Sunday, 10 March 2013

समाज के साथ मिलकर चलना ही सच्चा सत्संग : कंवर साहिब महाराज


सत्संग जीवन के लिए उत्तम गुणकारी चीज

जींद। परम संत कंवर साहिब जी महाराज ने कहा कि सत्संग जीवन के लिए उत्तम गुणकारी चीज है। मनुष्य को आज के युग में हर चीज उपलब्ध है, लेकिन सत्संग अति दुर्लभ है। सत्संग की आधी घड़ी भी हजार वर्ष से बढ़कर है। इसलिए मनुष्य को जितना ज्यादा हो सके सत्संग कमाना चाहिए। परम संत कंवर साहिब जी महाराज  शनिवार को रोहतक रोड स्थित राधा स्वामी आश्रम में आयोजित सत्संग के दौरान उपस्थित संगत को प्रवचन करते हुए कहे। उन्होंने कहा कि बगुला और हंस दोनों एक ही वातावरण में रहते हैं, लेकिन दोनों का आचरण पूर्णतया: भिन्न है। एक गंदगी में मुंह मारता है और दूसरा केवल मोती ही चुनता है। यह मनुष्य पर निर्भर है कि वह बगुला वृत्ति में रहे या हंस वृत्ति में। उन्होंने कहा कि यहां अगर लेते हो तो देना भी अवश्य पड़ेगा, इसलिए अपने व्यवहार को शुद्ध और सच्चा रखो, क्योंकि जैसो करोगे वैसा ही भरोगे। उन्होंने कहा कि बच्चों की प्रथम पाठशाला जैसे घर से शुरू होती है, वहीं सत्संग का आरंभ भी घर से शुरू होता है। घर में रहो और माता-पिता की सेवा करो और समाज के साथ मिलकर चलो। यही सच्चा सत्संग है। उन्होंने क्रियात्मक जीवन पर बल देते हुए कहा कि भक्ति बातों से नहीं हो सकती, उसके लिए आपको अपने आपको मारना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि काले पर काला रंग नहीं चढ़ेगा, इसलिए अपनी काली काली होती जा रही आत्म पर भक्ति रूपी श्वेत रंग चढ़ाओ। उन्होंने मनुष्य को कर्म कसाई बताते हुए कहा कि हम मन, वचन और कर्म से आकंठ अपने स्वार्थों में डूबे हुए हैं। उन्होंने कहा कि डूबों तो हरि रस में, सतनाम में डूबो। मन में, वचन से और कर्म से किसी का अहित न करो, भक्ति का सार रूप यही है। परमार्थी बनो, स्वार्थी नहीं। 

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