जींद। गांव गोविंदपुरा में किसान आजाद सिंह के チोत में आयोजित किसान チोत स्कूल में डा. कमल कुमार ने जमीन को कृषि योग्य बनाए रチाने के बारे में किसानों को जानकारी दी। उन्होंने कहा कि किसानों को जमीन में उर्वरा शति को बनाए रチाने के लिए मापदंडों के अनुसार उसमें दवाई सहित अन्य पदार्थों का इस्तेमाल करना चाहिए, ताी जमीन की उर्वरा कायम रチाी जा सकती है। इस मौके पर डा. राजेंद्र शर्मा ने किसानों को मिलीबग व उसको कंट्रोल करने वाला प्राकृतिक किट एनासियस チोत में ही दिチााया तथा किसानों को प्रयोगों के माध्यम से मिट्टी की उर्वरा शति को बनाए रチाने के बारे में विस्तार से बताया। इसके साथसाथ किसानों को नीम की गिरी से एक स्प्रे तैयार करने की विधि ाी बताई तथा डा. जयप्रकाश शर्मा ने कृषि विााग द्वारा चलाई जाने वाली स्कीमों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। डा. कमल कुमार ने आज के チोत पाठशाला में किसानों को कपास की फसल में आने वाले चर्वक किस्म के कीटों (पो チााने वाले) का नुकसान का आकलन करने के लिए पाा तुड़ाई प्रयोग के माध्यम से समझाया। इसमें एक तिहाई पो पांच पौधों के किसानों ने स्वयं तोड़ दिए, ताकि नुकसान चर्वक किस्म के कीटों का किसान मानते हैं तो वही स्थिति किसानों ने स्वयं कपास के チोत में बनाकर देチाी। यदि पौधों के पो स्वयं तोडऩे से कपास की फसल को कोई नुकसान नहीं होता है तो चर्वक कीटों के पो チााने से या नुकसान होगा और इन चर्वक कीटों को मारने के लिए किसी दवाई का स्प्रे न करने का किसानों ने फैसला लिया। किसान チोत स्कूल में फ्० किसानों ने ााग लिया। यह किसान チोत स्कूल ख्० सेशन तक हर मंगलवार को लगेगी। इसके बाद अगले वर्ष किसानों में से पांच किसान अपने आप इसी गांव में किसान チोत पाठशाला चलाएंगे, ये इच्छा किसानों ने स्वयं आज किसान शिविर में जताई।
Wednesday, 8 August 2012
जमीन को कृष्ि योग्य बनाए रखने के गुर सिखाए
जींद। गांव गोविंदपुरा में किसान आजाद सिंह के チोत में आयोजित किसान チोत स्कूल में डा. कमल कुमार ने जमीन को कृषि योग्य बनाए रチाने के बारे में किसानों को जानकारी दी। उन्होंने कहा कि किसानों को जमीन में उर्वरा शति को बनाए रチाने के लिए मापदंडों के अनुसार उसमें दवाई सहित अन्य पदार्थों का इस्तेमाल करना चाहिए, ताी जमीन की उर्वरा कायम रチाी जा सकती है। इस मौके पर डा. राजेंद्र शर्मा ने किसानों को मिलीबग व उसको कंट्रोल करने वाला प्राकृतिक किट एनासियस チोत में ही दिチााया तथा किसानों को प्रयोगों के माध्यम से मिट्टी की उर्वरा शति को बनाए रチाने के बारे में विस्तार से बताया। इसके साथसाथ किसानों को नीम की गिरी से एक स्प्रे तैयार करने की विधि ाी बताई तथा डा. जयप्रकाश शर्मा ने कृषि विााग द्वारा चलाई जाने वाली स्कीमों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। डा. कमल कुमार ने आज के チोत पाठशाला में किसानों को कपास की फसल में आने वाले चर्वक किस्म के कीटों (पो チााने वाले) का नुकसान का आकलन करने के लिए पाा तुड़ाई प्रयोग के माध्यम से समझाया। इसमें एक तिहाई पो पांच पौधों के किसानों ने स्वयं तोड़ दिए, ताकि नुकसान चर्वक किस्म के कीटों का किसान मानते हैं तो वही स्थिति किसानों ने स्वयं कपास के チोत में बनाकर देチाी। यदि पौधों के पो स्वयं तोडऩे से कपास की फसल को कोई नुकसान नहीं होता है तो चर्वक कीटों के पो チााने से या नुकसान होगा और इन चर्वक कीटों को मारने के लिए किसी दवाई का स्प्रे न करने का किसानों ने फैसला लिया। किसान チोत स्कूल में फ्० किसानों ने ााग लिया। यह किसान チोत स्कूल ख्० सेशन तक हर मंगलवार को लगेगी। इसके बाद अगले वर्ष किसानों में से पांच किसान अपने आप इसी गांव में किसान チोत पाठशाला चलाएंगे, ये इच्छा किसानों ने स्वयं आज किसान शिविर में जताई।
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