Monday, 18 March 2013

विद्यार्थियों पर हावी हो रहा परीक्षा का भूत


अच्छे अंकों की चाहत में ले रहे यादाशत बढ़ाने वाली दवाओं का सहारा 


जींद। परीक्षा का भूत विद्यार्थियों पर इस कदर हावी हो चुका है कि वे अच्छे अंक प्राप्त करने, याददाशत बढ़ाने और एनर्जी लेवल मेनटेन रखकर तनाव कम करने के लिए दवाओं पर निर्भर हो चुके हैं। कम्पीटीशन का दौर है, लिहाजा वे पीछे नहीं रहना चाहते। आगे निकलने की होड़ में वे अपने ही स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। उन्हें नहीं पता कि एनर्जी बढ़ाने के लिए जिन दवाओं का सहारा लेने की वे नादानी कर रहे हैं, वही उनके भविष्य को गहन अंधकार में डूबो देगी। ऎसी दवाओं का सर्वाधिक प्रतिकूल प्रभाव दिमाग व लीवर पर पड़ता है। तनाव से मुक्ति दिलाने वाला यह धीमा जहर धीरे-धीरे उनकी रगों में फैलकर खोखला कर रहा है। समय की मांग है कि लिहाजा अभिभावकों का दबाव भी कम नहीं है। उज्जवल भविष्य के लिए परीक्षा में अच्छे अंक लाने की अनिवार्यता जाहिर है। यह महत्वाकांक्षा और प्रतिस्पर्धा छात्रों के रास्ते का कांटा बन गई है। इस कारण वे गहरे अवसाद में जा रहे हैं। तनाव के चलते याद किया टॉपिक भी भूल रहे हैं। समस्या से निजात पाने के लिए वे बाजारों का रुख करते हैं और याददाशत और एनर्जी लेवल बढ़ाने वाली दवाइयों की मांग कर रहे हैं। अच्छी काउंसलिंग की कमी के कारण विद्यार्थी पथभ्रष्ट होकर अपनी बची-खुची प्रतिभा भी खो रहे हैं। दवा निर्माता कंपनियां भी अवसर को भुनाने से नहीं चुक रही हैं और अपनी जेब भरने के चक्कर में पहले तो हौव्वा पैदा करती हैं, फिर उनसे निजात दिलाने के लिए प्रलोभनों के जाल में फंसा लेती हैं। हालांकि तनाव कम करने तथा याददाशत बढ़ाने की दवाएं प्राय: प्रतिबंधित होती हैं और इन्हें बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लिया जा सकता। इसके बावजूद हर मैडीकल स्टोर पर इन्हें बेहिचक बेचा जा रहा है। परीक्षा करीब आते ही याददाशत बढ़ाने वाली दवाइयों के खरीदारों की संख्या में इजाफा हो जाता है। शहर में याददाशत के साथ-साथ एनर्जी बढ़ाने वाले पाउडर, कैप्सूल व सीरप की बिक्री भी 40 फीसदी तक बढ़ गई है। मेमोरी में इजाफा करने के चाह्वान विद्यार्थिओं  में सर्वाधिक संख्या साइंस संकाय या प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रतिभागियों की होती है। 

बढ़ जाती हैं बीमारियों की सम्भावना

 डा. राजेश भोला का फोटो।
याददाश्त बढ़ाने की कोई दवाइया नहीं आती। दवा कंपनियां झूठा प्रचार कर लोगों को गुमराह करती हैं। इस तरह के भ्रमक प्रचार से बचना चाहिए। इस तरह की दवाइयां शॉर्ट टर्म के लिए भले ही फायदा करती हों, लेकिन इनके लांग टर्म साइड इफेक्ट काफी देखे जा रहे हैं। वैज्ञानिक तौर पर ये दवाइयां अपडेट नहीं होती, साथ ही इनमें स्टीरॉयड की मात्रा रहती है, जिससे ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, चिड़चिड़ापन होना, नींद नहीं आना व आंखें भारी होना तथा हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती हैं। अंदर ही अंदर इन दवाइयों का धीमा जहर शरीर को खोखला कर देता है। इसका सबसे ज्यादा प्रतिकूल प्रभाव दिमाक व लीवर पर पड़ता है। 
डा. राजेश भोला, डिप्टी सिविल सर्जन
सामान्य अस्पताल, जींद


नरेश जागलान का फोटो। 
इस बारे में मनोविज्ञानिक नरेश जागलान का कहना है कि परीक्षा का समय विद्यार्थियों के लिए बेहद संवेदनशील होता है, इसलिए अभिभावकों को चाहिए कि उनपर पढ़ाई का जरुरत से अधिक दबाव नहीं डालें बल्कि उन्हें प्रोत्साहित करने का प्रयास करें। अभिभावक बच्चों के साथ मित्रवत व्यवहार बनाएं ताकि वे तनावमुक्त होकर परीक्षा दे सकें। अभिभावक अपने बच्चों की मानसिक क्षमता को समझें। दूसरे के बच्चों से अपने बच्चों की तुलना नहीं करें। बच्चों को चाहिए कि वे परीक्षा से भयभीत नहीं हों। परीक्षा से भयभीत होकर कोई गलत कदम नहीं उठाएं। जिंदगी अनमोल है और परीक्षा उनकी इस मूल्यवान जिंदगी का ही एक हिस्सा है। परीक्षा तो केवल बच्चे की एक वर्ष की पढ़ाई को मापने का पैमाना है। परीक्षा की सफलता तथा असफलता से जीवन की खुशहाली और कामयाबी को नहीं मापा जा सकता। 

परीक्षा के दौरान इन बातों का ध्यान रखें विद्यार्थी। 

1. परीक्षा को जीवन का हिस्सा मानें।
2. लंबी पढ़ाई की बजाए छोटे-छोटे ब्रेक लेकर पढ़ाई करें। 
3. बड़ी-बड़ी बुकों की बजाए छोटे-छोटे नोट्स तैयार कर पढ़ाई करें। 
4. परीक्षा में दूसरों की नकल करने से बचें और खुद की काबलियत के अनुसार जवाब दें। 
5. समय से पहले परीक्षा स्थल पर पहुंचे। 
6. हड़बड़ाहट में परीक्षा ना दें, परीक्षा शुरू करने से पहले 5 मिनट पेपर को अच्छी तरह पढ़ें।
7. सवाल के जवाब के मुताबिक हर सवाल का समय निश्चित करें। 
8. विशेष प्वाइंटों को अंडर लाइन या बोल्ड करें। 
9. बुक्स की बजाए सह-समूह में डिस्कस करें।
10. पढ़ाई से उबने पर शरीर और मन को रिफरेश करें। 
11. मैडीटेशन और हल्की योगा जरुर करें। 
12. पानी ज्यादा पीएं लेकिन खाना ज्यादा नहीं खाएं। 
13. पढ़ाई करने के 48 घंटे तक एक बार आवश्यक रूप से रिवाइज करें। 
14. परीक्षा से पहले पूर्ण रूप से आराम कर के जाएं। 
15. परीक्षा से सम्बंधित आवश्यक सामग्री पहले दिन तैयार करें। 
16. ऐसे गेम नहीं खेलें, जिनसे शरीर को थकावट महसूह हो। 
17. अंतरद्वंद में ना जाएं, अपने ऊपर विश्वास रखें।
18. किसी भी प्रकार की दवा का प्रयोग नहीं करें। 

अभिभावक और अध्यापक क्या करें

1. अभिभावकों व अध्यापकों को आपसी तालमेल रखना चाहिए। 
2. बच्चों पर पढ़ाई के लिए अनावश्यक दबाब नहीं बना चाहिए। 
3. परीक्षा के दौरान अभिभावकों को बच्चों की विशेष देखभाल करनी चाहिए। 
4. बच्चों को मनपसंद खाना देना चाहिए और उनकी दिनचार्य का ख्याल रखना चाहिए। 
5. किसी अन्य अनावश्यक कार्य में बच्चों को शामिल नहीं करें। 
6. बच्चों के साथ तालमेल बनाकर उनकी सभी बातों को शेयर करें। 
7. परीक्षा के प्रति बच्चों के मन में भय पैदा नहीं करें। 

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