गांव किनाना की पंचायत का तुगलकी फरमान
जींद। जींद के गांव किनाना की पंचायत ने तुगलकी फरमान सुनाते हुए गांव के स्कूलों में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लगाने का फरमान जारी किया है। पंचायत ने किनाना की सीमा में बने एक सरकारी व दो निजी स्कूलों में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने का फैसला सुनाते हुए कहा कि इन कार्यक्रमों में स्कूली छात्राओं को नचाया जाता है। जिसके चलते गांव का माहौल खराब हो रहा है और अब वे किसी हाल में इन स्कूलों में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में छात्राओं को नहीं नाचने देंगे और तीनों तीनों स्कूलों में ग्रामीण ऐसे सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं होने देगें। जिनमें छात्राएं डांस करती हैं। इतना ही नहीं पंचायत ने स्कूल प्रबंधन को यह भी कहा है कि वे अपने स्तर पर अगर इस प्रकार के कार्यक्रमों को नहीं रोकेगें तो उनसे सख्ती से पेश आया जाएगा। गांव के सरपंच द्वारा मुहर व हस्ताक्षर किया पत्र स्कूल प्रबंधनों को अलग अलग भेजा जा चुका है। इन पत्रों पर काफी संख्या में ग्रामीणों समेत पंचों ने भी हस्ताक्षर किए हैं। जो पत्र सरकारी स्कूल को भेजा गया है, उस पर सरपंच के हस्ताक्षर नहीं हैं। सरपंच का कहना है कि ग्रामीणों के कहने पर ही उसने मजबूरी में दो पत्रों पर हस्ताक्षर किए हैं। एक निजी स्कूल के प्राचार्य ने पत्र मिलने की पुष्टि की है। अब तक खाप पंचायतों पर महिलाओं की आजादी के खिलाफ फरमान जारी करने के आरोप लगते रहे हैं। लेकिन अबकि बार तो एक संवैधानिक संस्था के मुखिया ने ही स्कूलों में आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में लड़कियों द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले कार्यक्रमों पर रोक लगाने का फरमान जारी किया है। पंचायत द्वारा फरमान जारी करने के बाद स्कूल प्रबंधन रणनीति बनाने में जुट गए हैं। जागृति सीनियर सकेंड्री स्कूल किनाना के प्राचार्य विनोद ने बताया कि वह इस बारे में शिक्षा विभाग व प्रशासन को अवगत कराएगा। गुरूकुल जनता विद्यापीठ किनाना को भी ग्रामीणों द्वारा भेजा गया पत्र मिल चुका है। राजकीय वरिष्ठ सकेंड्री स्कूल के प्राचार्य एसके ढांडा ने बताया कि ग्रामीणों ने लड़कियों के सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लगाने के बारे में पत्र लिखा है। लेकिन कुछ ग्रामीण स्कूल में आकर माफी मांग गए हैं।
गांव किनाना के सरपंच राजाराम ने बताया कि ग्रामीणों के दबाव के चलते उन्होंने उस पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। जिसमें लड़कियों के स्कूलों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने पर प्रतिबंध को कहा गया है।
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