Thursday, 30 August 2012

जहर से लड़ने के लिए तैयार हो रही महिलाओं की फौज


कीटनाशकों से लड़ने के लिए कीटों को बनाया अचूक हथियार

जींद। लोगों की थाली से जहर कम करने के लिए चलाए गए कीटनाशक रहित खेती के इस अभियान को शिखर पर पहुंचाने के लिए निडाना व ललीतखेड़ा की महिलाएं जी-जान से जुटी हुई हैं। इस अभियान की जड़ें गहरी करने तथा अधिक से अधिक गांवों तक इस मुहिम को पहुंचाने के लिए इन महिला किसानों द्वारा अन्य महिलाओं को भी मास्टर ट्रेनर ते तौर पर ट्रेंड किया जा रहा है। इन महिलाओं द्वारा ललीतखेड़ा गांव के खेतों में चल रही महिला किसान पाठशाला में आने वाली अन्य महिलाओं को कीटों की पहचान करवाकर इनके क्रियाकलापों की भी जानकारी दी जाती है। बुधवार को भारी बारिश के दौरान भी ये महिलाएं खेत पाठशाला में पहुंची और हाथों में छाता लेकर खेत में कीट सर्वेक्षण भी किया। महिलाओं ने पांच-पांच के 6 ग्रुप बनाए और प्रत्येक ग्रुप ने पांच-पांच पौधों से 9-9 पत्तों पर मौजूद कीटों की गिनती की। कीट सर्वेक्षण के बाद महिलाओं ने चार्ट पर अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश की। महिलाओं द्वारा पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार पूनम मलिक के कपास के इस खेत में प्रत्येक पत्ते पर सफेद मक्खी की संख्या 0.4 प्रतिशत, तेले के शिशुओं की संख्या 0.6 प्रतिशत तथा चूरड़े की संख्या 1.3 प्रतिशत थी। वैज्ञानिक मापदंड के अनुसार खेत में मौजूद इन कीटों की संख्या आर्थिक हानि पहुंचाने से काफी नीचे थी। इसलिए महिलाओं को इस खेत में कीटनाशक के प्रयोग की कोई गुंजाइश नजर नहीं आई। पाठशाला के दौरान महिलाओं ने दो नई किस्म के हथजोड़े देखे। महिलाओं ने बताया कि अब तक वे 9 किस्म के हथजोड़े देख चुकी हैं। कीट सर्वेक्षण के दौरान शीला मलिक ने सभी महिलाओं का ध्यान अपने ऊपर मंडरा रही लोपा मक्खियों के झुंड की तरफ खींचा। लोपा मक्खियों के झुंड को देखकर अंग्रेजो ने कहा कि जब ये मक्खी काफी नीचे को उड़ती हैं तो भारी बारिश आने की संभावना रहती है। इसी दौरान राजवंती ने बताया कि हरियाणा के लोग इसे हैलीकॉप्टर (जहाज) के नाम से जानते हैं। लेकिन अंग्रेज इसे ड्रेगनफ्लाई कहते हैं। राजवंती की बात को बीच में काटते हुए संतोष ने कहा कि यह मक्खी पीछवाड़े से सांस लेती है। सरिता ने महिलाओं को चुप करते हुए कहा कि इसकी पहचान के साथ-साथ इसके काम पर ध्यान देने की जरुरत है। सरिता ने महिलाओं को समझाते हुए कहा कि यह मक्खी हमारे सिर पर इसलिए उड़ रही है कि जब हम खेत में से चलते हैं तो पौधों पर बैठे कीट व पतंगे उड़ते हैं और यह उड़ते हुए कीटों का शिकार कर अपना पेट भरती है। सरिता ने कहा कि यह मक्खी धान के खेत में खड़े पानी में अपने अंडे देती है। अगर किसान धान में कीटनाशक का प्रयोग न करें तो धान में आने वाली तन्ना छेदक व पत्ता लपेट को यह बड़ी आसानी से कंट्रोल कर लेती है। सरिता ने बताया कि हरियाणा का कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं है, जिसने इसे देखा न हो, लेकिन उन्हें इसकी पहचान नहीं है। सरिता ने कहा कि उसने स्वयं लोपा मक्खी की चार प्रजातियों को देख चुकी है। इसी दौरान कपास के फूल पर पुष्पाहारी कीट तेलन को देखकर प्रेम ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। प्रेम ने कहा कि निडाना व ललीतखेड़ा में इस मक्खी का प्रकोप ज्यादा है, क्योंकि यहां के किसान कीटनाशकों का प्रयोग नहीं करते हैं। रणबीर मलिक ने प्रेम के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि तेलन तो उनकी फसल की हीरोइन है, क्योंकि यह कपास में परपरागन में अहम भूमिका निभाती है। मलिक ने बताया कि निडाना के किसानों ने अब तक तेलन द्वारा प्रकोपित 508 फूलों की फूलों की पहचान की है। इनमें से सिर्फ तीन फूल ही ऐसे थे, जिनके मादा भाग खाए गए थे। बाकि 505 फूलों के सिर्फ नर पुंकेशर व पंखुड़ियां खाई हुई थी तथा मादा भाग सुरक्षित था। मलिक ने बताया कि यह अपने अंडे जमीन में देती है और इसके बच्चे मासाहारी होते हैं, जो टिड्डो व अंडों को अपना शिकार बनाते हैं। रमेश मलिक ने महिलाओं को मटकू बुगड़े व लाल बणिये के अंडे दिखाए।
बारिश के दौरान छाता लेकर कीटों का निरीक्षण करती महिलाएं।

कपास के पत्ते पर मौजूद लोपा मक्खी (ड्रेगनफ्लाइ)।

तेलन कीट द्वारा कपास के फूल के नर पुंकेशर खाने के बाद सुरक्षित मादा पुंकेशर।

भय व भ्रम की भूल भूलैया से बाहर निकलने के लिए कीट ज्ञान ही एकमात्र द्वार


खाप पंचायत की 10वीं बैठक में मौजूद खाप प्रतिनिधियों ने किसान-कीट विवाद पर किया मंथन

जींद। हमारे बुजुर्गों से हमें जो मिला है, क्या वह सब कुछ हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को दे पाएंगे? आज यह सवाल हमारे सामने एक चुनौति बनकर खड़ा है। अगर फसलों में पेस्टीसाइड का प्रयोग इसी तरह बढ़ता रहा तो हम आने वाली अपनी पुस्तों को बंजर जमीन व दूषित पानी के साथ-साथ कई प्रकार की लाइलाज बीमारियां पैतृक संपत्ति के तौर पर देकर जाएंगे। देश में बीटी के प्रचलन से पहले किसान के पास देसी कपास की 34 किस्में होती थी। लेकिन 2002 में बीटी के प्रचलन के बाद से अब तक इन 10 वर्षों में हमे अपनी देसी कपास की इन 34 किस्मों को खो चुके हैं। जो भविष्य में हमारे सामने आने वाली एक भयंकर मुसिबत की आहट है। यह बात अखिल भारतीय जाट महासभा के राष्ट्रीय महासचिव युद्धवीर सिंह ने मंगलवार को निडाना गांव के खेतों में किसान खेत पाठशाला के दौरान पंचायत में किसान-कीट विवाद की सुनवाई के दौरान कही। पंचायत की अध्यक्षता बरहा कलां बारहा के प्रधान एवं सर्व खाप महापंचायत के संचालक कुलदीप ढांडा ने की। इस अवसर पर पंचायत में अखिल भारतीय जाट महासभा के अध्यक्ष ओमप्रकाश मान, दिल्ली 360 पालम के प्रधान रामकरण सौलंकी, महम चौबिसी के प्रधान धर्मबीर केशव, प्रसिद्ध समाजसेवी देवव्रत ढांडा, राममेहर मलिक, प्रगतिशील किसान क्लब के सदस्य राजबीर कटारिया भी विशेष रूप से मौजूद थे।
पंचायत की शुरूआत के साथ ही किसानों ने अपने रुटीन  के कार्य को जारी रखते हुए कपास के पौधों पर कीटों की गिनती कर कीट बही खाता तैयार किया। आस-पास के गांवों से आए सभी कीट मित्र किसानों ने भी अपने-अपने खेत में मौजूद कीटों का आंकड़ा बही खाते में दर्ज करवाया। किसानों ने बही खाता तैयार कर पंचायत के समक्ष प्रस्तुत किया। बही खाते में दर्ज आंकड़ों के आधार पर कोई भी कीट अभी तक फसल में नुकसान पहुंचाने की आर्थिक स्थित के कागार से कोसों दूर हैं। किसान रामदेवा ने बताया कि कपास की फसल में कृषि वैज्ञानिक रस चूसने वाले कीट सफेद मक्खी, हरा तेला व चूरड़े को सबसे खतरनाक मानते हैं। लेकिन अगर वास्तविकता पर नजर डाली जाए तो ये तीनों मेजर कीट कपास के पौधे से सिर्फ रस ही चूसते हैं, जिससे कपास की फसल पर कोई ज्यादा प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है। इन कीटों को कंट्रोल करने के लिए किसी कीटनाशक की आवश्यकता नहीं है। इन कीटों को खाने के लिए कपास की फसल में कई किस्म के मासाहारी कीट मौजूद होते हैं। सिवाहा से आए किसान अजीत ने बताया कि किसान भय व भ्रम का शिकार है और इसीलिए भ्रमित होकर डर के मारे फसल में कीटनाशकों का प्रयोग करता है। इस भय व भ्रम को दूर करने के लिए किसानों को कीटों की पहचाना होना जरुरी है। जब तक किसानों के पास अपना खुद का अनुभव या ज्ञान नहीं होगा तब तक किसान कीटनाशकों की इस भूल भूलैया से बाहर नहीं निकल पाएगा। इसी दौराना किसानों ने अपने प्रयोग को आगे बढ़ाते हुए पाठशाला में आए सभी खाप प्रतिनिधियों से पांच पौधों के तीसरे हिस्से के पत्ते कटवाए। पाठशाला के समापन पर सभी खाप प्रतिनिधियों को पगड़ी बांधकर व स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया।

आकाशवाणी की टीम ने भी बांटे किसानों के अनुभव

खाप प्रतिनिधि को स्मृति चिह्न देते किसान 

कपास के पोधे के पत्ते काटे खाप प्रतिनिधि 

आकाशवाणी रोहतक से आए सीनियर अनाउंसर सम्पूर्ण भाई डा दलाल से बातचीत करते हुए 

अब विदेशों में भी जलेगी कीट ज्ञान की मशाल


दूरदर्शन की टीम ने शूटिंग को दिया अंतिम रूप, 165 देशों में होगा प्रशारण

जींद। बेजुबान कीटों को बचाने के लिए जिले के निडाना गांव की धरती से उठी आवाज अब विदेशों में भी गुंजेगी। किसानों की आवाज को दूसरे देशों तक पहुंचाने में दिल्ली दूरदर्शन की टीम इनका माध्यम बनी है। दिल्ली दूरदर्शन की टीम अपने कृषि दर्शन कार्यक्रम की रिकार्डिंग के लिए मंगलवार को निडाना गांव के किसानों के बीच पहुंची थी। टीम ने मंगलवार को निडाना गांव में किसान खेत पाठशाला तथा बुधवार को ललीतखेड़ा की महिला किसान खेत पाठशाला की गतिविधियों को कैमरे में शूट किया। बुधवार को हुई बूंदाबांदी के बीच भी कार्यक्रम की शूटिंग चली और ललीतखेड़ा की महिला किसान खेत पाठशाला में शूटिंग को अंतिम रुप देकर टीम अपने गंतव्य की तरफ रवाना हो गई। दिल्ली दूरदर्शन द्वारा 4 सितंबर को सुबह 6.30 बजे कार्यक्रम का प्रसारण किया जाएगा और यह कार्यक्रम 165 देशों में प्रसारित होगा।
निडाना गांव के किसानों द्वारा जलाई गई कीट ज्ञान की मशाल अब देश ही नहीं बल्कि विदेश के किसानों की राह का अंधेरा दूर कर उन्हें एक नया रास्ता दिखाएगी। इस रोशनी को विदेशों तक पहुंचाने के लिए दिल्ली दूरदर्शन की टीम पिछले दो दिनों से अपने पूरे तामझाम के साथ निडाना में डेरा डाले हुए थी। दूरदर्शन की इस टीम में रिपोर्टर विकास डबास, कैमरामैन सर्वेश व राकेश के अलावा 84 वर्षीय वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डा. आरएस सांगवान भी मौजूद थे। कृषि वैज्ञानिक डा. आरएस सांगवान ने मंगलवार को निडाना गांव में चल रही किसान खेत पाठशाला में पहुंचकर कीट कमांडो किसानों के साथ सीधे सवाल-जवाब किए और दूरदर्शन की टीम ने उनके अनुभव को अपने कैमरे में कैद किया। अलेवा से आए किसान जोगेंद्र ने कृषि वैज्ञानिक को अपने अनुभव के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि वह 1988 से खेतीबाड़ी के कार्य से जुड़ा हुआ है। खेतीबाड़ी के कार्य से जुड़ने के साथ ही उसने अपने खेतीबाड़ी के सारे खर्च का रिकार्ड भी रखना शुरू किया हुआ है। 1988 से लेकर 2011 तक वह अपने खेतों में 70 लाख के पेस्टीसाइड डाल चुका है। लेकिन इस बार उसने निडाना के किसानों के साथ जुड़ने के बाद अपने खेत में एक छंटाक भी कीटनाशक नहीं डाला है और अब वह खुद भी कीटों की पहचान करना सीख रहा है। निडानी के किसान जयभगवान ने बताया कि वह 14 वर्ष की उम्र से ही खेती के कार्य में लगा हुआ है। जयभगवान ने बताया कि उनके एक रिश्तेदार की पेस्टीसाइड की दुकान है और वह हर वर्ष उससे कंट्रोल रेट पर दवाइयां खरीदता था। कंट्रोल रेट पर दवाइयां मिलने के बाद भी उसका हर वर्ष दवाइयों पर 80 हजार रुपए खर्च हो जाता था। लेकिन पिछले दो वर्षों से उसने इस मुहिम से जुड़ने के बाद कीटनाशकों का प्रयोग बिल्कुल बंद कर दिया है। खरकरामजी के किसान रोशन ने बताया कि वह 10-12 एकड़ में खेती करता है, लेकिन वह अपने खेत में सुबह पांच बजे से आठ बजे तक सिर्फ तीन घंटे ही काम करता है। इसके बाद अपनी ड्यूटी पर चला जाता है। रोशन ने बताया कि अधिक पेस्टीसाइड के प्रयोग से पैदावार में बढ़ोतरी नहीं होती। पैदावार बढ़ाने में दो चीजें सबसे जरुरी हैं। पहला तो सिंचाई के लिए अच्छा पानी और दूसरा खेत में पौधों की पर्याप्त संख्या। अगर खेत में पौधों की पर्याप्त संख्या होगी तो अच्छी पैदावार निश्चित है। सिवाहा से आए किसान अजीत ने बताया कि वह अपनी जमीन ठेके पर देता था। जिस किसान को वह ठेके पर जमीन देता था, वह फसल में अंधाधूंध कीटनाशकों का प्रयोग करता था। जहरयुक्त भेजन के कारण कैंसर की बीमारी ने उसे अपने पंजों में जकड़ लिया और पिछले वर्ष उसकी मौत हो गई। इसलिए इस वर्ष उसने अपने खेत ठेके पर नहीं देकर स्वयं खेती शुरू की है और उसने भी कीट ज्ञान अर्जित कर अपने खेत में एक बूंद भी कीटनाशक नहीं डाला है। उसके खेत में इस वर्ष शाकाहारी व मासाहारी कीट भरपूर संख्या में मौजूद हैं। लेकिन इन कीटों से उसकी फसल को रत्ती भर भी नुकसान नहीं हुआ है। इसके बाद बुधवार को टीम ललीतखेड़ा गांव में महिला किसान पाठशाला में पहुंची और यहां महिलाओं से भी उनके अनुभव के बारे में जानकारी जुटाई। महिलाओं ने कीटों पर लिखे गीत सुनाकर टीम का स्वागत किया। टीम ने महिलाओं द्वारा लिखे गए तीन गीतों की भी रिकार्डिंग की। इस दौरान टीम ने निडाना के किसान रणबीर द्वारा चार एकड़ में बोई गई देसी कपास के शॉट भी लिए।
किसानों से सवाल करते कृषि वैज्ञानिक डा. आरएस सांगवान।

किसानो से बातचीत करते कृषि 

कृषि दर्शन कार्यक्रम के लिए किसानों के अनुभव को शूट करते टीम के सदस्य।
कृषि वैज्ञानिक को उपहार भेंट करती महिला 

Wednesday, 29 August 2012

महासम्मेलन की तैयारी पर चर्चा की


आर्य समाज मंदिर में बुधवार को वेद प्रचार मंडल के तत्वाधान में बैठक का आयोजन किया गया। बैठक की अध्यक्षता आर्य प्रतिनिधि सार्वदेशिक सभा के प्रधान आचार्य बलदेव ने की। बैठक में 25 से 28 अक्तूबर तक रोहिणी दिल्ली स्थित स्वर्ण जयंती पार्क में सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा दिल्ली एवं आर्य प्रतिनिधि सभा दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में होने वाले अंतरराष्ट्रीय महा सम्मेलन की तैयारी पर विचार-विमर्श किया गया। आर्य महा सम्मेलन में भाग लेने के लिए 32 देशों के प्रतिनिधियों ने स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसके अलावा भारत में असाम, केरल, मिजोरम सहित सभी प्रातों से प्रतिनिधि इस सम्मेलन में भाग लेंगे।
जब देश में पाखंड और अंधविश्वास ज्यादा था तो आर्य समाज ने कुरीतियों का विरोध किया। नारी शिक्षा को बढ़ावा दिया। स्वामी दयानंद ने अपने विचारों से भारतवर्ष के लोगों को एक नई दिशा प्रदान की। उन्होंने कहा कि सम्मेलन का उद्देश्य भारतवर्ष में फैल भ्रष्टाचार को दूर करना है। सम्मेलन में अमेरिका, कनाडा, हॉलैंड, युगाडा, फिजी, गयाना, रशिया, यूक्रेन, बर्मा सहित अन्य देशों से प्रतिनिधि भाग लेंगे। चार दिन तक चलने वाले अंतरराष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन में आर्य समाज को एकजुट करने, आडबरों को दूर करने सहित कई विशेष मुद्दों पर विचार किया जाएगा। बैठक में आर्य प्रतिनिधि सभा रोहतक के प्रधान विजयपाल, आर्य प्रतिनिधि सभा दिल्ली के प्रधान ब्रह्मचारी राज सिंह, आर्य वीर दल हरियाणा के महामंत्री वेदप्रकाश आर्य, राय सिंह, कपूर सिंह, धर्मबीर आर्य, यादविंद्र अर्या, अजीत गौतम आदि मौजूद थे।

दूरदर्शन पर अपने अनुभव बांटेंगे निडाना व ललीतखेड़ा के किसान


सूचना एवं प्रौद्योगीकी के क्षेत्र में पिछड़े क्षेत्रों के किसानों को मिलेगा लाभ 

जींद। निडाना व ललीतखेड़ा गांव के किसान अब देश के अन्य क्षेत्रों में बैठे किसानों को खेती-किसानी के गुर सिखाएंगे। ये किसान टीवी के माध्यम से अन्य किसानों के साथ अपने अनुभव सांझा कर उन्हें कीट प्रबंधन के लिए प्रेरित कर बिना कीटनाशकों का प्रयोग किए अधिक उत्पादन लेने के टिप्स देंगे। इनके इस काम में निडाना व ललीतखेड़ा की कीट मित्र महिला किसान भी इनका पूरा सहयोग करेंगी। किसानों की इस मुहिम को देश के दूर-दराज क्षेत्र के किसानों तक पहुंचाने के लिए दिल्ली दूरदर्शन की टीम ने अपना हाथ आगे बढ़ाया है। कार्यक्रम की कवरेज के लिए दिल्ली दूरदर्शन की एक टीम मंगलवार को निडाना पहुंचेगी। यह टीम अपने कृषि दर्शन कार्यक्रम के लिए दो दिनों तक निडाना व ललीतखेड़ा के खेतों में जाकर किसानों के अनुभव व उनकी गतिविधियों के शाट अपने कैमरे में कैद करेगी। दूरदर्शन की इस पहल से सूचना एवं प्रौद्योगीकी के क्षेत्र में पिछड़े हुए क्षेत्रों के किसानों को काफी लाभ मिलेगा।
कीट प्रबंधन के क्षेत्र में माहरत हासिल कर चुके निडाना व ललीतखेड़ा के किसान अब टीवी के माध्यम से देश के अन्य क्षेत्रों के किसानों को कीटों की पढ़ाई का पाठ पढ़ाएंगे। दिल्ली दूरदर्शन ने इन किसानों की इस मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए इन्हें अपने कार्यक्रम में शामिल करने की योजना को हरी झंडी दे दी है। कार्यक्रम की कवरेज के लिए दिल्ली दूरदर्शन की एक टीम प्रोड्यूसर रघुनाथ सिंह के नेतृत्व में मंगलवार को निडाना पहुंचेगी। यह टीम अपने कृषि दर्शन कार्यक्रम के लिए इन किसानों के साथ इनके खेतों में जाकर लगातार दो दिनों तक इनकी गतिविधियों व इनके अनुभव को अपने कैमरे में कैद करेगी। कार्यक्रम की रिकार्डिंग के दौरान इस टीम के साथ कृषि वैज्ञानिक डा. आरएस सांगवान भी मौजूद रहेंगे, जो इन किसानों से समय-समय पर फसल में आने वाले कीटों व फसल पर पड़ने वाले उनके प्रभाव के बारे में जानकारी जुटाएंगे। इसके अलावा किसानों द्वारा अब तक  उनकी फसलों में देखे गए मासाहारी व शाकाहारी कीटों पर विस्तार से चर्चा  करेंगे, ताकि अधिक से अधिक 
किसानों को कीटों की पहचान हो सके और किसान बीमारी व कीटों के बीच के अंतर को समझ सकें। निडाना व ललीतखेड़ा के किसान खेत में प्रयोगों कर पैदा किए गए अपने इस कीट ज्ञान को दूरदर्शन के माध्यम से अन्य क्षेत्र के किसानों तक पहुंचाने का काम करेंगे। इनकी इस मुहिम में यहां की कीट मित्र महिला किसान भी इनका पूरा सहयोग करेंगी। दूरदर्शन की टीम द्वारा मंगलवार को निडाना गांव के खेतों में लगने वाली किसान खेत पाठशाला तथा बुधवार को ललीतखेड़ा गांव की पूनम मलिक के खेत में लगने वाली महिला किसान खेत पाठशाला में जाकर इनके कीट ज्ञान अर्जित करने का फार्मूला व इनकी काम करने की गतिविधियों के शाट लिए जाएंगे। ताकि इनके फार्मूले को दूरदर्शन के माध्यम से अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचाया जा सके और निडाना गांव के खेतों से उठी इस क्रांति की लहर को पूरे देश में फैलाया जा सके। दूरदर्शन द्वारा किसानों को जागरुक करने के लिए शुरू की गई इस पहल से एक तरफ जहां कीटनाशकों के प्रयोग में कमी आएगी, वहीं दूसरी ओर लोगों को खाने के रूप में परोसे जा रहे इस जहर से मुक्ति भी मिलेगी।

सूचना एवं प्रौद्योगीकी के क्षेत्र में पिछड़े क्षेत्रों के किसानों को मिलेगा लाभ

दूरदर्शन द्वारा निडाना व ललीतखेड़ा गांव के किसानों की इस मुहिम को अपने कृषि दर्शन कार्यक्रम में शामिल किए जाने पर सूचना एवं प्रौद्योगीकी के क्षेत्र में पिछड़े क्षेत्रों के किसानों को काफी लाभ मिलेगा। क्योंकि आज भी बहुत से ऐसे क्षेत्र हैं जहां पर आज तक केवल इत्यादि सूचना पहुंचाने के साधन नहीं पहुंच पाए हैं। ऐसे क्षेत्रों में दूरदर्शन के अलावा सूचना पहुंचाने के ओर विकल्प नहीं हैं। इससे इन क्षेत्रों के लोगों तक समय पर नई-नई तकनीकों की जानकारियां नहीं पहुंच पाती हैं। जिस कारण ऐसे क्षेत्रों के लोग अब भी काफी पिछड़े हुए हैं। लेकिन अब दूरदर्शन पर निडाना व ललीतखेड़ा के किसानों का कार्यक्रम प्रसारित होने के कारण इस क्षेत्र के किसान भी जानकारी जुटा कर कीटों की पहचान व परख कर सकेंगे।

Tuesday, 28 August 2012

मिनी ट्रेड फेयर से संदिग्ध परफ्यूम व डियो बरामद


 जींद : स्वास्थ्य विभाग और हिंदुस्तान यूनी लीवर की संयुक्त टीम ने रविवार दोपहर को अग्रवाल धर्मशाला में चल रहे मिनी ट्रेड फेयर में छापामारी करके काफी संख्या में परफ्यूम और डियो बरामद किए है। परफ्यूम तथा डियो को ब्रांडेड कंपनियों के नाम से स्कीम के तहत बेचा जा रहा था। छापा पड़ने की भनक मिलने पर स्टॉल संचालक फरार हो गया। बरामद किए गए परफ्यूम तथा डियो के सैंपल भरकर जाच के लिए लैब में भेज दिए गए। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
हिंदुस्तान यूनी लीवर के जाच अधिकारी गौरव तिवारी ने सिविल सर्जन डॉ. राजेंद्र प्रसाद को शिकायत देकर कहा था कि अग्रवाल धर्मशाला में चल रहे मिनी ट्रेड फेयर में ब्राडेड कंपनियों के नाम से नकली परफ्यूम व डियो बेचे जा रहे है। शिकायत पर कार्रवाई करते हुए डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. सतीश सुलेख, जिला औषधि नियंत्रक डॉ. सुरेश चौधरी के नेतृत्व में छापामार दल का गठन किया गया और सूचना पुलिस को दी गई। इसमें हिंदुस्तान यूनी लीवर के विशेषज्ञ भी शामिल हुए। छापामार दल ने रविवार दोपहर को ट्रेड फेयर के इंपोटिड डियो के स्टाल पर छापामारा।
स्टॉल में हिंदुस्तान यूनी लीवर के अलावा गार्नियर, आरीजर, एडीडास, रीबोक, इवा इमोश्न, मारक्यूस, लाईक सहित कई ब्रांडेड कंपनियों के परफ्यूम तथा डियो मिले। तीन परफ्यूमो और डियो को एक पैकिंग में महज 150 रुपये में स्कीम के तहत बेचा जा रहा था जबकि एक परफ्यूम या डियो पर कीमत 150 रुपये लिखी गई थी। परफ्यूम और डियो की बोतल पर स्टैंप लगाकर मैन्यूफैक्चरिंग डेट 2012 और एक्सपायरी डेट दिसंबर 2013 दिखाई गई थी। छापा पड़ने की भनक लगने पर स्टॉल संचालक फरार हो गया।
स्टॉल से बरामद हुए सैकड़ों की संख्या में परफ्यूम तथा डियो के ब्राडेड होने से संबंधित कोई भी सबूत स्टाल पर मौजूद व्यक्तियों के पास नहीं मिला। छापामार टीम ने पुलिस को बुलाकर परफ्यूम तथा डियो को कब्जे में ले लिया। छापा मार टीम ने मिनी ट्रेड फेयर आर्गेनाइजर रमनजीत सिंह तथा सेल्समैन अभिषेक से पूछताछ की। छापामार टीम ने परफ्यूम और डियो के सैंपलों को जाच के लिए लैबोरेटरी भेज दिया। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
मिनी ट्रेडफेयर में ब्राडेड कंपनियों के नाम से नकली परफ्यूम तथा डियो बेचे जा रहे थे। हिंदुस्तान यूनी लीवर के जाच अधिकारी की शिकायत पर छापामारी की गई थी। परफ्यूम तथा डियो के सैंपल भरकर लैब भेज दिए गए है। रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई होगी।
डॉ. सुरेश चौधरी, जिला औषधि नियंत्रक

पौधों का मनुष्य को रखना चाहिए ध्यान : आर्य


 जींद : नव वैदिक कन्या विद्यापीठ, पिल्लूखेड़ा के संस्थापक एवं लैंड मोरगेज बैंक के डायरेक्टर बलवीर सिंह आर्य ने कहा कि पौधे लगाने के बाद मनुष्य को उसका ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि पौधा लगाने के बाद यदि उसका ध्यान नहीं रखा जाएगा तो वह सूख जाएगा और पेड़ नहीं बन पाएगा। यह बात उन्होंने स्कूल में पौधरोपण कार्यक्रम के दौरान कही। पौधरोपण करके पर्यावरण को शुद्ध बनाया जा सकता है। प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में पौधरोपण करना चाहिए। यदि प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में एक-एक पौधा लगाता है और उसकी देखभाल करता है तो पर्यावरण शुद्ध होगा। आज शहर में जनसंख्या बढ़ रही है और वाहनों की संख्या में भी बढ़ोतरी हो रही है। बहुत से वाहन तो जहरीला धुआं फेंकते हैं, जिससे वाहनों के पीछे चल रहे लोगों को काफी दिक्कत होती है।
उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे अपने जन्मदिन पर एक पौधा अवश्य लगाएं ताकि यह पौधा पेड़ बनकर दूसरों को छांव व फल दे सकें। इस मौके पर स्कूल के प्रिंसिपल अजीत आर्य ने कहा कि पौधे लगाना अच्छी बात हैं, मगर पौधों की देख-रेख नहीं करना गलत बात है। बहुत सी संस्थाएं पौधरोपण करने के दावे करती हैं, मगर उन द्वारा लगाए गए पौधे देख-रेख के अभाव में सूख जाते हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक विद्यार्थी को चाहिए कि वह पौधरोपण करे और उस पौधे का ध्यान पेड़ बनने तक रखे। इस मौके पर अध्यापिका सोनिया, मीनू, रीतू, सुनील, पूनम, सुमित्रा समेत स्टाफ के अन्य सदस्य मौजूद थे।

दूरदर्शन पर नजर आएंगे जिले के किसान


 जींद : जिले के किसान एक बार फिर दूरदर्शन पर नजर आएंगे और प्रदेश के किसानों को कीटनाशक मुक्ति खेती के लिए प्रेरित करेंगे। जल्द ही दूरदर्शन की टीम अपने दो दिवसीय कार्यक्रम की रिकॉर्डिग के लिए जींद पहुंचेंगी। दूरदर्शन की टीम निडाना और ललितखेड़ा गांवों में चल रही किसान खेत पाठशालाओं में अब तक हुए किसानों के अनुभवों को सांझा करेंगे।
जल्द ही दूरदर्शन पर जिले के किसान एक बार फिर से प्रदेश के किसानों को प्रेरित करते हुए नजर आएंगे। दूरदर्शन ने इन किसानों की इस मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए इन्हें अपने कार्यक्रम में शामिल करने की योजना को हरी झडी दे दी है। कार्यक्रम की कवरेज के लिए दिल्ली दूरदर्शन की एक टीम प्रोड्यूसर रघुनाथ सिंह के नेतृत्व में निडाना आएगी।
यह टीम अपने कृषि दर्शन कार्यक्रम के लिए इन किसानों के साथ इनके खेतों में जाकर लगातार दो दिनों तक इनकी गतिविधियों व इनके अनुभव को अपने कैमरे में कैद करेगी। इस अवसर पर कृषि वैज्ञानिक डॉ. आरएस सांगवान भी मौजूद होंगे, जो इन किसानों से समय-समय पर फसल में आने वाले कीटों व फसल पर पड़ने वाले उनके प्रभाव के बारे में जानकारी जुटाएंगे। दूरदर्शन की टीम द्वारा मंगलवार को निडाना गाव के खेतों में लगने वाली किसान खेत पाठशाला और बुधवार को ललितखेड़ा गाव की पूनम मलिक के खेत में लगने वाली महिला किसान खेत पाठशाला में जाकर कीट ज्ञान व किसानों के काम करने की गतिविधियों की रिकार्डिग की जाएगी ताकि इनके फार्मूले को दूरदर्शन के माध्यम से अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचाया जा सके।
निडाना व ललितखेड़ा गांव के किसानों द्वारा किए जा रहे कार्यो को दूरदर्शन पर दिखाया जाएगा। इसके लिए जल्द ही दूरदर्शन की एक टीम दो दिवसीय दौरे पर आएगी।
डॉ. सुरेंद्र दलाल, एडीओ

Saturday, 25 August 2012

सुलभ, सस्ता व जल्दी न्याय के लिए ओल्ड इज गोल्ड हैं उत्तर भारत की खाप पंचायतें


खाप पंचायतों का  तालिबानी से एक अलग रूप

 


जींद। खापों का प्रचलन उत्तर भारत में लंबे समय से रहा है। लोगों के छोटे-मोटे आपसी विवाद निपटाने के लिए ग्राम समूह का अस्तित्व किसी से छिपा नहीं है। खाप पंचायतों का ढांचा लगभग 1350 साल से भी पुराना है। जनतांत्रिक प्रणाली को आधार मानकर 643 ई. में महाराजा हर्षवर्धन ने अपने शासनकाल में सर्वखाप पंचायत की स्थापना की थी। लेकिन इससे पहले भी आदि काल से ही पंचायतें समाज विकास के लिए किसी न किसी रूप में चली आ रही हैं। खाप पंचायतों ने अपने असल स्वरूप में कभी कोई स्थाई नेतृत्व धारण नहीं किया। यह तो वर्तमान में ही पनपा एक नया रोग है। खाप पंचायतों में नेतृत्व या किसी पद के लिए कोई चुनाव नहीं होता। रोजमर्रा के विवादों को निपटाने में अपनी क्षमता व प्रतिभाओं के बुते कुछ गणमान्य लोग समाज में उभर कर आते थे, जिनकी उपस्थिति विवाद निपटाने में जरुरी होती थी और ये लोग भाई-भतीजावाद से ऊपर उठकर संबंधित पार्टी के द्वारा पर ही मुफ्त में उसके विवाद का निपटारा कर देते हैं। जिससे लोगों का पुलिस थाने, कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाने से वक्त जाया होने से बच जाता है। निष्पक्ष एवं सर्व मान्य ढंग से विवादों का निपटारा करने में ही इनकी ताकत निहित थी, जो आज भी जारी है। लेकिन समय के साथ-साथ पूरे समाज का आवागमन खराब हो गया है तो खाप पंचायतें भी इससे अछूती नहीं रही हैं। पंचायत में निष्पक्ष व सर्वमान्य फैसले न दे पाने के कारण मौजूदा समय की दागी दुनिया में बहुत सारे खाप प्रतिनिधियों के कपड़े भी दागी हुई हैं, लेकिन बीजमारी किसी की नहीं होती है। इसलिए अब भी बहुत सारे ऐसे गणमान्य लोग पंचायतों में मौजूद हैं जो प्रचार-प्रसार से दूर रहकर निष्काम भाव से लोगों के झगड़े निपटाकर देश की कोर्ट-कचहरियों का भार कम करते हैं। खाप पंचायत में सुलभ, सस्ता व जल्दी न्याय मिल जाता है, जबकि कोर्ट कचहरियों में समय व पैसे की बर्बादी के बाद भी न्याय मिलने की उम्मीद काफी कम है। ग्रामीण स्तर पर विवादों का निपटारा करते समय ग्राम पंचायत सबसे छोटी इकाई होती है। यदि कोई विवाद दो या दो से अधिक गांवों में उलझ जाता है और उस पर विचार-विमर्श करके निर्णय लेना हो तो उन गांवों के समूह पर गठित तपा, बारहा व पाल से संबंधित पंचायतों को बुलाया जाता है। यदि विवाद दो तपों, बाहरों या पालों में हो जाए तो उसे निपटाने के लिलए सर्वखाप मंचायत बुलाई जाती है। पंचायतों के अलग-अलग समूह होते हैं जैसे चैगामा, अठगामा, बारहा, चैबीसी, सतरोल, चैरासी, 360 आदी। चार गांव के समूह को चैगामा, आठ गांवों के समूह को अठगामा, इसी प्रकार 70 गांवों के समूह को सतरोल, 84 गांवों के समूह को चैरासी व 360 गांवों के समूह को 360 कहा जाता है। 36 बिरादरी की पंचायत में सभी गांवों के 36 बिरादरी के लोग भाग लेते हैं तथा इसे महापंचायत के नाम से भी पुकारा जाता है। पंचायतों का दूसरा स्वरूप गोत्र के आधार पर है। गोत्र के आधार पर गठित खाप पंचायतों का भी अपना विशेष महत्व रहा है जैसे बाल्याण खाप, दहिया खाप, अहलावात, मलिक उर्फ गठवाला खाप, दलाल, सांगवान, कुंडू, श्योराण, हुड्डा, कादियान, नैन, ढांडा, राठी, मान तथा खत्री आदि गोत्र के नामों पर भी खाप बनी हुई हैं। बाल्याण खाप को सभी खापों का प्रधान माना जाता है। इस प्राकर की गोत्र पंचायतों में ज्यादातर मसले विवाह संबंधि विवादों के समाधान के लिए ही आते रहे हैं। जिसका समाधान भी सामाजिक परिस्थितियों में होता चला आ रहा है। आपसी भाईचारे के आधार पर या गोत्र के आधार पर बने गांवों के समूह को ग्रामीण इलाकों में तपा, बारहा, पाल या खाप के नाम से पुकारा जाता है। उत्तर भारत की पंचायतें बड़े-बड़े विवादों को निपटाने तथा अपने निष्पक्ष व सर्वमान्य फैसले सुनाने के लिए मसहूर हैं। खाप के इतिहास को देखते हुए सुलभ, सस्ता व जल्दी न्याय के लिए तो उत्तर भारत की पंचायतों को ओल्ड इज गोल्ड भी कहा जाता है।

सर्वखाप व पंचायत का अर्थ व उद्देश्य

सर्व का अर्थ है व्यापक या सर्वत्र। खाप ख$आप अर्थात खाप, ख का अर्थ है आकाश या व्यापक और आप का अर्थ है जल, पवित्र या शांतिदायक पदार्थ। पंचायत पांच या उससे अधिक निष्पक्ष, सत्यवादी, व्यवहारिक, न्यायप्रिय और समस्या से परिचित व्यक्तियों के समूह को पंचायत कहते हैं। वास्तव में पंचायत का अर्थ है पंच+आयत अर्थात पांचों से बनी आयत अथवा पंचायत। यदि हम दृष्टि डालें तो सृष्टि की रचना भी पांच महाभूतों से ही हुई है। भारतीय संस्कृति अथवा किसी भी धर्म की और दृष्टिडालने पर भी पांच शब्द का महत्वपूर्ण प्रयोग मिलता है। जैसे हरियाणा में हुक्के को पंच प्याला कहा जाता है। सिक्खों में पंच प्यारे आर्य समाज में पंच महायज्ञ, भारतीय शास्त्रवेताओं ने अपने वार्षिक कलैंडर को पंचाग का नाम दिया है आदि। धार्मिक कथाओं, अध्यात्मिक एवं राजनैतिक सभी क्षेत्रों में पांच शब्द को पर्याप्त महत्व दिया गया है। यही मूल कारण है कि इस संस्था को पंचायत कहा जाता है। इसलिए जो संगठन आकाश की भांति व्यापक, जल की भांति निर्मल तथा शांतिदायक हो तथा भाई-भतीजावाद से ऊपर उठकर निष्पक्ष व सर्वमान्य फैसला सुना कर विवाद को सुलझाए उसे पंचायत कहा जाता है।

पंचायत की कार्यप्रणाली

खाप पंचायत लोकतांत्रितक आधार पर गठित की जाती हैं। जिस पर पंचायत की कार्यप्रणाली टिकी हुई है। आपसी भाईचारे को कायम रखने के लिए खापों के जरिए अपासी झगड़ों को बिना थाने, कोर्ट-कचहरी के हस्तक्षेप के किया जाता है। खाप पंचायतें सामाजिक ताने-बाने को कायम रखने में काफी कारगर साबित हो रही हैं। पंचायत में सुझाव देने व अपनी बात कहने की पूरी छूट होती है। इसी वजह से फैसलों को सर्वमान्यता मिलती है। पीड़ित को खाप पंचायत के मुखिया के पास जाकर जानकारी या अपनी शिकायत देनी होती है। इसके बाद मुखिया प्रभावशाली व्यक्तियों की सलाह लेकर योग्य पंचांे का चयन करता है।

पंचायत द्वारा सुलझाए गए विवाद

  1. गांव ढड़बा कलां जिला सिरसा में किसी मामूली बात को लेकर सन 1934 में कत्ल हुआ था। जिस कारण दोनों पक्षों के 55 व्यक्तियों के कत्ल हुए थे। इस मसले को बैनिवाल खाप ने 63 साल बाद यानि 1997 में दोनों पक्षों में भाईचारा बनाकर समझौता करवाया।
  2.  गांव थाना कलां जिला सोनीपत में भी दो पक्षों में 16-17 कत्ल हो चुके थे। जिनका सर्वखाप पंचायत ने दोनों पक्षों में भाईचारा बनवाकर समझौता करवाया।
  3.  गांव गौसाई खेड़ा जिला जींद में भी दो पक्षों के बीच दुश्मनी के कारण 7   व्यक्तियों के कत्ल हुए थे। 1962-63 में सर्वखाप पंचायत ने दोनों पक्षों का समझौता करवाया। जिसमें पूर्व मंत्री लहरी सिंह का विशेष योगदान रहा।
  4.  सामाजिक कुरीतियों को खत्म करने के लिए गांव सिसाना में सन 1960 मंे दहिया खाप द्वारा सर्वखाप पंचायत तथा 1962 में विवाह-शादियों में होने वाली फिजूल खर्ची को रोकने के लिए बेरी मंे सर्वखाप पंचायत बुलाई गई। इन पंचायतों में विवाह-शादियों में होने वाली फिजूलखर्ची पर रोक लगाकर लोगों को लुटने से बचाया गया।
  5.  1993 में दहिया खाप द्वारा फिर सर्वखाप पंचायत बुलाई गई। इस सर्वखाप पंचायत में शराब का प्रचलन बंद करवाने का अह्वान किया गया था। 
  6.  जींद जिले के बीबीपुर गांव में 14 जुलाई 2012 को हुई सर्व जातीय सर्व खाप महापंचायत ने कन्या भ्रूण हत्या जैसी सामाजिक कुरीति को जड़ से उखाड़ने के लिए अहम फैसला लिया। महापंचायत में चैधरियों ने सरकार से कानून में संसोधन कर कन्या भ्रूण हत्यारों के खिलाफ 302 का मुकदमा दर्ज करने की मांग की। सर्व खाप पंचायत द्वारा शुरू की गई इस पहल के बाद गांव में लक्ष्मी का प्रवेश हुआ और प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बीबीपुर गांव को एक करोड़ की ग्रांट देने की घोषणा। इससे यह सिद्ध होता है कि पंचायत जिस भी काम को हाथ में लेती हैं उसे सिरे चढ़ाकर ही दम लेती हैं।
  7.  बाल्याण खाप के प्रधान स्व. चै. महेंद्र सिंह टिकैत तथा पूर्व मंत्री स्व. चै. कबूल सिंह द्वारा सौरम गांव (यूपी) में 2010 में गौत्र विवाद विषय पर एक महापंचायत का आयोजन किया गया। इस महापंचायत में सरकार से हिंदू मैरिज एक्ट में संसोधन की मांग करते हुए एक ही गांव व एक ही गौत्र में विवाह पर रोक लगाने की मांग की गई।
  8.  जींद जिले के ही निडाना गांव में किसान खेत पाठशाला के कीट मित्र किसानों द्वारा 40 वर्षों से चले आ रहे किसानों व कीटों के विवाद को सुलझाने के लिए खाप पंचायतों से आह्वान किया। किसानों के आह्वान पर खाप पंचायत ने इस चुनौती भरे मसले को स्वीकार किया और 26 जून 2012 से निडाना के खेतों में पहली पंचायत का आयोजन किया। इसका फैसला अभी भविष्य के गर्भ में है। खाप प्रतिनिधि हर मंगलवार को पाठशाला में पहुंचकर खेतों में बैठकर पौधों व कीटों की भाषा सीख रहे हैं। जिसके बाद लगातार 18 पंचायतों के गहन मंथन के बाद 19 वीं पंचायत में अपना फैसला सुनाएंगे। इनके अलावा भी खाप पंचायतों ने और भी बहुत से छोटे व बड़े झगड़े निपटाए हैं।

पंचायतों में नहीं बिकते गवाह  

1925 में रोहतक के तत्कालीन डीसी ने रहबरे आजम दीनबंधु चों. छोटू राप से खाप पंचायतों व कोर्ट-कचहरी में क्या फर्क या अंतर है के अंतर के बारे में पूछा गया था। जिस पर चों. छोटू राम ने उतर दिया था कि सरकारी कचहरियों में झूठ का बोलबाला होता है। गवाह बदल जाते हैं, टूट जाते हैं, तोड़े जाते हैं और एक निष्पक्ष, ईमानदार व स्वच्छ जज के लिए भी ये जानना कठिन हो जाता है कि सच क्या है? जबकि खाप पंचायतों में झूठ नहीं बोला जाता और न ही गवाह टूटते या बिकते हैं। खाप पंचायतों में झगड़े की गहराई तक जा कर सर्वमान्य व निष्पक्ष फैसला सुनाया जाता है।

खापें नहीं होती तो अनपढ़ रह जाते हरियाणा के लोग

हरियाणा में अगर खापों का प्रभुत्व नहीं होता तो आज हरियाणा के अधिकतर लोग या तो अनपढ़ होते या फिर उन्हें शिक्षा ग्रहण करने के लिए दूसरे प्रदेशों का रूख करना पड़ता। वर्ष 1911 में दहिया खाप ने बरोणा में सर्वखाप महापंचायत बुलाई थी और रोहतक का जाट स्कूल, मटिंडू, भैंसवाल, और खानपुर गुरुकुल उसी महापंचायत की देन हैं।

1857 की जनक्रांति की विफलता के बाद अंग्रेजों ने खाप पंचायतों पर लगा दिया था प्रतिबंध

सन 1857 में सम्राट बहादुरशाह जफर ने सर्वखाप से सहयोग मांगाा और अपना राज सर्वखाप पंचायत को सौंपने का ऐलान किया। लेकिन 1857 की जनक्रांति की विफलता के बाद अंग्रेजी शासकों ने इन खाप पंचायतों को दबाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी और खाप पंचायतों पर प्रतिबंध लगा दिया। लेकिन खाप पंचायतों ने उस दौरान भी अपने अस्तित्व को कायम रखा। लेकिन आजादी के बाद सन 1950 में पहली सर्वखाप पंचायत गांव सौरम जिला मुजफ्फरनगर (उत्तरप्रदेश) में हुई। इसके बाद 1956 में भी यहीं एक सर्व खाप पंचायत हुई। जिसके बाद सौरम गांव सर्वखाप पंचायत का मुख्यालय बना गया।

मीडिया ने नहीं छोड़ी खापों को बदनाम करने में कोई कसर

खाप पंचायतों को बदनाम करने में मीडिया ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है। मीडिया ने खाप पंचायतों को समाज के सामने तालिबानी और फतवे जारी करने वाली एक संस्था के तौर पर प्रकट किया है। गौत्र विवाह व आनर किलिंग के मामलों में पंचायत की छवी को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा। जबकि वास्तविकता कुछ और ही है। सर्व जातीय सर्वखाप महापंचायत के संचालक व बराह कलां बारहा के प्रधान कुलदीप ढांडा का कहना है कि खाप पंचायतें एक गौत्र व एक गांव में विवाह का विरोध करती हैं और एक ही खून में शादी करने के मामले को वैज्ञानिक भी गलत मानते हैं। क्यों कि इससे आने वाली पीढ़ियों में कुछ अवगुण भी आने का खतरा बनता हैं। खाप पंचायतों ने कभी भी किसी को मौत की सजा नहीं सुनाई है और न ही कोई फतवा जारी किया है। खाप पंचायतें प्रेम विवाह का विरोध नहीं करती, लेकिन एक गौत्र व एक गांव में विवाह करने का विरोध करती हैं। खाप पंचायतें भाईचारे को कायम करने तथा सामाजिक तानेबाने को कायम रखने का काम करती हैं। एक गौत्र व एक गांव में विवाह करने के मसले को मिटाने के लिए खाप पंचायत ने 10 जून 2010 को मुख्यमंत्री हरियाणा व 25 जून 2010 को यूपीए की अध्यक्षा सोनिया गांधी को पत्र लिखकर हिंदू मैरिज एक्ट में संधोसन कर इस पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने की मांग की है। पांडीचेरी, तमिलनाडू व उत्तरप्रदेश के लोगों ने भी अपनी संस्कृति को बचाने के लिए सरकार से मांग कर अपने विवाह के नियमों परिवर्तन करवाया है।

महिलाओं व लड़कियों की सुरक्षा को देखते हुए लिया फैसला

बागपत (उत्तर प्रदेश) में महिलाओं के लिए जो फैसला सुनाया गया है वह किसी खाप पंचायत ने नहीं सुनाया। यह फैसला वहीं के एक-दो गांवों के समूह के लोगों ने सुनाया है। लेकिन उनके फैसले को मीडिया ने तोड़-मरोड़ के जनता के सामने पेश किया है। उन्होंने यह पंचायत महिलाओं व लड़कियों की सुरक्षा को देखते हुए बुलाई थी। जिसमें लड़कियों की सुरक्षा को  देखते हुए अकेली लड़कियों को बाजार जाते वक्त घर की बुजुर्ग महिलाओं को साथ ले जाने की हिदायत दी गई है तथा लड़कियों व लड़कों को मोबाइल पर खुले में गाने सुनने पर प्रतिबंध लगाया है। इसके अलावा लड़कियों को साधारण पहनावे के लिए प्रेरित किया जा रहा है ताकि उतेजित पहनावे के कारण लड़कियों को किसी परेशानी का सामना न करना पड़े।

पंचायत के सामने किसी चुनौती से कम नहीं है किसान व कीटों का विवाद

लगभग पिछले चार दशकों से भी ज्यादा समय से चले आ रहे किसान व कीटों के विवाद को देखते हुए कीट साक्षरता केंद्र निडाना से जुड़े 12 गांवों के किसानों ने खाप पंचायत से इस झगड़े को सुलझाने की गुहार लगाई है। इस विवाद में एक पक्ष बोलने वाला तथा दूसरा पक्ष बेजुबान है। किसानों ने सर्व खाप पंचायत हरियाणा के संयोजक कुलदीप ढांडा की मार्फत खाप पंचायत को चिट्ठी लिखी। खाप पंचायत ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए इस विवाद को निपटाने का जिम्मा अपने कंधों पर उठाया। इस मामले में सबसे खास बात यह है कि पंचायत को इस विवाद को निपटाने के लिए 12 ग्रामी पाठशाला में 
पहुंचकर खेतों में बैठकर कीटों व पौधों की भाषा व इनके कार्य समझने पड़ रहे हैं। जबकि आज तक इससे पहले पंचायत प्रतिनिधियों को ऐसा करने की जरुरत नहीं पड़ी थी। इस मामले को निपटाने के लिए हर मंगलवार को एक पंचायत का आयोजन किया जाता है। 18 पंचायतो के बाद 19वीं सर्व जातीय सर्व खाप महापंचायत में सर्व खाप प्रतिनिधि अपना फैसला सुनाएंगे। यह फैसला एक ऐतिहासिक होगा। इस पंचायत की सबसे खास बात यह है कि इसमें मनुष्यों की खाप की तरह कीटों की खाप भी है और हर बार कीटों के अलग-अलग खाप प्रतिनिधि पंचायत में पहुंच रहे हैं। 


13 को बनेगी जाट आंदोलन की रणनीति


जींद : सर्व जाट खाप समिति की बैठक जाट धर्मशाला में बिनैन खाप के प्रधान नफे सिंह नैन की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक में निर्णय लिया गया कि यदि हरियाणा सरकार 15 दिसंबर तक जाटों को आरक्षण नहीं देती है तो सर्व जाट खाप समिति हरियाणा अपने नेतृत्व में शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन करेगी। साथ ही बैठक में निर्णय लिया गया कि आंदोलन करने की तैयारी और आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने के लिए 13 सितंबर को दनौदा कलां गांव में सर्व जाट खाप समिति की बैठक होगी, जिसमें प्रदेश से सभी जाट संगठन व खाप प्रतिनिधि भाग लेंगे। बैठक में 16 अगस्त को चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री के साथ इस विषय पर हुई बातचीत पर भी ब्योरा रखा गया। बैठक में 110 खाप प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए बिनैन खाप के प्रधान नफे नैन, प्रेस प्रवक्ता सूबे सिंह व सचिव कुलदीप सिंह ढांडा ने कहा कि यह आंदोलन खापों के नेतृत्व में शांतिपूर्ण ढंग से किया जाएगा। इसके लिए 13 सितंबर को दनौदा कलां के चबूतरे पर बैठक होगी, जिसमें आगामी आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी। बैठक में शहीद सुनील को श्रद्धांजलि दी जाएगी व जाट एकता का नारा दिया जाएगा।
सभी संगठनों ने खाप के नेतृत्व में आंदोलन में भाग लेने का आश्वासन दिया है। इसे लेकर सभी खाप रेजुलेशन लेकर आएंगे। 13 सितंबर को दनौदा कलां में भी नफे सिंह नैन की अध्यक्षता में बैठक होगी। आयोग का काम रिपोर्ट पेश करना है, लेकिन सरकार उसे टाइम बाउंड कर सकती है। आयोग को अपनी रिपोर्ट पेश करनी चाहिए। आज की बैठक में सभी संगठनों व खापों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया है, जिसमें उन्होंने समर्थन करते हुए उनकी ड्यूटियां लगाने की बात भी कही। फिलहाल हरियाणा में जाट आरक्षण की मांग कर रहे हैं, लेकिन जब केंद्र स्तर पर आंदोलन की बात आएगी तो पीछे नहीं हटा जाएगा।
13 सितंबर के लिए किसी दूसरे प्रदेश की खापों को निमंत्रण नहीं दिया गया है। यदि कोई खाप भाग लेती है तो उसका स्वागत है। इस अवसर पर बलजीत मलिक, प्रताप सिंह, इंद्र सिंह, टेकराम, देवा सिंह, अजमेर सिंह, दलेल खटकड़, सुरजीत सिंह, हरनारायण, इंद्र सिंह, कटार सिंह, राजबीर ढांडा, मुंशी, राजमल, शिवधन रामचंद्र, दारा सिंह, रामस्वरूप, भूप सिंह दलाल, कैप्टन महावीर सिंह लोहान, ओमप्रकाश मान, धर्मपाल, अनिल बैनीवाल, भरत सिंह खटकड़, अशोक मलिक, अनिल बैनीवाल, जसबीर सिंह नंबरदार, नरेंद्र, रणधीर सिंह, सतबीर भनवाला, बलबीर सिंह, जोगेंद्र, देवा सिंह, बलबीर सिंह, धर्मपाल छोत, विजेंद्र सिंह, राजेंद्र सिंह आदि मौजूद थे।

Friday, 24 August 2012

दांतों की सुरक्षा अति आवश्यक : डॉ. सिंगला


कहावत है कि दात गए तो स्वाद गया, इसलिए प्राकृतिक स्वाद को बनाए रखने के लिए दातों की सुरक्षा अति आवश्यक है। इसके लिए जरूरी है, उनकी उचित देखभाल, इसलिए हमें दांतों की सुरक्षा को लेकर कोई भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। यह कहना है दंत चिकित्सक डॉ. विवेक सिंगला का। दातों की मुख्य बीमारिया पायरिया (दातों को कीड़ा लगना) है। इससे बचने के लिए ब्रेकफास्ट और डिनर के बाद नियमित रूप से दांतों की सफाई करनी चाहिए।
दातों की सुरक्षा के लिए हमेशा फ्लोरायड टूथपेस्ट इस्तेमाल करे, लेकिन बच्चों के मामले में फ्लोरायड युक्त टूथपेस्ट के प्रयोग की सलाह नहीं दी जाती है। अगर किसी तरह से ब्रश करने की सुविधा न हो, तो कुल्ला जरूर कर लें। पान मसाला और बीड़ी के प्रयोग से शरीर के साथ ही दातों पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे ठंडा गर्म लगना शुरू हो जाता है। गाल सख्त हो जाते हैं और मुंह खोलने में दिक्कत होती है। इससे कैंसर की संभावना बढ़ जाती है। दातों के संबंध में कुछ भ्राति लोगों में फैली हुई है जो पूरी तरह से गलत है। इसमें सबसे पहली तो ये है कि लोग समझते हैं ऊपर का दात निकालने से आखों की दृष्टि कमजोर हो जाती है, लेकिन ये गलत है और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। साफ्ट ब्रुश और हार्ड ब्रुश के इस्तेमाल से कोई असर नहीं पड़ता।
दातों के कमजोर होने की वजह उन्होंने पायरिया को बताई। दांतों के इलाज की प्रक्रिया में दर्द नहीं होता और आधुनिक चिकित्सा प्रणाली से ये बिना किसी दर्द के संभव है। दातों में कोई बीमारी होने पर कई बार लोग लापरवाही बरतते हैं। इससे बीमारी बढ़ती जाती है और जब वो अंतिम चरण में पहुंच जाती है तभी उसकी तरफ ध्यान देते है। साल में दो बार दातों की जाच अवश्य करानी चाहिए।

युवाओं को शिविर के माध्यम से किया जागरूक


आइजी हिसार मंडल अरशिद्र ¨सह चावला द्वारा युवाओं को जागरूक करने के उद्देश्य से चलाए जा रहे जागरूकता अभियान के तहत गुरुवार को राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता प्राचार्य मुकेश नैन ने की। इस मौके पर मुख्य वक्ता आइजी स्टाफ से आए सज्जान कुमार ने कहा कि युवाओं को मानवाधिकारो, क‌र्त्तव्यों, ट्रैफिक नियमों व कानूनी रूप से जागरूक किया।
मानव जाति के सभी सदस्य समान है धर्म जाति में कोई छोटा एवं बड़ा नही होता। सभी को गरिमा में जीने का हक है। उन्होंने अधिकारों एवं हितों के लिए दूसरों के अधिकारों एवं हितों की अनदेखी करते है। उन्होंने युवाओं की उम्र को संवेदनशीलता बताया। उन्होंने युवाओं को मानवीय मूल्यों से रूबरू करवाते हुए ट्रैफिक के साथ-साथ अपराधियों को शरण देना, संगत करना, नाजायज हथियार, फेक करसी, रेगिंग, दहेज, रोड़ जाम एवं सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर विभिन्न धाराओं एवं सजा के प्रावधान बारे जानकारी दी। इस मौके पर सिटी थाना से उप निरीक्षक सूरजभान, स्कूल स्टाफ मौजूद था।
दूसरी ओर राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय उझाना में एक दिवसीय सेमीनार का आयोजन निदेशक राज्य अपराध रिकार्ड शाखा मधुबन एडीजी पी लायकराम डबास आईपीएस के निर्देशानुसार किया। इसमें लगभग 300 छात्र व छात्राओं को अंगुली छाप विज्ञान के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। घटनास्थल को सुरक्षित रखने में सहयोग करने की अपील की। जिससे पुलिस को अपराधी तक पहुचने में आसानी हो सके। इस कार्यक्रम में स्कूल के प्रधानाचार्य जियालाल व उनके स्टॉफ ने अपना पूर्ण सहयोग दिया।

स्लम बस्तियों में मच्छर मार दवा का छिड़काव कराएगा क्लब


इनर व्हील क्लब की बैठक प्रधान अनीता सिंगला की अध्यक्षता में उनके निवास पर हुई। बैठक में स्लम बस्तियों में मच्छर मार दवा का छिड़काव कराने का निर्णय लिया गया। सिंगला ने कहा कि शहर की स्लम बस्तियां ऐसी हैं, जहां पर मच्छरों की भरमार होने से लोगों को खासी परेशानी हो रही है।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा इन बस्तियों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। क्लब का प्रयास लोगों की मदद करना है। जैसे ही उनके नोटिस में यह मामला आया तो उन्होंने क्लब के सदस्यों की बैठक बुलाकर इस पर चर्चा की और सभी सदस्यों ने इस पर सहमति जता दी। क्लब का प्रयास रहता है कि जरूरतमंद लोगों की मदद की जाए। क्लब द्वारा समय-समय पर जरूरतमंद कन्याओं की शादी कराई जाती है। इसके अलावा लोगों को आवश्यकता अनुसार चीजें भी वितरित की जाती है। क्लब द्वारा कई गांवों में लोगों की मदद की जा रही है। उन्होंने कहा कि क्लब ने गिरते लिंगानुपात को गंभीरता से लिया है। इसी के चलते जल्द ही गांवों में जाकर जल्द ही लोगों को जागरूक करने के लिए नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किए जाएंगे और उनको बताने का प्रयास किया जाएगा कि लड़के और लड़की में कोई अंतर नहीं है। आज लड़कियां लड़कों से काफी आगे निकल चुकी है। कोई क्षेत्र ऐसा नहीं है, जहां पर लड़कियों ने मुकाम हासिल नहीं किया हो।
लोगों की सोच को बदलने के लिए लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। क्लब इसके लिए दिन-रात प्रयास कर रहा है। जल्द ही स्लम बस्तियों में मच्छर मार दवाई का छिड़काव कराया जाएगा, जिससे लोगों को हो रही परेशानी को कम किया जा सके। बैठक में पूर्व प्रधान संतोष आनंद, सरोज गर्ग, प्रेम दलाल, शीला देवी एडवोकेट आदि ने भी अपने विचार रखे।

मजदूरों को बेवजह तंग न किया जाए


जींद : केंद्रीय ट्रेड यूनियन ऑफ इंडिया की जिला कमेटी की बैठक शहीद सूबे सिंह स्मारक हाउसिंग बोर्ड में जिलाध्यक्ष कॉमरेड सतबीर की अध्यक्षता में हुई। बैठक में सीटू कार्यालय पर पुलिस निगरानी व छापामारी कर मारुति मजदूरों को पकड़ने व इसी तरह जींद में मीटिंग कर रहे मारुति से निष्कासित मजदूरों को छापामार कर पकड़ने व बेवजह तंग करने की घटनाओं की निंदा की।
जिलाध्यक्ष सतबीर ने कहा कि हरियाणा सरकार जिस तरह से मारुति प्रबंधन के साथ मिलकर मजदूरों के ट्रेड यूनियन अधिकारों पर हमला किया जा रहा है, उसे प्रदेश का मजदूर बर्दाश्त नहीं करेगा। सीटू के जिला सचिव रमेश चंद्र ने 21 जुलाई को मारुति प्लांट मानेसर में घटित हुई घटना की निंदा करते हुए कहा कि सरकार को इस घटना की उच्च स्तरीय जांच कराई जानी चाहिए और नौकरी से बाहर किए गए मारुति के बेकसूर मजदूरों को काम पर वापस लिया जाए। पुलिस प्रशासन द्वारा निर्दोष मजदूरों की धरपकड़ करके शांति बहाली के कदम उठाए जाएं।
सरकार व मारुति प्रबंधन ने मिलकर जिस तरह मनमाने तरीके से कार्रवाई करते हुए 500 मजदूरों को प्लांट से बाहर करने का जो काम किया है, उसे वापस लिया जाए और निष्पक्ष जांच से पता लग जाएगा कि ऐसे हालात क्यों पैदा हुए।
मजदूर विरोधी कार्रवाई पर रोक लगाकर प्रदेश में श्रम कानूनों को सख्ती से लागू किया जाए। उन्होंने सभी मजदूर यूनियनों, कर्मचारी संगठनों, संघों व सामाजिक संगठनों से मारुति सुजुकी के मजदूरों के समर्थ में सांझा आवाज बुलंद करने की अपील की और कहा कि मजदूरों के ट्रेड यूनियन अधिकारों पर सरकार और पूंजीपतियों के हमले को प्रदेश का मजदूर बर्दाश्त नहीं करेगा।

Wednesday, 22 August 2012

बारिश भी नहीं तोड़ पाई किसानों के बुलंद हौसले



खाप प्रतिनिधियों ने भी किया देसी कपास की फसल का अवलोकन व निरीक्षण

 12 गाँव के किसानों ने चार्ट के माध्यम से प्रस्तुत किये आंकड़े 


जींद। 
हौंसले हो बुलंद तो मंजिल अपने आप कदम चूमने लगती है, और जो अपने हौंसले को तोड़ देता है उससे मंजिल दूर होती चली जाती है, ऐसा ही मानना है गांव निडाना में चल रही खेत पाठशाला के किसानों का। सोमवार रात को हुई बारिश के बाद भी किसानों के हौंसले नहीं टूटे। खेतों में पानी भरा होने के बावजूद भी मंगलवार को किसान खेत पाठशाला के नौंवे स्तर में कीटों व किसानों के बीच चल रहे मुकद्दमें की सुनवाई के लिए खाप प्रतिनिधियों सहित किसान भी वहां पहुंचे। किसान खेत पाठशाला में खाप पंचायत की तरफ से हुड्डाा खाप के प्रधान इंद्र सिंह हुड्डा, राखी बारह के प्रधान राजबीर सिंह, जाट धमार्थ जींद सभा के प्रधान रामचंद्र पहुंचे। खाप पंचायतों के प्रतिनिधि व किसानों ने गांव निडाना निवासी जोगेंद्र के खेत में बैठकर कीट मित्र किसानों के साथ कीटों के बारे में जानकारी हासिल की।

मंगलवार को नहीं हो सका सर्वेक्षण

सोमवार रात को हुई तेज बारिश से खेत में गोड्यां-गोड्यां तक पानी जमा हो गया। जिसके चलते किसान कीटों का सर्वेक्षण नहीं कर सके। हालांकि 12 गांवों के किसानों ने अपने-अपने कीटों के बही खाते को चार्ट के माध्यम से पेश किया। किसी भी गांव में सफेद मक्खी 0.5 प्रतिशत, तेला 0.4 प्रतिशत, चूरड़ा 1.8 प्रतिशत प्रति पत्ता पाया गया। जो कीट वैज्ञानिकों द्वारा तय किए गए मापदंडों से काफी कम है। किसानों की मेहनत के चलते उनके खेतों में एक छटांक भी कीटनाश की आवश्यकता नहीं पड़ी है।

किसानों तथा खाप प्रतिनिधियों ने किया कीट अवलोकन

किसान रमेश मलिक ने कीटों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि मटकू बुगड़ा देखने में लाल बणिया कीट जैसा लगता है। लेकिन यह उससे बिल्कुल अलग है और उसका खून पीता है। मटकू बुगड़ा एक रात में छह लाल बणिया कीटों का खून पी लेता है। किसानों ने ध्यान से मटकू बुगड़ा की पहचान की। रमेश मलिक ने बताया कि यह दुर्लभ  पर भक्षियों में से एक है। जो लाल बणिया का खून पीकर उसे खत्म करता है।

सलेटी भूड का शिकार करते मोबाइल पर दिखाया

गांव इंटल कलां के किसान चतर सिंह ने मंगलवार को हुई इस पाठशाला में किसानों को भी मोबाइल युग का अहसास करवा दिया। क्योंकि चतर सिंह ने अपने मोबाइल के माध्यम से खेत पाठशाला में किसानों को डायन मक्खी द्वारा सलेटी भूंड का शिकार करते हुए का वीडि़यो रिकार्ड कर रखी थी, जिसे उसने पाठशाला में मौजूद खाप प्रतिनिधियों व किसानों के समक्ष दिखाया।

किसानों ने किया रणबीर सिंह की देशी कपास का सर्वेक्षणकिसानों ने रणबीर सिंह की देशी कपास का सर्वेक्षण व अवलोकन किया। सर्वेक्षण के दौरान हर दूसरे पौधे पर डायन मक्खी, कातिल बुगड़ा, सिंगू बुगड़ा, भिरड़, ततैया व इंजनहारी बहुतायात में पाए गए। सर्वेक्षण के दौरान किसान अजीत सिंह ने पहली बार डायन मक्खी को देखा जो अपने पंजे में पतंगे को फंसाए कपास के पत्ते पर बैठी हुई थी। इस मौके पर गांव राजपुरा के पूर्व सरपंच बलवान व धर्मपाल के मुंह से बरबस ही निकल गया कि फसल में इतने कीट हैं, लेकिन कोई नुकसान नहीं पहुंचा रहे हैं। किसान रणबीर ने बताया कि वह सात साल से देशी कपास की खेती कर रहा है। उसने कभी भी अपनी फसल में एक बूंद भी कीटनाशक का प्रयोग नहीं किया है। बाद में किसानों ने पाठशाला में आए खाप प्रतिधिनियों को स्मृति चिह्न भेंट किए। 


लिजवाना कलां गांव में महा सम्मेलन एक सितंबर को


जींद : भ्रूणहत्या, दहेज प्रथा जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ एक सितंबर को लिजवाना कला गाव में होने वाले महा सम्मेलन में सभी राजनीतिक दल, सभी खाप पंचायतें एकजुट होकर पहुचे ताकि इन बुराइयों को पूरे प्रदेश से जड़ से मिटाया जा सके । यह अपील समाज सेविका लक्ष्मी अहलावत ने आम जन एवं सभी राजनीतिक एवं खाप पंचायतों से की है।
जिला के कुछ पंचायतों ने इस कार्य का बीड़ा स्वयं उठाया है तो कुछ समाज सेवी संगठन भी इस पुनीत कार्य में अपनी आहुति डालने लगे है। जिला की एक ऐसी समाज सेवी लक्ष्मी अहलावत ने भी भ्रूणहत्या को रोकने के साथ-साथ गरीब व बेसहारा लड़कियों की परवरिश व शिक्षा के लिये आर्थिक सहायता देने से साथ-साथ दहेज प्रथा पर अकुंश लगाने के लिये महिलाओं को जागरूक करने का अभियान चलाया है। अहलावत ने बताया है कि एक सितंबर को केंद्र सरकार का एक प्रतिनिधि मंडल गाव लिजवाना कला में आकर इस मुहिम का आकलन करेगा। उन्होंने नंदगढ, सिरसा खेड़ी, लिजवाना खुर्द आदि गाव में कार्यक्रम आयोजित करके ग्रामीण परिवेश की महिलाओं से मिलकर कठिनाइया साझी की और उन्हें स्वावलंबी बनने बारे प्रेरित किया।

कुएं बंद करने को चलेगा अभियान


 भविष्य में बोरवेल में गिरकर किसी प्रकार की कोई अप्रिय घटना न घटे इसके लिए कृषि विभाग पूरे जिले में खुले पड़े बोरवेलों तथा नकारा कुओं को बंद करने के लिए अभियान चलाएगा। अभियान के दौरान विभाग के कर्मचारी एवं अधिकारी किसानों को जागरूक करेंगे।
उप कृषि निदेशक डॉ. आरपी सिहाग ने बताया कि हाल ही में बोरवेल में गिरने से हुई कई अप्रिय घटनाओं पर कड़ा संज्ञान लेते हुए उच्चतम न्यायालय ने निर्देश जारी किए है कि अब कोई भी सरकारी अ‌र्द्ध सरकारी व निजी एजेंसी बिना पंजीकरण के बोरवेल जैसे कार्य नहीं करेंगी। बोरवेल करने वाली एजेंसिया या व्यक्ति प्रणाली को पंजीकृत करवाएं ताकि उन्हे कार्य करने की अनुमति मिल सके। उन्होंने स्पष्ट किया कि अपंजीकृत एजेंसिया व निजी मिस्त्री बोरवेल जैसे कार्य करने के लिए अमान्य है।
एजेंसी और अपनी यूनिट को पंजीकृत करवाने के लिए विशेष तौर से निजी मिस्त्री जो अपनी मशीन से कृषकों के खेतों में ट्यूबवेलों की स्थापना करते है वे इसके लिए विज्ञप्ति जारी होने के एक महीने के अंदर पंजीकृत करा लें। पंजीकरण के लिए मिस्त्री एवं यूनिट को प्रयोग की जाने वाली मशीन और उसकी कार्यप्रणाली का विवरण के साथ-साथ आपरेटरों के स्थायी पते का प्रमाण पत्र लाना आवश्यक होगा। पंजीकरण प्रार्थना पत्र के साथ उन्हे यह शपथ पत्र भी देना होगा कि वे उच्चतम न्यायालय के दिशा निर्देशों के अनुरूप कार्य करेगे।
ये मापदंड करने होंगे पूरे
उप कृषि निदेशक डॉ. आरपी सिहाग ने बताया कि माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्देश जारी किए गए है कि जहा नलकूप की स्थापना की जानी है, उस जगह या खेत का मालिक कम से कम 15 दिन पहले जिला के उपायुक्त या संबंधित अधिकारी या गाव के सरपंच को इस बारे में सूचित करेगा। जहा ट्यूबवेल की स्थापना की जानी है वहा एक साइन बोर्ड लगाना भी आवश्यक है। जिस पर ड्रिलिंग एजेंसी का नाम व पूरा पता और बोरवेल करने वाले मालिक का नाम समेत पूरी जानकारी अंकित होनी चाहिए।
ड्रिलिंग कार्य के दौरान जगह के चारों तरफ काटेदार बाड़ लगवानी आवश्यक है। यही नहीं नलकूप बोर में पाइप डालने के उपरात पाईप के मुंह को लोहे की प्लेट से नट बोल्ट के साथ कसने के भी निर्देश जारी किए गए है। ड्रिलिंग कार्य करने के लिए प्रयोग में लाए गए गड्ढे को कार्य खत्म होने के बाद मिट्टी से भरना भी जरूरी है। पुराने या नकारा हो चुके बोरवेल को मिट्टी, कंकड़ तथा रेत इत्यादि से नीचे से ऊपर तक भरना अत्यंत जरूरी है।

बिन बिजली महिला हुई डिलीवरी



जहा एक तरफ सरकार अस्पतालों में जच्चा बच्चा को सुविधाएं देने की बात कह रही है वहीं दूसरी तरफ जच्चा बच्चा को केवल नाममात्र की सुविधा ही मुहैया करवाई जा रही है। ऐसा ही एक नजारा कंडेला के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में देखने को मिला जब एक महिला डिलीवरी करवाने के लिए पहुची तो वहा पर मोमबत्ती की रोशनी डिलीवरी की गई। ऐसे में सरकार की दी जाने वाली सुविधाओं पर कई सवालिया निशान खड़े होते हैं।
न्याणा हिसार निवासी जसविंद्र की पत्नी किरण सोमवार रात को जब दर्द से कराहती हुई परिजनों के साथ कंडेला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डिलीवरी करवाने पहुची तो वहा के प्रसूति गृह में अंधेरा छाया हुआ था। भीषण गर्मी के इस मौसम में पंखा चलना तो दूर की बात वहा पर तैनात स्वास्थ्य कर्मी लाइट भी नहीं जला सके। इसका कारण था कि पिछले एक सप्ताह से स्वास्थ्य सामुदायिक केंद्र में लगाया गया बिजली ट्रांसफार्मर जला हुआ था। स्वास्थ्य सामुदायिक केंद्र में उपलब्ध करवाया गया इन्वर्टर भी जवाब दे गया था। प्रसूति गृह में लाइट न होने से स्वास्थ्य कर्मियों ने मोमबत्ती जलाई और नाम मात्र रोशनी में ही महिला किरण की डिलीवरी कराने की तैयारी की गई। कमरे में छाए अंधेरे और महिला की कराई जा रही डिलीवरी को लेकर परिजन भी सहमे हुए थे। वे कलेजे पर हाथ रखकर सिर्फ दुआएं करने में लगे हुए थे। करीब एक घटे के बाद जब महिला की डिलीवरी का कार्य पूरा हुआ तब जाकर परिजनों ने राहत की सास ली।
एक सप्ताह से जला हुआ है ट्रांसफार्मर
डिलीवरी करने वाली नर्स ने बताया कि पिछले एक सप्ताह से बिजली का ट्रांसफार्मर जला हुआ है। जिससे अधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है लेकिन पिछले एक सप्ताह से इसी परेशानी से जूझना पड़ रहा है।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक अधिकारी डॉ. प्रेम कुमार गुप्ता ने बताया कि अंधेरे में डिलीवरी कराना सरासर गलत है। एम्बुलेंस बुलाकर नजदीकी अस्पताल में ले जाया जा सकता है। मामले की जानकारी जुटाई जा रही है।

Monday, 20 August 2012

शहीद मदनलाल धींगड़ा का शहीदी दिवस मनाया


जीवनी से संबंधित फिल्म दिखाई
शहीद मदन लाल की तस्वीर संसद में लगाने की मांग


जींद। पटियाला चौक स्थित पंजाबी धर्मशाला में रविवार को अमर शहीद मदनलाल धींगड़ा पंजाबी धर्मशाला सेवा समिति द्वारा शहीद मदनलाल धींगड़ा का शहीदी दिवस मनाया गया। कार्यक्रम में मौजूद लोगों को शहीद मदन लाल की जीवनी से संबंधित फिल्म भी दिखाई गई और उनके साहसिक कारनामों का उल्लेख किया गया। वक्ताओं ने मांग की कि शहीद मदन लाल धींगड़ा की तस्वीर संसद भवन में लगाई जाए। उनकी जीवनी को पाठ्‌यक्रम में शामिल किया जाए। प्रदेश में किसी भी एक संस्थान का नाम उनके नाम पर रखा जाए। समिति के प्रेस प्रवक्ता डा. धमेंद्र सिंह बारा ने कहा कि मदन लाल धींगडा का जन्म क्त्त् फरवरी, क्त्त्त्त्फ् को पंजाब प्रांत में एक समृद्ध हिंदू परिवार में हुआ था। उनकव् पिता दिाा मल एक अमीर सिविल सर्जन थे। ढींगडा विチयात भारतीय स्वतंत्रता और राजनीतिक विनायक दामोदर सावरकर और श्यामजी कव् संपर्क में आए और स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में कूद गए। दोनों ही उनकी दृढ़ता और तीव्र देशभक्ति से प्रभावित थे। इस अवधि कव् दौरान उन्होंने देशक ो आजाद कराने के लिए अनेक कार्य किए। उनमें देशभक्ति का जज्बा कूटकूट कर भरा हुआ था। उन्होंने बताया कि एक जुलाई, क्ऽ०ऽ की शाम को भारतीय और अंग्रेज बड़ी संチया में भारतीय राष्ट्रीय एसोसिएशन की वार्ष्कि दिवस समारोह में भाग लेने कव् लिए एकत्र हुए थे। जब सर कर्जन विल्ली भारत कव् लिए राज्य कव् सचिव कव् लिए राजनीतिक सैन्या देशवाहक, कव् अपनी पत्नी कव् साथ हॉल में प्रवेश कर रहे थे तो ढींगड़ा ने उसकव् चेहरे पर सही पांच शॉट निकाल दिया। जिनमें से चार उनकव् निशाने पर लगे। जिसका अभियोग अदालत में चला। आखिरकार ढींगडा को क्स्त्र अगस्त क्ऽ०ऽ को फांसी की सजा दी गई और उन्होंने हंसतेहंसते फांसी के फंदे को चूम लिया। इस मौके पर पंजाबी समाज के  गणमान्य लोग मौजूद थे।

अब खेल में इनाम राशि हो गई है पहले से ज्यादा


स्टेट में पदक विजेताओं को मिलेंगे सौ कव् बजाए २५० रुपये
फ्ख् साल बाद बढ़ी इनाम की राशि 

कुलदीप सिंह 

जींद। प्रदेश के खिलाड़ियों द्वारा अंतराष्ट्रीय स्तर पर देश का ही नहीं प्रदेश का नाम रोशन करने में लगे हैं। ऐसे में शिक्षा विभाग भी खिलाड़ियों की तरफ ध्यान देने में पीछे नहीं है। अब शिक्षा विभाग ने भी खिलाडिय़ों की सुध लेते हुए खिलाड़ियों को दिए जाने वाले भो में वृद्धि की है। जिला स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता में स्थान प्राप्त करने वाले खिलाड़ियों को दी जाने वाली पुरस्कार राशि में वृद्धि की गई है। यह वृद्धि ३२ वर्षें के बाद की गई है। पहले खिलाड़ियों को यह राशि केवल सौ रुपये ही मिलती है। अब नई योजना के अनुसार खिलाड़ियों को १५० रुपये बढ़ा कर २५० रुपये की गई है। इसके अलावा द्वितीय स्थान पर रहने वाले खिलाड़ियों को यह राशि १५० रुपये और तृतीय स्थान पर रहने वाले खिलाड़ियों को १०० रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा। जिला स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता में पुरस्कार राशि बढ़ाए जाने से खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ा है।

फ्० खेल प्रतिस्पर्धाओं कव् विजेताओं को मिलेगा लाभ 
इस समय शिक्षा विभाग द्वारा जो खेल कैलेंडर जारी किया गया है उसमें ३० प्रकार की खेल प्रतियोगिताएं आयोजित की जा रही हैं। इन प्रतियोगिताओं में प्रदेश स्तर के हजारों खिलाड़ी भाग ले रहे हैं और अपनी प्रतिभा दिखा रहे हैं। अब इन खिलाड़ियों को भी बढ़ी हुई खेल राशि का लाभ दिया जाएगा। जबकि स्कूल फव्डरेशन ऑफ इंडिया में भ्त्त् खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है। 
वर्ष् क्ऽत्त्० से मिल रहे हैं इनाम कव् सौ रुपए 
खेल प्रोत्साहन कव् रूप में प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष् १९८० से स्कूल खेल प्रतियोगिताओं में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को पुरस्कार स्वरूप सौ रुपये की राशि दी जा रही थी। वहीं द्वितीय कव् लिए म्० और तृतीय कव् लिए ब्० रुपये का इनाम मिलता रहा है। लेकिन समय के साथसाथ खेलों का स्तर भी बढ़ा और खेल पर होने वाले खर्च में भी बेतहाशा वृद्धि हुई। लेकिन खिलाड़ियों की पुरस्कार राशि में कोई वृद्धि नहीं की गई थी। अब ३२ साल बाद पुरस्कार राशि में वृद्धि की गई है। 
जिला खेल एवं युवा कार्यक्रम अधिकारी जुगमिंद्र श्योकंद ने कहा कि जिला स्तरीय खेल प्रतियोगिता में विजेता खिलाड़ियों की पुरस्कार राशि में वृद्धि की गई है। अब प्रथम रहने वाले खिलाड़ी को २५० रुपये, द्वितीय रहने वाले खिलाड़ी को १५० रुपये और तृतीय स्थान पर रहने वाले खिलाड़ियों को १०० रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा। पुरस्कार राशि बढ़ने से खिलाडिय़ों का प्रोत्साहन बढ़ेगा।

Sunday, 19 August 2012

दहेज प्रताड़ना में आठ के खिलाफ मामला दर्ज


 जींद : दहेज प्रताड़ना के अलग-अलग दो मामलों में आठ लोगों के खिलाफ दहेज प्रताड़ना के मामले दर्ज किए है। पुलिस मामलों की जांच कर रही है। जानकारी के अनुसार शर्मा नगर निवासी सुमन ने अदालत में याचिका दायर कर कहा था कि उसकी शादी 16 फरवरी 2005 को हिसार के कंवारी गांव निवासी सुनील के साथ हुई थी।
शादी के बाद से ही उसका पति सुनील तथा सास किताबों दहेज के लिए तंग कर रहे थे। माग पूरी न होने पर उसके साथ मारपीट कर घर से निकाल दिया और सुसराल वापस लौटने पर जान से मारने की धमकी दी। अदालत के आदेश पर पुलिस ने पति सुनीत तथा सास किताबों के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज किया है। उधर गुरुद्वारा कालोनी निवासी निक्की उर्फ उर्मिला की शिकायत पर पुलिस ने गाव खिड़वाली निवासी पति दीपक, देवर विकास, सेक्टर 23 सोनीपत निवासी भूपेंद्र, बिशबर नगर निवासी जोरा के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज किया है। निक्की ने पुलिस को बताया था कि उसकी शादी 23 मार्च 2007 को खिड़वाली निवासी दीपक के साथ हुई थी। शादी के बाद से ही ससुरालजन उसे दहेज के लिए तंग कर रहे थे। माग पूरी न होने पर उसके साथ मारपीट की गई और उसे सुसराल से निकाल दिया गया। पुलिस दोनों मामलों की जांच कर रही है।

गाड़ी लूटने का आरोपी काबू

बड़ा बीड़ वन में लगभग तीन माह पहले टाटा सूमो चालक पर हमला कर गाड़ी लूटने के मामले में पुलिस ने एक और आरोपी को गिरफ्तार किया है। मिर्चपुर गांव निवासी जयबीर ने गत 18 मई को शहर थाना पुलिस को दी शिकायत में बताया था कि वह रात को अपनी सूमो गाड़ी लेकर गाव वापस लौट रहा था। बड़ा बीड़ वन के पास सुभाष नगर निवासी अंकित, मोनू तथा एक अन्य व्यक्ति ने जान पहचान का फायदा उठा इशारा कर गाड़ी को रुकवा लिया। उसी दौरान अंकित ने अपने पास मौजूद बिंडे से जयबीर पर हमला कर दिया। इससे जयबीर बेहोश होकर मौके पर ही गिर गया। बाद में दोनों युवक सूमो गाड़ी लेकर फरार हो गए। पुलिस ने जयबीर की शिकायत पर अंकित, मोनू तथा एक अन्य के खिलाफ लूट का मामला दर्ज किया था। बाद में पुलिस ने कार्रवाई कर अंकित तथा मोनू को गिरफ्तार कर लिया था। इसमें सहारनपुर उत्तरप्रदेश निवासी अरविंद का नाम भी उभर कर सामने आया था। पुलिस ने अरविंद को गिरफ्तार किया है। पुलिस आरोपी से पूछताछ कर रही है।

कार पलटने से महिला की मौत, चालक लापता


अलेवा : अलेवा गांव के निकट जींद-असंध मार्ग पर शनिवार रात को एस्टीम कार पलट गई। इसमें एक महिला की मौत हो गई जबकि चालक का कोई सुराग नहीं लग पाया। घटना की सूचना पाकर पुलिस मौके पर पहुंच गई और मृतका के शव का सिविल अस्पताल में पोस्टमार्टम करा परिजनों को सौंप दिया।अलेवा गांव निवासी अनिल की पत्‍‌नी सुनीता शनिवार को अपने भाजे मोनू के साथ रिश्तेदारी में हिसार के सामण गांव गई हुई थी। रात को दोनों एस्टीम कार से घर लौट रहे थे। गाव अलेवा के पास जींद-असंध मार्ग पर अचानक कार अनियंत्रित होकर पलट गई। इसमें महिला की मौके पर ही मौत हो गई जबकि कार चालक मोनू लापता। घटना की सूचना पाकर काफी संख्या में ग्रामीण घटनास्थल पर पहुंच गए और कार में फंसे सुनीता के शव को बाहर निकाला और चालक मोनू की आसपास तलाश की, लेकिन उसका कोई सुराग नहीं लगा।मृतका के पति अनिल ने बताया कि उसने सुनीता से लगभग नौ माह पहले प्रेम विवाह किया था। इससे पूर्व सुनीता भिवानी के पपोसा गांव निवासी जगअवतार सिंह के साथ विवाहित थी। लगभग दस माह पहले सड़क हादसे में जगअवतार की मौत हो गई थी। जगअवतार की मौत के एक पखवाड़ा बाद उन्होंने प्रेम विवाह रचा लिया था। शनिवार को सड़क हादसे में सुनीता की मौत हो गई जबकि उसके भाजे मोनू का कोई सुराग नहीं लग पाया है। जाच अधिकारी कुलदीप सिंह ने बताया कि मामले में किसी पर कोई आरोप-प्रत्यारोप नहीं किया गया है।

Saturday, 18 August 2012

हमारव् हाव भाव दर्शाते हैं हमारव् व्यक्तित्व को


जींद। राजकीय महिला महाविनालय में जेसीआई जींद रायल द्वारा इिटव पलिक स्पीकिंग पर एक ट्रेनिंग वर्कशाप आयोजित की गई। इस वर्कशाप का शुाारां महाविनालय के प्राचार्य डा. एसके आहुजा ने किया। प्राचार्य ने कहा कि छात्राओं को पढ़ाई के साथसाथ इस तरह के आयोजन में ााग लेना चाहिए, योंकि विनार्थी जीवन से ही एक विनार्थी बढिय़ा वता बनकर अपने व्यतित्व को संवार सकता है। जेसीआई जींद रायल के जोन ट्रेनर सुनील मोंगा ने छात्राओं को इफेटिव पलिक स्पीकिंग विष्य पर जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हमारव् हावभाव हमारव् व्यक्तित्व को दर्शाते हैं। इसलिए हमें किसी से बातचीत करते हुए घबराना नहीं चाहिए। हमेशा जोश के साथ बातचीत करनी चाहिए। उन्होंने छात्राों को मंच के लिए भाष्ण तैयार करने व स्टेज से भय दूर करने के उपाय सुझाए। कार्यक्रम में शिरकत की और महाविनालय की छात्राओं को इस विषय पर जानकारी दी। इस अवसर पर अजेश जैन, डा. वजीर सिंह, दयानंद रेढू, उर्मिला शर्मा आदि मौजूद थे। यह कार्यक्रम महाविनालय की प्लेसमैंट सैल द्वारा आयोजित किया गया था।

श्रीराम कथा का आयोजन किया, महिलाओं ने निकाली कलश यात्रा


जमुना प्रसाद शास्त्री ने किया कथा का प्रवचन

जींद। हाऊसिंग बोर्ड स्थित श्री रामा कृष्णा मंदिर में भाद्रपद पुरूषोम माह के शुभारंभ पर श्रीराम कथा का आयोजन किया गया। कथा के शुभारंभ पर महिलाओं द्वारा कलश यात्रा निकाली गई। कलश यात्रा से शुरू हो कर शहर के मुチय मार्गों से होते हुए वापस मंदिर में संपन्न हुई। श्री राम कथा 
१८ से २६ अगस्त तक किया जाएगा। मंदिर में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए देवभूमि उाराखंड से आए जमुना प्रसाद शास्त्री ने कहा कि पुरूषोम माह में पुरूषोम भगवान राम की कथा सुनने से मनुष्य के जाने अनजाने में किए हुए पापों का शमन हो जाता है और पुण्य का भागी बनता है। उन्होंने कहा कि लंका में सोए विभिष्ण के जीवन में जैसे रामभक्त हनुमान का आगमन होता है वैसे ही जब मानव के जीवन में पूर्ण सतगुरू का आगमन होता है तो जीव मोह निद्रा से जाग जाता है। उन्होंने कहा कि हनुमान के माध्यम श्रीराम लंका में रावण का वध कर सीता को छुड़ाकर वहां राम राज्य लाते हैं ऐसे ही अगर मनुष्य अपने भीतर राम राज्य लाना चाहता है तो प्रभु श्रीराम का घट में प्राटय जरूरी है। ईश्र्वर दर्शन से ही मन रूपी रावण की बुराई समाप्त हो पाएगी और जीवन आनंदमय बन सकता है। इसलिए मनुष्य को गुरू दर्शन के लिए पूर्ण गुरू की शरणागत होना चाहिए तभी मानव जीवन सफल हो पाएगा। राम कथा सुनने से पुण्य की प्राप्ति होती है। आज मनुष्य पुण्य प्राप्ति के लिए अनेकों दान, पुण्य के कार्य करता है। लेकिन भागवत कथा सुनने से उसे सच्चे पुण्य की प्राप्ति होती है। यहां आने से मन को शांति मिलने के साथ भगवान को पाने का रास्ता भी मिलता है।

धानक समाज के लोगों ने शहर में किया प्रदर्शन


कलानोर की विधायिका का फूंका पुतला
सीएम द्वारा घोष्ति प्लाट न देने से आहत थे समाज के लोग

जींद। मुチयमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा धानक समाज को दिए जाने वाले प्लाट को किसी संस्था को अलॉट किए जाने से क्षुध होकर धानक समाज के लोगों ने शहर में प्रदर्शन किया और डीसी आवास के सामने कलानोर की विधायक शकुंतला खटक का पुतला फूंका। बाद में कार्यकर्ताओं ने मांगों से संबंधित ज्ञापन अतिरिक्त उपायुक्त अरविंद मलहान को सौंपा।

धानक समाज के लोग रोशनलाल दुग्गल के नेतृत्व में नेहरू पार्क में एकत्रित हुए। उन्होंने कहा कि धानक समाज शुरू से ही कांग्रेस पार्टी से जुड़ा रहा है। वर्ष् २००५ में अनुसूचित जाति ए तथा बी का वर्गीकरण हेकर टूटने के कारण समाज के लोग आहत होकर कांग्रेस छोड़ने को मजबूर हो गए। लेकिन धानक समाज की एक मात्र कलानोर से विधायक शकुंतला खटक ने समाज को कांग्रेस से जोड़ने में अहम भूमिका निभाई। २६ जून २०१० करव् जींद में कबीर जयंती पर लाखों की संチया में धानक समाज एकत्रित हुआ और विधायक के कहे अनुसार मुチयमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को हाथ उठा कर यकीन दिलाया कि धानक समाज साथ रहेगा। रैली के दौरान मुチयमंत्री ने अर्बन एस्टेट मे के सेटर ११ में प्लाट देने की घोष्णा की थी। लेकिन तीन साल बीत जाने के बाद भी समाज को प्लाट अलॉट नहीं हो पाया है। प्लाट के लिए धानक समाज के लोग चंडीगढ़, दिल्ली तक के चक्कर लगा चुके हैं। लेकिन उन्हें आश्र्वासन के सिवाए कुछ हासिल नहीं हो रहा है। बाद में पता चला कि समाज को दिए जाने वाला प्लाट अग्रवाल चैरिटेबल ट्रस्ट को दिया गया है। प्लाट के मामले में विधायक ने समाज को तीन साल तक धोखे में रखा है। जिससे समाज के लोगों में रोष् है। बाद में  धानक समाज के लोगों ने शहर में प्रदर्शन किया और डीसी आवास के बाहर विधायक शकुंतला खटक का पुतला फूंका। बाद में समाज के लोगों ने एडीसी को मांगों से संबंधित ज्ञापन भी सौंपा।

Friday, 17 August 2012

मानेसर प्लॉट में हुई घटना की उच्च जांच के लिए दिया धरना


जींद : ट्रेड यूनियनो के आह्वान पर शुक्रवार को मारुति के मानेसर प्लॉट में हुई घटना की उच्च स्तरीय जाच कराने की माग पर कार्यकर्ताओं ने लघु सचिवालय पर धरना दिया और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और मजदूर एकता को बुलंद करने का आह्वान किया। इसके बाद कार्यकर्ताओं ने नगराधीश नरेद्रपाल के माध्य से मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को ज्ञापन सौंपा।
जिला सचिव रमेशचंद्र ने कहा कि हरियाणा के विकास में राज्य के श्रमिकों के योगदान को नकार कर चलाना श्रमिकों के साथ बेइंसाफी है। मारुति समेत राज्य भर में कितनी ही मैनेजमेंट है, जो श्रमिकों के श्रम कानूनों से वंचित रखते हुए उनकी वेतन वृद्धि, छुट्टियां, उनकी रिहायश, यातायात सहित अन्य ज्वलंत समस्याओं का समाधान नहीं कर रही है। सरकार के द्वारा इस मारुति मानेसर प्लॉट की उच्च स्तरीय जाच करानी चाहिए और घटना की आड़ में मजदूरों एवं उनके परिवारों का दमन बंद करना चाहिए। मानेसर प्लॉट में सुचारु रूप से काम शुरू किया जाना चाहिए।
वर्तमान समय में बढ़ी महगाई से मजदूर का अपना परिवार चलाना मुश्किल हो गया है। ऊपर से सरकार द्वारा विभागों में छटनी की जा रही है। नई भर्तियों पर रोक लगाई जा रही है। बेरोजगारी बढ़ने के कारण आत्महत्या की घटनाएं बढ़ रही है। उन्होंने माग की कि मारुति से निष्कासित कर्मियों को वापस लिया जाए और घटना की निष्पक्ष जाच की जाए। इस अवसर पर कपूर सिंह, जितेंद्र, सुभाष तिवारी, कश्मीर सिंह, राधेश्याम आदि मौजूद थे।

20 को स्वास्थ्य मंत्री के आवास का घेराव

जींद : बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कर्मचारी एसोसिएशन की जिला कार्यकारिणी की बैठक सामान्य अस्पताल में स्थित एसोसिएशन कार्यालय में हुई। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि राज्य कमेटी के आह्वान पर स्वास्थ्य कर्मियों की मांगों पर 20 अगस्त को स्वास्थ्य मंत्री के नारनौल स्थित आवास पर जिले के सभी स्वास्थ्य कर्मी पहुंचकर उनके आवास का घेराव करेंगे। एसोसिएशन के जिला कैशियर राकेश सिवाच व जिला सचिव शक्ति सिंह ने बताया कि स्वास्थ्य कर्मी अपनी मांगों को लेकर पिछले काफी समय से संघर्षरत् है, लेकिन सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगती और सरकार वादे करके मुकर जाती है। इसलिए अब एसोसिएशन जन जागरण अभियान चलाकर ग्राम पंचायतों से समर्थन पत्र हासिल कर रही है और सरकार से मांग की कि एमपीएचडब्ल्यू काडर की वेतन विसंगति दूर की जाए, आरसीएच सहित सभी अनुबंधित कर्मियों को नियमित किया जाए। इस अवसर पर सुरेंद्रपाल, दिनेश ढिल्लो, सतपाल मोर, अशोक कुमार, अमरजीत, राममेहर वर्मा, शकुंतला, अजय सिंह, दीपक, देवीराम, सुनीता, सुदेश कुमारी आदि मौजूद थे।

निगम जान-बुझकर समस्याओं से बन रहा अनजान : नरेश

जींद : ऑल हरियाणा पावर कारपोरेशन वर्कर्स यूनियन मुख्यालय हिसार की राज्य कमेटी के आह्वान पर सर्कल स्तरीय कन्वेंशन हुई, जिसकी अध्यक्षता सर्कल सचिव रामफल दलाल ने की और संचालन नरवाना यूनिट सचिव सुरेश राठी व राज्य वित्त सचिव नरेश कुमार ने किया। राज्य वित्त सचिव नरेश कुमार ने कहा कि सरकार के इशारे पर निगम मैनेजमेंट भी जान-बुझकर कर्मचारी समस्याओं से अनजान बनी हुई है। खानापूर्ति के लिए यूनियनों से बैठक करते हैं, लेकिन कर्मचारियों की समस्याओं को निपटाने की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसके रोष स्वरूप ही एक बार फिर संगठन को संघर्ष की राह पकड़नी पड़ी है। फ्रेंचाइजी का विरोध, ठेकेदारी प्रथा का विरोध, निजीकरण का विरोध, कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने, खाली पडे़ पदों को नियमित भर्ती करने आदि मांग हैं। 22 अगस्त को सब यूनिट स्तर पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। 31 अगस्त को मालेकर भवन दिल्ली में कच्चे कर्मचारियों की राष्ट्रीय कन्वेंशन में भाग लेंगे व 18 सितंबर को विद्युत सदन हिसार पर प्रदर्शन करके आगे की रणनीति बनाकर विद्युत सदन पंचकूला व बिजली मंत्री के आवास घेराव के लिए कूच करेंगे। इस अवसर पर छोटेलाल, रामकिशन कुंडू, जयभगवान रोहिला, सतपाल, सुरेश, सुभाष शर्मा आदि मौजूद थे।

Tuesday, 14 August 2012

पंजाब के किसानों को भायी निडाना की पाठशाला





नवां शहर के किसान दो दिवसीय दौरे पर हैं निडाना में
किसानों के ठहरने का प्रबंध गांव में ही
कीट प्रबंधन के गुर सीख रहे हैं किसान
खाद डालने की विधि सहित अन्य विधियां सीखेंगे किसान

कुलदीप संधू
जींद। नवां शहर (पंजाब) से आए किसानों ने मंगलवार को गांव निडानी में आयोजित खेत पाठशाला में भाग लिया और कीटों के बारव् में जानकारी हासिल की। पंजाब के कृष्ि विभाग द्वारा आत्मा स्कीम के प्रोजेट डायरव्टर सुチाजिंद्र पाल के नेतृत्व में जिला नवां शहर से ३८ किसान व छह कृष्ि अधिकारियों के एक दल को कीट प्रबंधन के गुर सीチाने के लिए निडाना में दो दिन की यात्रा पर ोजा गया है।

チााद डालने की विधि सीチों किसान
गांव निडाना पहुंचे पंजाब के किसानों खेत पाठशाला के दौरान कई जानकारियां हासिल की। उन्होंने कहा कि किसानों को फसल में チााद की अवश्यकता व डालने की विधि भी सीチाने की जरुरत है। योंकि किसान फसल में जो यूरिया チााद डालता है, उसका ११ से २८ प्रतिशत ही पौधों को मिलता है। जबकि बाकि का チााद वेस्ट हो जाता है। इसके अलावा डीएपी チााद में से सिर्फ ५ से २० प्रतिशत ही チााद पौधों को मिलता है। बाकि की チााद की मात्रा जमीन में चली जाती है। इस तरह बिना जानकारी के व्यर्थ होने वाले チााद को बचाने के लिए チााद जमीन में डालने की बजाए सीधा
पौधों को ही दिया जाए। 
आवभगत से खुश हुए पंजाब के किसान
पंजाब से आए किसान निडाना गांव के ग्रामीणों द्वारा की गई आवभगत से गदगद हुए। पंजाब से आए किसानों ने कहा कि निडाना गांव के ग्रामीणों ने जिस तरह से उनका आदर सत्कार किया है और उन्हें अपने घर पर ही ठहरा कर उनकी チाातीरदारी की है उसे वह कभी नहीं भूल पाएंगे। फसलों में बढ़ते जहर से बचने के लिए वह काफी प्रयास कर रहे थे, लेकिन आज तक उन्हें इसका कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था। लेकिन निडाना के किसानों ने उन्हें इस जहर से छुटकारा पाने का रास्ता दिチााया है। 

बोकी तोड़ कर किया प्रयोग
गांव निडानी स्थित खेत पाठशाला में किसानों द्वारा पाठशाला में नएनए प्रयोग किए जा रहे हैं। एक तरफ जहां पौधों के पाों की कटाई का प्रयोग चल रहा है तो दूसरी तरफ किसानों ने कपास के पांच पौधों से पौधे की २५ प्रतिशत बोकी तोड़ने का प्रयोग भी शळ्रू कर दिया है। इस प्रयोग से किसान यह देチााना चाहते हैं कि कपास की फसल में बोकी チााने वाले कीटों से उत्पादन पर कोई प्रभाव होता है या नहीं। इस पाठशाला में २८ दिन बाद पांच पौधों की २५ प्रतिशत बोकी तोड़ी जाती हैं। वही बोकी बारबार न टूटे इसलिए २८ दिन बाद पौधे की बोकी तोड़ी जाती हैं, योकि बोकी से फूल बनने में २८ दिन का समय लगता है। 
किसानों की समस्याओं का किसानों ने ही किया समाधान
पंजाब के नवां शहर से आए किसानों ने निडाना के किसानों से チाूब सवालजवाब किए और धान, गन्ना, मक्की व सजी की फसल में पाा लपेट, तना छेदक, टिड्डे व फुदका कीटों से होने वाले नुकसान का समाधान भी पच्छा। निडाना के किसानों ने पंजाब के किसानों की समस्याओं का समाधान करते हुए बताया कि इन कीटों को कीटनाशकों से काबू करने की जरुरत नहीं है। योंकि इनको काबू करने के लिए फसल में मासाहारी कीट काफी तादाद में मौजूद होते हैं।

पाठशाला के संचालक डा. सुरव्ंद्र दलाल ने कहा कि किसानों को किताबों में लिチाी हुई बातों पर यकीन करने की बजाए बुनियाद से सीチाने की जरुरत है। जब तक किसान チाुद का ज्ञान पैदा नहीं करव्गा और घर पर ही बीज तैयार कर फसल की बिजाई करनी शुरू नहीं करव्गा तब तक किसान को チोती से लाभी प्राप्त नहीं होगा। डा. दलाल ने कहा कि जिस ज्ञान को देチाने के लिए पंजाब से किसान यहां आए हैं, वह ज्ञान किताबी नहीं है, बल्कि निडाना के किसानों द्वारा यह ज्ञान チोत में प्रयोग कर チाुद पैदा किया गया है। बीटी पर चुटकी लेते हुए डा. दलाल ने कहा कि कीटों को कंट्रोल करने में बीटीसीटी का कोई महत्व नहीं है और न ही किसानों को कीटों को कंट्रोल करने की जरुरत है। यहां के बाद इन किसानों ने निडानी गांव में लंच किया और यहां महाबीर व जयभगवान के खेत में कपास व मुंग की मिश्रित खेती का अवलोकन करव्ंगे। इसके बाद अलेवा गांव में जाकर प्रगतिशील किसान जोगेंद्र सिंह लोहान के खेत में बिना कीटनाशक व कीटनाशक के छिड़काव वाली धान की फसल में आई पाा लपेट की तुलाना करव्ंगे। यहां से जलपान कर वापिस पंजाब के लिए कूच करव्ंगे
इस अवसर पर कीटकिसान मुकदमे की सुनवाई के लिए チााप पंचायत की तरफ से बरहा कलां बाराह チााप के प्रधान एवं チााप पंचायत के संयोजक कुलदीप ढांडा, बेनिवाल チााप के प्रधान जिले सिंह बेनिवाल, अチािल भारतीय क्षेत्रीय महासभा के कार्यकारी सदस्य महेंद्र सिंह तंवर, अमरपाल राणा व कृष्ण कुमार भी मौजूद थे।





खुद को पर्यावरण के लिए महिला वकील ने कर दिया समर्पित

अब तक लगवा चुकी 177 त्रिवेणी जींद। महिला एडवोकेट संतोष यादव ने खुद को पर्यावरण की हिफाजत के लिए समर्पित कर दिया है। वह जींद समेत अब तक...