Wednesday, 13 December 2017

बच्चों के साथ बेहतर संवाद करें अभिभावक : अनिल

बुआना के सरकारी स्कूल में हुआ सेमिनार
जींद 
गांव बुआना स्थित राजकीय कन्या माध्यमिक विद्यालय में सेमिनार का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता स्कूल प्राचार्य सत्यवान ने की। इसमें जिला बाल कल्याण अधिकारी अनिल मलिक ने कहा कि किशोरावस्था में चारों ओर उलझनें नजर आती रहती हैं। बच्चों में मन में द्वंंद्व चलता रहता है। अनिल मलिक ने कहा कि अभिभावकों को अपनी परवरिश की जिम्मेदारी ईमानदारी से निभाते हुए बच्चों के साथ बेहतर संवाद, सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार कायम करते हुए उनके परामर्शदाता, सलाहकार तथा उनके मार्गदर्शक की भूमिका निभानी चाहिए। जैसा भी व्यावहार हम आपने जीवन में परिवार के सदस्यों के साथ-साथ सामाजिक भूमिका निभाते हुए करते हैं, इसका असर परोक्ष रूप से बच्चों के जीवन में नजर आता है। बच्चों में विशेष तौर से किशोरावस्था में, जो 12 से 18 साल की उम्र के दौरान जब कई तरह की घटनाएं एक साथ उनके जीवन में परिवर्तन और विकास के रूप में घटने लगती हैं, तब कौन सी बात तनाव के बीज बो देती है, कहा नजीं जा सकता। अभिभावकों को उसे पहचानते हुए बच्चों की मदद करनी चाहिए। उन्होंने चाइल्ड हैल्प लाइन कार्यक्रम की जानकारी देते हुए कहा कि पूरा समाज हमारा सबका बड़ा घर है और हमारी एक-दूसरे के प्रति जिम्मेदारी बनती है कि कोई भी बच्चा आपातकालीन परिस्थिति में चाइल्ड हैल्प लाइन की सेवा का लाभ ले सकता है। 

सामान्य अस्पताल में स्थापित होंगी केयर सेंटर यूनिट

हिंसा पीडि़त महिलाओं के लिए बनेगा शकून सेंटर
कुपोषित बच्चों के लिए बनेगा न्यूट्रीशियन केयर यूनिट 
जच्चा-बच्चा के लिए स्थापित होगा कंगारू मदर केयर सेंटर 
जींद
सामान्य अस्पताल में हिंसा पीडि़त महिलाओं, अति कुपोषित बच्चों, कम वजन के बच्चे पैदा होने पर उनके ईलाज, देखभाल के लिए जल्द ही केयर यूनिट स्थापित होंगी। जिसमे ईलाज, सलाह, स्वास्थ्य से संबंधित सभी सुविधाएं उपलब्ध होंगी। इसके अलावा सामान्य अस्पताल में आने वाले मरीजों को कागजातों से संबंधित किसी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की सभी विंगों के कार्यालय एक ही छत के नीचे होंगे। सामान्य अस्पताल की पुरानी ईमारत सिविल सर्जन कार्यालय के साथ बनने वाली केयर यूनिट तथा कार्यालयों को एक जगह लाने के लिए होने वाले खर्च की 25 लाख रुपये की राशि विभाग को मिल चुकी है। केयर यूनिटों तथा कार्यालयों को बनाने और पुरानी ईमारत के जीर्णोद्वार का जिम्मा बीएंडआर को सौंपा जा चुका है। 
सामान्य अस्पताल में बनेगा शकून सेंटर
सामान्य अस्पताल में हिंसा पीडि़त महिलाओं के लिए शकून सेंटर बनेगा। जिसमे न केवल महिलाओं का ईलाज किया जाएगा बल्कि उनको सदमे से उभारने तथा कानूनी सहायता के बारे में भी जानकारी दी जाएगी। महिला शकून सेंटर में काऊंसलर के अलावा कानून विशेषज्ञ तथा सुरक्षा के लिए महिला पुलिस कर्मी भी तैनात रहेगी। शकून सेंटर में हिंसा पीडि़त महिलाओं को इस तरह का माहौल उपलब्ध करवाया जाएगा कि वे अपने अधिकारों के लिए खुलकर अपनी बात रख सकें। शकून सेंटर के लिए रूम नम्बर पांच को तैयार किया जा रहा है। 
न्यूट्रीशियन केयर यूनिट भी बनेगी 
अति कुपोषित बच्चों के लिए न्यूट्रीशियन केयर यूनिट को भी तैयार किया जा रहा है। जिसमे अति कुपोषित तथा कुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार के लिए तमाम सुविधाएं न्यूट्रीशियन केयर सेंटर में उपलब्ध होंगी। अति कुपोषित तथा कुपोषित बच्चों को दवाईयां तथा पोष्टिक आहार दिया जाएगा। न्यूट्रीशियन केयर यूनिट मे बाल रोग विशेषज्ञ, न्यूट्रीशियन विशेषज्ञ व अन्य स्टाफ होगा। अति कुपोषित बच्चों को स्वास्थ्य लाभ देने के लिए 15 से 20 दिन तक न्यूट्रीशियन केयर सेंटर में रखा जाएगा। खास बात यह भी रहेगी कि अति कुपोषित बच्चों के साथ एक केयर टेकर भी रह सकेगा। 
कंगारू मदर केयर सेंटर की होगी स्थापना
सामान्य अस्पताल में कम वजन के साथ जन्म लेने वाले बच्चों तथा उनकी मां की देखभाल के लिए कंगारू मदर केयर सेंटर की स्थापना की जाएगी। जिसमे जच्चा-बच्चा दोनों को रखा जाएगा। अढ़ाई किलोग्राम से नीचे वजन के बच्चों को काफी कमजोर माना जाता है। उन्हीं बच्चों का वजन नॉर्मल तक लाने के लिए कंगारू मदर केयर सेंटर बनाया गया है। खास बात यह है कि जच्चा भी सेंटर में तब तक दाखिल रहेगी जब तक बच्चा नॉर्मल नहीं हो जाती। 
सभी कार्यालय बनेंगे एक छत के नीचे
सामान्य अस्पताल में विभिन्न स्वास्थ्य सेवाओं के कार्यालय परिसर में अलग-अलग जगहों पर बने हुए हैं। कामकाज के सिलसिले में आने वाले लोगों को इधर-उधर घुमना पड़ता था। उसी समस्या का समाधान के लिए सभी स्वास्थ्य सेवाएं प्रमुखों के कार्यालय को सिविल सर्जन कार्यालय के निकट पुरानी ईमारत में बनाया जाएगा। जिसका सीधा फायदा सामान्य अस्पताल में आने वाले मरीजों तथा उनके तामिरदारों को मिल पाएगा। अपने कामकाज के लिए लोगों को इधर से उधर नहीं दौडऩा पड़ेगा। 
क्या कहते हैं जिला प्रतिरक्षण विभाग प्रमुख
जिला प्रतिरक्षण विभाग के प्रमुख डा. नितिन ने बताया कि पुरानी ईमारत में काफी बदलाव किया जा रहा है। जिसका कार्य बीएंडआर को सौंपा जा चुका है। पुरानी ईमारत में काफी सुविधाओं को बढ़ाया जा रहा है। जिस पर लगभग 25 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। 
क्या कहते हैं सीएमओ
सिविल सर्जन डा. संजय दहिया ने कहा कि सामान्य अस्पताल की पुरानी ईमारत में कई केयर यूनिटों को बनाया जा रहा है। केयर यूनिटों में तमाम प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध होंगी। केयर यूनिटों के अस्तित्व में आने से काफी समस्याओं का समाधान हो जाएगा। 

सर्दी की पहली बारिश से फसलों को काफी लाभ

किसानों के चेहरों पर खुशी की लहर दौड़ी
तापमान में आई गिरावट, ठिठूरन बढ़ी

जींद
सर्दी के मौसम की सोमवार दिन में हुई बूंदाबांदी तथा रात को हुई पहली बारिश के साथ ही तापमान में गिरावट आई। बारिश के बाद चली ठंडी हवा से पूरा क्षेत्र शीत लहर के आगोश में समा गया है। शीत लहर ने लोगों को घरों के अंदर दुबकने को मजबूर कर दिया। बारिश से किसानों के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई। बारिश से गेहूं की फसल को काफी लाभ होगा। सोमवार रात को जींद में सात एमएम, सफीदों में बूंदाबांदी, जुलाना में चार एमएम, उचाना में पांच एमएम, नरवाना में छह एमएम, पिल्लूखेड़ा में बूंदाबांदी दर्ज की गई। सोमवार को दिनभर आकाश में काले बादलों का जमावड़ा लगा रहा। दोपहर को हवा भी तेज हो गई और बंदूाबांदी शुरु हो गई जो रात को बारिश में तब्दील हो गई। जो रातभर रूक रूक कर जारी रही। मंगलवार को दिन का आगाज ठंड के साथ हुआ। दिनभर आकाश में बादलों का जमावड़ा लगा रहा और सुबह हलकी बूंदाबांदी हुई। मंगलवार को अधिकत्तम तापमान 21 डिग्री, न्यूनतम तापमान आठ डिग्री दर्ज किया गया। हवा की गति दस किलोमीटर प्रति घंटा रही। जबकि आद्रता 65 प्रतिशत रही। मौसम विभाग के अनुसार अगले दो दिनों तक बादल छाए रहेंगे और बूंदाबांदी हो सकती है। खरीफ फसल बिजाई के बाद दिन में तापमान बढऩे लगा था और रात का तापमान नीचे जा रहा था। जिसके कारण किसानों को फसलों में चेपा, अल तथा अन्य बीमारियों की चिंता सताने लगी थी। इस बार जिले में किसानों ने 2.20 हजार हेक्टेयर में गेहूं तथा पांच हजार हेक्टेयर में सरसोंकी बिजाई की हुई है। लगभग दो हजार हेक्टेयर में चना, मेथी, जौ बरसीम की बिजाई की हुई है। सोमवार रात को हुई बारिश से गेंहू, चने, मेथी, जौ व सरसों की फसलों को काफी फायदा होगा। 
पांडू पिंडारा कृषि विज्ञान केंद्र के कॉर्डिनेटर डा. आरडी पंवार ने बताया कि बारिश से सरसों, चना व गेहूं के अलावा सब्जियों की फसल को भी फायदा होगा। यह पानी का काम करेगा। यदि ओर बारिश हो जाती है तो यह सोने पर सुहागा साबित होगा। 

भगवान श्रीराम कथा मानव को भक्ति का उज्जवल पथ दिखाती : साध्वी सुमेधा


ऋषियों के दिखाए मार्ग पर चलने से मानव जीवन में होगा कल्याण

जींद 
साध्वी सुमेधा भारती ने कहा कि श्रीराम कथा की पावन पयस्विनी जन-जन को प्रेम सुध से आप्लावित करती है। यह माया व विकारों के अंंंधेरे में भटक रहे मानव को भक्ति का उज्जवल पथ दिखला कर उसके शुष्क हृदय में संवेदनाओं और भावनाओं का संचार करने में भी सक्षम है। साध्वी सुमेधा भारती दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के तत्वावधान में सैनी कन्या स्कूल में आयोजित श्रीराम कथा के प्रथम दिवस के दौरान श्रद्धालुओं को संबोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि ईश्वरीय महिमा से ओतप्रोत प्रभु की कथा सदैव जन-जन का कल्याण करती है और जनमानस को जनकल्याण के मार्ग पर अग्रसर होने की प्रेरणा भी देती है। हमारे भारतवर्ष में सदा से परकल्याण की भावना प्रधान रही है। ईश्वर के सभी अवतारों या ऋषियों-मनीषियों ने यूं तो अनेकों महान कार्य किए हैं लेकिन अगर उनके कार्यों में साम्य देखा जाए तो सभी ने स्वयं साध्नस्थ रह कर परमार्थ किया। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने कंटकाकीर्ण वन पथ का चयन इस लिए किया ताकि अधर्म का समूल नाश कर सभी के जीवन में सुख व समृद्धि के पुष्प खिलाए जाएं। भूतभावन भगवान भोलेनाथ ने जन-जन के रक्षण हेतु सागर से निकले विष को कण्ठस्त कर लिया। कहीं विवेकानंद तो कहीं रामतीर्थ, कहीं वर्धमान तो कहीं राजा शिबि, कहीं दधिचि ऋषि तो कहीं भर्तृहरि इसी परकल्याण रूपी मणिका के समुज्जवल मोती हैं जिन्होंने स्वयं परहित हेतु अपने जीवन के सुखों का त्याग कर दिया और मानव के आगे एक प्रेरणा स्रोत बन गए। उन्होंने कहा कि अर्वाचीन समाज में आवश्यकता है कि मानव इन महान विभूतियों को आदर्श बना कर इनसेे शिक्षा ग्रहण करें। क्योंकि आज घोर कलिकाल के प्रभाव के कारण प्रेम, भावनाओं व संवेदनाओं से रहित मानव का हृदय शुष्क हो चुका है। आपाधपी भरे जीवन में सभी केवल अपने लिए जीते हैं लेकिन शास्त्रा कहते हैं कि मानव तो वह है जो औरों के लिए जीए। अपने दुख में तो सभी गमगीन हो ही जाते हैं लेकिन सच्चा मानव तो वह है जो दूसरों के दुख देखकर द्रवित हो उठे। जो दूसरों की भलाई के लिए अपने सुखों का त्याग कर दे। साध्वी सुमेधा ने बताया कि मानव के अंधकारमय हृदय में परकल्याण रूपी भावना का सूर्य तभी उदय हो पाएगा जब उसकी सोच विशाल होगी। क्योंकि संकीर्ण दायरों में बंध मानव कभी भी विशाल संसार के बारे में नहीं सोच सकता है। हमारे ऋषियों की सोच विशाल थी, इसीलिए तो उन्होंने वसुधैव कुटुंबकम का उद्घोष किया। उनके लिए तो सारा विश्व अपना परिवार था। वह सदा इस परिवार के सुख की कामना करते हुए कहते थे सभी सुखी हों, सभी के दुख-दर्द समाप्त हों, सभी अपने बुरे कर्मों से मुक्त हो कर सुंदर जीवन व्यतीत करें। प्रभु की कथा इसी अध्यात्म ज्ञान का संदेश देती है। इस अवसर पर जवाहर सैनी, नरेश सैनी, हरेंद्र सैनी, रामतीर्थ गुप्ता व कृष्ण लाल सहगल विशेष तौर पर मौजूद रहे।




हडवारा हटवाने की मांग को लेकर किया प्रदर्शन

डीसी को ज्ञापन सौंप स्वयं निरीक्षण करने की मांग
हडवारे से उठने वाली बदबू से परेशान हैं इलाके के लोग

जींद
न्यू हांसी रोड से हडवारा हटवाए जाने की मांग को लेकर हडवारा हटाओ समिति ने प्रदर्शन किया और प्रशासन तथा सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। बाद में समिति सदस्यों ने डीसी अमित खत्री को ज्ञापन सौंपकर हडवारे का निरीक्षण कर वहां से हटवाने की मांग की। हडवारा हटाओ समिति के प्रधान राजा सैनी के नेतृत्व में एकत्रित हुए सदस्यों ने हडवारे के सामने पहुंचकर नारेबाजी की। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो हडवारा को पूर्णत वैज्ञानिक विधि से बताया जा रहा है। दूसरी तरफ हडवारे से उठने वाली बदबू के कारण वहां रहने वाले लोगों का जीना मुहाल हो गया है। इस संर्दभ में एसडीएम को भी हडवारे का निरीक्षण करने के निर्देश दिए गए थे। बावजूद इसके हडवारे का निरीक्षण नहीं किया गया। उन्होंने मांग की कि डीसी स्वयं हडवारे का निरीक्षण करें और वहां के दुर्गंध पूर्ण वातावरण में रह रहे लोगों से भी जानकारी जुटाएं। उन्होंने कहा कि मृत पशुओं को खुले में डाला जा रहा है। जिससे बदबू उठ रही है। बदबू के कारण साथ लगते गांव, शिक्षण संस्थानों तथा कालोनी के लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हडवारा में चिमनी तथा कुएं का निर्माण तो किया है लेकिन उनका प्रयोग नहीं किया जा रहा है। प्रदुषण को देखते हुए हडवारे को नगर परिषद क्षेत्र से बाहर होना चाहिए, जबकि यह बस्तियों के बीच में आ चुका है। उन्होंने चेताया कि अगर हडवारे को यहां से नहीं हटाया गया तो आसपास इलाके के गांव, शिक्षण संस्थान, कालोनियों के लोग आंदोलन करने को मजबूर होंगे। इस मौके पर शमशेर, राजेश, बलजीत, चंद्रपाल, इंद्र, सुशील, सुभाष, सुनील, दीपक, कृष्ण, राजकुमार, ऋषिपाल, रणधीर सहित काफी लोग मौजूद थे। 

बनभौरी मंदिर को लेकर खापें उतरी सरकार के विरोध में

तत्काल प्रभाव से मंदिर के सरकारीकरण को रद्द करे सरकार : कंडेला
15 दिसम्बर को खापें, सामाजिक संगठन, जनप्रतिनिधि करें प्रदर्शन
मंदिर का सरकारीकरण कर जनभावना को भड़का रही है सरकार
जींद
बनभौरी मंदिर के सरकारीकरण के विरोध में खाप चौधरी, सामाजिक संगठन, विश्व हिन्दू परिषद, सरपंच तथा ब्राह्मण सभा उतर आई है। सभी 15 दिसम्बर को मंदिर के सरकारीकरण के विरोध में शहर में प्रदर्शन करेंगे और सरकारीकरण को रद्द किए जाने की मांग को लेकर डीसी को ज्ञापन सौंपेंगे। खाप चौधरियों तथा सामाजिक संगठनों ने चेताया कि अगर 15 दिसम्बर तक सरकार ने अपने फैसले को वापस नहीं लिया तो खापें तथा सामाजिक संगठन, कर्मचारी संगठन मिलकर आंदोलन शुरु कर देंगे। जाट धर्मशाला में सर्वजात सर्वखाप के राष्ट्रीय संयोजक टेकराम कंडेला, प्रदेशाध्यक्ष मेवासिंह छातर, प्रवक्ता मा. किताब सिंह भनवाला, सरपंच मुकेश, संजय, विहिप के पूर्व जिलाध्यक्ष फूलकुमार शास्त्री, ब्राह्मण सभा के अध्यक्ष भगवानदास ने संयुक्त पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि सरकार ने बनभौरी मंदिर का सरकारीकरण कर उससे जुड़े परिवारों, भक्तों की आस्था के साथ खिलवाड़ किया है। सदियों से ब्राह्मण परिवार मंदिर की देखरेख, रखरखाव करते आ रहे हैं। 36 बिरादरी के अलावा हिन्दू, सिक्ख तथा सिया मुस्लमान बनभौरी मंदिर में आस्था रखते हैं। सरकार के फैसले से भी जाहिर है कि इसमे षडयंत्र की बू आ रही है। मंदिर के सरकारीकरण के विरोध में 15 दिसम्बर को जिलेभर की खापें, सामाजिक संगठन, कर्मचारी, पंच सरपंच तथा जिला पार्षद एकजुट होकर शहर में विरोध प्रदर्शन करेंगे। ज्ञापन के माध्यम से सरकार को लोगों की भावना के बारे में अवगत करवाया जाएगा। उन्होंने कहा कि बनभौरी मंदिर के समकक्ष दर्जनभर पुजनीय स्थल हैं, जिनकी तरफ सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया। केवल बनभौरी मंदिर को टारगेट किया गया है। 15 दिसम्बर को ही ठोस रणनीति भी बनाई जाएगी, जिसके लिए बकायदा एक कमेटी का गठन किया जाएगा जो आंदोलन की रूपरेखा तैयार करेगी। खाप चौधरियों तथा सामाजिक संगठनों ने आरोप लगाया कि सरकार मंदिर का निजीकरण कर तानेबाने को तोडऩे की कोशिश कर रही है और भक्तों की आस्था से खिलवाड़ कर रही है। जिससे लोगों में अच्छा खास रोष है। उन्होंने चेताया कि अगर सरकार ने मंदिर के सरकारीकरण के फैसले को रद्द नहीं किया तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। इस मौके पर मानव सेवा समिति के प्रेम भारद्वाज, ब्राह्मण सभा के प्रवक्ता ओम नारायण, हरपाल ढुल, जीतगढ़ के सरपंच संजय, रामकुमार समेत कई लोग मौजूद थे।
सर्वजात सर्वखाप के राष्ट्रीय संयोजक एवं कंडेला खाप के प्रधान टेकराम कंडेला ने कहा कि बनभौरी मंदिर से लाखों लोगों की आस्थाएं जुड़ी हुई हैं। मंदिर की देखरेख कर रहे पुजारी परिवारों के साथ सरकार खिलवाड़ कर रही है। जिसे खापें बिल्कुल भी सहन नहीं करेंगी। 15 दिसम्बर को प्रदर्शन के माध्यम से रोष जताया जाएगा, उसके साथ ही आंदोलन की रणनीति भी बनाई जाएगी।
गांव ईक्कस के सरपंच प्रतिनिधि हरपाल ढुल ने कहा कि मंदिर का सरकारीकरण जनभावना से खिलवाड़ है। सरकार को स्वर्ण मंदिर के मामले से सबक लेना चाहिए। उस दौरान पंजाब में क्या हुआ था, अब हरियाणा में भी मंदिर का सरकारीकरण कर जनभावना को उकसाने का कार्य किया जा रहा है। 

Saturday, 9 December 2017

ऑनलाइन की तरफ लोगों के बढ़ते रुझान के साथ ठगी की वारदातें भी

जींद : ऑनलाइन की तरफ लोगों के बढ़ते रुझान के साथ ठगी की वारदातें भी बढ़ती जा रही हैं। ऑनलाइन शॉ¨पग, बैंक ट्रांजेक्शन और एटीएम से लेन-देन में ठग गिरोह लगातार सक्रिय है। ऐसे में तकनीक का फायदा मिलने के साथ नुकसान भी उठाना पड़ रहा है। जागरूकता के अभाव में सालभर में लोगों के खातों से ऑनलाइन ठगी से दो सौ करोड़ रुपये गायब हो चुके हैं।
जिले में सालभर में ऑनलाइन ठगी के आठ बड़े मामले सामने आई। इसके अलावा 40 मामले डेबिट कार्ड बदलकर और फोन पर बैंक अधिकारी बनकर खाते की डिटेल लेकर लोगों के खातों से पैसे निकाले के सामने आए हैं। ऑनलाइन ठगी करने वाले इतने शातिर होते कि वे किसी को भी फोन लगा देते हैं और खुद को बैंक का अधिकारी बताते हैं। ये ठग बैंक खाता बंद व एटीएम बंद होने की बात कहकर व्यक्ति को अपने जाल में फंसा लेते हैं। खाता व एटीएम से निकासी सही करने के नाम पर ठग व्यक्ति से एटीएम नंबर, ओटीपी की जानकारी ले लेते हैं। उनके झांसे में आकर व्यक्ति ये जानकारियां दे देता है और उसके खाते से राशि निकालना शुरू कर देते है। जब तक वह कुछ समझ पाता है, तब तक अच्छी खासी चपत लग चुकी होती है। जब पुलिस तक मामला पहुंचता है वह नंबर बंद हो चुके होते हैं। साइबर टीम जब उनकी डिटेल को खंगालती है, तो वह नंबर फर्जी आइडी पर लिए होते हैं। ऐसे में पुलिस इन आरोपियों तक नहीं पहुंच पा रही है। इसके अलावा जिले में सबसे बड़ी ठगी का मामला सोशल ट्रेड का आया है। लोगों ने ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर में लोगों ने मोटा पैसा इसमें निवेश किया। बाद में कंपनी में जिले के लोगों के करोड़ों रुपये डूब गए। इसके अलावा पंजाब की एक कंपनी में मोटी ब्याज दर देने के नाम पर जींद के लोगों के करोड़ों रुपये लेकर फरार हो गई। ठगी होने के बाद पुलिस ने मामले तो दर्ज कर लिए और कंपनी से जुड़े छोटे लोगों को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया, लेकिन लोगों की खून पसीने की कमाई आज तक नहीं लौटी है।
20 हजार लोग हुए ठगी का शिकार
पीड़ितों के मुताबिक जींद में करीब 20 हजार लोग एब्लाज एन्फो सोल्यूशन प्रा. लिमटेड नाम की इस कंपनी से जुड़े हुए थे। उनसे सौ करोड़ से ज्यादा की ठगी हुई है। ठगी का शिकार हुए अमन, प्रदीप, प्रमोद, सतीश ने बताया कि लालच देने वालों ने बताया था कि यह कंपनी सरकारी नियमों के अनुसार काम करती है। उन्हें ऑनलाइन पोर्टल पर कुछ पेज को लाइक करना है, जिसके लिए उन्हें रोजाना रुपये मिलेंगे और जल्दी वे भी अमीर बन जाएंगे। पीड़ित अमन, प्रमोद ने बताया कि साढ़े 57 हजार में एक आइडी बनती थी। इसके बाद हर रोज 125 क्लिक मिलते थे। हर क्लिक पर पांच रुपये मिलते थे। इसके अलावा नीचे दो आदमी जोड़ने पर प्रमोशन इनकम अलग से मिलती थी और 125 क्लिक की जगह 250 क्लिक मिलते थे। अपने नीचे 100 आदमी जोड़ने पर गोल्ड मेंबर बनाने का लालच दिया था। जिसके बाद 50 हजार रुपये प्रति महीना अलग से फिक्स राशि देने की बात कही थी। इस लालच में पीड़ितों ने अपने नजदीकी दोस्तों और रिश्तेदारों को अपने नीचे मेंबर बना दिया।
ज्यादा ब्याज का दिया झांसा
इस साल जींद के शिव कालोनी में ठगी का मामला सामने आया। जहां पर धर्मेंद्र नाम के एक युवक ने बताया कि उसने पंजाब की एक कंपनी के साथ मिलकर बैंक खोला है और उनकी राशि को जल्द ही डबल कर देंगे। इस पर लोग झांसे में आ गए और सैंकड़ों लोगों ने उनके पास पैसा निवेश कर दिया। शुरुआत में कंपनी के लोगों ने कुछ ब्याज तो दिया, लेकिन बाद में उनका पैसा डूब गया। इस दौरान कंपनी लोगों की लगभग 70 करोड़ रुपये के करीब लेकर फरार हो गई। बाद में पुलिस ने इस मामले में कंपनी के माध्यम बने शिव कालोनी के धर्मेंद्र, उसके भाई व पिता को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन पैसा वापस नहीं आया।
ऐसे बचें ठगी से
1. फोन पर किसी को भी बैंक खाते व एटीएम की डिटेल न दे
2. फोन या मेल पर खाते से संबंधित मैसेज आता है तो इसके बारे में पहले बैंक में जाकर पुष्टी करें
3. एटीएम का पासवर्ड व एटीएम के 16 नंबरों की डिटेल किसी को न दें
4. पैसा निकालने के दौरान किसी भी अनजान व्यक्ति को एटीएम कार्ड न दें
5. अगर किसी का फोन आता है तो इसकी सूचना तुरंत ही अपने बैंक व पुलिस को दें
नहीं पहुंच पाती पुलिस आरोपियों तक
फोन करके बैंक उपभोक्ताओं को चूना लगाने वाले नंबर को पुलिस साइबर सेल ट्रेस करने का प्रयास करती है, लेकिन उनको कोई सफलता नहीं मिल पाती है। पुलिस जांचों में सामने आया है कि यह गिरोह फर्जी सिमों से कॉल कर ठगी करते हैं। इनके फोन ट्रेस किए जाते हैं तो वे अन्य किसी व्यक्ति के नाम पर मिलते हैं, जो फोन चलाना भी नहीं जानते है।
--------------------
ऑनलाइन ठगी से बचने के लिए लोगों को बार-बार आगाह किया जाता है। बैंकों की ओर से जागरुकता के प्रयास जारी है, इसके बावजूद भी लोग ठगी का शिकार हो रहे हैं। बैंकों की ओर से ग्राहकों को यह भी बताया जाता है कि उनकी तरफ से कभी भी कोई फोन नहीं किया जाता। लोगों को अपने पैसों को निवेश करने से पहले उसकी जांच पड़ताल कर लेनी चाहिए।
एमके झा, लीड बैंक मैनेजर, जींद

पुलिस विभाग करेगा ऑनलाइन मंच संचालन प्रतिभा खोज प्रतियोगिता

24 दिसंबर को गृहमंत्री व सीएम करेंगे स्टूडेंट पुलिस कैडेट कार्यक्रम का शुभारंभ

जींद
ऑनलाइन मंच संचालन प्रतिभा खोज प्रतियोगिता का आयोजन पुुलिस विभाग द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर किया जा रहा है। इस प्रतियोगिता में आठवीं कक्षा से 12 वीं कक्षा तक के टैलेंटेड छात्र-छात्राएं अपनी प्रतिभा का दो मिनट का विडियो क्लीपिंग स्टूडेंट पुलिस के डेट प्रोग्राम डॉट इन पर भेज सकेंगे। इसके साथ ही 24 दिसंबर को गृहमंत्री राजनाथ सिंह भारत सरकार व हरियाणा के मुख्यमंत्री गुरुग्राम में स्टूडेंट पुलिस केडेट कार्यक्रम का शुभारम्भ भी संयुक्त रूप से करेंगे। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय स्तर का कार्यक्रम होगा जिसमें देश के सभी राज्यों के साथ साथ केंद्र शासित प्रदेशों के पांच हजार कैडेट और कार्यक्रम प्रभारी व अधिकारी भाग लेंगे। इस कार्यक्रम के लिए यह निर्धारित किया गया है कि मंच का संचालन कोई और नहीं बल्कि स्कूली छात्र छात्रा द्वारा ही किया जाएगा। आत्मविश्वास, बोलने की कला, फेसबुक पर मिलने वाले लाईकस और शेयर की संख्या के आधार अनुभवी निर्णायकों की टीम द्वारा 16 प्रतिभाशाली छात्रों को चुना जाएगा और ऑडिशन के माध्यम से सर्वश्रेष्ठ चार जिसमें दो छात्र व दो छात्राओं का चयन किया होगा। जबकि अंतिम चार में जगह बनाने वाले इन छात्र छात्राओं को प्रशंसा पत्र एवं आकर्षक ईनाम जैसे कंप्यूटर, मोबाइल फोन, हार्ड ड्राइव, कोचिंग सेंटर का डिस्काउंट हैंपर मिलेगा। इसके साथ ही स्कूल के प्रधानाचार्य व संबंधित अध्यापकों को भी प्रशंसा पत्र एवं मंच पर विशेष स्थान दिया जाएगा। जिसमें बच्चों को बोलने की कला जो की एक महत्वपूर्ण स्कील है जिससे बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ेगा और स्टूडेंटस पुलिस कैडेट प्रोग्र्राम से छात्रों , शिक्षकों एवं माता पिता में भी जागरूकता पैदा होगी । इस प्रोग्राम के बारे में विस्तार से स्कूली बच्चों व प्रधानाचार्य को बताने के लिए डीएसपी परमजीत सिंह समोता ने जींद के डीएवी सीनियर सेकेंडरी स्कूल, होली हर्ट सीनियर सेकेंडरी स्कूल, लॉर्ड शिवा मॉडल स्कूल में पहुंचे। बच्चों द्वारा स्टूडेंट पुलिस केडेट प्रोग्राम के बारे में जानकर काफी प्रशंसा भी की।  

पराली को जलाने की बजाये पशु चारे के रूप में करें प्रयोग

पराली न जलाने वाले किसान समाज के सच्चे हितैषी : डीसी 
जींद जिला बना पराली ब्रिकी केंद्र की बहुत बड़ी मंडी
देशभर से व्यापारी पराली खरीद को लेकर आ रहे जींद

जींद 
पराली जलाना आज के समय की एक गम्भीर समस्या है। पराली जलाने से पर्यावरण तो प्रदूषित होता ही है साथ ही पशुओं के लिए चारे की समस्या भी बन जाती है। सरकार पराली न जलाने के लिए किसानों को प्रेरित करने के लिए समय- समय पर जागरूकता अभियान भी चलाती है, यहां तक की पराली जलाने पर सरकार द्वारा प्रतिबंध भी लगाया जा चुका है, उसके बावजूद भी किसान पराली जलाते रहते है। अगर यह कहा जाये कि किसान पराली जलाकर अपने जीवन तथा आने वाली पीढिय़ों के लिए गम्भीर समस्या पैदा कर रहे है तो कोई बड़ी बात नहीं होगी। इस बीच कुछ किसान ऐसे भी है जो पराली को न जला कर इसे इक_ा करते हैं और अपने लिए मुनाफे का सौदा बना लेते है। यह किसान अन्य किसानों के लिए किसी प्रेरणा स्त्रोत से कम नहीं है। लोगों को चाहिए कि वे पराली को न जलाकर इसका प्रयोग पशुचारे के रूप में करे और अपने आर्थिक स्तर को भी मजबूत करने का काम करें। 
पराली इक_ा कर बेचने का व्यवसाय कर रहे युवा
मनोहरपूर गांव के किसान प्रमोद रेढू, राजकुमार, जगबीर सिंह, सुरेन्द्र ऐसे किसान है जो पराली को कभी नहीं जलाते बल्कि आसपास के इलाके की पराली को ईक्कठा कर इसकी ब्रिकी करते है। प्रमोद रेढू ने बताया कि फिलहाल उसके पास 14 हजार क्विंटल पराली का स्टॉक है। हर वर्ष वह पराली इक_ी करने का काम करता है, जिससे मोटा मुनाफा कमा कर परिवार को आर्थिक रूप से मजबूत करता है। उन्होंने बताया कि सीजन के दौरान 5००- 6०० रुपये के हिसाब से एक एकड़ क्षेत्र की पराली मिल जाती है। उन्होंने सीधे शब्दों में बताया कि सीजन के दौरान 1०० रुपये क्विंटल के हिसाब से पराली खरीद लेते हैं और कुछ समय के बाद इस पराली को लगभग 15० रुपये क्विंटल के हिसाब से बेचा जाता है। अगर पराली को काट कर बेचा जाये तो इसकी कीमत लगभग 19० रुपये प्रति क्विंटल तक हो जाती है। 
कौन है पराली के खरीदार
किसान प्रमोद रेढू, राजकुमार, जगबीर सिंह, सुरेंद्र ने बताया कि पराली के ज्यादातर खरीददार राजस्थान के व्यापारी हैं। ये व्यापारी हर वर्ष हरियाणा से लाखों टन पराली की खरीददारी करते हैं। पराली के कोई निर्धारित रेट नहीं होते हैं। अगर राजस्थान के क्षेत्रों में सही मात्रा में बारिश हो जाती है तो वहां चारे की कोई कमी नहीं रहती है, इस स्थिति में हरियाणा प्रदेश से व्यापारी कम मात्रा में पराली खरीदते हैं जिससे पराली के रेटो में काफी कमी आ जाती है। उन्होंने बताया कि कुछ व्यापारी हरियाणा प्रदेश के महेन्द्रगढ़, झज्जर जिलों से भी यहां पराली खरीदने के लिए आते हैं, यह व्यापारी वहां के बिजली पांवर प्लाटों को ईंधन के लिए पराली सप्लाई करने का कार्य भी करते हैं। इसके अलावा गता फैक्टरियों में पराली का प्रयोग होता है कुछ व्यापारी गता फैक्टरियों से भी पराली की खरीद के लिए यहां पहुंचते है। 
जिला में यहां है पराली की बड़ी मंडियां
पराली की मांग को देखते हुए जींद जिला में अनेक बड़ी-बड़ी मंडियां विकसित हो रही हैं। नगूरां, रामराये, सफीदों क्षेत्र में कई बड़ी मंडियां उभरी रही है। दूसरे प्रदेशों से हर वर्ष हजारों की संख्या में व्यापारी इन मण्डियों में पराली खरीद के लिए आ रहे है। मंडियों में कटी तथा साबुत पराली की ब्रिकी हो रही है। 
पराली व्यवसाय बन रहा है लाभ का सौदा
जिस पराली को किसान बेकार वस्तु मान कर जला देते थे, अब वही पराली किसानों के लिए लाभ का सौदा बन रही है। प्रति एकड़ लगभग 5०० से 1००० रुपये में किसान इसकी ब्रिकी कर रहे हैं। व्यापारी भी इसे अच्छा खासा लाभ प्राप्त कर रहे है। जब से पराली ब्रिकी ने व्यवसाय का रूप लिया है, तब से पराली को जलाना भी कम हुआ है। जिसका सीधा सकारात्मक असर मानव के जीवन पर पड़ रहा है। 
नंदीशालाओं के लिए कम रेट में पराली उपलब्ध करवाने को भी तैयार
मनोहरपूर गांव के पराली स्टोकर किसान सुरेंद्र सिंह ने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा गौवंश को सुरक्षित आश्रय स्थल उपलब्ध करवाने के लिए जीन्द में एक बहुत बड़ी अस्थाई नंदीशाला बनाई गई है। इस कार्य में अगर जिला प्रशासन सहयोग की अपील करता है तो वह काफी कम दरों पर पराली उपलब्ध करवा सकता है। इस तरह के परोपकार के कार्य करने वाले जिलाभर से अनेक किसान है। कुछ किसानों का कहना है कि सीजन के दौरान अगर जिला प्रशासन पराली लेना चाहे तो वे नि:शुल्क पराली उपलब्ध करवा सकते है।
कंबाइन मशीन द्वारा कटाई गई पराली है चिन्ता का विषय
किसान प्रमोद रेढू ने बताया कि  हाथ से काटी गई पराली की खरीद की जा सकती है। इसे किसानों को तो फायदा पहुंचता ही है, साथ ही पर्यावरण प्रदूषण पर भी अंकुश लगता है। फिलहाल अगर कोई समस्या है तो कंबाइन मशीन द्वारा काटी गई पराली है। इस पराली को जलाने के सिवाय किसान के पास कोई दूसरा चारा नहीं होता है। उन्होंने बताया कि अगर कोई इस तरह की तकनीक इजाद कर ली जाये कि इस पराली को खेत में ही काटकर इसका चारा बना दिया जाये तो पर्यावरण प्रदूषण की समस्या तो खत्म होगी ही साथ ही पशु चारे की कोई कमी भी नहीं रहेगी।

एएवाई के साथ बीपीएल को भी मिलेगी चीनी तथा सरसों का तेल

अप्रैल 2017 में बीपीएल परिवारों की बंद कर दी गई थी चीनी
निदेशालय ने जनवरी 2018 से सरसों तेल व चीनी वितरण के दिए आदेश
70215 एएवाई तथा बीपीएल परिवारों को होगा फायदा

जींद
एएवाई और बीपीएल परिवारों के लिए अच्छी खबर है खाद्य एवं आपूर्ति निदेशालय ने जनवरी 2018 से चीनी तथा सरसों तेल देने का निर्णय लिया है। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने अप्रैल माह में चीनी का वितरण रोक दिया था। हालांकि एएवाई को प्रति राशन कार्ड के हिसाब से महीने में एक किलोग्राम चीनी मिलती रही है लेकिन बीपीएल की चीनी को बंद कर दिया गया था। जनवरी माह में एएवाई तथा बीपीएल परिवारों को एक किलोग्राम चीनी तथा एक लीटर सरसों का तेल उपलब्ध करवाया जाएगा। चीनी को 13 रुपये प्रति किलोग्राम जबकि सरसों तेल 20 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से दिया जाएगा। जिसका सीधा लाभ 70215 एएवाई तथा बीपीएल परिवारों को पहुंचेगा। 
जिले में किस राशन कार्ड के कितने हैं उपभोक्ता
राशन कार्ड                     उपभोक्ताओं की संख्या 
एएवाई (गुलाबी)             18763
बीपीएल (पीला)              51452
ओपीएच (खाकी)            102745
एपीएल (हरा)                155700
जिले में कितने हैं डिपू पर होता है राशन वितरित
खंड नाम               संख्या
जींद                      156
नरवाना                   162
सफीदों                    80
उचाना                    52
अलेवा                    35
जुलाना                   58
पिल्लूखेड़ा                 41
एएवाई के साथ बीपीएल को भी मिलेगा तेल व चीनी
खाद्य एवं आपूर्ति विभाग अपने उपभोक्ताओं को कार्डो के अनुसार अलग-अलग मात्रा और कीमत में राशन देता है। बीपीएल और ओपीएच उपभोक्ताओं को पांच किलोग्राम प्रति व्यक्ति दो रुपये किलो गेहूं मिलता है। एएवाई (गुलाबी) उपभोक्ताओं को 35 किलोग्राम गेहूं दो रुपये प्रति किलोग्राम कीमत से तथा एएवाई को एक किलोग्राम चीनी प्रति महीना 13.00 रुपये प्रति किलो की दर से, एएवाई और बीपीएल उपभोक्ताओं अढाई किलो ग्राम दाल 20 रुपये प्रति किलो की दर से मिलती है। अब एएवाई के साथ बीपीएल को 13 रुपये किलो के हिसाब से चीनी तथा 20 रुपये लीटर के हिसाब से सरसों का तेल मिलेगा। पिछले अप्रैल माह में बीपीएल को चीनी वितरण पर रोक लगा दी गई थी। जबकि एएवाई को चीनी दी जाती रही है। 
क्या कहते हैं जिला खादय एवं आपूति निंयत्रक
खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के नियंत्रक राजेश आर्य ने बताया कि जनवरी 2018 से एएवाई व बीपीएल कार्ड धारकों को प्रति राशन कार्ड के हिसाब से चीनी व एक लीटर सरसों का तेल मिलेगा। 

Thursday, 7 December 2017

रक्तदान करने से शरीर में नही आती कोई कमी

हर व्यक्ति को समाज निर्माण का कार्य करना चाहिए
शिविर में 151 युवाओं ने किया रक्तदान

जींद 

मुख्यमंत्री मनोहरलाल के निजी सचिव राजेश गोयल ने कहा कि जब कोई व्यक्ति अपने हितों को दरकिनार कर समाजोत्थान के लिए परोपकार के कार्य निश्वार्थ भाव से क रता है, तो वह व्यक्ति महापुरूष कहलाता है। हर व्यक्ति को अपने जीवन की सार्थकता साबित करने के लिए समाज निर्माण में कार्य करने चाहिए। अगर यह भावना हर व्यक्ति में घर कर जाती है तो यह धरती स्वर्ग से भी सुन्दर बनते देर नही लगेगी। सीएम निजी सचिव राजेश गोयल गांव ढिगाना में आयोजित मेगा रक्तदान शिविर को संबोधित कर रहे थे। शिविर का आयोजन राष्ट्रपति से युवा पुरस्कार प्राप्त दंपत्ति सुभाष ढिगाना व मंजू शर्मा द्वारा उनकी शादी की सालगिरह पर किया गया। उन्होंने कहा कि रक्तदान से बड़ा कोई दान नहीं होता है। यह एक ऐसा पुण्य का कार्य है जो दूसरों के जीवन को बचाने का काम करता है। हर व्यक्ति को अपनी जीवन अहम क्षणों जैसे खुद के जन्मदिन, बेटा बेटी के जन्म दिन व अन्य खुशी के क्षणों पर रक्तदान करना चाहिए। रक्तदान करने से शरीर में किसी प्रकार की कोई कमजोरी नहीं आती है। यह मात्र एक भ्रम है। विशेषज्ञों के अनुसार रक्तदान करने के 24 से 48 घंटे के बीच शरीर में रक्त की पूर्ति हो जाती है और शरीर कई प्रकार की बीमारियों से भी मुक्त हो जाता है। उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम निश्चित रूप से लोगों के लिए प्रेरणा के स्त्रोत साबित होते हैं। इस अवसर पर उन्होंने रक्तदाताओं को बैज लगाकर रक्तदान के लिए प्रेरित किया। इस दौरान उन्होनें रक्तदाताओं को प्रशंसा पत्र तथा हैलमेट भी वितरित किए और कहा कि जब भी दो पहिया वाहन चलाएं हैलमेट का प्रयोग अवश्य करें। जब आप हैलमेट का प्रयोग करेगें तो अन्य लोग भी हैलमेट का प्रयोग करने के लिए प्रेरित होगें। 

रक्तदान करने से शरीर में नही आती कोई कमी : सौरभ
जिला विधिक प्राधिकरण के सचिव एवं मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी खत्री सौरभ ने रक्तदाताओं को बैज लगाने उपरांत आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि रक्तदाताओं को अगर समाज के असली हीरो कहा जाए तो अतिश्योक्ति नही होगी। शरीर से खून वही व्यक्ति दान करता है जिससे अपने समाज व देश से प्यार होता है। जींद जिला रक्तदाताओं के मामले में प्रदेश का अग्रणी जिला है। जो इस बात को साबित करता है कि यह जिला देशभक्ति की भावना से ओत प्रोत युवाओं से भरा पड़ा है, जो इस जिला के लिए गर्व की बात है। उन्होंने जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण द्वारा लोगों को उपलब्ध करवाई जा रही एक-एक सेवा की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्राधिकरण की हैल्पलाइन नम्बर पर कोई भी व्यक्ति सम्पर्क कर इन सेवाओं का लाभ उठा सकता है। अगर किसी गांव के लोग किसी भी प्रकार की कानून से जुड़ी जानकारी हासिल करना चाहते है तो उस गांव में प्राधिकरण द्वारा कानूनी शिविर का आयोजन करवाने में कोई ढील नही बरती जाएगी। कार्यक्रम को डा. एके चावला, तहसीलदार प्रवीण कुमार सहित 151 रक्तदाताओं ने रक्तदान किया। इस मौके पर अमित भास्कर, मनप्रीत पाहवा, अजय पाहवा, रमाकान्त शर्मा, जिले सिंह, जसमेर रजाना, विक्रम सहित अनेक गणमान्य लोग मौजूद रहे। 


विश्व मृदा दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन

किसान मोबाइल ऐप पर करें पंजीकरण
जींद 
कृषि विज्ञान केंद्र पांडु पिंडारा तथा जिला उप निदेशक जींद के संयुक्त तत्वाधान में मंगलवार को विश्व मृदा दिवस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में जिला के कृषि अधिकारियों के साथ सैंकड़ों किसानों ने भाग लिया। कार्यक्रम में जिला भाजपा के अध्यक्ष अमरपाल राणा भी मौजूद थे। उन्होंने किसानों को सरकार द्वारा चलाई जा रही स्कीमों का लाभ उठाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार किसानों के हितों के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाएं चला रही है जिसका फायदा उठाना चाहिए। कृषि विज्ञान केंद्र पांडू पिंडारा के संयोजक डॉ. आरडी पंवार ने किसानों को बताया कि आज देशभर में एक ऐप का लॉच किया गया है जिसके माध्यम से किसान पंजीकरण करके अपने मोबाईल फोन पर मिट्टी की जांच का रिजल्ट प्राप्त कर सकते हैं और यह मोबाइल ऑफ लाइन भी क्रियाशील रहती है। एसडीओ डॉ. अनिल नरवाल ने बताया कि मिट्टी की जांच के अभाव में किसान अच्छी तकनीकों, किस्मों, यंत्रों के प्रयोग के बावजूद भी यथोचित परिणाम नहीं प्राप्त कर पाता। उन्होंने बताया कि मिट्टी की जांच का नमूना लेने के लिए किसानों को 15 से.मी. वी सेप का गढ्ढा खोदना चाहिए फिर खुरपी की मदद से एक सार खड़ी परत काट लें। किसान एक एकड़ जमीन में से पांच जगहों पर से मिट्टी का नमूना एकत्रित करके उसको छाया में सुखा कर आधा किलो मिट्टी को थैले में भर कर व उस थैली पर अपना पूरा नाम, पता, किले का नंबर अंकित करे। मृदा वैज्ञानिक डा. रामेश्वर सिंह ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन एफएओ द्वारा पांच दिसंबर 2014 को प्रथम मृदा दिवस मनाया गया था। उन्होंने बताया कि मिट्टी को प्राकृतिक प्रणाली के एक महत्वपूर्ण घटक और मानव जीवन हेतु भोजन, पानी और उर्जा सुरक्षा के माना गया है। किसानों को मिट्टी के बारे में जागरूकता बढ़ाने और महत्वपूर्ण संसाधन के स्थाई उपयोग को बढ़ावा देने के लिए देशभर में आज विश्व मृदा दिवस मनाया जा रहा है। डॉ. सत्यवान आर्य व डॉ. देवेेंद्र बाजवा ने लवणीय व क्षारीय भूमियों का वैज्ञानिक तरीकों से प्रबंधन करना भी किसानों को बतलाया। कृषि वैज्ञानिकों द्वारा मौके पर किसानों से वार्ता कर उनकी समस्याओं का समाधान किया गया। डॉ. सूरजमल ने गन्ने की काश्त, उपज व तकनीकों के बारे में जानकारी दी। डॉ. अनिल नरवाल एसडीओ व डॉ. नरेंद्र पाल ने किसानों से आह्वान किया कि अपनी मिट्टी की जांच अवश्य करवाएं ताकि उनकी जमीन उर्वरा से पूरी तरह भरपूर रहे। डॉ. मुकेश मेहला ने फसलों के विविधिकरण पर जोर दिया तथा मिट्टी जांच को किसानों के लिए आवश्यक बताया। कार्यक्रम में बैंक अधिकारियों ने भी जानकारी दी। 

एग्जाम फोबिया बच्चों की मेहनत पर फेर रहा पानी


बोर्ड परीक्षाएं पास आते ही बच्चे हो रहे एग्जाम फोबिया का शिकारअध्यापिका ज्योति कर रही एग्जाम फोबिया को दूरमेहनत का कोई शॉर्टकट नहीं है :  ज्योति छिब्बर


जींद 

बोर्ड एग्जाम का समय आते ही परीक्षाओं को लेकर बच्चों पर टेंशन हावी हो जाती है। ऐसे में एक अध्यापिका का रोल काफी अहम हो जाता है और वह परीक्षार्थी बच्चों में पॉजिटिव माहौल बना दे तो बच्चे परीक्षा के तनाव से दूर हो सकते हैं। ऐसा ही कुछ कर रही हैं जीवन ज्योति संस्थान चलाने वाली अध्यापिका ज्योति छिब्बर। पटियाला चौंक स्थित आनंद अस्पताल के ऊपर जीवन ज्योति संस्थान चला रही अध्यापिका ज्योति छिब्बर जहां ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्र से आने वाली छात्राओं का परीक्षाओं को लेकर फोबिया दूर कर रही हैं वहीं इस तरह से उनकी परीक्षाओं की तैयारी करवाती हैं कि बच्चों में बोर्ड परीक्षा का भय दूर हो जाता है। बोर्ड एग्जाम आते ही अधिकतर छात्र परीक्षाओं को लेकर तनावग्रस्त हो जाते हैं और खाना-पीना और सोना सब छोड़ देते हैं। इससे उनकी सेहत और याददाश्त पर बुरा असर पड़ता है। इतना ही नहीं रात भर जाग कर पढऩे के लिए कई छात्र ऐसी दवाओं का प्रयोग भी करते हैं जिनसे उन्हें नींद न आए, जिसका बाद में उन पर साइड इफेक्ट्स का खतरा बढ़ जाता है। फिर धीरे-धीरे उन्हें इन चीजों की लत पड़ जाती है और कई तरह की शारीरिक और मानसिक समस्याएं भी शुरू हो जाती हैं। अध्यापिका ज्योति छिब्बर बच्चों की इसी मनोदशा को दूर करने के लिए संस्थान में घर जैसा माहौल उपलब्ध करवाती हैं। ज्योति का कहना है कि एग्जाम फोबिया एक ऐसी मानसिक दशा है कि जिसमें एग्जाम के डर और घबराहट की वजह से स्टूडेंट्स का उर्जा स्तर गिरने लगता है और मानसिक और शारीरिक तनाव के साथ-साथ मेमरी भी कम होने लगती है। छात्रों को आसान से सब्जेक्ट भी कठिन लगने लगते हैं। उसके लिए बार-बार याद करने पर भी चीजों को याद करना कठिन हो जाता है। ऐसे में स्टूडेंट्स निराशा और हताशा जैसी मानसिक दशा में तेजी के साथ घिरने लगता है। बच्चे की ऐसी आंतरिक मनोदशा को ही एग्जाम फोबिया कहा जाता है। 


बच्चों से करें परीक्षा का भय दूर करने के जाने कारण

अध्यापिका ज्योति छिब्बर ने बताया कि सबसे पहले यह पता लगाया जाना चाहिए कि बच्चे को एग्जाम से डर क्यों लग रहा है। क्या वह सही ढंग से तैयारी नहीं कर रहा है। क्या उसको परीक्षा में फेल हो जाने का डर सता रहा है। क्या वह परीक्षा को लेकर आसपास के वातावरण और लोगों के पूर्वानुमान से भयभीत है। 
एग्जाम की सही तैयारी करवाएं 
अध्यापिका ज्योति छिब्बर ने बताया कि किसी भी परीक्षा की तैयारी पूरी लगन, सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास के साथ करवाई जानी चाहिए। बच्चों को नोट्स से तैयारी करवाई जाए तो उससे बच्चे को काफी मदद मिलती है। इसके साथ ही पिछले साल के सैंपल पेपर से उसे टैस्ट बना करने को दें और बच्चों को यह समझाएं कि मेहनत का कोई शॉर्टकट नहीं है। 
नकारात्मक व्यक्तियों से बचें 
अध्यापिका ज्योति छिब्बर ने बताया कि बच्चे के आसपास नकारात्मक विचारों के व्यक्ति को न आने दें। ऐसे व्यक्तियों का दृष्टिकोण काफी निराशावादी होता है और वे हमेशा नकारात्मक सुझाव देते हैं। ऐसे लोगों का संपर्क आपके बच्चे के आत्मविश्वास को कम कर सकता है। यदि बच्चा एग्जाम फोबिया से परेशान है तो घर के वातावरण को बदलें। सुबह-शाम बच्चे के साथ सैर पर जाएं। पॉजिटिव लोगों और मित्रों से मिलें। पारिवारिक आयोजनों में भाग लें, रोचक और ज्ञानवर्धक टीवी प्रोग्राम देखें और प्रेरणादायक पुस्तकें पढ़ें। बच्चे को मानसिक तनाव को दूर करने के लिए कम से कम छह से आठ घंटे की गहरी नींद लेने दें। बच्चे को हल्की डाइट दें। अधिक मात्र में पेय पदार्थों का सेवन करवाएं। अगर बच्चे  परीक्षा को लेकर बच्चे की जरा सी हौसंलाअफजाही की जाए तो बच्चों से परीक्षाओं का भय दूर होगा और वह अच्छे से अपनी परीक्षा को दे पाएगा। 

Monday, 4 December 2017

पद्मावती के विरोध के विरोध में जींद के छात्र-छात्राएं


फिल्म के विरोध को बताया अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला
पद्मावती के रिलीज होने का जींद में बेसब्री से इंतजार


जींद : संजय लीला भंसाली की बेहद चर्चित और अब पूरे देश में विवाद का विषय बन चुकी फिल्म पद्मावती की जींद में छात्र-छात्राओं को रिलीज होने का बेसब्री से इंतजार है। इस ऐतिहासिक फिल्म का विरोध करने वालों के विरोध में जींद के छात्र-छात्राएं आवाज बुलंद कर रहे हैं। उनका साफ कहना है कि फिल्म को देखे बिना महज एक सीन के आधार पर फिल्म का विरोध अभिव्यक्ति की आजादी पर बहुत बड़ा हमला है। 
जींद के राजकीय महिला कालेज की छात्राओं से लेकर प्राध्यापिकाओं और राजकीय पीजी कालेज के छात्रों तक सब इस बात के पक्ष में हैं कि पहले फिल्म को देखा जाए। उसमें कुछ गलत नजर आए, तब उसका विरोध किया जाए। फिल्म को देखे बिना उसका इतने बड़े स्तर पर विरोध करना समझ से बाहर है। इस मुद्दे पर जितने विद्यार्थियों से बात की गई, उनमें से सभी ने एक सुर में कहा कि अभी तक जो बात गर्भ में है, उसका इस तरह से विरोध करना अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला है। इस तरह के हमले भारतीय संस्कृति पर भी हमले हैं और यह समझ से बाहर है। छात्र-छात्राओं ने कहा कि उन्हें फिल्म के रिलीज होने का बेसब्री से इंतजार है और फिल्म के रिलीज होते ही वह इसे देखने के लिए जरूर जाएंगे। अगर फिल्म में कहीं भी इतिहास के साथ छेड़छाड़ मिली और रानी पद्मावती तथा राजपूत समुदाय के मान-सम्मान को यह फिल्म ठेस लगाती मिली, तब वह एकजुट होकर फिल्म का पुरजोर विरोध करेंगे। 
बाक्स
फिल्म देखने से पहले इतना विरोध कतई तर्क संगत नहीं : अमृत कौर
जींद के राजकीय महिला कालेज की बीएससी मैडीकल अंतिम वर्ष की छात्रा अमृत कौर पिलानिया का कहना है कि पद्मावती फिल्म अभी रिलीज नहीं हुई है। इस फिल्म में संजय लीला भंसाली ने राजपूतों का सम्मान और गौरव बढ़ाया है या उस पर चोट की है, यह गर्भ में है। फिल्म अभी राजपूत समाज और देश ने देखी नहीं है और इससे पहले ही इतने बड़े स्तर पर फिल्म का विरोध तथा संजय लीला भंसाली और फिल्म में काम करने वाले कलाकारों दीपिका पादूकोण तथा रणबीर सिंह की नाक आदि काट लेने के फरमान जारी करने से साफ है कि कुछ लोग अपने निजी स्वार्थों और रंजिश के कारण फिल्म का विरोध कर रहे हैं। यह भारतीय संस्कृति और अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला है। फिल्म का विरोध पूरी तरह तर्क विहीन है तथा इसे किसी भी तरह से तर्कसंगत नहीं ठहराया जा सकता। आज के पढ़े-लिखे युग में इस तरह का विरोध समझ से बाहर है। अमृत कौर ने यह भी कहा कि संजय लीला भंसाली ने अपनी फिल्म में राजपूतों का गौरव बढ़ाया है। एक बार राजपूत समाज फिल्म देख लेगा तो उसे भी लगेगा कि संजय लीला भंसाली ने राजपूतों का सम्मान घटाने की बजाए उसे बढ़ाने का काम किया है। 
कलाकारों, निदेशक को धमकी देने वालों पर दर्ज हो केस : नंदिनी

कालेज छात्रा नंदिनी ने फिल्म पद्मावती का विरोध करने वालों और इसमें काम करने वाले कलाकारों तथा फिल्म निदेशक को धमकी देने वालों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि ऐसे लोगों के खिलाफ केस दर्ज होने चाहिएं। फिल्म को तुरंत रिलीज करने की इजाजत दी जानी चाहिए। इस फिल्म को राजनीति के फेर में उलझाकर रख दिया गया है। नंदिनी के अनुसार फिल्म में जिस घूमर नृत्य को लेकर राजपूत समाज इतना बवाल मचा रहा है, वह हकीकत में भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी धरोहर है। भारतीय संस्कृति की धरोहर बचाने के लिए सरकार करोड़ों रूपए खर्च कर रही है और संजय लीला भंसाली ने यह खुद अपने खर्च पर किया है। इसके बावजूद संजय लीला भंसाली की गर्दन कलम करने जैसे फरमान जारी किए जा रहे हैं। यह अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला है। फिल्मकार स्वतंत्र होते हैं और उन पर इस तरह की पाबंदियां लगाना कतई उचित नहीं। 

फिल्म देखने से पहले विरोध समझ से बाहर : रिचा
छात्रा रिचा के अनुसार फिल्म देखने से पहले उसका इस तरह विरोध हर किसी की समझ से बाहर है। पहले फिल्म रिलीज होनी चाहिए। फिल्म देखने के बाद इसमें कुछ गलत नजर आए तो विरोध करें। रिचा का कहना है कि फिल्म को देखे बिना इसका विरोध करने वालों पर केस दर्ज होने चाहिएं।
फिल्म तुरंत रिलीज होने का इंतजार : राधा

छात्रा राधा, मंजू के अनुसार पद्मावती के तुरंत रिलीज होने का युवा वर्ग को इंतजार है। फिल्म देखने के बाद ही इस पर कोई राय कायम होनी चाहिए। फिल्म देखे बिना उसका विरोध केवल राजनीतिक रंजिश है और यह नहीं होना चाहिए। अगर इस फिल्म में कहीं भी निदेशक संजय लीला भंसाली राजपूतों के सम्मान को ठेस पहुंचाते नजर आएं तो कोर्ट का सहारा लेना चाहिए। अभी फिल्म गर्भ में है और गर्भ में ही इसका विरोध पूरी तरह गलत है। 

फिल्म देखे बिना विरोध किसी भी तरह उचित नहीं : अमित
राजकीय पीजी कालेज के छात्र अमित भारद्वाज का कहना है कि पद्मावती को देखे बिना इसका विरोध कतई उचित नहीं। इस तरह फिल्म का विरोध अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला है। ऐसे हमले की इजाजत किसी भी वर्ग को नहीं होनी चाहिए। 
फिल्म को रोककर जन भावनाओं को पहुंचाई जा रही ठेस : प्रो. सुमिता आसरी

राजकीय महिला कालेज की प्राध्यापिका सुमिता आसरी का कहना है कि फिल्म को देखे बिना उसे इस तरह रोककर जन भावनाओं को ठेस पहुंचाई जा रही है। आज फिल्म रिलीज होती और लोग इसे देखते, तब पता चलता कि संजय लीला भंसाली ने इतिहास के साथ छेड़छाड़ की है या नहीं और राजपूत समुदाय के सम्मान को बढ़ाया है या कम किया है। फिल्म देखे बिना यह धारणा बना लेना कि इसमें राजपूत समुदाय का अपमान किया गया है, सरासर गलत है। उन्होंने कहा कि घूमर नृत्य भारतीय संस्कृति में शामिल है और नृत्य एक ऐसी कला है, जिसने भारत का नाम पूरी दुनिया में रोशन  किया है। एक घूमर नृत्य के सीन पर ही इतना बवाल मचा देना अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला है। 





पांच किलोमीटर लंबी जागरूकता ने एड्स बचाव का दिया संदेश

विश्व एड्स दिवस पर निकाली जागरूकता यात्रा
एड्स आज भी विश्व के लिए एक चुनौती : डा. संजय दहिया

जींद 
विश्व एड्स दिवस के अवसर पर स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कंडेला के तहत आने वाले गांव अमरहेड़ी से नागरिक अस्पताल जींद तक जागरूकता रैली का आयोजन किया गया। रैली को सिविल सर्जन डा. संजय दहिया ने हरी झंडी दिखा कर रवाना किया। रैली में डिप्टी सिविल सर्जन डा. मंजुला एवं वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कंडेला डा. राजेश भोला ने मुख्यअतिथि के तौर पर शिरकत की जबकि जागरूकता रैली में डा. पामेला दहिया, डा. पालेराम, डा. जतिंद्र, डा. ज्योति, डा. मंजू, डा. अनिल व आमजन ने हाथो में बैनर व् पोस्टर ले करके लोगो को जगरूक किया। रैली को रवाना करने से पहले स्वास्थ्यकर्मियों को संबोधित करते हुए सिविल सर्जन डॉ. संजय दहिया ने कहा कि हमारे देश का भविष्य हमारे देश के युवाओं के हाथों में है, इसलिए हमें चाहिए कि हम हमारे देश के युवाओं को अच्छी शिक्षा दें व उन्हें गलत रास्ते पर जाने से रोकें। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे सभी तरह के नशों से दूर रहें व अन्य बुरी आदतों का त्याग करें व हमारे समाज व देश के विकास मे भागिदारी निभाएं। डॉ. भोला ने युवाओं को एड्स के बारे में विस्तार से बताते हुए इस बीमारी के होने व रोकथाम के बारे में बताया कि एड्स एक संक्रमण की बीमारी है और इस बीमारी का कोई ईलाज नहीं है, बस बचाव ही इसका इलाज है। यह बीमारी मनुष्य के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को खत्म कर देती है जिससे किसी प्रकार की बीमारी होने पर वह ठीक नहीं होती है। यह बीमारी विशेषत: एड्स संक्रमित खून के द्वारा, असुरक्षित यौन संबंध से व गर्भवती माता से शिशु में, एड्स रोगी की संक्रमित सूई द्वारा हो सकता है। डिप्टी सीएमओ डॉ. मंजुला ने बताया कि वर्ष 2016 में जिला जींद में 33103 लोगों के एचआईवी टैस्ट किए गए थे। इनमें से 210 लोग एचआईवी पॉजिटिव पाए गए थे। इनमें से 110 पुरूष तथा 100 महिला पॉजिटिव थी। जबकि 34 गर्भवती महिलाएं भी एचआईवी पॉजिटिव थी। वर्ष 2017 में जनवरी से नवंबर माह तक 29650 लोगों के टैस्ट किए गए थे। इनमें से 91 पुरुष व 61 महिलाए एचआईवी पॉजिटिव पाई गई थी। इनमें से 25 गर्भवती महिलाएं भी एड्स बीमारी से ग्रसित थी। डा. पामेला दहिया ने कहा कि लोगों में एड्स बीमारी को लेकर काफी भ्रम भी हैं। यह बीमारी साथ-साथ खाने से, हाथ मिलाने और गले मिलने से, खांसने, छींकने या हवा से, मच्छरों या कीड़े-मकोड़े के काटने से, खाने के बर्तन, कपड़े, शौचालय के सामूहिक उपयोग से नहीं होती है। एचआईवी एड्स केवल एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संपर्क से, संक्रमित सीरिंज व सुइयों के प्रयोग से, संक्रमित रक्त या रक्त उत्पाद चढ़ाने से, एचआई संक्रमित मां से उसके होने वाले शिशु को होता है। डा. राजेश भोला ने बताया कि एड्ïस एक लाइलाज बीमारी है। केवल जानकारी ही इसका बचाव है। एड्ïस का विषाणु मनुष्य के शरीर में घुस कर रोग प्रतिरोधक शक्ति को नष्ट कर देता है। एड्स एक ऐसी बीमारी है जिसके संबंध में जागरूक होना ही बचाव का एक बढिय़ा तरीका है। उन्होंने कहा कि भारत युवाओं का देश है। इसलिए युवाओं को इस भयानक बीमारी के सम्बंध में पूर्ण जानकारी होनी चाहिए। युवाओं को चाहिए कि वो विवाह से पूर्व संयम रखें। असुरक्षित यौन संंबंध से बचें। यौन संबंध के दौरान निरोध का उपयोग करना चाहिए। जांच किया हुआ खून ही रोगी को चढ़वाना चाहिए।

टोल फ्री नंबर पर कभी भी ले सकते हैं जानकारी

डा. भोला ने कहा कि एड्स बीमारी को लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए विभाग द्वारा टोल फ्री नंबर 1097 भी दिया गया है। इस टोल फ्री नंबर पर कोई भी व्यक्ति फोन कर एड्स से संबंधित किसी भी प्रकार की जानकारी ली जा सकती है। बस हम एड्स विषय के बारे में थोड़ी सी जानकारी रखें तो इस बीमारी से बचा जा सकता है। 

यहां-यहां से निकली रैली 

रैली गांव अमरेहड़ी से शुरू होकर निरंकारी भवन, एक रुपया चौंक, शिव चौंक, पंजाबी बाजार, मेन बाजार, शहर थाना, पालिका बाजार, रानी तालाब से होते हुए जिला मुख्यालय स्थित नागरिक अस्पताल में संपन्न हुई। यहां पर समाजसेवी राजकुमार द्वारा रैली में शामिल स्वास्थ्यकर्मियों के लिए जलपान की व्यवस्था की गई। इस मौके पर जोगिंद्र भोला, आशीष सिहाग, विजेंद्र सिंह, देवीराम कौशिक, कुलदीप सिंह, रोहताश,  नरेंद्र, सुभाष, सरिता देवी, बिमला देवी, स्नेहलता, पिंकी देवी, गुलाब कौर सहित आशा वर्कर मौजूद रहे। 

Sunday, 3 December 2017

आग बुझवाकर राशि भरना भूले लोग

दर्जनों लोगों ने नहीं किया फायर ब्रिगेड का भुगतान
3 साल में लगभग डेढ़ लाख रूपए पहुंची राशि

जींद : आग लगने पर 101 नंबर डायल करना होता है। इसके बाद फायर ब्रिगेड की गाड़ी मौके पर पहुंच जाती है और आग पर काबू पाती है। आग बुझाने के बाद शहरी क्षेत्र के लोगों से किसी प्रकार की फीस नहीं ली जाती, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में आग बुझाने गई गाड़ी की फीस 300 रूपए प्रति घंटे के हिसाब से पीडि़त को देनी होती है। पिछले 3 साल के आंकड़ों पर यदि नजर डाली जाए तो लोग दमकल विभाग की आग बुझाने के बाद राशि का भुगतान नहीं कर रहे हैं। 3 साल में लगभग डेढ़ लाख रूपए की राशि अब भी लोगों में बकाया है। 
सफीदों गेट के पास दमकल विभाग का कार्यालय है। दमकल विभाग के कार्यालय में आग लगने की सूचना मिलने के बाद गाड़ी दौड़ती देखी जा सकती है। शहरी क्षेत्र के लोग प्रोपर्टी टैक्स या बिजली बिल में फायर ब्रिगेड को टैक्स के रूप में राशि देते हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में आग लगने पर मौके पर ही इस राशि का भुगतान करना होता है। आग लगने की सूचना के बाद जैसे ही गाड़ी निकलती है तो उसका समय नोट कर लिया जाता है। आग बुझाने के बाद कार्यालय पहुंचने के बाद ही समय समाप्त होता है। ग्रामीण क्षेत्र में 300 रूपए प्रति घंटा आग बुझाने के लिए दमकल विभाग द्वारा लिया जाता है। दमकल विभाग द्वारा अब ऐसे लोगों को नोटिस भेजे जाएंगे, जो उनकी राशि को अदा नहीं कर रहे हैं। विभाग के अधिकारियों के अनुसार एक अप्रैल 2015 में लगभग 65 हजार रूपए की राशि लोगों की ओर बकाया है। 2016 में यह राशि लगभग 49 हजार और अक्तूबर 2017 तक लगभग 37 हजार रूपए की राशि बकाया है। कुल मिलाकर अब दमकल विभाग ऐसे लोगों को अब नोटिस भेजेगा, जो उनकी राशि नहीं भर रहा है। 
बॉक्स
अप्रैल महीने में होती हैं आगजनी की ज्यादा घटनाएं
अप्रैल महीने में आगजनी की ज्यादा घटनाएं होती हैं। उस समय गेहंू की फसल कटनी होती है। ऐहतियात के तौर पर बिजली निगम द्वारा उस समय बिजली कट भी लगाए जाते हैं, लेकिन कभी शार्ट सर्किट तो कभी अन्य कारणों से फसल में आग लग जाती है। अप्रैल महीना आते ही दमकल विभाग भी काफी अलर्ट हो जाता है। इस महीने में दमकल विभाग के कर्मचारियों की छुट्टियां तक रद्द करने की नौबत आ जाती है। 
बॉक्स
लोगों को भेजे जाएंगे नोटिस : वर्मा
इस मामले में फायर अफसर कृष्ण चंद्र वर्मा से बात की गई तो उनका कहना था कि जिन लोगों ने आग बुझाने के फायर ब्रिगेड के बिल नहीं भरे हैं, उन्हें नोटिस भेजकर जल्द पैसा जमा करवाने को कहा जाएगा। इसके बाद भी यह लोग पैसा जमा नहीं करवाते हैं तो उनके खिलाफ आगामी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। 

इस बार गन्ने से मिल रही ज्यादा चीनी

चीनी मिल को ज्यादा रिकवरी से होगा फायदा

जींद :  जींद सहकारी चीनी मिल को इस साल गन्ने से चीनी पिछले साल के मुकाबले ज्यादा मिल रही है। यह मिल के लिए अच्छा और शुभ संकेत है। गन्ने से मिल को ज्यादा चीनी मिलने से काफी फायदा होगा। 
चालू पिराई सत्र को 21 दिन हो गए हैं। अब तक जींद सहकारी चीनी मिल 3 लाख 29 हजार 600 क्विंटल गन्ने की पिराई कर चुकी है। एक दिन में जींद सहकारी चीनी मिल चालू गन्ना पिराई सत्र में लगभग 17 हजार क्विंटल गन्ने की पिराई कर रही है। चीनी मिल की गन्ने से चीनी बनाने की रिकवरी 9.01 प्रतिशत है। पिछले साल यह रिकवरी 8.33 प्रतिशत थी। इससे साफ है कि इस बार जींद सहकारी चीनी मिल को गन्ने की पिराई से चीनी पिछले पिराई सत्र के मुकाबले कहीं ज्यादा मिल रही है। करोड़ों रूपए घाटे में चल रही जींद सहकारी चीनी मिल के लिए इस साल रिकवरी पिछले पिराई सत्र की तुलना में ज्यादा होने को अच्छा और शुभ संकेत माना जा रहा है। 
बाक्स
अपनी क्षमता से कहीं ज्यादा पर काम कर रही चीनी मिल
जींद सहकारी चीनी मिल की पिराई क्षमता 12500 क्विंटल प्रतिदिन की है। चालू गन्ना पिराई सत्र में जींद सहकारी चीनी मिल 100.49 प्रतिशत की क्षमता पर गन्ना पिराई का काम कर रही है जबकि पिछले पिराई सत्र में यह 62.45 प्रतिशत था। मिल के प्रबंधक निदेशक अश्विनी मलिक के अनुसार चालू पिराई सत्र में गन्ना पिराई का काम पिछले पिराई सत्र के मुकाबले ज्यादा सुचारू रूप से चल रहा है। 
फोटो कैप्शन
02जेएनडी07- जींद सहकारी चीनी मिल, जिसमें रिकवरी पिछले साल के पिराई सत्र के मुकाबले इस साल ज्यादा है। सुनील
बाक्स
क्या कहते हैं मिल के प्रबंधक निदेशक
जींद सहकारी चीनी मिल के प्रबंधक निदेशक अश्विनी मलिक का कहना है कि इस बार गन्ने की पिराई का काम सुचारू रूप से चलने और रिकवरी पिछले पिराई सत्र के मुकाबले ज्यादा होने का कारण यह है कि गन्ने की फसल अच्छी है और किसान गन्ने को अच्छी तरह से साफ कर चीनी मिल में ला रहे हैं। मिल के स्टाफ और गन्ना उत्पादक किसानों के सहयोग से ही यह सब संभव हो पाया है। 
फोटो कैप्शन
02जेएनडी08- चीनी मिल के एमडी अश्विनी मलिक का फोटो। 
बाक्स
जल्द बढ़े सहकारी चीनी मिल की पिराई क्षमता : रढाल
माजरा खाप के प्रधान महेंद्र रढाल ने सरकार से मांग की कि जींद सहकारी चीनी मिल की पिराई क्षमता जल्द बढ़ाई जाए। पिछले 20 साल से सहकारी चीनी मिल की पिराई क्षमता 25 हजार क्विंटल प्रतिदिन किए जाने की योजना कागजों में दफन है। लगभग 10 बार इसकी घोषणा हो चुकी है लेकिन आज तक मिल की पिराई क्षमता नहीं बढ़ी है। इस कारण मई और जून महीने तक चीनी मिल को चलाना पड़ता है तथा इससे सबसे ज्यादा दिक्कत गन्ना उत्पादक किसानों को होती है। 

सर्दी में भी महंगी सब्जियों से लोगों को नहीं मिल रही राहत

मंडी में 60, रेहडिय़ों पर 80 रूपए किलो बिक रहा टमाटर
प्याज भी भाव के मामले में कर रहा टमाटर का मुकाबला

जींद : टमाटर और प्याज सब्जी मंडी से लेकर रेहडिय़ों तक इस समय तमाम सब्जियों के सिरमौर भाव के मामले में बने हुए हैं। टमाटर अपने बढ़े हुए भाव के कारण और लाल सुर्ख हो रहा है तो प्याज भी अपने रिकार्ड तोड़ भाव के चलते लोगों की आंख से आंसू निकाल रहा है। सर्दी में आम तौर पर सब्जियों के भाव कम हो जाते हैं लेकिन इस बार सर्दी में भी सब्जी के भाव कम नहीं हो रहे। 
इस समय जींद की सब्जी मंडी में टमाटर 55 से 60 रूपए प्रति किलो के भाव बिक रहा है। यह भाव पिछले महीने भर से चला आ रहा है। अब प्याज भी मंडी में 60 रूपए प्रति किलो तक पहुंच गया है। यही टमाटर और प्याज रेहडिय़ों तथा रिटेलर के पास आते 80 रूपए प्रति किलो तक पहुंच गया है। टमाटर और प्याज ने लोगों का दम निकाल दिया है। अब सलाद से प्याज और टमाटर पूरी तरह से गायब हो रहे हैं। इनकी जगह अब मूली और गाजर ले रही है। मंडी में दूसरी सब्जियों के भाव भी इस समय आसमान छू रहे हैं। इन दिनों गोभी 15 से 20 रूपए प्रति किलो के भाव मिलने लगती थी लेकिन यह 40 रूपए प्रति किलो से नीचे नहीं आ रही। घीया भी 40 रूपए प्रति किलो के भाव है। बीन का भाव 60 रूपए प्रति किलो है तो मंडी में शिमला मिर्च भी 60 रूपए प्रति किलो के भाव बिक रही है। मटर 50 रूपए प्रति किलो के भाव है तो गाजर भी 35 से 40 रूपए प्रति किलो के भाव है। इन दिनों मटर 20 रूपए प्रति किलो, गाजर 10 रूपए प्रति किलो के भाव आसानी से मिलने लग जाती थी लेकिन इस साल इस तरह की सर्दी की सब्जियों के भाव भी कम होने का नाम नहीं ले रहे। 
बाक्स
अब सब्जी की जगह दाल और फल ही विकल्प
गृहणी सुशीला, सुमित्रा, रानी, कमला, राजवंति आदि का कहना है कि इस समय सब्जियों के भाव जिस तरह आसमान छू रहे हैं, ऐसे में सब्जी की जगह दाल और फल ही बेहतर विकल्प हैं। सब्जी से तो दाल भी सस्ती पड़ रही है। मंडी में सेब 50 से 60 रूपए प्रति किलो के भाव आसानी से मिल जाता है। इस भाव पर टमाटर और प्याज खरीदने की बजाय सेब खरीदकर सेहत भी बनाई जा सकती है और प्याज तथा टमाटर की जगह सेब का सलाद स्टेटस भी बढ़ाएगा। 
बाक्स
महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश में फसल खराब होने से बढ़े भाव : सैनी
सब्जी मंडी आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान जगत सिंह सैनी का कहना है कि टमाटर और प्याज के भाव बढऩे का कारण यह है कि महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में बेमौसमी बारिश से फसल खराब हो गई। जींद में टमाटर और प्याज महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान से आता है। दूसरी सब्जियों के भाव आने वाले दिनों में कम होने की संभावना है। 

जींद में मुद्रा योजना का अब तक 3686 ने लिया लाभ

सर्विस और उत्पादन क्षेत्र को 37.39 करोड़ रूपए का ऋण
जींद : निजी क्षेत्र में रोजगार सृजन और इसमें भी सर्विस सैक्टर तथा मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई मुद्रा योजना जींद में ठीक-ठाक कदम आगे बढ़ा रही है। इस योजना का अब तक जींद में 3686 लोगों ने लाभ उठाया है। इन लोगों को विभिन्न बैंकों ने सर्विस और मैन्यूफैक्चरिंग सैक्टर के लिए 37.39 करोड़ रूपए का ऋण दिया है। 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो मुद्रा योजना शुरू की है, उसकी हरियाणा में प्रगति ज्यादा अच्छी नहीं है। पिछले दिनों प्रदेश सरकार ने मुद्रा योजना को लेकर केंद्र सरकार को जो रिपोर्ट भेजी है, उसमें कहा गया है कि मुद्रा योजना को बैंकों के रवैये ने पलीता लगाया है और यह योजना ज्यादा सफल नहीं हो पाई है। भले ही पूरे प्रदेश में प्रधानमंत्री की मुद्रा योजना को लेकर रिपोर्ट अच्छी नहीं हो लेकिन जींद में यह योजना ठीक-ठाक कदम आगे बढ़ाती नजर आ रही है। 
बाक्स
अब तक 3686 लोगों को 37.39 करोड़ के ऋण
मुद्रा योजना के तहत जींद जिले में चालू वित्तीय वर्ष की पहली छमाही में सितम्बर के अंत तक 37.39 करोड़ रूपए के ऋण 3686 लोगों को जारी किए गए हैं। सर्विस और मैन्यूफैक्चरिंग सैक्टर के लिए योजना के तहत यह ऋण दिए गए हैं। इसमें भी शिशु योजना के तहत 2733 लोगों को आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई गई है। योजना में शिशु पर ही ज्यादा जोर देते हुए कुल आर्थिक मदद का 60 प्रतिशत दिए जाने का प्रावधान किया गया है। शिशु योजना में 50 हजार रूपए तक की आर्थिक सहायता दी जाती है। मुद्रा योजना में किशोर योजना के तहत 50 हजार से 5 लाख रूपए तक का लोन दिया जाता है। जींद जिले में किशोर के तहत 759 लोगों को आर्थिक सहायता दी गई है। तरूण में 194 लोगों को आर्थिक मदद दी गई है। योजना में यह प्रावधान किया गया है कि तरूण के तहत 5 लाख से 10 लाख रूपए तक का लोन सर्विस सैक्टर और मैन्यूफैक्चरिंग सैंटर में दिया जाए। 
बाक्स
क्या कहते हैं लीड बैंक मैनेजर
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की जींद में प्रगति को लेकर लीड बैंक मैनेजर एमके झा का कहना है कि जींद जिले में मुद्रा योजना को बैंक काफी बढ़ावा दे रहे हैं। चालू वित्तीय वर्ष में सितम्बर महीने के अंत तक मुद्रा योजना के तहत शिशु, किशोर और तरूण कैटेगरी में 3686 लोगों को 37.39 करोड़ रूपए की आर्थिक मदद दी जा चुकी है। इससे रोजगार और उत्पादन बढ़ाने में मदद मिल रही है। 

जींद में बढ़ रही एड्स के मरीजों की संख्या

3 साल में 426 मरीज आए सामने
इनमें 40 गर्भवती महिलाएं भी शामिल
जींद : जींद जिले में एड्स के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। पिछले 3 साल की बात की जाए तो 426 मरीज सामने आए हैं। इनमें 40 गर्भवती महिलाएं भी एड्स से ग्रस्त मिली हैं। हालांकि हरियाणा एड्स कंट्रोल सोसायटी और स्वास्थ्य विभाग की टीमों द्वारा एडस के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए कैंप लगाए जाते हैं। फिर भी एडस का ग्राफ कम होने की बजाय एक शतक से पार हर साल पहुंच रहा है। 
जींद में स्वास्थ्य विभाग और एडस कंट्रोल सोसायटी के कर्मचारियों पर एडस को रोकने की जिम्मेदारी है। विभाग द्वारा प्रचार और जागरूकता के नाम पर लाखों रूपए खर्च किए जा रहे हैं। विभाग के लाखों प्रयास के बाद भी लोग जागरूक नहीं हो रहे हैं। पिछले 3 सालों के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो जिले में 426 लोग एडस से ग्रस्त मिले। साल 2014 में 150 लोग एडस से ग्रस्त मिले। इनमें 79 पुरूष और 61 महिलाएं शामिल थी। इस साल स्वास्थ्य विभाग द्वारा 7881 महिलाओं और पुरूषों की जांच की गई थी। इसके अलावा 6554 गर्भवती महिलाओं की जांच के बाद 10 गर्भवती महिलाएं एडस से ग्रस्त मिली। साल 2015 में एडस से ग्रस्त लोगों की संख्या 137 रही। इस साल 92 पुरूष और 35 महिलाओं को एडस से पीडि़त होने की पुष्टि हुई। इस साल जांच के दौरान 10 गर्भवती महिलाएं एडस से ग्रस्त मिली। स्वास्थ्य विभाग द्वारा साल 2015 में 8969 मरीजों की जांच की गई। इसके अलावा 7190 गर्भवती महिलाओं की जांच स्वास्थ्य विभाग द्वारा की गई। साल 2016 में एडस पीडि़त मरीजों की संख्या 139 रही। इस साल गर्भवती महिलाओं की संख्या 20 रही। विभाग की ओर से 7847 गर्भवती महिलाओं की जांच की गई। इसके अलावा 71 पुरूषों और 48 महिलाओं को एडस की पुष्टि हुई। 
बॉक्स
एक साल में 100 से ज्यादा मरीजों ने बढ़ाई चिंता
स्वास्थ्य विभाग द्वारा एडस की बीमारी के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए कैंप लगाए जाते हैं। सबसे ज्यादा कैंप सार्वजनिक स्थलों पर लगाए जाते हैं। हरियाणा एडस कंट्रोल सोसायटी के कर्मचारी और काउंसलर खुद फील्ड में जाकर कैंप लगाते हैं और लोगों को एडस से बचाव के बारे में जागरूक करते हैं। लाख प्रयासों के बाद भी जींद में एडस पीडि़तों की संख्या हर साल 100 से अधिक सामने आ रही है। स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों के अनुसार सबसे ज्यादा एडस चालकों को मिली है। 
बॉक्स
ड्राइवरों के सबसे ज्यादा पाजीटिव केस
एच.आई.वी. पाजीटिव पुरुषों के मामलों में सबसे ज्यादा तादाद ड्राइवरों की है। सूत्रों के अनुसार पुरुषों में करीबन 60 प्रतिशत तक ड्राइवर पाजीटिव मिले हैं। ये लोग असुरक्षित यौन संबंधों के चलते इस खतरनाक वायरस की चपेट में आ रहे हैं। जिले में एच.आई.वी. के फैलाव का बड़ा कारण इसे ही माना जाता है। 
बॉक्स
पर्याप्त संतुलित आहार और नशे से दूरी बढ़ा सकती है लाइफ
चिकित्सकों के अनुसार एच.आई.वी. की रिपोर्ट पाजीटिव आने पर पीडि़त को रोहतक मैडीकल कालेज स्थित ए.आर.टी. सैंटर में रैफर कर दिया जाता है। वहां पर उसके कुछ और टैस्ट किए जाते हैं। इसके बाद उसका उपचार शुरू कर दिया जाता है। एड्स एक लाइलाज बीमारी है। अभी तक इस बीमारी का कोई स्थायी उपचार नहीं है। पीडि़त रेगूलर दवाइयां लेता रहे तो उसको काफी आराम मिलता है। इसके साथ ही नशे से दूर रहकर तथा पर्याप्त संतुलित आहार लेने से पीडि़त एच.आई.वी. वायरस से लड़ कर अपने जीवन की डोर को काफी लंबा रख सकता है।
बॉक्स
एच.आई.वी. को रोकने के लिए विभाग करता है हर संभव प्रयास : डॉ. दहिया
इस बारे में जब सिविल सर्जन डॉ. संजय दहिया से बात की गई तो उन्होंने कहा कि एचआईवी को रोकने के लिए विभाग हर संभव प्रयास कर रहा है। लोगों को जागरूक करने के लिए कैंप लगाए जाते हैं। कैंपों में लोगों को एचआईवी से बचाव के बारे में जानकारी दी जाती है। डॉ. दहिया ने कहा कि लोगों को भी जागरूक होने की जरूरत है। जब तक लोग जागरूक नहीं होंगे, तब तक एडस ग्रस्त लोगों की संख्या कम होना मुश्किल है।

...और बाजारों में अतिक्रमण को लेकर बनाई लक्ष्मण रेखा

मेन बाजार में नप ने अतिक्रमण रोकने को बनाई पीले रंग की पट्टी
इससे आगे सामान रखा तो दुकानदारों की खैर नहीं
जींद  : शहर के मेन बाजार और दूसरे बाजारों में अतिक्रमण को लेकर रविवार को नगर परिषद प्रशासन ने सड़कों पर पीले रंग की लक्ष्मण रेखा खींचने का काम शुरू कर दिया। अब इस पीले रंग की लक्ष्मण रेखा को दुकानदारों ने सामान रखने को लेकर पार किया तो उनकी खैर नहीं। 
पिछले कुछ समय से नगर परिषद प्रशासन ने शहर में अतिक्रमण के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया हुआ है। इस अभियान के तहत नप प्रशासन मेन बाजार, तांगा चौक, झांझ गेट, गोहाना रोड पर दुकानदारों के अतिक्रमण को हटा चुका है। पिछले दिनों नप के कार्यकारी अधिकारी डा. सुरेश कुमार चौहान और व्यापार मंडल प्रतिनिधियों के बीच अतिक्रमण को लेकर बैठक हुई थी। इस बैठक में खुद व्यापारियों के प्रतिनिधियों ने यह कहा था कि अतिक्रमण रोकने के लिए बाजारों में सड़कों पर दोनों तरफ पीले रंग की पट्टी बना दी जाएं। पीले रंग की इन पट्टियों के आगे कोई भी दुकानदार अपना सामान नहीं रखेगा। व्यापारियों के इस सुझाव पर रविवार से नगर परिषद प्रशासन ने अमल शुरू करते हुए शहर के मेन बाजार की सड़क पर दोनों तरफ पीले रंग की पट्टी बनाना शुरू कर दिया। यह काम नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी डा. एसके चौहान के निर्देश पर शुरू किया गया है। इसके तहत पूरे बाजार की सड़क के दोनों तरफ पीले रंग की पट्टी बना दी गई हैं। पीले रंग की यह पट्टियां अतिक्रमण के मामले में दुकानदारों के लिए लक्ष्मण रेखा का काम करेंगी। 
बाक्स
कई बार चलाया अभियान, नगर परिषद अमला के जाते ही वापस रख लेते हैं दुकानदार सामान
पिछले कुछ समय से नगर परिषद द्वारा अतिक्रमण को हटाने के लिए बड़ा अभियान छेड़ा हुआ है। इसके तहत जब भी नगर परिषद प्रशासन का अमला दुकानों के आगे से अतिक्रमण हटाने के लिए आते थे, तो सभी दुकानदार अपनी दुकानों के आगे रखे सामान को हटा लेते थे और उनके जाने के बाद वापस रख लेते थे। इससे नगर परिषद की कार्रवाई के दौरान दुकानदारों में अफरा-तफरी का माहौल बन जाता था। इसके समाधान के लिए पिछले सप्ताह नगर परिषद और व्यापारियों ने बैठक की और बाजार में दुकानों के आगे पीली पट्टी लक्ष्मण रेखा के रूप में खींचने का निर्णय लिया गया था। 
बाक्स
लक्ष्मण रेखा से पार रखा सामान तो खैर नहीं : चौहान
नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी डा. एसके चौहान ने कहा कि पिछले सप्ताह व्यापारियों ने बैठक में मुद्दा उठाया था कि नप अधिकारी जब भी बाजार में अतिक्रमण हटवाने के लिए आते हैं, तो अफरा-तफरी का माहौल बन जाता है। इसके चलते ऐसा समाधान निकाला जाए, जिससे दुकानदारों को भी सुविधा हो। इसके बाद कार्यकारी अधिकारी ने फैसला लेते हुए कहा था कि अतिक्रमण को रोकने के लिए बाजार की दुकानों के आगे पीली पट्टी बनाई जाएगी। अगर किसी दुकानदार ने पीली पट्टी से आगे सामान रखा तो उसका सामान तो जब्त किया ही जाएगा साथ ही उसका चालान भी किया जाएगा। 

दूसरी बार वापस जाने की तैयारी में सफेद मक्खी का मुआवजा

5 करोड़ 68 लाख की राशि से वितरण हो पाया महज 35 प्रतिशत 
21 हजार 850 किसान हुए थे प्रभावित, सामने आए 3700 किसान 
जींद : सफेद मक्खी के कारण वर्ष 2015 में खराब हुई नरमा फसल की मुआवजा राशि एक बार फिर राजस्व विभाग के पास पहुंचे लगभग 7 माह हो चुके हैं। बावजूद इसके पौने 4 करोड़ की राशि का वितरण अभी तक नहीं हो पाया है। पूर्व में सफेद मक्खी के कारण फसल खराब होने पर सरकार ने 144 करोड़ की सहायता राशि भेजी थी। इसमें से 127 करोड़ का वितरण हो गया था। दावेदारों के सामने नहीं आने तथा औपचारिकता पूरी नहीं होने के कारण 17 करोड़ की राशि वापस चली गई थी। बाद में कुछ किसानों ने औपचारिकताएं पूरी कर मुआवजा राशि की मांग की तो सरकार ने 5 करोड़ 68 लाख 78 हजार रूपए राजस्व विभाग को किसानों में वितरण के लिए भेज दिए हैं। भेजी गई मुआवजा राशि में से 3 करोड़ 71 लाख रूपए की राशि पर वापस होने का खतरा मंडराने लगा है। दोबारा आई मुआवजा राशि को 21 हजार 850 किसानों में बांटा जाना था जबकि मुआवजा राशि का 35 प्रतिशत ही प्रयोग हो पाया। 3700 किसानों ने सहायता ली जबकि 18150 किसान अभी भी मुआवजा राशि लेने नहीं आए।  अलेवा में शतप्रतिशत राशि का भुगतान हो चुका है लेकिन उचाना ब्लाक में अभी तक मुआवजा राशि लेने के लिए कोई भी किसान आगे नहीं आया है। हैरानी कि बात यह है कि मुआवजा राशि राजस्व विभाग के पास आ चुकी है, लेकिन मुआवजा राशि को लेने वाले किसान आगे नहीं आ रहे हैं। 
बाक्स
जींद ब्लाक में हुआ 95 प्रतिशत राशि का भुगतान
जींद ब्लाक में सफेद मक्खी के कारण हुए नुकसान का 8 लाख 53 हजार 192 रूपए की मुआवजा राशि मिली। जिसमें से 8 लाख 12 हजार 158 रूपए का वितरण किया गया। सफेद मक्खी के कारण 266 किसान प्रभावित हुए जिसमें से 263 किसान मुआवजा राशि ले चुके हैं। जबकि 3 किसानों के 41 हजार 34 रूपए अभी तक कोई भी दावेदार किसान आगे नहीं आया है। 
बाक्स
जुलाना ब्लाक में 2281 किसान हुए प्रभावित 668 में बंटा अब तक मुआवजा
जुलाना ब्लाक में सफेद मक्खी के कारण हुए नुकसान का 38 लाख 52 हजार 799 रूपए की मुआवजा राशि मिली। जिसमें से 35 लाख 98 हजार 773 रूपए का वितरण किया गया। सफेद मक्खी के कारण 2281 किसान प्रभावित हुए जिसमें से 648 किसान मुआवजा राशि ले चुके हैं। जबकि 1633 किसानों के 2 लाख 54 हजार रूपए अभी भी बकाया है। 
बाक्स
अलेवा ब्लाक में बंटा शत प्रतिशत मुआवजा राशि
अलेवा ब्लाक में सफेद मक्खी के कारण हुए नुकसान का 3 लाख 95 हजार 599 रूपए की मुआवजा राशि मिली। जिसमें पूरी राशि का वितरण कर दिया गया। सफेद मक्खी के कारण 109 किसान प्रभावित हुए जिसमें से 109 किसान मुआवजा राशि ले चुके हैं। अलेवा ब्लाक में सफेद मक्खी से हुए नुक्सान का मुआवजा शत प्रतिशत बंट चुका है। 
बाक्स
नरवाना ब्लाक में 17769 किसान हुए प्रभावित 2680 में बंटा अब तक मुआवजा
नरवाना ब्लाक में सफेद मक्खी के कारण हुए नुकसान का 4 करोड 33 लाख 15 हजार 426 रूपए की मुआवजा राशि मिली। जिसमें से 1 करोड़ 49 लाख 49 हजार 640 रूपए का वितरण किया गया। सफेद मक्खी के कारण 17769 किसान प्रभावित हुए जिसमें से 2680 किसान मुआवजा राशि ले चुके हैं। जबकि 15089 किसानों के 2करोड़ 83 लाख 65 हजार 786 रूपए अभी भी बकाया है। 
बाक्स
उचाना ब्लाक में अभी तक नहीं दोबारा से आई मुआवजा राशि का वितरण 
उचाना ब्लाक में सफेद मक्खी के कारण हुए नुकसान का 84 लाख 61 हजार 338 रूपए की मुआवजा राशि मिली। जिसमें से अभी तक किसानों को कोई सहायता राशि नहीं मिली है। सफेद मक्खी के कारण 1425 किसान प्रभावित हुए थे। राशि राजस्व विभाग के पास पहुंची हुई है। बावजूद राशि को लेने के लिए किसान आगे नहीं आ रहे हैं।  
बाक्स
किसानों की मांग पर आई थी मुआवजा राशि
जिला राजस्व अधिकारी रामफल कटारिया ने बताया कि किसानों की मांग पर अतिरिक्त मुआवजा राशि विभाग को मिली थी। राशि को 7 माह का समय बीतने जा रहा है। बावजूद इसके किसान मुआवजा राशि लेने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं, या फिर वे औपचारिकताएं पूरी नहीं कर पा रहे हैं, या फिर यह भी हो सकता है कि जमीन के हिस्सेदार ज्यादा हों और अनुपात रूप में उन्हें कम राशि मिल रहे हो। लगभग पौने 4 करोड़ रूपए की राशि बची हुई है। दिसम्बर के बाद राशि को वापस भेज दिया जाएगा। 

वाहनों में मौत के सरिए

कड़े कानून के बावजूद नहीं आ रहे बाज
इस साल अब तक ऐसे 29 वाहनों के काटे चालान
जींद : ट्रक, ट्राला और टै्रक्टर-ट्राली जैसे वाहनों की बाडी के बाहर मौत के सरिए झांक रहे हैं। कड़े कानून के बावजूद सरियों को वाहन की बाडी के बाहर निकालने से लोग बाज नहीं आ रहे। ऐसे मौत के सरियों से कभी भी किसी की जान जा सकती है। 
भवन निर्माण के काम में आने वाले सरियों को ट्रक, ट्राला और टै्रक्टर-ट्राली जैसे वाहनों में लोड किया जाता है। पहले सरिए बनाने वाली फैक्टरी से सरिए वाहनों में लोड होकर इनके डिस्ट्रीब्यूटर तक पहुंचते हैं। डिस्ट्रीब्यूटर से यह सरिए आगे फुटकर विक्रेताओं और फिर ग्राहक तक इसी तरह के वाहनों में लोड होकर जाते हैं। नियम यह है कि किसी भी वाहन में सरिए इस तरह से लोड नहीं हो सकते, जिससे वह वाहन की बाडी से बाहर निकलें। वाहन की बाडी से बाहर सरिए निकाल कर वाहन को सड़क पर चलाना गैर-कानूनी है। लोहे के यह सरिए जब वाहन की बाडी से बाहर निकले होते हैं तो इनकी जगह सीधे-सीधे मौत वाहन से बाहर झांक रही होती है। जींद में भी ट्रक, ट्राला और टै्रक्टर-ट्राली जैसे वाहनों से लेकर रेहड़ी और रिक्शा आदि में भी बेहद खतरनाक तरीके से लोहे के सरियों को ढोते हुए कभी भी और कहीं भी देखा जा सकता है। यह सीधे-सीधे सड़क पर मौत का सामान होते हैं और ऐसे वाहन के पीछे आ रहे दुपहिया वाहन सवार की जान जाने से लेकर उसके गंभीर रूप से घायल होने का खतरा बना रहता है। बड़े वाहन के पीछे फिर भी लटक रहे सरियों के साथ खतरे के संकेत के रूप में लाल कपड़ा बांध दिया जाता है लेकिन छोटे वाहनों के बाहर झांक रहे सरियों के मामले में ऐसा भी नहीं किया जाता। कई बार अंधेरे में दुपहिया वाहन सवार या कार और दूसरे वाहन के चालक को कई फुट बाहर निकले लोहे के सरिए नजर नहीं आते और ऐसे वाहन से टकराकर बड़ा हादसा हो जाता है। 
बाक्स
लोडिंग पर ही रोक लेकि न बिना रोक-टोक हो  रही लोडिंग
वाहनों की बाडी से बाहर निकले सरिए लोड करने पर पूर्ण रोक है। मोटर वाहन एक्ट में साफ प्रावधान है कि किसी भी वाहन में इस तरह से लोहे के सरिए लोड नहीं किए जा सकते, जिसमें सरिए वाहन से बाहर निकले हों। इस एक्ट के बावजूद छोटे से लेकर बड़े तक सभी वाहनों में बेहद खतरनाक तरीके से बाहर निकले लोहे के सरिए लोड किए जा रहे हैं। इस पर किसी तरह की रोक नहीं लग पा रही। धुंध के समय अगर ऐसा वाहन सड़क पर खड़ा हो और पीछे से दूसरा वाहन उससे टकरा जाए तो इसमें कई लोगों की जान जाना निश्चित है। 
बाक्स
अब तक 29 वाहनों के काटे चालान
ऐसा नहीं है कि जींद में आरटीए सचिव कार्यालय की नजर वाहन से मौत के रूप में बाहर झांक रहे लोहे के सरियों की तरफ नहीं गई हो। आरटीए सचिव कार्यालय की चैकिंग टीम जब चैकिंग पर निकलती है तो खतरनाक तरीके से वाहन से बाहर निकले सरिए दिखाई देने पर वाहन चालक के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। जींद के सहायक आरटीए सचिव ओपी मोर का कहना है कि जींद जिले में इस साल अब तक ऐसे 29 वाहनों के चालान कर उन पर भारी जुर्माना किया गया है, जिनमें सरिए लदे हुए थे और सरिए मौत के रूप में बाहर झांक रहे थे। मोर के अनुसार वाहनों की चैकिंग के समय सरिए लदे वाहनों पर खास नजर रखी जाती है। विभाग का प्रयास यह है कि इस पर पूर्ण रोक लगाई जाए। 
बाक्स
सरिए लोड करने के वाहन ही नहीं 
कायदे से लोहे के सरिए लोड करने के लिए बंद बाडी के विशेष वाहन होने चाहिएं। इनमें सरिया इस तरह बंद होना चाहिए कि वह आधा फुट भी बाडी से बाहर नहीं निकल पाए। जींद में ऐसे वाहन ही नहीं हैं। इसके चलते टै्रक्टर-ट्राली से लेकर रेहड़ी और रिक्षा तथा ट्रक आदि में सरिए लोड किए जाते हैं। इसमें सरिए वाहन की बाडी से कई बार तो 10 फुट तक बाहर निकले होते हैं और वह सड़क को टच करते हुए जाते हैं। ऐसे वाहन सड़क पर चलने वाले दूसरे लोगों के लिए बेहद खतरनाक हैं। 

जींद में वर-वधू की माला की बात तो दूर, बैंकों में भी नहीं 200 के नोट

10, 20 और 50 के नोटों की मालाओं की शादियों में डिमांड
जींद : जींद में हो रही शादियों में वर-वधू को 200 के नोटों की मालाओं के दीदार नहीं हो पा रहे। वर-वधू को शादी में 200 के नोटों की माला तो बहुत दूर की बात है, जींद में बैंकों के पास आज तक 200 के नोट की सप्लाई नहीं आई है। शादियों के इस सीजन में जींद में 10, 20 और 50 के नोटों की मालाओं की ही डिमांड है और यह डिमांड नोटों की माला बनाने वाले कुछ अतिरिक्त पैसा लेकर पूरी कर रहे हैं। 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पिछले साल की गई नोटबंदी के बाद रिजर्व बैंक आफ इंडिया ने 200 रूपए का नया नोट पिछले दिनों जारी किया है। गुडग़ांव, अंबाला, पानीपत, सोनीपत, करनाल जैसे शहरों में ही अभी तक 200 के नोट की सप्लाई बैंकों में हो रही है। जींद के बैंकों में अभी तक 200 के नोट पहुंचे ही नहीं हैं। ऐसे में जींद में वर-वधू 200 के नोटों की मालाओं के लिए तरस गए हैं। उन्हें 200 के नोटों की मालाओं के दीदार नहीं हो रहे। इन नोटों के दीदार के लिए जींद के वर-वधू ही नहीं, बल्कि आम लोग भी खासे बेकरार हैं और उनकी यह बेकरारी अभी दूर होने की कोई संभावना भी नहीं लग रही। 200 के नोट को लेकर जींद में पंजाब नैशनल बैंक की मेन ब्रांच के चीफ मैनेजर बीएम पंवार का कहना है कि अभी तक जींद के किसी भी सरकारी या गैर-सरकारी बैंक में 200 के नोट नहीं पहुंचे हैं। मालाओं की बात तो दूर, जींद में बैंकों में भी 200 के नोट नहीं हैं। 
बाक्स
10, 20 और 50 के नोटों की मालाएं सज रही वर-वधू के गले में 
इस समय चल रहे शादियों के सीजन में जींद में वर-वधू के गले में 10, 20 और 50 रूपए के नोटों की मालाएं ही सज रही हैं। इनमें भी 10 रूपए के नोटों वाली एक हजार रूपए की माला 1300 रूपए में मिल रही है। 20 रूपए के नोटों वाली एक हजार रूपए की माला 1100 रूपए में मिल रही है तो 50 रूपए के नोटों वाली एक हजार रूपए की माला 1500 रूपए में भी मुश्किल से मिल पाती है। दरअसल 50 रूपए के नए नोट बैंकों से मिल ही नहीं रहे। दिल्ली आदि शहरों से 50 रूपए के नए नोटों का जुगाड़ नोटों की माला बनाने वाले कर रहे हैं। 
बाक्स
नोटों की मालाओं में पिन का हो रहा इस्तेमाल
रिजर्व बैंक आफ इंडिया भले ही नोटों में पिन का इस्तेमाल करने पर पूर्ण रोक लगा चुका हो लेकिन वर-वधू के गले में डाली जा रही नोटों की मालाओं को नोटों में पिन लगाकर ही बनाया जा रहा है। इस पर किसी तरह की कोई रोक नहीं लग पा रही है। 
बाक्स
इंडियन करैंसी का हो रहा सरेआम अपमान
कायदे से नोटों को माला बनाकर बेचा नहीं जा सकता। यह इंडियन करैंसी के अपमान की श्रेणी में आता है। ऐसा करने वालों पर कार्रवाई का भी प्रावधान है लेकिन अब तक नोटों की मालाएं बेचने वालों पर जींद में कार्रवाई नहीं हुई है। शहर में पटियाला चौक नोटों की मालाओं का सबसे बड़ा केंद्र बना हुआ है। पटियाला चौक पर एक दर्जन से ज्यादा दुकानों पर नोटों की मालाएं बाहर सुबह ही टांग दी जाती हैं। इसके अलावा झांझ गेट, मेन बाजार, बस अड्डे के सामने भी कुछ दुकानदार इंडियन करैंसी का अपमान करते हुए नोटों की मालाएं बेच रहे हैं। इसमें वह मोटा मुनाफा भी कमा रहे हैं। 
बाक्स
क्या कहते हैं लीड बैंक मैनेजर
इंडियन करैंसी का नोटों की मालाएं बनाकर और बेचकर जींद में सरेआम अपमान किए जाने को लेकर जब जींद में लीड बैंक मैनेजर एमके झा से बात की गई तो उनका कहना था कि इस मामले में कार्रवाई करना प्रशासनिक अधिकारियों का कार्यक्षेत्र है। वह लीड बैंक मैनेजर होने के नाते प्रशासनिक अधिकारियों के संज्ञान में यह मामला लाकर नोटों की माला बनाकर बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए अनुरोध करेंगे। 

खुद को पर्यावरण के लिए महिला वकील ने कर दिया समर्पित

अब तक लगवा चुकी 177 त्रिवेणी जींद। महिला एडवोकेट संतोष यादव ने खुद को पर्यावरण की हिफाजत के लिए समर्पित कर दिया है। वह जींद समेत अब तक...