Thursday, 5 July 2012

अमीरों की शाम गरीबों के नाम


शिखर दोपहरी में सड़क पर मंचू तथा उसकी बेटी सोनिया ने दिखाए करतब

जींद। अमीरों की शाम, गरीबों के नाम, फिल्म नाम का यह गाना जब रूपहले पर्दे पर दर्शाया गया था तो सबकी आंखों में पानी आ गया था। लेकिन इसी गाने पर जब सामान्य अस्पताल के निकट खेल दिखाने वाले बिलासपुर छाीसगढ़ निवासी मंचू की दस वषर््ीय बेटी रस्सी पर करतब दिखा रही थी तो हर कोई दांतों तले उंगली दबा एकटक उसे देख रहा था। शिखर दोपहरी में मंचू अपनी बेटी सोनिया को रस्सी पर चलवा रहा था और सोनिया भी डंडे के सहारव् बैलेंस बना कर अपने पिता के आदेशों का पालन कर रही थी। आसपास बैठे दर्शक भी सोनिया के हैरतअंगेज करतबों का आनंद उठा रहे थे। मंचू ने बताया कि बाबू जी पेट की आग के लिए सबकुछ करना पड़ता है। गरीब परिवार से संबंध होने के कारण उन्हें रोजी रोटी के लिए अपना घरबार गांव छोड़ कर बाहर निकलना पड़ा। उन्होंने बचपन से ही रस्सी पर चलना सहित अन्य करतब सीखे। धीरेधीरव् उसकी कुछ कमाई होने लगी और उसके साथ कारवां जुड़ता चला गया। अब उसकी बेटी सोनिया बूखबी उसका साथ निभा रही है। सोनिया ने भी बचपन से रस्सी पर चलना, लोहे के भीड़े गोल से निकलना सहित जादू के तीनचार करतब सीख चुकी है। मंचू ने बताया कि अब तमाशा दिखा कर लोगों का मनोरंजन करना ही उनका उद्देश्य रह गया है। वो तमाशा दिखाने के लिए शहरशहर, गांवगांव घूमते हैं। सड़क ही उनका बसेरा है। मंचू ने बताया कि अगर सरकार उन्हें थोड़ा सो प्रोत्साहन दे तो वो अपनी इस कला से विदेशों में भारत का नाम ऊंचा कर सकते हैं। लेकिन गरीबों की सुनता कौन है बाबू जी, इन्हीं अलफाजों के साथ मंचू ने बातचीत खत्म कर अपना तमाशा दिखाना फिर से शुरू कर दिया।

No comments:

Post a Comment

खुद को पर्यावरण के लिए महिला वकील ने कर दिया समर्पित

अब तक लगवा चुकी 177 त्रिवेणी जींद। महिला एडवोकेट संतोष यादव ने खुद को पर्यावरण की हिफाजत के लिए समर्पित कर दिया है। वह जींद समेत अब तक...