Wednesday, 18 July 2012

मानसून की बेरूखी गन्ना उत्पादकों पर भारी


जिला में १४ हजार हैटेयेर में हुई है गन्ने की बिजाईमहंगा डीजल फूंक कर फसल बचाने में लगे किसान
किसानों पर बढ़ रहा है आर्थिक बोझ

कुलदीप सिंह
जींद। मानसून की मार इस बार जिला के किसानों पर भारी पड़ रही है, ऊपर से बिजली संकट ने किसानों के माथे पर चिंता की लकीरव्ं और भी गाढ़ी कर दी हैं। कृष्ि विभाग द्वारा जिला में अब की बार १४ हजार हैटेयर में गन्ना की बिजाई की गई है। लेकिन सिंचाई न होने के कारण गन्ने की फसल सूख रही है। फसल को बचाने के लिए किसान महंगे दामों पर डीजल से सिंचाई करने पर लगे हुए हैं। जिससे किसानों पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है। जिला में अबकी बार १४ हजार हैटेयर में गन्ना बिजाई का लक्ष्य रखा गया था। कृष्ि विभाग की प्रेरणा तथा गन्ना व चीनी मिल कव् सहयोग से किसानों को अधिक से अधिक क्षेत्र में गन्ना लगाने के लिए प्रेरित किया गया था। विभाग की प्रेरणा से १४ हजार हैटेयर में गन्ना बिजाई के लक्ष्य को हासिल भी कर लिया गया। लेकिन बिजली संकट तथा इंद्र देवता की जिला पर बेरूखी के चलते इस बार गन्ना उत्पादक किसानों को काफी नुकसान पहुंच रहा है। दर्जनों खेतों में गन्ना सूख गया है। मानसून की अभी तक जमकर बारिश नहीं हो पाई है। जिससे किसान काफी चिंतित हैं। ऐसे में किसान अपनी फसल को बचाने के लिए महंगा डीजल फूंक कर फसल की सिंचाई करने में लगे हुए हैं। वहीं बिजली निगम द्वारा शेडयूल अनुसार बिजली भी किसानों को उपलध नहीं करवाई जा रही है। गन्ना उत्पादक किसान रामलाल, कृष्ण, धौला ने बताया कि कृष्ि विभाग की प्रेरणा से उन्होंने अपने खेतों में गन्ने की बिजाई की थी। लेकिन बारिश न होने से उनकी फसल सूख रही है। निगम द्वारा उन्हें दिन में दो से तीन घंटे भी बिजली उपलध नहीं करवाई जा रही है। जिससे वो अपनी फसलों की सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में उन्हें महंगा डीजल फूंक कर किसानों की सिंचाई करनी पड़ रही है। जिससे उनकी फसल की लागत बढ़ रही है। गन्ना विभाग के एडीओ केन कुलदीप मलिक ने कहा कि बारिश न होने के कारण गन्ना उत्पादक किसानों को परव्शानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने किसानों को सलाह दी कि वो गन्ना की फसल में निरंतर सिंचाई करते रहे। धरती को सूखने न दें और फसल को गीला रखें ताकि गन्ने को पर्याप्त मात्रा में पानी मिलता रहे।

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