Wednesday, 31 October 2012

महिलाओं को कोई परेशानी है तो डॉयल करे 1091 : हरपाल


उचाना : पुलिस प्रशासन द्वारा राजकीय कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल में कार्यक्रम आयोजित कर विभाग द्वारा महिला के साथ दुराचार सहित अन्य घटनाओं की जानकारी देने के लिए शुरू की गई हेल्पलाइन नंबर 1091 के बारे में जानकारी दी गई। इसकी अध्यक्षता प्रिंसिपल इंदु श्योकंद ने की। वक्ता के रूप में चौकी इचार्ज हरपाल सिंह ने हिस्सा लिया।
हरपाल सिंह ने कहा कि छात्राओं को चाहिए कि वो घर से स्कूल, कॉलेज आते-जाते समय मेन रास्ते का प्रयोग करे। रास्ते में अगर कोई तंग करता है तो अध्यापिकाओं, पुलिस, अभिभावक को सूचना दें ताकि ऐसे मनचलों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकें। लड़कियों का पहनाव सही होना चाहिए। हर किसी के सहयोग से महिला दुराचार की घटनाओं पर रोक लग सकती है। इस नंबर पर शिकायत होने के 24 घटे के बाद संबंधित पुलिस थाना, चौकी के पास मैसेज फ्लैश हो जाएगा। इसके अलावा थाना, चौकी पुलिस के फोन नंबर, पुलिस अधीक्षक, थाना प्रभारी के पास भी पत्र लिख कर महिलाओं, लड़कियों के साथ होने वाली घटनाओ के बारे में जानकारी दी जा सकती है। बसों में छात्राओं को स्कूल, कॉलेज आते-जाते समय तंग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए सिविल ड्रेस में महिला, पुरुष कर्मचारी बस स्टैड, बसों में कार्यरत रहेगे।

सावधान ! कहीं आकर्षक ऑफर की पेशकस बिगाड़ न दे आपके चेहरे का नूर

त्यौहारी सीजन पर महिलाओं को लुभाने के लिए ब्यूटी पार्लर कर रहे हैं आकर्सक ऑफर्स की पेशकश
जींद। विवाह-शादियों का सीजन हो या कोई त्यौहार महिलाओं में सुंदर दिखने की चाहत लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में महिलाएं सजने-संवरने के लिए ब्यूटी पार्लरों का रूख करती हैं। ब्यूटी पार्लर संचालक भी ऐसे अवसरों को भुनाने से पीछे नहीं हटते। ऐसे में वे महिलाओं को लुभाने के लिए आकर्षक ऑफर्स की पेशकस करते हैं। दरअसल करवाचौथ के पर्व में अभी 3 दिन बाकी हैं और महिलाओं को लुभाने के लिए ब्यूटी पार्लर आकर्षक ऑफर्स दे रहे हैं। ऐसे में ब्यूटी पार्लर में सजन-संवरने वाली महिलाओं को सावधान रहने की जरूरत है। कहीं ऐसा न हो कि आकर्षक पैकेज लेने की चाहत में आपकी प्राकृतिक सुंदरता भी बिगड़ न जाए। कम क्वालिटी का उत्पाद आपके चेहरे का नूर बिगाड़ सकता है। बात रिस्क की करें तो शहर में ऐसे कई पार्लर हैं, जहां चेहरे पर रासायनिक या हर्बल उत्पाद लगाने से पहले जांच नहीं की जाती है। बाद में ग्राहकों को पिंपल्स, एलर्जी व झाइयों जैसी समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। ब्यूटी विशेषज्ञ अंजू का कहना है कि चेहरे की त्वचा बहुत संवेदनशील होती है, इसलिए जांच कराए बिना चेहरे पर किसी प्रकार का उत्पाद नहीं लगवाने चाहिएं। चेहरे पर केवल ब्रांडेड रासायनिक या हर्बल उत्पाद का ही प्रयोग करना चाहिए।

स्लीमिंग सेवाओं पर दे रहे हैं 50 प्रतिशत की छूट

त्यौहारों के सीजन को देखते हुए इस बार ब्यूटी संचालक महिलाओं की जेब को देखकर ऑफर दे रहें है। इन पार्लर्स में जहां ब्यूटी व स्लीङ्क्षमग सेवाओं पर 50 प्रतिशत की छूट दी जा रही है, वहीं 999 से 2499 रुपए के पैकेजेस पर मेकअप व मेहंदी भी फ्री है।

दिए जा रहे हैं विशेष पैकेज

सफीदों गेट स्थित एक ब्यूटी पार्लर की संचालिका अर्चना ने बताया कि इस बार 1500 से लेकर 5000 रुपए तक के पैकेज पर विशेष छूट दी गई है। 2500 रुपए के पैकेज में अलग से मेकअप और मेहंदी फ्री दी जा रही है। इस पैकेज में टैनिंग रिमूवल, हेयर कट, ब्लीच, हैड मसाज, नेल आर्ट, वैक्सिंग, मेनीक्योर व पेडीक्योर शामिल हैं। इसके अलावा सिर्फ 2000 रुपए में मेकअप, थ्रेडिंग, फेशियल, ब्लीच, वैक्सिंग का ऑफर दिया जा रहा है।

क्या रखें सावधानी

1.ज्यादा भीड़ वाले पार्लर में जाने से बचें। कहीं ऐसा न हो जल्दी के चक्कर में आप पर गलत उत्पाद का इस्तेमाल हो जाए।
2. कम क्वालिटी के उत्पाद का उपयोग करवाने से बचें।
3. फेशियल या ब्लीच संबंधी उत्पाद की जांच अपनी त्वचा पर जरूर कराएं। यह जांच गर्दन या हाथ के ऊपरी भाग पर होती है।
4. चेहरे पर कोई भी ब्यूटी सेवा लेने के बाद पार्लर में दिए तौलिये का इस्तेमाल न करें, इससे एलर्जी संबंधी शिकायत हो सकती है। बेहतर होगा कि टिशू पेपर का उपयोग करें।
5. पैकेज लेने से पहले पूछ लें कि यह कौन सी त्वचा के लिए है।
जींद। विवाह-शादियों का सीजन हो या कोई त्यौहार महिलाओं में सुंदर दिखने की चाहत लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में महिलाएं सजने-संवरने के लिए ब्यूटी पार्लरों का रूख करती हैं। ब्यूटी पार्लर संचालक भी ऐसे अवसरों को भुनाने से पीछे नहीं हटते। ऐसे में वे महिलाओं को लुभाने के लिए आकर्षक ऑफर्स की पेशकस करते हैं। दरअसल करवाचौथ के पर्व में अभी 3 दिन बाकी हैं और महिलाओं को लुभाने के लिए ब्यूटी पार्लर आकर्षक ऑफर्स दे रहे हैं। ऐसे में ब्यूटी पार्लर में सजन-संवरने वाली महिलाओं को सावधान रहने की जरूरत है। कहीं ऐसा न हो कि आकर्षक पैकेज लेने की चाहत में आपकी प्राकृतिक सुंदरता भी बिगड़ न जाए। कम क्वालिटी का उत्पाद आपके चेहरे का नूर बिगाड़ सकता है। बात रिस्क की करें तो शहर में ऐसे कई पार्लर हैं, जहां चेहरे पर रासायनिक या हर्बल उत्पाद लगाने से पहले जांच नहीं की जाती है। बाद में ग्राहकों को पिंपल्स, एलर्जी व झाइयों जैसी समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। ब्यूटी विशेषज्ञ अंजू का कहना है कि चेहरे की त्वचा बहुत संवेदनशील होती है, इसलिए जांच कराए बिना चेहरे पर किसी प्रकार का उत्पाद नहीं लगवाने चाहिएं। चेहरे पर केवल ब्रांडेड रासायनिक या हर्बल उत्पाद का ही प्रयोग करना चाहिए।

स्लीमिंग सेवाओं पर दे रहे हैं 50 प्रतिशत की छूट

त्यौहारों के सीजन को देखते हुए इस बार ब्यूटी संचालक महिलाओं की जेब को देखकर ऑफर दे रहें है। इन पार्लर्स में जहां ब्यूटी व स्लीङ्क्षमग सेवाओं पर 50 प्रतिशत की छूट दी जा रही है, वहीं 999 से 2499 रुपए के पैकेजेस पर मेकअप व मेहंदी भी फ्री है।

दिए जा रहे हैं विशेष पैकेज

सफीदों गेट स्थित एक ब्यूटी पार्लर की संचालिका अर्चना ने बताया कि इस बार 1500 से लेकर 5000 रुपए तक के पैकेज पर विशेष छूट दी गई है। 2500 रुपए के पैकेज में अलग से मेकअप और मेहंदी फ्री दी जा रही है। इस पैकेज में टैनिंग रिमूवल, हेयर कट, ब्लीच, हैड मसाज, नेल आर्ट, वैक्सिंग, मेनीक्योर व पेडीक्योर शामिल हैं। इसके अलावा सिर्फ 2000 रुपए में मेकअप, थ्रेडिंग, फेशियल, ब्लीच, वैक्सिंग का ऑफर दिया जा रहा है।

क्या रखें सावधानी

1.ज्यादा भीड़ वाले पार्लर में जाने से बचें। कहीं ऐसा न हो जल्दी के चक्कर में आप पर गलत उत्पाद का इस्तेमाल हो जाए।
2. कम क्वालिटी के उत्पाद का उपयोग करवाने से बचें।
3. फेशियल या ब्लीच संबंधी उत्पाद की जांच अपनी त्वचा पर जरूर कराएं। यह जांच गर्दन या हाथ के ऊपरी भाग पर होती है।
4. चेहरे पर कोई भी ब्यूटी सेवा लेने के बाद पार्लर में दिए तौलिये का इस्तेमाल न करें, इससे एलर्जी संबंधी शिकायत हो सकती है। बेहतर होगा कि टिशू पेपर का उपयोग करें।
5. पैकेज लेने से पहले पूछ लें कि यह कौन सी त्वचा के लिए है।
त्यौहारों के सीजन को देखते हुए इस बार ब्यूटी संचालक महिलाओं की जेब को देखकर ऑफर दे रहें है। इन पार्लर्स में जहां ब्यूटी व स्लीङ्क्षमग सेवाओं पर 50 प्रतिशत की छूट दी जा रही है, वहीं 999 से 2499 रुपए के पैकेजेस पर मेकअप व मेहंदी भी फ्री है।
सफीदों गेट स्थित एक ब्यूटी पार्लर की संचालिका अर्चना ने बताया कि इस बार 1500 से लेकर 5000 रुपए तक के पैकेज पर विशेष छूट दी गई है। 2500 रुपए के पैकेज में अलग से मेकअप और मेहंदी फ्री दी जा रही है। इस पैकेज में टैनिंग रिमूवल, हेयर कट, ब्लीच, हैड मसाज, नेल आर्ट, वैक्सिंग, मेनीक्योर व पेडीक्योर शामिल हैं। इसके अलावा सिर्फ 2000 रुपए में मेकअप, थ्रेडिंग, फेशियल, ब्लीच, वैक्सिंग का ऑफर दिया जा रहा है।
1.ज्यादा भीड़ वाले पार्लर में जाने से बचें। कहीं ऐसा न हो जल्दी के चक्कर में आप पर गलत उत्पाद का इस्तेमाल हो जाए।
2. कम क्वालिटी के उत्पाद का उपयोग करवाने से बचें।
3. फेशियल या ब्लीच संबंधी उत्पाद की जांच अपनी त्वचा पर जरूर कराएं। यह जांच गर्दन या हाथ के ऊपरी भाग पर होती है।
4. चेहरे पर कोई भी ब्यूटी सेवा लेने के बाद पार्लर में दिए तौलिये का इस्तेमाल न करें, इससे एलर्जी संबंधी शिकायत हो सकती है। बेहतर होगा कि टिशू पेपर का उपयोग करें।
5. पैकेज लेने से पहले पूछ लें कि यह कौन सी त्वचा के लिए है।

स्लीमिंग सेवाओं पर दे रहे हैं 50 प्रतिशत की छूट

दिए जा रहे हैं विशेष पैकेज

क्या रखें सावधानी


Sunday, 28 October 2012

अभी 'खाप अदालत' की वेटिंग लिस्ट में है किसानों व कीटों का मुकद्दमा


विवाद के निपटारे के लिए जनवरी या फरवरी में होगी सर्व जातीय सर्व खाप की महापंचायत

जींद। गौत्र विवाह के मामलों में तालिबानी फरमान सुनाने के लिए बदनाम तथा हाल ही में रेप व गैंगरेप की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए लड़के व लड़की की उम्र कम करने के बयान के बाद सुर्खियों में आने वाली खाप पंचायत ने किसानों व कीटों के मुकद्दमे के फैसले को अभी वोटिंग लिस्ट में रखा दिया है। 15 दिसंबर से शुरू होने वाले जाट आरक्षण के ममाले से निपटने के बाद ही खाप पंचायतों द्वारा इस मसले का हल निकालने के लिए अगला कदम उठाया जाएगा। इसके लिए खाप पंचायत द्वारा अगले वर्ष जनवरी या फरवरी माह में एक सर्व जातीय सर्व खाप महापंचायत का आयोजन किया जाएगा। हालांकि खाप प्रतिनिधियों द्वारा निडाना गांव में 18 बैठकों का आयोजन कर इस विवाद की सुनवाई की सभी प्रक्रियाएं पूरी की जा चुकी हैं। 

विवाद के निपटारे के लिए किसानों ने खटखटाया था खाप का दरवाजा

इंसानों के बड़े-बड़े विवादों के निपटारे के लिए मशहूर खाप पंचायतों की अदालत में यह एक अनोखा मामला आया है। निडाना गांव के कुछ कीट मित्र किसानों ने लगभग 4 दशकों से किसानों व बेजुबान कीटों के बीच चली आ रही जंग के निपटारे के लिए जून माह में खाप पंचायत के पास चिट्ठी डालकर गुहार लगाई थी। इसके बाद खाप प्रतिनिधियों ने किसानों की अर्जी को मंजूर कर इस विवाद के निपटारे के लिए अपने हाथ में लिया था। इस विवाद पर निर्णय देते वक्त खाप पंचायतों की शाख पर कोई दाग न लगे इसके लिए खाप प्रतिनिधियों ने दोनों पक्षों की सुनवाई के लिए निडाना गांव में लगातार 18 सप्ताह तक हर मंगलवार को एक पाठशाला का आयोजन करने का निर्णय लिया था। इसमें 26 जून से निडाना में एक पाठशाला की शुरूआत की गई। इस पाठशाला में हर मंगलवार को विभिन्न खापों के प्रतिनिधि विवाद की सुनवाई के लिए आते थे। गत मंगलवार को खाप पंचायतों की यह प्रक्रिया पूरी हो गई है। 

जंग में जरूरी है दुश्मन की पहचान

किसानों के समक्ष अपने विचार रखते हुए खाप के संयोजक कुलदीप ढांडा।

किसान पाठशाला के संयोजक डा. सुरेंद्र दलाल का कहना है कि जंग में दुश्मन की पहचान जरूरी है, लेकिन किसानों और कीटों के बीच लगभग 4 दशकों से जो जंग चली आ रही है इसमें किसानों को अपने दुश्मन की पहचान ही नहीं है। किसान अज्ञान के कारण इस चक्रव्यहू में फंसे हुए हैं और अधिक उत्पादन की चाह में अंधाधुंध कीटनाशकों का प्रयोग कर कीटों को मार रहे हैं। फसलों में बढ़ते रासायनिकों के प्रयोग के कारण हमारा खान-पान जहरीला हो चुका है और कई लाइलाज बीमारियों ने जन्म ले लिया है। डा. दलाल ने बताया कि कीट न तो किसान के दुश्मन हैं और न ही किसान के मित्र हैं। ये तो केवल अपना जीवन चक्र चलाने के लिए फसल में आते हैं। किसानों को इस बात का ज्ञान जरूर होना चाहिए कि कीट हमारी फसल में क्यों आते हैं और क्या करते हैं। इसलिए किसानों को कीटों के क्रियाकलापों को समझना होगा। 

मामले के निपटारे के लिए किया जाएगा महापंचायत का आयोजन

सर्व जातीय सर्व खाप के संयोजक कुलदीप ढांडा ने बताया कि खाप पंचायतों के लिए यह विवाद किसी चुनौती से कम नहीं है। इस विवाद को निपटाते वक्त खाप पंचायतों से किसी प्रकार का गलत फैसला नहीं हो इसके लिए हर सप्ताह अलग-अलग खाप प्रतिनिधियों ने निडाना पहुंचकर इस मसले का अध्यन किया है। नवंबर माह में रबी की फसल की बिजाई के कारण किसानों के पास समय नहीं है और 15 दिसंबर के बाद खाप पंचायत जाट आरक्षण के लिए संघर्ष जारी करेंगी। इसलिए इस विवाद पर फैसला सुनाने के लिए जनवरी या फरवरी माह में सर्व जातीय सर्व खाप महापंचायत का आयोजन किया जाएगा। इस महापंचायत में सभी खाप प्रतिनिधियों से विचार-विमर्श करने के बाद ही फैसला सुनाया जाएगा। 

त्यौहारों के साथ ही सजने लगे ड्राई फ्रूट के बाजार


ड्राई फ्रूट भी महंगाई की चपेट में  जींद। दीपावली का त्यौहार नजदीक आते ही ड्राई फ्रूट के बाजार सजने लगे हैं। लोग मिठाइयों में मिलावट के चलते ड्राई फ्रूट में ही ज्यादा विश्वास जता रहे हैं। त्यौहारी सीजन पर अपने सगे सम्बंधियों को उपहार देने के लिए जमकर ड्राई फ्रूट की खरीददारी कर रहे हैं। इस बार लोग बंद पैकेट की बजाए खुदरा खरीदने में ही समझदारी दिखा रहे हैं। महंगाई के चलते इस बार ड्राई फ्रूट की कीमतों में भी 20 से 30 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है। इस समय बाजार में सबसे ज्यादा अमेरीकन बादाम व काजू की धूम मची हुई है। दीपावली पर्व नजदीक  आने के कारण बाजारों की रौनक बढऩी शुरू हो गई है। शहर में ड्राई फ्रूट के बाजार सजने लगे हैं। इस महंगाई की मार से ड्राई फ्रूट का बाजार भी अछूता नहीं रहा है। इस बार बादाम, काजू, किशमिश, छुहारे, पिस्ता, अखरोट गिरी, गुरमानी के दामों में 20 से 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इससे पैकेट की कीमतों में भी बढ़ौतरी तय है। बाजार में 100 रुपए से लेकर 1000 रुपए तक के ड्राई फ्रूट के डिब्बे उपलब्ध हैं। अबकी बार बाजारा में सबसे ज्यादा धूम अमेरीकन बादाम व काजू की है। ड्राई फ्रूट में सबसे ज्यादा उछाल काजू व पिस्ता की कीमत में हुआ है। ड्राई फ्रूट के बंद पैकटों से भी लोगों का विश्वास कम हुआ है। इसलिए लोग खुदरा खरीद कर पैक करवाने में ही ज्यादा समझदारी दिखा रहे हैं। इसलिए बाजार में रेहडिय़ों पर भी खुले ड्राई फ्रूट बिकते नजर आने लगे हैं। मिठाइयों में मिलावट की आशंका के कारण मिठाइयों से लोगों का मोह भंग हो चुका है। अब लोग ड्राई फ्रूट में ही ज्यादा विश्वास दिखा रहे हैं। जिस कारण पिछले पांच साल से मिठाई की बिक्री में कमी व ड्राई फ्रूट की बिक्री में 20 से 30 प्रतिशत की बढ़ौतरी हुई है। इसलिए त्यौहारी सीजन में सगे सम्बंधियों को उपहार देने के लिए जमकर ड्राई फ्रूट की ही खरीदारी कर रहे हैं। ड्राइ फ्रूट की मांग बढऩे के कारण शहर में ड्राई फ्रूट का कारोबार भी बढ़ा है।
जिले में 10 करोड़ तक हो जाता है कारोबार
दीपावली के सीजन पर शहर में लगभग 300 के आस-पास दुकानदार ड्राई फ्रूट का काम करते हैं। पिछले 5 सालों से मिठाइयों व घी में हो रही मिलावट के कारण लोगों का रूझान मिठाई के प्रति कम हो रहा है तथा ड्राई फ्रूट का कारोबार बढ़ रहा है। इसलिए दीपावली के सीजन पर लोग जमकर ड्राई फ्रूट की खरीदारी करते हैं। इस दौरान शहर में ड्राई फ्रूट का 5 से 6 करोड़ रुपए तथा पूरे जिले में 10 करोड़ रुपए तक का कारोबार हो जाता है।
ड्राई फ्रूट भी महंगाई की चपेट में इस बारे में जब ड्राई फ्रूड विक्रेता अखिल से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया लगातार बढ़ रही महंगाई का असर ड्राई फ्रूट पर भी साफ दिखाई दिया है। ड्राई फ्रूट के दामों में हुई वृद्धि के कारण यहां के दुकानदारों ने इनकी खरीददारी सीधे दिल्ली से करनी शुरू कर दी है। ड्राई फ्रूट का छोटा-मोटा कारोबार करने वाले दुकानदार पहले यहीं से ड्राई फ्रूट की खरीदारी करते थे, लेकिन अब वे भी त्यौहारी सीजन पर अधिक से अधिक पैसे कमाने के चक्कर में ड्राई फ्रूट की खरीदारी सीधे दिल्ली से करते हैं।
ड्राई फ्रूट की कीमतें प्रति किलोग्राम
ड्राई फ्रूट का नाम  पहले के भाव आज के भाव
बादाम            400   450
काजू            420  680
दाख                   200  300
पिस्ता                   580 700
गुरमानी             150 200
अखरोड़ गिरी           650 700
किशमिश           200 260

Friday, 26 October 2012

दूरदर्शन पर दिखेंगे जींद के ऐतिहासिक स्थान

जींद : निडाना और ललितखेड़ा गांव के बाद अब जिले के सभी ऐतिहासिक स्थान दूरदर्शन पर दिखाए जाएंगे ताकि लोगों को जींद के ऐतिहासिक स्थलों और उनके इतिहास के बारे में जानकारी मिल सके। बीबीपुर गांव द्वारा भ्रूणहत्या के खिलाफ उठाए गए कदम व हुए सकारात्मक परिणामों को भी दूरदर्शन पर जल्द दिखाया जाएगा। इसके लिए एक वृत्ताचित्र बनाया गया है, जो जल्द ही दूरदर्शन पर प्रकाशित किया जाएगा। जींद जिले के ऐतिहासिक स्थल अब दूरदर्शन पर नजर आएंगे। दूरदर्शन हिसार की पांच सदस्यीय टीम पिछले तीन दिनों से जिले के ऐतिहासिक स्थलों पर वृत्ताचित्र बना रही है। हिसार दूरदर्शन के अश्वनी शर्मा के नेतृत्व में यह टीम वृत्ताचित्र बनाने का काम कर रही है। अब तक यह टीम पांडु पिंडारा, रानी तालाब, सोमनाथ मंदिर, जयंती देवी मंदिर व बीबीपुर गांव पर वृत्ताचित्र तैयार कर चुकी है जबकि बाकी आने वाले दिनों में बनाए जाएंगे।
इस वृत्ताचित्र को बनाने का मकसद लोगों को ऐतिहासिक तीर्थ स्थलों व उनके इतिहास के बारे में जानकारी पहुंचाना है। यह वृत्ताचित्र हर जिले के ऐतिहासिक स्थलों के दूरदर्शन द्वारा तैयार किए जा रहे हैं। वृत्ताचित्र तैयार होने के बाद उन्हें जल्द दूरदर्शन पर चलाया जाएगा ताकि लोगों को जानकारी मिल सके।
दूरदर्शन पर दिखेगा बीबीपुर गांव
ऐतिहासिक स्थलों के अलावा दूरदर्शन पर बीबीपुर गांव को भी दिखाया जाएगा। इसमें बीबीपुर गांव द्वारा भ्रूणहत्या पर उठाए गए कदमों व उनके सकारात्मक प्रभावों को दिखाया जाएगा। यही नहीं गांव के सरपंच सुनील जागलान का साक्षात्कार भी दिखाया जाएगा। इसमें एक-एक जानकारी भी दिखाई जाएगी। बृहस्पतिवार को दूरदर्शन की टीम ने गांव जाकर पूरी जानकारी ली और रिकॉर्डिग की।
बीबीपुर गांव पर वृत्ताचित्र बनना गौरव की बात है। फिलहाल इसे ऐतिहासिक स्थलों पर बन रहे वृत्ताचित्र के साथ दिखाया जाएगा। आज गांव में टीम ने आकर रिकार्डिग की।
सुनील जागलान, सरपंच, बीबीपुर गांव


Thursday, 25 October 2012

धू-धू कर जल गया घमंड का प्रतीक


जींद। जिलेभर में बुधवार को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक विजयदशमी का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया गया। शहर में जगह-जगह कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। एक चिंगारी के साथ ही घमंड का प्रतिक रावण का सिर धू-धू कर जल गया। रावण दहन के साथ ही चारों तरफ भगवान श्री राम के जयकारे गुंजने लगे। श्री सनातन धर्म आदर्श रामलीला क्लब (किला) द्वारा चौ. छोटू राम किसान कॉलेज के प्रांगण में रावण दहन किया गया। रावण दहने से पूर्व क्लब द्वारा शहर में भगवान श्री राम की झांकियां भी निकाली गई। इसके बाद छोटू राम किसान कॉलेज के प्रांगण में रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतलों का दहन किया गया।
कॉलेज प्रांगण में मेले में खरीदारी करते लोग। 
विजयदशमी के अवसर पर शहर में जगह-जगह कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। श्री सनातन धर्म आदर्शन रामलीला क्लब द्वारा चौ. छोटू राम किसान कॉलेज के प्रांगण में कार्यक्रम का आयोजन कर रावण दहन किया गया। कार्यक्रम में जींद के इनैलो विधायक डा. हरिचंद मिढ़ा ने बतौर मुख्यातिथि तथा विनोद चंद व पूर्व कुलपति डा. ए.के. चावला ने विशेष अतिथि के तौर पर शिरकत की। मुख्यातिथि डा. हरिचंद मिढ़ा ने कहा कि दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतिक है। इस दिन घमंड का सिर झुका था तथा असत्य पर सत्य की जीत हुई थी। भगवान श्रीराम ने रावण को उसके किए की सजा देकर माता सीता को मुक्त करवाया था। रावण दहन से पूर्व क्लब द्वारा शहर में झांकियां निकाली गई। झांकियां शहर के मेन बाजार से होते हुए किसान कॉलेज पहुंची। यहां पर राम व रावण की सेना के बीच युद्ध का आयोजन किया गया। भगवान श्री राम ने रावण की नाभी में तीर माकर विजय प्राप्त की। कॉलेज प्रांगण में दहन के लिए 50 फीट ऊंचा रावण तथा 45-45 फीट ऊंचे कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतले तैयार किए गए थे। आतिशबाजी के लिए भी विशेष तैयारियां की गई थी। रावण दहन के साथ ही पूरे जोर-शोर से आतिशबाजी शुरू हो गई। घमंड व बुराई का प्रतिक रावण धूं-धूं कर जलने लगा। रावण दहन के साथ ही दर्शकों ने भगवान श्री राम के जयकारे लगाए। रावण दहन देखने के लिए काफी संख्या में दर्शक कॉलेज प्रांगण में पहुंचे हुए थे। इस दौरान कॉलेज प्रांगण में मेले का आयोजन भी किया गया। दर्शकों ने मेले में जमकर लुत्फ उठाया व खरीदारी की।

सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस ने किए थे पुख्ता प्रबंध

सुरक्षा में तैनात पुलिसबल व फायर ब्रिगेड की गाडिय़ां। 
रावण दहन के दौरान किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से निपटने के लिए पुलिस प्रशासन द्वारा पुख्ता प्रबंध किए गए थे। डी.एस.पी. अमरीक ङ्क्षसह के नेतृत्व में भारी संख्या में पुलिसबल मौजूद था। सादी वर्दी में भी पुलिस कर्मचारी चप्पे-चप्पे पर नजर बनाए हुए थे। इस दौरान आगजनी की घटना से निपटने के लिए फायर ब्रिगेड की गाडिय़ां भी कॉलेज प्रांगण में मौजूद थी।


 राम, लक्ष्मण, हनुमान की वेशभूषा में सजे कलाकार।

 रावण दहन देखने के लिए उमड़ी दर्शकों की भीड़। 


 रावण दहन के दौरान आतिशबाजी का नजारा। 

 धूं-धूं कर जलते रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतले।

...यहां टूट जाती हैं धर्म की सभी बेडिय़ां


मुस्लिम व हिंदू कारीगर लगभग 2 दशकों से एक साथ कर रहे हैं पुतले बनाने का काम
जींद। दशहरे पर रावण दहन को लोग असत्य पर सत्य व बुराई पर अच्छाई की जीत मानते हैं लेकिन कहीं न कहीं यह त्यौहार ङ्क्षहदू-मुस्लिम भाईचारे का प्रतिक भी है। हिंदुओं के पर्व दशहरे पर दहन के लिए जो पुतले बनाए जा रहे हैं उन पुतलों का निर्माण करने वाले हाथ मुस्लिम कारीगरों के हैं। इतना ही नहीं यहां मुस्मिल कारीगरों के साथ-साथ हिंदू कारीगर भी पुतले निर्माण में इनका पूरा साथ दे रहे हैं। लगभग पिछले दो दशकों से ये कारीगर यहां के रामलीला क्लबों के लिए रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतले तैयार कर रहे हैं। 
हिंदू धर्म में दशहरे पर रावण दहन को लोग बुराई पर अच्छाई की जीत मानते हैं और इस पर्व को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं क्योंकि इस दिन भगवान श्रीराम ने लंका में रावण को मार कर विजय प्राप्त की थी। लेकिन यहां पर दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत के साथ-साथ हिंदू-मुस्लिम भाईचारे का प्रतिक भी बना हुआ है। रामलीला क्लबों के लिए दशहरे पर दहन के लिए रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतले बनाने वाले कारीगर मुस्लिम समुदाय के हैं और हिंदू समुदाय के कारीगर भी इनका सहयोग करते हैं। पुतलों के निर्माण के लिए जींद आए मुज्जफरनगर (यू.पी.) निवासी अनवर व चांदी ने बताया कि उन्होंने अपने पूर्वजों से यह कारीगिरी सीखी है। उनके दादा-परदादा भी इसी तरह पुतल बनाने का काम करते थे। वे पिछले करीब 2 दशकों से इसी काम से जुड़े हुए हैं। उनकी 12 सदस्यों की इस टीम में कुछ कारीगर हिंदू समुदाय के भी हैं लेकिन उनके दिल में इस दौरान कभी भी हिंदुओं के प्रति कोई दुर्भावना स्थान नहीं बना पाई है। वे सभी एक साथ मिलकर काम करते हैं। इस बार उन्होंने जींद के अलावा कैथल, पेहवा, खनौरी, पातड़ा,पेहवा में भी पुतलों का निर्माण किया है। जींद में उन्होंने 50 फीट का रावण तथा 45-45 फीट के कुंभकर्ण व मेघनाथ के पुतले तैयार किए हैं। इससे यह प्रतित होता है कि दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत के साथ-साथ हिंदू-मुस्लिम भाईचारे का भी प्रतिक है। इस प्रकार हिंदू व मुस्लिम समुदाय के कारीगरों के इस प्यार व भाईचारे को देखकर यह साफ हो रहा है कि धर्म की बेडिय़ां भी इन्हें जुदा नहीं कर पाई हैं। इंसानियत के रिश्ते के आगे धर्म की बेडिय़ां कच्चे धागे की तरह टूट कर बिखर गई हैं।
 छोटू राम किसान कॉलेजे के सामने स्थित श्मशान घाट में पुतलों के निर्माण में लगे कारीगर। 

सावन में हरिद्वारा में करते हैं कावड़ बनाने का कार्य

अनवर ने बताया कि वे दशहरे के अलावा हिंदुओं के अन्य त्यौहारों में भी शरीक होते हैं। वे सावन माह में शिव भक्तों के लिए हरिद्वारा में कावड़ बनाने का कार्य करते हैं। इस दौरान भी हिंदू कारीगर उनके साथ काम करते हैं। अनवर ने बताया कि उन्हें हिंदू-मुस्मिल में कोई भेदभाव नजर नहीं आता बल्कि हिंदुओं के साथ उनके त्यौहारों में शरीक होकर वे अपना व अपने परिवार का गुजर-बसर करते हैं। 

मर्यादा पुरूषोत्तम की 'रामलीला' बनी 'रासलीला'


 रामलीला मंच पर बढ़ रही अश्लीलता से आहत हो रही हैं लोगों की धर्मिक भावनाएं
जींद। एक दौर था जब रामलीला के प्रति लोगों की बड़ी धर्मिक भावना होती थी और लोग बड़े श्रद्धाभाव से रामलीला देखने के लिए जाते थे। रामलीला के कलाकारों के प्रति भी लोगों में बड़ी श्रद्धा होती थी। लोगों को रामलीला के कलाकारों में ही भगवान की तस्वीर नजर आती थी। उन दिनों रामलीला देखने के लिए बड़ा जनसैलाब उमड़ता था और रामलीला ग्राऊंड में दर्शकों को बैठने के लिए स्थान भी नहीं मिलता था। रात के समय में रामलीला देखने के लिए लोग दिन में ही अपना स्थान बुक कर लेते थे। उस समय मनोरंजन के साधन भी सीमित ही होते थे इसलिए लोग रामलीला के माध्यम से भी अपना मनोरंजन का शौक पूरा करते थे। लेकिन जैसे-जैसे समय ने करवट ली और तकनीकी युग ने धरती पर अपने कदम रखे तो प्रचार-प्रसार के साधन भी बढऩे लगे। नई-नई तकनीकों के साथ ही घरों में मनोरंजन के साधन भी स्थापित होने लगे। बढ़ते मनोरंजन के साधनों के साथ ही पाश्चात्य संस्कृति ने भी हमारी संस्कृति पर प्रहार कर दिया। घर पर ही मनोरंजन के अच्छे साधन मुहैया होने के कारण रामलीला के प्रति लोगों का मोह भंग होने लगा और पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव के कारण लोगों में धर्मिक भावना भी कम होती चली गई। रामलीला में दर्शकों की कमी को देखते हुए रामलीला संचालकों भी अपना ट्रेंड बदलने के लिए मजबूर हो गए। अब रामलीला का स्थान रास लीला ने ले लिया है। रामलीला संचालकों द्वारा दर्शकों को लुभाने के लिए रामलीला में फिल्मी गीतों को शामिल किया जाने लगा। अब रामलीला के मंच पर दर्शकों का मनोरंजन करने के लिए जौकरों की जगह फिल्मी धूनों पर थिरकने वाले डांसरों ने ले ली है। अब दर्शकों को आकॢषत करने के लिए रामलीला संचालकों द्वारा रामलीला जैसे पवित्र मंच पर खुलकर अश्लीलता परोसी जा रही है। आधुनिकता के इस दौर में मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम के मंच पर अश्लील फिल्मी धूनों पर लड़कियां डांस करती नजर आती हैं। भगवान श्री राम की लीला अब रास लीला में तब्दिल होने लगी है। 

दर्शकों में नहीं रही अनुशासन की भावना

रामलीला के मंच पर लगभग 38 वर्षों तक हास्य कलाकार की भूमिका निभाने वाले मुकेश उर्फ मुकरी ने बताया कि बढ़ती अश्लीलता के कारण लोगों की धर्मिक भावना आहत होती है। अश्लील गीतों के कारण अब दर्शकों में अनुशासन की कमी हो चली है। इससे रामलीला के दौरान लड़ाई-झगड़े होने के आसार बने रहते हैं।

रामलीला का करवाया जा रहा है लाइव

 शहर की एक रामलीला में फिल्मी गीतों पर थिरकते डांसर। 
श्री सनातन धर्म आदर्श रामलीला क्लब (किला) के संरक्षक संत लाल चुघ ने बताया कि शहर में उनकी रामलीला सबसे पुरानी है। वे खुद 1957 से इस क्लब से जुड़े हुए हैं और उन्होंने रामलीला में कई वर्षों तक लक्ष्मण का किरदार भी निभाया है। लेकिन आज तक उनके क्लब द्वारा कभी भी रामलीला के मंच पर डांसर नहीं बुलाए गए हैं और न ही किसी प्रकार के फिल्मी अश्लील गाने चलाए गए हैं। क्लब का रामलीला के आयोजन का मुख्य उद्देश्य भगवान श्री राम का संदेश घर-घर पहुंचाना है। इसलिए अब रामलीला में दर्शकों को लेकर वो पहले वाली बात नहीं रही। लेकिन फिर भी उनके क्लब द्वारा घर बैठे ही लोगों को रामलीला दिखाने के लिए केबल के माध्यम से रामलीला का लाइव करवाया जाता है। ताकि अधिक से अधिक लोगों तक भगवान श्री राम का संदेश पहुंचाया जा सके। 

पहले कलाकारों के प्रति लोगों में होती थी श्रद्धा

लगभग 10 वर्षों तक रामलीला के मंच पर राम, लक्ष्मण व सीता का किरदार निभाने वाले कलाकार विनय अरोड़ा ने बताया कि पहले लोगों में कलाकारों के प्रति बड़ी श्रद्धा होती थी। लोगों को कलाकारों में  ही भगवान की तस्वीर नजर आती थी। इसलिए हर रोज अलग-अलग व्यक्ति के घर कलाकारों के लिए खाने का आयोजन किया जाता था। लेकिन अब लोगों की मानसिकता बदल चुकी है और कलाकारों के प्रति लोगों में श्रद्धा नहीं रही है। अब ज्यादातर लोग रामलीला में सिर्फ लड़कियों का डांस देखने के लिए ही जाते हैं। 

बड़ा नाजूक होता है प्रकृति व जीव का रिश्ता


किसान-कीट विवाद की सुनवाई के लिए खाप पंचायत की आखरी बैठक संपन्न

विवाद पर फैसला सुनाने के लिए दिसंबर या जनवरी में होगी खाप की बैठक

जींद। किसान-कीट की विवाद की सुनवाई के लिए मंगलवार को खाप पंचायत की 18वीं बैठक हुई। बैठक  की अध्यक्षता सर्व जातीय सर्व खाप के संयोजक कुलदीप ढांडा ने की। इस अवसर पर बैठक में अखिल भारतीय जाट महासभा के युवा राष्ट्रीय महासचिव अनिल बैनिवाल, घनघस खाप के प्रतिनिधि सूबे सिंह, मलिक खाप के प्रतिनिधि कांसीराम मलिक, गांव मांडी (पानीपत) निवासी प्रगतिशील किसान रणबीर सिंह, रणधीर सिंह तथा वरिष्ठ पशु चिकित्सक राजबीर चहल भी विशेष रूप से मौजूद रहे। बैठक में कीट मित्र किसानों ने पूरे लेखेजोखे के साथ बेजुबान कीटों का पक्ष खाप प्रतिनिधियों के समक्ष रखा।
राजबीर चहल ने किसानों को सम्बोधित करते हुए बताया कि प्रकृति के अपने नियम हैं। इन नियमों को समझना इंसान के बस की बात नहीं है। प्रकृति व जीव का रिश्ता बड़ा नाजूक होता है। इसलिए हमें प्रकृति के साथ ज्यादा छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। चहल ने बताया कि पृथ्वी पर जन्म लेने वाला हर जीव अपने दायरे से बाहर निकल कर भी अपनी वंशवृद्धि का प्रयास करता है। इसी प्रकार पौधों में भी अपनी वंशवृद्धि की लालसा होती है और पौधे भी धरती पर अपना बीज बिखेरने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा देते हैं। चहल ने नरमे की फसल के खेत की तरफ इशारा करते हुए बताया कि इस समय नरमे के पौधों ने अपने पत्तों को पूरी तेजी से सिकोडऩा शुरू कर दिया है, ताकि उसके टिड्डो तक ज्यादा से ज्यादा धूप पहुंच सके और धूप से गर्मी लेकर टिड्डे पूरी तरह से खिल सकें, ताकि उसका वंश चलता रहे।

उत्पादन बढ़ाने में हाईब्रिड बीज की नहीं कोई अहम भूमिका

मास्टर ट्रेनर रणबीर मलिक ने बताया कि अधिक पैदावार में हाईब्रिड बीज की कोई भूमिका नहीं होती है। पैदावार बढ़ाने में सबसे अहम भूमिका अच्छी  ङ्क्षसचाई, खेत में पौधों की पर्याप्त संख्या, पौधों को समय पर पर्याप्त खुराक व मौसम की होती है। हाईब्रिड बीज का नाम तो सिर्फ किसानों को गुमराह करने के लिए तैयार किए गए हैं।

पूरे सीजन में एक बार भी लक्ष्मण रेखा नहीं लांघ पाए कीट

कपास की फसल में शाकाहारी कीटों के नुक्सान के स्तर को जानने के लिए कृषि वैज्ञानिकों द्वारा एक सीमा निर्धारित की गई है। इसमें सफेद मक्खी की प्रति पत्ता औसत 6, हरा तेला की 2 से अधिक व चूरड़ा की संख्या 10 निर्धारित की गई है लेकिन किसानों द्वारा तैयार किए गए कीट बही खाते में कोई भी कीट पूरे सीजन में इस लक्ष्मण रेखा को पार करना तो दूर इसके नजदीक भी नहीं पहुंच पाया। कीटों द्वारा तैयार किए गए कीट बही खाते में इस पूरे सीजन में सफेद मक्खी की औसत 4, हरे तेले की संख्या पौने 2 तथा चूरड़े की संख्या 6 ही दर्ज की गई है।

बैठक में खाप प्रतिनिधियों व किसानों में हुई तीखी बहस

कपास की फसल में कीट निरीक्षण करते किसान। 
बैठक में अलेवा के किसान जोगेंद्र ने जब मिलीबग के नुक्सान का आंकड़ा दर्ज करवाते समय गोलमोल सा जवाब दिया तो सर्व खाप के संयोजक कुलदीप ढांडा ने किसानों के साथ बहस करते हुए कहा कि इस विवाद के निपटारे पर फैसला सुनाने के लिए भविष्य में जब भी सर्व जातीय सर्व खाप की बैठक होगी तो उसमें पूरे तथ्यों के साथ आंकड़े प्रस्तुत किए जाएंगे, क्योंकि खाप पंचायत द्वारा जो भी निर्णय लिया जाएगा वह एक प्रकार से पूरे समाज के लिए मार्गदर्शन का काम करेगा। इसलिए कोई भी आंकड़ा आधा अधूरा नहीं होना चाहिए। इससे खाप पंचायत की शाख पर दाग लग सकता है।

दिसंबर या जनवरी माह में होगी खाप की बैठक 

किसान-कीट विवाद की सुनवाई के लिए खाप पंचायत की आखरी बैठक संपन्न हुई। अब इस विवाद पर निर्णय देने के लिए सर्व जातीय सर्व खाप महापंचायत की बैठक दिसंबर के अंतिम सप्ताह या जनवरी के प्रथम सप्ताह में होगी। उसी बैठक में इस विवाद के निपटारे पर खाप पंचायत अपना फैसला सुनाएगी। अभी इसका फैसला भविष्य के गर्भ में है।

 कीट बही खाते में आंकड़े दर्ज करवाते किसान। 



Wednesday, 24 October 2012

अब हर स्कूल का बनेगा डेवलपमेंट प्लान


जींद
अब सरकारी स्कूलों में जरूरत की चीजों की मांग जमीनी स्तर पर यानी स्कूल स्तर पर ही की जाएगी। हर स्कूल अपना डेवलपमेंट प्लॉन तैयार करेंगे और उसे जिला मुख्यालय पर भेजेंगे। जिला मुख्यालय के अधिकारी उसे बजट के लिए उच्चाधिकारियों के पास भेजेंगे। स्कूल मुखियाओं को आने वाले तीन सालों के लिए यह प्लान तैयार करना होगा। इसके लिए राज्य परियोजना निदेशालय की तरफ से सभी जिला परियोजना संयोजकों को निर्देश जारी हुए हैं। जिला स्तर पर तैयार होने वाला स्कूलों का डेवलेपमेंट प्लान अब स्कूल स्तर पर ही बनाया जाएगा। एसएसए और आरएमएसए के तहत यह प्लान तैयार किया जाएगा। इस प्लान को स्कूल डेवलेपमेंट प्लान कहा जाएगा। इस प्लान के तहत स्कूल को आगामी तीन सालों 2012-13, 2013-14, 2014-15 के लिए उनके स्कूल में जरूरत की चीजों की मांग की जाएगी। इसके लिए बाकायदा एक प्रोफार्मा भी तैयार किया गया, जिसमें पूरी जानकारी स्कूल मुखियाओं को भरकर देनी होगी। इस प्रोफार्मा में स्कूल को तीन साल में जरूरत अतिरिक्त कमरों, शौचालयों, बाउंड्री वॉल के अलावा बजट की जरूरत की जानकारी सहित बच्चों की संख्या, स्टाफ की संख्या, स्कूल कब बना सहित अन्य कई जानकारियां भरकर देनी होगी। पहले जिला स्तर पर स्कूल डेवलपमेंट प्लान बनाया जाता था, जिससे स्कूल की जरूरत के अनुसार सामान व बजट की मांग नहीं हो पाती थी। कई बार ऐसा होता था कि जिस स्कूल को जिस सामान की जरूरत नहीं होती थी, वह स्कूल में पहुंच जाता था। इसी को देखते हुए अब विभाग ने स्कूल स्तर पर स्कूल डिवलेपमेंट प्लान बनाने के निर्देश दिए हैं ताकि स्कूल मुखिया अपनी जरूरत के हिसाब से ही सामान व बजट की मांग कर सके।
स्कूल स्तर पर सामान व बजट की मांग करने पर किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आएगी, जिसके चलते अब स्कूल पर प्लान मांगे गए हैं। पहले जिला स्तर पर प्लान बनने में दिक्कतें आती थी। अब ऐसा नहीं होगा।
भीमसैन भारद्वाज, जिला परियोजना संयोजक, एसएसए

Tuesday, 23 October 2012

बिना कीटनाशकों के भी अच्छी पैदावार ले रही हैं महिलाएं


जींद। ललीतखेड़ा गांव में बुधवार को पूनम मलिक के खेत पर महिला किसान खेत पाठशाला का आयोजन किया गया। महिलाओं ने पाठशाला में कीट सर्वेक्षण के बाद कीट बही खाता तैयार किया। पाठशाला के आरंभ में महिलाओं ने 6 ग्रुप बनाकर 10-0 पौधों पर कीटों का सर्वेक्षण किया। सर्वेक्षण के बाद महिलाओं ने जामुन के पेड़ के नीचे बैठकर चार्ट पर कीटों के आंकड़े तैयार किए। मास्टर ट्रेनर अंग्रेजो ने सर्वेक्षण के बाद तैयार किए गए आंकड़ों की तरफ  इशारा करते हुए बताया कि कपास के इस खेत में इस सप्ताह शाकाहारी कीटों की संख्या नामात्र है। इस सप्ताह फसल में लाल व काला बाणिया ही नजर आए हैं। ये कीट कपास के अंदर से बीज का रस चूसते हैं। सविता ने महिलाओं को बताया कि अब तक पाठशाला में आने वाली किसी भी महिला ने अपने खेत में एक बूंद भी जहर का छिड़काव नहीं किया है। उन्होंने बताया कि महिलाओं ने बिना किसी कीटनाशक का प्रयोग किए कपास की अच्छी पैदावार ली है। इन महिलाओं की पैदावार कीटनाशकों का प्रयोग करने वाले अन्य किसानों के बराबर ही खड़ी है। पूनम मलिक ने बताया कि जब बिना कीटनाशक के हमें अच्छी पैदावार मिल सकती है तो फिर हमें अपनी फसल में जहर के प्रयोग की जरूरत क्यों पड़ती है। सविता ने बताया कि अधिक कीटनाशकों के प्रयोग से पर्यावरण, जमीन व पानी दूषित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर फसलों में इसी तरह कीटनाशकों का प्रयोग होता रहा तो हमारी आने वाली पीढिय़ों के लिए बहुुत बड़ा खतरा पैदा हो जाएगा। सविता ने बताया कि हमें कीटनाशकों की तरफ ध्यान न देकर पौधों की पर्याप्त खुराक की तरफ ध्यान देना चाहिए। पौधों को अच्छी खुराक देकर ही अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है। महिलाओं ने बताया कि उनके लिए बड़ी खुशी की बात है कि उन्होंने अपनी मेहनत के बलबूते खुद का ज्ञान पैदा कर कीटनाशकों को धूल चटा दी है।
 खेत में कीट निरीक्षण के बाद बही खाता तैयार करती महिलाएं। 

खेल-खेल में बन गया कीटों का मास्टर


6 वर्षीय निखिल को 100 से भी ज्यादा कीटों के नाम कंठस्थ

कीट को देखते ही उसके जीवनचक्र को पकड़ लेती हैं निखिल की पारखी नजरें

जींद। कहते हैं कि प्रतिभा किसी परिचय की मोहताज नहीं होती है, लेकिन निडानी के मिनी साइंटिस्ट 6 वर्षीय निखिल ने अपनी प्रतिभा व विलक्षण बुद्धि से इस कहावत को उलट दिया है। 6 वर्षीय निखिल ने छोटी सी उम्र में जो उपलब्धि हासिल की है, उससे साबित हो गया है कि प्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं होती है। जिले के निडाना गांव निवासी रणबीर मलिक का पुत्र निखिल छोटी सी उम्र में बड़े-बड़े कृषि वैज्ञानिकों की समझ व ज्ञान पर भारी पड़ता है। जिस उम्र में बच्चे ठीक से अपने परिवार के सदस्यों के नाम भी याद नहीं रख पाते, उस उम्र में निखिल मलिक को 100 से भी ज्यादा कीटों के नाम जुबानी याद हैं।

कक्षा प्रथम तो नॉलेज पी.एच.डी. के स्तर की

रणबीर मलिक का 6 वर्षीय पुत्र निखिल मलिक फिलहाल गांव के ही स्कूल में प्रथम कक्षा की पढ़ाई कर रहा है। निखिल ए, बी, सी, डी के साथ खेती-किसानी के गुर भी सीख रहा है। निखिल को कपास की फसल में आने वाले सभी मांसाहारी व शाकाहारी कीटों की पहचान है तथा उसे यहां तक भी मालूम है कि अब फसल पर ये कीट क्या प्रभाव छोडे़गे? ताज्जुब की बात तो यह है कि खेती के इस कारोबार में जहां बड़े-बड़े किसान व कृषि विशेषज्ञ तक कीटों की पहचान में धोखा खा जाते हैं, उन कीटों को निखिल की पारखी नजरें पलक झपकते ही पहचान लेती हैं। निखिल कीट को देखते ही उसके पैदा होने से लेकर उसकी सातों पीढिय़ों तक की पौथियां किसानों के सामने खोल कर रख देता। निखिल अपने पिता रणबीर मलिक की तरह ही किसानों को कीटों की पढ़ाई करवाने के साथ-साथ कीटनाशक रहित खेती के लिए भी प्रेरित कर रहा है। इस प्रकार रणबीर मलिक का पुत्र निखिल मलिक छोटी सी उम्र में ही नन्हा धरतीपुत्र बनने जा रहा है।

यूं शुरू हुई निखिल की कीटों की पढ़ाई

2010 में कृषि विभाग की तरफ से उनके खेत में महिला किसान पाठशाला की शुरूआत की गई थी। यह पाठशाला 18 सप्ताह तक चली थी। उस समय निखिल की उम्र सिर्फ चार वर्ष की थी। निखिल अपनी मां अनीता मलिक के साथ इस महिला किसान पाठशाला में जाता था। इस पाठशाला में महिलाओं के बीच बैठकर इनकी बातें सुनने और पाठशाला में महिलाओं द्वारा किए जाने वाले प्रयोगों को देखकर निखिल के दिमाक में भी कीटों  ने घर कर लिया। बस फिर क्या था यहीं से हो गया निखिल की कीटों की पढ़ाई का सिलसिला शुरू। इस पाठशाला में कीटों के प्रति उसका रुझान इतना बढ़ गया कि वह कीटों की पहचान करने के साथ उन सभी के नाम व काम भी कंठस्थ कर गया। इस प्रकार मात्र 18 सप्ताह में पांच वर्षीय निखिल ने कीट मास्टर की डिग्री हासिल कर ली।

कीटों का ज्ञान इतना की साइंटिस्ट भी शर्मा जाएं

निखिल मलिक को वैसे तो कपास की फसल में आने वाले 100 से भी ज्यादा कीटों के नाम व उनके क्रियाकलापों के बारे में जानकारी हैं। लेकिन इनमें से 60 से भी ज्यादा ऐसे मासाहारी व शाकाहारी कीट हैं, जिनके पूरे जीवनचक्र के बारे में निखिल को जानकारी है कि किस कीट के अंडों में से कितने दिन में बच्चे निकलते हैं, कितने दिन में बच्चे प्रौढ़ होते हैं, कितने दिनों में प्रौढ़ से पतंगा बनता है और ये क्या-क्या खाते हैं। निखिल के दिमाग में इन कीटों के पूरे जीवनकाल की तस्वीर बिल्कुल सही ढंग से छप चुकी है। निखिल कपास की फसल को देखकर यह भी बता देता है कि अब कपास में कौन सा कीड़ा आया हुआ है और अब आगे यह क्या करेगा? कौन सा कीट किस किस कीट को खाएगा? या कौन सा कीड़ा दूसरे कीडे़ के पेट के अंदर अपने बच्चे पलवाएगा? और इन सबका कपास की फसल पर क्या प्रभाव पड़ेगा। निखिल को इस समय लगभग 100 मांसाहारी व शाकाहारी कीटों की पहचान है, जिनमें मुख्य रूप से हरा तेला, सफेद मक्खी, मिलीबग, चूरड़ा, हथजोड़ा, मकड़ी, ड्रेगल फ्लाई हैलीकाप्टर, फेल मक्खी, अंगीरा, फंगीरा, जंगीरा, ततैया, अंजनहारी, भंभीरी, खातन, कुम्हारन, तेलन, लेडी बिटल, क्राइसोपा आदि शामिल हैं।

पिता भी लगे हैं कीटों के शिक्षण में 

निडाना गांव निवासी निखिल मलिक के पिता रणबीर मलिक एक साधारण किसान हैं और वह खेतीबाड़ी के सहारे ही अपने परिवार का गुजर-बसर करता है। रणबीर कीट मित्र किसान है और यह पिछले चार सालों से निडाना गांव में चल रही किसान खेत पाठशाला से जुड़ा हुआ है। इस पाठशाला में किसानों को खेत में बैठाकर कीटों की पहचान करवाने के साथ-साथ कीटनाशक रहित खेती के लिए प्रेरित किया जाता हैं। फिलहाल रणबीर मलिक इस पाठशाला में मास्टर ट्रेनर के रूप में कार्य कर रहा है और अपने खर्च पर ही आस-पास के किसानों को कीटनाशक रहित खेती के गुर सीखाकर उनकी थाली को जहरमुक्त करने के प्रयास में जुटे हुए हैं। इसके अलावा रणबीर मलिक कृषि पर ब्लॉग भी लिखते हैं और उनके ब्लॉग इंटरनेट पर देश ही नहीं विदेश में भी लोग देखते हैं। निखिल की मम्मी अनीता भी महिला खेत पाठशाला की सक्रिय सदस्य हैं और महिला खेत पाठशाला में महिलाओं को जोडऩे में अहम योगदान कर रही हैं।

दादी को प्रतिदिन दिखाता है कीटों की गतिविधियां

निखिल ने 2010 में महिला किसान पाठशाला में कीटों की पढ़ाई पूरी करने के बाद 2011 में गांव में खाली पड़े अपने प्लाट में कपास की फसल की बिजाई करवाई थी। इस फसल की देखरेख निखिल प्रतिदिन स्वयं करता था और अपनी दादी चंद्रपति को भी कपास की फसल पर होने वाली गतिविधि के बारे में बताता है। निखिल की इन गतिविधियों को देखकर उसकी दादी चंद्रपति को भी कुछ कीटों की पहचान हो गई है। निखिल की इस छोटी उम्र में बड़ी जानकारी से उसकी दादी भी काफी खुश हैं।
कपास की फसल में कीटों का अवलोकन करता निखिल।

लैपटॉप पर अपनी दादी को कीटों की जानकारी देता निखिल।

Monday, 22 October 2012

कीटनाशक मुक्त खेती के लिए महिलाओं को प्रेरित कर रही अंग्रेजो


निडाना गांव की रहने वाली अंग्रेजो उनमें से हे, जो पहले कीटनाशक मुक्त खेती करने का विरोध करती थी और उसके विचार थे कि बिना पेस्टीसाइट के खेती करना संभव नहीं है, लेकिन हकीकत सामने आई तो उसके विचार ही नहीं बदले बल्कि कई तरह के अनुभव भी हुए। अब अंग्रेजी निडाना गांव की ही नहीं बल्कि ललितखेड़ा गांव में भी जाकर महिलाओं को कीटनाशक मुक्त खेती तथा कीट ज्ञान देने का काम कर रही हैं। निडाना निवासी अंग्रेजो के पति महावीर गांव में चल रहे कीट ज्ञान व कीटनाशक मुक्त खेती से 2008 से जुडे़ थे। जब महावीर ने इस बारे में अपनी पत्नी अंग्रेजो से जिक्र किया तो उसने शुरू में इसका विरोध किया और कहा कि ऐसा नहीं हो सकता। इसके बाद वर्ष 2010 में स्वयं अंग्रेजो इस अभियान से जुड़ी और गांव में चल रहे किसान खेत पाठशाला में कक्षाएं लगाने का काम शुरू किया। उनके इस अभियान में जुड़ने पर परिवार के सदस्यों ने भी विरोध जताया, लेकिन वह इसे समझने पर अड़ी रही और उनकी में आ गया कि बिना कीटनाशक प्रयोग करके भी खेती की जा रही है। उनकी फसल में ऐसे कई कीट होते हैं, जो फसलों के लिए लाभदायक होते हैं और कीटनाशकों के प्रयोग करने से उनकी संख्या कम हो जाती है। तब से लेकर आज तक अंग्रेजो इस अभियान से जुड़ी हुई हैं। वह पांच एकड़ में खेती भी करती है। खरीफ सीजन में बाजरा व कपास तथा रबी सीजन में गेहूं की बिजाई खेत में की जाती है। खेती के साथ-साथ अंग्रेजो घर संभालने के अलावा मिड डे वर्कर का काम भी करती है और स्कूली बच्चों के लिए खाना बनाती है। अब अंग्रेजो मास्टर ट्रेनर बन चुकी है और निडाना गांव ललितखेड़ा गांव में महिलाओं को कीटनाशक मुक्त खेती के लिए प्रेरित करने के साथ-साथ कीट ज्ञान भी बांटती है। अंग्रेजो कहती है कि इस अभियान में हर महिला को जुड़ना चाहिए, क्योंकि यह अभियान सीधे घरों से जुड़ा हुआ है। कोई मां नहीं चाहती है उसका परिवार कीटनाशक युक्त खाना खाएं, इसलिए महिलाओं को इस अभियान से जुड़कर कीटनाशक मुक्त खेती के लिए आगे आना होगा।

अशक्त बच्चों को मिलेगी स्वास्थ्य सुविधा


जींद : अब 12वीं कक्षा तक पढ़ने वाले अशक्त बच्चों को भी स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकेंगी। पहले यह सुविधाएं केवल पहली से आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले अशक्त बच्चों को ही मिलती थी। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन हरियाणा के तहत इस योजना को अमल में लाया गया है। इस योजना के तहत प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले अशक्त बच्चों की डॉक्टरी जाच का काम किया जाएगा और उन्हें स्वास्थ्य सुविधाएं दी जाएगी। राज्य परियोजना निदेशक ने प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारी व जिला परियोजना संयोजकों को निर्देश जारी किए हैं। राज्य परियोजना संयोजक द्वारा निर्देशों में स्पष्ट किया गया है कि अब स्वास्थ्य सुविधाएं पहली कक्षा से 12वीं कक्षा के अशक्त बच्चों को मिलेंगी। पहले यह सुविधाएं केवल पहली से आठवीं कक्षा तक के अशक्त बच्चों को ही मिलती थी। स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवाने के लिए शिक्षा विभाग व स्वास्थ्य विभाग ने संयुक्त रूप से पहल की है। इस योजना के तहत बच्चों की जाच, निरीक्षण एवं मूल्यांकन किया जाए। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन हरियाणा के तहत चिकित्सा शिविर में अशक्त बच्चों की चिकित्सीय जाच कराई जाएगी। इसके अलावा बच्चो ंको निशक्ता प्रमाणपत्र सौंपे जाएंगे, रेलवे रियायत प्रमाणपत्र दिए जाएंगे। इसके साथ-साथ उपयुक्त सहायक, उपकरणों की सलाह एवं नाप कार्य किया जाएगा। जाच के दौरान जिन बच्चों के लिए सुधारात्मक सर्जरी की आवश्यकता है, उन बच्चों की छंटाई और स्क्रीनिंग की जाएंगी। इसके अलावा निशक्तता छात्रवृत्ति के फार्म का वितरण एवं सलाह दी जाएगी। विद्यार्थियों के स्वास्थ्य जाच कार्य के लिए स्वास्थ्य विभाग और शिक्षा विभाग के बीच सामंजस्य जिला परियोजना संयोजक के सहयोग से बैठाया जाएगा। डीपीसी स्वास्थ्य जाच के लिए शिविर का आयोजन करवाएंगे। बच्चों की शिविर में उपस्थिति सुनिश्चित करेंगे। इसके अलावा अशक्त बच्चों का पूर्ण ब्योरा एकत्रित कर रखेंगे।स्कूलों से एकत्रित की जा रही जानकारीअशक्त बच्चों की सूची सभी सरकारी स्कूलों से मांगी गई है। अब यह योजना पहली से 12वीं कक्षा तक में लागू होगी। इसलिए सभी स्कूल मुखियाओं से अशक्त बच्चों की सूची भेजने को कहा गया है। अब पहली से 12वीं कक्षा तक के अशक्त बच्चों को स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी। इसके लिए जल्द ही स्वास्थ्य विभाग की मदद से शिविर लगाए जाएंगे। बच्चों को प्रमाण पत्र भी दिए जाएंगे।भीमसैन भारद्वाज, जिला परियोजना संयोजक, एसएसए

Saturday, 20 October 2012

उपायुक्त कैंप को बनाया समिति का कार्यालय


 जींद : महिला उत्पीड़न की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए जिला में एक कार्य योजना तैयार की जा रही है। समुदाय संचालित कार्य समिति में समाज के प्रति उत्तरदायी दृष्टिकोण एवं सकारात्मक सोच व सूझबूझ रखने वाले लोगों को इसमें शामिल किया जा रहा है। उपायुक्त कैंप कार्यालय में इस समिति का कार्यालय स्थापित किया गया है। समिति में जिला में सेवारत विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधियों तथा वरिष्ठ नागरिकों को शामिल किया जा रहा है। वरिष्ठ नागरिकों एवं स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधियों की एक आवश्यक बैठक उपायुक्त डॉ. युद्धवीर सिंह ख्यालिया के मार्गदर्शन में हुई । उपायुक्त ने कहा कि समाज की भलाई के लिए अच्छी सोच रखने वाले लोगो में महिलाओं की पर्याप्त भागीदारी कारगर रहेगी। कार्यसमिति में शामिल लोग अपने आस-पड़ोस में जाकर अच्छा वातावरण तैयार करेगे तथा अच्छे समाज के निर्माण के लिए लोगों के सहयोग की अपील करेगे। सकारात्मक सोच रखने वाले लोगों को आगे आने के साथ-साथ उन्हे समाज के लिए कुछ करने की प्रेरणा देंगे। बैठक में मास्टर सूरजभान, जेपी गर्ग, इंद्र सिंह भारद्वाज, महात्मा गाधी प्राकृतिक चिकित्सा संस्थान के एचएस हुड्डा, पंडित दीन दयाल स्मृति मंच के डीसी विकास, शीतल युवा समिति के अनिल कुमार, जल सेवा संगठन के सतबीर सिंह, साक्षर महिला समूह के राजकुमार, सुभाष आदि अनेक स्वयं सेवा संगठनों के प्रतिनिधि व वरिष्ठ नागरिकों ने भाग लिया। बैठक में समिति के सदस्यों ने आपसी विचार विमर्श कर जिला वासियों के नाम एक विशेष निवेदन/अपील तैयार की है तथा महिला उत्पीड़न की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए जिला वासियों से सहयोग की अपील की है।क्या-क्या करेंमाता पिता अपने बच्चों पर पूरा ध्यान दें। बच्चों से मित्रता का व्यवहार करे। एक साथी की तरह व्यवहार करते हुए बच्चों की समस्याओं व आवश्यकताओं का ख्याल रखें। विशेषकर माताएं अपनी बेटियों के प्रति जागरूक रहे। दादा-दादी के प्रति सम्मान व स्नेह रखने के लिए बच्चों को प्रेरित करे।बच्चे स्कूल व कॉलेजों में समय पर जाएं और समय पर वापिस घर पहुचे,इस बात की निगरानी अभिभावक रखें। बच्चे शिक्षादायक व ज्ञान वर्धक पुस्तकों का अध्ययन करे तथा माता-पिता उनके अच्छे मित्र बनकर उनका चरित्र निर्माण करे।लड़किया छोटी-मोटी छेड़खानी को भी हलकें में न लें। ऐसा होने पर इसकी सूचना माता-पिता अथवा विद्यालय में शिक्षकों को दें। किसी अनजान व्यक्ति के साथ न जाएं और न ही कोई खाने-पीने की वस्तुएं लें।महिलाएं संकोच त्यागकर आगे आए और समाज सुधार के कार्यो में अपना योगदान देकर सम्मान कमाएं ।शिक्षक नैतिक शिक्षा को बढ़ावा दें। प्रार्थना सभा में योग्य व्यक्तियों के भाषण दिलवाएं। हर मास बच्चों व अभिभावकों के परामर्श सेमिनार आयोजित करे। अपने आस-पड़ोस में लोगों को नैतिकता के प्रति जागरूक करे।समाजसेवी संस्थाएं सामाजिक बुराईयों को दूर करने के लिए निरतर प्रयास करे विशेषकर महिला जागरूकता सम्मेलन आयोजित करवाएं जाएं।वरिष्ठ नागरिक अपने गली-महौल्लों में नैतिक शिक्षा का प्रसार करे। बच्चों को सकारात्मक दिशा देने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर गोष्ठिया करे।युवा वर्ग अपने छोटे भाई-बहनों की दैनिक गतिविधियों में सुधार करे। समाज की बेटियों से अपनी बहनों जैसा व्यवहार करे ।दूरदर्शन पर अच्छे कार्यक्रम देखें। इटरनेट का प्रयोग अच्छे कामों के लिए करे।सकारात्मक सोच के सभी लोग क्रियाशील होकर समाज में सजगता व जागरूकता पैदा करने का अपना पावन कर्तव्य निभाएं।

नागक्षेत्र तीर्थ पर उमड़ी रही श्रद्धालुओं की भीड़


सफीदोंधर्म क्षेत्र कुरुक्षेत्र की 48 कोस की परिधि में आने वाले जींद क्षेत्र का अपना ही इतिहास है। इस धरा की महत्ता को जानकर भगवान इंद्र ने अपने पुत्र जयंत के नाम से इस नगर को बसाया था। जींद को हरियाणा की काशी के नाम से भी जाना जाता है। जिले के अधिकतर क्षेत्रों से प्राचीन काल से वृतांत और कहानियां जुड़ी हुई है। ऐसा ही एक क्षेत्र है नागक्षेत्र। सफीदों में स्थित इस क्षेत्र पर काफी मान्यता है। नवरात्र के दिनों में यहां सैकड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। राजा परीक्षित एक दिन उदास थे। उन्होंने अपनी उदासी को दूर करने के लिए वह शिकार करने के लिए जंगलों में गए। परीक्षित को वहां एक स्थान पर शभीक ऋषि तपस्या करते मिले। शभीक मुनि राजा परीक्षित को महत्व न देकर अपनी तपस्या के लीन रहे। राजा परीक्षित ने इसे अपना अपमान समझा तथा वहीं पर पड़े हुए एक मृत सांप को उठाकर तपस्या कर रहे शभीक मुनि के गले में डाल दिया। परीक्षित के इस कार्य पर मुनि पुत्र ने क्रोधित होकर राजा परीक्षित का श्राप दिया कि आज से सातवें दिन यही मरा हुआ सांप जीवित होकर राजा को डंसेगा। परीक्षित ने मुनि पुत्र के श्राप से बचने के लिए भरकम प्रयास व उपाय किए, लेकिन राजा परीक्षित की मौत बताई गई समयावधि में ही हो गई थी। उसके बाद राजा परीक्षित के पुत्र जन्मेजय ने अपने पिता की मौत का बदला लेने के लिए प्रतिज्ञा ली। जन्मेजय ने अपनी प्रतिज्ञा में कहा कि वह पृथ्वी से समस्त सर्प जाति का विनाश कर देगा। जन्मेजय ने बदला लेने के लिए सफीदों के इसी क्षेत्र में सर्प विनाश की खातिर सर्प दमन यज्ञ का आयोजन किया, जहां आज नागक्षेत्र है। इससे मंत्रोच्चारण के प्रभाव से पृथ्वी के समस्त सर्प वहां आकर गिरने लगे व धू-धू करके जलने लगे। अंत में एक तक्षक नाग ही शेष बचा, जिसे बाद में राजा इंद्र द्वारा प्रार्थना करने पर भगवान शिव के आशीर्वाद से ही बचाया जा सका। इसके बाद से इस क्षेत्र की काफी मान्यता है और हजारों श्रद्धालु यहां पूजा के लिए आते है।उत्तरी छोर पर एक अन्य तीर्थ स्थितनागक्षेत्र के उत्तरी छोर पर एक अन्य तीर्थ भी स्थित है। हंसराज नामक इस तीर्थ के संबंध में कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध के दौरान गरवरिक योद्धा का भगवान श्रीकृष्ण द्वारा सिर काटने के बाद यहां टीले पर यह सिर स्थापित किया गया और इच्छा वरदान के अनुसार उसने सारा महाभारत का युद्ध यहां से देखा। युद्ध के बाद भगवान श्रीकृष्ण को उसने बताया कि उसने युद्ध में भगवान का सुदर्शन चक्र और द्रोपदी का खपर ही क्रियान्वित होते देखा है।

लाल नहीं हो रहे भ्रष्टाचारियों के हाथ


विजीलैंस के पास हर वर्ष कम आ रही हैं भ्रष्टाचार की शिकायतें
जींद। एक तरफ तो देश में भ्रष्टाचार बढ़ रहा है लेकिन दूसरी तरफ भ्रष्टाचार की शिकायतों में लगातार कमी आ रही है। यह बात सुनने में थोड़ी अटपटी जरूर लगती है लेकिन जिला विजीलैंस कार्यालय से मिले आंकड़े इसी बात की तरफ इशारा कर रहे हैं। जिला विजीलैंस की टीम के पास हर वर्ष भ्रष्टाचार के मामलों की शिकायतें कम होती जा रही हैं। राज्य चौकसी ब्यूरो के जिला कार्यालय में 2010 में रिश्वतखोरी के 6 मामले आए थे। वर्ष 2011 में ये मामले कम हो कर 4 हो गए और जनरवरी 2012 से अक्तूबर तक सिर्फ 2 ही मामले विजीलैंस कार्यालय के पास पहुंचे हैं। इसे आम आदमी में जागरूकता का अभाव कहें या भ्रष्टाचारियों की सतर्कता जिस कारण राज्य चौकसी ब्यूरो की टीम भ्रष्टाचारियों पर नकेल डालने में नाकाम हो रही है। देश में भ्रष्टाचार भले ही गहराई में अपनी जड़ें जमा चुका हो लेकिन भ्रष्टाचारियों के हाथ लाल होने के मामले घटते ही जा रहे हैं। विजीलैंस की टीम भ्रष्टाचारियों पर अंकुश लगाने के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए रिश्वत न देने व रिश्वतखोरों की शिकायत के लिए सरकारी कार्यालयों के बाहर सूचना बोर्ड लगवाकर मुहिम चला रही है, लेकिन इसके बावजूद भी विजीलैंस टीम के पास रिश्वतखोरी की शिकायत के मामले बढऩे की बजाए हर वर्ष कम होते जा रहे हैं। रिश्वतखोरी की शिकायत पर विजीलैंस की टीम द्वारा 2010 में 6 रैड डाली गई थी लेकिन 2011 में यह आंकड़ा कम होकर 4 पर और जनवरी 2012 से अक्तूबर तक सिर्फ 2 ही मामले विजीलैंस कार्यालय पहुंचे हैं। विजीलैंस के पास रिश्वतखोरी की कम हो रही शिकायतों से दो बातें साफ हो रही हैं। पहला यह कि लोग किसी पचड़े में पडऩे की बजाए चुपचाप रिश्वत देकर अपना काम निकलवाने में विश्वास रखते हैं और दूसरा यह कि रिश्वतखोरों ने विजीलैंस की टीम की आंखों में धूल झोंकने के लिए कोई नया रास्ता इख्तयार लिया है।

गवाह भी दे जाता ऐन वक्त पर धोखा

गवाह द्वारा कोर्ट में गवाही से मुकर जाने के कारण भ्रष्टाचार के आरोप में फंसे अधिकतर सरकारी कर्मचारी व अधिकारी बिना किसी परेशानी के भ्रष्टाचार के आरोप से मुक्त हो जाते हैं। क्योंकि कोर्ट की लंबी प्रक्रिया के दौरान आरोपी गवाह पर या तो सामाजिक दबाव बनवाकर गवाह को झुकने के लिए मजबूर कर देता या फिर पैसे का लालच देकर उसे तोड़ देता है। गवाह द्वारा ऐन वक्त पर गवाही से मुकरने के कारण कोर्ट में विजीलैंस की टीम की फजिहत होती है।

गवाही से मुकरने वालों के खिलाफ भी हो कार्रवाई

लोग भ्रष्टाचार के मामलों को सीरियस नहीं लेते हैं। विभाग द्वारा लोगों को जागरूक करने के लिए सभी सरकारी कार्यालयों के बाहर रिश्वत ने देने व रिश्वत मांगने वालों की शिकायत के लिए सूचना बोर्ड भी लगवाए गए  हैं। लेकिन इसके बाद भी लोगों में कोई जागरूकता नहीं आ रही है। अधिकतर मामलों में गवाह कोर्ट में मुकर जाते हैं और आरोपी आराम से कोर्ट से बरी हो जाता है। कोर्ट में गवाही से मुकरने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई करने का प्रावधान होना चाहिए।
देवीलाल, इंस्पैक्टर 
राज्य चौकसी ब्यूरो, जींद

किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने की कवायद


किसानों को 50 प्रतिशत सबसिडी पर दिया जाएगा लहसुन का बीज

जींद। बागवानी विभाग द्वारा किसानों को आर्थिक रूप से सुदृढ़ करने के लिए एक खास योजना तैयार की गई है। इस योजना के तहत विभाग किसानों को परम्परागत खेती से हटकर मसालेदार फसलों की खेती के लिए प्रेरित करेगा। विभाग द्वारा किसानों को मसालेदार फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत किसानों को सबसिडी पर बीज मुहैया करवाया जाएगा। योजना को अमल में लाने के लिए विभाग द्वारा जिले में 40 हैक्टेयर में उन्नत किस्म की लहसुन की फसल की बिजाई का टारगेट रखा गया है। इसके लिए विभाग द्वारा जिले के किसानों को 50 प्रतिशत सबसिडी पर लहसुन का बीज उपलब्ध करवाया जाएगा।
कम हो रही कृषि जोत व महंगाई के कारण खेती किसानों के लिए घाटे का सौदा बन रही है। इसके चलते किसान लगातार कर्ज के दलदल में धंसता जा रहा है। अब किसानों को इस दलदल से बाहर निकालने का बीड़ा बागवानी विभाग ने उठाया है। बागवानी विभाग ने किसानों को परम्परागत खेती से हटकर मसालेदार फसलों की खेती के लिए प्रेरित करने की योजना बनाई है। ताकि किसान परम्परागत खेती से आगे बढ़कर खेती को व्यवसाय के तौर पर अपनाकर आर्थिक रूप से मजबूत बन सकें। बागवानी विभाग द्वारा किसानों का रूझान मसालेदार फसलों की खेती की तरफ बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत किसानों को 50 प्रतिशत सबसिडी पर उन्नत किस्म का बीज मुहैया करवाया जाएगा। योजना को धरातल पर उतारने के लिए विभाग ने इस बार जिले में 40 हैक्टेयर में लहसून की फसल की बिजाई का टारगेट निर्धारित किया है। इसके लिए विभाग किसानों को 50 प्रतिशत सबसिडी पर लहसून का बीज उपलब्ध करवा रहा है। बीज पर सबसिडी देने के अलावा विभाग किसानों को फसल की बिजाई का खर्च भी वहन करेगा। विभाग द्वारा किसान को फसल की बिजाई का खर्च प्रति हैक्टेयर के अनुसार दिया जाएगा। इसमें विभाग द्वारा प्रति हैक्टेयर पर किसान को 5312 रुपए की राशि मुहैया करवाई जाएगी।

लहसुन के भावों में हो सकती है बढ़ोतरी

बागवानी विभाग के कार्यालय में बीज प्राप्त करते किसान। 
मंडी के जानकारों का मानना है कि इस बार लहसुन के भाव में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। पिछले 2 वर्षों से लहसून के भाव में गिरावट बनी हुई है और गिरावट के बाद फसल के भावों में उछाल आने के ज्यादा आसार रहते हैं।

इनपुट के लिए दी जाएगी आर्थिक सहायता 

विभाग ने किसानों को मसालेदार फसलों की खेती के लिए प्रेरित करने के लिए राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत 50 प्रतिशत सबसिडी पर लहसून का उन्नत बीज मुहैया करवाया जा रहा है। बीज के अलावा विभाग द्वारा लहसून की बिजाई के लिए किसान को आर्थिक सहायता भी दी जाएगी। ताकि किसान पर फसल की बिजाई के दौरान किसी प्रकार का आर्थिक बोझ न पड़े।
डा. बलजीत भ्यान
जिला बागवानी अधिकारी, जींद

बिना कीटनाशकों के भी अच्छी पैदावार ले रही हैं महिलाएं


जींद। ललीतखेड़ा गांव में बुधवार को पूनम मलिक के खेत पर महिला किसान खेत पाठशाला का आयोजन किया गया। महिलाओं ने पाठशाला में कीट सर्वेक्षण के बाद कीट बही खाता तैयार किया। पाठशाला के आरंभ में महिलाओं ने 6 ग्रुप बनाकर 10-0 पौधों पर कीटों का सर्वेक्षण किया। सर्वेक्षण के बाद महिलाओं ने जामुन के पेड़ के नीचे बैठकर चार्ट पर कीटों के आंकड़े तैयार किए। मास्टर ट्रेनर अंग्रेजो ने सर्वेक्षण के बाद तैयार किए गए आंकड़ों की तरफ  इशारा करते हुए बताया कि कपास के इस खेत में इस सप्ताह शाकाहारी कीटों की संख्या नामात्र है। इस सप्ताह फसल में लाल व काला बाणिया ही नजर आए हैं। ये कीट कपास के अंदर से बीज का रस चूसते हैं। सविता ने महिलाओं को बताया कि अब तक पाठशाला में आने वाली किसी भी महिला ने अपने खेत में एक बूंद भी जहर का छिड़काव नहीं किया है। उन्होंने बताया कि महिलाओं ने बिना किसी कीटनाशक का प्रयोग किए कपास की अच्छी पैदावार ली है। इन महिलाओं की पैदावार कीटनाशकों का प्रयोग करने वाले अन्य किसानों के बराबर ही खड़ी है। पूनम मलिक ने बताया कि जब बिना कीटनाशक के हमें अच्छी पैदावार मिल सकती है तो फिर हमें अपनी फसल में जहर के प्रयोग की जरूरत क्यों पड़ती है। सविता ने बताया कि अधिक कीटनाशकों के प्रयोग से पर्यावरण, जमीन व पानी दूषित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर फसलों में इसी तरह कीटनाशकों का प्रयोग होता रहा तो हमारी आने वाली पीढिय़ों के लिए बहुुत बड़ा खतरा पैदा हो जाएगा। सविता ने बताया कि हमें कीटनाशकों की तरफ ध्यान न देकर पौधों की पर्याप्त खुराक की तरफ ध्यान देना चाहिए। पौधों को अच्छी खुराक देकर ही अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है। महिलाओं ने बताया कि उनके लिए बड़ी खुशी की बात है कि उन्होंने अपनी मेहनत के बलबूते खुद का ज्ञान पैदा कर कीटनाशकों को धूल चटा दी है।
 खेत में कीट निरीक्षण के बाद बही खाता तैयार करती महिलाएं। 



Wednesday, 17 October 2012

अब स्कूल में अध्यापक व विद्यार्थी नहीं ला सकेंगे मोबाइल



अलेवा : महिलाओं पर बढ़ रहे उत्पीड़न के मामलों पर अंकुश लगाने के लिए बुधवार को नगूरा गांव के सभी वर्गो के लोग गाव की दोनो पंचायतों के सरपंच भरथू राम व राजेश शर्मा और निगरानी कमेटी के सदस्यों की अध्यक्षता में स्कूल मुखियाओं से मिले। उन्होंने इस मौके पर स्कूल मुखियाओं को सभी वर्गो के लोगों द्वारा लिया गया फैसला बताते हुए कहा कि सभी समुदायों के लोगों से विचार विर्मश के बाद सर्वसम्मति से निर्णय लिया है कि गाव के सभी स्कूलों में पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों व स्कूली अध्यापकों को मोबाईल रखने पर पाबंदी होगी। जिसपर पर सभी स्कूल स्टाफ और इक्को क्लब प्रधान राजबीर सिंह बिढ़ान ने पंचायत के इस निर्णय की प्रशंसा की और कहा कि पंचायत के साथ वह कंधा से कंधा मिलाकर चलेगें। स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थियों पर मोबाईल रखने पर पाबंदी लगने से महिलाओं पर होने वाले यौन उत्पीड़न के मामलों में कमी आएगी। इस मौके पर गांव के दोनो सरपंच राजेश शर्मा व भरथू राम तथा निगरानी कमेटी के सदस्यों की अध्यक्षता में गाव के सभी वर्गो के लोग दोनो स्कूलों के मुखियाओं से मिलकर गाव के सभी वर्गो के लोगों द्वारा लिए फैसले से अवगत करवाया। सरपंचों द्वारा कमेटी के साथ मिलकर दोनो स्कूलों के पि्रंसिपलों से कहा कि स्कूल में कार्यरत अध्यापकों पर भी क्लास रूम में मोबाईल लेकर आने पर पाबंदी का फैसला लागू होगा। सर्वसम्मति से फैसला लिया गया है कि गाव के सभी राजकीय स्कूलों के अलावा प्राईवेट स्कूलों में भी स्कूल लगने से छुट्टी होने तक मेन गेट बंद रहेगा। अगर स्कूल समय में किसी विद्यार्थी को कोई समस्या या बीमार आदि होने पर स्कूली अध्यापक इसकी सूचना विद्यार्थी के परिजनों को देगें। सरपंच भरथू राम ने बताया कि विद्यार्थी के परिजनों के आने के बाद ही स्कूल का गेट खोला जाएगा। अगर पंचायत द्वारा लिए गए फै सले का किसी विद्यार्थी या अध्यापक ने विरोध किया तो गाव की पंचायत उसके खिलाफ कड़ा फैसला ले सकती है।
 इस बारें में राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय नगूरां तथा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय नगूरां के मुखियाओं राजबाला तथा डॉ. भारतभूषण का पक्ष जाना गया तो उन्होंने बताया कि दोनो स्कूलों का स्टाफ पंचायत के फैसले का स्वागत करता है। दोनो प्रिंसिपलों ने बताया कि पंचायत के फैसले से पूर्व भी दोनो स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को स्कूल में मोबाइल लाने पर पाबंदी लगाई हुई है। अब स्कूल स्टाफ पर भी क्लास रूम में मोबाईल पर पंचायती फैसले के अनुसार पाबंदी लगा दी जाएगी। उन्होंने पंचायत से ऐसे मामलो पर अंकुश लगाने में सहयोग देने की बात कही है। इस मौके पर पंचायत में जोगिंद्र उर्फ लीली, धर्मपाल, जोगिंद्र झोरडा, शमशेर, प्रमोद सैन, कर्ण सिंह नंबरदार, पंच हवा सिंह, पंच सत्यनारायण, सतपाल, बलवान, युवा संगठन प्रधान मनोज झोरड़ा आदि मौजूद थे। 

स्टेज तक खींच लाया शौक और जनसमर्थन ने दिया हौंसला


दर्शकों की कमी के कारण स्टेज से मुहं मोडऩे लगे हैं रामलीला के कलाकार

जींद। शौक उन्हें स्टेज तक खींच लाया और जनसमर्थन ने दिया हौंसला लेकिन अब दर्शकों की कमी के कारण रामलीला के कलाकार रामलीला से मुहं मोडऩे लगे हैं। रामलीला के मंच पर खड़े कलाकारों के लिए मैदान में मौजूद दर्शकों की भीड़ ही एनर्जी का काम करती थी। मैदान में दर्शकों की संख्या जितनी ज्यादा होती थी कलाकार उतने ही अधिक हौंसले के साथ अपने किरदार का मंचन करते थे। मंचन के दौरान दर्शकों की तालियां व किलकारियां कलाकारों के लिए फास्ट रिलिफ का काम करती और कलाकार अपनी सारी थकान को भूलकर पूरी तरह से अपने अभिनय में खो जाते थे। दर्शकों की संख्या जितनी ज्यादा होती थी कार्यक्रम भी उतना ही ज्यादा लंबा होता चला जाता था और कलाकारों को पता ही नहीं चलता था कि कब रात बीती व कब सुबह हुई। लेकिन आधुनिकता के दौर में बढ़ते मनोरंजन के साधनों ने कलाकारों से उनकी यह संजीवनी छीन ली। बदलती मानसिकता व बढ़ते मनोरंजन के साधनों के कारण रामलीला से लोगों का मन हटने लगा। दर्शकों ने रामलीला से ऐसा मन मोड़ा कि कलाकारों के हौंसले जवाब दे गए और उनका शौक खत्म होता चला गया। बदलती मानसिका के कारण कलाकारों के हुनर का जादू भी दर्शकों को अपनी तरफ नहीं खींच पाया। इस प्रकार दर्शकों की बेरूखी के कारण कई-कई वर्षों से रामलीला के मंचन में लगे कलाकार भी थक हार कर स्टेज छोड़ने पर मजबूर हो गए।
श्री सनातन धर्म आदर्श रामलीला (किला) में फिलहाल रावण का किरदार निभाने वाले विक्की परूथी का कहना है कि वे पिछले 12 वर्षों से रामलीला में कलाकार की भूमिका निभा रहे हैं। इस दौरान वे मेघनाथ, परशुराम का किरदार निभा चुके हैं। उनके पिता जी रामलीला में सेवा करते थे और उन्ही से प्रेरित होकर वे भी रामलीला में आए। जिस समय उन्होंने रामलीला के मंच से पर कदम रखा उस वक्त दर्शकों की संख्या काफी ज्यादा होती थी। दर्शकों की संख्या के कारण ही उनका उत्साह बढ़ता था लेकिन बदलते परिवेश के कारण दर्शकों ने भी रामलीला से मुहं मोडऩा शुरू कर दिया। 

 राम की वेशभूषा में सजा विनय अरोड़ा का फाइल फोटो। 



विनय अरोड़ा ने बताया कि उसे 1985 में पहली बार रामलीला के मंच पर आने का अवसर मिला था। इस दौरान उसे रामलीला में सीता का किरदार निभाया था। विनय ने बताया कि उनके पिता जी अमृतलाल अरोड़ा रामलीला में राम का किरदार निभाते थे। अपने पिता जी के किरदार के कारण ही उनके अंदर भी रामलीला में मंचन का शोक पैदा हुआ। जिसके बाद उन्होंने लगातार 10-12 वर्षों तक रामलीला में राम, लक्ष्मण, सीता व अन्य कई प्रकार के किरदार किए। इसके अलावा उनकी फिल्मों में जाने की भी तीव्र इच्छा थी और जींद में रामलीला के अलावा दूसरा कोई प्लेटफार्म नहीं था। इसलिए भी उसने अपने हुनर को तरासने के लिए रामलीला को चूना था। लेकिन बाद में दर्शकों की विमुखता के कारण उनका मन भी इससे हटने लगा और उन्होंने 1998 के बाद से रामलीला के किरदार छोड़ कर स्टेज का कामकाज संभाल लिया। 
नीरज शर्मा ने बताया कि वह शहर के कठियाना मौहल्ले में रामलीला के आयोजन में अहम भूमिका निभाता था। रामलीला के डायरेक्टर की जिम्मेदारी संभालने के साथ-साथ रामलीला में राम, शत्रुघन, शंकर व अन्य छोटे किरदार निभाता था। जिस समय उन्होंने रामलीला के मंच पर पैर रखा था उस समय रामलीला देखने के लिए दर्शकों में काफी उत्साह होता था। दर्शकों के उत्साह के कारण ही उनका हौंसला बढ़ता था लेकिन बाद में रामलीला से दर्शकों का मन भरने के कारण उनका हौंसला भी जवाब दे गया। 
राम की वेशभूषा में सजे कलाकार नीरज शर्मा का फाइल फोटो। 
कपिल मिनोचा ने बताया कि उसने रामलीला के मंच पर जौकर के किरदार से शुरूआत की। जब उन्होंने पहली बार स्टेज पर कदम रखा तो दर्शकों की संख्या को देखकर उनके पैर कांपने लगे और वे बीच में ही मंच छोड़कर भाग गए। बाद में मुकेश उर्फ मुकरी ने उनका हौंसला बढ़ा कर उसके अंदर बैठे डर को बाहर निकाला। इसके बाद तो उन्होंने लगभग 13 वर्षों तक रामलीला में राम, खेवट, भरत सहित कई किरदार निभाए तथा दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। लेकिन दर्शकों की कमी के कारण ही उन्होंने रामलीला में किरदार छोड़कर स्टेज को संभालने में लग गए। 

सबसे मुश्किल होता है कॉमेडियन का किरदार

मंच पर हास्य कलाकार की भूमिका में मुकेश उर्फ मुकरी का फाइल फोटो। 


रामलीला के मंच पर लगभग चार दशकों तक दर्शकों का मनोरंजन कर दर्शकों के दिलों पर अपने हुनर की छाप छोडऩे वाले मुकेश उर्फ मुकरी का कहना है कि किसी भी कार्यक्रम में सबसे मुश्किल काम हास्य कलाकार का होता है। क्योंकि हास्य कलाकार के अलावा और जो भी किरदार होते हैं उन सभी के डायलॉग या संवाद पहले से ही लिखे होते हैं। लेकिन हास्य कलाकार को अपने डायलॉग स्वयं स्टेज पर खड़े होकर दर्शकों के चेहर को देखकर तैयार करने होते हैं। एक हाजिर जवाब कलाकार ही हास्य कलाकार की भूमिका निभा सकता है। मुकेश ने बताया कि जिस दिन रामलीला मैदान में दर्शकों की ज्यादा भीड़ होती उस दिन उतनी ही अच्छी कॉमेडी होती थी। दर्शकों के चेहर को देखकर उनके अंदर जोश भर जाता था लेकिन दर्शकों की बेरूखी ने ही उनसे उनका यह हुनर उनसे छीन लिया। 

खुद को पर्यावरण के लिए महिला वकील ने कर दिया समर्पित

अब तक लगवा चुकी 177 त्रिवेणी जींद। महिला एडवोकेट संतोष यादव ने खुद को पर्यावरण की हिफाजत के लिए समर्पित कर दिया है। वह जींद समेत अब तक...