामर्श सेमिनार आयोजित करे। अपने आस-पड़ोस में लोगों को नैतिकता के प्रति जागरूक करे।समाजसेवी संस्थाएं सामाजिक बुराईयों को दूर करने के लिए निरतर प्रयास करे विशेषकर महिला जागरूकता सम्मेलन आयोजित करवाएं जाएं।वरिष्ठ नागरिक अपने गली-महौल्लों में नैतिक शिक्षा का प्रसार करे। बच्चों को सकारात्मक दिशा देने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर गोष्ठिया करे।युवा वर्ग अपने छोटे भाई-बहनों की दैनिक गतिविधियों में सुधार करे। समाज की बेटियों से अपनी बहनों जैसा व्यवहार करे ।दूरदर्शन पर अच्छे कार्यक्रम देखें। इटरनेट का प्रयोग अच्छे कामों के लिए करे।सकारात्मक सोच के सभी लोग क्रियाशील होकर समाज में सजगता व जागरूकता पैदा करने का अपना पावन कर्तव्य निभाएं।

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