कहावत है कि दात गए तो स्वाद गया, इसलिए प्राकृतिक स्वाद को बनाए रखने के लिए दातों की सुरक्षा अति आवश्यक है। इसके लिए जरूरी है, उनकी उचित देखभाल, इसलिए हमें दांतों की सुरक्षा को लेकर कोई भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। यह कहना है दंत चिकित्सक डॉ. विवेक सिंगला का। दातों की मुख्य बीमारिया पायरिया (दातों को कीड़ा लगना) है। इससे बचने के लिए ब्रेकफास्ट और डिनर के बाद नियमित रूप से दांतों की सफाई करनी चाहिए।
दातों की सुरक्षा के लिए हमेशा फ्लोरायड टूथपेस्ट इस्तेमाल करे, लेकिन बच्चों के मामले में फ्लोरायड युक्त टूथपेस्ट के प्रयोग की सलाह नहीं दी जाती है। अगर किसी तरह से ब्रश करने की सुविधा न हो, तो कुल्ला जरूर कर लें। पान मसाला और बीड़ी के प्रयोग से शरीर के साथ ही दातों पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे ठंडा गर्म लगना शुरू हो जाता है। गाल सख्त हो जाते हैं और मुंह खोलने में दिक्कत होती है। इससे कैंसर की संभावना बढ़ जाती है। दातों के संबंध में कुछ भ्राति लोगों में फैली हुई है जो पूरी तरह से गलत है। इसमें सबसे पहली तो ये है कि लोग समझते हैं ऊपर का दात निकालने से आखों की दृष्टि कमजोर हो जाती है, लेकिन ये गलत है और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। साफ्ट ब्रुश और हार्ड ब्रुश के इस्तेमाल से कोई असर नहीं पड़ता।
दातों के कमजोर होने की वजह उन्होंने पायरिया को बताई। दांतों के इलाज की प्रक्रिया में दर्द नहीं होता और आधुनिक चिकित्सा प्रणाली से ये बिना किसी दर्द के संभव है। दातों में कोई बीमारी होने पर कई बार लोग लापरवाही बरतते हैं। इससे बीमारी बढ़ती जाती है और जब वो अंतिम चरण में पहुंच जाती है तभी उसकी तरफ ध्यान देते है। साल में दो बार दातों की जाच अवश्य करानी चाहिए।
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