Monday, 22 October 2012

कीटनाशक मुक्त खेती के लिए महिलाओं को प्रेरित कर रही अंग्रेजो


निडाना गांव की रहने वाली अंग्रेजो उनमें से हे, जो पहले कीटनाशक मुक्त खेती करने का विरोध करती थी और उसके विचार थे कि बिना पेस्टीसाइट के खेती करना संभव नहीं है, लेकिन हकीकत सामने आई तो उसके विचार ही नहीं बदले बल्कि कई तरह के अनुभव भी हुए। अब अंग्रेजी निडाना गांव की ही नहीं बल्कि ललितखेड़ा गांव में भी जाकर महिलाओं को कीटनाशक मुक्त खेती तथा कीट ज्ञान देने का काम कर रही हैं। निडाना निवासी अंग्रेजो के पति महावीर गांव में चल रहे कीट ज्ञान व कीटनाशक मुक्त खेती से 2008 से जुडे़ थे। जब महावीर ने इस बारे में अपनी पत्नी अंग्रेजो से जिक्र किया तो उसने शुरू में इसका विरोध किया और कहा कि ऐसा नहीं हो सकता। इसके बाद वर्ष 2010 में स्वयं अंग्रेजो इस अभियान से जुड़ी और गांव में चल रहे किसान खेत पाठशाला में कक्षाएं लगाने का काम शुरू किया। उनके इस अभियान में जुड़ने पर परिवार के सदस्यों ने भी विरोध जताया, लेकिन वह इसे समझने पर अड़ी रही और उनकी में आ गया कि बिना कीटनाशक प्रयोग करके भी खेती की जा रही है। उनकी फसल में ऐसे कई कीट होते हैं, जो फसलों के लिए लाभदायक होते हैं और कीटनाशकों के प्रयोग करने से उनकी संख्या कम हो जाती है। तब से लेकर आज तक अंग्रेजो इस अभियान से जुड़ी हुई हैं। वह पांच एकड़ में खेती भी करती है। खरीफ सीजन में बाजरा व कपास तथा रबी सीजन में गेहूं की बिजाई खेत में की जाती है। खेती के साथ-साथ अंग्रेजो घर संभालने के अलावा मिड डे वर्कर का काम भी करती है और स्कूली बच्चों के लिए खाना बनाती है। अब अंग्रेजो मास्टर ट्रेनर बन चुकी है और निडाना गांव ललितखेड़ा गांव में महिलाओं को कीटनाशक मुक्त खेती के लिए प्रेरित करने के साथ-साथ कीट ज्ञान भी बांटती है। अंग्रेजो कहती है कि इस अभियान में हर महिला को जुड़ना चाहिए, क्योंकि यह अभियान सीधे घरों से जुड़ा हुआ है। कोई मां नहीं चाहती है उसका परिवार कीटनाशक युक्त खाना खाएं, इसलिए महिलाओं को इस अभियान से जुड़कर कीटनाशक मुक्त खेती के लिए आगे आना होगा।

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