सूचना का अधिकार हरियाणा में किस तरह से प्रभावी हो रहा है, यह इससे साबित हो रहा है कि कई-कई माह बीतने के बाद भी आवेदकों को सूचनाएं नहीं मिल रही है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जहां आवेदक राज्य सूचना आयोग तक अपनी अपील करने के बावजूद भी उसे सूचना नहीं मिली, उल्टा आयोग ने हरियाणा लोक सेवा आयोग के कार्यालय जाकर निरीक्षण के आदेश जारी कर दिए।
हाउसिंग बोर्ड निवासी सुरेश कुमार ने 29 दिसंबर 2010 को हरियाणा लोक सेवा आयोग द्वारा निकाली गई इतिहास लेक्चरार (स्कूल कैडर) विज्ञापन संख्या 3/2009 के स्क्रीनिंग टेस्ट में पास हुए भूतपूर्व सैनिक महिला व भूतपूर्व सैनिक पुरुषों के पहचान पत्रों की प्रतियां मांगी थी, लेकिन आयोग ने यह सूचना देने से यह कहते हुए मना कर दिया कि भर्ती प्रक्रिया जारी है, इसलिए सूचना नहीं दी जा सकती। इसके बाद 3 जून 2011 को प्रथम अपील की गई, लेकिन प्रथम अपील अधिकारी ने भी यही जवाब दे दिया।
इसके बाद द्वितीय अपील राज्य सूचना आयोग को 24 सितंबर 2011 को भेजी। आयोग ने इसे स्वीकार करते हुए केस नंबर 3967/2011 द्वारा 14 अक्टूबर 2011 को एसपीआइओ व प्रथम अपील अधिकारी को नोटिस किया। इसमें 24 मई 2012 तक सूचना देने के आदेश दिए गए थे तथा 12 जून 2012 तक आवेदन ने रिज्वाइंडर राज्य सूचना आयोग को भेजना था और 20 जून 2012 सुनवाई की तिथि निर्धारित की गई थी।
राज्य सूचना आयोग के नोटिस जारी होने के बाद 16 जनवरी 2012 को प्रथम अपील अधिकारी व एसपीआइओ ने यह कहते हुए सूचना देने से मना कर दिया कि जो आरटीआइ कार्यकर्ता सूचना चाहता है, वह नहीं दी जा सकती। नौ मार्च 2012 को आवेदक ने राज्य सूचना आयोग को लिखा कि संबंधित विषय के साक्षात्कार का शेडयूल जारी हो चुका है तथा 11 अप्रैल 2012 को भर्ती प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। इस पर उसे सूचना दिलाई जाए, लेकिन राज्य सूचना आयोग ने कोई जवाब नहीं भेजा। उसके बाद 30 मई को आवेदक ने रिज्वाइंडर राज्य सूचना आयोग व प्रथम अपील अधिकारी को भेजा। इस मामले में 20 जून को राज्य सूचना आयोग ने सुनवाई करते हुए आवेदक को फैसले की कापी भेजी है, जोकि 26 जुलाई 2012 को मिली है। इसमें राज्य सूचना आयोग ने कहा कि आरटीआइ की धारा 2जे के तहत हरियाणा लोक सेवा आयोग व महानिदेशक स्कूल निदेशालय के कार्यालय में जाकर आवेदक संबंधित रिकार्ड का निरीक्षण कर सकता है।
इस आदेश से साबित होता है कि डेढ़ साल से अधिक समय बीतने के बाद भी आवेदक को आयोग तक पहुंचने के बाद भी आरटीआइ के तहत सूचना नहीं मिली जबकि आयोग आवेदक को निरीक्षण करने की बात कह रहा है। निरीक्षण तभी होता है, जब आवेदक को कोई सूचना मिली है और वह उस सूचना से संतुष्ट न हो।
No comments:
Post a Comment