Monday, 4 March 2013

कपास की खड़ी फसल में गेहूं बिजाई से किसान कर रहे बचत

जींद
कपास फसल के साथ गेहूं की बिजाई कर किसान दोहरे खर्च से बच रहे हैं। इससे किसानों का गेहूं की बिजाई के लिए खेत तैयार करने, बुआई आदि खर्च बचता है और कपास व गेहूं की पैदावार भी बढि़या मिल रही है। कृषि विभाग द्वारा प्रदेश के 11 जिलों में यह अभियान चलाया जा रहा है और पांच सौ एकड़ में यह बिजाई कराई जा रही है, जिसके बेहतर परिणाम सामने आ रहे हैं। जींद सहित, हिसार, सिरसा, फतेहाबाद, भिवानी, सोनीपत व अन्य काटन एरिया के जिलों में खड़ी कपास की फसल में गेहूं की बिजाई की जा रही है। इससे किसान को प्रति एकड़ में आठ से हजार रुपये की बचत हो रही है। इसमें किसान को गेहूं की बिजाई करने से पूर्व न तो खेत तैयार करना पड़ता है और न ही बुआई करनी पड़ती है, बल्कि कपास की खड़ी फसल में ही गेहूं की बिजाई करनी होती है।
इसके लिए किसान को गेहूं के बीज को 12 घंटे भीगाकर रखना होता है और उसके बाद 24 घंटे दबाकर रखना होता है, ताकि जर्मिनेशन हो सके। उसके बाद गेहूं की बिजाई करते हैं और पानी लगा दिया जाता है। इससे किसानों का खेत तैयार करने के अलावा बुआई का खर्च बजट जाता है। इसके अलावा कपास की फसल में टिंडे ज्यादा होने पर कटाई करनी पड़ती है। यदि यह ज्यादा समय रखते हैं, तो कपास की पैदावार अच्छी होती है। उससे लगभग नौ हजार के करीब की बचत होती है।
किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत बना सुनील
जिले के घिमाणा गांव निवासी सुनील आर्य इस तकनीक को अपना दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गया है। अब तक हजारों किसान उसके खेत में यह तकनीक देखने के लिए पहुंच चुके हैं। यही नहीं संयुक्त निदेशक कपास डॉ. रवि पूनिया भी पिछले दिनों उनके खेत का दौरा कर चुके हैं। गेहूं बिजाई के बाद भी सुनील को कपास प्रति एकड़ 22 मण निकल चुकी है। यही नहीं गेहूं बिजाई से पूर्व होने वाला खर्च की बात भी हुई है।
यह तकनीक काफी सराही जा रही है। इसे 11 जिलों में पांच सौ एकड़ में लागू किया गया है। नए साल में इसे और ज्यादा विस्तार दिया जाएगा। किसानों को चाहिए कि वह कपास की फसल के साथ ही एक से 25 नवंबर तक गेहूं की बिजाई करे, ताकि उत्पादन पर प्रभाव न पडे़। इससे दोनों फसलों का एक साथ लाभ किसान को मिलता है, वहीं आठ से दस हजार रुपये की बचत भी होती है।
डॉ. रवि पूनिया, संयुक्त निदेशक, कपास


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