3 साल में 426 मरीज आए सामने
इनमें 40 गर्भवती महिलाएं भी शामिल
जींद : जींद जिले में एड्स के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। पिछले 3 साल की बात की जाए तो 426 मरीज सामने आए हैं। इनमें 40 गर्भवती महिलाएं भी एड्स से ग्रस्त मिली हैं। हालांकि हरियाणा एड्स कंट्रोल सोसायटी और स्वास्थ्य विभाग की टीमों द्वारा एडस के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए कैंप लगाए जाते हैं। फिर भी एडस का ग्राफ कम होने की बजाय एक शतक से पार हर साल पहुंच रहा है।
जींद में स्वास्थ्य विभाग और एडस कंट्रोल सोसायटी के कर्मचारियों पर एडस को रोकने की जिम्मेदारी है। विभाग द्वारा प्रचार और जागरूकता के नाम पर लाखों रूपए खर्च किए जा रहे हैं। विभाग के लाखों प्रयास के बाद भी लोग जागरूक नहीं हो रहे हैं। पिछले 3 सालों के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो जिले में 426 लोग एडस से ग्रस्त मिले। साल 2014 में 150 लोग एडस से ग्रस्त मिले। इनमें 79 पुरूष और 61 महिलाएं शामिल थी। इस साल स्वास्थ्य विभाग द्वारा 7881 महिलाओं और पुरूषों की जांच की गई थी। इसके अलावा 6554 गर्भवती महिलाओं की जांच के बाद 10 गर्भवती महिलाएं एडस से ग्रस्त मिली। साल 2015 में एडस से ग्रस्त लोगों की संख्या 137 रही। इस साल 92 पुरूष और 35 महिलाओं को एडस से पीडि़त होने की पुष्टि हुई। इस साल जांच के दौरान 10 गर्भवती महिलाएं एडस से ग्रस्त मिली। स्वास्थ्य विभाग द्वारा साल 2015 में 8969 मरीजों की जांच की गई। इसके अलावा 7190 गर्भवती महिलाओं की जांच स्वास्थ्य विभाग द्वारा की गई। साल 2016 में एडस पीडि़त मरीजों की संख्या 139 रही। इस साल गर्भवती महिलाओं की संख्या 20 रही। विभाग की ओर से 7847 गर्भवती महिलाओं की जांच की गई। इसके अलावा 71 पुरूषों और 48 महिलाओं को एडस की पुष्टि हुई।
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एक साल में 100 से ज्यादा मरीजों ने बढ़ाई चिंता
स्वास्थ्य विभाग द्वारा एडस की बीमारी के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए कैंप लगाए जाते हैं। सबसे ज्यादा कैंप सार्वजनिक स्थलों पर लगाए जाते हैं। हरियाणा एडस कंट्रोल सोसायटी के कर्मचारी और काउंसलर खुद फील्ड में जाकर कैंप लगाते हैं और लोगों को एडस से बचाव के बारे में जागरूक करते हैं। लाख प्रयासों के बाद भी जींद में एडस पीडि़तों की संख्या हर साल 100 से अधिक सामने आ रही है। स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों के अनुसार सबसे ज्यादा एडस चालकों को मिली है।
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ड्राइवरों के सबसे ज्यादा पाजीटिव केस
एच.आई.वी. पाजीटिव पुरुषों के मामलों में सबसे ज्यादा तादाद ड्राइवरों की है। सूत्रों के अनुसार पुरुषों में करीबन 60 प्रतिशत तक ड्राइवर पाजीटिव मिले हैं। ये लोग असुरक्षित यौन संबंधों के चलते इस खतरनाक वायरस की चपेट में आ रहे हैं। जिले में एच.आई.वी. के फैलाव का बड़ा कारण इसे ही माना जाता है।
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पर्याप्त संतुलित आहार और नशे से दूरी बढ़ा सकती है लाइफ
चिकित्सकों के अनुसार एच.आई.वी. की रिपोर्ट पाजीटिव आने पर पीडि़त को रोहतक मैडीकल कालेज स्थित ए.आर.टी. सैंटर में रैफर कर दिया जाता है। वहां पर उसके कुछ और टैस्ट किए जाते हैं। इसके बाद उसका उपचार शुरू कर दिया जाता है। एड्स एक लाइलाज बीमारी है। अभी तक इस बीमारी का कोई स्थायी उपचार नहीं है। पीडि़त रेगूलर दवाइयां लेता रहे तो उसको काफी आराम मिलता है। इसके साथ ही नशे से दूर रहकर तथा पर्याप्त संतुलित आहार लेने से पीडि़त एच.आई.वी. वायरस से लड़ कर अपने जीवन की डोर को काफी लंबा रख सकता है।
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एच.आई.वी. को रोकने के लिए विभाग करता है हर संभव प्रयास : डॉ. दहिया
इस बारे में जब सिविल सर्जन डॉ. संजय दहिया से बात की गई तो उन्होंने कहा कि एचआईवी को रोकने के लिए विभाग हर संभव प्रयास कर रहा है। लोगों को जागरूक करने के लिए कैंप लगाए जाते हैं। कैंपों में लोगों को एचआईवी से बचाव के बारे में जानकारी दी जाती है। डॉ. दहिया ने कहा कि लोगों को भी जागरूक होने की जरूरत है। जब तक लोग जागरूक नहीं होंगे, तब तक एडस ग्रस्त लोगों की संख्या कम होना मुश्किल है।
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