छात्रों में जंक फूड का प्रचलन बढ़ा
शहरी स्कूलों में बढ़ रही है समस्या
शिक्षा विभाग ने दिए स्कूल प्राचार्यों को दिशानिर्देश
कुलदीप सिंहजींद। भागमभाग जिंदगी में जिस तरह से फास्ट फूड का प्रचलन बढ़ा है, उससे अब बच्चे भी अछूते नहीं रहे हैं। छात्र अब टिफिन में रोटी लेने की बजाए चाऊमिन, बर्गर जैसे फास्ट फूड खाने को पसंद करने लगे हैं। शहरी क्षेत्रों में यह समस्या और बढ़ गई है। छात्र ज्यादातर स्कूलों में फास्ट फूड को अपने साथ ले जा रहे हैं। जिससे उनका स्वास्थ्य तो गिर ही रहा है साथ ही कई बीमारियों के शिकार भी हो रहे हैं। ऐसे में शिक्षा विभाग ने स्कूल प्राचार्यों को निर्देश दिए हैं कि शिक्षक बच्चों को पढ़ाने के साथसाथ लंच टाइम के दौरान बच्चों के टिफिन पर नजर रखें कि कहीं वो फास्ट फूड तो नहीं खा रहे हैं। इसके अलावा स्कूल परिसर में जंक फूड बेचने वाले, कैंटीन संचालक और रेहड़ी संचालकों कव् खिलाफ भी कार्रवाई करने की बात कही गई है। यह निर्देश सरकारी स्कूलों कव् साथसाथ निजी स्कूलों पर भी लागू होंगे।फास्ट फूड के नियमित सेवन का हमारव् शरीर पर विपरित प्रभाव पड़ता है। जंक फूड खाने कव् कारण शरीर को पूर्ण आहार नहीं मिल पता है। जिससे शरीर में विटामिनों की कमी हो जाती है। इससे मोटापा, कोलेस्ट्रॉल का स्तर, पोष्क तत्वों की कमी, हृदय रोग, मांसपेशियों में अवसाद और यौन रोग होने के कारणों में वृद्धि होती है। इसके अलावा बेचैनी रहने की समस्या आम होती है। जंक फूड का सबसे ज्यादा असर बाल्यावस्था पर ज्यादा पड़ता है। नियमित उपयोग से छात्रों का स्वास्थ्य लगातार गिरता है। जिससे स्कूली बच्चे कई गंभीर बीमारियों कव् शिकार हो रहे हैं। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने शिक्षा विभाग को पत्र लिख कर घर से टिफिन में जंक फूड लाने और स्कूल परिसर में जंक फूड बेचने पर पूर्ण पाबंदी लगाने की हिदायत दी गई है। शिक्षा विभाग ने भी मामले पर सチती बरतते हुए स्कूल प्राचार्यो को निर्देश दिए है कि लंच टाइम के दौरान शिक्षक छात्रों पर नजर रखेंगे कि वे जंक फूड तो नहीं खा रहे हैं। इसके साथ ही शिक्षक छात्रों को जंक फूड से होनी वाली बीमारियों कव् बारे में बताएंगे। साथ ही उन्हें कैसे इन बीमारियों से बचा जाए इस संबंध में भी जागरूक करेंगे। वहीं स्कूल परिसर में जंक फूड बेचने वाले कैंटीन संचालक और रेहड़ी संचालकों कव् खिलाफ सチत कार्रवाई भी अमल में लाई जाएगी।
राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल के प्राचार्य रमेश मलिक ने बताया कि टिफिन में जंक फूड लाने की समस्या शहरों में ज्यादा है। ग्रामीण क्षेत्र में बच्चे बहुत कम जंक फूड खाते हैं और टिफिन में भी पारंपरिक खाना लाते हैं। फिर भी शिक्षा विभाग द्वारा जो दिशा निर्देश जारी किए गए हैं उनके अनुसार स्कूल में बच्चों के टिफिन पर नजर रखी जा रही है। जंक फूड खाने कव् कारण बच्चों में नेत्र, दंत रोग कव् अलावा मोटापा और दिल संबंधी रोग कव् लक्षण पाए जाते हैं।
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