दिन-प्रतिदिन बढ़ रही महंगाई का असर इस वर्ष रक्षा बंधन के पर्व पर भी पड़ रहा है। यही वजह है कि महंगाई से इस बार रक्षा बंधन के पर्व को देखते हुए राखियों की खरीद करने वालों की संख्या कम होती जा रही है। हालांकि रक्षा बंधन के पर्व को नजदीक देखते हुए बाजारों में रौनक बढ़ गई है। हालांकि दो दिन से ग्रिड फेल होने से बाजारों में कामकाज प्रभावित हो रहा है।
रक्षा बंधन के पर्व को देखते हुए जहां सैकड़ों महिलाएं विभिन्न प्रकार की राखी लेने के बाजारों में जा रही हैं, वहीं पर बाजारों में लोगों की खासी भीड़ देखी जा रही है। उधर इस वर्ष महिलाओं का प्रयास रहेगा कि वह पिछले वर्ष के मुकाबले में जहां बढि़या से बढि़या राखी लेने का काम करेंगी, वहीं पर वे महंगी राखी को भी प्राथमिकता देंगी।
रक्षा बंधन का पर्व दो अगस्त को है। जैसे-जैसे रक्षा बंधन का पर्व नजदीक आता जा रहा है, वैसे-वैसे बाजारों में राखी लेने के लिए महिलाओं की भीड़ बढ़ती जा रही है। बाजार में आई शकुंतला ने राखी पर्व के बारे में कहा कि यह त्यौहार भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है। उसका प्रयास रहता है कि हर वर्ष वह अपने भाई के लिए अच्छी से अच्छी राखी खरीदें ताकि भाई के हाथ पर बंधी राखी सुंदर दिखाई दे।
ममता ने भी कहा कि आजकल फैशन जमाना का ज्यादा चल गया, ऐसे में उसका प्रयास अब यह रह गया कि महंगी से महंगी भाई के लिए राखी खरीदी जाए। ममता ने कहा कि उसका एक भाई हैदराबाद में इंजीनियर है तो दूसरा भाई उसका दूसरा भाई उसका दिल्ली में डॉक्टर है। इस बार उसका प्रयास रहेगा कि दोनों भाइयों के लिए बढि़या से बढि़या वह राखी खरीदें, लेकिन इस शहर में उसके मुताबिक राखी नहीं मिलती। वह पंजाब के भठिंडा की रहने वाली है। उसके मायके में आने वाली राखियां बहुत ही सुंदर होती हैं।
तांगा चौक पर आई कमलेश ने भी यही बात बताई। इस बार पिछले वर्ष के मुकाबले में वह अच्छी से अच्छी राखी खरीदने का काम करेगी। उधर राखी खरीदने के लिए बाजार में आई छात्रा मनीषा, रीटा व कविता ने कहा कि उन्हें सिम्पल राखियां पसंद हैं, इसलिए उनका प्रयास रहता है कि वे साधारण राखी खरीदें ताकि उनके भाई के हाथ पर यह राखी जचे।
हर वर्ष बढ़ रहे राखियों के दाम
पिछले सात वर्षो से तांगा चौक पर रक्षा बंधन के पर्व पर राखी का व्यापार करने वाले नरेश नामक दुकानदार का कहना था कि महंगाई की मार हर वर्ष बढ़ती जा रही है। उसके अनुसार वह इस व्यवसाय से 2007 में जुड़ा था, उस समय के मुकाबले में महंगाई बहुत ज्यादा बढ़ गई है। जो राखी 2007 में तीन से चार रुपये की आती थी, आज वही राखी 15 से 20 रुपये के बीच आ रही है। हालांकि उसने कहा कि राखियों का कोई भाव नहीं। रंग बिरंगी कई राखियां ऐसी हैं, जो 70 से 80 रुपये के बीच में होती हैं, लेकिन कई फैंसी ऐसी भी राखी हैं, जो 200-250 के बीच में होती है। साधारण राखियां खरीदने वाले लोग आम होते हैं, जबकि महंगी राखियां खरीदने वाले पढ़े लिखे लोग होते हैं।
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