बोर्ड परीक्षाएं पास आते ही बच्चे हो रहे एग्जाम फोबिया का शिकारअध्यापिका ज्योति कर रही एग्जाम फोबिया को दूरमेहनत का कोई शॉर्टकट नहीं है : ज्योति छिब्बर
जींद
बोर्ड एग्जाम का समय आते ही परीक्षाओं को लेकर बच्चों पर टेंशन हावी हो जाती है। ऐसे में एक अध्यापिका का रोल काफी अहम हो जाता है और वह परीक्षार्थी बच्चों में पॉजिटिव माहौल बना दे तो बच्चे परीक्षा के तनाव से दूर हो सकते हैं। ऐसा ही कुछ कर रही हैं जीवन ज्योति संस्थान चलाने वाली अध्यापिका ज्योति छिब्बर। पटियाला चौंक स्थित आनंद अस्पताल के ऊपर जीवन ज्योति संस्थान चला रही अध्यापिका ज्योति छिब्बर जहां ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्र से आने वाली छात्राओं का परीक्षाओं को लेकर फोबिया दूर कर रही हैं वहीं इस तरह से उनकी परीक्षाओं की तैयारी करवाती हैं कि बच्चों में बोर्ड परीक्षा का भय दूर हो जाता है। बोर्ड एग्जाम आते ही अधिकतर छात्र परीक्षाओं को लेकर तनावग्रस्त हो जाते हैं और खाना-पीना और सोना सब छोड़ देते हैं। इससे उनकी सेहत और याददाश्त पर बुरा असर पड़ता है। इतना ही नहीं रात भर जाग कर पढऩे के लिए कई छात्र ऐसी दवाओं का प्रयोग भी करते हैं जिनसे उन्हें नींद न आए, जिसका बाद में उन पर साइड इफेक्ट्स का खतरा बढ़ जाता है। फिर धीरे-धीरे उन्हें इन चीजों की लत पड़ जाती है और कई तरह की शारीरिक और मानसिक समस्याएं भी शुरू हो जाती हैं। अध्यापिका ज्योति छिब्बर बच्चों की इसी मनोदशा को दूर करने के लिए संस्थान में घर जैसा माहौल उपलब्ध करवाती हैं। ज्योति का कहना है कि एग्जाम फोबिया एक ऐसी मानसिक दशा है कि जिसमें एग्जाम के डर और घबराहट की वजह से स्टूडेंट्स का उर्जा स्तर गिरने लगता है और मानसिक और शारीरिक तनाव के साथ-साथ मेमरी भी कम होने लगती है। छात्रों को आसान से सब्जेक्ट भी कठिन लगने लगते हैं। उसके लिए बार-बार याद करने पर भी चीजों को याद करना कठिन हो जाता है। ऐसे में स्टूडेंट्स निराशा और हताशा जैसी मानसिक दशा में तेजी के साथ घिरने लगता है। बच्चे की ऐसी आंतरिक मनोदशा को ही एग्जाम फोबिया कहा जाता है।
बच्चों से करें परीक्षा का भय दूर करने के जाने कारण
अध्यापिका ज्योति छिब्बर ने बताया कि सबसे पहले यह पता लगाया जाना चाहिए कि बच्चे को एग्जाम से डर क्यों लग रहा है। क्या वह सही ढंग से तैयारी नहीं कर रहा है। क्या उसको परीक्षा में फेल हो जाने का डर सता रहा है। क्या वह परीक्षा को लेकर आसपास के वातावरण और लोगों के पूर्वानुमान से भयभीत है।
एग्जाम की सही तैयारी करवाएं
अध्यापिका ज्योति छिब्बर ने बताया कि किसी भी परीक्षा की तैयारी पूरी लगन, सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास के साथ करवाई जानी चाहिए। बच्चों को नोट्स से तैयारी करवाई जाए तो उससे बच्चे को काफी मदद मिलती है। इसके साथ ही पिछले साल के सैंपल पेपर से उसे टैस्ट बना करने को दें और बच्चों को यह समझाएं कि मेहनत का कोई शॉर्टकट नहीं है।
नकारात्मक व्यक्तियों से बचें
अध्यापिका ज्योति छिब्बर ने बताया कि बच्चे के आसपास नकारात्मक विचारों के व्यक्ति को न आने दें। ऐसे व्यक्तियों का दृष्टिकोण काफी निराशावादी होता है और वे हमेशा नकारात्मक सुझाव देते हैं। ऐसे लोगों का संपर्क आपके बच्चे के आत्मविश्वास को कम कर सकता है। यदि बच्चा एग्जाम फोबिया से परेशान है तो घर के वातावरण को बदलें। सुबह-शाम बच्चे के साथ सैर पर जाएं। पॉजिटिव लोगों और मित्रों से मिलें। पारिवारिक आयोजनों में भाग लें, रोचक और ज्ञानवर्धक टीवी प्रोग्राम देखें और प्रेरणादायक पुस्तकें पढ़ें। बच्चे को मानसिक तनाव को दूर करने के लिए कम से कम छह से आठ घंटे की गहरी नींद लेने दें। बच्चे को हल्की डाइट दें। अधिक मात्र में पेय पदार्थों का सेवन करवाएं। अगर बच्चे परीक्षा को लेकर बच्चे की जरा सी हौसंलाअफजाही की जाए तो बच्चों से परीक्षाओं का भय दूर होगा और वह अच्छे से अपनी परीक्षा को दे पाएगा।
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