Wednesday, 8 August 2012

बूंदाबांदी में भी महिलाओं की खेत पाठशाला रही जारी


खेत में महिलाओं ने कीटों का अवलोकन व सर्वेक्षण किया
तेलन कीट के क्रियालापों की जानकारी हासिल की


कुलदीप सिंह
जींद। गांव ललितखेड़ा में महिला खेत पाठशाला के दौरान हुई बूंदाबांदी से महिलाओं का हौंसला नहीं टूटा। महिलाओं ने पहले की तरह अपनी कक्षा लगाई और कीटों का अवलोकन एवं निरीक्षण किया। महिला खेत पाठशाला में कीट निरीक्षण के दौरान पाया गया कि अभी तक कपास की फसल में मौजूद रस चूसक कीट सफेद मチाी, हरा तेला व चूरड़ा फसल में आर्थिक कागार को पार नहीं कर पाए हैं। प्रेम मलिक ने पाठशाला में मौजूद महिला किसानों के समक्ष कपास के チोत में मौजूद तेलन के प्रति अपनी आशंका जताते हुए पूछा की तेलन कपास की फसल में या करती है। योंकि प्रेम मलिक पिछले सप्ताह अपनी कपास की फसल में तेलन नामक कीट के क्रियालापों को देチाकर चिंतित थी। प्रेम मलिक ने महिलाओं को तेलन के क्रियालापों का जिकर करते हुए बताया कि तेलन कपास के पौधों पर बैठ कर कपास के फूलों को チाा रही थी। जिससे कारण उसे फसल के उत्पादन की चिंता सता रही है। महिलाओं ने प्रेम मलिक की समस्या का समाधान करने के लिए फसल में मौजूद तेलन के क्रियालापों को बड़े ध्यान से देチाा। महिलाओं ने पाया कि तेलन द्वारा अधिकतर कपास के फूलों की पंチाुडिय़ों व फूल के नर पुंकेशर ही チााए हुए थे, जबकि स्त्री पुंकेशर सुरक्षित था। महिलाओं ने महिला किसान की समस्या का समधान धान करते हुए कहा कि जब तक फूल में स्त्री पुंकेशर सुरक्षित है तब तक फसल के उत्पादन पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। बल्कि तेलन इस प्रक्रिया में परागन की भूमिका भी निभाएगी। मीना मलिक ने बताया कि तेलन अपने अंडे जमीन में देती है और इसके अंडों में से निकलने वाले बच्चे दूसरव् कीटों के अंडोंंं व बच्चों को チााकर अपना गुजारा करते हैं। इनमें チाासकर टिडे के बच्चे शामिल हैं।
इसलिए जिस वर्ष् कपास में तेलन की संチया ज्यादा होगी उस वर्ष् टिडे कम मिलेंगे। रणबीर मलिक ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि यह तेलन पिछले वर्ष् उसकी देसी कपास में भी आई थी। जिसे देチाकर उसके माथे पर भ चिंता की लकीरव् पैदा हो गई थी, लेकिन यह जल्द ही कपास के फूलों को छोड़ कर जंतर (ढैंचे) के फूलों पर चली गई थी। लेकिन इसमें ताज्जुब की बात यह है थी कि तेलन द्वारा जंतर पर चले जाने के बाद भी जंतर की एक भी फली チाराब नहीं हळ्ई। सुष्मा मलिक ने बताया कि कपास की फसल का जीवन चक्र १७० से १८० दिन का होता है और अब फिलहाल कपास की फसल १०० दिन के लगभग हो चुकी है। लेकिन अब तक पाठशाला में आने वाली किसी भी महिला को अपनी फसल में एक छटांक भी कीटनाशक के प्रयोग की जरुरत नहीं पड़ी है। इसलिए तो कहते हैं कीट नियंत्रणाय कीट हिः अस्त्रामोघा। अर्थात कीट नियंत्रण में कीट ही अचूक अस्त्र हैं।

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