Monday, 30 July 2012

सार्वजनिक स्थानों को कर रहे हरा-भरा


 कहते हैं कि अपने बारे में तो सब सोचते हैं, लेकिन जो दूसरों के बारे में सोचता है, वह महान कहलाता है। ऐसा ही काम कर रहे हैं पड़ाना गांव निवासी सतनारायण शर्मा। सतनारायण शर्मा पिछले 50 बरसों से सार्वजनिक स्थानों से पौधे लगाकर लोगों को छांव प्रदान करने का काम कर रहे हैं। अब तक हजारों पौधे लगा चुके सतनारायण की मंशा है कि उसकी तरह ही हर व्यक्ति खास तौर पर सीनियर सिटीजन खाली समय में पौधे लगाने का काम करें।
सतनारायण शर्मा दूसरी कक्षा से ही पेड़-पौधे लगाने में जुटे हुए हैं। उन्हें यह प्रेरणा अपनी स्कूल के समय में मिली, जब स्कूल में पौधारोपण कार्यक्रम हुआ, तभी से उन्होंने ठानी की पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए पेड़-पौधे जरूर लगाने चाहिए। तभी से उनका यह अभियान शुरू हो गया और बडे़-बडे़ होते-होते हजारों पौधे उन्होंने लगा दिए।
वह बताते हैं कि अपनी प्राइवेट व सरकारी नौकरियों के दौरान जहां भी व रहे, उन्होंने आम जनता के लिए पौधे लगाने का काम किया। उन द्वारा लगाए गए पौधे आज वृक्ष का रूप धारण कर चुके हैं, जिसके नीचे बैठकर लोग ठंडी हवाओं व छांव का आनंद लेते हैं। उन्होंने रानी तालाब स्थित अंबेडकर पार्क, अपने गांव पड़ाना के सार्वजनिक स्थानों, जाट धर्मशाला के सामने स्थित पार्क, अग्रवाल धर्मशाला के सामने त्रिवेणी, स्टेट बैंक आफ पटियाला लघु सचिवालय, बस अड्डा ऐसे स्थान हैं, जहां उन द्वारा लगाए गए पेड़ आज वृक्ष बन चुके हैं।
बिजली निगम से बतौर जेई सेवानिवृत्त सतनारायण अपनी साइकिल पर घूमते हैं और अपनी पेंशन से ही पौधे लगाने का काम करते हैं। पौधे लगाने की इसी आदत को देखते हुए लोगों ने उन्हें पीपल वाला पंडित का नाम दे दिया। आज कई जगहों पर लोग उन्हें इसी नाम से पुकारते हैं। वह प्रतिदिन दो से तीन घंटे पौधे लगाने का काम करते हैं। उनका मानना है कि हमें अपने जीवन में तीन समय तो पौधे जरूर लगाने चाहिए। एक घर में किसी बच्चे के जन्म के समय, दूसरा शादी तथा तीसरा किसी की याद में पौधे अवश्य लगाने चाहिए।
बाढ़ में खोया अपना बेटा

सतनारायण शर्मा बताते हैं कि 1999 में आई बाढ़ के दौरान उसके बेटे कुलदीप ने लोगों की काफी सेवा की थी। उसके बेटे ने बाढ़ पीडि़तों के लिए लघु सचिवालय के पास ढाबा खोला, जहां खाना देता था। इसी बाढ़ के चलते वह बीमार हो गया और उसने जनवरी 1996 में दम तोड़ दिया। उसके बेटे से कुछ समय पूर्व ही उसकी बेटी सुदेश कुमारी ने भी दम तोड़ दिया था। सुदेश की याद में सतनारायण ने बस अड्डे पर लोगों के लिए पीने के पानी के नलके भी लगवाए।

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