Friday, 22 March 2013

सामूहिक दुराचार करने पर दो को दस साल की कैद


जुर्माना न भरने की सूरत में भुगतना होगा छह माह का अतिरिक्त कारावास
किशोरी का अपहरण कर बनाई थी दुराचार की अश£ील फिल्म
सबूतों के अभाव में दंपत्ति को किया बरी
जींद। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश संदीप गर्ग की अदालत ने किशोरी का अपहरण कर सामूहिक दुराचार करने, अश£ील फिल्म बनाने के जुर्म में दो युवकों को दस-दस वर्ष का कारावास की सजा तथा १०-१० हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना न भरने की सूरत में दोषियों को छह-छह माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। जबकि आरोपी दंपत्ति को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया है। अभियोजन पक्ष के अनुसार गांव झांझ खुर्द निवासी एक किशोरी ने दस अगस्त २०१२ को शहर थाना पुलिस को दी शिकायत में बताया था कि नौ अगस्त रात को वह शौच के लिए गली में निकली थी। उसी दौरान पड़ोसी विजय तथा अमरजीत उसे जबरन उठाकर विजय के पशुबाड़े में ले गए और दोनों ने उसकी साथ बारी-बारी से सामूहिक दुष्कर्म किया। शोर मचाने पर दोनों युवकों ने जान से मारने की धमकी दी। दुष्कर्म के दौरान युवकों ने किशोरी की मोबाइल से अश£ील फिल्म बनाई और फोटो खींचे। बाद में दोनों युवक घटना के बारे में किसी को बताने या शिकायत करने पर अश£ील फिल्म तथा फोटो को सार्वजनिक करने की धमकी देते हुए फरार हो गए। पुलिस ने किशोरी का सामान्य अस्पताल में मैडिकल परीक्षण करवाया। जिसमें दुष्कर्म की पुष्टि हुई थी। पुलिस ने किशोरी की शिकायत पर गांव झांझ खुर्द निवासी अमरजीत तथा विजय के खिलाफ सामूहिक दुष्कर्म, अश£ील फिल्म बनाने, जान से मारने की धमकी देने तथा रामकुमार व उसकी पत्नी राजो के खिलाफ सहयोग करने का मामला दर्ज किया था। तभी से मामला अदालत में विचाराधीन था। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश संदीप गर्ग की अदालत ने शुक्रवार को किशोरी का अपहरण कर सामूहिक दुराचार करने, अश£ील फिल्म बनाने के जुर्म में अमरजीत तथा विजय को दस-दस वर्ष कारावास की सजा तथा दस-दस हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना न भरने की सूरत में दोषियों को छह-छह माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। जबकि आरोपी दंपत्ति रामकुमार व उसकी पत्नी राजो को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया है। 

Monday, 18 March 2013

क्या केवल फांसी या कठोर कानून से रूक जाएंगे बलात्कार के मामले?



लोगों को भी समझनी होगी अपनी जिम्मेदारी और महिलाओं के प्रति अपने नजरिए में लाना होगा बदलाव 


जींद।  आज देश में बढ़ रही रेप तथा गैंगरेप की घटनओं के कारण विश्व में देश का सिर शर्म से झुक गया है। दिल्ली गैंगरेप की घटना ने तो महिलाओं की अंतरआत्मा को बुरी तरह से जख्मी कर सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा दिया है। चारों तरफ घटना की पूर जोर ङ्क्षनदा हो रही है। देश का हर नागरिक इस घटना से आहत है। देश की राजधानी में घटीत इस घिनौने कांड के बाद जनता में आक्रोष की लहर दौड़ गई है। इस घटना के लिए देश का हर नागरिक सरकार को कोस रहा है। विपक्षी दलों ने भी बलात्कार जैसे संवेदनशील मुद्दों की आंच पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने का काम किया है। दूसरों को जगाने वाली दामिनी जिंदगी की जंग हार कर खुद हमेशा के लिए सो गई है। आज देश का हर व्यक्ति दामिनी को मौत की नींद सुलाने वालों के लिए फांसी की सजा तथा रेप की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए कठोर कानून की मांग कर रहा है लेकिन जरा सोचिए क्या बलात्कारियों को फांसी देने या बलात्कारियों के खिलाफ कठोर कानून बनाने मात्र से ही देश में बलात्कार की घटनाएं रूक जाएंगी? शायद नहीं। किसी को मौत का डर दिखाने से इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगापाना संभव नहीं है। क्योंकि मौत किसी समस्या का समाधान नहीं है। मृत्युदंड देकर हम पापी को मार सकते हैं पाप को नहीं। इस बुराई को अगर जड़ से उखाडऩा है तो प्रत्येक व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और इस बुराई को जड़ से कुरेदने के लिए इस मसले पर गंभीरता से विचार करना होगा लेकिन हम अपनी जिम्मेदारी कहां समझ रहे हैं। क्योंकि किसी ने भी इस बुराई को जड़ से खत्म करने पर विचार-विमर्श करने की बजाए दोषियों को फांसी देने और कठोर कानून की ही मांग की है या फिर विरोध प्रदर्शन कर या कैंडल मार्च निकाल कर अपने कर्त्तव्य से इतिश्री कर ली है। केवल सड़कों पर केंडल मार्च निकालना, प्रदर्शन करना या सरकार को इन सब के लिए दोषी ठहराना हमारी जिम्मेदारी नहीं है। इस तरह की घटनाओं के लिए सरकार और हम बराबर के दोषी हैं, क्योंकि हम खुद ही इस तरह के अपराधों को बढ़ावा देने के लिए जमीन तैयार कर रहे हैं और इसमें सरकार हमारा सहयोग कर रही है। आज टी.वी. चैनलों तथा अन्य प्रचार-प्रसार के माध्यम से खुलेआम अश्लीलता परोसी जा रही है और हम सब मिलकर बड़े मजे से इसका आनंद ले रहे हैं। सरकार भी इस तरह के कार्यक्रमों को रोकने में किसी तरह की सख्ती नहीं दिखा रही है। आज हमारी संस्कृति और मनोरंजन के साधन पूरी तरह से अश्लीलता  की भेंट चढ़ चुके हैं। हमारे प्रचार-प्रसार के साधनों के माध्यम से हमारी प्रजनन क्रियाओं के अंगों को हमारे सामने मनोरंजन के साधन के रूप में पेश किया जा रहा है। इससे युवा पीढ़ी पथभ्रष्ट होकर प्रजनन क्रियाओं के अंगों को मनोरंजन का साधन समझकर इस तरफ कुछ ज्यादा ही आकर्षित  हो रही है। इसलिए कहीं ना कहीं हमारे मनोरंजन के साधन भी इसके लिए जिम्मेदार हैं। 

फांसी या कठोर कानून नहीं किसी समस्या का समाधान 

किसी को फांसी देना या कठोर कानून किसी समस्या का समाधान नहीं है। जरा सोचिए क्या 302 के अपराधी यानि किसी की हत्या करने वाले व्यक्ति को कानून में फांसी देने का प्रावधान नहीं है। जब हत्यारे को कानून में फांसी देने का प्रावधान है और इस कानून के तहत मुजरिमों को फांसी की सजा दी भी जा चुकी है तो क्या देश में हत्या होनी बंद हो गई हैं, नहीं। तो फिर हम यह कैसे सोच सकते हैं कि बलात्कारियों को फांसी देने से देश में बलात्कार रूक जाएंगे। मैं बलात्कारियों को फांसी नहीं देने या इस तरह के अपराधियों के लिए कठोर कानून नहीं बनाने का पक्षधर नहीं हूं लेकिन यह भी तो सच है कि केवल फांसी देने या कठोर कानून से इस तरह की घटनाओं को रोक पाना संभव नहीं है। मैं तो अगर पक्षधर हूं तो केवल इस बात का कि इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए इन घटनाओं की तह तक जाने की जरूरत है। क्योंकि हमारी कानून प्रणाली काफी लचिली है और कठोर कानून बनाने के बाद जहां उसका सद्उपयोग होगा, उससे कहीं ज्यादा उसका दुरुपयोग भी होगा। जैसा की दहेज उन्मूलन कानून में हो रहा है। 

क्यों बढ़ रही हैं रेप की घटनाएं

हमारे लिए कितने दुख की बात है कि भारत जैसे देश में हर 18 मिनट में एक बलात्कार की घटना घट रही है। इसका मुख्य कारण अश्लीलता की भेंट चढ़ रहे हमारे मनोरंजन के साधन हैं। आज हमारे पास मनोरंज के अच्छे साधन होने के बावजूद भी हमारे पास मनोरंजन की अच्छी सामग्री नहीं है। बढ़ रही अश्लीलता तथा दूषित हो रहे हमारे खान-पान से हमारी मानसिक प्रवृति में काफी परिर्वतन हो चुका है। नैतिक मूल्य में काफी गिरावट हुई है। हम अपने प्रजनन के अंगों को मनोरंजन के रूप में देखने लगे हैं। हमारा रहन-सहन काफी बदल गया है, हमारा पहनावा काफी उतेजक हो चुका है। हमारी शिक्षा प्रणाली सही नहीं है, जिससे किशोर अवस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तन के दौरान किशोरों को उचित मार्गदर्शन नहीं मिल पाता और वे अपने पथ से भटक जाते हैं। 

किस तरह हो सकता है समस्या का समाधान 

अगर बलात्कार की घटनाओं पर रोक लगानी है तो केवल फांसी या कठोर कानून का सहारा लेने की बजाए इसकी जड़ों को कुरेदना होगा। हमें सबसे पहले तो अपने मनोरंजन के साधनों में परिवर्तन करना होगा। हमें अपने मनोरंजन के साधनों में अश्लीलता गीतों की बजाए देशभक्ति गीत, हमारी संस्कृति से जुड़े गीत, हमारी दिनचर्या से जुड़े गीत, वीरता, बहादुरी के किस्सों से ओत-प्रोत नाटक, फिल्मों को शामिल करना होगा। ताकि खाली समय में हम इस तरह के गीत या फिल्में देखकर अपने मनोरंजन के साथ-साथ इससे प्रेरणा ले सकें और हमारा दिमाक गलत दिशा में जाने से बच सके। इसके बाद बात आती है दंड की, तो दंड कठोर होने के साथ-साथ सामाजिक तौर पर निष्पक्ष रूप से दिया जाए, जैसा की कई बार पंचायतों द्वारा दिया जाता है। क्योंकि इस तरह का दंड अपराधियों को सबक सिखाने में काफी कारगर सिद्ध होता है और समाज में बेज्जती के भय से लोग गलत काम को अंजाम देने से हिचकते हैं। हमें हमारे रहन-सहन तथा पहनावे में भी थोड़ा परिवर्तन करना चाहिए। हमें उतेजक पहनावे से परहेज करना चाहिए। हमारी शिक्षा प्रणाली में भी परिवर्तन की जरूरत है। नैतिक शिक्षा के साथ-साथ शारीरिक शिक्षा पर भी जोर दिया जाना चाहिए। खासकर किशोर अवस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तन तथा उससे पैदा होने वाली समस्याएं और उनके समाधान के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी जाए। हमें अपने बच्चों के साथ कठोर व्यवहार की बजाए नर्म तथा दोस्ताना रवैया अपना चाहिए तथा उनकी परेशानियों, समस्याओं को नजर अंदाज करने की बजाए उन्हें उसके समाधान के बारे में बताना चाहिए। इसके अलावा राजनेताओं को भी चाहिए कि वे किसी भी प्रकार की सामाजिक समस्या को सत्तासीन पार्टी के खिलाफ हथियार बनाने की बजाए उसके समाधान के लिए सरकार की मदद करे। और इस समस्या के समाधान में सबसे अहम योगदान समाज का हो सकता है। समाज को लड़कियों और महिलाओं के प्रति अपना नजरिया बदलना होगा।

विद्यार्थियों पर हावी हो रहा परीक्षा का भूत


अच्छे अंकों की चाहत में ले रहे यादाशत बढ़ाने वाली दवाओं का सहारा 


जींद। परीक्षा का भूत विद्यार्थियों पर इस कदर हावी हो चुका है कि वे अच्छे अंक प्राप्त करने, याददाशत बढ़ाने और एनर्जी लेवल मेनटेन रखकर तनाव कम करने के लिए दवाओं पर निर्भर हो चुके हैं। कम्पीटीशन का दौर है, लिहाजा वे पीछे नहीं रहना चाहते। आगे निकलने की होड़ में वे अपने ही स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। उन्हें नहीं पता कि एनर्जी बढ़ाने के लिए जिन दवाओं का सहारा लेने की वे नादानी कर रहे हैं, वही उनके भविष्य को गहन अंधकार में डूबो देगी। ऎसी दवाओं का सर्वाधिक प्रतिकूल प्रभाव दिमाग व लीवर पर पड़ता है। तनाव से मुक्ति दिलाने वाला यह धीमा जहर धीरे-धीरे उनकी रगों में फैलकर खोखला कर रहा है। समय की मांग है कि लिहाजा अभिभावकों का दबाव भी कम नहीं है। उज्जवल भविष्य के लिए परीक्षा में अच्छे अंक लाने की अनिवार्यता जाहिर है। यह महत्वाकांक्षा और प्रतिस्पर्धा छात्रों के रास्ते का कांटा बन गई है। इस कारण वे गहरे अवसाद में जा रहे हैं। तनाव के चलते याद किया टॉपिक भी भूल रहे हैं। समस्या से निजात पाने के लिए वे बाजारों का रुख करते हैं और याददाशत और एनर्जी लेवल बढ़ाने वाली दवाइयों की मांग कर रहे हैं। अच्छी काउंसलिंग की कमी के कारण विद्यार्थी पथभ्रष्ट होकर अपनी बची-खुची प्रतिभा भी खो रहे हैं। दवा निर्माता कंपनियां भी अवसर को भुनाने से नहीं चुक रही हैं और अपनी जेब भरने के चक्कर में पहले तो हौव्वा पैदा करती हैं, फिर उनसे निजात दिलाने के लिए प्रलोभनों के जाल में फंसा लेती हैं। हालांकि तनाव कम करने तथा याददाशत बढ़ाने की दवाएं प्राय: प्रतिबंधित होती हैं और इन्हें बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लिया जा सकता। इसके बावजूद हर मैडीकल स्टोर पर इन्हें बेहिचक बेचा जा रहा है। परीक्षा करीब आते ही याददाशत बढ़ाने वाली दवाइयों के खरीदारों की संख्या में इजाफा हो जाता है। शहर में याददाशत के साथ-साथ एनर्जी बढ़ाने वाले पाउडर, कैप्सूल व सीरप की बिक्री भी 40 फीसदी तक बढ़ गई है। मेमोरी में इजाफा करने के चाह्वान विद्यार्थिओं  में सर्वाधिक संख्या साइंस संकाय या प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रतिभागियों की होती है। 

बढ़ जाती हैं बीमारियों की सम्भावना

 डा. राजेश भोला का फोटो।
याददाश्त बढ़ाने की कोई दवाइया नहीं आती। दवा कंपनियां झूठा प्रचार कर लोगों को गुमराह करती हैं। इस तरह के भ्रमक प्रचार से बचना चाहिए। इस तरह की दवाइयां शॉर्ट टर्म के लिए भले ही फायदा करती हों, लेकिन इनके लांग टर्म साइड इफेक्ट काफी देखे जा रहे हैं। वैज्ञानिक तौर पर ये दवाइयां अपडेट नहीं होती, साथ ही इनमें स्टीरॉयड की मात्रा रहती है, जिससे ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, चिड़चिड़ापन होना, नींद नहीं आना व आंखें भारी होना तथा हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती हैं। अंदर ही अंदर इन दवाइयों का धीमा जहर शरीर को खोखला कर देता है। इसका सबसे ज्यादा प्रतिकूल प्रभाव दिमाक व लीवर पर पड़ता है। 
डा. राजेश भोला, डिप्टी सिविल सर्जन
सामान्य अस्पताल, जींद


नरेश जागलान का फोटो। 
इस बारे में मनोविज्ञानिक नरेश जागलान का कहना है कि परीक्षा का समय विद्यार्थियों के लिए बेहद संवेदनशील होता है, इसलिए अभिभावकों को चाहिए कि उनपर पढ़ाई का जरुरत से अधिक दबाव नहीं डालें बल्कि उन्हें प्रोत्साहित करने का प्रयास करें। अभिभावक बच्चों के साथ मित्रवत व्यवहार बनाएं ताकि वे तनावमुक्त होकर परीक्षा दे सकें। अभिभावक अपने बच्चों की मानसिक क्षमता को समझें। दूसरे के बच्चों से अपने बच्चों की तुलना नहीं करें। बच्चों को चाहिए कि वे परीक्षा से भयभीत नहीं हों। परीक्षा से भयभीत होकर कोई गलत कदम नहीं उठाएं। जिंदगी अनमोल है और परीक्षा उनकी इस मूल्यवान जिंदगी का ही एक हिस्सा है। परीक्षा तो केवल बच्चे की एक वर्ष की पढ़ाई को मापने का पैमाना है। परीक्षा की सफलता तथा असफलता से जीवन की खुशहाली और कामयाबी को नहीं मापा जा सकता। 

परीक्षा के दौरान इन बातों का ध्यान रखें विद्यार्थी। 

1. परीक्षा को जीवन का हिस्सा मानें।
2. लंबी पढ़ाई की बजाए छोटे-छोटे ब्रेक लेकर पढ़ाई करें। 
3. बड़ी-बड़ी बुकों की बजाए छोटे-छोटे नोट्स तैयार कर पढ़ाई करें। 
4. परीक्षा में दूसरों की नकल करने से बचें और खुद की काबलियत के अनुसार जवाब दें। 
5. समय से पहले परीक्षा स्थल पर पहुंचे। 
6. हड़बड़ाहट में परीक्षा ना दें, परीक्षा शुरू करने से पहले 5 मिनट पेपर को अच्छी तरह पढ़ें।
7. सवाल के जवाब के मुताबिक हर सवाल का समय निश्चित करें। 
8. विशेष प्वाइंटों को अंडर लाइन या बोल्ड करें। 
9. बुक्स की बजाए सह-समूह में डिस्कस करें।
10. पढ़ाई से उबने पर शरीर और मन को रिफरेश करें। 
11. मैडीटेशन और हल्की योगा जरुर करें। 
12. पानी ज्यादा पीएं लेकिन खाना ज्यादा नहीं खाएं। 
13. पढ़ाई करने के 48 घंटे तक एक बार आवश्यक रूप से रिवाइज करें। 
14. परीक्षा से पहले पूर्ण रूप से आराम कर के जाएं। 
15. परीक्षा से सम्बंधित आवश्यक सामग्री पहले दिन तैयार करें। 
16. ऐसे गेम नहीं खेलें, जिनसे शरीर को थकावट महसूह हो। 
17. अंतरद्वंद में ना जाएं, अपने ऊपर विश्वास रखें।
18. किसी भी प्रकार की दवा का प्रयोग नहीं करें। 

अभिभावक और अध्यापक क्या करें

1. अभिभावकों व अध्यापकों को आपसी तालमेल रखना चाहिए। 
2. बच्चों पर पढ़ाई के लिए अनावश्यक दबाब नहीं बना चाहिए। 
3. परीक्षा के दौरान अभिभावकों को बच्चों की विशेष देखभाल करनी चाहिए। 
4. बच्चों को मनपसंद खाना देना चाहिए और उनकी दिनचार्य का ख्याल रखना चाहिए। 
5. किसी अन्य अनावश्यक कार्य में बच्चों को शामिल नहीं करें। 
6. बच्चों के साथ तालमेल बनाकर उनकी सभी बातों को शेयर करें। 
7. परीक्षा के प्रति बच्चों के मन में भय पैदा नहीं करें। 

Sunday, 17 March 2013

कुदरत का करिश्मा, 24 उंगलियों के साथ जन्मा बच्चा


 डा. सुनीता गोयल की जिंदगी का पहला केस

जींद। रेलवे रोड स्थित रविंद्रा नर्सिंग होम में कुदरत का करिश्मा देखने को मिला। नर्सिंग होम में दोपहर बाद एक बच्चे ने जन्म लिया, जिसकी 24 उंगलियां हैं। यह उंगलियां सही तरीके तथा आम बच्चों की तरह ही हैं। जब उंगलियों को ध्यान से देखा जाता है, तभी पता चलता है कि दोनों हाथों व पांवों में छह-छह उंगलियां हैं। रविंद्रा नर्सिंग होम की डा. सुनीता गोयल ने बताया कि उन्हें इस क्षेत्र में काम करते हुए 25 साल हो गए लेकिन आज तक उन्हें 24 उंगलियों वाले बच्चा नहीं देखा है। हालांकि कई बार किसी हाथ या पांव की छह-छह उंगलियां तो देखी हैं लेकिन वे बाद में हटानी पड़ती हैं। इस बच्चे की सभी उंगलियां ठीक हैं तथा यह पूरी तरह से स्वस्थ है। बड़े ध्यान से देखने पर ही उंगलियों का पता चलता है। लोको कालोनी निवासी बच्चे की माता प्रिया तथा पिता राकेश कुमार ने बताया कि यह उनकी पहली संतान है। उनके बच्चे की उंगलियों के बारे में उन्होंने कहा कि भगवान ने उनके बच्चे को काम करने की शक्ति ज्यादा है तथा सभी उंगलियां सही तथा स्वस्थ हैं।


किसान के जज्बे को देख कायल हुए विदेशी


दस देशों के वैज्ञानिकों ने किया लक्ष्य प्लांट, डेयरी फार्म का दौरा
विदेशी गायों को कैसे रास आया वातावरण के बारे में जुटाई जानकारी
दिल्ली स्कूल आफ इक्रोमिक्स के छात्र करेंगे प्लांट पर शोध
जींद। गांव कंडेला स्थित लक्ष्य मिल्क प्लांट तथा रेढु मुर्राह बुफेलो ब्रीडिंग सैंटर का रविवार को १० देशों के शिक्षाविद्धों के प्रतिनिधिमंडल ने दौरा किया। प्लांट के दुग्ध उत्पादों, उन्नत किस्म का मुर्राह ब्रीडिंग सैंटर, विदेशी नस्ल होल्स्टीन के रखाव, वातावरण को नियंत्रित करने के प्रबंधों को देखा। आखिर एक साधारण किसान ने न केवल दुग्ध उत्पादों में अपनी पहचान बनाई, बल्कि उन्नत दुधारू किस्म को भी बढ़ावा दिया। प्लांट में पहुंचने पर प्लांट के निदेशक बलजीत रेढू ने शिष्टमंडल का स्वागत किया। अंतराष्ट्रीय भूगोलिक युनियन के अध्यक्ष प्रो. विलादिमीर कोलोशोव के नेतृत्व में १७ देशों के शिक्षाविद्धों का प्रतिनिधिमंडल हरियाणा की संस्कृति, आर्थिक, सामाजिक तथा कृषि एवं उद्योग से रूबरू होने के लिए गांव कंडेला स्थित लक्ष्य प्लांट में पहुंचा था। 
हरियाणवी खाने के कायल हुए विदेशी
लक्ष्य मिल्क प्लांट में पहुंचे १७ देशों के विदेशी शिक्षाविद्धों को शुद्ध हरियाणवी नाश्ता दिया गया। जिसमें देशी घी से बने आलू के परांठे, बथुआ का रायता, हरे चने की चटनी, मक्खन, लस्सी परोसी गई। विदेशी मेहमानों को हरियाणवी नाश्ता खूब भाया और जमकर तारीफ की। अंतराष्ट्रीय भूगोलिक युनियन के अध्यक्ष प्रो. विलादिमीर कोलोशोव ने कहा की दुनिया भर के जायकों में हरियाणा के खाने का स्वाद अलग है यानि देशा में देश हरियाणा, जित दुध दही का खाणा की कहावत सही स्टीक बैठती है। 
बाक्स के लिए 
वैज्ञानिक प्रो. डेटरिच सोएज ने लक्ष्य प्लांट के दुग्ध उत्पादों की तारीफ करते हुए कहा कि दुध के मामले में चीन बहुत बड़ा बाजार है। जर्मनी से दुध आयात कर दुध की जरूरतों को पूरा किया जाता है। लक्ष्य मिल्क प्लांट के उत्पाद चीन में निर्यात किए जाएं तो दोनों देशों के बीच व्यापार की नई संभावनाएं पैदा हो सकती हैं। 
दिल्ली स्कूल ऑफ  इकनोमिक के विभागाध्यक्ष डा. आरबी सिंह ने लक्ष्य मिल्क प्लांट की आधुनिक डेयरी तकनीक के बारे में कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में स्थानीय संशाधनों का प्रयोग करते हुए एक बहुत बड़ा दुग्ध उद्योग खड़ा करते हुए श्वेत क्रांति की मिसाल कायम की है। इसलिए विश्वविद्यालय के छात्र लक्ष्य प्लांट पर शोध करेंगे। लक्ष्य मिल्क प्लांट आधुनिक तकनीकी का एक मात्र ऐसा माडल है जो डेयरी फार्मिंग, दुध प्रोसेसिंग, मार्केटिंग के सभी कार्य एक साथ कर रहा है। विदेशी शिष्टमंडल को पशुपालन की झलक दिखाने के लिए प्लांट में लाया गया है। 
कौन-कौन है शिष्टमंडल में शामिल
विदेशी शिष्टमंडल में अंतराष्ट्रीय भूगोलिक युनियन के अध्यक्ष प्रो. विलादिमीर कोलोशोव के अलावा दक्षिणा अफ्रिका के प्रो. माइकल मिंडोज, इटली के प्रो. जी बैलेजा, जर्मनी के प्रो. यूडो सिकोक, चाइना के प्रो. एलीकुन, प्रो. हुईवान, जापान के प्रो. एस हरूयामा, प्रो. के टकारा, प्रो. के किमीटो, इजराइल के प्रो. एम सॉफ्ट, चैक रिपब्लिक के प्रो. इवान बिस्क, इंडोनेशिया के प्रो. ई रूस्तेदी, कनाडा के प्रो. जेएस गार्डनर, रसिया के प्रो. ई मिलीनोवा के अलावा फिनलैंड के प्रो. आर हितेला, सिंगापुर के प्रो. विकटर सैवेज सहित आधा दर्जन भारतीय शिक्षाविद्ध भी शामिल थे। 
क्या कहते है प्लांट के निदेशक
 
लक्ष्य मिल्क प्लांट के मेनेजिग डायेरेक्टर बलजीत रेढू ने कहा की हरियाणा में दूसरे देशों में अपने दुग्ध उत्पाद निर्यात करने की काफी संभावनाएं है। आने वाले समय में लक्ष्य मिल्क प्लांट हरियाणा के उत्पाद दुनिया के दूसरे देशों में भेजने की तैयारी कर रहा है। 

Thursday, 14 March 2013

स्कूलों में नहीं नाच सकेंगी छात्राएं


गांव किनाना की पंचायत का तुगलकी फरमान
जींद। जींद के गांव किनाना की पंचायत ने तुगलकी फरमान सुनाते हुए गांव के स्कूलों में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लगाने का फरमान जारी किया है। पंचायत ने किनाना की सीमा में बने एक सरकारी व दो निजी स्कूलों में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने का फैसला सुनाते हुए कहा कि इन कार्यक्रमों में स्कूली छात्राओं को नचाया जाता है। जिसके चलते गांव का माहौल खराब हो रहा है और अब वे किसी हाल में इन स्कूलों में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में छात्राओं को नहीं नाचने देंगे और तीनों तीनों स्कूलों में ग्रामीण ऐसे सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं होने देगें। जिनमें छात्राएं डांस करती हैं। इतना ही नहीं पंचायत ने स्कूल प्रबंधन को यह भी कहा है कि वे अपने स्तर पर अगर इस प्रकार के कार्यक्रमों को नहीं रोकेगें तो उनसे सख्ती से पेश आया जाएगा। गांव के सरपंच द्वारा मुहर व हस्ताक्षर किया पत्र स्कूल प्रबंधनों को अलग अलग भेजा जा चुका है। इन पत्रों पर काफी संख्या में ग्रामीणों समेत पंचों ने भी हस्ताक्षर किए हैं। जो पत्र सरकारी स्कूल को भेजा गया है, उस पर सरपंच के हस्ताक्षर नहीं हैं। सरपंच का कहना है कि ग्रामीणों के कहने पर ही उसने मजबूरी में दो पत्रों पर हस्ताक्षर किए हैं। एक निजी स्कूल के प्राचार्य ने पत्र मिलने की पुष्टि की है। अब तक खाप पंचायतों पर महिलाओं की आजादी के खिलाफ फरमान जारी करने के आरोप लगते रहे हैं। लेकिन अबकि बार तो एक संवैधानिक संस्था के मुखिया ने ही स्कूलों में आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में लड़कियों द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले कार्यक्रमों पर रोक लगाने का फरमान जारी किया है। पंचायत द्वारा फरमान जारी करने के बाद स्कूल प्रबंधन रणनीति बनाने में जुट गए हैं। जागृति सीनियर सकेंड्री स्कूल किनाना के प्राचार्य विनोद ने बताया कि वह इस बारे में शिक्षा विभाग व प्रशासन को अवगत कराएगा। गुरूकुल जनता विद्यापीठ किनाना को भी ग्रामीणों द्वारा भेजा गया पत्र मिल चुका है। राजकीय वरिष्ठ सकेंड्री स्कूल के प्राचार्य एसके ढांडा ने बताया कि ग्रामीणों ने लड़कियों के सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लगाने के बारे में पत्र लिखा है। लेकिन कुछ ग्रामीण स्कूल में आकर माफी मांग गए हैं।
 
गांव किनाना के सरपंच राजाराम ने बताया कि ग्रामीणों के दबाव के चलते उन्होंने उस पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। जिसमें लड़कियों के स्कूलों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने पर प्रतिबंध को कहा गया है।

Monday, 11 March 2013

सोमवती अमावास्या पर लाखों ने लगाई डूबकी


 मेले में श्रद्धालुओं ने जमकर की खरीददारी
शहर में पूरा दिन रही जाम की स्थिति
जींद। पांडु पिंडारा स्थित पिंडतारक तीर्थ पर सोमवार को सोमवती अमावस्या पर हजारों श्रद्धालुओं ने सरोवर में स्नान किया तथा पिंडदान कर तर्पण किया।  श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए प्रशासन द्वारा सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए थे। जगह-जगह पर पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था। वाहनों की पार्किंग के लिए अलग से स्थान निर्धारित किया गया था। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होने के कारण गोहाना रोड पर पूरा दिन जाम जैसी स्थिति बनी रही। ऐतिहासिक पिंडतारक तीर्थ पर रविवार शाम से ही श्रद्धालुओं पहुंचना शुरू हो गए। रविवार को पूरी रात धर्मशालाओं में सत्संग तथा कीर्तन चलते रहे। सोमवार को तड़के से ही श्रद्धालुओं ने सरोवर में स्नान तथा पिंडदान शुरू कर दिया जो शाम तक चलता रहा। इस मौके पर दूर दराज से आएं श्रद्धालुओं  ने अपने पितरोंं की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया तथा सूर्यदेव को जलार्पण करके सुख समृद्धि की कामना की। 
क्या है महत्व
पिंडतारक तीर्थ के संबंध में किदवंती है कि  महाभारत युद्ध के बाद पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पांडवों ने यहां 12 वर्ष तक सोमवती अमावस्या की प्रतीक्षा में तपस्या की। बाद में सोमवती अमावस के आने पर युद्ध में मारे गए परिजनों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया। तभी से यह माना जाता है कि पांडु पिंडारा स्थित पिंडतारक तीर्थ पर पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष मिल जाता है।  महाभारत काल से ही सोमवती अमावस्या पर यहां पिंडदान करने का विशेष महत्व है। यहां पिंडदान करने के लिए विभिन्न प्रांतों के लोग श्रद्धालु आते हैं। सोमवती अमवस्या पर श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए प्रशासन यहां सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए थे।
पूरे दिन रही शहर में जाम जैसी स्थिति
सोमवती अमावस्या को देखते हुए शहर में पूरा दिन जाम जैसी स्थिति रही। पूरा दिन श्रद्धालुओं का आवागमन लगा रहा। सबसे ज्यादा समस्या मुख्य मार्गों पर हुई। जहां जाम के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। पुलिसकर्मी पूरा दिन जाम में फंसे वाहनों को हटाने में लगे रहे। गोहाना रोड पर जाम होने के कारण श्रद्धालु पैदल ही बस अड्डे की तरफ पहुंच रहे थे। 
मेले में श्रद्धालुओं ने जमकर की खरीददारी
पिंडारा तीर्थ पर सोमवती अमवस्या पर पहुंचे श्रद्धालुओं ने जमकर खरीददारी की। तीर्थ पर जगह-जगह लोगों ने सामान बेचने के लिए फड़े लगाई हुई थी। जिस पर बच्चों तथा महिलाओं ने खरीददारी की। बच्चों ने जहां अपने लिए खिलौने खरीदे तो वहीं बड़ों ने भी घर के लिए सामान खरीदे। 

Sunday, 10 March 2013

ग्रामीण कल्चर को देख अभिभूत हुई जर्मनी रिपोर्टर


चौधरियों के फैसले तथा मेहमान नवाजी की कायल हुई डेर
जर्मन पत्रिका सानडरा स्कूलज में छपेगें चौधरी
जर्मन के लोग जानेगें भारत की खाप पंचायतों को
करीब तीन घंटे तक चौधरियों की बातों को दुभाषिय की मदद से सुना
 
जींद। उत्तर भारतीय सामाजिक ताने बाने को बनाए रखने तथा सामाजिक समरसता में खाप पंचायतों की कार्यशैली से अब जर्मन के लोग भी रूबरू होंगे। विविध भाषा, धर्म, संस्कृति वाले देश में आखिरकार रीति रिवाज, पंरपराएं, मान्यताएं, प्रथा किस प्रकार से सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखते हैं। उसी खाप पंचायत की कार्रवाई को फिल्माने तथा रिपोर्टिंग के लिए जर्मन की पत्रिका सनडरा स्कूलज् की रिपोर्टर डेर स्पाइजल अपनी टीम के साथ गांव खरकरामजी पहुंची। बराह बाहरा तपा की महापंचायत की कार्रवाई शुरू होने से पूर्व जर्मनी रिपोर्टर डेर स्पाइजल ने दुभाषिय के माध्यम से ग्रामीण आंचल की महिलाओं से बातचीत की। उन्होंने गांव खरकरामजी की महिलाओं से महिलाओं पर बढ़ रहे अपराधों जिसमें दुराचार, यौन शोषण व घरेलू हिंसा के बारे में विचार सांझा किए। डेर स्पाइजल के सवालों का जवाब घुंघट की ओट में महिलाओं ने भी बखूबी दिया। गांव खरकरामजी से बराह बाहरा द्वारा नशे पर लगाम कसने के लिए बुलाई गई महापंचायत को करीब से देखने तथा ग्रामीण आंचल के लोगों से रूबरू होने के लिए जर्मन रिपोर्टर डेर स्पाइजल रविवार अल सुबह गांव खरकरामजी पहुंच गई थी। डेर ने कहा कि उन्होंने उत्तर भारत की खाप पंचायतों के बारे में सुना और पढ़ा था, लेकिन खाप पंचायतों की कार्रवाई को नहीं देखा था। सामूहिक रूप से समाज हित तथा मानव कल्याण के लिए सौहार्दपूर्ण माहौल में निर्णय लेना, पंचायत में हर व्यक्ति की सुनना। फिर सभी की सहमती से फैसला लेकर उसे मौखिक तौर पर लागू करना। फिर उसी फैसले का ग्रामीणों द्वारा सम्मान किया जाना आश्चर्यजनक ही नहीं, बल्कि अविश्वनीय भी है। मगर महापंचायत की एक मत फैसला और सभी को मान्य होना वाक्य ही भारतीय परंपरा महान है। स्मैक जैसे गोरखधंधे पर तपा के चौधरियों ने लगभग तीन घंटे तक गहन विचार विर्मश किया। जर्मन रिपोर्टर डेर तपा पंचायत को केवल सुन रही थी। लेकिन भाषण बाजी के दौरान खाप चौधरियों के बदल रहे तेवरों पर जरूर थोड़ा बहुत अंदाजा लगा पा रही थी। डेर की सहायता के लिए आया दुभाषिय हर खाप चौधरी, हर हलचल की जानकारी डेर को दे रहा था। महापंचायत के बीच में जब चौधरियों को चाय परोसी तो डेर ने भी उनके साथ चाय की चुस्की ली। महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर ग्रामीणों ने प्रसाद के तौर पर उन्हें लड्डू दिए। ग्रामीणों द्वारा की गई मेहमान नवाजी से डेर ग्रामीण आंचल की कायल दिखाई दी। डेर ने हरिभूमि से विशेष बातचीत में बताया कि उनकी इच्छा उत्तर भारतीय तानेबाने और खापों की भूमिका के बारे में जानने की थी। जर्मनी से स्पेशल रिपोर्टिंग करने के लिए दिल्ली पहुंची, फिर उन्होंने महापंचायत के संयोजक कुलदीप ढांडा से संपर्क किया। वास्तव में उत्तर भारतीय समाज अनूठा है। रीति रिवाज, परंपराएं, प्रथा, सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने में कितना योगदान देती है यह पंचायत के फैसले से पता चला। 

बराह बाहरा तपा ने लगाया नशे पर प्रतिबंद्ध


महापंचायत में तपा चौधरियों ने लिया निर्णय
नशा कारोबारियों तथा नशेडियो पर नजर रखेंगी कमेटी
ग्रामीण आंचल को नशामुक्त करने की कवायद
महापंचायत में पांच प्रस्ताव किए पारित

 

जींद। बराह बाहरा तपा ने अपने क्षेत्राधिकार में आने वाले १७ गांवों में स्मैक जैसे घातक नशीले पदार्थो पर पूर्णत प्रतिबंद्ध लगाने का निर्णय लिया है। ग्रामीण आंचल में फल फूल रहे नशे के गौरखधंधे तथा नशेडिय़ों पर लगाम कसने के लिए प्रत्येक गांव में कमेटी गठित करनेे का भी निर्णय लिया है। लगभग तीन घंटे तक चली महापंचायत में तपा के चौधरियों ने साफ कहा कि जब तक ग्रामीण आंचल में नशे की प्रवृति पर पूरी तरह लगाम नहीं कसी जाएगी तब तक अपराध नियंत्रित नहीं हो पाएगा। उन्होंने कहा कि नशा ही अपराधों की जड़ है। गांव खरकरामजी के राजीव गांधी सेवा केंद्र में आयोजित बराह बाहरा तपा की महापंचायत की अध्यक्षता कुलदीप सिंह ढांडा ने की। सामाजिक कार्याे में उल्लेखनीय योगदान देने के लिए इंदिरा गांधी समरसता अवार्ड से सम्मानित कुलदीप ढांडा ने कहा कि तपा के क्षेत्राधिकार में आने वाले १७ गांवों में स्मैक का गौरखधंधा लगातार जड़ जमाता जा रहा है। युवा नशे की लत का शिकार होते जा रहे है। जिससे ग्रामीण आंचल का सामाजिक वातावरण खराब होता जा रहा है। नशे की प्रवृति न केवल अभिभावकों के लिए बल्कि समाज के लिए भी खतरा बन गई है। जो चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि यह हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है जो अपने युवा भाईयों को नशे की दलदल से बाहर निकाले। यह तभी संभव है जब सभी एकजुट होकर नशे के गौरखधंधे के खिलाफ आवाज उठाऐं और अच्छी दिशा दें। महापंचायत के आयोजक गांव खरकरामजी के सरपंच अजमेर सिंह ने पांच प्रस्ताव तपा चौधरियों के सामने रखे। जिनकों पढ़कर सुनाया गया, जिस पर महापंचायत में मौजूद लोगों ने हाथ उठाकर एकमत से समर्थन किया। महापंचायत में यह निर्णय लिया गया कि पारित किया गया प्रस्ताव बराह बाहरा तपा के सभी गांवों में लागू होगा। 
बॉक्स के लिए प्रस्तावित
प्रस्ताव नम्बर एक में प्रत्येक गांवों में स्मैक जैसे नशे पर पूर्णत प्रतिबंद्ध लगाया जाएगा। जो लोग स्मैक के गौरखधंधे से जुड़े हुए उनकी जानकारी पंचायत के चौधरी जिला पुलिस को देगें। स्मैक बेचने वाले को सामाजिक रूम से दंडित किया जाएगा। स्मैक को बंद करवाने व युवाओं पर नजर रखने के लिए निगरानी कमेटियों का गठन किया जाएगा। तपा के प्रत्येक गांव में ऐसे शिविर का आयोजन किया जाएगा। जिसमें नशे के दुष्परिणामों के बारे में युवाओं को बताया जाएगा।
प्रस्ताव नम्बर दो में तपा के चौधरियों ने मुहर लगायी कि वे कन्या भू्रण हत्या करने वालों के खिलाफ अपने स्तर सामाजिक कार्रवाई करेगें। 
प्रस्ताव नम्बर तीन में महिलाओं बढ़ रहे अत्याचारों को रोका जाए और महिलाओं का सशक्त करने की कवायद शुरू की जाएगी। 
प्रस्ताव नम्बर चार में गिरते हुए सामाजिक व नैतिक मूल्यों को रोककर भारतीय संस्कृति से युवाओं का चरित्र निर्माण किया जाए। 
प्रस्ताव नम्बर पांच में ग्रामीण अंचल में सामूहिक दुराचार की घटनाओं को रोका जाए और ऐसे करने वालों को कड़ा से कड़ा दंड से कैसे मिले। इसमें खाप पंचायतें पुलिस की हर तरह से मदद करेंगी।

समाज के साथ मिलकर चलना ही सच्चा सत्संग : कंवर साहिब महाराज


सत्संग जीवन के लिए उत्तम गुणकारी चीज

जींद। परम संत कंवर साहिब जी महाराज ने कहा कि सत्संग जीवन के लिए उत्तम गुणकारी चीज है। मनुष्य को आज के युग में हर चीज उपलब्ध है, लेकिन सत्संग अति दुर्लभ है। सत्संग की आधी घड़ी भी हजार वर्ष से बढ़कर है। इसलिए मनुष्य को जितना ज्यादा हो सके सत्संग कमाना चाहिए। परम संत कंवर साहिब जी महाराज  शनिवार को रोहतक रोड स्थित राधा स्वामी आश्रम में आयोजित सत्संग के दौरान उपस्थित संगत को प्रवचन करते हुए कहे। उन्होंने कहा कि बगुला और हंस दोनों एक ही वातावरण में रहते हैं, लेकिन दोनों का आचरण पूर्णतया: भिन्न है। एक गंदगी में मुंह मारता है और दूसरा केवल मोती ही चुनता है। यह मनुष्य पर निर्भर है कि वह बगुला वृत्ति में रहे या हंस वृत्ति में। उन्होंने कहा कि यहां अगर लेते हो तो देना भी अवश्य पड़ेगा, इसलिए अपने व्यवहार को शुद्ध और सच्चा रखो, क्योंकि जैसो करोगे वैसा ही भरोगे। उन्होंने कहा कि बच्चों की प्रथम पाठशाला जैसे घर से शुरू होती है, वहीं सत्संग का आरंभ भी घर से शुरू होता है। घर में रहो और माता-पिता की सेवा करो और समाज के साथ मिलकर चलो। यही सच्चा सत्संग है। उन्होंने क्रियात्मक जीवन पर बल देते हुए कहा कि भक्ति बातों से नहीं हो सकती, उसके लिए आपको अपने आपको मारना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि काले पर काला रंग नहीं चढ़ेगा, इसलिए अपनी काली काली होती जा रही आत्म पर भक्ति रूपी श्वेत रंग चढ़ाओ। उन्होंने मनुष्य को कर्म कसाई बताते हुए कहा कि हम मन, वचन और कर्म से आकंठ अपने स्वार्थों में डूबे हुए हैं। उन्होंने कहा कि डूबों तो हरि रस में, सतनाम में डूबो। मन में, वचन से और कर्म से किसी का अहित न करो, भक्ति का सार रूप यही है। परमार्थी बनो, स्वार्थी नहीं। 

Wednesday, 6 March 2013

पौधों और कीटों के बीच होता है अटूट रिश्ता


 किसान-कीट विषय पर किया एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

कीटों को समझने के लिए लगाई प्रदर्शनी

किसानों ने किए अनुभव सांझा

जींद। गांव बराहखुर्द स्थित राजकीय हाई स्कूल में फसल में पाए जाने वाले शाकाहारी तथा मासाहारी कीटों के क्रियाकलापों के प्रति किसानों तथा स्कूली बच्चों को जागरूक करने के लिए जिले के किसान कीट साक्षरता केंद्र के किसानों द्वारा कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में छात्रों के अलावा लगभग एक दर्जन गांवों के किसानों ने भाग लिया। मास्टर ट्रेनर किसानों ने कार्यशाला में विद्याॢथयों और किसानों के साथ कीटनाशक रहित खेती के अपने अनुभव सांझा करते हुए कीटों तथा पौधों के बीच की स्थिति, कीटनाशकों के अत्याधिक प्रयोग से फसल में कीटों की संख्या बढऩे केे बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस अवसर पर कार्यशाला में जिला बागवानी अधिकारी डा. बलजीत भ्याण, कषि विकास अधिकारी डा. कमल सैनी तथा स्कूल की मुख्याध्यापिका सुनिता मलिक और स्कूल स्टाफ के अन्य सदस्य भी मौजूद थे। 



पौधे कीटों को बुलाने के लिए छोड़ते हैं सुगंधराजपुरा भैण से आए मास्टर ट्रेनर किसान बलवान ङ्क्षसह ने कार्यशला में मौजूद किसानों और विद्याॢथयों को सम्बोधित करते हुए कहा कि पौधे अपनी जरुरत के अनुसार कीटों को बुलाने के लिए समय-समय पर भिन्न-भिन्न प्रकार की सुगंध छोड़ते हैं। इस सुगंध के आधार पर ही कीट पौधों पर पहुंचते हैं और अपना जीवनयापन करते हैं लेकिन पौधों पर अधिक कीटनाशकों के प्रयोग के कारण उनकी सुगंध छोडऩे की यह क्षमता गड़बड़ा जाती है। इससे पौधों पर कीटों की संख्या बढ़ जाती है। इससे फसल को नुक्सान होता है। इसलिए हमें फसलों पर कीटनाशकों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। हमें केवल फसल में आने वाले कीटों की पहचान करनी चाहिए।



कीटों और पौधों के बीच अटूट रिश्ता
 महिला मास्टर ट्रेनर किसान मिनी मलिक ने बताया कि कीटों और पौधों के बीच एक अटूट रिश्ता होता है। इसलिए हमें फसल में आने वाले कीटों से घबराना नहीं चाहिए। हमें केवल पौधों और कीटों की इस भाषा को समझना चाहिए। कीट कभी भी फसल को नुक्सान नहीं पहुंचा सकते क्योंकि पौधे कीटों से ज्यादा ताकतवर होते हैं। 


कभी कीटनाशक की जरूरत नहीं पड़ी
किसान मनबीर रेढ़ू ने किसानों के साथ अपने अनुभव सांझा करते हुए कहा कि वह पिछले कई वर्षों से कीटनाशक रहित खेती कर रहे हैं लेकिन आज तक उन्हें कभी भी कीटनाशकों की जरुत नहीं पड़ी है और ना ही उसकी फसल की पैदावार पर कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कृषि विकास अधिकारी डा. कमल, महिला किसान सविता, अंग्रेजो, रणबीर मलिक, रामदेवा, जगबीर, महाबीर पूनिया, सत्यवान, जयभगवान ने भी अपने विचार सांझा किए। कार्यशाला में राजपुरा, निडानी, ईगराह, रधाना, निडाना, ललितखेड़ा, ईंटल कलां, चाबरी सहित कई गांवों के किसानों ने भाग लिया। 
प्रदर्शनी का किया आयोजन
कार्यशाला के  दौरान प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। प्रदर्शनी में किसानों तथा विद्याॢथयों को चित्रों के माध्यम से कीटों की पहचान करवाई गई। कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए मुख्याध्यापिका सुनिता मलिक ने जिला बागवानी अधिकारी डा. बलजीत भ्याण, डा. कमल सैनी तथा मास्टर ट्रेनर किसानों का आभार व्यक्त किया।  

Monday, 4 March 2013

कपास की खड़ी फसल में गेहूं बिजाई से किसान कर रहे बचत

जींद
कपास फसल के साथ गेहूं की बिजाई कर किसान दोहरे खर्च से बच रहे हैं। इससे किसानों का गेहूं की बिजाई के लिए खेत तैयार करने, बुआई आदि खर्च बचता है और कपास व गेहूं की पैदावार भी बढि़या मिल रही है। कृषि विभाग द्वारा प्रदेश के 11 जिलों में यह अभियान चलाया जा रहा है और पांच सौ एकड़ में यह बिजाई कराई जा रही है, जिसके बेहतर परिणाम सामने आ रहे हैं। जींद सहित, हिसार, सिरसा, फतेहाबाद, भिवानी, सोनीपत व अन्य काटन एरिया के जिलों में खड़ी कपास की फसल में गेहूं की बिजाई की जा रही है। इससे किसान को प्रति एकड़ में आठ से हजार रुपये की बचत हो रही है। इसमें किसान को गेहूं की बिजाई करने से पूर्व न तो खेत तैयार करना पड़ता है और न ही बुआई करनी पड़ती है, बल्कि कपास की खड़ी फसल में ही गेहूं की बिजाई करनी होती है।
इसके लिए किसान को गेहूं के बीज को 12 घंटे भीगाकर रखना होता है और उसके बाद 24 घंटे दबाकर रखना होता है, ताकि जर्मिनेशन हो सके। उसके बाद गेहूं की बिजाई करते हैं और पानी लगा दिया जाता है। इससे किसानों का खेत तैयार करने के अलावा बुआई का खर्च बजट जाता है। इसके अलावा कपास की फसल में टिंडे ज्यादा होने पर कटाई करनी पड़ती है। यदि यह ज्यादा समय रखते हैं, तो कपास की पैदावार अच्छी होती है। उससे लगभग नौ हजार के करीब की बचत होती है।
किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत बना सुनील
जिले के घिमाणा गांव निवासी सुनील आर्य इस तकनीक को अपना दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गया है। अब तक हजारों किसान उसके खेत में यह तकनीक देखने के लिए पहुंच चुके हैं। यही नहीं संयुक्त निदेशक कपास डॉ. रवि पूनिया भी पिछले दिनों उनके खेत का दौरा कर चुके हैं। गेहूं बिजाई के बाद भी सुनील को कपास प्रति एकड़ 22 मण निकल चुकी है। यही नहीं गेहूं बिजाई से पूर्व होने वाला खर्च की बात भी हुई है।
यह तकनीक काफी सराही जा रही है। इसे 11 जिलों में पांच सौ एकड़ में लागू किया गया है। नए साल में इसे और ज्यादा विस्तार दिया जाएगा। किसानों को चाहिए कि वह कपास की फसल के साथ ही एक से 25 नवंबर तक गेहूं की बिजाई करे, ताकि उत्पादन पर प्रभाव न पडे़। इससे दोनों फसलों का एक साथ लाभ किसान को मिलता है, वहीं आठ से दस हजार रुपये की बचत भी होती है।
डॉ. रवि पूनिया, संयुक्त निदेशक, कपास


गाय ने दिया जुड़वां बछडिय़ों को जन्म


कुदरत का करिश्मा
जुड़वां बछडिय़ों को देखने वालों को लगा तांता


सफीदों। आज इस कलयुग में कुदरत द्वारा किया गया कोई ना कोई करिश्मा सामने आ ही जाता है। इन करिश्मों को देखकर आदमी दांतो तले उंगलियां दबाने को मजबूर हो जाता है। कुदरत ने ऐसा ही एक करिश्मा सफीदों शहर में भी दिखाया है। सफीदों शहर के वार्ड नंबर चार के निवासी गजराज सिंह के यहां पर एक गाय ने एक साथ दो बछडिय़ों को जन्म दिया है। जुड़वा बछडिय़ों के जन्म से परिवार के साथ-साथ पूरा मौहल्ला विशेषकर बच्चे बेहद खुश हैं। कुदरत के इस करिश्में को देखने के लिए गजराज के यहां पर लोगों का तांता लगा हुआ है। गाय के मालिक गजराज सिंह ने बताया कि वे गौभक्त है तथा काफी दिनों से अपने घर में गाय को पालते हैं। उनकी इस गाय को दो दिन पूर्व ही प्रसव हुआ है। जब गाय को प्रसव हुआ तो उनकी आंखे यह देखकर फटी की फटी रह गईं कि गाय ने एक साथ दो बछडिय़ों को जन्म दिया है। उन्होंने बताया कि गाय का सामान्य प्रसव हुआ है तथा दोनों ही बछडिय़ों स्वस्थ व बेहद सुंदर हैं। गजराज जुड़वां बछडिय़ों के जन्म को साक्षात भगवान के प्रसाद के रूप में देख रहे हैं। उनका कहना है कि एक तो उनके घर में दूध की नदी बहेगी और साथ ही साथ ये दोनों बछडिय़ां भविष्य में सुंदर गाय बनेगी। वहीं उनकी पत्नी सीमा भी जुड़वा बछडिय़ों के जन्म पर फूली नहीं समा रहीं हैं। उनका कहना है कि वे पहले से भी बेहतर गाय की सेवा करके इन बछडिय़ों को अपने बच्चों के समान पालेंगी। उनकी परवरिश में किसी भी तरह की कमी नहीं रहने दी जाएगी। सीमा ने बताया कि इन बछडि़य़ों के जन्म से घर के ही नहीं आसपास मौहल्ले के बच्चे भी बेहद खुश हैं। प्रतिदिन बच्चे उनके यहां आकर इन बछडिय़ों के साथ क्रिड़ा करते हैं। 


Sunday, 3 March 2013

पुलिस कार्रवाई न होने से बिफरे ग्रामीण


 अलेवा चौंक पर लगाया जाम
एक घंटे तक बाधित रहा जींद-असंध, राजौंद-पिल्लूखेड़ा मार्गको परेशानी का सामना करना पड़ा। 

गांव गोहिया के सरपंच उदयवीर सिंह, खांडा के सरपंच महेंद्र सिंह के नेतृत्व में काफी संख्या में ग्रामीण जींद। स्कूली छात्राओं के साथ छेड़छाड़ के आरोपियों के खिलाफ पुलिस द्वारा कार्रवाई न करने से गुस्साए ग्रामीणों ने अलेवा चौंक पर जाम लगा दिया। जिसके कारण जींद-असंध, राजौंद-पिल्लूखेड़ा मार्ग बाधित हो गए। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि अलेवा थाना में शिकायत दिए हुए एक माह से ज्यादा का समय हो चुका है। लेकिन पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। जाम लगने की सूचना पाकर अलेवा थाना प्रभारी सुभाष चंद्र, नगूरां चौंकी प्रभारी रविंद्र कुमार पुलिसबल के साथ मौके पर पहुंच गए और सोमवार शाम तक आरोपियों की गिरफ्तारी तथा गाड़ी को इम्पाऊंड करने का आश्वासन देकर ग्रामीणों को शांत किया। लगभग एक घंटा लगे जाम के कारण यात्रियों तथा वाहन चालकों रविवार को लामबंद होकर अलेवा चौंक पर पहुंच गए और अवरोधक डालकर जाम लगा दिया। ग्रामीणों ने बताया कि गांव खांडा राजकीय उच्च विद्यालय के आसपास एक कार में सवार युवक अक्सर स्कूली छात्राओं के साथ छेड़छाड़ करते हैं। एक माह पूर्व दोनों गांवों की पंचायत ने गाडी का नंबर देकर लिखित में शिकायत अलेवा थाना पुलिस को दी थी। एक माह बाद बीत जाने के बाद भी पुलिस ने शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की। गाड़ी में सवार युवक अब भी स्कूल के आसपास मंडराते रहते हैं। जिसके कारण शैक्षणिक माहौल खराब हो रहा है और छात्राओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अगर कोई युवकों का विरोध करता है तो झगड़े पर उतर आते हैं। जिसके कारण गांव की शांति भी भंग होने की आशंका बनी रहती है। लेकिन पुलिस इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। ग्रामीणों ने मांग की कि कार सवार युवकों के खिलाफ कार्रवाई की जाए और कार को इम्पाऊंड किया जाए। जाम लगने की सूचना पाकर अलेवा थाना प्रभारी सुभाष चंद्र, नगूरां चौंकी प्रभारी रविंद्र कुमार पुलिसबल के साथ मौके पर पहुंच गए और सोमवार शाम तक आरोपियों की गिरफ्तारी तथा गाड़ी को इम्पाऊंड करने का आश्वासन देकर ग्रामीणों को शांत किया। लगभग एक घंटा लगे जाम के कारण यात्रियों तथा वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ा। 




Friday, 1 March 2013

धूमधाम से मनाया वार्षिकोत्सव


जींद। कपिलेश्वर महादेव मंदिर कैरखेड़ी में छठा वार्षिकोत्सव शुक्रवार को धूमधाम से मनाया गया। मंदिर संस्थापक महंत डा. विक्रम गिरी को श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी ने श्री महंत पद देकर दायित्व सौंपा। कार्यक्रम का शुभारंभ रूद्राभिषेक हवन यज्ञ एवं महाआरती से हुआ। स्वामी विनित गिरी ने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम हमेशा विश्व में सुख शांति के िलए किए जाते हैं। इसलिए हम सबको ऐसे कार्यक्रमों में बढ़चढ़ कर भाग लेना चाहिए। समाज में भ्रूण हत्या पर दुख जताते हुए स्वाती विनित ने कहा कि कन्या भ्रूण हत्या समाज के माथे पर बदनुमा दाग है। समाज पर लग रहे इस दाग को मिटाने के लिए लोगों को आगे निकल कर आना होगा और समाज को जागरूक करना होगा। उन्होंने कहा कि जब तक महिलाएं शिक्षित नहीं होंगी तब तक न तो जीवन स्तर में सुधार होगा और न ही कन्या भ्रूण हत्या पर रोक लगेगी। इस मौके पर स्वामी शिवानंद ने गौरक्षा व हिंदुत्व के उत्थान पर प्रभावी संदेश दिया। सत्संग के अंत में स्वामी रामगिरी, स्वामी रामस्वरूप, स्वामी सूर्यानंद ने विचार व्यक्त किए। 


होमगार्ड प्रशिक्षण लेने के लिए युवाओं की उमड़ी भीड़


भीड़ को देखते हुए पुलिस लाइन में हुए रजिस्ट्रेशन
लगभग 500 आवेदकों के रजिस्ट्रेशन किए गए


जींद। आमतौर पर भर्ती रैलियों में युवाओं की भीड़ को उमड़ते हुए देखा है। लेकिन आम्र्स लाइसेंस प्रशिक्षण के लिए भी युवाओं में होड़ लगी हुई है। ऐसा ही कुछ होमगार्ड कार्यालय में शुक्रवार को देखने को मिला जब युवाओं की भीड़ को देखते हुए उन्हें पुलिस लाइन ले जाया गया और प्रशिक्षण के इच्छुक युवाओं का रजिस्ट्रेशन किया गया। प्रशिक्षण लेने के इच्छुक युवाओं की संख्या लगभग अढाई हजार तक जा पहुंची। फिलहाल जिले में लगभग आठ हजार आम्र्स लाइसेंस धारक हैं। शुक्रवार को 500 लोगों का रजिस्ट्रेशन किया गया और उन्हें चार से नौ मार्च तक प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
होमगार्ड प्रशिक्षण को लेकर युवाओं ने उठाए थे सवाल
होमगार्ड प्रशिक्षण को लेकर पिछले दिनों युवाओं ने भेदभाव के आरोप लगाए थे, जिसके चलते मुख्यालय ने जींद गृह रक्षी विभाग के अधिकतर स्टाफ का तबादला अन्य जगह पर कर दिया था। विवादों के सामने आने के बाद अब होमगार्ड प्रशिक्षण को लेकर गृह रक्षी विभाग ने गंभीरता दिखाई है। होमगार्ड प्रशिक्षण को लेकर गृह रक्षी विभाग ने शुक्रवार को पुलिस लाइन में रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को शुरू किया।
आवेदकों की संख्या पहुंची हजारों में
रजिस्ट्रेशन को लेकर जिले से सैकड़ों आवेदक पुलिस लाइन में पहुंच गए। आवेदकों की संख्या हजारों में थी। रजिस्ट्रेशन फीस जमा कराने के लिए युवाओं में खासा उत्साह था, जिसके लिए विभागीय अधिकारियों ने पुख्ता इंतजाम किए हुए थे। इसकी कमान जिला आदेश बिजेंद्र सिंह संभाले हुए थे। इसके अलावा स्थानीय पुलिस, स्टेट विजिलेंस व गुप्तचर विभाग के अधिकारी भी मौजूद थे। सभी आवेदकों को लाइन में लगाकर रजिस्ट्रेशन फीस जमा कराई गई। शुक्रवार को लगभग 500 आवेदकों के रजिस्ट्रेशन किए गए। इन आवेदकों को आगामी चार से नौ मार्च तक पुलिस लाइन में प्रशिक्षण दिया जाएगा।
विभाग ने चस्पा किए निर्देश
गृह रक्षी विभाग ने आवेदकों को जागरूक करने के लिए बाकायदा निर्देश चस्पा जारी किए हैं, जोकि जिला आदेशक की तरफ से जारी है। इसमें स्पष्टï बताया गया है कि विभाग प्रशिक्षण के बाद प्रमाण पत्र जारी करता है, जिसकी सरकारी प्रशिक्षण के लिए रजिस्ट्रेशन व अम्यूनेशन फीस केवल पांच सौ रुपये है। यदि कोई व्यक्ति, स्टाफ या अन्य दलाल प्रमाण पत्रों की एवज में किसी सुविधा या शुल्क की मांग करता है तो वह गलत है और इस मामले में कार्रवाई हो सकती है। यही नहीं विभाग की तरफ से हरियाणा राज्य चौकसी ब्यूरो जींद के निरीक्षक को पत्र लिखकर भी कहा गया है कि यदि कोई ऐसी सूचना आती है तो वह अपने स्टाफ को मौके पर भेजकर कार्रवाई करे ताकि कोई ऐसा गलत काम न कर सके।
क्या कहते है गृह रक्षी विभाग के जिला आदेशक
गृह रक्षी विभाग के जिला आदेशक बिजेंद्र सिंह ने कहा कि पुलिस लाइन में शुक्रवार को रजिस्ट्रेशन फीस जमा कराई गई। करीबन 500 आवेदकों की फीस जमा की गई है, जिन्हें चार से नौ मार्च तक प्रशिक्षण दिया जाएगा। रजिस्ट्रेशन व अम्यूनेशन फीस केवल पांच सौ रुपये है।

भारत में होते हैं विविधता में एकता के दर्शन

सात दिवसीय राष्ट्रीय एकता शिविर संपन्न
प्रतिभागियों को किए प्रमाण पत्र वितरित
जींद। उपायुक्त एमएल कौशिक ने कहा कि पूरी दुनिया में भारत एक देश है जहां विविधता में एकता के दर्शन होते है। इस एकता को बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय एकता शिविर कारगर सिद्ध हो रहे हंै। इन राष्ट्रीय एकता शिविरों में जहां हमे अन्य प्रांतों की लोक संस्कृति को समझने का मौका मिलता है 
वहीं आपसी समन्वय को भी बढ़ावा मिलता है। 
उपायुक्त एमएल कौशिक वीरवार को राजीव गांधी महाविद्यालय उचाना में आयोजित सात दिवसीय राष्ट्रीय एकता शिविर के समापन अवसर पर प्रतिभागियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी वितरित किए। 
हरियाणा की मेहमान नवाजी के कायल हुए

महाराष्ट्र के सोलापुर जिला के ज्ञानेश्वर ने अपने अनुभव बांटते हुए कहा कि हरियाणा की मेहमान नवाजी के वे कायल हुए है। यहां के लोगों का रहन सहन तथा दूसरों की सहायता करने की भावना से अच्छी सीख लेकर वे अपने प्रदेश जाएंगे। उपायुक्त ने कहा कि इसी प्रकार का संदेश देना इस राष्ट्रीय एकता शिविर का मुख्य उदेश्य है, भारत युवाओं का देश है। युवा शक्ति को सही दिशा देकर इसे रचनात्मक कार्यो में लगाया जाना चाहिए। उपायुक्त ने कहा कि राष्ट्रीय एकता शिविर में अन्य प्रांतों की लोक संस्कृति, भाषा, वेशभूषा इत्यादि के इस प्रकार के शिविरों में साक्षात दर्शन होते हैं। भले ही हम अलग-अलग प्रांतों में रहते हैं। 

काल बेलिया की रखी प्रस्तुति
उपायुक्त के सम्मुख राजस्थान के सीकर जिले से आई कलाकार मानसी ने काल बेलियंा नृत्य प्रस्तुत किया। उपायुक्त ने इस राष्ट्रीय एकता शिविर में आए प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए। कार्यक्रम में राजस्थान से आए महाबीर नामक लोक कलाकार ने राजस्थानी पगड़ी पहनाकर उपायुक्त का सम्मान किया। 
आठ राज्यों के १५० कलाकारों ने लिया भाग
शिविर में आठ राज्यों से 150 कलाकारों ने अपने-अपने प्रदेश की लोक संस्कृति को दिखाया है। ये शिविर लोक संस्कृति को समझने में कारगर हुआ है। इनमें नेहरू युवा केन्द्र से जुड़े विभिन्न प्रदेशों के लोक कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी है। महाविद्यालय के प्राचार्य ईश्वर सिंह श्योकंद ने इस राष्ट्रीय एकता शिविर की महता को स्वीकार करते हुए कहा कि सात दिनों तक इस कार्यक्रम के माध्यम से अनेक अद्वितीय लोक संस्कृति को संजोए कार्यक्रम देखने केा मिले है। युवाओं के लिए ये शिविर प्रेरणाप्रद रहा है। 
तिलक लगा कर ली विदाई
राष्ट्रीय एकता शिविर के समापन पर राजस्थान से आए प्रतिभागियों ने उपस्थित गणमान्य लोगों, दूसरे राज्यों से आए प्रतिभागियों को गुलाल का तिलक कर विदाई ली। आयुष, अंजूमन, प्रीति ने कहा कि राजस्थान में परंपरा है कि किसी भी कार्यक्रम के समापन पर वहां गुलाल से सभी को तिलक लगाया जाए। हरियाणा में उनके आने का अनुभव बहुत अच्छा रहा। हरियाणा की संस्कृति के बारे में सुना था लेकिन यहां आकर देखा कि जैसा सुना है उससे बहुत अच्छा है हरियाणा। 


खुद को पर्यावरण के लिए महिला वकील ने कर दिया समर्पित

अब तक लगवा चुकी 177 त्रिवेणी जींद। महिला एडवोकेट संतोष यादव ने खुद को पर्यावरण की हिफाजत के लिए समर्पित कर दिया है। वह जींद समेत अब तक...