Thursday, 29 November 2012

योग बचाता है घातक बीमारियों से : डॉ. जैन


जींद : नेहरू पार्क में पिछले कई दिनों से योग शिविर में लोगों की खासी भीड़ उमड़ रही है। शिविर में डॉ. इंदु जैन द्वारा लोगों को योग के लाभ बताए जा रहे हैं। महिलाओं की भागीदारी हर रोज बढ़ रही है। आज डॉ. इंदु जैन ने शिविर के दौरान महिलाओं को अनेक व्यायाम के लाभ बताए। नियमित प्राणायाम के अभ्यास से लोग घातक बीमारियों से बच सकते हैं। 
प्रत्येक व्यक्ति को हर रोज व्यायाम करना चाहिए, क्योंकि व्यायाम बेहद जरूरी है। जिस रफ्तार से विश्व लगातार तरक्की कर रही है, उसी तेजी से लोगों का व्यवहार भी उग्र होता जा रहा है। ऐसे में योग प्राणायाम का महत्व बढ़ जाता है। बिना व्यायाम के शरीर ऊर्जा हीन, ओजहीन, क्राति हीन व कमजोर पड़ जाता है। जबकि व्यायाम करने से दुबला कमजोर भी बलवान व सुंदर बन सकता है। योग से मन में एकाग्रता व शाति आती है। विश्व में शाति स्थापना में योग महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। योग से हर गंभीर बीमारी का इलाज संभव है, इसलिए हमें योग की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। 
योग करने से अस्थमा, मधुमेह, रक्तचाप, हृदयरोग, जोड़ों के रोग सहित अनेक रोगों में फायदा पहुंचता है। इसलिए हमें नियमित योग करना चाहिए। प्राणायाम के माध्यम से गुर्दे की पत्थरी का इलाज भी संभव है। इसके अलावा शरीर में हुई गाठें भी प्राणायाम के करने से घुल जाती है।
उन्होंने प्राणायाम के बारे में सरल एवं आसान शैली साधकों को बताई। हमारे शरीर में रोग आने के अनेक कारण है जिनमें हमारा आहार-विहार, विचार व व्यवहार में भी विकारता शामिल है। प्राणायाम से हमारी नाड़िया स्वस्थ होती है। साथ ही प्राकृतिक हवा हम ग्रहण करते हैं।

Monday, 26 November 2012

प्राथमिक चिकित्सा में बच्चे होंगे ट्रेंड


जींद
अब सरकारी स्कूलों के सभी बच्चों को रेडक्रास शिक्षा (प्राथमिक चिकित्सा) नहीं मिलेगी जबकि प्रत्येक सरकारी स्कूल से कुछ बच्चों का चयन किया जाएगा और उन्हें यह प्राथमिक चिकित्सा की प्रशिक्षण प्रदान की जाएंगे। इससे यह बच्चे स्कूल में किसी प्रकार की प्राथमिक चिकित्सा की जरूरत पड़ने पर मदद कर सकेंगे। रेडक्रॉस सोसायटी के जरिये प्राथमिक चिकित्सा की शिक्षा उनके वालेंटियर स्कूलों में जाकर प्रदान करेंगे।
अब तक शिक्षा विभाग द्वारा रेडक्रास सोसायटी के जरिये सरकारी स्कूलों में बच्चों को रेडक्रास शिक्षा (प्राथमिक चिकित्सा) प्रदान की जाती है। इसके तहत एक ही स्कूल में जाकर उसी स्कूल के लगभग सभी बच्चों को प्राथमिक चिकित्सा के बारे में जानकारी प्रदान कर दी जाती थी, जिसके चलते एक ही स्कूल के सभी बच्चे ट्रेंड हो जाते थे।
हर साल बच्चों को ट्रेंड करने के लिए लक्ष्य निर्धारित किए जाते थे, जोकि लगभग दो हजार बच्चों का होता था। इसके चलते मात्र 10 से 20 स्कूलों के बच्चे ही ट्रेंड हो पाते थे और बाकी सरकारी स्कूलों के बच्चे इस ट्रेनिंग से वंचित रह जाते थे। इसी के चलते अब शिक्षा विभाग व रेडक्रास सोसायटी ने सभी बच्चों को प्राथमिक चिकित्सा की शिक्षा देने की बजाय हर स्कूल से कुछ बच्चों को ही यह शिक्षा देने का निर्णय लिया है।
इसके तहत प्रत्येक स्कूल से अब 20-20 बच्चों के ग्रुप को यह शिक्षा प्रदान की जाएगी ताकि अधिक से अधिक स्कूल कवर हो जाएंगे। यदि किसी स्कूल में किसी घटना के दौरान प्राथमिक चिकित्सा की जरूरत पड़ती है तो यह बच्चे प्राथमिक चिकित्सा दे सकेंगे। इससे पूर्व जिन स्कूलों के बच्चों को यह ट्रेनिंग नहीं मिलती थी, उन्हें यह दिक्कतें आती थी।
क्या-क्या दिया जाता है प्रशिक्षण
इसके तहत किसी प्रकार की घटना होने पर प्राथमिक चिकित्सा प्रदान की जाती है। मुंह से सांस देना, घाव होने पर दवाई लगाना, बेंडिड लगाना, घाव को साफ करना, हड्डी आदि टूटने पर उसे प्राथमिक चिकित्सा देना आदि शामिल है। यह शिक्षा प्राइमरी से लेकर सीनियर सेकेंडरी स्कूलों तक के बच्चों को प्रदान की जाएगी।
अब प्रत्येक सरकारी स्कूल के कम से कम 20 बच्चों को प्राथमिक चिकित्सा की शिक्षा दी जाएगी। इससे पूर्व एक ही स्कूल के बच्चों को शिक्षा दी जाती थी, जिससे दूसरे सरकारी स्कूलों के बच्चे वंचित रह जाते थे। अब एक स्कूल के कुछ बच्चों का चयन किया जाएगा, जिससे अधिकतर स्कूलों को इसका फायदा मिलेगा।
वंदना गुप्ता, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी

Sunday, 25 November 2012

कपास की फसल के साथ होगी गेहूं की बिजाई


 जींद
कृषि विभाग इस बार प्रदेश में किसानों को कपास की खड़ी फसल के साथ ही गेहूं की बिजाई भी कराएगा। इसके लिए सभी जिलों में कपास की खड़ी फसल के साथ गेहूं की बिजाई कराने के लिए लक्ष्य निर्धारित कर दिए गए हैं। जींद जिले में भी अकेले 60 एकड़ में कपास की खड़ी फसल के साथ गेहूं की बिजाई कराई जाएगी।
कृषि विभाग ने गत वर्ष प्रदेश में कपास की फसल रबी सीजन के दौरान भी खड़ी होने से कपास के साथ ही गेहूं की फसल की बिजाई कराने का निर्णय लिया था। पिछले वर्ष यह योजना केवल ट्रायल के रूप में शुरू की गई थी और इसके अच्छे परिणाम कृषि विभाग के सामने आए थे। खड़ी कपास के साथ गेहूं की बिजाई करने में किसानों को किसी प्रकार की दिक्कतें नहीं आई थी।
यही नहीं यह तरीका पंजाब जैसे राज्य में काफी समय से आजमाया जा रहा है। इसे देखते हुए कृषि विभाग ने पिछले वर्ष बाकायदा ट्रायल के रूप में अपनाया था, लेकिन इस वर्ष कृषि विभाग ने इस योजना को मूर्त रूप प्रदान कर दिया है। प्रदेश के अधिकतर जिलों में खड़ी कपास की फसल के साथ गेहूं की बिजाई कराने का निर्णय लिया गया है। जींद में भी 60 एकड़ में कपास के साथ गेहूं की बिजाई कराई जाएगी।
इसके लिए जींद के जींद, जुलाना, नरवाना व उचाना ब्लाक को चुना गया है, जो 15-15 एकड़ में खड़ी कपास की फसल के साथ गेहूं की बिजाई कराई जाएगी। कृषि विभाग के अधिकारियों को उम्मीद है कि इसके परिणाम काफी बेहतर सामने आएंगे और एक साथ दो फसल को लेने में भी दिक्कतें भी नहीं आएंगी।
खड़ी कपास के साथ गेहूं की बिजाई का काम पिछले वर्ष ट्रायल के रूप में किया गया था, जोकि काफी सराहनीय रहा। अबकी बार इस योजना को मूर्त रूप दिया गया है और बाकायदा 60 एकड़ में खड़ी कपास के साथ गेहूं की बिजाई कराई जाएगी। इसके लिए जींद, जुलाना, नरवाना व उचाना ब्लॉक को चुना गया है।
डॉ. रामप्रताप सिहाग, कृषि उप निदेशक, जींद

दो करोड़ रुपये का चूना लगाकर कंपनी मालिक फरार


सफीदों : पानीपत की जेडब्ल्यूएस कंपनी की तर्ज पर स्थानीय खासर चौक पर स्थित एमपी ग्रुप नामक कंपनी ने क्षेत्र के सैकड़ों लोगों को लगभग दो करोड़ रुपये का चूना लगाकर पिछले तीन दिन से कंपनी के मालिक फरार हो गए।
ठगी का शिकार लोगों ने शनिवार को कंपनी के कार्यालय के सामने जमकर नारेबाजी की और अपना पैसा वसूलने के लिए घोटाला करने वाले कंपनी के मालिकों के खिलाफ पुलिस में शिकायत की गई। पुलिस ने इस मामले को कानूनी प्रक्रिया बताकर शिकायत दर्ज करने से मना कर दिया। ऐसे में ठगी का शिकार लोग अपने पैसे प्राप्त करने के लिए भटक रहे है।
लालच देकर बनाया शिकार
आधुनिक युग के परिचायक कंप्यूटर को जरिया बनाकर लोगों को चुना लगाने वाले लोगों ने क्षेत्र के लगभग 750 लोगों को दो करोड़ रूपये का चुना लगा दिया। इस संदर्भ में विरेन्द्र, सोनू, सुनील, सतीश खर्ब, अमीत सैनी, अमर, विजेंद्र, दीपक चौहान, संदीप चौपड़ा व पंकज ने बताया कि एमपी ग्रुप नामक कंपनी द्वारा लोगों को स्वरोजगार कर लाखों रूपये महीना कमाई करने के सपने दिखाए थे।
कंपनी ने पढ़े लिखे बेरोजगारों को अपना निशाना बनाया। कंपनी ने कंप्यूटर पर युवाओं को डाटा एंट्री के काम सहित एड पोस्टिग का कार्य दिया जाता था। जिसके लिए युवाओं को पखवाड़े में हिसाब कर मोटी रकम कमाने का लालच दिया गया।
यह कार्य करने के लिए इटरनेट पर आईडी न. दिया जाता, जिसके तहत कार्य का हिसाब किताब बनाया जाता और पैसे का बंटवारा करते थे। पिछले तीन दिन से एमपी ग्रुप के मालिकों ने अपने कार्यालय को ताला लगाकर अपने उपभोक्ताओं को चकमा दे गए। इस संदर्भ में पुलिस को भी शिकायत दी गई है।

Saturday, 24 November 2012

जनता क्या बदना चाहती है सत्ता या व्यवस्था?


जींद। जैसे-जैसे यूपीए सरकार के भ्रष्टाचार के मामले एक-एक करके पर्दे से बाहर आ रहै है, वैसे-वैसे ही राजनीति के गलियारों की हलचल भी बढ़ती जा रही हैं। देश में परिवर्तन के नाम की आंधी उठने लगी है। कहीं विपक्षी पाॢटयां सत्ता परिवर्तन की आवाज बुलंद कर रही हैं तो कहीं सामाजिक संगठन या अन्य दल पूरी व्यवस्था के परिवर्तन पर जोर दे रहे हैं। सत्तासीन सरकार के माथे पर भ्रष्टाचारी सरकार का लेबल चसपाकर देश में मध्यावर्ति चुनाव का माहौल तैयार किया जा रहा है। सत्ता परिवर्तन के लिए सभी राजनैतिक दल पूरे जोर-शोर से तैयारियों में जुटे हुए हैं। फिर से देश में रैलियों का दौर शुरू हो चुका है। टिकट के दावेदारों द्वारा अपनी ताकत का ऐहसास करवाने के लिए रैली में अधिक से अधिक भीड़ जुटाकर अपने आकाओं की नजरों में अपना कद बढ़ाने की पूरजोर कोशिश की जा रही है। राजनैतिक पार्टियों के बीच वाक युद्ध का दौर पूरे यौवन पर है। मंच रूपी रथ पर सवार होकर शब्द रूपी बाणों से नेता एक-दूसरे का सीना छलनी कर रहे हैं। अपने दाग को छुपाने के लिए दूसरों के दामन पर कीचड़ उछाला जा रहा है। राजनैतिक दल जनता-जर्नादन का समर्थन पाने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे हैं। रैलियों में प्रचार-प्रसार के नाम पर करोड़ों रुपया बर्बाद किया जा रहा है लेकिन रैली में जो पैसा खर्च हो रहा है उस तरफ किसी का ध्यान नहीं जाता है। कोई ये पुछने वाला नहीं है कि रैली में जो पैसा पानी की तरह बहाया जा रहा है आखिर वह किसका है, कहां से आया है और क्यों बर्बाद किया जा रहा है? ये इस देश का दुर्भाग्य कहें या उन सफेदपोश नेताओं का सौभाग्य जो जनता की आंखों पर स्वार्थ की पट्टी बांधकर बड़े आराम से अपना काम निकाल कर जनता के बीच से गायब हो जाते हैं और जनता को उस झूठे आश्वासन रूपी मायाजाल के पीछे छिपे इतने बड़े देश का अहित भी नजर नहीं आता। जनता भी इस बात को नहीं समझना चाहती है कि जिस कुर्सी के लिए इतना पैसा उस पर लुटाया जा रहा है आखिर वह वापिस भी तो उसे अपनी ही जेब से करना है। 
सुरशामुखी की तरह बढ़ रही महंगाई व आए दिन सरकार के मंत्रियों पर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण देश की जनता भी निराश हो चुकी है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि जब जनता किसी पार्टी की जनविरोधी नीतियों के कारण इस तरह से निराश हुई हो। ऐसा पहले भी कई बार हो चुका है लेकिन परिणाम क्या निकला जिस उम्मीद से सत्ता परिर्वतन कर दूसरे हाथों में देश की बागडोर सौंपी वह भी अपने वायदों पर खरे नहीं उतर पाए। उन्होंने भी सत्ता में आते ही जनता का चीरहरण शुरू कर दिया। इसी फेरबदल में अगर कुछ बदला तो वह था सिर्फ पार्टी का नाम व कुर्सी पर बैठने वाले नेता का चेहरा लेकिन विचार तो वही पहले वाले थे। यह खेल तो सदियों से चलता आ रहा है और तब तक चलता रहेगा जब तक इस देश की जनता जागृत नहीं होगी। व्यवस्था परिवर्तन के इस फेर में न जाने कितने भगत सिंह शहीद हो गए। भगत सिंह अंग्रेजों के खिलाफ नहीं थे वे तो उनकी व्यवस्था के खिलाफ थे। भगत सिंह  की लड़ाई केवल देश की आजादी के लिए नहीं थी। उनकी लड़ाई तो पूरी व्यवस्था के खिलाफ थी। उनकी लड़ाई तो मानव द्वारा मानव के शोषण के खिलाफ थी। वे साम्राज्यवाद की नहीं समाजवाद की स्थापना करना चाहते थे लेकिन जनता उनके विचारों की गहराइयों को नहीं समझ पाई और बिना जनता के सहयोग के नतीजा क्या निकला। गौरे अंग्रेज चले गए तो काले अंग्रेजों ने अपना शासन जमा लिया। गुलामी के उन 250 सालों में और आजादी के इन 65 सालों में क्या बदला है। पूरा का पूरा सिस्टम वही है जो अंग्रेजी हुकूमत में चलता था। आजादी के इन 65 सालों में अमीर व गरीब के बीच की खाई कम होने की बजाए ओर बढ़ी है। गरीब गरीब होता जा रहा है तथा अमीर ओर अमीर होता जा रहा है। आज देश में समाजवादी व्यवस्था नहीं पूंजीवाद व्यवस्था का बोलबाल है। इसका कारण है देश की जनता में चेतना न होना। अगर व्यवस्था परिवर्तन करना है तो सबसे पहले गरीब तबके को परिवर्तन की मशाल उठानी होगी, उसे खुद अपने अधिकारों के प्रति जागृत होना होगा। सत्ता में बैठे नेताओं से अपना हिसाब मांगना होगा। क्योंकि अमीर आदमी को तो सिस्टम के खिलाफ आवाज उठाने की जरूरत है नहीं, मध्यम वर्ग के पास इसके लिए फुर्सत नहीं है और गरीब वर्ग इसे बदलना नहीं चाहता है। अब इसका फैसला तो खुद जनता की अदालत को ही करना है कि वह क्या बदलना चाहती है सत्ता या व्यवस्था? 

बदलना होगा चुनावी सिस्टम। 

अगर इस देश में व्यवस्था परिवर्तन करना है तो सबसे पहले चुनाव के इस सिस्टम को ही बदलना होगा। चुनाव के इस सिस्टम को बदल कर ऐसा सिस्टम खड़ा करना होगा, जिसमें उम्मीदवार का व्यक्तिगत कोई खर्च न हो। अगर उम्मीदवार चुनाव प्रचार पर लाखों रुपए खर्च करेगा तो यह जाहिर है कि वह सत्ता में आने के बाद उन लाखों के बदले करोड़ों कमाएगा भी। इससे समाजवाद की नहीं पूंजीवाद की ही नींव रखी जाएगी। इसके बाद जरूरत है कठोर कानून प्रक्रिया की। अगर भ्रष्टाचार को रोकना है तो सबसे पहले भ्रष्टाचार में दोषी पाए जाने वाले के खिलाफ कानून में कठोर दंड व उसकी सारी संपत्ति को जब्त करने का प्रावधान होना भी अनिवार्य है। बिना कठोर कानून के भ्रष्टाचार रूपी राक्षस का खात्मा संभव नहीं है लेकिन यह तभी संभव है जब निचले तबके के लोग उठकर आगे आएंगे क्योंकि मौजूदा सत्तासीन लोग कठोर कानूनी कार्रवाई के पक्षधर कभी नहीं होंगे, क्योंकि वे जानते हैं कि अगर परिर्वतन की लहर उठी तो उसमें सबसे पहले वो खुद ही बह जाएंगे। 

...ताकि रबी की फसल के सीजन के दौरान न हो नकली बीज की बिजाई


नकली बीज व दवाइयों की बिक्री को रोकने के लिए कृषि विभाग ने चलाया अभियान

जींद। रबी की फसल की बिजाई के दौरान नकली बीज, खाद व दवाइयों की बिक्री को रोकने के लिए जिला कृषि विभाग ने कमर कस ली है। नकली बीज, खाद व दवाइयों की बिक्री को रोकने के लिए विभाग द्वारा सैंपङ्क्षलग के लिए विशेष अभियान चलाया गया है। इसके लिए विभाग द्वारा एस.डी.ओ. क्यू.सी.आई., ए.पी.पी.ओ. व प्रशासन के अधिकारियों के नेतृत्व में बीज व खाद की दुकानों पर जाकर सैंपल लिए जा रहे हैं। रबी की फसलों की बिजाई तक विभाग का यह अभियान जारी रहेगा। 
प्रदेश में रबी की फसल की बिजाई का सीजन जोरों पर है। इस दौरान नकली बीज, खाद व दवाइयों का बाजारा भी गर्म हो चुका है। नकली बीज, खाद व दवाइयों के विक्रेता किसानों को नकली बीज व दवाइयों की सप्लाई कर मोटा मुनाफा कमाने की फिराक में रहते हैं। किसानों को इसकी पहचान नहीं होने के कारण भोले-भाले किसान इनके चुंगल में आसानी से फंस जाते हैं। नकली बीजों की बिजाई के कारण किसानों की हजारों रुपए की फसल खराब हो जाती है और इससे किसानों को काफी आर्थिक नुक्सान उठाना पड़ता है लेकिन अब कृषि विभाग ने नकली बीज व दवाइयों के विक्रेताओं पर नकेल कसने के लिए विशेष अभियान शुरू किया है। इसके लिए विभाग के एस.डी.ओ., क्यू.सी.आई., ए.पी.पी.ओ. व जिला प्रशासन के अन्य अधिकारियों के नेतृत्व में बीज व खाद की दुकानों पर जाकर बीज व दवाइयों के नमूने लेकर जांच के लिए लैबोरेटरी में भेजे जा रहे हैं। अगर लैब से आई रिपोर्ट में किसी भी बीज व दवाइयों के सैंपलों की रिपोर्ट नकारात्मक आती है तो उसके खिलाफ विभाग द्वारा सख्त कार्रवाई की जाएगी। विभाग द्वारा शुरू किए गए इस अभियान का उद्देश्य रबी की फसल की बिजाई के दौरान नकली बीजों की बिक्री को रोकना है, ताकि  समय रहते किसानों को नकली बीज की बिजाई करने से रोक कर उन्हें आर्थिक नुक्सान उठाने से बचाया जा सके। 

रबी की फसलों की बिजाई खत्म होने तक चलेगा अभियान

विभाग द्वारा नकली बीज व दवाइयों की बिक्री को रोकने के लिए जो अभियान चलाया गया है वह रबी की फसलों की बिजाई पूरी होने तक चलेगा। ताकि नकली बीज व दवाइयां बेचने वालों पर पूरी तरह से नकेल कसकर उनके मनसूबों पर पानी फेर कर किसानों को आर्थिक नुक्सान उठाने से बचाया जा सके। 

फसल की बिजाई के दौरान अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में नकली बीज व दवाइयां बेचने वाले लोग सक्रीय हो जाते हैं। किसानों को इनके चुंगल से बचाने के लिए जिला कृषि उपनिदेशक के निर्देशानुसार बीज व खाद की दुकानों पर जाकर सैंपल लेने का अभियान शुरू किया गया है। इस अभियान के तहत पूरे जिले की सभी बीज व खाद की दुकानों पर जाकर सैंपल लिए जा रहे हैं।
अनिल नरवाल, ए.पी.पी.ओ. कृषि विभाग, जींद

पिछले वर्ष हुई गलती से सबक ले रहा है कृषि विभाग


गेहूं की पछेती बिजाई के बाद भी अच्छे उत्पादन के लिए विशेष किस्मों पर दिया जा रहा है जोर


जींद। पिछले वर्ष कपास की फसल की चुगाई का सीजन काफी लंबा चलने के कारण लेट हुई गेहूं की बिजाई से इस बार कृषि विभाग ने सबक लिया है। इस बार कृषि विभाग गेहूं की लेट बिजाई के बाद भी किसानों को अच्छी पैदावार दिलवाने के लिए विशेष किस्मों पर जोर दे रहा है। हालांकि कृषि विभाग गेहूं की बिजाई के अपने लक्ष्य से अभी भी दूर है। इसके अलावा विभाग द्वारा गेहूं की फसल को बीमारियों से बचाने के लिए किसानों को बीजोपचार के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है। 

पिछले वर्ष कपास की फसल की चुगाई का सीजन दिसंबर माह के अंतिम सप्ताह तक चला था। कपास का सीजन लंबा चलने के कारण गेहूं की बिजाई का कार्य काफी लेट हो गया था। इसके चलते कृषि विभाग के अधिकारियों को गेहूं की बिजाई के अपने टारगेट तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी थी। गेहूं की बिजाई लेट होने के कारण किसानों को भी पैदावार में काफी नुक्सान उठाना पड़ा था लेकिन इस बार कृषि विभाग ने अपनी पिछले वर्ष की गलती को सुधारने के लिए गेहूं की पछेती किस्मों की बिजाई पर जोर दिया है। इसके लिए विभाग द्वारा किसानों को गेहूं की इन स्पैशल किस्मों की बिजाई के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इस बार विभाग के अधिकारियों द्वारा गेहूं की 343 किस्मों की बजाए एच.डी. 2851 व 2894 किस्मों की बिजाई के लिए प्रेरित किया जा रहा है। विभाग के अधिकारियों का मानना है कि गेहूं की इन किस्मों की बिजाई लेट करने के बाद भी ये अच्छी पैदावार देती हैं। विभाग द्वारा गेहूं की इन स्पैशल किस्मों की बिजाई के लिए किसानों को प्रेरित करने का मुख्य उद्देश्य किसानों को गेहूं की पछेती बिजाई के बावजूद भी अच्छी पैदावार दिलवाकर आॢथक रूप से समृद्ध करना है। 

बीज उपचार के लिए भी किया जा रहा है प्रेरित

कृषि विभाग द्वारा गेहूं की फसल को बीमारियों से बचाने के लिए इस बार किसानों को बीजोपचार के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है। कृषि अधिकारियों का मानना है कि बीजोपचार के बाद गेहूं की बिजाई करने से फसल में करनल बंट व लूज समट जैसी बीमारियां आने की आशंका काफी कम हो जाती है। बीजोपचार की इस योजना को कारगर बनाने के लिए किसानों को बिजाई के लिए जो बीज दिया जा रहा है उसके साथ बीजोपचार के लिए दवाई के पाऊच दिए जा रहे हैं। इसके अलावा किसानों को पैदावार में बढ़ौतरी करने के लिए संतुलित खाद की सलाह भी दी जा रही है।

गेहूं की बिजाई के लिए  5 से 25 नवंबर तक है उपयुक्त समय 

कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा 25 अक्तूबर से 5 नवंबर तक गेहूं की बिजाई को अगेती तथा 5 नवंबर से 25 नवंबर तक के बीच के समय उपयुक्त माना गया है। इसके बाद 25 नवंबर से 15 दिसंबर तक की बिजाई के समय को विभाग के अधिकारी पछेती बिजाई मानते हैं। इसलिए इस बार विभाग द्वारा किसानों को 343 की बजाए एच.डी. 2851 व 2894 की बिजाई के लिए प्रेरित कर रहे हैं। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह बीज पछेती बिजाई होने पर भी अच्छी पैदावार देता है। 

1 लाख 5 हजार हैक्टेयर में हो चुकी है गेहूं की बिजाई

कृषि विभाग के अधिकारी सुनील ने बताया कि जींद जिले में रबी की फसलों की बिजाई का कुल क्षेत्र 2 लाख 40 हजार हैक्टेयर है। इसमें से अकेले 2 लाख 17 हजार हैक्टेयर में गेहूं की फसल की पैदावार होती है। बाकी बचे क्षेत्र में सरसों, हरे चारे व अन्य फसलों की पैदावार होती है। अभी तक विभाग द्वारा गेहूं के कुल रकबे में से 1 लाख 5 हजार हैक्टेयर के लगभग क्षेत्र में गेहूं की बिजाई तथा साढ़े 6 हजार हैक्टेयर में सरसों की बिजाई करवाई जा चुकी है। इस बार जिले में 343 की बजाए एच.डी. 2851 व 2894 की बिजाई ज्यादा हुई है। 

हर रोज रोडवेज को लाखों का चूना लगा रही प्राइवेट समितियों की बसें


निर्धारित रूटों पर नहीं चल रही हैं प्राइवेट समितियों की बसें

जींद। हरियाणा रोडवेज के अधिकारियों की अनदेखी विभाग को भारी पड़ रही है। हर रोज प्राइवेट समितियों की बसें विभाग को प्रति दिन लाखों रुपए का चूना लगा रही हैं। प्राइवेट बस चालक रोजाना नियमों को ठेंगा दिखाकर निर्धारित रूट से विपरित चल रहे हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों की यातायात व्यवस्था प्रभावित हो रही है। प्राइवेट बस चालकों द्वारा समय पर निर्धारित गांव में बस नहीं चलाने के कारण ग्रामीण क्षेत्र के यात्रियों व विद्यार्थियों को भारी परेशानियां उठानी पड़ रही हैं। रोडवेज व जिला परिवहन प्राधिकरण विभाग को बार-बार निजी बस चालकों के खिलाफ शिकायत मिलने के बावजूद भी अधिकारी इनके खिलाफ कार्रवाई करने की बजाए इन्हें अपनी मौन स्वीकृति दे रहे हैं।
हरियाणा रोडवेज बेड़े में बसों की कमी को देखते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर परिवहन सेवाएं मुहैया करवाने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के लिए परिवहन समितियों को परमिट अलाट किए गए थे। फिलहाल जिले में 48 निजी बसें चल रही हैं। लगभग इन सभी 48 बसों के रूट ग्रामीण क्षेत्रों में तय किए गए हैं लेकिन इनमें से लगभग कोई भी निजी बस चालक निर्धारित रूटों पर अपनी सेवाएं नहीं दे रहा है। निजी बस चालक ग्रामीण क्षेत्रों की  बजाए निमयों को ठेंगा दिखाकर सीधे रूटों पर बसों को दौड़ा रहे हैं। निजी बस चालकों की इस मनमर्जी के कारण हर रोज रोडवेज विभाग को लाखों रुपए का चूना तो लग ही रहा है साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में यातायात व्यवस्था प्रभावित हो रही है। इससे ग्रामीण क्षेत्र के यात्रियों व विद्यार्थियों को सबसे ज्यादा परेशानी उठानी पड़ रही है। रोडवेज विभाग व जिला परिवहन प्राधिकरण को बार-बार शिकायतें मिलने के बावजूद भी इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। इस तरफ से विभागीय अधिकारियों की मौन स्वीकृति इन निजी बस चालकों को खुलकर नियमों की धज्जियां उडाने की छूट दे रही है। 

बिना परमिशन के निजी बसों को बुकिंग पर लगाना नियमों के खिलाफ

जिला परिवहन प्राधिकरण के पास हर रोज ग्रामीण क्षेत्रों से शिकायत आ रही हैं कि उनके क्षेत्र में चलने वाली प्राइवेट बसों के चालक बस को बुकिंग पर चलाते हैं। इससे उनके गांव में यातायात व्यवस्था प्रभावित होती है। हरियाणा रोडवेज वर्कर्स यूनियन के राज्य उप प्रधान रामकुमार नैन ने बताया कि प्राइवेट बस चालकों को बुकिंग लेने से पहले परिवहन प्राधिकरण विभाग से परमिशन लेनी होती है लेकिन ज्यादातर बस चालक बिना परमिशन के ही बसों को बुकिंग पर ले जाते हैं जो सरासर नियमों के खिलाफ है। 

विभागीय अधिकारी नहीं कर रहे हैं कार्रवाई

हरियाणा रोडवेज वर्कर्स यूनियन के प्रधान ईश्वर तालू ने बताया कि कैथल से नरवाना रूट पर 4 गाडिय़ां अवैध रूप से चल रही हैं। इसके बारे में वे कई बार जिला प्राधिकरण अधिकारी को लिखित में शिकायत भी दे चुके हैं लेकिन इसके बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। तालू ने बताया कि इसके अलावा भी जिले में जितनी भी प्राइवेट बस चल रही हैं कोई भी अपने निर्धारित रूट पर नहीं चल रही है। प्रधान ने रोडवेज के महाप्रबंधक व जिला परिहवन प्राधिकरण अधिकारी पर आरोप लगाते हुए कहा कि दोनों अधिकारी पूरी तरह से भ्रष्टाचार में संलिप्त हैं। अधिकारियों की लापरवाही के कारण ही निजी बस चालक ओवर रूटों पर चल रहे हैं। बार-बार शिकायत मिलने के बावजूद भी निजी बस चालकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। ऊपर से सरकार  भी रोडवेज का निजीकरण करने पर तुली हुई है। 

यह है जुर्माने का प्रावधान

जिला परिवहन प्राधिकारण विभाग के नियमों के तहत पहली बार ओवर रूट पर बस पकड़े जाने पर 3500 रुपए, दूसरी बार पकड़े जाने पर 7 हजार व तीसरी बार पकड़े जाने पर 10 हजार रुपए के जुर्माने का प्रावधान है। इसके बाद भी अगर निजी बस चालक अपनी हरकतों से बाज नहीं आता है तो उसका परमिट भी रद्द किया जा सकता है। 

नियम तोडऩे वालों पर होगी कार्रवाई

हरियाणा रोडवेज के महाप्रबंधक राहुल जैन ने बताया कि बिना रुट की बसों को स्टैंड परिसर में नहीं आने दिया जाता। अन्य अवैध सवारी वाहनों पर समय-समय पर अभियान चला कर कार्रवाई की जाती है। इसके अलावा बगैर परमिट सड़क पर दौड़ रहे वाहनों पर कार्रवाई करने का अधिकार जिला परिवहन प्राधिकरण अधिकारी का होता है। इसके लिए बार-बार जिला परिवहन प्राधिकरण अधिकारी को लिखित में शिकायत भी दी जाती है। इस बारे में जिला परिवहन प्राधिकरण अधिकारी सतीश जैन से संपर्क साधा गया तो उनसे संपर्क नहीं हो पाया। 

निर्धारित रूट पर चल रही हैं बसें 

इस बारे में ढिगाना कोप्रेटिव सोसायटी के प्रधान हरपाल से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उनकी बस निर्धारित रूट पर चल रही है। उनके पास तो जींद से नरवाना का रूट मिला हुआ है। लगभग सभी बस चालक अपने निर्धारित रूटों पर चल रही हैं। बसों की बजाए क्रूजर व जीपें अवैध रूप से चल रही हैं। 

चने की खेती से मुहं मोड़ रहे जिले के किसान


साल-दर-साल सिकुड़ता जा रहा चने की खेती का रकबा



जींद। कृषि विभाग किसानों को तिलहन व दलहन फसलों के लिए प्रेरित करने के लिए चाहे कितने भी प्रयास क्यों न कर रहा हो लेकिन विभाग के लाख प्रयास के बावजूद भी किसान तिलहन व दलहन फसलों की तरफ रूख नहीं कर रहे हैं। तिलहन व दलहन फसलों का रकबा लगातार कम हो रहा है और गेहूं व धान की फसलों के रकबे में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। अगर पिछले 4 दशकों के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो साल-दर-साल चने की खेती का रकबा सिकुड़ रहा है। दलहन फसलों का यह आंकड़ा सिर के बल गिर है। फिलहाल जिले में चने की खेती का रकबा सिर्फ 500 हैक्टेयर के लगभग ही बचा है जबकि वर्ष 1967-68 के समय में जिले में अकेले चने की खेती का रकबा 1 लाख हैक्टेयर के लगभग था। 
कृषि विभाग किसानों को दलहन व तिलहन फसलों के प्रति प्रेरित करने के लिए हर वर्ष विशेष अभियान चलाकर लाखों रुपए खर्च करता है लेकिन विभाग के तमाम प्रयासों के बावजूद भी किसान तिलहन व दलहन फसलों को नहीं अपना रहे हैं। विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार जिले में दलहन फसलों में सबसे ज्यादा कमी चने की खेती के रकबे में हुई है। चने की खेती के रकबे में जहां कमी आई है वहीं गेहूं व धान की खेती के रकबे में बढ़ोतरी हुई है। जिले में इस समय कृषि योज्य जमीन का रकबा लगभग 2 लाख 40 हजार हैक्टेयर है। इसमें से रबी फसलों के सीजन में अकेले 2 लाख 17 हजार हैक्टेयर में गेहूं की फसल और साढ़े 6 हजार में सरसों की फसल होती है। इस समय जिले में सिर्फ 500 हैक्टेयर में ही चने की खेती होती है। बाकी बची जमीन में हरा चारा व अन्य फसलों की खेती होती है। इसके अलावा खरीफ के सीजन में 1 लाख 6 हजार हैक्टेयर के लगभग में धान की खेती होती है। इस प्रकार जिले में चने की खेती का रकबा लगातार कम हो रहा है। अब जिले के किसान फसल चक्र को बदलने की बजाए सिर्फ धान व गेहूं की खेती की तरफ ही आकॢषत हो रहे हैं। दलहन व तिलहन की खेती से किसानों का मोह भंग होने व फसल चक्र में बदलाव नहीं होने के कारण जमीन में जरूरी पोषक तत्वों की भी भारी कमी हो रही है। 

क्यों कम हो रहा है चने की खेती का रकबा

कृषि विभाग के अधिकारियों की मानें तो पहले फसलों की सिंचाई के लिए भूजल की बजाए बरसात व नहरी पानी पर ही ज्यादातर किसान आधारित होते थे। किसानों के पास भूमिगत जल के स्त्रोत भी नामात्र के ही होते थे। भू जल का दोहन कम होने के कारण भूजल चने की खेती के लिए उपयुक्त भी होता था। लेकिन अब सभी किसानों के पास सिंचाई के पर्याप्त साधन हैं। लगभग सभी किसानों के पास ट्यूबवैल की सुविधा है। सिंचाई के साधनों के बढऩे से भूजल का दोहन भी काफी बढऩे लगा और इससे भूमिगत पानी खराब होने लगा। भूमिगत जल खराब होने के कारण जमीन में नमक की मात्रा बढऩे लगी जो चने की खेती के लिए उपयुक्त नहीं है। इससे चने के उत्पादन में भारी कमी आई और चने की खेती से किसानों का मोह भंग होने लगा। अब गेहूं व धान की खेती के प्रति ही किसानों का रूझान बढ़ रहा है लेकिन फसल चक्र में बदलाव नहीं होने के कारण जमीन में जरूरी पोषकतत्वों की कमी भी हो रही है। 

नए किस्म के बीज किए जा रहे हैं तैयार

इस बारे में जब कृषि विभाग के जिला उपनिदेशक आर.पी. सिहाग से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा किसानों को तिलहन व दलहन फसलों की खेती के लिए प्रेरित किया जाता है। ज्यादातर किसान चने की फसल में ट्यूबवैल का पानी लगाते हैं लेकिन जमीनी पानी चने की खेती के लिए उपयुक्त नहीं है। जमीनी पानी में कुछ ऐसे साल्ट हैं जिन्हें चने की फसल सहन नहीं कर पाती। विभाग द्वारा चने की खेती करने वाले किसानों को ज्यादा से ज्यादा नहरी पानी लगाने के सुझाव दिए जाते हैं। इसके अलावा विभाग द्वारा किसानों को दलहन व तिलहन फसलों के प्रति किसानों को प्रेरित करने के लिए अनुदान पर बीज भी मुहैया करवाया जाता है। दलहन व तिलहन फसलों की कम हो रही जोत के प्रति विभाग ङ्क्षचतित है। इसलिए ऐसे बीज तैयार किए जा रहे हैं जो जमीनी पानी के साल्ट को सहन कर सकें। 

वर्ष चने की पैदावार हैक्टेयर में 

1966-67 85 हजार
1967-68 1 लाख 1 हजार
1968-69 99 हजार
1969-70 98 हजार
1970-71 95 हजार
1971-72 96 हजार
1972-73 90 हजार
1973-74 88 हजार
1974-75 76 हजार
1975-76 70 हजार
1976-77 65 हजार
1977-78 63 हजार
1978-79 65 हजार
1979-80 65 हजार
1980-81 81 हजार
1981-82 85 हजार
1982-83 32 हजार
1983-84 44 हजार
1984-85 49 हजार
1985-86 37 हजार
1986-87 9 हजार
1987-88 38 हजार
1988-89 28 हजार
1989-90 31 हजार
1990-91 10 हजार
1991-92 8 हजार
1992-93 14 हजार
1993-94 14 हजार
1994-95 12 हजार
1995-96 11 हजार
1996-97 10 हजार
1997-98 7 हजार 
1998-99 2 हजार 
1999-2000 1 हजार
2000 के बाद यह आंकड़ा कम होकर 500 हैक्टेयर के लगभग रह गया। 

Friday, 23 November 2012

कुलदीप ढांडा इंदिरा गांधी समरसता राष्ट्रीय अवार्ड से सम्मानित


 जींद : समाजसेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यो को करने के लिए बराह कलां बाहरा के प्रधान एवं सर्वखाप पंचायत हरियाणा के संयोजक कुलदीप सिंह ढांडा को इंदिरा गांधी समरसता राष्ट्रीय अवार्ड 2012 से सम्मानित किया गया है। नई दिल्ली स्थित सर्वोच्च न्यायालय के सामने कृष्णा मेनन भवन के सभागार में 19 नवंबर को स्व. इंदिरा गांधी की जयंती के अवसर पर आयोजित समारोह में कुलदीप ढांडा को एक गोल्ड मेडल, पगड़ी, सरोपा तथा प्रशस्ति पत्र सीबीआइ के पूर्व निदेशक जोगेंद्र सिंह द्वारा नवाजा गया। समारोह में जोगेंद्र सिंह के अलावा पूर्व चुनाव आयुक्त भारत सरकार जीवीजी कृष्णामूर्ति, ब्रिगेडियर बीपीएस लांबा, महावीर प्रसाद टोरडी व डॉ. कृष्णबीर चौधरी प्रधान भारतीय कृषक समाज नई दिल्ली आदि मौजूद थे। कुलदीप सिंह ढांडा को उक्त सम्मान मिलने पर बराह कलां बाहरा जींद व सर्व खाप पंचायत हरियाणा के लिए एक विशेष उपलब्धि बताया है। ढांडा को सम्मान मिलने पर जाट धर्मार्थ सभा जींद के प्रधान रामचंद्र, प्रगतिशील किसान क्लब के वरिष्ठ उपप्रधान राजबीर कटारिया, कोषाध्यक्ष कर्मबीर यादव, दलीप चहल, संरक्षक चहल खाप, सत्यवान ढांडा, रामचंद्र, भीरा, रामफल देसवाल, सहीराम देसवाल, सूबे सिंह कटारिया, ओमप्रकाश, रमेश, सूबे सिंह, सतबीर, टेकराम कंडेला, इंद्र सिंह ढुल ने खुशी जाहिर की है। समारोह में ढांडा के साथ गए राजबीर कटारिया, दलीप सिंह चहल तथा सत्यवान ढांडा ने बताया कि कुलदीप ढांडा को जींद जिले में एक गरीब लड़की की शादी करने व एक गरीब होशियार विद्यार्थी को वजीफा देने के लिए भी संस्था ने अधिकृत किया है। 
जेनेवा जाने वाले शिष्टमंडल में शामिल हुए ढांडा
कुलदीप ढांडा को राष्ट्र संघ (यूएनओ) में भारत को विटो पावर के साथ स्थायी सदस्यता दिलाने के लिए जेनेवा जाने वाले शिष्टमंडल में शामिल किया गया है। इसके पूर्व जल्द ही यह शिष्टमंडल नेपाल, भूटान, चीन, बंगलादेश व इटली का दौरा करेंगे।

Thursday, 22 November 2012

नृत्य में छाप छोड़ रही मेधा विनायक


 नरवाना : यदि आप कोई कार्यक्रम देख रहे है और उसमें मेधा विनायक का नृत्य चल रहा है तो आप उस नृत्य को बीच में छोड़ कर नहीं जा पा पाऐंगे, बल्कि उस मन मोहक नृत्य में पूरी तरह खो जाएंगे। ऐसा नृत्य करती है महाराष्ट्र के पुणे की नृत्यागना मेधा विनायक। वह नृत्य के क्षेत्र में एक विशेष मुकाम हासिल करना चाहती है। नरवाना में एक कार्यक्रम में नृत्य के लिए आई मेधा विनायक ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही। पुणे की मेधा विनायक ने नृत्य की शिक्षा अपने गुरू दिल्ली के स्व. पंडित तीर्थराम आजाद व पंडित बिरजू महाराज व पुणे के रोशन दाते से ग्रहण की और वे नृत्य के कई कार्यक्रमों में भाग लेकर कई उपलब्धिया व पुरस्कार प्राप्त कर चुकी है।
पिछले 11 वर्षो से कत्थक, लोक नृत्य, पाश्चातय नृत्य का ज्ञान अर्जित कर नृत्य कार्यशालाएं भी आयोजित करती है। यहीं नहीं मेधा विनायक पिछले 10 वर्षो से उत्सव ललित कला शिक्षण सेवा संस्था, शिरपुर की निदेशक एवं प्रशिक्षक के रूप में कार्य कर रही है। उन्होंने राष्ट्र कथक नृत्य प्रतियोगिता में भी पुरस्कार प्राप्त किया था। मथुरा संग्रहालय द्वारा आयोजित नृत्य कला प्रदर्शन कार्यक्रम में उन्होंने कृष्ण की भूमिका में नृत्य प्रस्तुत कर प्रथम स्थान प्राप्त किया। बंबई में 15 दिवसीय कथक नृत्य कार्यशाला जो नेहरू सेंटर बरली ने आयोजित की। उसमें पं. बिरजू महाराज एवं पं. शास्वती सेन से प्रशिक्षण प्राप्त वहा नृत्य की अद्भूत कला का प्रदर्शन किया। मेधा विनायक राजस्थानी, बृज, मराठी, कथक नृत्यों को केवल खुद ही नहीं करती बल्कि उसका प्रशिक्षण देने का कार्य भी करती है।
उत्तर महाराष्ट्र विद्यापीठ, जलगाव द्वारा आयोजित युवक महोत्सव-2006 में नृत्य प्रतियोगिता में न केवल रजत पदक प्राप्त किया बल्कि अगले वर्ष भी इस प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक प्राप्त किया। महाराष्ट्र की राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में राजस्थानी नृत्य भवई प्रस्तुत कर मेधा विनायक ने प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया। मेधा ने बताया कि वे मनीषा कोईराला व गोविंदा की हिंदी फिल्म महाराजा में बाल कलाकार के रूप में गोविंदा की बहन का रोल भी कर चुकी है। वे विज्ञान स्नातक है और कंप्यूटर परीक्षा एमएससी आईटी विशेष योग्यता में उत्तीर्ण की हुई है और एनीमेशन में भी डिप्लोमा प्राप्त कर रखा है। कथक एवं गायन में विशारद की शिक्षा ग्रहण की है और अंग्रेजी, हिंदी, मराठी व बृज भाषा का उन्हे ज्ञान है। वह महाराष्ट्र में तो अपनी पहचान बनाने में सफल रही है, लेकिन वह देश के अन्य हिस्सों में भी अपनी कला के क्षेत्र में नाम कमाना चाहती है।

पति सहित चार के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज

जुलाना : दहेज की माग पूरी न करने पर विवाहिता के साथ मारपीट कर घर से निकालने पर पुलिस ने नीलम की शिकायत पर पति सुरेश, सास सुनेहरी, ससुर अजीत, चाची सास भतेरी देवी के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी। पुलिस मामले की जांच कर रही है। जुलाना निवासी नीलम ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि उसकी शादी 3 अप्रैल 2005 को हिसार के बडाला निवासी सुरेश के साथ हुई थी। शादी के कुछ समय बाद ही ससुरालजन उसे दहेज के लिए तंग करने लगे। मांग पूरी न होने पर ससुरालजनों ने उसके साथ मारपीट कर घर से निकाल दिया और वापस लौटने पर जान से मारने की धमकी दी।

कॉलेज की लैबों से कीमती उपकरण चोरी


 जींद : प्रियदर्शनी इंदिरा गाधी महिला महाविद्यालय की दो लैबों से लगभग दो लाख रुपये कीमत के कंप्यूटर उपकरण चोरी हो गए जबकि दोनों लैबों के दरवाजे तथा खिड़किया व उन पर लगे ताले सब ठीकठाक है। पुलिस ने कॉलेज प्राचार्य की शिकायत पर चोरी का मामला दर्ज किया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। इंदिरा गाधी महिला महाविद्यालय की कॉर्मस लैब तथा लैंग्वेज लैब से लाखों रुपये कीमत के कंप्यूटर उपकरण चोरी हो गए। लगभग डेढ़ महीने से बंद दोनों लैबों के ताले तथा खिड़किया सब कुछ ठीक है। कीमती उपकरण चोरी कैसे हुए इसका रहस्य बना हुआ है। दोनों लैबों से कीमती उपकरण चोरी होने का उस समय पता चला जब कंप्यूटर लैबों को सफाई के लिए खोला गया। लैबों में रखे कंप्यूटरों के ढाचे सही सलामत थे जबकि उपकरण गायब थे। साथ यह भी आशका जताई जा रही है कि उपकरणों की चोरी काफी पहले हुई है। नई इमारत में कॉलेज शिफ्ट होने से पूर्व महिला कॉलेज राजकीय महाविद्यालय की इमारत में चलता था। वहीं से लगभग डेढ़ माह पूर्व सामान को उठाकर नई इमारत में शिफ्ट किया गया था। उसके बाद कंप्यूटरों को नवनिर्मित इमारत की लैबों में रख दिया गया, जिसकी बाद में कोई सुध नहीं ली गई। आशका जताई जा रही है कि लैब का सामान बदलते समय या फिर पुरानी इमारत से ही कंप्यूटर उपकरणों की चोरी हुई है। कॉलेज प्राचार्य एसके आहुजा ने कंप्यूटर उपकरण चोरी के मामले की पुलिस को शिकायत दे दी है। 
कॉलेज कमेटी ने भी की जांच
इस मामले की पूरी जांच कॉलेज की कमेटी ने भी की, लेकिन उनके हाथ भी कुछ नहीं लगा। कमेटी ने भी अज्ञात लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही है। हालांकि जिस प्रकार से सामान चोरी हुआ है, उससे सीधा शक कॉलेज के ही किसी जानकार पर जा रहा है।

फोन पर बात कर रहे युवक का मोबाइल छीना

 जींद : सफीदों रोड स्थित हीरा पैट्रोल पंप के पास मोबाइल छीनकर भाग रहे युवक को राहगीरों ने पकड़ लिया और धुनाई करके पुलिस के हवाले कर दिया। पुलिस ने दीपक की शिकायत पर सुरेद्र के खिलाफ मामला दर्ज कर गिरफ्तार कर पूछताछ शुरू कर दी है। निडाना निवासी दीपक सफीदों रोड हीरा पेट्रोल पंप के पास फोन पर बातचीत करता जा रहा था। उसी दौरान एक युवक ने झपटा मारकर उसका मोबाइल छीन लिया। दीपक द्वारा शोर मचाए जाने पर राहगीरों ने भाग रहे युवक का पीछा कर उसे धर दबोचा और जमकर धुनाई की। घटना की सूचना पाकर पुलिस मौके पर पहुच गई और युवक को हिरासत में ले लिया। पुलिस पूछताछ में युवक की पहचान अर्बन एस्टेट निवासी सुरेद्र के रूप में हुई। तलाशी के दौरान सुरेद्र के कब्जे से छीना गया मोबाइल बरामद हुआ।

फोन पर बात कर रहे युवक का मोबाइल छीना

 जींद : सफीदों रोड स्थित हीरा पैट्रोल पंप के पास मोबाइल छीनकर भाग रहे युवक को राहगीरों ने पकड़ लिया और धुनाई करके पुलिस के हवाले कर दिया। पुलिस ने दीपक की शिकायत पर सुरेद्र के खिलाफ मामला दर्ज कर गिरफ्तार कर पूछताछ शुरू कर दी है। निडाना निवासी दीपक सफीदों रोड हीरा पेट्रोल पंप के पास फोन पर बातचीत करता जा रहा था। उसी दौरान एक युवक ने झपटा मारकर उसका मोबाइल छीन लिया। दीपक द्वारा शोर मचाए जाने पर राहगीरों ने भाग रहे युवक का पीछा कर उसे धर दबोचा और जमकर धुनाई की। घटना की सूचना पाकर पुलिस मौके पर पहुच गई और युवक को हिरासत में ले लिया। पुलिस पूछताछ में युवक की पहचान अर्बन एस्टेट निवासी सुरेद्र के रूप में हुई। तलाशी के दौरान सुरेद्र के कब्जे से छीना गया मोबाइल बरामद हुआ।


Tuesday, 20 November 2012

महिला पाठशाला की मानीटरिंग के लिए ललीतखेड़ा पहुंची कृषि विभाग के अधिकारियों की टीम


कहा: अगले वर्ष प्रदेश स्तर से शुरू होगी जहर से मुक्ति दिलवाने की मुहिम

जींद। कृषि विभाग की आत्मा स्कीम के तहत ललीतखेड़ा गांव में चल रही प्रदेश की एकमात्र महिला पाठशाला की निगरानी व पर्यवेक्षण के लिए शनिवार को कृषि मंत्रालय से अवर सचिव आर.एस. वर्मा तथा कृषि विस्तार प्रबंधन राष्ट्रीय संस्थान हैदराबाद की उप निदेशक डा. लक्ष्मी मूर्ति ललीतखेड़ा पहुंची। पाठशाला की मानिटङ्क्षरग के लिए पहुंचे दोनों अधिकारी पाठशाला की महिलाओं व मास्टर ट्रेनरों से रू-ब-रू हुए। महिलाओं की उपलब्धियों को देखते हुए विभागीय अधिकारियों ने महिलाओं व मास्टर ट्रेनरों की पीठ थपथपाई, वहीं पाठशाला की महिलाएं भी विभागीय अधिकारियों को अपने बीच पाकर गदगद थी। इस अवसर पर उनके साथ उपमंडल अधिकारी सुरेंद्र मलिक, खंड कृषि विकास अधिकारी डा. जे.पी. शर्मा, डा. सुरेंद्र दलाल व विषय विशेषज्ञ दीपिका भनवाला भी मौजूद थी। 
अधिकारियों को जानकारी देते ललीतखेड़ा की महिलाएं।

 महिलाओं से बातचीत करते विभागीय अधिकारी। 
महिला किसान मिनी, सविता, अंग्रेजो, यशवंती, सविता, शीला ने विभागीय अधिकारियों को पाठशाला के दौरान खोजे गए 119 मासाहारी व 43 शाकाहारी कीटों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। महिला किसानों ने बताया कि किसानों को बीमारी व कीटों के बीच के अंतर के बारे में जानकारी नहीं है। किसान पथभ्रष्ट होकर कीटनाशकों के माध्यम से कीटों को नियंत्रण करना चाहते हैं। महिलाओं ने बताया कि 'कीट नियंत्रणाय कीटा हि: अस्त्रामोघा' अर्थात कीट ही कीटों को नियंत्रण करने में सहायक हैं। कीटों को नियंत्रण करने के लिए कीटनाशकों की आश्यकता नहीं है। अनिता मलिक ने बताया कि उसने अपनी 7 कनाल जमीन पर बिना कीटनाशक का प्रयोग किए धान की 1121 किस्म की 40 मण की पैदावार ली है। महिलाओं ने बताया कि आज कोई भी किसान यह मानने को तैयार नहीं है कि बिना कीटनाशकों के भी खेती हो सकती है लेकिन पाठशाला में आने वाली अन्य महिलाओं ने ऐसे किसानों के इस सवाल का जवाब प्रमाण के साथ दिया है। उन्होंने इस बार बिना कीटनाशकों के कपास व धान की अच्छी पैदावार ली है। महिलाओं ने बताया कि कृषि विभाग द्वारा सिर्फ 6 सत्र के लिए पाठशाला चलाने की योजना थी लेकिन यहां की महिलाओं ने विभाग पर बिना कोई अतिरिक्त बोझ डाले कपास की फसल के पूरे सीजन इस पाठशाला को चलाया है। विभागीय अधिकारियों ने महिलाओं की उपलब्धियों को देखते हुए उनकी इस मुहिम को अगले वर्ष प्रदेश स्तर पर चलाकर पूरे प्रदेश में फैलाने का आश्वासन दिया, ताकि प्रदेश के अन्य किसान भी जहर से मुक्ति पा सकें। इस अवसर पर उनके साथ मास्टर ट्रेनर रणबीर मलिक व मनबीर रेढ़ू भी मौजूद थे। 

अधिक उत्पादन के लिए खेत में पौधों की पर्याप्त संख्या व सिंचाई के लिए नहरी पानी जरूरी

सविता ने विभागीय अधिकारियों को बताया कि आज किसान पथभ्रष्ट होकर अधिक उत्पादन की चाह में अंधाधुंध कीटनाशकों का प्रयोग कर रहा है। इससे हमारा खान-पान व पर्यावरण दूषित हो रहा है। उन्होंने बताया कि अच्छे उत्पादन के लिए खेत में पौधों की पर्याप्त संख्या के साथ-साथ ङ्क्षसचाई के लिए नहरी पानी की अहम भूमिका होती है। सविता ने बताया कि ललीतखेड़ा व आस-पास के गांवों का भूमिगत पानी खेती के योज्य नहीं है और यहां के किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त नहरी पानी नहीं मिल पाता है। नहरों में थोड़ा बहुत जो पानी आता है वह चोरी हो जाता है। ऐसे में सीमांत व छोटे किसानों के लिए विकराल समस्या पैदा हो चुकी है।  

प्रतिबंध दवाइयां बेचने वाले मैडीकल स्टोर संचालकों के खिलाफ विभाग ने खोला मोर्चा


एक दर्जन से ज्यादा लाइसैंस किए रद्द 
जींद। ड्रग कंट्रोल विभाग ने जिले में नशे के खिलाफ विशेष मुहिम छेड़ी है। विभाग द्वारा इस मुहिम के तहत मैडीकल स्टोरों पर प्रतिबंधित दवाइयां बेचते हुए पकड़े जाने वाले स्टोर संचालकों के लाइसैंस रद्द किए जा रहे हैं। विभाग ने इस कड़ी के तहत अभी तक एक दर्जन से ज्यादा मैडीकल स्टोर संचालकों के लाइसैंस रद्द कर उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की है। इसके अलावा विभाग द्वारा झोला छाप डाक्टरों पर भी शिकंजा कसा है।
मैडीकल स्टोरों पर नशीली व प्रतिबंधित दवाइयां बेचने वाले मैडीकल स्टोर संचालकों को सबक सिखाने के लिए ड्रग कंट्रोल विभाग द्वारा सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। विभाग द्वारा शुरू की गई इस मुहिम का मुख्य उद्देश्य नशीली दवाइयों की बिक्री पर रोक लगाकर जिले को नशा मुक्त बनाना है। जिला कंट्रोल विभाग द्वारा सीनियर ड्रग कंट्रोल अधिकारी परङ्क्षजद्र ङ्क्षसह के निर्देशानुसार यह अभियान चलाया गया है। विभागीय अधिकारियों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार अभी तक विभाग ने अपने इस अभियान के तहत मैडीकल स्टोर पर नशील दवाइयां बेचते पाए जाने पर 12 से अधिक मैडीकल स्टोरों के लाइसैंस रद्द किए हैं। लाइसैंस रद्द करने के अलावा कई मैडीकल स्टोर संचालकों के खिलाफ तो अधिकारियों ने विभागीय कार्रवाई भी की है। इसके अलावा शहर के गोहाना रोड पर स्थित 2 मैडीकल स्टोर संचालकों के खिलाफ लगातार मिल रही शिकायतों के आधार पर दोनों मैडीकल स्टोरों को बंद करवा दिया है।

झोला छाप डाक्टरों पर भी कसा शिकंजा

ड्रग कंट्रोल विभाग ने जिले में झोला छाप डाक्टरों पर भी अपना शिकंजा कसना शुरू किया है। इसके लिए विभाग द्वारा टीम तैयार कर समय-समय पर ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा किया जा रहा है। विभाग द्वारा इस मुहिम के तहत रामराये गांव में पकड़े गए एक झोला छाप डाक्टर के खिलाफ ड्रग एक्ट 27 के तहत मामला दर्ज किया गया है। विभाग द्वारा शुरू की गई इस मुहिम से झोला छाप डाक्टरों में हड़कंप मचा हुआ है।

विभाग द्वारा मैडीकल स्टोरों पर प्रतिबंधित व नशीली दवाइयां बेचने वाले स्टोर संचालकों पर नकेल कसने के लिए यह अभियान चलाया गया है। कई मैडीकल स्टोर संचालक स्टोर की आड़ में अपना नशीली दवाइयों का कारोबार चला रहे थे। इसके अलावा विभाग द्वारा लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ करने वाले झोला छाप डाक्टरों पर भी शिकंजा कसा जा रहा है। नियमों की उल्लंघना करने वालों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी की जा रही है।
डा. सुरेश चौधरी
जिला ड्रग कंट्रोल अधिकारी

चली आओ म्हारे देश 'लाडो'


गर्भ में मारी गई अजन्मी कन्याओं की आत्मा की शांति के लिए हवन में आहुति डालकर दिलवाते हैं शपथ 
जींद। कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए लोगों को जागरूक करने के अलावा जिले के युवाओं द्वारा एक अनोखी मुहिम शुरू की गई है। 'बेटी बचाओ सृष्टि बचाओ अभियान' के तहत युवाओं द्वारा लोगों को कन्या भ्रूण हत्या नहीं करवाने के लिए जागरूक करने के लिए जागरूकता रैली निकाली जाती है। रैली के समापन पर गर्भ में मारी गई अजन्मी कन्याओं की आत्मा की शांति के लिए लोगों से हवन में आहुति डलवाकर उन्हें कन्या भ्रूण हत्या नहीं करवाने की शपथ दिलवाई जाती है। इस मुहिम की खास बात यह है कि अधिक से अधिक लोगों को इस मुहिम से जोडऩे के लिए इसमें किसी व्यक्ति विशेष का प्रचार नहीं कर 'आप और हम' के स्लोगन के साथ इसे आगे बढ़ाया जा रहा है। जींद जिले में इस अभियान को सफल बनाने के बाद इनका अगला टारगेट प्रदेश स्तर पर इस अभियान को चलाकर पूरे प्रदेश में अपनी टीमें तैयार करना है।  
 शहर में रैली निकाल कर लोगों का जागरूक करते युवा
'लाडो' को बचाने के लिए जिले में पिछले काफी समय से मुहिम चली हुई है। भिन्न-भिन्न सामाजिक संगठनों व संस्थाओं द्वारा कार्यक्रमों का आयोजन कर भ्रूण हत्या को रोकने के लिए लोगों को जागरूक करने का काम किया जा रहा है। कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा तो कन्या भ्रूण हत्या की इस मुहिम को कारगर बनाने के लिए सोशल साइटों को भी हथियार बनाया गया है लेकिन इन कार्यक्रमों में कहीं न कहीं किसी व्यक्ति विशेष का नाम जुड़ा होने के कारण लोग इस सामाजिक कार्य को भी उस व्यक्ति के पर्सनल हित के साथ जोड़कर देखते हैं। अजन्मी कन्या को बचाने की इस मुहिम में लोगों को व्यक्तिगत हित नजर आने के कारण लक्ष्य से इनका निशाना चुक जाता है। लेकिन अब जिले के युवाओं ने लाडो को बचाने की इस मुहिम को अपने लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए अलग रास्ता अपनाया है। इसके लिए जिले में 'बेटी बचाओ सृष्टि बचाओ अभियान' चलाया गया है। इस अभियान से जुड़े युवाओं द्वारा किसी व्यक्ति विशेष को महत्व न देकर 'आप और हम' के स्लोगन के साथ इस मुहिम को आगे बढ़ाया जा रहा है। इस अभियान के तहत कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए गांवों, कस्बों व शहरों में लोगों से संपर्क साधा जा रहा है। लोगों को जागरूक करने के लिए पहले तो जागरूकता रैली निकाली जाती है और रैली के समापन के बाद गर्भ में मारी गई कन्याओं की आत्मा की शांति के लिए हवन का आयोजन किया जाता है। हवन में लोगों से आहुति डलवाकर उन्हें कन्या भ्रूण हत्या नहीं करवाने की शपथ दिलवाई जाती है। इस अभियान से जुड़े युवाओं का मानना है कि उनका उद्देश्य अपनी व्यक्तिगत पहचान बनाना नहीं है। उनका उद्देश्य तो इस सामाजिक बुराई को जड़ से मिटाना है। इनका मानना है कि एक दिन इस मसले पर कार्यक्रम का आयोजन करने से यह बुराई मिटने वाली नहीं है। इसके लिए तो गली-गली, गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक करना होगा। इन युवाओं द्वारा जींद, नरवाना व पिल्लुखेड़ा हलकों में जागरूकता रैली निकालकर हजारों लोगों को इस मुहिम के साथ जोड़ा है। इसके अलावा इन युवाओं द्वारा गांवों में युवा संगठनों का गठन किया जा रहा है और संगठन के सदस्यों को उनके क्षेत्र में कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए जिम्मेदारी सौंपी जा रही है। जिले के सभी हलकों में अपनी टीम तैयार करने के बाद इनका अगला टारगेट पूरे प्रदेश में जागरूकता रैलियां निकाल कर अपनी टीम तैयार करना है। 

कन्या के हत्यारों को पकड़ वालों को मिलेगा 50 हजार का ईनाम

बेटी बचाओ सृष्टी बचाओ अभियान से जुड़े इन युवाओं ने कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए कन्या भ्रूण हत्या करवाने वालों को पकड़वाने वालों के लिए ईनाम की घोषणा भी की गई है। कन्या के हत्यारों को पकड़वाने वालों को इन युवाओं द्वारा 50 हजार रुपए का ईनाम दिया जाएगा। 

...ताकि रबी की फसल के सीजन के दौरान न हो नकली बीज की बिजाई



नकली बीज व दवाइयों की बिक्री को रोकने के लिए कृषि विभाग ने चलाया अभियान

जींद। रबी की फसल की बिजाई के दौरान नकली बीज, खाद व दवाइयों की बिक्री को रोकने के लिए जिला कृषि विभाग ने कमर कस ली है। नकली बीज, खाद व दवाइयों की बिक्री को रोकने के लिए विभाग द्वारा सैंपङ्क्षलग के लिए विशेष अभियान चलाया गया है। इसके लिए विभाग द्वारा एस.डी.ओ. क्यू.सी.आई., ए.पी.पी.ओ. व प्रशासन के अधिकारियों के नेतृत्व में बीज व खाद की दुकानों पर जाकर सैंपल लिए जा रहे हैं। रबी की फसलों की बिजाई तक विभाग का यह अभियान जारी रहेगा। 
प्रदेश में रबी की फसल की बिजाई का सीजन जोरों पर है। इस दौरान नकली बीज, खाद व दवाइयों का बाजारा भी गर्म हो चुका है। नकली बीज, खाद व दवाइयों के विक्रेता किसानों को नकली बीज व दवाइयों की सप्लाई कर मोटा मुनाफा कमाने की फिराक में रहते हैं। किसानों को इसकी पहचान नहीं होने के कारण भोले-भाले किसान इनके चुंगल में आसानी से फंस जाते हैं। नकली बीजों की बिजाई के कारण किसानों की हजारों रुपए की फसल खराब हो जाती है और इससे किसानों को काफी आर्थिक नुक्सान उठाना पड़ता है लेकिन अब कृषि विभाग ने नकली बीज व दवाइयों के विक्रेताओं पर नकेल कसने के लिए विशेष अभियान शुरू किया है। इसके लिए विभाग के एस.डी.ओ., क्यू.सी.आई., ए.पी.पी.ओ. व जिला प्रशासन के अन्य अधिकारियों के नेतृत्व में बीज व खाद की दुकानों पर जाकर बीज व दवाइयों के नमूने लेकर जांच के लिए लैबोरेटरी में भेजे जा रहे हैं। अगर लैब से आई रिपोर्ट में किसी भी बीज व दवाइयों के सैंपलों की रिपोर्ट नकारात्मक आती है तो उसके खिलाफ विभाग द्वारा सख्त कार्रवाई की जाएगी। विभाग द्वारा शुरू किए गए इस अभियान का उद्देश्य रबी की फसल की बिजाई के दौरान नकली बीजों की बिक्री को रोकना है, ताकि  समय रहते किसानों को नकली बीज की बिजाई करने से रोक कर उन्हें आर्थिक नुक्सान उठाने से बचाया जा सके। 

रबी की फसलों की बिजाई खत्म होने तक चलेगा अभियान

विभाग द्वारा नकली बीज व दवाइयों की बिक्री को रोकने के लिए जो अभियान चलाया गया है वह रबी की फसलों की बिजाई पूरी होने तक चलेगा। ताकि नकली बीज व दवाइयां बेचने वालों पर पूरी तरह से नकेल कसकर उनके मनसूबों पर पानी फेर कर किसानों को आर्थिक नुक्सान उठाने से बचाया जा सके। 

फसल की बिजाई के दौरान अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में नकली बीज व दवाइयां बेचने वाले लोग सक्रीय हो जाते हैं। किसानों को इनके चुंगल से बचाने के लिए जिला कृषि उपनिदेशक के निर्देशानुसार बीज व खाद की दुकानों पर जाकर सैंपल लेने का अभियान शुरू किया गया है। इस अभियान के तहत पूरे जिले की सभी बीज व खाद की दुकानों पर जाकर सैंपल लिए जा रहे हैं।
अनिल नरवाल, ए.पी.पी.ओ. कृषि विभाग, जींद

Monday, 19 November 2012

अस्थमा की उपेक्षा करना उचित नहीं


जींद : अस्थमा एक गंभीर बीमारी है। इसको मामूली बीमारी समझकर इसकी उपेक्षा करना उचित नहीं है। अस्थमा श्वास संबंधी रोग है। इसमें श्वास नलिकाओं में सूजन आने से वे सिकुड़ जाती हैं, जिससे सास लेने में तकलीफ होती है। अस्थमा का अटैक आने पर श्वास नलिकाएं पूरी तरह बंद हो सकती हैं, जिससे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को आक्सीजन की आपूर्ति बंद हो सकती है। यह चिकित्सकीय रूप से आपात स्थिति है। यह बात छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रमोद बंसल ने कही। अस्थमा मुख्य रूप से सास की नली की बीमारी है। अस्थमा से सास लेने में परेशानिया आती है। इसमें मरीज की सास की नली पतली हो जाती है। सास की नली पतली होने से सास लेने में परेशानी होती है और लगातार कफ की समस्या बनी रहती है। यह रोग एलर्जी से बढ़ जाता है। अस्थमा का अटैक कुछ समय से लेकर घटों तक रह सकता है। अगर अटैक ज्यादा लंबा हो जाए तो जानलेवा भी हो सकता है। मौजूदा हालात में यह समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। बच्चों में भी यह समस्या आम हो गई है। खानपान और दिनचर्या में हुए बदलावों के कारण बच्चे भी सास की बीमारी से परेशान होने लगे हैं। चिंता की बात तो यह है कि अब छोटे-छोटे बच्चे भी अस्थमा की चपेट में आने लगे हैं। अस्थमा होने पर कफ आना, घबराहट, सीने में जकड़न और सास लेने में परेशानी, एयरवेज सिकुड़ जाना, अक्सर खासी या सर्दी जुकाम की समस्या रहती है। खेल-कूद के दौरान बच्चों का जल्दी से जल्दी थक जाना और सास फूलना, सीने में जकड़न, नाक बंद होना व सीने में दर्द की शिकायत होना, सास लेने पर घरघराहट के साथ एक सीटी जैसी आवाज आना जैसी सास की परेशानिया आम हैं। मरीज अपना इलाज खुद न करें। डॉक्टर की बताई दवा ही लें। अस्थमा अटैक होने की स्थिति में जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचने की कोशिश करें। कोई भी दूसरी दवाई बिना डॉक्टर की सलाह के न लें। कुछ दवाइया अस्थमा की परेशानी को बढ़ा देती हैं। किसी भी तरह का ऐसा व्यायाम न करें जिससे सास की नली पर दबाव पड़े।

मधुर भजनों से किया साई व कृष्ण का गुणगान

 सफीदों : श्री साई श्याम सेवा समिति के तत्वावधान में शनिवार रात्रि नगर के रामलीला मैदान में श्री साई श्याम अमृत वर्षा का आयोजन बड़ी धूमधाम से किया गया। इसमें वृंदावन से पहुची साध्वी पूर्णिमा ने अपने मधुर भजनों के माध्यम से देर रात्रि तक श्री साई और कृष्ण भगवान की महिमा का गुणगान किया। इस मौके पर उनके द्वारा गाए गए भजन रहमता करदा है झोलिया भरदा है व आज नही नचना ते फेर कदे नचना ने मौजूद श्रदालुओं को थिरकने पर मजबूर कर दिया। कार्य क्रम में शिरकत करने पहुंचे नरेश बराड़ ने कहा कि भगत और भगवान का रिश्ता बड़ा ही पवित्र रिश्ता है। इस मौके पर साध्वी पूर्णिमा ने कहा कि सत्संग में जाकर मनुष्य को सच्चे ज्ञान की प्राप्ति होती है और सत्संग के माध्यम से ही मनुष्य की लौ हरि से मिलती है। इस कारण मनुष्य को अपने जीवन में ज्यादा से ज्यादा समय निकालकर सत्संग में जाना चाहिए। इस मौके पर मा. गुलाब ¨सह किरोड़ीवाल, नरेश जागड़ा, साधूराम बंधू, ¨रकू राजपूत, दीपक शर्मा, बृजनरूला, ब्रह्मप्रकाश, सुनील शर्मा, विनित नंदा, गौरव नंदा, सन्नी नंदा आदि मौजूद थे

Saturday, 17 November 2012

सबसिडी के बाद भी बाजार से कम रेट पर नहीं मिल रहा है गेहूं का बीज



सरकार द्वारा सबसिडी के नाम पर हरियाणा बीज विकास निगम को दिए जाते हैं करोड़ों रुपए

जींद। सरकार द्वारा गेहूं के बीज पर सबसिडी दिए जाने के बावजूद भी किसानों को गेहूं का बीज बाजार से कम रेट पर नहीं मिल पा रहा है। हरियाणा बीज विकास निगम (एच.एस.डी.सी.) किसानों को जिस रेट पर बीज उपलब्ध करवा रहा है, उसी रेट पर किसानों को बाजार में गेहूं का बीज मिल रहा है। जबकि निगम द्वारा सबसिडी देकर किसानों को यह बीज बाजार से कम भाव पर मुहैया करवाना होता है। निगम द्वारा किसानों को दिए जा रहे सबसिडी व बिना सबसिडी के बीज के भाव लगभग एक समान हैं। इस प्रकार निगम सरकार से बीज पर सबसिडी लेने के बाद भी किसानों को बाजार से कम रेट पर बीज मुहैया नहीं करवा रही है। 
 निगम की वेबसाइट पर दर्शाया गया सबसिडी वाले बीज का रेट चार्ट।
सरकार द्वारा किसानों को आर्थिक रूप से सुदृढ़ करने के लिए किसानों को उन्नत किस्म की फसलों के लिए प्रेरित किया जा रहा है। किसानों को अच्छी किस्म के गेहूं का बीज उपलब्ध करवाने के लिए सरकार द्वारा वर्ष 2012-13 के लिए हरियाणा बीज विकास निगम के माध्यम से किसानों को सबसिडी पर गेहूं का बीज दिया जा रहा है। इसके लिए सरकार हरियाणा बीज विकास निगम को गेहूं के बीज पर प्रति क्विंटल पर 500 रुपए की सबसिडी दे रही है। सरकार से गेहूं के बीज पर अनुदान लेने के बाद निगम द्वारा किसानों को सबसिडी पर गेहूं का बीज उपलब्ध करवाना होता है लेकिन सरकार से अनुदान मिलने के बाद भी निगम किसानों को बाजार से कम रेट पर गेहूं का बीज उपलब्ध नहीं करवा पा रही है। निगम द्वारा सबसिडी वाले बीज का रेट 2550 रुपए प्रति क्विंटल रखा गया है। 500 रुपए की सबसिडी के बाद किसानों को यह बीज 2050 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से दिया जा रहा है। इस प्रकार निगम द्वारा किसानों को उन्नत किस्म के गेहूं का 40 किलो का बैग 820 रुपए में मुहैया करवाया जा रहा है। जबकि बाजार में भी किसानों को इसी भाव पर यह बीज मिल रहा है। इसके अलावा निगम द्वारा किसानों को बिना सबसिडी वाला गेहूं का बीज 2150 रुपए प्रति क्विंटल यानि 40 किलो का बैग 860 रुपए के भाव पर दिया जा रहा है। जबकि दोनों किस्मों के बीज निगम खुद ही तैयार करती है और दोनों ही किस्मों के बीज तैयार करने पर खर्च भी एक समान ही आता है। अब यहां सवाल यह उठ रहा है कि जब दोनों ही किस्मों के बीज निगम खुद तैयार करती है और दोनों के तैयार करने पर खर्च भी बराबर ही आता है तो इनके रेटों में इतना अंतर क्यों है? निगम के अधिकारियों के इस दोहरे रवैये के कारण सरकार की किसानों को उन्नत किस्मों की खेती के लिए प्रेरित करने की योजना को करारा झटका लग रहा है। सरकार द्वारा उन्नत किस्म के बीज पर सबसिडी के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी किसानों को सरकार की इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। 

गेहूं की इन किस्मों पर दी जा रही है सबसिडी  

पी.बी.डब्ल्यू. 502, 509, डब्ल्यू.एच. 711, डी.बी.डब्ल्यू. 17, पी.बी.डब्ल्यू. 550, डब्ल्यू.एच. 1021, डी.बी.डब्ल्यू. 621, एच.डी. 2851, 2894, पी.बी.डब्ल्यू. 590
बिना सबसिडी के बीज का रेट प्रति क्विंटल 2550 व 500 रुपए की सबसिडी के बाद 2050
बिना सबसिडी वाले बीज
डब्ल्यू.एच. 283, पी.बी.डब्ल्यू. 343, यू.पी. 2338, डब्ल्यू.एच. 542 
प्रति क्विंटल बीज का रेट 2150 रुपए 

ऊपर से होते हैं रेट तय 

सबसिडी व बिना सबसिडी वाले बीज के रेट विभाग के उच्च अधिकारियों द्वारा तय किए जाते हैं। बीज के रेट निर्धारित करते समय कृषि विभाग के उच्च अधिकारियों से भी विचार-विमर्श किया जाता है। बीज की क्वालिटी के आधार पर ही बीज के रेट तय किए जाते हैं। 
राजबीर धनखड़, रीजनल मैनेजर
हरियाणा बीज विकास निगम, हिसार

Friday, 16 November 2012

दावे बेमानी, आंगनबाड़ी में नहीं मिल रही पूरी सुविधाएं


अलेवा : 
सरकार द्वारा आंगनबाड़ी सेंटरों में छोटे-छोटे बच्चों के लिए भले ही पोषाहार तथा अन्य कामों के लिए बड़े-बड़े दावे किए जाते रहे हों, लेकिन मौजूदा स्थिति को देखकर क्या कहा नहीं जा सकता कि सरकार द्वारा किए गए इन दावों का लाभ वाक्या में उन छोटे-छोटे बच्चों के पास के पास पहुंच भी रहा या फिर इन दावों पर संशय के बादल मंडरा रहे हैं।
जिले में इस समय नौ ब्लाकों में 1439 आगनबाड़ी सेंटर हैं तथा इनमें छह मास से छह साल तक के करीब 56634 बच्चे तथा 17353 माताओं द्वारा सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं का लाभ लिया जा रहा है। सरकार द्वारा आंगनबाड़ी सेंटरों को सशक्त बनाने तथा नियमों को लागू करने के लिए जिला स्तर तथा ब्लॉक स्तर पर उन नियमों को प्रभावी ढंग से लागू कराने के लिए भरसक प्रयास तो किए जाते हैं। लेकिन जिले में अभी तक काफी आंगनबाड़ी सेंटरों के अधूरे भवनों तथा अधूरे शौचालय को देखकर धरातल पर इन प्रयासों में कहीं-कहीं कमी जरूर झलक रही है।
कहने को तो सरकार द्वारा छोटे बच्चों को आंगनबाड़ी सेंटरों में खाना आदि पकाने के लिए गैस सिलेंडरों का प्रयोग किया जा रहा है, लेकिन अगर हकीकत में आंगनबाड़ी सेंटरों का दौरा किया जाए तो गैस सिलेंडर एक कोने में पड़े धूल फांकते नजर आएंगे। एक बात और देखने लायक है कि जिले में नौ ब्लॉकों के करीब 1439 सेंटरों में क्या विभाग द्वारा सरकार द्वारा दी जाने वाले सुविधाओं का लाभ दिया जा रहा है या फिर बच्चों के नाम पर दी जाने वाली सुविधाएं केवल कागजों तक ही सीमित है। सरकार द्वारा आंगनबाड़ी सेंटरों में आने वाले छोटे-छोटे बच्चों पर खाने के रूप में लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं। खाने के रख-रखाव के निर्देशों के साथ-साथ भोजन तैयार करने के लिए भी राशि जारी की जाती है, लेकिन हकीकत में क्या आंगनबाड़ी सेंटरों में यह सभी सुविधाएं बच्चों तक पहुंच रही यह जांच का विषय है।
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'बच्चों तक पहुंचाया जा रहा लाभ'
अलेवा महिला एवं बाल विकास विभाग की अधिकारी किरण परूथी ने बताया कि सरकार द्वारा जो सुविधाएं पीछे से मुहैया करवाई जा रही उनका जमीनी स्तर पर बच्चों तक लाभ पहुंचाया जा रहा है।

Thursday, 15 November 2012

हिदुस्तान स्काउट एंड गाइड ने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को किया स्कार्फ भेंट

जुलाना : बाल दिवस के अवसर पर हिदुस्तान स्काउट एंड गाइड हरियाणा के बच्चे राष्ट्रपति भवन पहुचे। जहा पर हिदुस्तान स्काउट एंड गाइड ने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को स्काउट चिह्न स्कार्फ भेंट किया। स्काउट प्रशिक्षण आयुक्त सुदेश सहरावत ने बताया कि बाल दिवस के मौके पर हिदुस्तान स्काउट एंड गाइड का प्रतिनिधि मंडल राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से मिला। राष्ट्रपति से बच्चों की वार्तालाप हुई। इस प्रतिनिधि मंडल में हरियाणा के स्काउट एंड गाइड के राज्य संगठन आयुक्त सतीश कुमार व राज्य प्रशिक्षण आयुक्त के नेतृत्व में आठ बच्चे शामिल थे। स्काउट एंड गाइड को पूरे एशिया में व‌र्ल्ड फेडरेशन ऑफ इडिपेंडेस स्काउट एशिया जोन की तरफ से थेंक्स अवार्ड मिला है उससे भारत का नाम रोशन हुआ है इसकी भी प्रणव मुखर्जी ने स्काउट एंड गाइड के संगठन आयुक्त व प्रशिक्षण आयुक्त को बधाई दी। इस अवसर पर आशीष, रोहित, निकिता, रजत, अंकुश, नवदीप सहराय, आशीष शामिल थे।

Wednesday, 14 November 2012

ट्रक जब्त, 16 भैंस बरामद

उचाना : बड़ौदा गांव के पास पुलिस ने रविवार रात को जींद-पटियाला राष्ट्रीय राजमार्ग पर उत्तर प्रदेश स्थित बूचड़खाने ले जा रहे भैंसों से भरे ट्रक को काबू कर 16 भैंसों को बरामद किया है। पुलिस ने ट्रक को कब्जे में ले उसमें सवार तीन लोगों के खिलाफ पशु क्रूरता अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस गिरफ्तार व्यक्तियों से पूछताछ कर रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार उचाना पुलिस रविवार रात को गाव बड़ौदा टी प्वाइंट पर आने जाने वाले वाहनों की जाच कर रही थी। उसी दौरान नरवाना की तरफ से आ रहे ट्रक को पुलिस कर्मियों ने इशारा कर ट्रक को रुकवा लिया। जब ट्रक की तलाशी ली तो उसमें 16 भैंसों को ठूंस-ठूंसकर भरा गया था। बेरहमी पूर्वक पशुओं को भरे जाने के कारण अधिकांश की स्थिति दयनीय हो चुकी थी। पुलिस पूछताछ में खुलासा हुआ कि भैंसों को उत्तरप्रदेश स्थित बुचड़खाने में ले जाया जा रहा था। पूछताछ के दौरान पकड़े गए व्यक्तियों की पहचान गांव कारतू मुज्जफरनगर निवासी जसीन, गाव सिकर निवासी फोरमैन तथा सतबीर के रूप में हुई है। पुलिस ने सभी व्यक्तियों के खिलाफ पशु क्रूरता अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

रेलवे स्टेशन पर मिला भरतपुर का बच्चा

दो दिन पहले नरवाना रेलवे स्टेशन से बरामद बच्चे के परिजनों को ढूंढने के लिए चाइल्ड प्रोटेक्शन के अधिकारी प्रयासरत है। बच्चा राजस्थान के भरतपुर जिले के गांव खोरा का रहने वाला बताया गया है। प्रोटेक्शन अधिकारी सरोज तंवर ने वहां के बयाना थाने में इसकी जानकारी देकर परिजनों का पता लगाने की मांग की है। पुलिस ने बरामद बच्चे को जिला बाल संरक्षण अधिकारी के पास जींद भेज दिया। बच्चे की तबीयत खराब होने पर पहले तो अस्पताल में उसका इलाज कराया गया और बाद में उसे मिशन इंडिया संस्था में रखा गया। सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में तंवर ने बताया कि बच्चे ने अपना नाम समय और पिता का नाम कृष्ण बताते हुए राजस्थान के भरतपुर जिले के खोरा गांव का रहने वाला बताया। इस पते को कन्फर्म करने के लिए प्रोटेक्शन अधिकारी ने भरतपुर जिले के बयाना थाने में संपर्क किया और उसके अंतर्गत आने वाले गांव खोरा में कृष्ण नामक व्यक्ति के नौ वर्षीय बेटे समय के परिजनों की पड़ताल करने को कहा है।

Sunday, 11 November 2012

.....मैडम जी म्हारा के कसूर सै ?


पिछले 3 माह से चले आ रहे प्राचार्या व अध्यापाकों के विवाद में बाधित हो रही है बच्चों की पढ़ाई

जींद। ईंटलकलां गांव के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में पिछले 3 माह से प्राचार्या व अध्यापकों के बीच चले आ रहे विवाद से बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है। इससे बच्चों का भविष्य खतरे में है। प्राचार्या व अध्यापकों के इस विवाद को देखते हुए स्कूल के बच्चों पर तो हरियाणावी कहावत झोटयां की लड़ाई में झूंडां का खो वाली कहावत सटीक बैठ रही है। पिछले 3 माह से चली आ रही इस लड़ाई में प्राचार्या या अध्यापकों को तो शायद ही कुछ नुक्सान उठाना पड़े या ना पड़े लेकिन इसमें बच्चों को तो पढ़ाई का नुक्सान उठाना ही पड़ेगा। 3 माह के लंबे अंतराल के बावजूद भी विभाग प्राचार्या व अध्यापकों के बीच चली आ रही चौधर की इस जंग को शांत नहीं करवा पाया है। दोबारा से प्राचार्या लता सैनी को इसी स्कूल का चार्ज मिलने के बाद अब अध्यापक यहां से अपना तबादला करवाने पर अड़े हुए हैं। उधर प्राचार्या भी इस स्कूल से अपने तबादले की मांग कर रही है। इसके चलते दोनों पक्षों से शुक्रवार को स्कूल में मामले की जांच के लिए पहुंची एस.सी.ई.आर.टी. की निदेशिका स्नेहलता अहलावत को अपने तबादले के लिए लिखित में पत्र सौंपा है। आगामी 20 नवंबर को परीक्षाएं शुरू होने जा रही हैं लेकिन प्राचार्या व अध्यापकों के इस विवाद के कारण बच्चों का सिलेबस अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। ऐसे में अब स्कूल में पढऩे वाले लगभग 400 बच्चों को अपनी पढ़ाई की ङ्क्षचता सताने लगी है। क्योंकि प्राचार्या व अध्यापकों के इस विवाद का नुक्सान तो आखिरी इन बच्चों को ही उठाना पड़ेगा। बिना वजह अपने भविष्य को दाव पर लगाने वाले इन बच्चों के मुहं से एक ही सवाल निकलता है कि मैडम जी म्हारा के कसूर सै? 

कैसे होगा सिलेबस पूरा 

पिछले 3 माह से चले आ रहे प्राचार्या व अध्यापकों केे इस विवाद के बाद अब दोनों पक्ष यहां से तबादले की मांग कर रहे हैं। 15 अध्यापकों के स्टाफ में से विवाद के चलते 3 अध्यापकों के तबादले पहले ही हो चुके हैं और अब बचे 12 अध्यापकों ने भी एस.सी.ई.आर.टी. की निदेशिका को अपने तबादले के लिए लिखित में शिकायत दी है। अगामी 20 नवंबर से परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं और बच्चों का सिलेबस अभी तक पूरा नहीं हो पाया है लेकिन अध्यापक बच्चों का सिलेबस पूरा करवाने की बजाए अपने तबादले पर अड़े हुए हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि अगर यहां से सभी अध्यापकों का तबादला हो जाता है तो क्या विद्यालय में आने वाले नए अध्यापक समय रहते इन बच्चों का सिलेबस पूरा करवा पाएंगे। 

तबादले के लिए लिखित में दिया है पत्र

गांव ईंटलकलां के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में कार्यरत एस.एस. मास्टर ओमप्रकाश, सूरजभान, मैथ मास्टर रामनिवास, वीरभान, संस्कृत मास्टर सत्यवान, ङ्क्षहदी अध्यापिका लक्ष्मी, ड्राइंग अध्यापक महाङ्क्षसह, पी.टी.आई. राजेंद्र ने बताया कि प्राचार्या लता सैनी के कार्यभार संभालते ही स्कूल का शैक्षणिक माहौल बिगड़ गया है। स्कूल में बाहरी लोगों का आवागमन फिर से शुरू हो गया है। इससे अध्यापक सामाजिक असुरक्षा महसूस करने लगे हैं। ऐसे माहौल में वो बच्चों को पढ़ाने में असमर्थ हैं। विभाग की एकतरफा जांच से स्कूल के सभी अध्यापक असुंष्ट हैं और इसलिए वे यहां से अपने तबादले के लिए एस.सी.ई.आर.टी. निदेशक स्नेहलता अहलावत को लिखित में पत्र देकर अपना तबादला करवाना चाहते हैं। 

अध्यापकों को बच्चों की पढ़ाई से नहीं कोई सरोकार
 अपने तबादले के लिए निदेशिका को पत्र लिखती अध्यापिकाएं।

प्राचार्या लता सैनी ने कहा कि अध्यापकों का बच्चों की पढ़ाई से कोई सरोकार नहीं है। इसीलिए उनके बहाल होते ही अध्यापक कक्षाएं छोड़ कर बी.ई.ई.ओ. कार्यालय में चले गए। वे किसी भी सूरत में बच्चों की पढ़ाई को बाधित नहीं होने देना चाहती हैं। चाहे इसके लिए विभाग उनका तबादला कहीं और क्यों न कर दे। उन्हें तो शिक्षा विभाग का काम करना है चाहे वो यहां रह कर करें या कहीं और। वे अपने तबादले के लिए विभाग के अधिकारियों से पहले ही गुहार लगा चुकी हैं।

नहीं है किसी भी पक्ष से सहानुभूति

गांव ईंटल कलां के सरपंच महाबीर ने कहा कि प्राचार्या व अध्यापकों के इस विवाद के कारण पिछले तीन  माह से स्कूल का शैक्षणिक माहौल गड़बड़ा गया है। उन्हें न तो अध्यापकों से कोई सहानुभूति है और न ही प्राचार्या से। उन्हें हर हाल में बच्चों की पढ़ाई सुचारू रूप से चाहिए, चाहे इसके लिए शिक्षा विभाग पूरे स्टाफ का तबादला ही क्यों न कर दे। 

बच्चों की पढ़ाई को नहीं होने दिया जाएगा बाधित

मामले की जांच के लिए शुक्रवार को विद्यालय में पहुंची एस.सी.ई.आर.टी. निदेशिका स्नेहलता अहलावत ने कहा कि दोनों पक्षों को बुलाकर उनकी बात सुनी गई है और दोनों ही पक्षों से लिखित में उनकी शिकायतें ले ली गई हैं। मुख्यालय में जाकर जांच रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इसी जांच रिपोर्ट के आधार पर आगामी कार्रवाई की जाएगी। स्कूल की व्यवस्था तथा बच्चों की पढ़ाई को किसी भी सूरत में बाधित नहीं होने दिया जाएगा। बच्चों की पढ़ाई को सुचारू रूप से चलाने के लिए ही वे खुद यहां चलकर आई हैं। 

Saturday, 10 November 2012

सावधान ! कहीं सेहत पर भारी न पड़ जाए पनीर व मावे का शौक


त्यौहारी सीजन पर बढ़ी दूध की मांग, सिंथेटिक दूध माफिया सक्रिय

गंदगी में तैयार हो रहा है पनीर, गिरोह के गिरेबान तक नहीं पहुंच रहे अधिकारियों के हाथ


जींद। त्यौहारी सीजन शुरू होते ही दूध की मांग भी बढ़ गई है। दूध की बढ़ती मांग को देख सिंथेटिक दूध माफिया सक्रिय हो गए हैं। सिंथेटिक दूध माफिया कैमीकल की सहायता से ऐसा दूध तैयार कर रहे हैं, जिसकी पहचान आसान नहीं है। ऐसे में फूड सेफ्टी विभाग की टीम के हाथ भी इनके गिरेबान तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। इससे लोगों के स्वास्थ्य पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है।
त्यौहारों की वजह से अचानक बाजार में दूध, घी और मावा की डिमांड कई गुना बढ़ गई है। यही डिमांड मिलावट को जन्म देती है। लोगों की डिमांड को पूरा करने के लिए नकली दूध, घी और मावा बनाने वाले त्यौहारों के मौसम में हरकत में आ जाते हैं। नकली मिठाई और थेटिक दूध से गंभीर बीमारियां होने का खतरा बना रहता है। फिलहाल दीपावली पर्व को देखते हुए कारीगर दूध से बनने वाली वस्तुओं को बनाने में लगे हुए हैं, वहीं शादी समारोह का सीजन शुरू होने के कारण भी दूध की डिमांड को ओर बढ़ा दिया है। जिसके चलते दूध के उत्पादन व डिमांड में भारी अंतर हो गया है। ऐसे में दूध की बढ़ती डिमांड को पूरा करने के लिए जिले में सिंथेटिक दूध माफिया ने अपने पांव पसारने शुरू कर दिए हैं। त्यौहारों व शादी के सीजन के कारण इन दिनों पनीर और खोआ की डिमांड अधिक होने लगी है। ऐसे में इस कारोबर से जुड़े लोग लगातार लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। लेकिन फूड सेफ्टी विभाग की टीम के हाथ भी इन माफियाओं के गिरेबान तक नहीं पहुंच रहे हैं। हैरानी की बात तो यह है कि विभाग द्वारा भी सैंपल लेने के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। इससे सिंथेटिक दूध माफियाओं के हौंसले ओर भी बुलंद हो रहे हैं। शहर में जहां पर मावा व पनीर तैयार किया जा रहा है वहां की स्थिति को देखा जाए तो पनीर को खाने के शौकिन लोगों का निवाला गले नहीं उतरेगा। जहां पनीर को बनाने में मिलावट की जा रही है, वहीं इसको असली पनीर का रूप देने के लिए तरह-तरह के रसायनों का प्रयोग किया जा रहा है। शहर में अमरहेड़ी रोड पर ही सबसे ज्यादा पनीर बनाने का काम किया जाता है। जहां पर एक दर्जन से अधिक पनीर बनाने की दुकानें चल रही हैं। पनीर के इस कारोबार से जुड़े लोगों का दावा है कि वह पूरी तरह से असली दूध से ही और शुद्ध पनीर का निर्माण कर रहे हैं। पनीर के लिए दूध अमरहेड़ी रोड पर चल रही पशु डायरियों से लिया जाता है, लेकिन अगर इन डायरियों की स्थिति देखी जाए तो इन डायरियों में घरों में दूध ले जाने वाले लोगों का ही पूरा दूध नहीं हो रहा है। ऐसे में इन पनीर के कारोबार से जुड़े लोगों के पास दूध कैसे पहुंच सकता है। इसलिए दूध का उत्पादन व डिमांड समान न होने के चलते इस पर शक की सूई घूम रही है।

गंदगी में तैयार किया जा रहा पनीर

शहर के अमरहेड़ी रोड पर चल रही पनीर बनाने की दुकानों के पास गंदगी का आलम है। कारीगरों द्वारा जिन बर्तनों में पनीर बनाया जा रहा है उनमें कई-कई दिनों की गंदगी जमी हुई। ऐसे में इन्हीं बर्तनों में हर रोज पनीर तैयार किया जा रहा है। ऐसे में इन बर्तनों में मक्खियां व मच्छर भिनभिनाने के साथ-साथ दुर्गंध उठी रहती है। ऐसे में दूध व पनीर की मिलावट के साथ-साथ गंदगी भी पनीर के माध्यम से लोगों को परोसी जा रही है। दूध के कारोबर से जुड़े एक व्यक्ति ने नाम ने छापने की शर्त पर बताया कि दीपावली पर्व व शादी समारोह का सीजन शुरू होने के साथ ही नकली दूध व पनीर के कारोबार ने गति पकड़ ली है। सिंथेटिक दूध में पोस्टर कलर, डेस्ट्रीजन पाउडर, रिफाइंड, मिल्क पाउडर, हाइड्रोजन पर ऑक्साइड, फार्मलीन का प्रयोग किया जाता है। इन वस्तुओं का प्रयोग करके लोग मिनटों में ही हजारों लीटर दूध तैयार कर देते हैं। जिसके बाद इसका प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा पनीर बनाने में रसानियक पदार्थों का प्रयोग किया जाता है। अगर कोई दुकानदार असली दूध से पनीर भी बनाता है तो उसमें रासानिक पदार्थ ज्यादा डाले जाते हैं, ताकि जल्द से जल्द पनीर तैयार हो सके।

सख्ती से निपटा जाएगा मिलावट खोरों से 

इस बारे में फूड इंस्पैक्टर एन.डी. शर्मा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि खाद्य वस्तुओं में किसी भी प्रकार की मिलावट करना कानूनी जूर्म है। मिलावटखोरों पर नकेल डालने के लिए दुकानों पर  छापेमारी की जा रही है। मिठाइयों के अलावा दूध व पनीर के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे गए हैं। मिलावटखोरों से सख्ती से निपटा जाएगा।
फोटो कैप्शन
07जेएनडी 13, 14 व 15 : गंदगी में पनीर व मावा तैयार करते हुए कारीगर। 

Friday, 9 November 2012

एटीएम बदलकर 43 हजार रुपये निकाले


सफीदों : हाट रोड स्थित स्टेट बैंक आफ पटियाला के एटीएम केबिन में अज्ञात युवक ने एटीएम कार्ड बदलकर एक व्यक्ति के खाते से 43 हजार रुपये निकलवा लिए। पुलिस ने अज्ञात युवक के खिलाफ धोखाधड़ी, अमानत में ख्यानत का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। कारखाना निवासी ओमप्रकाश ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि वह स्टेट बैंक ऑफ पटियाला सफीदों शाखा का उपभोक्ता है। गत 15 अक्टूबर को हाट रोड स्थित बैंक के एटीएम केबिन में एटीएम कार्ड के माध्यम से कुछ राशि निकलवाने का प्रयास किया, लेकिन तकनीकी खामी से मशीन से पैसे नहीं निकले। एटीएम केबिन में खड़े एक युवक ने सहायता के लिए उसका एटीएम कार्ड ले लिया और पैसे निकलवाने का प्रयास किया, लेकिन कार्ड से पैसे नहीं निकले। गत दिवस जब वह राशि निकलवाने के लिए बैंक के एटीएम में गया तो उसका पिन कोड गलत बताया। तीन बार पिन कोड गलत बताने का बाद एटीएम कार्ड ब्लॉक हो गया। जिसकी शिकायत उसने बैंक प्रबंधक से की। जब उसने अपने खाते की जाच की तो उसके खाते से अलग-अलग दो किश्तों में 43 हजार रुपये गायब मिले। पुलिस ने ओमप्रकाश की शिकायत पर अज्ञात युवक के खिलाफ धोखाधड़ी, अमानत में ख्यानत का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

खुद को पर्यावरण के लिए महिला वकील ने कर दिया समर्पित

अब तक लगवा चुकी 177 त्रिवेणी जींद। महिला एडवोकेट संतोष यादव ने खुद को पर्यावरण की हिफाजत के लिए समर्पित कर दिया है। वह जींद समेत अब तक...