सर्वजात सर्वखाप महापंचायत के बाद पहली बार गांव में पैदा हुई कन्या
पैदा होते ही कन्या का नामकरण कर बीबीपुर गांव ने की नई परंपरा की शुरूआत
कन्या के पैदा होने पर गांव बीबीपुर में खुशी की लहर
जींद। रक्षा बंधन के पर्व पर ही गांव बीबीपुर में बच्ची की किलकारी से गांव में खुशनुमा माहौल हो गया है। गांव बीबीपुर निवासी राजेश कुमार की पत्नी रव्खा रानी ने बुधवार सुबह बच्ची को जन्म दिया और जैसे ही वीरवार को बच्ची को गांव में ले जाया गया तो पूरव् गांव में खुशी की लहर दौड़ पड़ी और लड़की के छठी से पहले ही उसका नामकरण कर उसका नाम अंजलि रख दिया। जबकि रिवाज यह है कि लड़के के जन्म के छठे दिन बाद छठी के गीत गाकर उसका नामकरण किया जाता है और लड़की का नामकरण उस प्रकार नहीं किया जाता। लेकिन राजेश कुमार ने इस परंपरा को बदलते हुए कन्या भ्रूण हत्या के विरूद्ध अभियान चलाए हुए बीबीपुर की पंचायत व महिलाओं के अभियान में अपनी पहली आहुति डाल कर एक नई परंपरा का आगाज कर दिया है। गौरतलब है कि अंजलि खाप पंचायतों व महिला ग्राम सभा के बाद उस गांव में जन्म लेने वाली पहली कन्या है जो गांव कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ देश के मानचित्र पर पिछले दो माह से अपनी जोरदार हाजिरी दर्ज करवा चुका है। इस लिहाज से राजेश के घर पैदा हुई अंजलि की अहमियत और बढ़ गई ळै।
गांव बीबीपुर ने तोड़ा परंपराओं को गांव बीबीपुर में लड़की का नामकरण जन्म के कुछ घंटे बाद ही कर दिया गया और छठी सात अगस्त को अंजलि के घर में गायी जाएगी। परिवार खुशियों से फूले नहीं समा रहे हैं और छठी की तैयारियां में जुट गया है। वीरवार को जैसे ही अंजलि गांव बीबीपुर पहुंची तो ग्राम पंचायत की तरफ से गांव में लड्डू बांटे गए। जब अंजलि ने गृह प्रवेश किया तो महिलााओं ने अंजलि के घर के बाहर थाली बजाकर उसका स्वागत किया। हरियाणवी परिवेश में अभी तक लड़का होने पर ही थाली बजती रही हैं। लेकिन इस परंपरा को बीबीपुर गांव ने तोड़ना शुरू कर रखा है।
दो महीने के बाद हुआ गांव में कन्या का जन्म
दो महीने के बाद किसी कन्या का जन्म हुआ था। वैसे तो राजेश की पत्नी रव्खारानी को बेटी होने की सूचना बुधवार सुबह ही ग्रामीणों को मिल गई थी। लेकिन जच्चा बच्चा को अस्पताल से छुट्टी वीरवार को दी जानी थी। इसलिए गांव में कोई कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया गया। बुधवार को दिनभर गांव बीबीपुर के लोग अस्पताल पहुंचकर राजेश कुमार व रव्खारानी को बेटी होने पर बधाइयां दे रहे थे। ग्रामीणों ने तय किया था कि राखी वाले दिन ही अंजलि गांव पहुंचेगी। इसलिए राखी त्यौहार की खुशियां दोगुणी हो जाएगी। सुबह सात बजे ही राजेश के घर पर लोगों का आना जाना शुरू हो गया था। सभी यह पूछ रहे थे कि राजेश अपनी बेटी को लेकर कब गांव पहुंचेगा। करीब साढ़े नौ बजे अंजलि अपने गांव पहुंची तो लोगों ने खुशियों का इजहार किया। महिलाओं में अंजलि के जन्म को लेकर ज्यादा खुशियां दिखायी दे रही थी। गांव की अधेड़ उम्र की अनिता ने कुछ इस तरह से अपनी खुशियों का इजहार किया।
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२४ जनवरी २०१२ को भी बजी गांव बीबीपुर में थाली
गांव के सरपंच सुनील कुमार जागलान के घर पर जब गत २४ जनवरी को कन्या दिवस पर बेटी नंदनी का जन्म हुआ था तो उनके घर पर भी थाली बजायी ही नहीं बल्कि खुशियों में थाली को फोड़ दिया था। अब राजेश कुमार के घर पर बेटी का अंजलि का जन्म हुआ है तो गांव में फिर थाली बजी ओर सरपंच परिवार की महिलाओं ने गांव में शुभ संकेत देने के लिए अलग से थाली बजायी। ताकि कन्या भू्रण हत्या के खिलाफ अभियान चला रही वीरांनगााओं में यह संदेश जाए कि उनके गांव में कन्या जन्म होने पर थाली बजने लगी हैं।
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