Wednesday, 6 March 2013

पौधों और कीटों के बीच होता है अटूट रिश्ता


 किसान-कीट विषय पर किया एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

कीटों को समझने के लिए लगाई प्रदर्शनी

किसानों ने किए अनुभव सांझा

जींद। गांव बराहखुर्द स्थित राजकीय हाई स्कूल में फसल में पाए जाने वाले शाकाहारी तथा मासाहारी कीटों के क्रियाकलापों के प्रति किसानों तथा स्कूली बच्चों को जागरूक करने के लिए जिले के किसान कीट साक्षरता केंद्र के किसानों द्वारा कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में छात्रों के अलावा लगभग एक दर्जन गांवों के किसानों ने भाग लिया। मास्टर ट्रेनर किसानों ने कार्यशाला में विद्याॢथयों और किसानों के साथ कीटनाशक रहित खेती के अपने अनुभव सांझा करते हुए कीटों तथा पौधों के बीच की स्थिति, कीटनाशकों के अत्याधिक प्रयोग से फसल में कीटों की संख्या बढऩे केे बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस अवसर पर कार्यशाला में जिला बागवानी अधिकारी डा. बलजीत भ्याण, कषि विकास अधिकारी डा. कमल सैनी तथा स्कूल की मुख्याध्यापिका सुनिता मलिक और स्कूल स्टाफ के अन्य सदस्य भी मौजूद थे। 



पौधे कीटों को बुलाने के लिए छोड़ते हैं सुगंधराजपुरा भैण से आए मास्टर ट्रेनर किसान बलवान ङ्क्षसह ने कार्यशला में मौजूद किसानों और विद्याॢथयों को सम्बोधित करते हुए कहा कि पौधे अपनी जरुरत के अनुसार कीटों को बुलाने के लिए समय-समय पर भिन्न-भिन्न प्रकार की सुगंध छोड़ते हैं। इस सुगंध के आधार पर ही कीट पौधों पर पहुंचते हैं और अपना जीवनयापन करते हैं लेकिन पौधों पर अधिक कीटनाशकों के प्रयोग के कारण उनकी सुगंध छोडऩे की यह क्षमता गड़बड़ा जाती है। इससे पौधों पर कीटों की संख्या बढ़ जाती है। इससे फसल को नुक्सान होता है। इसलिए हमें फसलों पर कीटनाशकों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। हमें केवल फसल में आने वाले कीटों की पहचान करनी चाहिए।



कीटों और पौधों के बीच अटूट रिश्ता
 महिला मास्टर ट्रेनर किसान मिनी मलिक ने बताया कि कीटों और पौधों के बीच एक अटूट रिश्ता होता है। इसलिए हमें फसल में आने वाले कीटों से घबराना नहीं चाहिए। हमें केवल पौधों और कीटों की इस भाषा को समझना चाहिए। कीट कभी भी फसल को नुक्सान नहीं पहुंचा सकते क्योंकि पौधे कीटों से ज्यादा ताकतवर होते हैं। 


कभी कीटनाशक की जरूरत नहीं पड़ी
किसान मनबीर रेढ़ू ने किसानों के साथ अपने अनुभव सांझा करते हुए कहा कि वह पिछले कई वर्षों से कीटनाशक रहित खेती कर रहे हैं लेकिन आज तक उन्हें कभी भी कीटनाशकों की जरुत नहीं पड़ी है और ना ही उसकी फसल की पैदावार पर कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कृषि विकास अधिकारी डा. कमल, महिला किसान सविता, अंग्रेजो, रणबीर मलिक, रामदेवा, जगबीर, महाबीर पूनिया, सत्यवान, जयभगवान ने भी अपने विचार सांझा किए। कार्यशाला में राजपुरा, निडानी, ईगराह, रधाना, निडाना, ललितखेड़ा, ईंटल कलां, चाबरी सहित कई गांवों के किसानों ने भाग लिया। 
प्रदर्शनी का किया आयोजन
कार्यशाला के  दौरान प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। प्रदर्शनी में किसानों तथा विद्याॢथयों को चित्रों के माध्यम से कीटों की पहचान करवाई गई। कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए मुख्याध्यापिका सुनिता मलिक ने जिला बागवानी अधिकारी डा. बलजीत भ्याण, डा. कमल सैनी तथा मास्टर ट्रेनर किसानों का आभार व्यक्त किया।  

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