Tuesday, 14 August 2012

पंजाब के किसानों को भायी निडाना की पाठशाला





नवां शहर के किसान दो दिवसीय दौरे पर हैं निडाना में
किसानों के ठहरने का प्रबंध गांव में ही
कीट प्रबंधन के गुर सीख रहे हैं किसान
खाद डालने की विधि सहित अन्य विधियां सीखेंगे किसान

कुलदीप संधू
जींद। नवां शहर (पंजाब) से आए किसानों ने मंगलवार को गांव निडानी में आयोजित खेत पाठशाला में भाग लिया और कीटों के बारव् में जानकारी हासिल की। पंजाब के कृष्ि विभाग द्वारा आत्मा स्कीम के प्रोजेट डायरव्टर सुチाजिंद्र पाल के नेतृत्व में जिला नवां शहर से ३८ किसान व छह कृष्ि अधिकारियों के एक दल को कीट प्रबंधन के गुर सीチाने के लिए निडाना में दो दिन की यात्रा पर ोजा गया है।

チााद डालने की विधि सीチों किसान
गांव निडाना पहुंचे पंजाब के किसानों खेत पाठशाला के दौरान कई जानकारियां हासिल की। उन्होंने कहा कि किसानों को फसल में チााद की अवश्यकता व डालने की विधि भी सीチाने की जरुरत है। योंकि किसान फसल में जो यूरिया チााद डालता है, उसका ११ से २८ प्रतिशत ही पौधों को मिलता है। जबकि बाकि का チााद वेस्ट हो जाता है। इसके अलावा डीएपी チााद में से सिर्फ ५ से २० प्रतिशत ही チााद पौधों को मिलता है। बाकि की チााद की मात्रा जमीन में चली जाती है। इस तरह बिना जानकारी के व्यर्थ होने वाले チााद को बचाने के लिए チााद जमीन में डालने की बजाए सीधा
पौधों को ही दिया जाए। 
आवभगत से खुश हुए पंजाब के किसान
पंजाब से आए किसान निडाना गांव के ग्रामीणों द्वारा की गई आवभगत से गदगद हुए। पंजाब से आए किसानों ने कहा कि निडाना गांव के ग्रामीणों ने जिस तरह से उनका आदर सत्कार किया है और उन्हें अपने घर पर ही ठहरा कर उनकी チाातीरदारी की है उसे वह कभी नहीं भूल पाएंगे। फसलों में बढ़ते जहर से बचने के लिए वह काफी प्रयास कर रहे थे, लेकिन आज तक उन्हें इसका कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था। लेकिन निडाना के किसानों ने उन्हें इस जहर से छुटकारा पाने का रास्ता दिチााया है। 

बोकी तोड़ कर किया प्रयोग
गांव निडानी स्थित खेत पाठशाला में किसानों द्वारा पाठशाला में नएनए प्रयोग किए जा रहे हैं। एक तरफ जहां पौधों के पाों की कटाई का प्रयोग चल रहा है तो दूसरी तरफ किसानों ने कपास के पांच पौधों से पौधे की २५ प्रतिशत बोकी तोड़ने का प्रयोग भी शळ्रू कर दिया है। इस प्रयोग से किसान यह देチााना चाहते हैं कि कपास की फसल में बोकी チााने वाले कीटों से उत्पादन पर कोई प्रभाव होता है या नहीं। इस पाठशाला में २८ दिन बाद पांच पौधों की २५ प्रतिशत बोकी तोड़ी जाती हैं। वही बोकी बारबार न टूटे इसलिए २८ दिन बाद पौधे की बोकी तोड़ी जाती हैं, योकि बोकी से फूल बनने में २८ दिन का समय लगता है। 
किसानों की समस्याओं का किसानों ने ही किया समाधान
पंजाब के नवां शहर से आए किसानों ने निडाना के किसानों से チाूब सवालजवाब किए और धान, गन्ना, मक्की व सजी की फसल में पाा लपेट, तना छेदक, टिड्डे व फुदका कीटों से होने वाले नुकसान का समाधान भी पच्छा। निडाना के किसानों ने पंजाब के किसानों की समस्याओं का समाधान करते हुए बताया कि इन कीटों को कीटनाशकों से काबू करने की जरुरत नहीं है। योंकि इनको काबू करने के लिए फसल में मासाहारी कीट काफी तादाद में मौजूद होते हैं।

पाठशाला के संचालक डा. सुरव्ंद्र दलाल ने कहा कि किसानों को किताबों में लिチाी हुई बातों पर यकीन करने की बजाए बुनियाद से सीチाने की जरुरत है। जब तक किसान チाुद का ज्ञान पैदा नहीं करव्गा और घर पर ही बीज तैयार कर फसल की बिजाई करनी शुरू नहीं करव्गा तब तक किसान को チोती से लाभी प्राप्त नहीं होगा। डा. दलाल ने कहा कि जिस ज्ञान को देチाने के लिए पंजाब से किसान यहां आए हैं, वह ज्ञान किताबी नहीं है, बल्कि निडाना के किसानों द्वारा यह ज्ञान チोत में प्रयोग कर チाुद पैदा किया गया है। बीटी पर चुटकी लेते हुए डा. दलाल ने कहा कि कीटों को कंट्रोल करने में बीटीसीटी का कोई महत्व नहीं है और न ही किसानों को कीटों को कंट्रोल करने की जरुरत है। यहां के बाद इन किसानों ने निडानी गांव में लंच किया और यहां महाबीर व जयभगवान के खेत में कपास व मुंग की मिश्रित खेती का अवलोकन करव्ंगे। इसके बाद अलेवा गांव में जाकर प्रगतिशील किसान जोगेंद्र सिंह लोहान के खेत में बिना कीटनाशक व कीटनाशक के छिड़काव वाली धान की फसल में आई पाा लपेट की तुलाना करव्ंगे। यहां से जलपान कर वापिस पंजाब के लिए कूच करव्ंगे
इस अवसर पर कीटकिसान मुकदमे की सुनवाई के लिए チााप पंचायत की तरफ से बरहा कलां बाराह チााप के प्रधान एवं チााप पंचायत के संयोजक कुलदीप ढांडा, बेनिवाल チााप के प्रधान जिले सिंह बेनिवाल, अチािल भारतीय क्षेत्रीय महासभा के कार्यकारी सदस्य महेंद्र सिंह तंवर, अमरपाल राणा व कृष्ण कुमार भी मौजूद थे।





No comments:

Post a Comment

खुद को पर्यावरण के लिए महिला वकील ने कर दिया समर्पित

अब तक लगवा चुकी 177 त्रिवेणी जींद। महिला एडवोकेट संतोष यादव ने खुद को पर्यावरण की हिफाजत के लिए समर्पित कर दिया है। वह जींद समेत अब तक...